कौन सी तिथि और समय होगा उपनयन संस्कार के लिए शुभ, जानने के लिए देखें मई 2024 में उपनयन मुहूर्त!

एस्ट्रोसेज के इस ब्लॉग के माध्यम से आपको मई 2024 के उपनयन संस्कार की शुभ तिथियां एवं मुहूर्त की जानकारी प्राप्त होगी। उपनयन संस्कार जो कि जनेऊ और यज्ञोपवीत संस्कार के नाम से भी जाना जाता है। यह हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण संस्कार है क्योंकि जनेऊ संस्कार की गिनती 16 संस्कारों में होती है। वर्तमान समय में इस संस्कार को विवाह के समय किया जाने लगा है। लेकिन, जो माता-पिता इस साल मई के महीने में अपने बच्चे का उपनयन या जनेऊ संस्कार करना चाहते हैं और शुभ मुहूर्त की तलाश में हैं, उनके लिए यह ब्लॉग विशेष रूप से तैयार किया गया है। तो चलिए बिना देर किये शुरुआत करते हैं इस ब्लॉग की। 

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सबसे पहले हम आपको रूबरू करवाते हैं उपनयन संस्कार के अर्थ एवं महत्व के बारे में।  

क्या होता है उपनयन संस्कार?

हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में से एक होता है जनेऊ संस्कार जिन्हें सभी संस्कारों में से दसवां स्थान प्राप्त है। इस संस्कार के दौरान बालक को एक पवित्र धागा पहनाया जाता है जिसे जनेऊ कहते हैं। ब्राह्मण से लेकर क्षत्रिय सभी समुदाय और जाति के बालकों के द्वारा जनेऊ धारण किया जाता है। आपको बता दें कि उपनयन शब्द का निर्माण दो शब्दों से मिलकर हुआ है ‘उप’ का अर्थ निकट से है और ‘नयन’ से मतलब “दृष्टि” से है। इस प्रकार, उपनयन का शाब्दिक अर्थ खुद को अंधेरे से दूर रखना और प्रकाश की तरफ बढ़ने से होता है। यह संस्कार सनातन धर्म का सबसे लोकप्रिय और पवित्र संस्कार माना गया है।

अब हम आपको बताने जा रहे हैं मई 2024 में उपनयन संस्कार के मुहूर्त और तिथियों के बारे में। 

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मई 2024 में इन तिथियों पर करें उपनयन संस्कार  

हम सभी इस बात को अच्छे से जानते हैं कि सनातन धर्म में प्रत्येक मांगलिक कार्य को शुभ मुहूर्त में करना चाहिए जिससे उस कार्य का शुभ फल संतान को मिल सकें। इन बातों को ध्यान में रखते हुए हम आपके लिए मई 2024 में उपनयन संस्कार के शुभ मुहूर्त लेकर आये हैं जो कि इस प्रकार हैं।    

उपनयन संस्कार का पहला मुहूर्त: 09 मई 2024 की दोपहर 12 बजकर 56 मिनट से शाम 05 बजकर 30 मिनट तक रहने वाला है। 

उपनयन संस्कार के लिए दूसरा मुहूर्त: 10 मई 2024 की सुबह 06 बजकर 22 मिनट से सुबह 08 बजकर 17 मिनट तक रहेगा। 

इसके बाद 10 मई को अन्य मुहूर्त सुबह 10 बजकर 32 मिनट से शाम 05 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। 

उपनयन संस्कार के लिए तीसरा मुहूर्त: 12 मई 2024 की सुबह 06 बजकर 14 मिनट से सुबह 10 बजकर 24 मिनट तक रहेगा। 

12 मई 2024 की दोपहर 12 बजकर 44 मिनट से शाम 07 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। 

उपनयन संस्कार के लिए चौथा मुहूर्त: 17 मई 2024 की सुबह 10 बजकर 04 मिनट से दोपहर 02 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। 

17 मई 2024 की शाम 04 बजकर 58 मिनट से शाम 07 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। 

उपनयन संस्कार के लिए पांचवां मुहूर्त: 18 मई 2024 की सुबह 06 बजे से 07 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। 

इस दिन एक अन्य मुहूर्त भी उपलब्ध होगा जो कि सुबह 10 बजकर 01 मिनट से शाम 04 बजकर 54 मिनट तक रहने वाला है। 

उपनयन संस्कार के लिए छठा मुहूर्त: 19 मई 2024 की दोपहर 02 बजकर 34 मिनट से दोपहर 04 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। 

उपनयन संस्कार के लिए सातवां मुहूर्त: 20 मई 2024 की सुबह 09 बजकर 53 मिनट से शाम 04 बजकर 47 मिनट से रहेगा। 

उपनयन संस्कार के लिए आठवां मुहूर्त: 24 मई 2024 की सुबह 07 बजकर 22 मिनट से सुबह 11 बजकर 57 मिनट तक रहेगा। 

उपनयन संस्कार के लिए नौवां मुहूर्त: 25 मई 2024 की सुबह 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 02 बजकर 11 मिनट तक रहेगा। 

इस दिन एक अन्य मुहूर्त शाम 04 बजकर 27 मिनट से शाम 06 बजकर 46 मिनट तक रहने वाला है। 

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धार्मिक, वैज्ञानिक और स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभ

  • ऐसा कहा जाता है कि जनेऊ धारण करने के बाद बुरे सपने आने बंद हो जाते हैं। 
  • जनेऊ के हृदय के पास से गुजरने की वजह से हृदय रोग की संभावना कम हो जाती है। 
  • जो इंसान जनेऊ पहनता है, उसके लिए साफ-सफाई के नियमों का पालन करना जरूरी होता है। साथ ही, व्यक्ति की दांत, पेट और जीवाणु से रक्षा करता है। 
  • मान्यता है कि कान में जनेऊ लपेटने से सूर्य नाड़ी जागृत होती है।  
  • जनेऊ धारण करने से मनुष्य की कब्ज, एसिडिटी, पेट, रोग, रक्तचाप, हृदय रोगों आदि से सुरक्षा प्राप्त होती है।

जनेऊ संस्कार के दौरान इन नियमों का पालन 

  • माता-पिता को जनेऊ संस्कार के दिन यज्ञ करवाना चाहिए। 
  • इस यज्ञ में बालक को अपने परिवार के साथ बैठना होता है। 
  • इस दिन बालक को बिना सिले हुए कपड़े या धोती पहनाये जाते हैं और हाथ में डंडा देना अनिवार्य होता है। गले में पीला वस्त्र और पैरों में खड़ाऊ धारण करते हैं। 
  • इस दिन मुंडन करते समय एक चोटी छोड़ी जाती है। 
  • जो बालक जनेऊ धारण करता है, वह पीले रंग का होना आवश्यक होता है।

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ग्रहों के राजकुमार बुध होंगे मार्गी- इन राशियों को मिलेगा अपार धन लाभ!

एस्ट्रोसेज के हमारे इस खास ब्लॉग में आज हम बात करने जा रहे हैं जल्द होने वाले बुध मार्गी के बारे में। साथ ही जानेंगे कि बुध का यह परिवर्तन किन राशियों के लिए शुभ रहेगा तो किन राशियों को इसके प्रतिकूल प्रभाव उठाने पड़ सकते हैं।

चलिये सबसे पहले जान लेते हैं ग्रहों का राजकुमार बुध कब और किस राशि में मार्गी होने जा रहा है। साथ ही जानेंगे बुध ग्रह से जुड़ी कुछ बेहद दिलचस्प बातों की जानकारी भी।

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बुध होंगे मार्गी- क्या रहेगा समय?

सबसे पहले बात करें बुध मार्गी के समय की तो बुध का यह अहम परिवर्तन 25 अप्रैल 2024 को होने वाला है। इस दौरान बुध मीन राशि में मार्गी हो जाएंगे। समय की बात करें तो बुध देव 25 अप्रैल को शाम 5 बजकर 49 मिनट पर गुरु द्वारा शासित मीन राशि में मार्गी होंगे।

यहां आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मीन बुध की नीच राशि होती है। ऐसे में बुध के इस परिवर्तन के दौरान कुछ जातकों को महत्वपूर्ण फैसले लेने में कुछ परेशानियां उठानी पड़ सकती हैं। साथ ही जातकों की बुद्धि और सीखने की क्षमता पर भी मार्गी बुध प्रभाव डालेगा।

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ज्योतिष में बुध ग्रह का महत्व और क्या होता है ग्रहों का मार्गी होना

सबसे पहले बात कर लें बुध ग्रह की तो, वैदिक ज्योतिष में बुध को बुद्धि, तर्क, विद्या, ज्ञान आदि का कारक ग्रह माना जाता है। ज्योतिष के जानकार मानते हैं कि अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध ग्रह मजबूत स्थिति में मौजूद होता है या लाभकारी ग्रहों के साथ मौजूद होता है तो यह व्यक्ति को अपार शुभ परिणाम देता है। वहीं इसके विपरीत अगर बुध ग्रह पापी ग्रहों के साथ स्थित होता है या फिर कुंडली के छठे, आठवें और बाहरवें भाव में स्थित होता है तो ऐसे में जातकों को बुध से संबंधित शुभ परिणाम नहीं प्राप्त हो पाते हैं।

स्वामित्व की बात करें तो मिथुन और कन्या राशि का स्वामित्व बुध ग्रह के पास होता है। जिन जातकों की कुंडली में बुध ग्रह मजबूत अवस्था में होते हैं उनकी बातचीत करने की शैली, सोचने समझने की क्षमता, तर्क वितर्क करने का कौशल, बेहद ही शानदार होता है। वहीं इसके विपरीत जिन लोगों की कुंडली में बुध ग्रह पीड़ित अवस्था में होते हैं उन्हें अपने जीवन में त्वचा संबंधित बीमारियां, सांस लेने में तकलीफ, फेफड़ों की परेशानी, याद ना रख पाने की बीमारी आदि से जूझना पड़ता है।

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क्या यह जानते हैं आप? बुध ग्रह को ज्योतिष में ग्रहों के राजकुमार के नाम से जाना जाता है। इतना ही नहीं नवग्रह में बुध को कवि भी कहा जाता है क्योंकि इनके पास साहित्य और सीखने से संबंधित अपार ज्ञान का भंडार होता है।

क्या होता है ग्रहों का मार्गी होना? 

