बुध का मीन राशि में गोचर 12 में से इन राशि के जातकों के लिए साबित होगा शानदार!

सभी ग्रह कभी भी एक राशि में नहीं रहते क्योंकि वे हमेशा अपनी चाल व राशि बदलते रहते हैं। सूर्य से लेकर केतु तक सभी ग्रहों का राशि परिवर्तन समय अलग-अलग होता है। इसी क्रम में बुध ग्रह 23 से 28 दिनों के बीच में अपनी राशि में परिवर्तन करते हैं। अब बुध मीन राशि में गोचर करने जा रहे हैं। बुध ग्रह का जल तत्व राशि मीन में गोचर करना एक विशेष ज्योतिषीय घटना है। बुध ग्रह के गोचर की इस घटना का असर सभी 12 राशियों पर देखने को मिलेगा। तो आइए एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में विस्तारपूर्वक जानते हैं कि बुध के गोचर का सभी राशि के जातकों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है और इसके अशुभ प्रभावों से बचने के क्या उपाय हैं।

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बुध का मीन राशि में गोचर: तिथि और समय

ज्योतिष शास्त्र में बुध राजकुमार कहा गया है। बुध ग्रह बुद्धि, विचारशीलता और शिक्षा का प्रतीक है। यह बुद्धि, सोचने की क्षमता, बेहतर तर्क क्षमता और अच्छे संचार कौशल के कारक होते हैं। अब बुध 09 अप्रैल 2024 की रात 10 बजकर 02 बजकर 06 मिनट पर मीन राशि में प्रवेश करने जा रहा है। बता दें कि बुध कन्या राशि में उच्चा के तो मीन राशि में नीच के होते हैं। इस बार बुध अपनी नीच राशि में गोचर करेंगे, जिससे नकारात्मक व सकारात्मक दोनों प्रकार के परिणाम प्राप्त होंगे।

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मीन राशि में बुध: विशेषता

बुध एक पृथ्वी तत्व वाला ग्रह है वही मीन एक दोहरी व जल तत्व की राशि है, जिसका स्वामी बृहस्पति है। मीन राशि में बुध ग्रह वाले जातक स्वभाव में कल्पनाशील और भावुक होते हैं इसलिए जल्दी आहत हो जाते हैं। दयालु और विनम्र होने के साथ-साथ अति विश्वसनीय स्वभाव के कारण प्रेम संबंधों और बिज़नेस पार्टनरशिप जैसे जीवन के प्रमुख क्षेत्रों में बहुत जल्दी धोखा खा लेते हैं। ये लोग पेंटिंग, संगीत आदि रचनात्मक कार्यों में रुचि रखते हैं। ये लोग अपनी भावनाओं को ललित कलाओं और कविताओं के माध्यम से प्रकट करते हैं। 

बुध मीन की नीच राशि होने के कारण मीन राशि में बुध कुछ नकारात्मक प्रभाव भी डालेंगे। इसके परिणामस्वरूप जातक अधिक धन अर्जित करने में असफल हो सकते हैं। कम आत्मविश्वास के कारण ये चिड़चिड़े और बेचैनी का अनुभव कर सकते हैं। इसके अलावा, ये जातक बाहों या गले से संबंधित कुछ परेशानी का अनुभव करने के साथ ही, इनके वैवाहिक जीवन में भी अशांति रहने की आशंका है। शत्रुओं और विरोधियों से परेशान होने के कारण ये लोग छोटी-छोटी यात्रा करना पसंद करते हैं। सकारात्मक पक्ष की बात करें तो ये लोग जिज्ञासु और बुद्धिमान हो सकते हैं। ये निराश और लाचार लोगों की मदद करते हैं। इनका मस्तिष्क बहुमुखी प्रतिभाओं को ग्रहण करने वाला होता है। हालांकि कई बार ये खुद को स्पष्ट रूप से व्यक्त करने में असमर्थ रहते हैं, जो दूसरों के लिए समस्या का कारण बनता है।

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ज्योतिष में बुध ग्रह का महत्व

सौरमंडल में सबसे छोटा ग्रह बुध है। बुध ग्रह को ग्रहों का राजकुमार के साथ-साथ ईश्वर का दूत भी कहा जाता है और यह मिथुन और कन्या राशियों के स्वामी होते हैं। बुध ग्रह को बुद्धि का देवता गया है, जो कि दोहरे स्वभाव वाला ग्रह है। यह 15 अंशों पर उच्च और नीच का होता है। यह उत्तर दिशा के स्वामी हैं। सूर्य व शुक्र इनके मित्र ग्रह हैं लेकिन मंगल और चंद्रमा से ये शत्रुता का भाव रखता हैं। बृहस्पति और शनि इनके सम ग्रह है। बुध महादशा 17 वर्ष की होती है। यह हरित वर्ण के हैं। यदि किसी जातक के कुंडली में बुध की स्थिति शुभ हो तो वह वाणी से जुड़े हर क्षेत्र में तरक्की करता है और इसके अलावा व्यापार में तेजी आगे बढ़ता है। साथ ही, ऐसे जातक आर्थिक जीवन में स्थिरता प्राप्त करते हैं। इसके विपरीत यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध की स्थिति कमज़ोर हो तो ऐसे व्यक्ति को वाणी व धन से जुड़े मामलों में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। बुध ग्रह व्यक्ति को किसी भी परिस्थिति में ढलने की कला देता है। इसके अलावा, बुध भी तीन नक्षत्रों (नक्षत्रों) के स्वामी हैं। यह अश्लेषा नक्षत्र, ज्येष्ठा नक्षत्र और रेवती नक्षत्र का स्वामी है।

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कुंडली में बुध ग्रह के कमज़ोर होने के संकेत

  • बुध यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में कमज़ोर स्थिति में हैं तो ये जातक के संचार, रचनात्मकता को प्रभावित करता है।
  • कमज़ोर बुध के परिणामस्वरूप जातक का झुकाव आध्यात्मिकता की ओर कम होने लगता है।
  • अशुभ बुध के कारण जातक को बोलने में दिक्कत होती है। वह अपनी बात स्पष्ट रूप से कह नहीं पाता है, जिसके चलते संचार कौशल प्रभावित हो जाता है।
  • ऐसे जातकों को सट्टा बाजार से बड़ा नुकसान होता है, जिसके चलते आर्थिक संकट से भी जूझना पड़ सकता है।
  • ये लोग शारीरिक और मानसिक रूप परेशान रहते हैं।
  • अशांत बुध के चलते जातक को समाज में मान-सम्मान की कमी महसूस होती है। साथ ही, कार्यक्षेत्र में उसके पद प्रतिष्ठा और यश में गिरावट आने लगती है। 
  • इसके अलावा जातक की भाषण देने और बोलने की क्षमता प्रभावित होती है। ऐसे में, जो जातक राजनीति से जुड़े होते हैं, उन्हें इस दौरान जनता के विरोध का सामना करना पड़ सकता है।
  • कमजोर बुध बुद्धि को भ्रमित करता है।

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कुंडली में बुध की मजबूत स्थिति

  • कुंडली में बुध ग्रह मजबूत हो तो लोग मृदुभाषी और मजाकिया स्वभाव के होते हैं।
  • मजबूत बुध के प्रभाव से व्यक्ति व्यापार के क्षेत्र में खूब धन लाभ कमाता है।
  • शेयर मार्केट व कई प्रकार के निवेश से भी इन्हें खूब लाभ होता है।
  • इन जातकों की वाणी बहुत अधिक मधुर होती है, जिसके चलते ये दूसरों को अपनी ओर आकर्षित करने में सक्षम होते हैं।
  • बुध की शुभ स्थिति के कारण इन जातकों की तर्क करने की क्षमता मजबूत होती है।
  • बुध के शुभ प्रभाव से व्यक्ति अच्छा वक्ता, प्रवक्ता, अधिकारी, बीमा एजेंट और बहुभाषी बनता है।
  • ये जातक दिखने में बेहद खूबसूरत होते हैं और अपने व्यक्तित्व से हर किसी को अपनी तरफ मुग्ध कर लेते हैं।

कुंडली में अशुभ बुध की स्थिति को मजबूत करने के उपाय

कुंडली में बुध की स्थिति को मजबूत करने के लिए कुछ ख़ास उपाय बताए जा रहे हैं, जिसे अपनाकर आप तमाम तरह की समस्याओं से छुटकारा पा सकते हैं। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में।

इस मंत्र का जाप करें

कुंडली में बुध की स्थिति को मजबूत करने के लिए बुधवार के दिन लाल वस्त्र धारण करें और “ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः” मंत्र की कम से कम 108 बार जाप करें। इससे बुध मजबूत होता है और व्यक्ति को ज्ञान और धन की प्राप्ति होती है। 

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तुलसी का पौधा लगाएं

यदि आपकी कुंडली में बुध ग्रह की स्थिति कमज़ोर है, तो बुधवार के दिन तुलसी का पौधा लगाएं और रविवार को छोड़कर बाकि दिनों में उसमें जल डालें और नियमित रूप से पूजा करें। इस उपाय को करने से बुध ग्रह मजबूत होता है, साथ ही भगवान विष्णु का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है।

गाय की सेवा करें

प्रतिदिन गाय की सेवा करें। साथ ही हरा चारा खिलाएं। इस उपाय को करने से कुंडली में बुध भी मजबूत होता है। इस उपाय को करने से कुंडली में बुध की स्थिति मजबूत होती है और साथ ही, भगवान कृष्ण की विशेष कृपा बनी रहती है।

दुर्गा चालीसा का पाठ करें

अगर आपकी कुंडली में बुध ग्रह कमजोर हैं, तो बुधवार के दिन जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा की विधि-विधान से पूजा अर्चना करें। साथ ही, दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का बुधवार को पाठ करें। इस उपाय को करने से भी कुंडली में बुध ग्रह मजबूत होता है। इसके अलावा, यदि संभव हो तो आप बुधवार के दिन पास में किसी मंदिर में जाकर मां दुर्गा को श्रृंगार की वस्तुएं भेंट भी कर सकते हैं।

संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करें

बुधवार का दिन भगवान गणेश को समर्पित है। ऐसे में, कुंडली में बुध की मजबूत स्थिति प्राप्त करने के लिए बुधवार के दिन देवों के देव महादेव के प्रिय पुत्र भगवान गणेश की पूजा करें। साथ ही उन्हें दूर्वा और मोदक भेंट करें। भगवान गणेश को मोदक अति प्रिय है। अतः मोदक भेंट करने से भगवान गणेश शीघ्र प्रसन्न होते हैं। इसके अलावा, संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करें।

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बुध का मीन राशि में गोचर: सभी राशियों पर प्रभाव

मेष राशि

आपको आत्म-विकास की कमी महसूस हो सकती है, जिसके चलते आप जीवन में पीछे रह सकते हैं। इसके अलावा(विस्तार से पढ़ें)

वृषभ राशि

आप इस अवधि अच्छी मात्रा में धन अर्जित करें लेकिन उसके बावजूद भी आपको संतुष्टि प्राप्त न हो। भले ही आप कमा रहे हों लेकिन(विस्तार से पढ़ें) 

मिथुन राशि

आपको अपने स्वास्थ्य, नौकरी और अपने परिवार पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता हो सकती है क्योंकि इन(विस्तार से पढ़ें)

कर्क राशि

आपको भाग्य का साथ न मिले जिसके चलते कई अच्छे मौके आपके हाथों से निकल सकते हैं। इस अवधि आपको किसी(विस्तार से पढ़ें) 

सिंह राशि

आप अच्छी मात्रा में धन अर्जित करने में असफल हो सकते हैं और आशंका है कि आपकी इच्छाओं(विस्तार से पढ़ें)

कन्या राशि

आपको अपने मित्रों और करीबी सदस्यों के साथ संबंधों में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है(विस्तार से पढ़ें)

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तुला राशि

आपको भाग्य की कमी महसूस हो सकती है, जिसके चलते आपको जीवन में संघर्ष का सामना करना पड़ सकता है(विस्तार से पढ़ें)

वृश्चिक राशि

आप अपने बच्चों के विकास के बारे में अधिक सोच-विचार करेंगे और उनके भविष्य को लेकर आप परेशान हो सकते हैं(विस्तार से पढ़ें)

धनु राशि

आपको बिज़नेस पार्टनर, जीवनसाथी और अपने दोस्तों के साथ संबंधों में उतार-चढ़ाव देखना पड़ सकता है(विस्तार से पढ़ें)

मकर राशि

आपको अपने भाई-बहनों के साथ समस्या का सामना करना पड़ सकता है। आशंका है कि(विस्तार से पढ़ें) 

कुंभ राशि

करियर के मामले में भी आपको उतार-चढ़ाव झेलना पड़ सकता है और इस वजह से आपको सफलता मिलने में देरी का सामना करना पड़ सकता है। आपके वरिष्ठ(विस्तार से पढ़ें)

मीन राशि

करियर के मोर्चे पर आपको कार्यक्षेत्र में नौकरी का दबाव झेलना पड़ सकता है और इस वजह से आपके काम में गलतियां निकल सकती है(विस्तार से पढ़ें)

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चैत्र नवरात्रि: इस वर्ष घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं माँ दुर्गा- जानें इसका महत्व और मुहूर्त की जानकारी!

अप्रैल के महीने में चैत्र नवरात्रि का पावन त्यौहार मनाया जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार साल में कुल चार नवरात्रियां मनाई जाती है जिनमें से दो गुप्त नवरात्रि होते हैं और एक शारदीय और एक चैत्र नवरात्रि होती है। चैत्र और शारदीय नवरात्र को गुप्त नवरात्रि की तुलना में ज्यादा महत्व दिया जाता है क्योंकि यह गृहस्थ लोग करते हैं और अक्सर देखा गया है कि गुप्त नवरात्रि करने वाले लोग इसे तंत्र साधना के लिए करते हैं। इस खास ब्लॉग में आज हम बात करेंगे जल्द शुरू होने वाले चैत्र नवरात्रि की।

यहां हम जानेंगे कि इस साल चैत्र नवरात्र कब से प्रारंभ हो रही है, इसका घट स्थापना मुहूर्त क्या रहने वाला है, इस साल मां का आगमन वाहन क्या रहने वाला है और इससे क्या संकेत मिल रहे हैं। साथ ही जानेंगे चैत्र नवरात्रि के दौरान किए जाने वाले उपायों की जानकारी और ये चैत्र नवरात्रि किन राशियों के लिए विशेष रूप से शुभ रहेगी इसकी जानकारी भी आपके यहां दी जाएगी। तो चलिए शुरू करते हैं सबसे पहले जान लेते हैं चैत्र नवरात्रि का यह पर्व कब से मनाया जाएगा।

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चैत्र नवरात्रि 2024 कब से?