ज्योतिष में अक्सर आपने सुना होगा कि कोई ग्रह मार्गी होने जा रहा है। दरअसल मार्गी होने का अर्थ होता है सीधी गति में चलना और इसके विपरीत जब कोई ग्रह उल्टी गति या तिरछी तरफ चलता है तो इसे ग्रहों की वक्री गति कहते हैं। सूर्य और चंद्रमा को छोड़कर सभी ग्रह समय-समय पर वक्री होते हैं। राहु और केतु हमेशा ही वक्री रहते हैं।

कभी-कभी ग्रह एक राशि में वक्री होकर पिछली राशि में चले जाते हैं और कभी-कभी उसी राशि में बने रहते हैं। फिर जैसे ही वक्री गति समाप्त होती है वह दोबारा मार्गी हो जाते हैं और अपनी पुरानी स्थिति में लौट आते हैं। ऐसा ही कुछ अप्रैल में होने जा रहा है जब बुद्धि का कारक ग्रह बुध मीन राशि में मार्गी हो जाएगा। 

चलिए अब आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं कि सभी 12 राशियों पर बुध के इस मार्गी परिवर्तन का क्या कुछ प्रभाव पड़ने की संभावना है।

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मीन राशि में बुध 

बुध को सौरमंडल के विशालकाय ग्रह के रूप में जाना जाता है और मीन एक दोहरी जलिय राशि है जिसके स्वामी होते हैं बृहस्पति। मीन राशि में बुध के साथ जन्म लेने वाले जातक कल्पनाशील स्वभाव के होते हैं। यह जल्दी ही लोगों की बात दिल पर लगा लेते हैं। यह दूसरों के प्रति विनम्र और दयालु होते हैं और अति विश्वसनीय स्वभाव के चलते प्रेम संबंधों और बिजनेस पार्टनरशिप में विश्वास घात और धोखे की चपेट में आ जाते हैं। इसके अलावा ऐसे जातक पेंटिंग से लेकर संगीत तक हर चीज के प्रति रुचि रखते हैं और हमेशा काल्पनिक दुनिया में खोए रहते हैं।

मीन राशि में बुध की मौजूदगी लोगों के जीवन में ज्यादा धन संपत्ति प्राप्त करने में परेशानी की वजह बनेगी। इस समय लोगों को आत्मविश्वास की कमी उठानी पड़ सकती है, लोग चिड़चिड़े और बेचैन नजर आ सकते हैं। हालांकि यह लोग स्वभाव में जिज्ञासु और बुद्धिमान अवश्य रहेंगे। ऐसे जातक निराशा और हताश होकर लोगों की असाधारण रूप से मदद करते भी नजर आने वाले हैं। इसके अलावा लोगों को बाहों या गले से संबंधित कुछ परेशानियों का अनुभव भी करना पड़ सकता है। साथ ही वैवाहिक जीवन में भी थोड़ी अशांति देखने को मिलेगी।

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बुध मीन राशि में मार्गी: जानें राशि अनुसार प्रभाव और उपाय 

मेष राशि 

राशि चक्र की पहली राशि मेष है जो कि स्वभाव से उग्र और मर्दाना स्वभाव की राशि है। इस राशि के जातक हर काम को तेज़ी से करना…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ करें क्लिक)

वृषभ राशि 

वृषभ राशि के जातक रचनात्मक और उत्साह से भरे होते हैं और इनकी रुचि कला से जुड़े क्षेत्रों में होती है। वृषभ, राशि चक्र की दूसरी राशि है…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ करें क्लिक)

मिथुन राशि 

मिथुन राशि वाले बेहद बुद्धिमान होते हैं और इनमें कौशल कूट-कूट के भरा होता है। इन लोगों की रुचि संगीत और मनोरंजन में होती है। साथ…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ करें क्लिक)

कर्क राशि 

कर्क राशि वाले घूमना-फिरना पसंद करते हैं और इन्हें नए-नए लोगों से मिलना बेहद पसंद होता है। ऐसे में, यह नए संपर्क आसानी से बना…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ करें क्लिक)

सिंह राशि 

सिंह राशि के जातक पेशेवर होते हैं और इनकी प्रबंधन क्षमताएं काफ़ी अच्छी होती है। अगर यह लोग कुछ ठान लेते हैं, तो उसमें कामयाब…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ करें क्लिक)

कन्या राशि 

कन्या राशि के जातक सामान्य तौर पर बुद्धिमान होते हैं। इनका ध्यान करियर और धन कमाने पर होता है। साथ ही, इनकी रुचि व्यापार…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ करें क्लिक)

तुला राशि 

तुला राशि वालों का झुकाव रचनात्मक और कला से जुड़े क्षेत्रों में होता है। इन्हें हर कदम पर अपने बड़ों का साथ मिलता है। इन लोगों को…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ करें क्लिक)

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि वालों को यात्राओं का बहुत शौक होता है जो कि उनके स्वभाव का हिस्सा भी हो सकता है। यह नए-नए लोगों से मिलने के लिए…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ करें क्लिक)

धनु राशि 

धनु राशि के जातकों का स्वभाव सरल और आध्यात्मिक किस्म का होता है। इस वजह से इनके भीतर अच्छे-बुरे कर्मों को लेकर भगवान का…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ करें क्लिक)

मकर राशि 

मकर राशि वाले अपने काम के प्रति बेहद समर्पित होते है और यह हर काम को बहुत ध्यान से करते हैं। इन्हें अपने जीवन में सिद्धांतों पर…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ करें क्लिक)

कुम्भ राशि 

कुंभ राशि के जातकों का स्वभाव किसी बात की गहराई में जाने वाला होता है यानी कि सामान्य शब्दों में कहें, तो इनका स्वभाव जांच-पड़ताल…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ करें क्लिक)

मीन राशि 

मीन राशि के जातक बेहद बुद्धिमान होते हैं और इनका सारा ध्यान करियर के क्षेत्र में मान-सम्मान और पद आदि पाने पर केंद्रित होता है। यह…(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ करें क्लिक)

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विद्यारंभ के लिए इन 6 महीनों में से सिर्फ एक महीना रहेगा शुभ, देखें कौन सी तिथियां होंगी सबसे उत्तम?

सनातन धर्म में विद्यारंभ संस्कार को अहम माना जाता है जो कि सदैव शुभ मुहूर्त में करने की परंपरा है। यह संस्कार बच्चे के विकास और उसके जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि इस समारोह को एक बच्चे के पहली बार स्कूल में शामिल होने से पूर्व किया जाता है। हिंदू धर्म में बच्चे की शिक्षा की शुरुआत करने को विद्यारंभ मुहूर्त के नाम से जाना जाता है। एस्ट्रोसेज का यह ब्लॉग आपको विद्यारंभ मुहूर्त 2024 के माध्यम से उन तिथियों की जानकारी प्रदान करेगा जिन्हें इस संस्कार के लिए शुभ माना गया है। साथ ही आपको बताएंगे, वर्ष 2024 में ऐसे कौन से महीने होंगे जब विद्यारंभ संस्कार को करने से बचना होगा। 

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विद्यारंभ मुहूर्त 2024 का अर्थ

विद्यारंभ के अर्थ की बात करें, तो यह दो शब्दों से मिलकर बना है, पहला विद्या और दूसरा आरंभ जिसका मतलब है शिक्षा का आरंभ करना। हर मनुष्य के लिए शिक्षा को बहुत जरूरी माना गया है क्योंकि विद्या से ही व्यक्ति को ज्ञान की प्राप्ति होती है। यही वजह है कि हिंदू धर्म में विद्यारंभ संस्कार को एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है क्योंकि शिक्षा पाने से ही बच्चा सर्वगुण संपन्न बनता है। शिक्षा ही बच्चे को इस योग्य बनाती है कि वह बड़ा होकर अपनी जिम्मेदारियों को निभा सकें। 

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विद्यारंभ मुहूर्त 2024 का सही समय

हिंदू धर्म में हर काम को सही समय और सही तिथि पर करना अति आवश्यक माना गया  है। ठीक, उसी प्रकार विद्यारंभ करने के लिए भी शुभ मुहूर्त और बच्चे का सही उम्र में होना बेहद जरूरी होता है। पुराने समय में माता-पिता अपने बच्चों का विद्यारंभ संस्कार पांच साल की आयु में कर देते थे, लेकिन वर्तमान युग में इस संस्कार को लोग संतान के तीन से चार साल का होने पर ही कर देते हैं। हालांकि, फिर भी विद्यारंभ संस्कार के लिए शुभ मुहूर्त को देखना आवश्यक होता है। 

इन 6 महीनों में से सिर्फ एक महीने में हो सकेगा विद्यारंभ संस्कार 

हम आपको अपने पिछले ब्लॉग में भी बता चुके हैं कि विवाह, अन्नप्राशन, नामकरण या विद्यारंभ जैसे  शुभ कार्यों को कुछ माह में जैसे कि खरमास और चातुर्मास आदि में करना वर्जित होता है। चातुर्मास में जगत के पालनहार भगवान विष्णु चार महीनों की निद्रा में चले जाते हैं और इस समय को किसी भी तरह के मांगलिक कार्य करने के लिए अशुभ माना जाता है। अब वर्ष 2024 में कुल 6 महीनों में से सिर्फ एक महीना ही ऐसा होगा जब विद्यारंभ संस्कार को संपन्न किया जा सकेगा। आपको बता दें कि मई से लेकर अक्टूबर तक में केवल जुलाई के महीने में ही शुभ मुहूर्त उपलब्ध होंगे। 

इस वर्ष के दौरान मई, जून, अगस्त, सितंबर और अक्टूबर के महीनों में विद्यारंभ नहीं किया जा सकेगा। अगर आप अप्रैल 2024 के बाद अपनी संतान का विद्यारंभ संस्कार करने के बारे में सोच-विचार कर रहे हैं, तो आपको इसके लिए अभी से तैयारी शुरू कर देनी चाहिए क्योंकि मई से अक्टूबर तक कोई मुहूर्त नहीं है। ऐसे में, आप जुलाई के महीने में ही विद्यारंभ संस्कार कर सकते हैं।

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जुलाई 2024 में विद्यारंभ संस्कार के लिए शुभ मुहूर्त एवं तिथियां

बच्चे के विद्यारंभ संस्कार को करने के लिए जुलाई 2024 में विद्यारंभ समारोह के शुभ मुहूर्त इस प्रकार हैं: 

विद्यारंभ का पहला मुहूर्त: 03 जुलाई 2024, बुधवार की सुबह 05 बजकर 28 मिनट से सुबह 06 बजकर 29 मिनट तक रहेगा और इस दिन रोहिणी नक्षत्र होगा। 

विद्यारंभ का दूसरा मुहूर्त: 07 जुलाई 2024, रविवार की शाम 07 बजकर 50 मिनट से रात 09 बजकर 32 मिनट तक रहेगा और इस दिन पुष्य नक्षत्र होगा। 

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विद्यारंभ का तीसरा मुहूर्त: 10 जुलाई 2024, बुधवार की सुबह 07 बजकर 37 मिनट से सुबह 09 बजकर 22 मिनट तक रहेगा और इस दिन मघा नक्षत्र होगा।

विवाह का चौथा मुहूर्त: 11 जुलाई 2024, गुरुवार की शाम 07 बजकर 49 मिनट से रात 09 बजकर 16 मिनट तक रहेगा और इस दिन पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र होगा। 

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बृहस्‍पति वृषभ राशि में दिखाएंगे कमाल, इन चार लोगों की पैसों से भर देंगे झोली

बृहस्पति का वृषभ राशि में गोचर 01 मई 2024 की दोपहर 02 बजकर 29 मिनट पर होने जा रहा है। गुरु के शुक्र की राशि में प्रवेश करने पर सभी राशियां प्रभावित होंगी। किसी को सकारात्‍मक परिणाम देखने को मिलेंगे, तो वहीं कुछ लोगों के जीवन में समस्‍याएं आने की आशंका है।

जब कोई ग्रह गोचर करता है, तो उसका असर जीवन के हर पहलू पर पड़ता है और बृहस्‍पति के इस गोचर के साथ भी कुछ ऐसा ही होने वाला है। गुरु के शुक्र की राशि वृषभ में आने पर कुछ राशियों के लोगों की वित्तीय स्थिति में सुधार आने की संभावना है।

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इस ब्‍लॉग के ज़रिए हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि बृहस्‍पति के इस गोचर के दौरान किन राशियों के लोगों को आर्थिक जीवन में लाभ प्राप्‍त होने के आसार हैं। लेकिन उससे पहले जान लीजिए कि ज्‍योतिषशास्‍त्र में बृहस्‍पति ग्रह का क्‍या महत्‍व है।

ज्‍योतिष में बृहस्‍पति ग्रह का महत्‍व

बृहस्‍पति ग्रह को देवताओं के गुरु की उपाधि दी गई है। ज्‍योतिष में गुरु ग्रह को विस्‍तार, प्रगति और ज्ञान का कारक माना गया है। गुरु के गोचर का प्रभाव व्‍यक्‍ति की प्रगति, प्रेम जीवन, सेहत, पारिवारिक जीवन और संतान पर पड़ता है। गुरु के इस गोचर से शुभ परिणाम अधिक मिलने की संभावना है।

वैदिक ज्‍योतिष के अनुसार गुरु के तुला या वृषभ राशि में गोचर करने को काफी शुभ बताया गया है। कहा जाता है कि इन राशियों में प्रवेश करने पर गुरु शक्‍तिशाली प्रभाव डालते हैं। तो चलिए अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि देवताओं के गुरु बृहस्‍पति के शुक्र की राशि वृषभ में प्रवेश करने पर किन राशियों के लोगों का भाग्‍य खुलने वाला है।

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इन राशियों को खूब मिलेगा धन

मेष राशि

यदि आपकी मेष राशि है, तो आपको बृहस्‍पति के इस गोचर के दौरान वित्तीय क्षेत्र में अपार सफलता और प्रगति मिलने की संभावना है। आपकी आय के स्रोत बढ़ेंगे जिससे आपकी आर्थिक स्थिति में मज़बूती आएगी। आमदनी बढ़ने के कारण आप पैसों की बचत करने में भी सक्षम हो पाएंगे। धन के मामले में आप जो असुरक्षा महसूस कर रहे थे, अब वह दूर होती नज़र आएगी। यह समय निवेश करने के लिए भी उत्तम रहने वाला है। इससे आपको उच्‍च मुनाफा होने के आसार हैं। आप बहुत सोच-विचार करने के बाद ही अपना पैसा कहीं निवेश करेंगे इसलिए आपको नुकसान होने की आशंका बहुत कम है।

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कर्क राशि

कर्क राशि के ग्‍यारहवें भाव में बृहस्‍पति ग्रह विराजमान रहने वाले हैं। इस दौरान आपको धन के मामले में विशेष लाभ होने की संभावना है। आप अपने व्‍यापार में कुछ ऐसी रणनीतियां और योजनाएं बना सकते हैं जिससे आपको आर्थिक लाभ होगा। इस समय आपकी आमदनी में भी वृद्धि होने की संभावना है। अगर आप अपने व्‍यापार का विस्‍तार करना चाहते हैं, तो उसके लिए भी यह समय अनुकूल रहेगा। धन का निवेश करने से भी आपको अच्‍छा रिटर्न मिलेगा। हालांकि, आपको सट्टेबाज़ी में निवेश करने से बचना चाहिए वरना आपका पैसा डूब सकता है। आप सोच-समझकर फैसले लें और पैसों की बचत करें। इसके साथ ही आपने अपने लिए जो आर्थिक लक्ष्‍य निर्धारित किए हैं, अब आपको उन्‍हें पाने के बेहतरीन अवसर प्राप्‍त होंगे।

कर्क साप्ताहिक राशिफल

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वृश्चिक राशि

इस समय वृश्चिक राशि के लोगों की आमदनी में अपार वृद्धि देखने को मिलेगी। आपको आगे बढ़ने के शानदार अवसर मिलने वाले हैं। निवेश करने के लिए भी अच्‍छा समय है। आप इस समय जहां भी अपना पैसा निवेश करेंगे, उससे आपको उच्‍च रिटर्न मिलने की संभावना है। इस समय आपकी आय के एक से ज्‍यादा स्रोत रहने वाले हैं और इसे देखकर आप काफी संतुष्‍ट महसूस करेंगे। हालांकि, आपको धन से संबंधित मामलों में किसी अनुभवी व्‍यक्‍ति से विचार-विमर्श करने के बाद ही कोई फैसला लेना चाहिए। इससे आप अपनी आर्थिक स्थिति को और अधिक मज़बूत कर पाएंगे।

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सिंह राशि

सिंह राशि के लोगों को भी गुरु के इस गोचर से लाभ मिलने के संकेत हैं। आपको इस समय निवेश करने के शानदार अवसर प्राप्‍त होंगे। इसके अलावा पहले कोई निवेश किया था, तो उससे भी अच्‍छा रिटर्न मिल सकता है। आपको पैतृक संपत्ति के रूप में भी धन लाभ होने की संभावना है। इसके अलावा आपके लिए अचानक धन प्राप्ति के योग भी बन रहे हैं। इससे आप स्‍वयं को आर्थिक रूप से मज़बूत कर पाएंगे। हालांकि, आपको इस समय कर्ज लेने से बचना चाहिए। कुल मिलाकर बृहस्‍पति का यह गोचर आपकी आर्थिक स्थिति को मज़बूत करने का काम करेगा।

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मार्गी चाल चलने पर बुध, इन लोगों का डुबो देंगे करियर, जीवन में फैल सकती है अशांति