हिंदू पंचांग के अनुसार बात करें तो चैत्र मास की प्रतिपदा तिथि अर्थात 9 अप्रैल 2024 से चैत्र नवरात्र प्रारंभ हो रही है और इसका समापन 18 अप्रैल को हो जाएगा। ऐसे में 9 अप्रैल को ही घट स्थापना मुहूर्त किया जाएगा। बात करें इसके मुहूर्त की तो,

घटस्थापना मुहूर्त (नई दिल्ली) के लिए

घटस्थापना मुहूर्त : 06:01:45 से 10:15:48 तक

अवधि :4 घंटे 14 मिनट

नोट: आप अपने शहर के अनुसार अगर घट स्थापना मुहूर्त की जानकारी जानना चाहते हैं तो आप इस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं

बेहद ही शुभ योग में प्रारंभ हो रही है चैत्र नवरात्रि

इस वर्ष चैत्र नवरात्रि इसलिए भी खास खाने जा रही है क्योंकि यह बेहद ही शुभ योग में प्रारंभ हो रही है। दरअसल हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र नवरात्रि के दिन रेवती नक्षत्र रहने वाला है। रेवती नक्षत्र इस दिन सुबह 7:32 तक रहेगा और इसके बाद अश्विनी नक्षत्र प्रारंभ हो जाएगा। इसके अलावा योग की बात करें तो इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। यह दोनों योग सुबह 7:32 से लेकर अगले दिन 5:06 तक रहने वाले हैं। ऐसे में इस दौरान आप किसी भी तरह का शुभ और मांगलिक कार्य कर सकते हैं। यह विशेष रूप से फलदाई रहने वाला है।

घटस्थापना विधि

  • सबसे पहले बात कर ले घट स्थापना विधि की तो इसके लिए आप एक मिट्टी के चौड़े मुंह वाला बर्तन ले लें और उसमें सप्तनाज रख लें। 
  • इसके ऊपर कलश में जल भर कर रख लें और उसके ऊपरी भाग में कलावा बांध लें। 
  • इसके बाद आम या फिर अशोक के पल्लव को कलश के ऊपर रख दें। 
  • अब नारियल को एक साफ लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर और पल्लवों के बीच में रख दें। 
  • नारियल में कलावा भी लपेट दें। 
  • घट स्थापना पूरी होने के बाद देवी का आवाहन करें और इसके बाद पूजा प्रारंभ करें।

चैत्र नवरात्रि का महत्व

बात करें महत्व की तो चैत्र नवरात्रि के दौरान मां भगवती के 9 स्वरूपों की पूजा का विधान निर्धारित किया गया है। माना जाता है कि इस दौरान जो कोई भी भक्त मां की विधिवत पूजा करते हैं, व्रत रखते हैं, ऐसे लोगों को हर एक कष्ट और दुखों से छुटकारा मिलता है। साथ ही जीवन में सुख और समृद्धि बढ़ती है। इसके अलावा ऐसे जातकों के घर परिवार में हमेशा खुशहाली बनी रहती है।

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चैत्र नवरात्रि 2024: क्या रहेगा मां का वाहन?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि जब भी नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा धरती पर आती हैं तो वह एक विशेष वाहन से आती हैं। इस वाहन का कोई ना कोई संकेत होता है और महत्व भी होता है। बात करें चैत्र नवरात्रि में मां के वाहन की तो इस साल मां घोड़े पर सवार हो कर आने वाली हैं। चूंकि चैत्र नवरात्रि मंगलवार से शुरू हो रही है इसीलिए माँ का आगमन वाहन घोड़ा रहने वाला है। 

बात करें इसके संकेत कि तो, जब भी माँ घोड़े पर सवार होकर आती हैं तो इससे सत्ता में परिवर्तन देखने को मिल सकते हैं। साथ ही इस दौरान साधकों के जीवन में से सभी तरह के कष्ट और परेशानियों से छुट्टी मिलने की भी उच्च संभावना बन रही है।

क्या यह जानते हैं आप? चैत्र नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के इन स्वरूपों की पूजा की जाती है शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री

नवरात्रि पहला दिन: माँ शैलपुत्री

नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना होती है और साथ ही नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित होता है। इस दिन माता के भक्त मां दुर्गा के शैलपुत्री स्वरूप की पूजा करते हैं। बात करें मां के स्वरूप की तो मां के माथे पर अर्धचंद्र है, दाहिने हाथ में उन्होंने त्रिशूल लिया हुआ है, बाएं हाथ में कमल है और वह नंदी बैल के सवारी करती हैं।

शैल पुत्री शब्द का संस्कृत में अर्थ होता है पर्वत की बेटी पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है की माँ शैलपुत्री पिछले जन्म में भगवान शिव की पत्नी और राजा दक्ष की पुत्री थी हिमालय के राजा का नाम हिमावत था और इसीलिए शैलपुत्री देवी का एक नाम हेमवती भी है और क्योंकि मां की सवारी वृष है ऐसे में उनका एक नाम वृषारुढ़ा भी होता है

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मां शैलपुत्री की पूजा का ज्योतिषीय लाभ 

ज्योतिषीय लाभ की बात करें तो माना जाता है की मां शैलपुत्री चंद्रमा को दर्शाती हैं। ऐसे में अगर माँ के इस स्वरूप की विधिवत रूप से पूजा की जाए तो इससे कुंडली के में मौजूद चंद्रमा को मजबूत किया जा सकता है और चंद्रमा से संबंधित शुभ परिणाम प्राप्त की जा सकते हैं।

चैत्र नवरात्रि का महत्व

हिन्दू नववर्ष की शुरुआत: इसी दिन से हिंदू नव वर्ष की शुरुआत होती है। चैत्र नवरात्रि जीवन में शुद्ध नवीनीकरण और हिंदू पंचांग के अनुसार साल का पहला दिन माना जाता है। 

नारी शक्ति का महोत्सव: नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा होती है जो शक्ति या ब्रह्मांड की पूजा का प्रतीक मानी जाती है और हम सभी के जीवन को संभालती है। 

अच्छाई की विजय आसुरी शक्तियों पर: अर्थात नवरात्रि के इन नौ दिनों में मां के नौ स्वरूपों के माध्यम से बुरी शक्तियों को समाप्त करने की अनगिनत शक्ति का प्रतीक माना गया है। 

नवरात्रि अनुष्ठान और रीति रिवाज

नवरात्रि के दौरान पहले दिन घट स्थापना की जाती है जिसकी विधि हमने आपके ऊपर बताई है। इसके अलावा इन 9 दिनों में बहुत से लोग उपवास भी करते हैं। नवरात्रि के दौरान डांडिया रास और गरबा नृत्य किए जाते हैं। इसके अलावा नवरात्रि का एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान होता है कंजक पूजन और नवरात्रि का समापन होता है रामलीला और राम पूजा के साथ।

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नवरात्रि के 9 दिन:  ग्रहों और रंग से संबंध 

नवरात्रि दिन- माँ का स्वरूप ग्रहों से संबंध दिन से संबन्धित रंग 
मां शैलपुत्रीचंद्रमापीला/नारंगी
मां ब्रह्मचारिणीमंगल हरा
मां चंद्रघंटाशुक्र धूपीया
मां कुष्मांडासूर्य लाल
देवी स्कंदमाताबुध रॉयल ब्लू
माता कात्यायनीगुरु सफेद
माता कालरात्रिशनि गुलाबी
महागौरीराहु स्काई ब्लू
सिद्धिदात्रीकेतु केसरी/पीच

नवरात्रि व्रत की सही विधि

जैसा कि हमने पहले भी बताया कि नवरात्रि के दौरान बहुत से लोग 9 दोनों का उपवास करते हैं। ऐसे में उपवास से संबंधित कुछ विशेष नियम बताए गए हैं जिनका पालन करना अनिवार्य होता है। जैसे कि इस दौरान कुछ चीज खाने और किए जाने की अनुमति होती है और वहीं कुछ चीजों को खाने की अनुमति नहीं होती है। क्या कुछ है ये चीज़ें आइये जान लेते हैं।

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इन चीजों को खाया जा सकता है

  • फल 
  • सब्जियां 
  • आलू 
  • शकरकंद 
  • लौकी 
  • कद्दू 
  • टमाटर 
  • बाजरा सिंघाड़ा आटा या रागी का आटा 
  • दूध या दूध से बने हुए व्यंजन 
  • पनीर
  • दही 
  • घी 
  • अखरोट और नारियल 
  • साबूदाना 
  • सेंधा नमक

इन चीजों का व्रत में किया जाता है परहेज

  • गेहूं 
  • चावल 
  • मैदा 
  • सूजी 
  • प्याज 
  • लहसुन 
  • बींस 
  • अंडे 
  • सामान्य नमक

चैत्र नवरात्रि के दौरान क्या करें- क्या ना करें

चैत्र नवरात्रि के दौरान अगर आप उपवास रख रहे हैं तो सुबह शाम दोनों समय की पूजा करें। दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। 9 दिन बिस्तर की जगह जमीन पर सोएँ और व्रत कर रहे हैं तो सात्विक भोजन ही खाएं। इस दौरान जितना हो सके दान पुण्य करें और धार्मिक कार्यों में शामिल हों और अपने मन में अच्छे विचार ही लाएँ।

बात करें चैत्र नवरात्रि के दौरान क्या काम नहीं करना चाहिए इसकी तो इस दौरान तामसिक भोजन भूल से भी ना खाएं। नवरात्रों के दौरान दाढ़ी, मूछ, बनवाने से बचें। साथ ही इस दौरान नाखून भी ना काटें। घर में अखंड ज्योति जलाएं तो घर को कभी भी खाली ना छोड़े। अपने मन में किसी तरह का गलत विचार न आने दें। किसी के साथ बुरा ना करें। महिलाओं के साथ गलत व्यवहार ना करें। बच्चों को परेशान ना करें। इसके अलावा अगर आप व्रत रख रहे हैं तो गंदे वस्त्र न पहनें और अपने जीवन में ब्रह्मचर्य का पालन करें।

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नवरात्रि में चाहिए मां की प्रसन्नता तो 9 दिन अवश्य करें ये 9 काम

  • माता को लाल रंग के फूल और चुनरी अवश्य अर्पित करें। इससे घर में सुख समृद्धि बनी रहती है। 
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। इससे व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। 
  • नवरात्रि के नौ दिनों तक गाय को ताज़ी रोटी और गुड़ खिलाएं इससे जीवन के सभी कष्ट समाप्त होते हैं। 
  • नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा को कमल के फूल अर्पित करें। इससे भी आपकी सभी मनोकामनाएं निश्चित रूप से पूरी होती है। 
  • नवरात्रि के पहले दिन घर के बाहर स्वास्तिक बनाएं। इससे घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर जाती है। 
  • नवरात्रि में मां दुर्गा को कौड़ी अर्पित करें। ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि और वैभव का आशीर्वाद बना रहता है। 
  • नवरात्रि में अखंड ज्योत अवश्य जलाएं। इससे माँ सभी मनोकामनाएं अवश्य पूरी करती हैं। 
  • नवरात्रि में हवन अवश्य करें। अगर आप रोज हवन नहीं भी कर पा रहे हैं तो अष्टमी, नवमी और दशमी तिथि को शुभ मुहूर्त में हवन अवश्य करें। ऐसा करने से घर से नकारात्मकता दूर होती है, वास्तु दोष दूर होते हैं, नजर दोष दूर होते हैं और घर में सुख शांति बनी रहती है। 
  • इसके अलावा अष्टमी या फिर नवमी के दिन कन्या पूजन अवश्य करें। ऐसा करने से आपके जीवन में महाशक्ति मां दुर्गा का आशीर्वाद हमेशा बना रहेगा।

चैत्र नवरात्रि के महा उपाय

  • अगर आपके जीवन में राहु केतु से संबंधित कोई दोष है तो नवरात्रि के नौ दिनों तक शिवलिंग पर लौंग अर्पित करें। 
  • अगर आपको कार्य में सफलता प्राप्त करनी है तो आरती के दीपक में कपूर के साथ दो लॉन्ग अवश्य डालें। 
  • अगर आपके शत्रु आपके जीवन पर हावी हो रहे हैं और आप उनसे सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो नवरात्रि के दौरान भगवान हनुमान को लड्डुओं का भोग अर्पित करें। 
  • आपके जीवन में आर्थिक परेशानियां बढ़ गई है और आप उनसे छुटकारा पाना चाहते हैं तो एक लाल कपड़े में पांच पीली कौड़ी और पांच लॉन्ग ले लें। इसे अपने धन रखने वाली जगह पर रख दें। इससे दरिद्रता दूर होती है और आर्थिक संपन्नता बनी रहती है। 
  • अपने काम में सफलता प्राप्त करने के लिए भगवान हनुमान जी की आरती तेल के दीपक से करें और इसमें दो लौंग डाल दें। 
  • घर में सुख समृद्धि प्राप्त करने के लिए पूजा के समय माँ को फूल वाले दो लौंग अर्पित करें।

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चैत्र नवरात्रि में बन रहे हैं शुभ योग, मां दुर्गा 3 राशियों को देने वाली हैं खूब पैसा

हिंदू धर्म में नवरात्रि के नौ दिनों को अत्‍यंत शुभ और मंगलकारी माना जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के 9 विभिन्‍न रूपों की पूजा होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्‍ल प्रतिपदा तिथि से हिंदू नववर्ष की शुरुआत होती है। यहां से नया विक्रम संवत् 2081 आरंभ होगा। चैत्र माह को मधुमास के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू पंचांग के हर एक महीने का नाम नक्षत्रों के ऊपर रखा गया है। चित्रा नक्षत्र की पूर्णिमा पर चैत्र माह का नाम रखा गया है।

भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके

इस बार 09 अप्रैल, 2024 से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है और इसका समापन 17 अप्रैल को होगा। इस बार चैत्र नवरात्रि में देवी दुर्गा घोड़े पर सवार होकर पृथ्‍वी पर आ रही हैं। मान्‍यता है कि नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा स्‍वर्ग लोक से पृथ्‍वी पर वास करती हैं। इस दौरान जो भी व्यक्‍ति सच्‍चे मन से उनकी आराधना करता है, उसके जीवन के सारे कष्‍ट दूर हो जाते हैं और उसकी मनोकामना की पूर्ति होती है।

हर साल मार्च और अप्रैल के महीने में चैत्र नवरात्रि आती है। उत्‍तर भारत के कुछ हिस्‍सों में चैत्र नवरात्रि को राम नवरात्रि भी कहा जाता है क्‍योंकि इस नवरात्रि के नवमी तिथि पर भगवान राम का जन्‍म हुआ था। चैत्र नवरात्रि पर महाराष्‍ट्र में गुड़ी पड़वा और आंध्र प्रदेश में उगादी नाम का त्‍योहार मनाया जाता है।

इस बार चैत्र नवरात्रि पर एक से ज्‍यादा शुभ संयोग बन रहे हैं और इससे इस नवरात्रि का महत्‍व और भी ज्‍यादा बढ़ जाता है। 

चैत्र नवरात्रि का महत्‍व

चैत्र नवरात्रि को बुराई पर अच्‍छाई की जीत का प्रतीक माना गया है। चैत्र नवरात्रि में ही महिषासुर नामक एक असुर ने सभी देवताओं को परास्‍त कर दिया था। उस समय सभी देवता ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश के पास सहायता के लिए गए। तब त्रिदेवता की सामूहिक ऊर्जा से मां दुर्गा का जन्‍म हुआ।

चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन राम नवमी पर भगवान राम का जन्‍म हुआ था और शरद नवरात्रि के दसवें दिन पर विजयादशमी के दिन उन्‍होंने रावण का वध किया था। चैत्र नवरात्रि का हिंदू धर्म में बहुत महत्‍व है और पूरे देश में बड़ी धूमधाम से इस पर्व को मनाया जाता है। इस बार इस नवरात्रि में कुछ शुभ योग भी बन रहे हैं जिससे कुछ राशियों के जातकों को लाभ प्राप्‍त होगा। इस ब्‍लॉग में आगे बताया गया है कि चैत्र नवरात्रि पर किस शुभ एवं दुर्लभ योग का निर्माण हो रहा है।

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चैत्र नवरात्रि में बन रहा है शुभ योग

चैत्र नवरात्रि में इस बार अमृत सिद्धि योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, शश योग और अश्विनी नक्षत्र का संयोग बन रहा है। वैदिक ज्‍योतिष के अनुसार पूरे 30 सालों के बाद चैत्र नवरात्रि में ये योग बनने जा रहे हैं।

इस संयोग से कुछ राशियों के लोगों को विशेष लाभ मिलने की संभावना है। इनके जीवन के सारे कष्‍ट दूर हो जाएंगे और इन्‍हें अपने कार्यों में भाग्‍य का साथ मिलेगा।