जब कोई ग्रह ग्रोचर करता है, तो उसका प्रभाव कई क्षेत्रों में एवं पहलुओं पर पड़ता है। इसके कारण राष्‍ट्रीय स्‍तर पर व्‍यापार, शेयर मार्केट और राजनीति में बदलाव देखने को मिलते हैं और आम लोगों के जीवन में भी इसके कारण उथल-पुथल आ जाती है। गोचर देश-दुनिया समेत सभी राशियों को भी प्रभावित करता है और इसके कारण जातकों के वैवाहिक जीवन, करियर, बिज़नेस और शिक्षा के क्षेत्र में कई तरह के उतार-चढ़ाव आते हैं। गोचर की ही तरह ग्रहों के मार्गी और वक्री होने का भी असर पड़ता है।

इस बार अप्रैल माह में बुध मार्गी होने जा रहे हैं और उनके इस परिवर्तन का असर कुछ राशियों के करियर पर देखने को मिलेगा। इस ब्‍लॉग के ज़रिए आप जान सकते हैं कि अप्रैल में किस तिथि पर एवं किस राशि में बुध मार्गी हो रहे हैं और इस दौरान किन राशियों के जातकों के करियर पर नकारात्‍मक प्रभाव पड़ने की आशंका है।

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कब मार्गी हो रहे हैं बुध

ग्रहों के राजकुमार कहे जाने वाले बुध 25 अप्रैल 2024 की शाम 05 बजकर 49 मिनट पर मीन राशि में मार्गी हो जाएंगे। ज्‍योतिष में मीन को बुध की नीच की राशि बताया गया है। ऐसा माना जाता है कि मीन राशि में उपस्थित होने पर बुध व्‍यक्‍ति की बुद्धि को कमज़ोर कर देते हैं और जातक को अपने व्‍यापार को चलाने में दिक्‍कतों का सामना करना पड़ता है। इस समय लोगों के पारिवारिक एवं वैवाहिक संबंधों में भी खटास आती है। इसके साथ ही इन्‍हें पैतृक संपत्ति या अप्रत्याशित स्रोतों के माध्यम से धन लाभ हो सकता है। 

तो चलिए अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि किन राशियों के लोगों को बुध के मीन राशि में मार्गी होने पर अपने करियर को लेकर सतर्क रहने की आवश्‍यकता है।

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इन राशियों का डूब सकता है करियर

मेष राशि

बुध के मार्गी होने पर मेष राशि के नौकरीपेशा जातकों का मुश्किल वक्‍त शुरू हो जाएगा। इन्‍हें अपनी प्रोफेशनल लाइफ में योजना बनाकर चलने की जरूरत है। ऐसा करने के बाद ही इन्‍हें अपने करियर में सही दिशा मिल सकती है। इसके अलावा इस समय आपके ऊपर काम का दबाव भी बहुत ज्‍यादा बढ़ सकता है और आपके लिए इस काम को दक्षता के साथ पूरा कर पाना थोड़ा मुश्किल हो जाएगा। आप अपने कार्यक्षेत्र में जो कड़ी मेहनत कर रहे हैं, आपके उच्‍च अधिकारी उसे नज़रअंदाज़ कर सकते हैं। यह चीज़ आपकी तरक्‍की और वेतन में वृद्धि के मार्ग में भी बाधा बन सकती है। इस कारण से आपके मन में नौकरी बदलने तक का विचार आ सकता है लेकिन इस दिशा में आगे बढ़ने से भी कोई लाभ प्राप्‍त नहीं होगा। आपको विदेश से कोई अवसर प्राप्‍त हो सकता है लेकिन आप उससे भी संतुष्‍ट महसूस नहीं कर पाएंगे।

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सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों के लिए बुध की मार्गी अवस्‍था सकारात्‍मक परिणाम नहीं लेकर आएगी। आपको इस समय अपनी नौकरी या करियर से ज्‍यादा अपेक्षाएं नहीं रखनी हैं। इस दौरान आपकी उन्‍नति की रफ्तार धीमी रहने वाली है। आपको ऑन साइट नौकरी या विदेश से भी कोई अवसर प्राप्‍त हो सकता है लेकिन इन्‍हें पाकर भी आप संतुष्‍ट और प्रसन्‍न महसूस नहीं कर पाएंगे। आप अपना सारा ध्‍यान अपने पेशेवर लक्ष्‍यों को पाने पर लगा देंगे लेकिन दुख की बात यह है कि आपके लिए इन लक्ष्‍यों को प्राप्‍त कर पाना आसान नहीं होगा। आपके मार्ग में अड़चनें आ सकती हैं।

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वृश्चिक राशि

यदि आप अपने कार्यक्षेत्र में किसी तरह के बदलाव की अपेक्षा कर रहे हैं, तो अब आपकी यह इच्‍छा पूरी हो सकती है। आपकी नौकरी में भी कोई बदलाव आने की आशंका है और इस परिवर्तन को लेकर आप नाखुश और असंतुष्‍ट महसूस करेंगे। इस बात को लेकर आप चिंता में आ सकते हैं। आपने जिस परिश्रम के साथ काम किया है, आपको उसका प्रतिफल नहीं मिल पाएगा। आपके वरिष्‍ठ अधिकारी आपकी कड़ी मेहनत और समर्पण को नज़रअंदाज़ कर सकते हैं। इस वजह से आप अपनी मौजूदा नौकरी से थोड़ा नाखुश नज़र आ सकते हैं।

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कुंभ राशि

कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्‍त करने के मामले में बुध का मार्गी होना आपके लिए ज्‍यादा अनुकूल नहीं रहने वाला है। इस समय आपको तरक्‍की को लेकर इंतज़ार करना पड़ सकता है। वहीं करियर में सफलता पाने के लिए आपको जीतोड़ मेहनत और अथक प्रयास करने की आवश्‍यकता है। आपको इस दौरान अपने वरिष्‍ठ अधिकारियों से संभलकर बात करने की सलाह दी जाती है। उनके साथ आपकी बहस होने की आशंका है और इसका नकारात्‍मक असर आपके काम पर पड़ सकता है इसलिए बेहतर होगा कि आप अपने ऑफिस में किसी से भी न उलझें। आपको अपने काम के लिए प्रशंसा नहीं मिल पाएगी और इस बात से आपका मन दुखी हो सकता है। बेहतर होगा कि आप इस समय शांत रहें और इस वक्‍त को बीत जाने दें। मुश्किल समय गुज़रने के बाद सब ठीक हो जाएगा और आप अपने क‍रियर में मनचाहे परिणाम प्राप्‍त कर पाएंगे।

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वैशाख माह में पड़ेंगे कई महत्वपूर्ण त्योहार, राशि अनुसार करें ये उपाय मिलेंगे शानदार नतीजे!

हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र पूर्णिमा के बाद वैशाख के महीने की शुरुआत होती है। सनातन धर्म में इस माह का विशेष धार्मिक महत्व है। इस महीने दान और किसी पवित्र नदी जैसे-गंगा आदि में स्नान करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि इस माह में भगवान विष्णु के अवतार- परशुराम और बांके बिहारी आदि के दर्शन व पूजा आराधना करने से मन को शांति और सभी दुखों से छुटकारा मिलता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र पूर्णिमा के बाद का दिन वैशाख का पहला दिन होता है और वैशाख पूर्णिमा इस महीने का अंत करती है। विशाखा नक्षत्र से संबंध होने के चलते इस महीने को वैशाख कहा जाता है। विशाखा नक्षत्र के स्वामी देवगुरु बृहस्पति और देवता इंद्र हैं। ऐसे में इस पूरे महीने में स्नान-दान, व्रत और पूजा से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। वैशाख के महीने में भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी की जयंती, अक्षय तृतीया, मोहिनी एकादशी आदि कई व्रत व महत्वपूर्ण त्योहार मनाए जाते हैं।

आज इस ब्लॉग में हम वैशाख मास से जुड़ी तमाम रोमांचक चीज़ों के बारे में विस्तार से बताएंगे जैसे कि इस माह के दौरान कौन-कौन से व्रत-त्यौहार आएंगे? इस माह में कौन से उपाय किए जाने चाहिए? इस माह का धार्मिक महत्व क्या है? और इस मास में जातकों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए? ऐसी ही कई जानकारियों से लबालब है एस्ट्रोसेज का यह विशेष ब्लॉग, इसलिए अंत तक ज़रूर पढ़ें।

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वैशाख मास 2024: तिथि

वैशाख माह का आरंभ 21 अप्रैल 2024 रविवार को होगा जिसकी समाप्ति 21 मई 2024 मंगलवार को हो जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, वैशाख मास, भगवान विष्णु की उपासना के साथ-साथ भगवान श्री कृष्ण की उपासना के लिए भी समर्पित है। इस मास में स्नान-दान, जप और तप करने से साधकों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है और कई प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल जाती है। जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि नक्षत्र के स्वामी गुरु और देवता इंद्र हैं। इसलिए इस मास में चंद्र देव की उपासना को भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस माह सभी देवी देवताओं की आराधना करने से हर समस्याओं से छुटकारा मिल जाता है और व्यक्ति को सुख-समृद्धि व ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