तो चलिए अब बिना देर किए जानते हैं कि चैत्र नवरात्रि पर बन रहे शुभ संयोग से किन राशियों के लोगों के भाग्‍योदय होने के आसार हैं।

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मेष राशि

चैत्र नवरात्रि जिन लोगों के लिए सबसे ज्‍यादा मंगलकारी और शुभ रहने वाली है, उसमें मेष राशि का नाम भी आता है। इस बार मेष राशि के जातकों पर मां दुर्गा की विशेष कृपा रहेगी। इस समय आपके जीवन में सुख-सुविधाओं में बढ़ोत्तरी देखने को मिलेगी। इसके अलावा आप आर्थिक रूप से संपन्‍न होंगे और आपको धन की कोई कमी नहीं रहने वाली है। इससे आप अपनी और अपने परिवार की जरूरतों को आसानी से पूरा कर पाएंगे। 

यदि अब तक आप आर्थिक तंगी से जूझ रहे थे, तो अब आपकी समस्‍याओं का समाधान होगा। नौकरीपेशा जातकों के लिए भी तरक्‍की के योग बन रहे हैं। आपको अपने करियर में उच्‍च सफलता प्राप्‍त होने के संकेत हैं। आपको अचानक धन लाभ होने के भी आसार हैं। इसके अलावा इस दौरान आपका वैवाहिक जीवन भी उत्‍तम रहेगा। पति-पत्‍नी के बीच प्रेम और आपसी तालमेल बढ़ेगा।

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वृषभ राशि

चैत्र नवरात्रि 2024, मेष राशि के बाद जिन लोगों के लिए मंगलकारी साबित होगी, वे हैं वृषभ राशि के लोग। इस दौरान वृषभ राशि के लोगों को चारों तरफ से शुभ समाचार मिलने वाले हैं। मां दुर्गा का आप पर आशीर्वाद रहेगा जिससे आपको अपने कार्यों में सफलता जरूर मिलेगी। आप जो भी काम करेंगे, उसमें सफल होंंगे और इससे आपका आत्‍मविश्‍वास काफी बढ़ जाएगा। नौकरीपेशा जातकों के लिए भी अनुकूल समय है। यदि आप लंबे समय से पदोन्‍नति या वेतन में वृद्धि की आस लगाए बैठे हैं, तो अब आपकी यह कामना पूरी हो सकती है। वहीं व्‍यापारियों को भी अपने क्षेत्र में उच्‍च मुनाफा कमाने का मौका मिलेगा।

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कर्क राशि

कर्क राशि के लोगों को भी चैत्र नवरात्रि 2024 में अपने भाग्‍य का पूरा साथ मिलने वाला है। आप लंबे समय से जिस चीज़ का इंतज़ार कर रहे थे, अब वह पूरा होगा। अटके हुए काम भी पूरे होने लगेंगे। धन से संबंधित परेशानियां भी अब दूर हो जाएंगी और आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा। इस समय आपकी आमदनी के स्रोतों में भी इज़ाफा होने की उम्‍मीद है। इससे आपका मन प्रसन्‍न एवं संतुष्‍ट रहेगा। बेरोज़गार लोगों को नौकरी के नए एवं बेहतरीन अवसर मिल सकते हैं। आपके लिए धन लाभ के योग भी बन रहे हैं। इसके साथ ही समाज में आपका मान-सम्‍मान भी बढ़ेगा।

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इस तिथि पर पैदा हुए लोगों को, शनि बना सकते हैं रंक से राजा, खूब कमाते हैं पैसा

हर व्‍यक्‍ति अपने भविष्‍य की संभावनाओं के बारे में जानने को उत्‍सुक रहता है। उसके मन में यही विचार आते रहते हैं कि आने वाला समय उसके लिए कैसा रहेगा और वो जो कुछ भी चाहता है, वो सब उसे मिल पाएगा या नहीं। अपने भविष्‍य के बारे में जानने में हमारी सहायता करता है ज्‍योतिषशास्‍त्र। मनुष्‍य के जन्‍म के समय, तिथि एवं स्‍थान के आधार पर तैयार की गई कुंडली में ग्रहों एवं नक्षत्रों की स्थिति से यह अनुमान लगाया जा सकता है कि किसी जातक को अपने जीवन में क्‍या कुछ मिल सकता है।

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इसी प्रकार अंकशास्‍त्र भी काम करता है। इसमें व्‍यक्‍ति की जन्‍म तिथि के आधार पर उसका मूलांक निकालने के बाद उसके व्‍यवहार, उपलब्धियों, विशेषताओं और भविष्‍य की जानकारी प्राप्‍त की जा सकती है। अंकज्‍योतिष में 01 से लेकर 09 तक मूलांक होते हैं जो कि आपकी जन्‍म तिथि के आधार पर तय किए जाते हैं। यदि आपका जन्‍म किसी भी महीने की 22 तारीख को हुआ है, तो आपका मूलांक 2+2 यानी 04 होगा।

अंकशास्‍त्र के अनुसार प्रत्‍येक मूलांक पर किसी एक ग्रह का आधिपत्‍य होता है और आज इस ब्‍लॉग के ज़रिए हम आपको मूलांक 8 के बारे में बताने जा रहे हैं। इस मूलांक के स्‍वामी शनि देव हैं जो व्‍यक्‍ति को रंक से राजा तो वहीं राजा को रंक बनाने की शक्‍ति रखते हैं।

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किसका होता है 08 मूलांक

जिन लोगों का जन्‍म 8, 17 या 26 तारीख को होता है, उनका मूलांक 08 है। इस मूलांक पर शनि देव का आधिपत्‍य है। शनि के प्रभाव के कारण इस मूलांक वाले लोग अपने भाग्‍य से ज्‍यादा कर्म पर भरोसा करते हैं। इनके बारे में कहा जा सकता है कि ये अपने जीवन में भाग्‍य के भरोसे बैठने वाले नहीं होते हैं बल्कि अपने कर्म से अपने भाग्‍य को बदलने का दम रखते हैं। अंकज्‍योतिष के अनुसार इन लोगों पर शनि देव की विशेष कृपा बरसती है।

आगे जानिए मूलांक 08 वाले जातकों से जुड़ी कुछ अन्‍य विशेष बातों के बारे में।

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8 अंक कर्म का है कारक

08 मूलांक को कर्म का अंक बताया गया है और यह अंक अपने आकार की तरह ही संतुलन को दर्शाता है। इन लोगों के स्‍वभाव की बात करें, तो ये बहुत मेहनती, जिद्दी, मन से संतुलित, दार्शनिक स्‍वभाव वाले और निर्णय लेने में कुशल होते हैं।

हालांकि, इन लोगों की एकाग्रता क्षमता बहुत कमज़ोर होती है और ये एक ही काम पर अपना पूरा ध्‍यान लगा पाने में असमर्थ होते हैं। इनमें प्रशासनिक गुण कूट-कूट कर भरे होते हैं। ये व्‍यापार करने में कुशल होते हैं। इन्‍हें अपने जीवन में कुछ रोमांचक करना और चुनौतियों का सामना करना अच्‍छा लगता है।

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शनि देव के होते हैं प्रिय

08 अंक शनि देव का है इसलिए इस मूलांक के लोगों पर शनि देव की विशेष कृपा रहती है। इन लोगों को अपने जीवन में कभी धन की कमी नहीं पड़ती है। ये आर्थिक रूप से संपन्‍न जीवन व्‍यतीत करते हैं। इनके बारे में ऐसा कहा जा सकता है कि इन जातकों को 30 वर्ष की उम्र में ज्‍यादा तरक्‍की मिलती है। इसके बाद इनकी किस्‍मत के दरवाज़े खुल जाते हैं और ये जिस भी काम को करते हैं, उसमें इन्‍हें सफलता जरूर मिलती है।

हालांकि, इन लोगों को अपने जीवन में भौतिक सुखों की प्राप्ति कम ही हो पाती है। इनके उच्‍च विचार होते हैं लेकिन इन्‍हें सादगी से जीना अच्‍छा लगता है। इनकी निर्णय लेने की क्षमता भी अच्‍छी होती है लेकिन किसी भी मुद्दे को गहराई से जाने बिना ये कोई फैसला नहीं लेते हैं। इन्‍हें अपनी बातों को अपने तक ही रखना पसंद होता है। ये नहीं चाहते कि कोई और इनके निजी मसलों में दखल दे।

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कर्म करने पर विश्‍वास रखते हैं

शनि देव को कर्म का कारक एवं देवता कहा गया है इसलिए उनके अंतर्गत आने वाले इस मूलांक के जातक कर्म करने पर विश्‍वास रखते हैं। ये मेहनत करने से डरते नहीं हैं और कर्मठ होते हैं। अपना काम निकलवाने के लिए इन्‍हें न तो किसी की चापलूसी करना आता है और न ही इन्‍हें ये पसंद होता है कि कोई और इनकी चापलूसी करे। मेहनती और कर्मठ होने के कारण इन पर शनि देव की कृपा हमेशा बनी रहती है।

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इन क्षेत्रों में मिलती है सफलता

मूलांक 08 वाले जातकों को तेल, लोहा, पेट्रोल और खनिज पदार्थ से जुड़े क्षेत्रों में व्‍यापार करने पर अच्‍छा मुनाफा कमाने का मौका मिलता है। ये स्‍टॉक मार्केट में भी अच्‍छा पैसा कमा सकते हैं। ये पैसों को ज्‍यादा महत्‍व देते हैं और इनके दिमाग पर हर समय पैसे कमाने की धुन ही सवार रहती है। ये अपना स्‍टार्ट-अप भी शुरू कर सकते हैं और इनमें एक सफल उद्यमी बनने के गुण भी होते हैं। ये फाइनेंस, मेडिसिन और कानून के क्षेत्र में अपना करियर बनाने के इच्‍छुक होते हैं। बेहतरीन निर्णय लेने की क्षमता होने की वजह से ये अच्‍छे सर्जन भी बन सकते हैं।

प्‍यार में होते हैं ईमानदार

मूलांक 8 वाले लोग अपने पार्टनर से बहुत प्‍यार करते हैं और इनके प्रति ईमानदार रहते हैं। इनके बारे में कहा जा सकता है कि ये अपने जीवनसाथी के लिए एक सच्‍चे और भरोसेमंद पार्टनर हैं। इसके अलावा ये अपने परिवार को भी बहुत ज्‍यादा अहमियत देते हैं। हालांकि, कभी-कभी ये अपने काम में इतने ज्‍यादा मशगूल हो जाते हैं कि अपने साथी को ही समय नहीं दे पाते हैं और उन्‍हें लगता है कि ये उन्‍हें नज़रअंदाज़ कर रहे हैं।

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सूर्यग्रहण 2024: साल का पहला पूर्ण सूर्यग्रहण इन राशियों के लिए बेहद खास- मान-सम्मान में कराएगा वृद्धि!

सूर्य ग्रहण 2024: हमारा यह खास ब्लॉग 8 अप्रैल को होने वाले सूर्य ग्रहण का सभी राशियों पर नकारात्मक और सकारात्मक प्रभाव पड़ने की जानकारी के साथ-साथ इस दौरान बरती जाने वाली आवश्यक सावधानियां के बारे में अपने रीडर्स को समय से पूर्व तैयार करने के उद्देश्य से लिखा गया है। एस्ट्रोसेज हमेशा अपने रीडर्स के लिए ज्योतिष की इस रहस्यमई दुनिया की नवीनतम और महत्वपूर्ण अपडेट को आपके सामने लेकर आने का प्रयास करता है ताकि आप बेहतरीन गुणवत्ता वाली जानकारी समय से पूर्व ही जान सकें और ज्योतिष से लेकर टैरो, अंक ज्योतिष आदि तक भविष्यवाणी के सभी संभावित उपकरणों के बारे में जानकारी हासिल कर सकें। 

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पंचांग के अनुसार बात करें तो साल का यह सूर्य ग्रहण जो 8 अप्रैल को लगने वाला है यह भारतीय महाद्वीप में नजर नहीं आएगा। जिसका अर्थ है कि पृथ्वी की छाया चंद्र सतह को एक निश्चित सीमा तक ही ढकने वाली है पूरी तरह से नहीं ढकेगी।

साल 2024 के पहले सूर्य ग्रहण की संपूर्ण जानकारी प्राप्त करने से पहले चलिये सबसे पहले जान लेते हैं कि ग्रहण आखिर वास्तव में किसे कहा जाता है और इसके प्रति लोगों की जिज्ञासा का क्या कारण है। सरल शब्दों में समझाएं तो सूर्य ग्रहण एक ऐसी खगोलीय घटना को कहा जाता है जो सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी की गति के चलते नियमित समय के अंतराल पर घटित होती रहती है।

यह बात तो हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाती है, चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है। पृथ्वी को सूर्य से प्रकाश मिलता है और इस तरह चंद्रमा उससे प्रकाशित होता है। चंद्रमा और पृथ्वी की गति के चलते ऐसी स्थितियां उत्पन्न होती हैं जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है और कभी-कभी पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है। ऐसी स्थिति में जहां भी सूर्य का प्रकाश उस पर नहीं पड़ता है वह कुछ समय के लिए अंधेरा क्षेत्र बन जाता है और सूर्य के प्रकाश से वंछित रह जाता है। इसी खगोलीय स्थिति को ग्रहण कहते हैं।

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आइए ग्रहण के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करते हैं और साथ ही जानते हैं कि वर्ष 2024 में लगने वाले इस ग्रहण की विशेषता क्या रहने वाली है, इसकी तिथि और समय क्या रहने वाला है और साथ ही जानेंगे राशियों पर इसका क्या प्रभाव पड़ने वाला है। अगर आप साल 2024 में पड़ने वाले ग्रहण के बारे में अधिक जानना चाहते हैं यह जानना चाहते हैं कि सूर्य और चंद्र ग्रहण कब-कब लगने वाले हैं यह कहां-कहां नजर आएंगा, ये भारत में दृश्यमान होंगे या नहीं और इनसे जुड़ी अन्य जानकारियां तो आप इस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं। इसके अलावा इस ब्लॉग में हम आपको ग्रहण 2024 के ज्योतिषीय धार्मिक महत्व की जानकारी भी प्रदान करने वाले हैं।

सूर्य ग्रहण क्या है? 