वैशाख मास का महत्व

मान्यता है कि वैशाख माह के शुक्ल पक्ष को अक्षय तृतीया के दिन भगवान विष्णु ने कई अवतारों धारण किय थे। जैसे नर-नारायण, परशुराम, नृसिंह और ह्ययग्रीव के अवतार। शुक्ल पक्ष की नवमी को माता लक्ष्मी मां सीता के रूप में धरती से प्रकट हुई थी। ऐसा भी माना जाता है कि त्रेतायुग की शुरुआत भी वैशाख माह से हुई। इस माह की पवित्रता और दिव्यता के कारण ही वैशाख माह की तिथियों का संबंध लोक परंपराओं में अनेक देव मंदिरों के पट खोलने और महोत्सवों के मनाने के साथ जोड़ दिया। यही कारण है कि हिन्दू धर्म के चार धाम में से एक बद्रीनाथ धाम के कपाट वैशाख माह की अक्षय तृतीया को खुलते हैं और इसी माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा भी निकाली जाती है। वैशाख कृष्ण पक्ष की अमावस्या को देव वृक्ष वट की पूजा की जाती है। 

वैशाख पूर्णिमा को दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया, तिब्बत और मंगोलिया में बुद्ध पूर्णिमा या गौतम बुद्ध के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। वैशाख शुक्ल पंचमी को हिंदू धर्म के महान दार्शनिक शंकराचार्य के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है। वैशाख पूर्णिमा को तमिलनाडु में ‘वैकाशी विशाकम’ के रूप में जाना जाता है, जो कि भगवान शिव के ज्येष्ठ पुत्र है।

वैशाख मास के बारे में स्कंद पुराण में भी की गई है, जिसमें बताया गया है कि “न माधव समो मासो न कृतेन युगं समम्। न च वेदसमं शास्त्रं न तीर्थं गंगया समम्।” अर्थात- वैशाख मास के समान कोई मास नहीं है, सतयुग के समान अन्य कोई युग नहीं है और वेदों के समान अन्य कोई शास्त्र नहीं है और गंगा के समान कोई तीर्थ मौजूद नहीं है।

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वैशाख मास में आने वाले प्रमुख व्रत-त्योहार

वैशाख मास यानी कि 21 अप्रैल 2024 से 21 मई 2024 के दौरान हिन्दू धर्म के कई प्रमुख व्रत-त्योहार आने वाले हैं, जो कि इस प्रकार हैं:

 

तिथि वार पर्व
21 अप्रैल 2024 रविवार प्रदोष व्रत (शुक्ल)
23 अप्रैल 2024 मंगलवार हनुमान जयंती, चैत्र पूर्णिमा व्रत
27 अप्रैल 2024 शनिवार संकष्टी चतुर्थी
04 मई 2024 शनिवार वरुथिनी एकादशी
05 मई 2024 रविवार प्रदोष व्रत (कृष्ण)
06 मई 2024 सोमवार मासिक शिवरात्रि
08 मई 2024 बुधवार वैशाख अमावस्या
10 मई 2024 शुक्रवार अक्षय तृतीया
14 मई 2024 मंगलवार वृषभ संक्रांति
19 मई 2024 रविवार मोहिनी एकादशी
20 मई 2024 सोमवार प्रदोष व्रत (शुक्ल)

 

वर्ष 2024 में हिंदू धर्म के सभी पर्वों एवं त्योहारों की सही तिथियां जानने के लिए क्लिक करें: हिंदू कैलेंडर 2024

वैशाख मास में जन्म लेने वाले लोगों के गुण

ज्योतिष शास्त्र में हर माह का अपना अलग और विशेष महत्व होता है। ज्योतिष के अनुसार जन्म का महीना, तारीख और राशियों से किसी के स्वभाव के बारे में बताया जा सकता है। ऐसे में, आइए जानते हैं वैशाख के महीने में जन्म लेने वाले जातक का व्यक्तित्व कैसा होता है।

इन जातकों के करियर की बात करें तो वैशाख माह में जन्मे लोग कंप्यूटर इंजीनियर, जर्नलिस्ट, पायलट या प्रशासनिक अधिकारी होते हैं। इस माह में जन्मी लड़कियों को फैशन का अच्छा ज्ञान होता है इसलिए ये फैशन से जुड़े उद्योगों में सफलता हासिल करते हैं। इन जातकों की कल्पना शक्ति बहुत अधिक मजबूत होती है। इस माह में जन्मे जातक जोशीले और सबका ध्यान अपनी ओर खींचने वाले होते हैं। इनका दिमाग बहुत ही तेज होता है और इनका व्यक्तित्व आकर्षक होता है, जिसके चलते हर कोई इनकी ओर आकर्षित हो जाता है। इस माह में जन्म लेने वाली महिलाएं प्रभावी होती हैं और किसी भी कार्यों को अपने बुद्धि-बल के द्वारा आसानी से सुलझा लेती हैं।

ये साहित्य और कला के प्रेमी होते हैं। यह अपने कार्य को भी कलात्मक रूप से करने की हर संभव कोशिश करते हैं। इनकी पेंटिंग, डांसिंग और सिंगिंग में विशेष रुचि होती है। इन जातकों के प्रेम जीवन की बात करें तो ये प्रेम जीवन में बड़े ही रोमांटिक होते हैं। दरअसल इस माह में जन्म लेने वाले लोगों पर शुक्र ग्रह का प्रभाव होता है जो प्रेम और कामवासना का प्रतीक है। इनकी लव लाइफ बहुत ही शानदार रहती है। हालांकि ये कई बार इनको जल्दी गुस्सा आ सकता है लेकिन उतने ही जल्दी शांत भी हो जाते हैं। ये एक बात को कई समय तक दिल में लगाए रखते हैं और उसी के बारे में विचार करते हैं, जिससे इनका स्वास्थ्य प्रभावित हो जाता है। यह लोग बाहर से भले की सख्त दिखाई दें लेकिन अंदर से यह काफी नम्र दिल के होते हैं। हालांकि धोखा देने वाले को यह कभी माफ नहीं करते। इन जातकों का कमाल का सेंस ऑफ ह्यूमर होता है और ये हास्य संबंधित बातों से जल्दी आकर्षित होते हैं। इनके पास बच्चों की तरह गुणवत्ता है और ये अपनी वास्तविक उम्र से छोटे दिखते हैं।

वैशाख मास में दान का महत्व व किन चीज़ों का करना चाहिए दान

धर्मग्रंथों में वैशाख मास को अत्यंत पवित्र और पुण्यदायी बताया गया है। साथ ही, देव आराधना, दान, पुण्य के लिए श्रेष्ठ मास बताया गया है। इस माह में भगवान विष्णु की पूजा करना शुभ माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस माह में प्याऊ लगाना, छायादार वृक्ष की रक्षा करना, पशु-पक्षियों के लिए दाना व पानी डालना, राहगीरों को जल पिलाना जैसे काम करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। तो आइए जानते हैं इस माह में किन चीज़ों के दान करने का महत्व है।

  • स्कंद पुराण के अनुसार, इस माह में जल दान करना बेहद शुभ माना जाता है। माना जाता है कि जो फल सब तीर्थों के दर्शन से प्राप्त होता है, वहीं पुण्य फल वैशाख मास में सिर्फ जल का दान करने से होता है। जल दोन को समस्य दानों से बढ़कर बताया गया है।
  • वैशाख मास में सड़क पर यात्रियों के लिए प्याऊ लगाना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने वाले व्यक्ति को सीधे विष्णुलोक की प्राप्ति होती है। प्याऊ देवताओं, पितरों और ऋषि-मुनियों को अत्यंत प्रिय है।पंखा दान करना
  • इस माह में गरीबों और जरूरतमंदों को पंखे दान करना चाहिए। माना जाता है कि पंखों का दान करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति सभी पापों से मुक्ति पाता है।
  • इस माह में जो व्यक्ति ब्राह्मण या भूखे जीव को भोजन करवाता है तो उसको अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • शास्त्र कहते हैं कि जो विष्णुप्रिय वैशाख मास में किसी जरूरतमंद व्यक्ति को पादुका या जूते-चप्पल दान करता हैं, वह यमदूतों का तिरिस्कार करके भगवान श्री हरि के लोक में जाता है।
  • इसके अलावा, इस माह में जरूरतमंदों व गरीबों को वस्त्र, फल और शरबत दान करना चाहिए। ऐसा करने से देवी-देवताओं के साथ-साथ पितृ भी प्रसन्न होते हैं और अपना विशेष आशीर्वाद प्रदान करते है। इसी प्रकार घी का दान करने वाला मनुष्य अश्वमेघ यज्ञ का फल पाकर विष्णु लोक में आनंद का अनुभव करता है।

वैशाख मास में भगवान विष्णु की पूजा का महत्व

वैशाख महीने में भगवान विष्णु के अवतारों की विशेष पूजा करने की भी परंपरा है। इस पवित्र महीने में भगवान के परशुराम, नृसिंह, कूर्म और बुद्ध अवतार की पूजा की जाती है। वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष में भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए व्रत-उपवास किए जाते हैं। इस महीने में पीपल की पूजा करने का भी विधान क्योंकि माना जाता है पीपल के पेड़ में भगवान विष्णु का वास होता है इसलिए रोजाना पीपल के पेड़ की जड़ में जल अवश्य चढ़ाएं और शाम के समय सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। इसके अलावा, भगवान विष्णु को सबसे प्रिय लगने वाली तुलसी की भी पूजा करनी चाहिए। माना जाता है कि इस दिन यदि भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाए तो सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। इस महीने में भगवान विष्णु को अलग-अलग पकवानों का भोग लगाएं और भोग में तुलसी दल जरूर चढ़ाएं।

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वैशाख मास के दौरान इन बातों का रखें ध्यान

  • जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि वैशाख मास में स्नान-दान का विशेष महत्व है इसलिए इस मास में पवित्र स्नान करने से और जल का दान करने से व्यक्ति को विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
  • वैशाख मास में भगवान विष्णु की विशेष रूप से पूजा की जाती है, साथ ही इस महीने में कई महत्वपूर्ण हिन्दू व्रत एवं त्योहार मनाए जाते हैं। इसलिए इस महीने में पूजा-पाठ का विशेष ध्यान रखें और नियमित रूप से सूर्य को जल जरूर देना चाहिए।
  • स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से वैशाख मास में व्यक्ति को जल का सेवन सर्वाधिक करना चाहिए और मसालेदार चीजों के सेवन से परहेज करना चाहिए। 
  • इस महीने में गर्मी बहुत तेजी से पड़ती है और इस वजह से तमाम तरह की संचारी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है इसलिए अपना विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए।
  • इस महीने में जल का प्रयोग बढ़ा देना चाहिए और तेल व मसालेदार चीज़ों का सेवन कम मात्रा में करना चाहिए।
  • जहां तक संभव हो सत्तू और रसदार फलों का प्रयोग करना चाहिए और देर तक सोने से भी बचना चाहिए।
  • इस महीने में अक्षय तृतीया का दिन मांगलिक कार्य और शुभ चीजों की खरीदारी के लिए श्रेयस्कर माना जाता है। कहा जाता है कि जो इस दिन सोना, चांदी, वाहन, भूमि, आदि की खरीदी करता है उन चीजों में वृद्धि होती है और घर में संपन्नता आती है इसलिए सोना या चांदी का आभूषण इस दिन जरूर खरीदें।

वैशाख महीने में इन मंत्रों का करें जाप

  • आर्थिक लाभ के लिए – “ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मी वासुदेवाय नमः”
  • संतान प्राप्ति के लिए – – “ॐ क्लीं कृष्णाय नमः”
  • सर्वकल्याण के लिए – “ॐ नमो नारायणाय”
  • इसके अलावा सूर्य को जल अर्पित करना भी इस महीने विशेष फलदायी माना जाता है।

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वैशाख माह में किए जाने वाले आसान उपाय

वैशाख माह के दौरान कई उपाय हैं, जिन्हें जरूर अपनाना चाहिए। माना जाता है कि इन उपायों को करने से व्यक्ति को हर प्रकार की समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है। तो आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में:

धन समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए

यदि आपके पास पैसा नहीं टिकता है और आपका आमदनी से ज्यादा आपके खर्चे हैं तो ऐसे में, वैशाख माह में पड़ने वाले शुक्रवार के दिन सुबह स्नान करने के बाद लाल वस्त्र धारण करें और माता लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करें। इसके बाद उन्हें जटा वाला नारियल, कमल का फूल, सफेद कपड़ा, दही और सफेद मिठाई अर्पित करें। इसके बाद पूजा में रखा नारियल एक साफ लाल रंग के कपड़े में लपेट कर किसी ऐसी जगह पर रखें जहां किसी की नज़र न पड़े। ऐसा करने से धन की समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है।

नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने के लिए

यदि आपको लग रहा है कि आपके घर में नकारात्मक ऊर्जाओं का वास है तो ऐसे में, वैशाख के महीने में नारियल पर काजल का टीका लगाकर इसे घर के हर एक कोने में ले जाएं और उसके बाद इसे बहती नदी में प्रवाहित कर दें। ऐसा करने से घर से नकारात्मकता दूर होगी और सकारात्मक ऊर्जा का वास होगा।

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राहु-केतु दोष से छुटकारा पाने के लिए

जो जातक कुंडली में राहु और केतु दोष से परेशान हैं उनके लिए वैशाख महीने में नारियल का यह टोटका काफी कारगर सिद्ध होगा। इसके लिए आपको एक नारियल शनिवार के दिन दो भागों में बांटकर इसमें शक्कर डालनी होगी। इसके बाद किसी सुनसान जगह पर ले जाकर इसे जमीन में गाड़ दें। ध्यान रहें कि ऐसा करते वक्त कोई देखें न। माना जाता है कि ऐसा करने से जैसे-जैसे जमीन में रहने वाले कीड़े इन्हें खाते हैं वैसे-वैसे आप इन ग्रह दोषों से छुटकारा पाएंगे।

रोगों से छुटकारा पाने के लिए

इसके अलावा, यदि आपको किसी प्रकार की बीमारी या स्वास्थ्य समस्या परेशान कर रही है तो वैशाख माह के महीने में शिवलिंग पर दही-शक्कर का घोल चढ़ाएं। ऐसा करने से सभी प्रकार के रोगों से आपको छुटकारा मिल सकता है। 

वैशाख मास 2024: राशि अनुसार उपाय

मेष राशि व वृश्चिक राशि

मेष और वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल हैं। इन राशि के जातकों को वैशाख के महीने में आटा, चीनी, गुड़, सत्तू,फल या मीठे व्यंजनों का दान करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है। साथ ही, धन-संपत्ति का लाभ होता है। इसके अलावा, यदि जातक भूमि-भवन से जुड़ी समस्याएं झेल रहा है तो वह भी दूर होता है।

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वृषभ राशि और तुला राशि

वृषभ और तुला राशि के स्वामी शुक्र हैं। इन राशि के जातकों को वैशाख महीने में इन राशि के जातकों को कलश में जल भरकर दान करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से आपको धन की कभी कमी नहीं होगी और खूब धन लाभ होगा। साथ ही, शुक्र दोष का प्रभाव भी कम होगा। इन राशि के लोगों को इस पवित्र महीने में सफेद वस्त्रों, दूध, दही, चावल, खांड आदि का दान भी करना चाहिए।

मिथुन राशि और कन्या राशि

मिथुन व कन्या राशि के स्वामी बुध हैं। मिथुन राशि के जातकों को वैशाख महीने में मूंग की दाल, हरी सब्जियां और गाय को चारा खिलाना चाहिए। मान्यता है कि इससे घर में सुख समृद्धि आती है और धन लाभ की प्राप्ति होती है। साथ ही, मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।

कर्क राशि

कर्क राशि के स्वामी चंद्रमा हैं। इस राशि से संबंधित लोगों को वैशाख महीने में यदि संभव हो तो चांदी, मोती का दान करना चाहिए। इसके अलावा, खीर, चावल, चीनी, घी और जल का दान करना भी इनके लिए शुभ साबित होगा। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।

सिंह राशि 

इस राशि के स्वामी सूर्य देव हैं। इस राशि के जातक को वैशाख महीने में नियमित रूप से सूर्य को जल देना चाहिए तथा गुड, गेहूं, सत्तू, तांबा आदि का दान करना चाहिए। ऐसा करने से भगवान सूर्य नारायण की विशेष कृपा प्राप्त होती है और बेहतर स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

धनु राशि और मीन राशि 

धनु राशि व मीन राशि के स्वामी बृहस्पति हैं। बृहस्पति देव की कृपा पाने के लिए इन राशियों के जातकों के लिए इस महीने पीले कपड़े, हल्दी, पपीता, चना, चने की दाल, केसर, पीली मिठाइयां, पीला फल व जल का दान करना बेहद लाभकारी साबित होगा। मान्यता है कि ऐसा करने से दांपत्य जीवन सुखमय रहता है और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति होती है।

मकर राशि और कुंभ राशि 

मकर और कुंभ राशि के स्वामी शनिदेव हैं। जन्म कुंडली में शनि के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए तथा शुभ प्रभाव प्राप्त करने के लिए वैशाख महीनों में किसी बर्तन में तिल का तेल रखकर घर के पूर्वी किनारे पर रखें, धन लाभ होगा। इस दिन तिल, नारियल, चने का सत्तू, गरीब और असहाय लोगों के लिए वस्त्र और दवाइयों का दान करने से समय अनुकूल रहेगा।

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मंगल की राशि में शुक्र का गोचर, किन राशियों के लिए साबित होगा वरदान और किनकी बढ़ाएगा मुश्किलें!