जैसे कि हमने पहले भी बताया कि ग्रहण एक खगोलीय घटना होती है। सरल शब्दों में कहें तो सूर्य ग्रहण एक ऐसी खगोलीय घटना है जिसमें पृथ्वी सूर्य के चारों ओर अपने कक्षीय पथ पर चलते हुए एक ऐसी जगह पर आ जाती है जहां चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है। इस स्थिति में तीनों एक रेखा में आ जाते हैं क्योंकि सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर पहुंचने से पहले चंद्रमा तक पहुंचता है और चंद्रमा की छाया पृथ्वी को ढक लेती है इसीलिए कुछ समय के लिए सूर्य की किरणें पृथ्वी की सतह तक नहीं पहुंच पाती है जिसके परिणाम स्वरुप पृथ्वी कुछ समय के लिए सूर्य के प्रकाश के संपर्क में नहीं आ पाती है। इन परिस्थितियों में सूर्य पृथ्वी से प्रभावित होता प्रतीत होता है।

ग्रहण लगने की स्थिति में पूरी तरह से काली छाया और आंशिक रूप से काली छाया दोनों कुछ समय के लिए पृथ्वी से नजर आती हैं। ऐसी घटना का वर्णन करने के लिए सूर्य ग्रहण शब्द का प्रयोग किया जाता है अर्थात इस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं। सूर्य ग्रहण तब होता है तब चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से ढक लेता है। आंशिक सूर्य ग्रहण उस स्थिति को कहते हैं जब सूर्य का केवल एक भाग ही प्रभावित होता है। चंद्रमा की छाया कभी-कभी सूर्य के केंद्र में दिखाई देती है जब दोनों एक दूसरे से बहुत दूर नजर आते हैं। जब इसके चारों ओर सूर्य का प्रकाश नजर आता है तो उसकी छाया कंगन या रिंग का रूप धारण कर लेती है और इसे वाल्याकार सूर्य ग्रहण या कंकणाकृति सूर्य ग्रहण है।

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सूर्य ग्रहण 2024: दृश्यता और समय

तिथिदिन और समयसूर्यग्रहण के शुरू होने का समय (भारतीय समय अनुसार)सूर्यग्रहण के समाप्त होने का समययहाँ आएगा नज़र
चैत्र मास कृष्ण पक्षअमावस्या तिथिसोमवार08 अप्रैल 2024रात्रि 21:12 सेरात्रि 26:22 तक (09 अप्रैल 2024 प्रातः 02:22 तक)पश्चिमी यूरोप, प्रशांत, अटलांटिक, आर्कटिक, मैक्सिको, उत्तरी अमेरिका (अलास्का को छोड़कर), कनाडा, मध्य अमेरिका, दक्षिण अमेरिका के उत्तरी भाग, उत्तर पश्चिमी इंग्लैंड, आयरलैंड (भारत में दृश्यमान नहीं है)

महत्वपूर्ण जानकारी: ग्रहण 2024 के संबंध में सटीक ग्रहण समय भारतीय मानक समय का उपयोग करके उपरोक्त तालिका में दर्शाया गया है। इसे 2024 का पहला सूर्य ग्रहण कहा जाएगा। यह खग्रास या पूर्ण सूर्य ग्रहण के रूप में घटित होगा। इसके अस्तित्व में ना आने से भारत में इसका कोई भी धार्मिक प्रभाव नहीं पड़ेगा और सूतक काल भी भारत में मान्य नहीं होगा। इस प्रकार हर कोई व्यक्ति अपनी अलग-अलग गतिविधियां इस अवधि में बिना किसी कठिनाई, रूकावट या चिंता के पूरी कर सकता है।

सूर्य ग्रहण 2024 के प्रकार और ग्रहों की स्थिति

साल 2024 का पहला सूर्य ग्रहण अप्रैल के महीने में सोमवार के दिन लगने वाला है और यह खग्रास सूर्य ग्रहण यानी पूर्ण सूर्य ग्रहण कहलाएगा। औसतन हर 18 महीने में पूर्ण ग्रहण घटित होता है जिसमें बहुत हल्का सा कोरोना नजर आता है जब चंद्रमा का अंधेरा छाया सूर्य की चमकती रोशनी को पूरी तरह से रोक लेता है। अकाल ग्रहण के दौरान समग्रता की अधिकतम सीमा पृथ्वी की सतह के एक छोटे से क्षेत्र तक सीमित हो जाती है। पूर्णता का मार्ग इस घुमावदार मार्ग को दिया गया नाम है।

सोमवार 8 अप्रैल 2024 को रात 21:12 बजे वर्ष 2024 का पहला सूर्य ग्रहण लगेगा। यह सूर्य ग्रहण खग्रास सूर्य ग्रहण भी कहा जाएगा। यह एक पूर्ण सूर्य ग्रहण होने वाला है। यह ग्रहण मीन राशि और रेवती नक्षत्र में लगेगा। मीन राशि सूर्य के मित्र बृहस्पति की राशि मानी जाती है। इस दिन सूर्य चंद्रमा, शुक्र और राहु के साथ रहेंगे। चंद्रमा से दूसरे भाव में बुध और बृहस्पति और 12वें भाव में शनि और मंगल स्थित होंगे। जो लोग मीन राशि और रेवती नक्षत्र में पैदा हुए हैं साथ ही उनसे जुड़े देशों के लिए वर्ष 2024 का यह पहला सूर्य ग्रहण बेहद प्रभावशाली रहने वाला है।

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सूर्य ग्रहण 2024: ध्यान देने योग्य महत्वपूर्ण बातें

सूर्य ग्रहण के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए कुछ बातें विशेष रूप से ध्यान रखने की सलाह देती हैं। यहां हम आपको कुछ ऐसे सरल उपायों के बारे में जानकारी प्रदान कर रहे हैं जिनका पालन करके आप खुद को और अपने परिवार को सूर्य ग्रहण के दौरान होने वाली किसी भी नकारात्मकता से बचा सकते हैं। इसके अलावा अगर आप यह उपाय अपनाते हैं तो सूर्य ग्रहण की इस अवधि के दौरान आप नकारात्मकता की जगह अपने जीवन में शुभ परिणाम भी प्राप्त कर सकते हैं।

  • जिन लोगों की राशि मीन है या जिनका जन्म रेवती नक्षत्र के तहत हुआ है उन्हें सूर्य ग्रहण से बचकर रहना चाहिए और जितना हो सके आपको इस सूर्य ग्रहण को देखने से भी बचने की सलाह दी जाती है।
  • सूर्य ग्रहण के दौरान विशेष रूप से सूतक काल के दौरान भगवान शिव, भगवान सूर्य देव या किसी अन्य देवता की पूजा करें, उनके भजन करें, उनके मंत्रों का जाप करें। हालांकि यहां पर भी आपको देवताओं की मूर्तियों को छूने से बचने की सलाह दी जा रही है।
  • अगर आप गर्भवती हैं या आपके घर में कोई गर्भवती महिला है या कोई बीमार व्यक्ति है तो उसे सूर्य ग्रहण देखने से बचना चाहिए।
  • सूर्य ग्रहण के दौरान आप सूर्य देव के एक विशेष मंत्र का जाप कर सकते हैं जिससे आपको अनुकूल परिणाम प्राप्त होंगे। मंत्र कुछ इस तरह है “ॐ आदित्याय विदमहे दिवाकराय धीमहि तन्नो: सूर्य: प्रकोदयात्।”
  • सूर्य ग्रहण के दौरान दूसरों की आलोचना करने और गुस्सा करने से बचें। 
  • अगर आप साधक हैं या किसी मंत्र को सिद्ध करना चाहते हैं तो सूर्य ग्रहण के दौरान उस मंत्र का लगातार जाप करें। इससे आपको शीघ्र ही सफलता प्राप्त होगी।
  • ग्रहण काल के दौरान किसी भी मंत्र का जाप करने से हजारों गुना फल की प्रति व्यक्ति को हो सकती है।

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सूर्य ग्रहण 2024: सभी 12 राशियों पर इसका प्रभाव

मेष राशि 

मेष राशि के जातकों के लिए सूर्य पंचम भाव का स्वामी है और सूर्य ग्रहण के दौरान यह राहु के साथ आपके बारहवें घर में स्थित रहेगा। बारहवाँ घर त्रिक भाव और हानि का घर माना जाता है इसीलिए सूर्य और राहु की युति के चलते इस दौरान आपके जीवन में वित्तीय स्थिरता की कमी देखने को मिल सकती है। आपके जीवन में इस अवधि में अचानक और अप्रत्याशित खर्च बढ़ने वाले हैं या आर्थिक माहौल में अप्रत्याशित बदलाव आपको उठाने पड़ सकते हैं। 

स्वाभाविक है कि इससे आपके जीवन में तनाव और चिंता का स्तर बढ़ सकता है। मेष राशि के जातकों को अज्ञात भय से भी पीड़ित होना पड़ सकता है और मानसिक और भावनात्मक तनाव में वृद्धि देखने को मिलने वाली है। इससे परिवार, दोस्तों, सहकर्मियों के साथ आपके रिश्ते थोड़े तनावपूर्ण होने की संभावना है। मुमकिन है कि ऐसा आपके जीवन में लगातार अभिभूत महसूस करने और अपनी भावनाओं और परिस्थितियों से निपट पाने में असमर्थ होने के की वजह से ऐसा हो।

वृषभ राशि 

सूर्य वृषभ राशि के चतुर्थ भाव का स्वामी है और अब सूर्य ग्रहण के दौरान यह राहु के साथ आपके ग्यारहवें भाव में मौजूद रहेगा। चौथे घर का स्वामी ग्यारहवें घर में एक अच्छे स्थान में है और 11वें घर में राहु व्यक्ति के जीवन में भाग्य लेकर आता है। जब सूर्य और राहु ग्यारहवें घर में एक साथ मौजूद होते हैं तो इससे वृषभ राशि के जातकों को अपार धन, सफलता और वित्तीय लाभ के संकेत मिल रहे हैं ।

यह युति अचानक अवसर और समृद्धि आपके जीवन में लेकर आएगी। 11वें घर में सूर्य और राहु के चलते करियर में वृद्धि होने की भी प्रबल संभावना बन रही है। इस राशि के जातकों को करियर के मामले में उच्चतम क्षमता तक पहुंच पाने में मदद मिलेगी। आपको पदोन्नति, वेतन वृद्धि भी मिलने की संभावना है। 11वें घर में सूर्य और राहु की युति आपके नेटवर्क में वृद्धि की वजह बनेगी। यह व्यक्ति के लिए फायदेमंद साबित होगी खासकर करियर के संबंध में और वित्तीय जीवन के संदर्भ में।

मिथुन राशि 

मिथुन राशि के जातकों के लिए सूर्य तीसरे भाव का स्वामी है और इस ग्रहण के दौरान राहु के साथ आपके दसवें घर में स्थित रहेगा। दसवें घर में राहु का होना शुभ माना जाता है लेकिन इस स्थिति में यह युति मिथुन राशि के जातकों के लिए नकारात्मक परिणाम लेकर आ सकती है। सूर्य का वास्तविक प्रभाव राहु की मायावी प्रकृति के साथ आपके जीवन में संघर्ष की वजह बन सकता है जिससे लोगों को पहुंच से बाहर के लक्ष्य की तलाश करने या सार्वजनिक छवि बनाए रखने में कठिनाइयां उठानी पड़ सकती है। प्रगति के लिए आपको ज्यादा प्रयास, अविश्वसनीय प्रथाओं या स्वीकृति के लिए परिस्थितियों को नियंत्रित करने की प्रवृत्ति आपके अंदर बढ़ सकती है। 

कुशल हितों में कल्पना और विकास को सक्रिय करने की क्षमता होने के बावजूद पेशेवर उद्देश्यों से निपटने के लिए उचित तरीके से इस आविष्कारशीलता को संतुलित करने की आवश्यकता आपको पड़ने वाली है। लोगों के अंदर अहंकार और जल्दबाज़ी बढ़ने की आशंका भी नज़र आ रही है क्योंकि राहु आपके मानसिक दृष्टिकोण में सुधार लेकर आएगा जिससे संभवतः कार्यक्षेत्र में आपको रुकावट आदि झेलनी पड़ सकती है।  

कर्क राशि 

कर्क राशि के जातकों के लिए सूर्य कमाई के दूसरे घर का स्वामी है और अब यह राहु के साथ आपके नवम भाव में स्थित हो जाएगा। इस दौरान कर्क राशि के जातकों के अंदर ढोंग और आंतरिक आत्मा की भावना बढ़ने वाली है जो गहरी समझ की वास्तविकता की खोज में बाधा बन सकती है। नवम घर पर सूर्य राहु की इस युति के प्रभाव से आपके अंदर कठोर या बहुत बौद्धिक मानदंडों की विकृत धारणा भी उत्पन्न हो सकती है जिसे व्यक्ति के लिए समझ हासिल करना बेहद आवश्यक हो जाता है। 

इन प्रभावों को कम करने के लिए विनय को बढ़ावा देने के लिए वास्तविक गुरुओं से मार्गदर्शन लेना और अलौकिक गतिविधियों में खुद को लिप्त करना सहायक साबित होगा। ऐसा करने से आप नवम भाव में बनने वाली राहु सूर्य की युति के नकारात्मक प्रभाव भी अपने जीवन से कम कर सकते हैं। पारिवारिक व्यवसाय से जुड़े लोगों को इस अवधि के दौरान ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही आपके जीवन में वित्तीय कठिनाइयों भी खड़ी हो सकती हैं।

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सिंह राशि 

सिंह राशि के जातकों के लिए सूर्य प्रथम भाव का स्वामी है और राहु के साथ आपके अष्टम भाव में स्थित होने जा रहा है। आठवां घर जीवन के परिवर्तन और गुप्त रहस्यों से संबंधित माना जाता है। साथ ही यह गंभीर और अभूतपूर्व झगड़ों को भी दर्शाता है। राहु का प्रभाव आमतौर पर इच्छाओं और प्रतिबद्धताओं को बढ़ाने वाला साबित होगा जबकि सूर्य आपके जीवन में स्पष्टता और जागरूकता लेकर आएगा।

राहु सूर्य की यह युति आत्मा निरीक्षण और ज्यादा गहन जानकारी के लिए एक अथक खोज के लिए आपको महत्वपूर्ण प्रेरणा प्रदान करेगी। इसके माध्यम से आपके जीवन में कल्पना, अविष्कार करने का हुनर और रुचि आदि बढ़ने वाली है। इसके बावजूद आपके जीवन में कुछ कठिनाइयां भी खड़ी हो सकती हैं। साथ ही मुमकिन है कि दौरान आपका रहस्य की तरफ झुकाव बढ़े या आप रिश्तों में ज्यादा नियंत्रण के लिए संघर्ष करते नजर आ सकते हैं।

कन्या राशि 

कन्या राशि के जातकों के लिए सूर्य बारहवें घर का स्वामी है। अपने इस ग्रहण के दौरान सूर्य राहु के साथ आपके सप्तम भाव में स्थित हो जाएगा। यह युति नकारात्मक प्रभाव आपके जीवन में लेकर आने वाली है जिसके परिणामस्वरूप इस राशि के जातकों को अपने वैवाहिक जीवन में कई तरह के चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। विवाहित जातकों के बीच झगड़े बढ़ने वाले हैं जिससे आपके रिश्ते में दरार भी आ सकती है। 

घर का माहौल तनावपूर्ण रहने के चलते भी इस राशि के जातकों को स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां भी होने की आशंका है। ज्यादातर मामलों में इस युति के नकारात्मक प्रभाव के चलते जातकों को अपने रिश्ते में तलाक का सामना भी करना पड़ सकता है। विवाहित जातकों को इन चुनौतियों से पार पाने और एक खुशहाल और स्वस्थ रिश्ता बनाए रखने के लिए इस अवधि में कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता पड़ने वाली है।

तुला राशि 

तुला राशि के जातकों के लिए सूर्य 11वें घर का स्वामी है और अब सूर्य का यह गोचर आपके छठे भाव में मीन राशि में होने जा रहा है। यह इस बात के संकेत दे रहा है की तुला राशि के जातकों ने अपने जीवन में कई दुश्मन बना लिए हैं जिससे आपको जीवन में काफी तनाव उठाना पड़ सकता है। आप स्वभाव से स्वार्थी हो सकते हैं, आपके अंदर अहंकार और क्रोध की भावना भी बढ़ने वाली है। इसके अलावा जातकों में आंतरिक आत्मविश्वास की कमी और आंतरिक भय बढ़ने वाला है। इस अवधि में आपके बॉस के साथ आपके रिश्ते खराब हो सकते हैं साथ ही सरकार की तरफ से भी कर संबंधी आपको कुछ परेशानियां मिलने की संभावना है। 

इस राशि के जातकों में नकारात्मक ऊर्जा बढ़ेगी। इस नकारात्मक ऊर्जा के चलते जातक मानसिक तनाव और मनोवैज्ञानिक विकार से ग्रस्त हो सकता है। तुला राशि के जातकों को संतान संबंधित समस्याओं का भी इस अवधि में सामना करना पड़ सकता है। कुछ जातकों को गर्भपात और बच्चे के जन्म में देरी का दुख भी उठाने की आशंका है। मुमकिन है कि आपका बच्चा स्वस्थ ना हो। इसके अलावा इस राशि के जातकों की पत्नी का स्वास्थ्य भी ज्यादा अनुकूल रहने नहीं रहने के संकेत मिल रहे हैं। आपको अपनी पत्नी के इलाज़ में मोटी रकम खर्च करनी पड़ सकती है।