एस्ट्रोसेज का यह विशेष ब्लॉग आपको शुक्र का मेष राशि में गोचर से जुड़ी सारी जानकारी प्रदान करेगा जैसे तिथि, समय एवं प्रभाव आदि। साथ ही, इस गोचर का आपके वैवाहिक जीवन पर कैसा असर पड़ेगा? किन राशियों की बढ़ेगी समस्याएं और किन राशियों को मिलेंगे शुभ परिणाम? क्या व्यापार में मिलेगी सफलता? क्या आपका प्रेम जीवन प्रेम से रहेगा पूर्ण या रिश्ते में होगी तकरार? इन सभी सवालों के जवाब आपको इस ब्लॉग में मिलेंगे। साथ ही, जिन जातकों की कुंडली में शुक्र ग्रह कमज़ोर हैं, उन्हें शुक्र को मज़बूत करने के लिए कौन से सरल तथा अचूक उपायों करने चाहिए आदि से भी हम आपको अवगत करवाएंगे।

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जैसे कि हम आपको ऊपर बता चुके हैं कि अब शुक्र देव जल्द ही मंगल ग्रह की राशि मेष में प्रवेश करने जा रहे हैं तो, ऐसे में इसका असर सभी के जीवन पर पड़ना निश्चित है। हालांकि, शुक्र  का यह राशि परिवर्तन मंगल की राशि में होने जा रहा है और इन दोनों के रिश्ते एक-दूसरे के साथ ज्यादा अच्छे नहीं है। मंगल और शुक्र के बीच संबंध तटस्थ हैं, परन्तु फिर भी इसे अच्छा नहीं कहा जा सकता है। ऐसे में, यह देखना दिलचस्प होगा कि मेष राशि समेत 12 राशियों पर शुक्र गोचर का कैसा प्रभाव पड़ेगा। लेकिन उससे पहले जानते हैं शुक्र के मेष राशि में गोचर की तिथि एवं समय के बारे में। 

शुक्र का मेष राशि में गोचर: तिथि और समय 

ज्योतिष में शुक्र को प्रेम एवं सुख का कारक ग्रह कहा गया है जो अब अपनी राशि में बदलाव करने जा रहे हैं। बता दें कि सामान्यरूप से शुक्र ग्रह 23 दिनों तक एक राशि में रहते हैं और इसके परिणामस्वरूप, यह हर महीने एक राशि से दूसरी राशि में गोचर करते हैं। शुक्र देव 24 अप्रैल 2024 की रात 11 बजकर 44 मिनट पर मेष राशि में गोचर कर जाएंगे। यह गोचर विश्व समेत सभा 12 राशियों को प्रभावित करने का सामर्थ्य रखता है। अब हम आगे बढ़ते हैं और जानते हैं शुक्र ग्रह का ज्योतिष में महत्व। 

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ज्योतिष में शुक्र ग्रह का महत्व 

वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह को महत्वपूर्ण ग्रह का दर्जा प्राप्त है क्योंकि यह एक लाभदायक और शुभ ग्रह माना गया है। यह व्यक्ति को जीवन में वैवाहिक सुख, भोग विलास, कला, प्रेम और सौंदर्य आदि प्रदान करते हैं। राशि चक्र में शुक्र वृषभ और तुला राशि के स्वामी हैं और इन्हें 27 नक्षत्रों में से भरणी, पूर्वा फाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्रों के अधिपति देव माना गया है। अगर हम बात करें शुक्र के मित्र ग्रहों की तो, शनि और बुध ग्रह के साथ शुक्र मित्रवत संबंध रखते हैं। वहीं, यह सूर्य और चंद्रमा के प्रति शत्रुता का भाव रखते हैं। 

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा 

हालांकि, अगर व्यक्ति की कुंडली में शुक्र की स्थिति शुभ या मज़बूत होती है, तो यह उस इंसान के जीवन को सुख-सुविधाओं से भर देते हैं। ऐसे लोगों की रुचि संगीत, नाटक, लेखन आदि क्षेत्रों में होती है और साथ ही, इन जातकों का वैवाहिक जीवन भी सुख-शांति व प्रेम से पूर्ण रहता है। लेकिन, यदि किसी की कुंडली में शुक्र ग्रह अशुभ या कमज़ोर स्थिति में होते हैं, यह जातकों के जीवन को निर्धनता और आलस्य से भर देते हैं। साथ ही, इन्हें करीबी लोगों के साथ रिश्ते में बहस या विवाद, प्रेम जीवन में तनाव और समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कमज़ोर शुक्र जहां एक तरफ पुरुषों में कामुक शक्तियों को कमज़ोर करता है, तो महिलाओं में यह गर्भपात का कारण बनता है। 

ज्योतिष में शुक्र को ‘भोर का तारा’ भी कहा जाता है। यह करियर के क्षेत्र में मनोरंजन, शो, ग्लैमर, फैशन, गहने, कला, मेकअप, लक्जरी यात्रा, संगीत, कविता, डिजाइनिंग एवं अन्य रचनात्मक कार्यों से जुड़े क्षेत्रों को दर्शाते हैं। इसके अलावा, शुक्र देव की कृपा से ही व्यक्ति को माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 

मेष राशि में शुक्र की विशेषताएं

राशि चक्र की पहली राशि मेष में शुक्र का गोचर थोड़ा अच्छा माना जाता है जो निडरता और व्यक्तिवाद की राशि है। शुक्र और मेष राशि का संयुक्त प्रभाव होने की वजह से आप खुद को अभिव्यक्त कर सकेंगे। मेष राशि में शुक्र के गोचर की वजह से आपके जीवन में ऊर्जा, जुनून, स्वतंत्रता और खुद को जानने के अवसर लेकर आएगा।

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शुक्र के कमज़ोर होने के संकेत

अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र कमज़ोर होता है, उन्हें जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कुंडली में शुक्र की कमज़ोर स्थिति का पता इन विशेष संकेतों से चल सकता है।

  • जिन लोगों का शुक्र दुर्बल होता है, उन्हें संतान प्राप्ति की राह में बाधाओं से जूझना पड़ सकता है। 
  • इन लोगों के जीवन में धन का अभाव रहता है और इनके सामने आर्थिक संकट उत्पन्न होते हैं। 
  • कुंडली में शुक्र की स्थिति अशुभ होती है, तो इन्हें किडनी, शुगर, मूत्र, आंत आदि से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं परेशान कर सकती हैं।
  • शुक्र दुर्बल होने पर प्रेम जीवन में पार्टनर के साथ तनाव, बहस या रिश्ते में उतार-चढ़ाव बना रहता है। 
  • ऐसे जातकों का वैवाहिक जीवन समस्याओं से भरा रहता है। 

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शुक्र के मज़बूत होने के संकेत 

  • शुक्र के मज़बूत होने पर जातकों को अपने जीवन में कभी भी भौतिक सुख-सुविधाओं की कमी नहीं होती है।
  • जिन लोगों की कुंडली में शुक्र शुभ होता है, वह समाज में मान-सम्मान हासिल करते हैं। 
  • ऐसे जातक नौकरी के क्षेत्र में तरक्की प्राप्त करते हैं और व्यापार के क्षेत्र में भी अपार लाभ मिलता है। 
  • शुक्र की स्थिति अच्छी होने पर व्यक्ति के पास काफी धन-संपत्ति होती है। 

शुक्र ग्रह से शुभ परिणाम पाने के लिए करें ये अचूक उपाय   

  • माता लक्ष्मी की शुक्रवार के दिन पूजा-अर्चना करें और उन्हें पांच लाल फूल चढ़ाएं।
  • शुक्रवार के दिन मंदिर में महिला पुजारियों को सफेद मिठाई का दान करना श्रेष्ठ रहेगा।
  • प्रतिदिन “ऊँ शुक्राय नम:” का 108 बार जाप करें।
  • शुक्र देव की कृपा दृष्टि पाने के लिए अपने दाहिने हाथ की छोटी उंगली में अच्छी क्वालिटी का ओपल या सोने में बना हुआ हीरा धारण करें। लेकिन, किसी अच्छे ज्योतिषी से सलाह लेने के बाद ही ऐसा करें। 
  • शुक्रवार के दिन क्रीम या गुलाबी रंग के वस्त्र पहनें।
  • यदि आपके शादीशुदा जीवन में समस्याएं चल रही हैं, तो अपने कमरे में रोज क्वार्ट्ज स्टोन को रखना उत्तम रहेगा।

चलिए अब नज़र डालते हैं शुक्र का मेष राशि में गोचर सभी 12 राशियों को कैसे प्रभावित करेगा।  

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शुक्र का मेष राशि में गोचर: सभी राशियों पर राशि अनुसार प्रभाव

मेष राशि

मेष राशि के जातकों के लिए शुक्र परिवार, धन और वाणी के दूसरे घर और विवाह और साझेदारी के सातवें घर का स्वामी है और अब यह आपके स्वयं और चरित्र के पहले…(विस्तार से पढ़ें)

वृषभ राशि

वृषभ राशि के जातकों के लिए शुक्र पहले घर का स्वामी है जो आत्म, चरित्र और व्यक्तित्व से जुड़ा भाव माना जाता है। साथ ही आपके छठे घर जिसे ऋण, शत्रु और मुकदमे बाजी का…(विस्तार से पढ़ें)

मिथुन राशि

मिथुन राशि के जातकों के लिए शुक्र पंचम भाव जिसे प्यार, रोमांस और संतान का भाव कहा जाता है और मोक्ष और व्यय के 12वें घर का स्वामी है और आप यह आपके वित्तीय…(विस्तार से पढ़ें)

कर्क राशि

कर्क राशि के जातकों के लिए शुक्र आराम, मां और खुशियों से जुड़े चतुर्थ भाव और भौतिक लाभ और इच्छा के 11वें घर का स्वामी है और अब यह आपके पेशे, नाम और प्रसिद्धि…(विस्तार से पढ़ें)

सिंह राशि

सिंह राशि के जातकों के लिए शुक्र छोटी दूरी की यात्रा, पड़ोसी, नाम, प्रसिद्धि,, मान्यता के दसवें और तीसरे घर का स्वामी है और अब धर्म, पिता और लंबी दूरी की यात्रा के नवम भाव में…(विस्तार से पढ़ें)