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वृश्चिक राशि

सूर्य और राहु की युति वाले व्यक्ति के जीवन में पितृ दोष होता है। जिसका अर्थ है कि जातकों को पिछले जन्म में किए गए पापों के लिए दंडित किया जा सकता है। ऐसे जातक आसानी से धोखाधड़ी करने वाले और अन्य लोगों को धोखा देने की प्रवृत्ति रखते हैं। ऐसे जातकों का अपने पिता के साथ रिश्ता अनुकूल नहीं होता है। व्यक्ति के पिता का आगे का जीवन भी कठिन होने की आशंका रहती है और ऐसे जातकों के पिता कुछ चिकित्सकीय परेशानियां होती है। सिर्फ इतना ही नहीं खुद जातक को भी तमाम तरह की परेशानियां होती है।

ऐसे जातकों को लीवर और पेट से जुड़ी परेशानियां दिक्कत में डाल सकती हैं। जातकों को गैस्ट्रिक समस्या और हृदय से संबंधित समस्याएं उठानी पड़ सकती हैं। जीवन में कठिनाइयों के चलते व्यक्ति का मानसिक तनाव का स्तर बढ़ने की आशंका है। ऐसे जातक सट्टेबाजी से कमाई करने का विकल्प चुन सकते हैं। ऐसे जातकों को सरकार के साथ कर संबंधित मुद्दों के चलते परेशानियां उठाने की आशंका है। व्यक्ति का स्वभाव आक्रामक और गुस्सैल होने की भी आशंका रहती है। व्यक्ति दूसरों की राय आसानी से समझ भी नहीं पाता है।

धनु राशि 

ऐसे जातकों के घरेलू सुख में कमी देखने को मिलने की आशंका है। परिवार और सदस्यों के साथ आपके अक्सर झगड़ा होने वाले हैं। जातकों की माता को स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। धनु राशि के जातकों के अपने माता-पिता के साथ रिश्ते अनुकूल नहीं बनते हैं। पिता को परिवार में रहने में कठिनाइयां उठानी पड़ सकती हैं। मुमकिन है कि जातकों और उनके माता-पिता का अलगाव हो चुका हो। 

व्यक्ति स्वभाव से स्वार्थी और दुष्ट हो सकते हैं। ऐसे जातक धोखाधड़ी और दूसरों के साथ छल कपट करने में माहिर होते हैं। जातक अहंकारी होते हैं और स्वभाव में क्रोधी होते हैं। ऐसे व्यक्तियों का आत्मविश्वास बहुत ही कम होता है और वह हमेशा खुद को दूसरे लोगों के सामने अभिव्यक्त करने में सफल नहीं होते हैं। व्यक्ति को जीवन में बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ऐसे जातकों का अपने बॉस और अधिकारियों के साथ रिश्ता काफी खराब होता है।

मकर राशि 

मकर राशि के जातकों के तीसरे घर में सूर्य और राहु की यह युति होने वाली है जो बिल्कुल भी अनुकूल संकेत नहीं दे रही है। यह संयोजन मकर राशि के जातकों को अपने जीवन में तमाम सफलताओं को प्राप्त करने से रोकने की वजह बनेगा। सूर्य ग्रहण के दौरान आप चीजों को पूरा करने में अपने प्रयासों में गिरावट भी महसूस कर सकते हैं। व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास की कमी और आंतरिक भय बढ़ने वाला है। आपको वरिष्ठों से भी परेशानी उठानी पड़ सकती है और आपके साथ उनके रिश्ते अनुकूल नहीं रहेंगे। इसके अलावा भाई बहनों के साथ भी रिश्ते कुछ खास अनुकूल नहीं रहने वाले हैं। आपको इस दौरान समझ की कमी अपने भाई बहनों के साथ उठानी पड़ सकती है। 

धनु राशि के जातकों के भाई बहनों का स्वास्थ्य भी इस दौरान कमजोर रहने वाला है। पिता के साथ भी रिश्ते पर नकारात्मक असर पड़ने की आशंका है। मुमकिन है कि व्यक्ति अपने पिता से अलग हो चुके हैं। जातकों के माता-पिता का स्वास्थ्य परेशानी की वजह बनेगा। ऐसे जातक कठोर निर्णय लेने में असक्षम रहने वाले हैं। जातकों को धोखाधड़ी और छल कपट करने की लत लगने की आशंका है। ऐसे जातक जोड़-तोड़ करने वाले हो सकते हैं और आप अपने लाभ के लिए लोगों को गलत चीजों पर विश्वास करने के लिए भी प्रेरित कर सकते हैं। इस दौरान आपका स्वभाव काफी स्वार्थी नजर आने वाला है।

कुंभ राशि 

कुंभ राशि के जातकों के लिए सूर्य और राहु का यह संयोजन आपके दूसरे भाव में होने जा रहा है। दूसरा भाव धन, प्रवचन और परिवार से संबंधित माना जाता है। राहु आम तौर पर इच्छाओं और प्रतिबद्धताओं को बढ़ाने वाला साबित होगा जबकि सूर्य आत्म अभिव्यक्ति और अधिकार को संबोधित करता है। यह युति आपके जीवन में वित्तीय कठिनाइयों की वजह बनेगी क्योंकि राहु धोखे देने के लिए आपको प्रेरित कर सकता है और सूर्य आंतरिक आत्म संघर्ष आपके जीवन में ला सकता है। 

इस राशि के जातकों को परिसंपत्तियों की चतुराई से देखरेख करने में कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि आप जल्दबाजी में कोई वित्तीय फैसले लेकर अपने आपको इन परेशानियों में फँसाने की क्षमता इस अवधि में रखने वाले हैं। गलत बयान बाजी या दोहरे व्यवहार की प्रवृत्ति के चलते भी आपके जीवन में प्रतिकूल परिणाम पड़ने की संभावना है। जातकों को व्यक्तिगत गुणों को समायोजित करने के लिए परेशानियां उठानी पड़ेगी और व्यवहार के अहंकारी तरीकों के चलते परिवार के अंदर तनाव बढ़ने की भी आशंका है।

मीन राशि

मीन राशि के जातक इस अवधि में स्वार्थी और गुस्सैल हो सकते हैं। व्यक्ति दूसरों पर अपना गुस्सा दिखाने वाले साबित होंगे और आपको अपनी गलतियों के लिए दंडित भी किया जाएगा। ऐसे जातक भरोसेमंद नहीं होंगे। जातक दिल से कुटिल नजर आ सकते हैं और लोगों के साथ धोखाधड़ी की प्रवृत्ति रख सकते हैं। जातकों में काम के प्रति धैर्य की कमी देखने को मिलेगी। व्यक्ति को अपने जीवन में कई तरह की बाधाओं और संघर्षों का सामना करना पड़ेगा। 

जातकों और उनके पिता एक दूसरे के प्रति अनुकूल व्यवहार नहीं रखेंगे मुमकिन है कि आप अपने पिता से अलग हो चुके हों या ऐसा भी हो सकता है कि पिता में अब लंबी जिंदगी जीने की शक्ति बची ही ना हो। आपके अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता में गिरावट देखने को मिलेगी जिसके चलते आपका स्वास्थ्य कमजोर रहने वाला है। ऐसे जातक बार-बार बीमार पड़ेंगे और बुखार या फिर पेट की समस्याओं से पीड़ित नजर आएंगे। व्यक्ति को दृष्टि संबंधित परेशानियां भी होने की आशंका है। आपको हड्डियों और मुंह से जुड़ी परेशानी भी इस दौरान हो सकती है।

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साप्ताहिक राशिफल (08 अप्रैल से 14 अप्रैल, 2024): कैसा रहेगा ये सप्ताह आपके लिए?

साप्ताहिक राशिफल 08 अप्रैल से 14 अप्रैल 2024: एस्ट्रोसेज का यह ब्लॉग आपके लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है जिसमें आपको साप्ताहिक राशिफल 08 अप्रैल से 14 अप्रैल, 2024 की जानकारी प्राप्त होगी। इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे कि अप्रैल का यह सप्ताह राशि चक्र की 12 राशियों के लिए कैसे परिणाम लेकर आएगा। साथ ही, इस राशिफल की मदद से कैसे आप इस सप्ताह को बेहतर बना सकते हैं, तो आइए बिना देर किये शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की।

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साप्ताहिक राशिफल 08 अप्रैल से 14 अप्रैल, 2024: राशि अनुसार राशिफल और उपाय

मेष राशि

सप्ताह के शुरुआती हिस्से अर्थात 8 और 9 अप्रैल के बीच की अवधि में परिणाम कुछ कमज़ोर रह सकते हैं। हालांकि दूर की यात्राओं के लिए समय अनुकूल रहेगा, लेकिन फिर भी इस दौरान हर तरह के रिस्क से बचें।

सप्ताह का मध्य भाग अर्थात 10 अप्रैल से लेकर 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट के बीच का समय अच्छे परिणाम देने का संकेत कर रहा है। हालांकि, चंद्रमा पर शनि की दृष्टि कुछ कामों में समस्याएं दे सकती हैं, लेकिन बृहस्पति की कृपा से हर क्षेत्र में देर से ही सफलता मिलने के योग बन रहे हैं।

इसके अलावा 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट से लेकर 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 के मध्य परिणाम काफ़ी हद तक अनुकूल रह सकते हैं। विशेषकर घर-परिवार से जुड़े मामलों में अच्छी अनुकूलता देखने को मिल सकती है।

वहीं सप्ताहांत अर्थात 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से लेकर 14 अप्रैल तक की अवधि भी आपको अच्छे परिणाम देने का संकेत कर रही है। कहीं से कोई अच्छी खबर भी मिल सकती है।

उपाय: पीपल के पेड़ पर नियमित रूप से जल चढ़ाएं। 

वृषभ राशि

सप्ताह के शुरुआती हिस्से अर्थात 8 और 9 अप्रैल के बीच की अवधि में आपको काफ़ी अनुकूल परिणाम मिल सकते हैं। आपका साहस और आपका आत्मविश्वास अधिकांश मामलों में अच्छी उपलब्धियां दिलवाएगा।

सप्ताह का मध्य भाग अर्थात 10 अप्रैल से लेकर 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट के बीच का समय कुछ हद तक कमज़ोर रह सकता है। हालांकि, बृहस्पति की कृपा से कोई बड़ा नुकसान नहीं होगा, लेकिन फिर भी यदि सावधानी के साथ काम करेंगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा।

इसके अलावा 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट से लेकर 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 के मध्य आपको काफ़ी अच्छे परिणाम मिलने की संभावनाएं हैं। न केवल आपके स्वयं का पराक्रम बल्कि सहयोगियों का सहयोग भी आपको विभिन्न मामलों में सफलता दिला सकता है।

वहीं, सप्ताहांत अर्थात 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से लेकर 14 अप्रैल तक की अवधि आपको मिले-जुले परिणाम दे सकती है जिसमें सकारात्मकता का लेवल अधिक रह सकता है। रुचिकर भोजन और परिजनों के साथ आनंद लेने का मौका मिल सकता है।

उपाय: नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करें। 

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मिथुन राशि

सप्ताह के शुरुआती हिस्से अर्थात 8 और 9 अप्रैल के बीच की अवधि में सामान्य तौर पर आपको अनुकूल परिणाम मिल सकते हैं। इस दौरान कामों में सफलता मिलने की अच्छी उम्मीदें हैं, लेकिन एक साथ कई कामों को करने का रिस्क नहीं लेंगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा।

सप्ताह का मध्य भाग अर्थात 10 अप्रैल से लेकर 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट के बीच का समय भी अच्छे परिणाम देता हुआ प्रतीत हो रहा है। विशेषकर आर्थिक मामले में इस अवधि में आपको काफ़ी अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।

इसके अलावा 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट से लेकर 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 के मध्य का समय कुछ हद तक खर्चों से भरा रह सकता है। इस दौरान भागदौड़ की अधिकता भी रह सकती है। बेहतर होगा कि इस समय किसी भी प्रकार का जोखिम न उठाएं।

वहीं, सप्ताहांत अर्थात 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से लेकर 14 अप्रैल तक की अवधि अनुकूलता के ग्राफ को बढ़ाने का काम कर सकती है। आप आर्थिक और पारिवारिक मामले में काफ़ी अच्छा कर सकते हैं।

उपाय: माता-पिता और गुरुजनों का सम्मान करें। 

कर्क राशि

सप्ताह के शुरुआती हिस्से अर्थात 8 और 9 अप्रैल के बीच की अवधि में परिणाम मिले-जुले रह सकते हैं। लेकिन, मन में बढ़ रहे अध्यात्म के भाव सकारात्मक दिशा में आगे ले जाने का काम कर सकते हैं।

सप्ताह का मध्य भाग अर्थात 10 अप्रैल से लेकर 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट के बीच का समय सामान्य तौर पर अधिकांश मामलों में अच्छे परिणाम देता हुआ प्रतीत हो रहा है। शिक्षा, कार्यक्षेत्र और सामाजिक जीवन में विशेष अनुकूलता देखने को मिल सकती है।

इसके अलावा 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट से लेकर 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 के मध्य उच्च का चंद्रमा आपको विभिन्न मामलों में लाभान्वित कर सकता है। मन प्रसन्न रहेगा और उपलब्धियां भी मिल सकती हैं।

वहीं सप्ताहांत अर्थात 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से लेकर 14 अप्रैल तक की अवधि कुछ हद तक कमज़ोर रह सकती है। इस दौरान न केवल अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना होगा, बल्कि बेकार के खर्चों से भी बचना जरूरी रहेगा।

उपाय: नियमित रूप से मंदिर जाना शुभ रहेगा। 

सिंह राशि

सप्ताह के शुरुआती हिस्से अर्थात 8 और 9 अप्रैल के बीच की अवधि में परिणाम कमज़ोर रह सकते हैं। अत: इस दौरान किसी भी प्रकार का जोखिम उठाना ठीक नहीं रहेगा। कर्म करते रहिए, हो सकता है कुछ अप्रत्याशित लाभ भी मिल जाएं।

सप्ताह का मध्य भाग अर्थात 10 अप्रैल से लेकर 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट के बीच का समय तुलनात्मक रूप से बेहतर परिणाम दे सकता है। दूर की यात्राएं विशेषकर धार्मिक यात्राएं भी इस अवधि में संभव हैं। नई योजनाओं पर विचार भी करेंगे।

इसके अलावा 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट से लेकर 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 के मध्य आपको अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। विशेषकर यदि आपका काम विदेश या दूर के स्थान से जुड़ा हुआ है अथवा आप किसी तरह का क्रिएटिव काम करते हैं तो आप काफ़ी शानदार कर सकेंगे।

वहीं, सप्ताहांत अर्थात 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से लेकर 14 अप्रैल तक की अवधि आपको विभिन्न प्रकार से लाभ दिलाने में मददगार बन सकती है। विशेषकर आर्थिक उपलब्धियों के लिए यह अवधि काफ़ी अच्छी कही जाएगी।

उपाय: मंदिर में चने की दाल का दान करें। 

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कन्या राशि

सप्ताह के शुरुआती हिस्से अर्थात 8 और 9 अप्रैल के बीच की अवधि में परिणाम सामान्य तौर पर आपके फेवर में रह सकते हैं। लाभ भाव का स्वामी सप्तम भाव में रहकर आपके व्यापार-व्यवसाय या दैनिक कामों में मददगार बन सकता है।

सप्ताह का मध्य भाग अर्थात 10 अप्रैल से लेकर 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट के बीच का समय कुछ हद तक कमज़ोर परिणाम दे सकता है। अतः इस समय किसी भी तरह के जोखिम भरे हुए कामों से बचना समझदारी का काम होगा।

इसके अलावा, 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट से लेकर 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 के मध्य परिणाम धीरे-धीरे आपकी फेवर में आने शुरू होंगे। पुरानी समस्याएं दूर होंगी और आप नई योजनाओं पर नए उत्साह के साथ लग सकते हैं।

वहीं, सप्ताहांत अर्थात 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से लेकर 14 अप्रैल तक की अवधि आपको काफ़ी अच्छे परिणाम दे सकती है। लाभ भाव के स्वामी का कर्म भाव में होना ऐसे कामों को संपन्न करवाने में मददगार बनेगा जिन कामों से आपको अच्छा खासा लाभ हो सकता है।

उपाय: कन्याओं का पूजन करके उनका आशीर्वाद लें। 

तुला राशि

सप्ताह के शुरुआती हिस्से अर्थात 8 और 9 अप्रैल के बीच की अवधि में सामान्य तौर पर आप अनुकूल परिणाम प्राप्त कर सकेंगे। नौकरीपेशा लोग अपने टारगेट को आसानी से एचीव करके सहकर्मियों के बीच में चर्चा का विषय बन सकते हैं।

सप्ताह का मध्य भाग अर्थात 10 अप्रैल से लेकर 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट के बीच का समय कार्य-व्यापार की दृष्टिकोण से अच्छा प्रतीत हो रहा है। साथ ही, निजी संबंधों विशेषकर दांपत्य जीवन के लिए भी अनुकूल रह सकता है।

इसके अलावा, 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट से लेकर 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 के मध्य परिणाम मिले-जुले रह सकते हैं। लेकिन, परिणाम को लेकर अधिक आशान्वित होना उचित नहीं रहेगा। भले ही चंद्रमा उच्च का रहेगा लेकिन आठवें भाव में इसे अनुकूल नहीं कहा गया है। अतः हर मामले में सावधानी बरतनी होगी।

वहीं, सप्ताहांत अर्थात 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से लेकर 14 अप्रैल तक की अवधि आपकी समस्याओं और कठिनाइयों को दूर करने में मददगार बन सकती है। ईश्वर के प्रति आस्था में भी बढ़ोतरी होगी।

उपाय: श्रद्धापूर्वक बुजुर्गों की सेवा करना और उनका आशीर्वाद लेना शुभ रहेगा। 

वृश्चिक राशि

सप्ताह के शुरुआती हिस्से अर्थात 8 और 9 अप्रैल के बीच की अवधि में परिणाम मिले-जुले रह सकते हैं। उस पर भी सकारात्मक का ग्राफ अधिक रह सकता है। आप अपनी लव लाइफ तथा स्टूडेंट लाइफ में बेहतर करते हुए देखे जाएंगे।

सप्ताह का मध्य भाग अर्थात 10 अप्रैल से लेकर 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट के बीच का समय सामान्य तौर पर अनुकूल परिणाम देता हुआ प्रतीत हो रहा है। विशेषकर प्रतिस्पर्धात्मक कार्यों में आप काफ़ी अच्छा कर सकते हैं। नौकरी आदि से जुड़े मामलों में भी अनुकूलता मिल सकती है।

इसके अलावा 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट से लेकर 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 के मध्य आप अपने कार्य-व्यापार में काफ़ी अच्छा कर सकेंगे। निजी संबंधों और वैवाहिक जीवन में भी अनुकूलता देखने को मिलेगी। 

वहीं सप्ताहांत अर्थात 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से लेकर 14 अप्रैल तक की अवधि कमज़ोर परिणाम दे सकती है। अत: इस समय किसी भी काम में जल्दबाजी उचित नहीं रहेगी। बेहतर होगा कि कोई भी फैसला लेने से बचें। धर्म-कर्म के लिए समय निकालने की सलाह दी जाती है।

उपाय: किसी पूर्वज के निमित्त यथा सामर्थ्य गरीबों को भोजन करवाएं। 

धनु राशि

सप्ताह के शुरुआती हिस्से अर्थात 8 और 9 अप्रैल के बीच की अवधि में परिणाम कमज़ोर रह सकते हैं। आठवें भाव का स्वामी चतुर्थ भाव में होकर कुछ चिंता देने का काम कर सकता है। इस दौरान घर-गृहस्थी से जुड़े बड़े निर्णयों को कुछ समय के लिए टाल दें।

सप्ताह का मध्य भाग अर्थात 10 अप्रैल से लेकर 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट के बीच का समय तुलनात्मक रूप से बेहतर परिणाम दे सकता है। विद्यार्थीगण इस अवधि में मेहनत करके अपनी इच्छा के अनुरूप परिणाम प्राप्त कर सकेंगे। वहीं प्रेम संबंधों में भी तुलनात्मक रूप से बेहतर अनुकूलता देखने को मिल सकती है।

इसके अलावा 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट से लेकर 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 के मध्य परिणाम काफ़ी अच्छे रह सकते हैं। इस दौरान आप कठिन कामों को भी आसानी से करने में सक्षम होंगे।

सप्ताहांत अर्थात 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से लेकर 14 अप्रैल तक की अवधि काफ़ी हद तक अनुकूल परिणाम दे सकती है। विशेषकर व्यापार-व्यवसाय से जुड़े मामलों में आप अच्छा कर सकते हैं। साझेदारी के कामों में भी अनुकूल परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

उपाय: मंदिर जाकर भगवान के चरणों में दंडवत प्रणाम करें। 

मकर राशि

सप्ताह के शुरुआती हिस्से अर्थात 8 और 9 अप्रैल के बीच की अवधि में परिणाम में अनुकूल रह सकते हैं। यदि आपका काम यात्राओं से जुड़ा हुआ है तो आप काफ़ी अच्छे परिणाम प्राप्त कर सकेंगे। कहीं से कोई अच्छी खबर भी सुनने को मिल सकती है।

सप्ताह का मध्य भाग अर्थात 10 अप्रैल से लेकर 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट के बीच का समय थोड़ा कमज़ोर रहेगा। इस दौरान घर-गृहस्थी को लेकर कुछ चिंताएं रह सकती हैं। हालांकि ध्यान, योग और मेडिटेशन इत्यादि करने की स्थिति में आप प्रसन्न रह सकेंगे।

इसके अलावा 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट से लेकर 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 के मध्य परिणाम काफ़ी हद तक अनुकूल रह सकते हैं। विशेषकर प्रेम प्रसंग से जुड़े मामलों में अच्छी खासी अनुकूलता देखने को मिल सकती है। प्रेम विवाह के इच्छुक लोगों को इस अवधि में कुछ बड़े निर्णय लेने का अवसर मिल सकता है।

वहीं सप्ताहांत अर्थात 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से लेकर 14 अप्रैल तक की अवधि सामान्य तौर पर अनुकूल परिणाम देना चाह रही है। खासकर नौकरी आदि से जुड़े मामलों में आप काफ़ी अच्छे परिणाम प्राप्त कर सकते हैं।

उपाय: अपनी कमाई से माता को वस्त्र खरीदकर भेंट करें। 

कुंभ राशि

सप्ताह के शुरुआती हिस्से अर्थात 8 और 9 अप्रैल के बीच की अवधि में परिणाम मिले-जुले रह सकते हैं। हालांकि, यदि आप कहीं से लोन इत्यादि लेने के प्रयास में हैं तो इस दौरान आपको सफलता मिल सकती है। घर-परिवार से जुड़े मामलों में भी सकारात्मकता देखने को मिल सकती है।

सप्ताह का मध्य भाग अर्थात 10 अप्रैल से लेकर 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट के बीच का समय आपको फेवर के परिणाम दे सकता है। इस समय आपका आत्मविश्वास आपको विभिन्न मामलों में सफलता दिलाने का काम कर सकता है। आपके सहयोगी निष्ठापूर्वक आपके सहयोग में तत्पर रह सकते हैं।

इसके अलावा 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट से लेकर 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 के मध्य परिणाम थोड़े से कमज़ोर रह सकते हैं। हालांकि उच्च का चंद्रमा कोई बड़ा नुकसान नहीं करेगा फिर भी मन में किसी बात को लेकर थोड़ी चिंता रह सकती है।

वहीं, सप्ताहांत अर्थात 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से लेकर 14 अप्रैल तक की अवधि तुलनात्मक रूप से बेहतर परिणाम दे सकती है। विशेषकर विद्यार्थीगण इस समय काफ़ी अच्छा कर सकते हैं। कला और साहित्य के क्षेत्र से जुड़े हुए लोग भी अच्छे परिणाम प्राप्त कर सकेंगे।

उपाय: दादाजी या किसी बुजुर्ग के साथ मंदिर जाकर वहां पर उनका आशीर्वाद लें। 

मीन राशि

सप्ताह के शुरुआती हिस्से अर्थात 8 और 9 अप्रैल के बीच की अवधि में परिणाम सामान्य तौर पर आपके फेवर में रह सकते हैं। निजी संबंधों में भी अच्छी अनुकूलता देखने को मिल सकती है।

सप्ताह का मध्य भाग अर्थात 10 अप्रैल से लेकर 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट के बीच का समय मिले-जुले परिणाम दे सकता है। इस अवधि में वाणी पर संयम रखकर कुछ महत्वपूर्ण कामों को संपन्न भी करवाया जा सकेगा। यद्यपि मनपसंद भोजन करने के मौके मिलेंगे। लेकिन अपनी शारीरिक प्रकृति को ध्यान में रखते हुए खानपान रखें।

इसके अलावा, 11 अप्रैल की सुबह 8 बजकर 40 मिनट से लेकर 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 के मध्य परिणाम काफ़ी अच्छे रह सकते हैं। इस दौरान की गई यात्राएं काफ़ी फायदेमंद रह सकती हैं। यह समय प्रियजनों से मिलन करवाने में भी सहायक बन सकता है।

वहीं सप्ताहांत अर्थात 13 अप्रैल की दोपहर 12 बजकर 45 मिनट से लेकर 14 अप्रैल तक की अवधि कुछ हद तक कमज़ोर रह सकती है। मन में दुविधा के भाव रह सकते हैं और किसी बात को लेकर चिंताएं भी रह सकती हैं। अतः इस दौरान महत्वपूर्ण निर्णयों को टालना ही समझदारी का काम होगा।

उपाय: भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करें।

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ग्रहों के राजकुमार बनाएंगे केंद्र त्रिकोण राजयोग, इन 3 राशियों पर होगी छप्पर फाड़ पैसों की बरसात!

केंद्र त्रिकोण राजयोग 2024: वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह को नवग्रहों के राजकुमार का दर्जा प्राप्त है। यह सभी ग्रहों में सबसे तेज़ गति से चलते हैं इसलिए यह जल्दी-जल्दी गोचर करते हैं। हालांकि, बुध एक निश्चित अंतराल के बाद एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। जब-जब बुद्धि और तर्क के कारक ग्रह बुध अपनी राशि बदलते हैं, तो इसका प्रभाव राशि चक्र की हर राशि के साथ-साथ संसार पर भी पड़ता है। अब यह जल्द ही एक बेहद शुभ योग केंद्र त्रिकोण राजयोग का निर्माण करने जा रहे हैं। एस्ट्रोसेज के इस ब्लॉग में आपको इस राजयोग से जुड़ी समस्त जानकारी प्राप्त होगी। साथ ही जानेंगे, किन राशियों के लिए यह योग वरदान साबित होग। आइए अब बिना देर किये शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की। 

भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके 

मेष राशि में बुध करेंगे केंद्र त्रिकोण राजयोग का निर्माण 

बता दें कि ज्योतिष के अनुसार, वर्तमान समय में बुध महाराज मेष राशि में स्थित हैं और वह इस 

राशि में 09 अप्रैल 2024 की रात 10 बजकर 26 मिनट तक रहेंगे। ऐसे में, बुध के मेष राशि में होने से केंद्र त्रिकोण राजयोग का निर्माण होने जा रहा है। मंगल की राशि मेष में बुध लग्न भाव में उपस्थित होंगे और वह मकर राशि के चौथे भाव यानी कि केंद्र भाव में रहेंगे। इसके परिणामस्वरूप, केंद्र त्रिकोण राजयोग बन रहा है जिसका अंत 09 अप्रैल को हो जाएगा। चलिए अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं किन राशियों को मिलेंगे केंद्र त्रिकोण राजयोग से शुभ परिणाम। 

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इन 3 राशियों के लिए वरदान साबित होगा केंद्र त्रिकोण राजयोग 

वृषभ राशि

वृषभ राशि वालों के बारहवें भाव में केंद्र त्रिकोण राजयोग बनने जा रहा है। इसके फलस्वरूप, इन जातकों को अपार लाभ मिलेगा और यह प्रत्येक क्षेत्र में अपार सफलता प्राप्त करेंगे। लंबे समय से रुके हुए काम अब बन लगेंगे। साथ ही, धन-धान्य में भी वृद्धि होगी। जो लोग विदेश में व्यापार करते हैं या फिर कोई नया निवेश करने के बारे में सोच रहे हैं, उनके लिए यह समय फलदायी रहेगा। समाज में आपका मान-सम्मान बढ़ेगा और आपको परिवार के साथ समय बिताने के मौके मिलेंगे। कोर्ट-कचहरी से जुड़े मामले आपके पक्ष में रहेंगे। 

कन्या राशि

कन्या राशि के जातकों के नौवें भाव में केंद्र त्रिकोण राजयोग का निर्माण हो रहा है। यह राजयोग इन जातकों के लिए खुशियां ही खुशियां लेकर आएगा। इन्हें करियर और बिजनेस के क्षेत्र में अपार सफलता की प्राप्ति होगी और आपको अच्छा ख़ासा धन लाभ होगा। जिन जातकों पर कर्ज हैं, उन्हें इसे छुटकारा मिलेगा। आय के नए स्तोत्र प्राप्त होंगे। आपका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। आपका संचार कौशल भी शानदार रहेगा जिसके बल पर आप जीवन में सफलता हासिल करेंगे।

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तुला राशि

केंद्र त्रिकोण राजयोग तुला राशि वालों के लिए भी शुभ रहेगा। आप व्यापार में कोई बड़ी डील कर सकते हैं और ऐसे में, आप अच्छा लाभ प्राप्त करेंगे। इन जातकों को हर कदम पर भाग्य का साथ मिलेगा। आपकी धन-संपत्ति में वृद्धि होगी और आपके सभी रुके हुए काम बनेंगे। जो लोग विवाह योग्य हैं, उनके लिए शादी का प्रस्ताव आ सकता है। इस दौरान भविष्य से जुड़ा आप कोई बड़ा फैसला लेते हुए दिखाई दे सकते हैं। आपका प्रेम जीवन भी अच्छा रहेगा और आप एक-दूसरे को समझने में सक्षम होंगे। 

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चैत्र अमावस्या 2024: भूतों से है इस अमावस्या का संबंध, जानें नकारात्मक शक्तियों से बचने के उपाय!

एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको चैत्र अमावस्या 2024 के बारे में बताएंगे और साथ ही इस बारे में भी चर्चा करेंगे कि इस दिन किस प्रकार के उपाय करने चाहिए ताकि आप इन उपायों को अपनाकर नकारात्मकता से बच सके। तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि विस्तार से चैत्र अमावस्या के बारे में।

भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके

हर महीने के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या कहलाती है। प्रत्येक वर्ष में 12 अमावस्या पड़ती हैं, जो 12 महीने में पड़ती है और इन सभी अमावस्या का अपना विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र अमावस्या हिंदू वर्ष का अंतिम दिन होता है। चैत्र अमावस्या को सनातन धर्म में बहुत ही शुभ दिन माना जाता है। यह अमावस्या मार्च आखिरी या अप्रैल की शुरुआत में आती है। चैत्र माह में पड़ने वाली अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि इस दिन लोग धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियां करने से जातक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इस दिन स्नान, दान जैसे चीज़े करने का बहुत अधिक महत्व है। तो आइए किसी कड़ी में आगे बढ़ते हैं और बिना देरी किए जानते हैं चैत्र अमावस्या की तिथि, शुभ मुहूर्त व इस दिन किए जाने वाले उपाय और भी बहुत कुछ।

चैत्र अमावस्या 2024: तिथि व समय

पितरों की पूजा के लिए फलदायी मानी जाने वाली चैत्र अमावस्या इस साल 08 अप्रैल 2024, दिन सोमवार को पड़ेगी।

अमावस्या आरम्भ : अप्रैल 8, 2024 की मध्यरात्रि 03 बजकर 23 मिनट से 

अमावस्या समाप्त : अप्रैल 8, 2024 की रात 11 बजकर 52 मिनट तक।

उदया तिथि में होने की वजह से यह 08 अप्रैल को ही मनाई जाएगी।

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चैत्र अमावस्या का महत्व

ऐसा माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति चैत्र अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए उपाय करता है तो उसे समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है और समस्याओं के समाधान के मार्ग भी खुलते हैं। इस दिन लोग कौवे, गाय, कुत्ते और यहां तक कि गरीब व जरूरतमंद लोगों को भी भोजन कराते हैं व दान देते हैं। गरुड़ पुराण में इस बात का जिक्र किया गया है, अमावस्या वाले दिन पूर्वज अपने वंशजों के यहां जाते हैं इसलिए इस दिन दान पुण्य का महत्व अधिक होता है। चैत्र अमावस्या का व्रत सनातन धर्म में सबसे लोकप्रिय और अधिक महत्वपूर्ण होता है। भक्त अमावस्या व्रत या उपवास सुबह शुरू करते हैं और प्रतिपदा को चंद्रमा के दर्शन होने तक समाप्त करते हैं। ऐसा माना जाता है कि व्रत करने से पितृ दोष से छुटकारा पाया जा सकता है।

चैत्र अमावस्या क्यों कहलाती है भूतड़ी अमावस्या

अलग-अलग माह और विशेष दिनों में पड़ने के कारण अमावस्या को भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है। चैत्र अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इसे भूतड़ी अमावस्या क्यों कहा जाता है यह प्रश्न हर किसी के मन में जरूर होगा। दरअसल भूत का अर्थ है नकारात्मक शक्तियां। माना जाता है कि कुछ अतृप्त आत्माएं अपनी अधूरी इच्छाएं पूरी करने के लिए जीवित लोगों पर अपना अधिकार जमाने का प्रयास करती हैं।  इस दौरान आत्माएं या नकारात्मक शक्तियां व ऊर्जाएं उग्र हो जाती है। आत्माओं की इसी उग्रता को शांत करने के लिए चैत्र अमावस्या यानी भूतड़ी अमावस्या पर नदी स्नान करने का महत्व बताया गया है इसलिए इस अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या भी कहा जाता है।

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चैत्र अमावस्या की पूजा विधि

  • चैत्र अमावस्या के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर घर के सभी कार्यों जैसे- साफ-सफाई आदि को निपटा लें। उसके बाद स्नान करें।
  • यदि संभव हो तो इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करें या घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। 
  • स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें और व्रत का संकल्प लें।
  • इसके बाद गंगाजल डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • यदि संभव हो तो इस दिन व्रत व उपवास रखें। ऐसा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
  • इस दिन पितर संबंधित कार्य करने चाहिए। ऐसा करने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • पितरों के निमित्त तर्पण और दान करें।
  • इस दिन अपने इष्ट देव व भगवान का ज्यादा से ज्यादा ध्यान करें।

चैत्र अमावस्या पर ये कार्य जरूर करें

  • चैत्र अमावस्या के दिन दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन दान-पुण्य करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और इस दिन पितरों की शांति के लिए व्रत भी करना शुभ माना जाता है।
  • यदि इस दिन किसी गरीब या जरूरतमंद को भोजन अवश्य कराएं। ऐसा करने से आप के लिए फलदायी साबित होगा।
  • इस दिन प्रातः जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें कौर सूर्य को अर्घ्य दें। साथ ही पितरों का तर्पण करें।
  • गरीबों व जरूरतमंदों को उनकी जरूरतों का सामान दान करें।
  • इस दिन तिल के तेल का पितरों के नाम का दीपक मुख्य द्वार पर जरूर जलाएं और उनकी शांति के लिए प्रार्थना करें।
  • चैत्र अमावस्या पर पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और सात या 11 बार परिक्रमा करें।

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चैत्र अमावस्या पर इन चीज़ों का करें दान

चैत्र अमावस्या के दिन दान करने से पाप का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं भूतड़ी अमावस्या के दिन किन चीजों का दान करना शुभ माना जाता है।

  • इस दिन जरूरतमंदों व गरीबों को सरसों के तेल का दान करना चाहिए। ऐसा करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है और साथ ही, जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।
  • चैत्र अमावस्या पर आप जल का दान कर सकते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जल के दान से अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम होता है। 
  • इस अमावस्या के दिन स्नान करने के बाद ब्राह्मण को पितरों के निमित्त अनाज का दान करना चाहिए। 
  • यदि आप इस दिन गाय के दूध का दान करते हैं तो इससे आपके पितरों की तृप्ति होती है और उन्हें मोक्ष की प्राप्त होती है। साथ ही, वे आपको आशीर्वाद देते हैं।
  • इस दिन शक्कर या गुड़ का दान करना चाहिए। 
  • इस पावन दिन सभी चीजों के दान के साथ पितरों का जल से तर्पण देने के बाद कर्मकांडी ब्राह्मण को दान में दक्षिणा अपनी श्रद्धा अनुसार देना चाहिए। 
  • इसके अलावा, इस अमावस्या के दिन जरूरतमंद लोगों को भोजन, वस्त्र, और अन्य चीज़ों का दान करना चाहिए। ऐसा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

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नकारात्मक शक्तियों को कम करने के लिए इस दिन करें ये ख़ास उपाय

चैत्र यानी भूतड़ी अमावस्या पर कुछ नकारात्मक शक्तियां एकदम से जागृत हो जाती है। ऐसे में, इन शक्तियों को कम करने के लिए कुछ उपायों को अपना लेना चाहिए। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में। 

गंगाजल से स्नान करें

चैत्र या भूतड़ी अमावस्या पर बुरी शक्तियों को दूर रखने के लिए स्नान करना चाहिए। इसके बाद भगवान शिव को समर्पित महामृत्युंजय मंत्र का जाप कम से कम 108 बार करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से बुरी आत्माएं व नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।

भगवान हनुमान व भगवान शिव की पूजा करें

साल 2024 में भूतड़ी अमावस्या सोमवार के दिन है। ऐसे में, इस दिन भगवान शिव के साथ-साथ हनुमान जी की भी आराधना करनी चाहिए। साथ ही, शिवलिंग पर गंगाजल चढ़ाकर शिव स्तोत्र का पाठ करें। इसके अलावा, हनुमान चालीसा का पाठ भी करें। ऐसा करने से भूत-बाधा से जुड़ा संकट खत्म हो जाता है।

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मां दुर्गा के मंत्र का जाप करें

शास्त्रों के अनुसार, मां दुर्गा के आशीर्वाद से सभी प्रकार की प्रेत-बाधाएं दूर हो जाती हैं इसलिए चैत्र अमावस्या के दिन संध्या काल में दीपक जलाकर कम से कम 108 बार प्रभावशाली मंत्र ‘ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे’ का जाप जरूर करें।

कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए

यदि आप चैत्र अमावस्या के दिन किसी नए काम को शुरू कर रहे हैं या कुछ शुभ काम करने के लिए घर से निकल रहे हैं तो एक नींबू में चार लौंग लगा लें और 21 बार ‘ॐ हनुमते नमः’ बीज मंत्र जाप करें। फिर इसे एक साफ और शुद्ध लाल रंग के वस्त्र में बांध लें। ऐसा करने से काम में आने वाली तमाम बाधाएं दूर हो जाती हैं और कार्य में सफलता प्राप्त होती है।

गाय को रोटी खिलाएं

चैत्र अमावस्या के दिन आप गाय को घी और गुड़ लगी हुई रोटी खिलाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से आपके पितरों को शांति मिल सकती है। यदि आप मृत पूर्वजों का नाम लेकर गाय को रोटी खिलाते हैं तो आपके लिए ज्यादा लाभकारी साबित होगा।

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साप्ताहिक राशिफल (01 से 07 अप्रैल, 2024): अप्रैल का पहला सप्ताह- इन 5 राशियों के जीवन के लिए रहेगा सुखद!

अप्रैल का महीना शुरू होने वाला है। ऐसे में हर बार की तरह आने वाले 7 दिनों से संबन्धित साप्ताहिक राशिफल का यह विशेष ब्लॉग लेकर हम आपके सामने हाजिर हैं। इस ब्लॉग के माध्यम से हम आपको आगामी सप्ताह के हिंदू पंचांग और ज्योतिषीय गणना के साथ-साथ आने वाले व्रत और त्योहारों की जानकारी, ग्रहण, गोचर की जानकारी, आदि प्रदान करते हैं। 

सिर्फ इतना ही नहीं इस सप्ताह में कौन-कौन से विवाह मुहूर्त पड़ने वाले हैं, कौन-कौन से बैंक अवकाश पड़ने वाले हैं, किन मशहूर सितारों का जन्मदिन आने वाला है इस बात की जानकारी भी आपको दी जाती है। इसके साथ ही हम आपको मेष से लेकर मीन राशि की सबसे सटीक भविष्यवाणी भी प्रदान करते हैं। तो चलिए बिना देरी किए शुरू करते हैं हमारा यह खास ब्लॉग और सबसे पहले जान लेते हैं इस सप्ताह से जुड़ी कुछ खास बातें।

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इस सप्ताह का हिंदू पंचांग और ज्योतिषीय गणना

सबसे पहले बात कर लें इस सप्ताह के हिंदू पंचांग और ज्योतिषीय गणना की तो अप्रैल का पहला सप्ताह शुरू होगा कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि से मूल नक्षत्र के तहत और इस सप्ताह का समापन होगा कृष्ण पक्ष की ही त्रयोदशी तिथि में पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के साथ। 

आपकी जानकारी के लिए बता दें अप्रैल के महीने में चैत्र माह चल रहा होता है। हालांकि यह अप्रैल के मध्य में खत्म हो जाता है। अप्रैल के ही महीने में चैत्र नवरात्रि का खास पर्व मनाया जाता है। इसके बाद शुरू होता है वैशाख का महीना जिसे हिंदू पंचांग में दूसरा महीना कहा जाता है और चैत्र का महीना पहला महीना होता है। वैशाख का महीना मध्य अप्रैल से शुरू होकर तकरीबन मध्य मई तक चलता है।

इस सप्ताह पड़ने वाले व्रत और त्योहारों की जानकारी 

अपने व्यस्त जीवन में आप भी कोई त्यौहार या महत्वपूर्ण तिथि भूल न जाएँ इसलिए हम आपके सामने आने वाले सात दिनों में पड़ने वाले महत्वपूर्ण व्रत त्योहार की जानकारी भी आपको यहां प्रदान करने जा रहे हैं। तो चलिए जान लेते हैं अप्रैल के पहले सप्ताह के दौरान कौन-कौन से व्रत और त्योहार पड़ने वाले हैं। 

  • 1 अप्रैल शीतला सप्तमी, कालाष्टमी, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी 
  • 2 अप्रैल शीतला अष्टमी, बसोड़ा 
  • 5 अप्रैल पापमोचीनी एकादशी 
  • 6 अप्रैल शनि त्रयोदशी, प्रदोष व्रत 
  • 7 अप्रैल मासिक शिवरात्रि 
  • 8 अप्रैल सोमवती अमावस्या, सूर्य ग्रहण पूर्ण*, चैत्र अमावस्या, दर्श अमावस्या

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इस सप्ताह पड़ने वाले ग्रहण और गोचर 

ग्रहण और गोचर का सीधा प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है। ऐसे में चलिए जान लेते हैं कि इस सप्ताह कौन-कौन से ग्रहों का गोचर होने वाला है और यह किस तरह से आपको प्रभावित करेंगे। इस सप्ताह में यूं तो कोई भी गोचर नहीं होने वाला है लेकिन बुध ग्रह का दो अहम परिवर्तन अवश्य होंगे। बुध का पहला परिवर्तन 2 अप्रैल को होगा जब बुध मेष राशि में वक्री हो जाएंगे। इसके बाद 4 अप्रैल को बुध मेष राशि में ही अस्त होने जा रहे हैं। ऐसे में अप्रैल के पहले सप्ताह में कोई गोचर नहीं होगा।

हालांकि इस सप्ताह में साल का पहला पूर्ण सूर्य ग्रहण अवश्य लगने वाला है। 

साल का पहला सूर्य ग्रहण 8 अप्रैल को लगेगा। बात करें इससे संबंधित अन्य महत्वपूर्ण जानकारी की तो,

तिथि दिन तथा दिनांक 8 अप्रैल 2024 अमावस्या तिथि सोमवार चैत्र मास कृष्ण पक्ष

सूर्य ग्रहण प्रारंभ समय: रात्रि 21:12 बजे से

(भारतीय स्टैंडर्ड टाइम के अनुसार)

सूर्य ग्रहण समाप्त समय: रात्रि 26:22 तक (9 अप्रैल 2024 की सुबह 02:22 बजे तक)

दृश्यता का क्षेत्र पश्चिमी यूरोप पेसिफिक, अटलांटिक, आर्कटिक मेक्सिको, उत्तरी अमेरिका (अलास्का को छोड़कर), कनाडा, मध्य अमेरिका, दक्षिण अमेरिका के उत्तरी भागों में, इंग्लैंड के उत्तर पश्चिम क्षेत्र में, आयरलैंड (भारत में दृश्यमान नहीं)

1-7 अप्रैल 2024: विवाह मुहूर्त 2024 

बात करें के अप्रैल के इस पहले सप्ताह में पड़ने वाले विवाह मुहूर्त की तो, 

अप्रैल के इस सप्ताह में कोई भी विवाह मुहूर्त नहीं है। 

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1-7 अप्रैल 2024: बैंक अवकाश 

बैंक होलीडेज की बात करें तो इस सप्ताह, 

1 अप्रैल 2024 को उड़ीसा दिवस का अवकाश उड़ीसा में मनाया जाएगा 

इसके बाद 5 अप्रैल शुक्रवार को बाबू जगजीवन राम जयंती है और जमा-तुल- विदा है जिसके अवकाश आंध्र प्रदेश और तेलंगाना और जम्मू और कश्मीर में मनाए जाएंगे। 

इस सप्ताह जन्मे कुछ मशहूर सितारों के जन्मदिन की जानकारी 

अब अंत में हम बात कर लेते हैं इस सप्ताह जन्मे कुछ मशहूर सितारों के जन्म के बारे में। तो अगर आपका भी जन्म अप्रैल के महीने में हुआ है या यूं कहिए कि अप्रैल के इस पहले सप्ताह में हुआ है तो चलिए सबसे पहले जान लेते हैं इस सप्ताह जन्म लेने वाले लोगों के व्यक्तित्व से जुड़ी कुछ बेहद दिलचस्प बातों की जानकारी: 

अप्रैल में जिन लोगों का जन्मदिन होता है वह विशेष तौर पर शुभ माने जाते हैं। यह वसंत का पहला महीना होता है। इसके अलावा इस दौरान ना ही बहुत ज्यादा ठंड होती है और ना ही बहुत ज्यादा गर्मी होती है। ऐसे में इस दौरान वातावरण में एक अनोखी ऊर्जा देखने को मिलती है और यही ऊर्जा अप्रैल के महीने में जन्म लेने वाले लोगों के अंदर भी होती है।

हालांकि ऐसा हम केवल कहने के लिए नहीं कह रहे हैं। ऐसे कई अध्ययन हुए हैं जो बताते हैं कि अप्रैल के महीने में जन्म लेना कितना खास होता है। शोध से पता चलता है कि अप्रैल में जन्मे लोग स्वस्थ जीवन जीते हैं, अपने करियर में उत्कृष्टता प्राप्त करते हैं, और ज्यादा आशावादी होते हैं। इसके अलावा अप्रैल में जन्म लेने वाले लोग हंसमुख स्वभाव के होते हैं। इसके अलावा इस महीने में जन्म लेने वाले लोगों की या तो वृषभ राशि होती है या फिर मेष राशि होती है।

अप्रैल से संबंधित दो फूलों को विशेष रूप से माने गए हैं डेजी और स्वीट पी। यह दोनों ही फूल अप्रैल महीने के लिए उपयुक्त माने जाते हैं। यह दोनों ही फूल सुखद भावनाओं को दर्शाते हैं और यह खुशी का भी प्रतीक हैं। जहां एक तरफ स्वीट पी आनंद और खुशी का प्रतीक माना जाता है वहीं डेज़ी बचपन की मासूमियत, वफादारी और पवित्रता का प्रतिनिधित्व करता है।

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अब बात करें इस सप्ताह में किन सितारों का जन्मदिन पड़ने वाला है तो, 

1 अप्रैल अयाज खान 

2 अप्रैल अजय देवगन 

3 अप्रैल हरिहरन, प्रभु देवा 

4 अप्रैल लीज़ा रे, पल्लवी जोशी 

5 अप्रैल रूपाली गांगुली मायशा अय्यर 

6 अप्रैल संजय सूरी रोहित सुचान्ती

7 अप्रैल राम गोपाल वर्मा, रवि शंकर 

8 अप्रैल साकिब सलीम

यदि आप अपने फेवरेट सितारे की कुंडली देखकर उनके भविष्य के बारे में कुछ भी जानना चाहते हैं तो आप यहाँ क्लिक कर सकते हैं।

एस्ट्रोसेज की तरफ से इन सभी सितारों को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं।

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साप्ताहिक राशिफल 1-7 अप्रैल 2024 

अब जानते हैं सभी बारह राशियों के जातकों के लिए यह सप्ताह क्या कुछ लेकर आने वाला है:

यह भविष्यफल चंद्र राशि पर आधारित है। अपनी चंद्र राशि जानने के लिए क्लिक करें:
चंद्र राशि कैलकुलेटर

मेष साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह आपको अपना खोया आत्मविश्वास और ऊर्जा, पुनः वापस लौटती प्रतीत होंगी। जिसके परिणामस्वरूप,….. (विस्तार से पढ़ें) 

मेष प्रेम राशिफल 

इस पूरे ही सप्ताह प्रेमी जातकों के बीच, प्रेम और समर्पण का भाव बना रहेगा। साथ ही वो ….(विस्तार से पढ़ें)

वृषभ साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह सबसे अधिक बुजुर्ग जातकों को, अपनी सेहत को लेकर सतर्कता बरतने की सलाह दी जाती है। अन्यथा….(विस्तार से पढ़ें)

वृषभ प्रेम राशिफल

इस सप्ताह आप अपने प्रेम संबंधों के कारण, खुद को बेहद असहाय या उलझा हुआ ….(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन साप्ताहिक राशिफल

ये सप्ताह आपके लिए दौड़-भाग से भरा रहेगा, जिससे आप तुनकमिज़ाज बन सकते हैं। इस कारण आपके….(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन प्रेम राशिफल

 इस सप्ताह योग बन रहे हैं कि किसी न किसी कारणवश, आपका प्रिय कुछ परेशान ही….(विस्तार से पढ़ें)

कर्क साप्ताहिक राशिफल

इस राशि के उम्रदराज़ जातकों को, इस पूरे ही सप्ताह अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखने की ज़रूरत है। इसके …. (विस्तार से पढ़ें)

कर्क प्रेम राशिफल

इस हफ्ते आपको अपने प्रेम जीवन में, सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे। आप अपने ….(विस्तार से पढ़ें)

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सिंह साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह आपकी सेहत से जुड़ी कई समस्याएँ, आपके लिए परेशानी का सबब बन सकती हैं। ऐसे में खासतौर ….(विस्तार से पढ़ें)

सिंह प्रेम राशिफल

यदि आपके और प्रेमी के बीच लंबे वक़्त से कोई विवाद चलता आ रहा था तो, उसे आपको ……(विस्तार से पढ़ें)

कन्या साप्ताहिक राशिफल

स्वास्थ्य राशिफल में इस सप्ताह आपको बहुत से, महत्वपूर्ण व सकारात्मक बदलाव नज़र आ सकते हैं। क्योंकि….(विस्तार से पढ़ें)

कन्या प्रेम राशिफल

इस सप्ताह पब्लिक में अपने गर्लफ़्रेंड/ब्वॉयफ़्रेंड के साथ, अभद्र व्यवहार करने से ….(विस्तार से पढ़ें)

तुला साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह आपको अपनी दृष्टि में सकारात्मकता लेते हुए, जो धुंध आपके चारों तरफ़ छाई हुई है, उसे स्वंय ही…..(विस्तार से पढ़ें)

तुला प्रेम राशिफल

प्रेमी जातकों की अगर बात करें तो, इस सप्ताह उनके प्रेम जीवन में किसी नए शख्स का ….. (विस्तार से पढ़ें)

वृश्चिक साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह आपकी सेहत से जुड़ी कई समस्याएँ, आपके लिए परेशानी का सबब बन सकती हैं। ऐसे में खासतौ…..(विस्तार से पढ़ें)

वृश्चिक प्रेम राशिफल

इस सप्ताह यदि आप प्रेमी की किसी आदत को लेकर, काफी समय से परेशान चल रहे हैं ,…..(विस्तार से पढ़ें)

धनु साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह आपका स्वास्थ्य, सामान्य से काफी बेहतर रहेगा। जिसके कारण आप बेहतर सेहत का आनंद …..(विस्तार से पढ़ें)

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इस सप्ताह आपके निजी जीवन में चल रही कशमकश भरी परिस्थितियां, आपके जीवन में …..(विस्तार से पढ़ें)

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यदि पूर्व के सप्ताह में आपके प्रेम संबंधों में कोई विवाद चल रहा था तो, इस सप्ताह आप ….(विस्तार से पढ़ें)

कुम्भ साप्ताहिक राशिफल

इस सप्ताह ज़्यादा शराब पीकर तेज़ गाड़ी चलाना, आपको भारी पड़ सकता है। क्योंकि योग बन रहे हैं कि इस…. (विस्तार से पढ़ें)

कुम्भ प्रेम राशिफल

इस सप्ताह आपका प्रेमी और रोमांस, आपके दिलो-दिमाग़ पर छाया रहेगा। जिससे आप ….(विस्तार से पढ़ें)

मीन साप्ताहिक राशिफल 

पैरों में दर्द की समस्या, मोच, जोड़ों का दर्द से आपको इस हफ्ते निजात मिल सकेगी। विशेष रूप से ये सप्ताह…..(विस्तार से पढ़ें)

मीन प्रेम राशिफल

प्रेम में पड़े इस राशि के जातकों के जीवन में इस सप्ताह, कोई खूबसूरत मोड़ आ सकता …. (विस्तार से पढ़ें)

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देवी-देवताओं की कितनी परिक्रमा लगाना होता है फलदायी, यहां जाने सही तरीका

सनातन धर्म में अलग-अलग देवी-देवताओं की पूजा अर्चना की जाती है। लोग भगवान को प्रसन्न करने के लिए कई व्रत करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उन्हें कई चीज़ें जैसे- अगरबत्ती, फूल, ध्वज, नारियल आदि प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं। साथ ही, ईश्वर की परिक्रमा करते हैं, परिक्रमा जिसे फेरी लगाना भी कहते हैं। हिंदू धर्म में पूजा पाठ के साथ-साथ परिक्रमा करना भी पूजा का ही एक हिस्सा माना जाता है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि भगवान की प्रतिमा या मंदिर की परिक्रमा लगाने से व्यक्ति के विचारों में कई सकारात्मक परिवर्तन देखे जाते हैं और ऐसा करने से भगवान की विशेष कृपा भी प्राप्त होती है।

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इसके आलाव, मन को सुख-शांति मिलती है लेकिन परिक्रमा का फल तभी मिलता है जब इसके नियमों का पालन किया जाए। कई लोग परिक्रमा तो करते हैं लेकिन उन्हें यह पता नहीं होता है कि किस देवी या देवताओं की कितनी परिक्रमा करनी चाहिए। यदि आपको भी इसके बारे में जानकारी नहीं है तो एस्ट्रोसेज का यह विशेष ब्लॉग आपके लिए आपको इस बारे में जानकारी प्रदान करेगा कि किस देवी-देवताओं की कितनी बार परिक्रमा करना लाभकारी माना जाता है।

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किस देवी-देवताओं की कितनी करें परिक्रमा

भगवान शिव: शिवलिंग की आधी परिक्रमा

भगवान विष्णु: पांच बार परिक्रमा

हनुमान जी: तीन बार परिक्रमा

मां दुर्गा सहित सभी देवियों की : एक बार परिक्रमा

सूर्य देव : सात बार परिक्रमा

भगवान गणेश : तीन परिक्रमा

पीपल का पेड़: 108 परिक्रमा

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परिक्रमा के दौरान इस मंत्र का करें जाप

परिक्रमा करते समय भगवान का ध्यान करना चाहिए और इस मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।

मंत्र- यानि कानि च पापानि जन्मांतर कृतानि च। तानि सवार्णि नश्यन्तु प्रदक्षिणे पदे-पदे।।

अर्थ- इस मंत्र का अर्थ है कि कभी जीवन में गलती से किए गए और पूर्व जन्मों के सभी पाप और गलत कर्म परिक्रमा के साथ-साथ खत्म हो जाए। हे ईश्वर मुझे सद्बुद्धि प्रदान करें।

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परिक्रमा करने के नियम

मंदिर या देवी-देवताओं की परिक्रमा हमेशा घड़ी की दिशा में ही करनी चाहिए। सीधे हाथ की ओर से परिक्रमा शुरू करनी चाहिए। इस दौरान मंत्रों का जाप जरूर करना चाहिए। मंदिर बहुत पवित्र स्थान होता है यहां लगातार मंत्र जाप, पूजा और घंटियों की ध्वनि से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है। ये ऊर्जा उत्तर से दक्षिण दिशा की ओर प्रवाहित होती है। ऐसे में, दाहिने ओर से परिक्रमा करने पर साधक को सकारात्मक ऊर्जा का लाभ मिलता है। इससे मानसिक तनाव दूर होते हैं, आध्यात्मिक गतिविधियों की तरफ झुकाव बढ़ता है। माना जाता है कि जब कोई भी व्यक्ति परिक्रमा करता है तो उसका दाहिना भाग गर्भगृह के अंदर देवता की ओर होता है और परिक्रमा वेद द्वारा अनुशंसित शुभ होती है।

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परिक्रमा का महत्व

मंदिरों में परिक्रमा करना एक बहुत ही सामान्य अनुष्ठान है। इस विधि को परिक्रमा, प्रदक्षिणा या प्रदक्षिणम भी कहा जाता है। भक्त मंदिर के देवी-देवता के निवास स्थान के सबसे भीतरी कक्ष के चारों ओर फेरी लगाते हैं। माना जाता है कि ऐसा करने से देवी-देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

ऐसा माना जाता है कि मंदिर में पूजा करने के बाद परिक्रमा करने से भक्त तनाव रहित होता है और नकारात्मक भावनाओं से दूर रहता है। यही नहीं उसे बहुत हल्का महसूस होता है। कहते हैं कि जिस बोझ और अपनी प्रार्थना के साथ व्यक्ति मंदिर में प्रवेश करते है और परिक्रमा मंदिर में भगवान से जुड़ने का एक आध्यात्मिक तरीका बताया गया है। इससे व्यक्ति ईश्वर का मन से ध्यान कर उन्हें धन्यवाद देता है। इसके साथ ही, जो व्यक्ति परिक्रमा करता है उससे भगवान बेहद प्रसन्न रहते हैं और उसकी सभी समस्याओं का निवारण करते हैं।

जानें परिक्रमा दक्षिणावर्त दिशा में क्यों करनी चाहिए

हिंदू धर्म में दाहिना भाग को बहुत शुभ माना जाता है। इसलिए पूजा पाठ करने के लिए हमारे बड़े बुजुर्ग दाहिने हाथ को आगे करवाते हैं और मंदिर का प्रसाद भी दाहिने हाथ से लेना शुभ माना जाता है। सनातन धर्म में बाएं हाथ में प्रसाद स्वीकार नहीं करते या उससे पवित्र वस्तुओं को नहीं छूते हैं। परिक्रमा करते समय, भक्त भगवान के प्रति अपनी आस्था और उनके प्रति सम्मान दिखाने के लिए मंदिर की दीवारों को अपनी उंगलियों से छूते हैं और फिर उसे वापस अपने माथे पर लगाकर प्रणाम करते हैं। यदि कोई ऐसा अपनी दाहिनी ओर से करेगा, तो यह करना उनके लिए आसान होगा।

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ये हैं प्रमुख परिक्रमाएं

देव स्थान की परिक्रमा

जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम, तिरुवन्नमलई और तिरुवनंतपुरम देव मंदिरों की परिक्रमा इसमें प्रमुख मानी जाती है।

देवी-देवताओं की परिक्रमा

देव मूर्तियों में भगवान शिव, माता दुर्गा, भगवान गणेश, भगवान विष्णु, भगवान हनुमान जी, भगवान कार्तिकेय आदि देवी-देवताओं की प्रतिमा के चारों ओर परिक्रमा की जाती है। 

पवित्र नदी की परिक्रमा

हिंदू धर्म में नदियों का विशेष महत्व माना गया है। लोग गंगा, सरयू, नर्मदा, गोदावरी, कावेरी आदि पवित्र नदियों की परिक्रमा भी करते हैं। 

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वृक्ष की परिक्रमा

त्योहारों और विशेष कामना या किसी विशेष देवी देवता की कृपा पाने के लिए वृक्षों की परिक्रमा भी की जाती है। पीपल और बरगद के वृक्ष की परिक्रमा विशेषतौर पर की जाती है। 

तीर्थ स्थानों परिक्रमा

अयोध्या, उज्जैन, प्रयाग राज, चौरासी कोस आदि स्थानों की परिक्रमा को तीर्थ स्थानों की परिक्रमा कहा जाता है। चारधाम यात्रा भी इसी परिक्रमा में आती है। 

भरत खंड परिक्रमा

यह परिक्रमा ज्यादातर साधु संतों को द्वारा की जाती है। इसमें पूरे भारतवर्ष की परिक्रमा की जाती है।  

पर्वत परिक्रमा

गोवर्धन, गिरनार, कामदगिरी आदि पर्वतों को पूजनीय माना गया है लोग इन पर्वतों की परिक्रमा भी करते हैं। जो लोग वृंदावन धाम जाते हैं वे गोवर्धन परिक्रमा जरूर करते हैं। 

विवाह के सात फेरों की परिक्रमा

इसमें विवाह के समय वर और वधू अग्नि के चारों तरफ 7 बार परिक्रमा करते हैं। 

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