कन्या राशि

कन्या राशि के जातकों के लिए शुक्र दूसरे घर जिसे धन, परिवार और वाणी का घर कहा जाता है और नवां भाव जो धर्म, भाग्य और उच्च अध्ययन का भाव है का स्वामी है। इस समय शुक्र आपके …(विस्तार से पढ़ें)

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तुला राशि

तुला राशि के जातकों के लिए शुक्र लग्न भाव का स्वामी है जो स्वयं और व्यक्तित्व से जुड़ा घर माना जाता है साथ ही ये आठवें भाव का भी स्वामी है जिसे दीर्घायु, अचानक हानि/लाभ से जुड़ा…(विस्तार से पढ़ें)

वृश्चिक राशि

वृश्चिक राशि के जातकों के लिए शुक्र मोक्ष के बारहवें और विवाह और साझेदारी के सातवें भाव का स्वामी है और अब यह कर्ज, बीमारियों के…(विस्तार से पढ़ें)

धनु राशि

धनु राशि के जातकों के लिए शुक्र छठे और 11वें भाव जिन्हें बीमारी और दुश्मनों और भौतिक लाभ और इच्छा का घर माना जाता है इनका स्वामी…(विस्तार से पढ़ें)

मकर राशि

मकर राशि के जातकों के लिए शुक्र प्यार, रोमांस और संतान से जुड़े पांचवें घर और नाम प्रसिद्धि और मान्यता के दसवें घर का स्वामी है। अपने इस गोचर के दौरान शुक्र…(विस्तार से पढ़ें)

कुंभ राशि

कुंभ राशि के जातकों के लिए शुक्र आराम, विलासत्ता के चौथे और उच्च अध्ययन और धर्म के नवम भाव का स्वामी है। अब शुक्र भाई बहन, शौक और छोटी दूरी की यात्रा के तीसरे…(विस्तार से पढ़ें)

मीन राशि

मीन राशि के जातकों के लिए शुक्र तीसरे घर जो कि भाई बहनों, निश्चित यात्रा और दीर्घायु का भाव कहा जाता है और अचानक हानि लाभ के…(विस्तार से पढ़ें)

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चैत्र पूर्णिमा पर करें ये उपाय, माता लक्ष्मी की कृपा से आर्थिक समस्याएं होंगी दूर; धन-धान्य का मिलेगा आशीर्वाद!

चैत्र पूर्णिमा 2024: सनातन धर्म में पूर्णिमा को एक विशेष स्थान प्राप्त है क्योंकि इस तिथि पर अनेक तरह के धार्मिक अनुष्ठान व व्रत आदि किये जाते हैं। एक वर्ष में कुल 12 पूर्णिमा तिथि आती है और प्रत्येक माह की पूर्णिमा का अपना विशिष्ट महत्व होता है। एस्ट्रोसेज का यह ब्लॉग आपको चैत्र पूर्णिमा की तिथि, महत्व एवं पूजा मुहूर्त आदि के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान करेगा। इसके अलावा, हम आपको इस पूर्णिमा से जुड़े रोचक तथ्य, मान्यताएं और इस दिन क्या करें और क्या न करें आदि से भी रूबरू करवाएंगे। साथ ही, जो लोग धन से जुड़ी समस्याओं से जूझ रहे हैं और इनसे मुक्ति पाना चाहते हैं, उनके लिए चैत्र पूर्णिमा का दिन बेहद खास होता है क्योंकि यह तिथि माता लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है। इस दिन किये गए कुछ उपायों से आप धन की देवी को प्रसन्न कर सकते हैं। यदि आप भी जानना चाहते हैं उन उपायों के बारे में, तो इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ना जारी रखें। 

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भारत में चैत्र पूर्णिमा को हिंदुओं द्वारा एक त्योहार के रूप में मनाया जाता है। यह पूर्णिमा तमिल लोगों के लिए विशेष मायने रखती है। चैत्र मास हिन्दू नव वर्ष का पहला महीना होता है इसलिए इस महीने आने वाली पूर्णिमा भी पहली पूर्णिमा होने की वजह से चैत्र पूर्णिमा के महत्व में वृद्धि हो जाती हैं। यह पूर्णिमा अत्यंत विशेष होती है क्योंकि इस दिन हनुमान जयंती का त्योहार भी मनाया जाता है। साल भर की अन्य पूर्णिमाओं के समान ही चैत्र पूर्णिमा के दिन व्रत करने का महत्व है।

चैत्र पूर्णिमा 2024: तिथि एवं मुहूर्त  

पंचांग के अनुसार, चैत्र हिंदू वर्ष का पहला महीना होता है और इस महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को चैत्र पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस पूर्णिमा को मधु पूर्णिमा और चैती पूनम भी कहा जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, चैत्र का महीना सामान्य रूप से मार्च या अप्रैल में आता है और इसी महीने के अंतिम दिन चैत्र पूर्णिमा आती है। इस पूर्णिमा पर भक्त व्रत रखकर चंद्र देव की पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही, भगवान विष्णु की पूजा का भी विधान है और इस दिन भक्त सत्यनारायण की कथा सुनते हैं। साल 2024 में चैत्र पूर्णिमा 23 अप्रैल को पड़ रही है। 

चैत्र पूर्णिमा तिथि एवं पूजा मुहूर्त:

चैत्र पूर्णिमा की तिथि: 23 अप्रैल 2024, मंगलवार 

पूर्णिमा तिथि का आरंभ: 23 अप्रैल 2024 की रात 03 बजकर 27 मिनट से,  

पूर्णिमा तिथि समाप्त: 24 अप्रैल 2024 की सुबह 05 बजकर 20 मिनट पर 

 

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चैत्र पूर्णिमा का महत्व

हिंदू धर्म में चैत्र पूर्णिमा को बहुत शुभ एवं पवित्र माना जाता है। नए वर्ष की पहली पूर्णिमा होने की वजह से चैत्र पूर्णिमा का महत्व कई गुना बढ़ जाता है। इस तिथि पर भगवान विष्णु, हनुमान जी समेत अनेक देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की जाती है। चैत्र पूर्णिमा पर भक्त जगत के पालनहार श्री हरि विष्णु की कृपा दृष्टि पाने के लिए सच्चे हृदय से उनकी उपासना करते हैं। 

इसके अलावा, चैत्र पूर्णिमा को मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के परम भक्त हनुमान जी के जन्मोत्सव के रूप में भी मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, हनुमान जी का जन्म चैत्र मास की पूर्णिमा को हुआ था इसलिए इस दिन हनुमान जयंती मनाई जाती है। कहा जाता है कि संकटमोचन हनुमान जी का जन्म मंगलवार के दिन हुआ था इसलिए अगर चैत्र पूर्णिमा मंगलवार के दिन पड़ती है, तो इसका महत्व बढ़ जाता है। मान्यता है कि इस पूर्णिमा के दिन वायुपुत्र हनुमान जी की आराधना करने से व्यक्ति के जीवन के समस्त कष्टों का अंत होता है तथा दुख एवं दरिद्रता भी दूर हो जाती है। कहते हैं कि चैत्र पूर्णिमा के दिन व्रत एवं पूजा करने से व्यक्ति के सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। 

श्री हरि, चंद्र देव समेत लक्ष्मी माँ का मिलता है आशीर्वाद 

धर्मसिंधु ग्रंथ और ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि चैत्र माह की पूर्णिमा पवित्र नदी के जल में स्नान, दान और व्रत आदि करने के लिए कल्याणकारी होती है। इस दिन भगवान विष्णु के पूजन से आपके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। चैत्र पूर्णिमा पर धन-धान्य की देवी लक्ष्मी जी की पूजा करने से अपार धन-संपत्ति की प्राप्ति होती है। साथ ही, आपका जीवन धन-धान्य और ऐश्वर्य से पूर्ण रहता है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। आपको कभी भी धन का अभाव नहीं होता है। 

यह तिथि चंद्र पूजन के लिए उत्तम होती है क्योंकि इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं के साथ आकाश में अपनी चांदनी बिखेरता है। पूर्णिमा के दिन व्रत करने और चंद्रमा की आराधना करने से कुंडली में उपस्थित चंद्र दोष का निवारण होता है। साथ ही, चंद्रमा को जल का अर्घ्य देने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

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चैत्र पूर्णिमा पर चित्रगुप्त के पूजन से नष्ट होते हैं पाप 

चैत्र पूर्णिमा का दिन दक्षिण भारत में भी महत्वपूर्ण माना गया है जो भगवान चित्रगुप्त को समर्पित होता है। आपको बता दें कि चित्रगुप्त मृत्यु के देवता यमराज के सहायक हैं और पूरी दुनिया में जन्म और मृत्यु का लेखा-जोखा अपने पास रखते हैं। साथ ही, यह संसार में प्रत्येक व्यक्ति द्वारा किये जाने वाले अच्छे और बुरे कार्यों का हिसाब रखते हैं जिसके अनुसार उन्हें पुरस्कृत या दंडित किया जाता है। इस पूर्णिमा के दिन चित्रगुप्त जी की पूजा विधि-विधान से की जाती है। 

चैत्र पूर्णिमा का दिन चित्रगुप्त की कृपा पाने के लिए श्रेष्ठ होता है। इस तिथि पर भक्तजन चित्रगुप्त की पूजा करते हैं और जाने-अनजाने में अपने द्वारा किए गए सभी पापों के लिए क्षमा प्रार्थना करते हैं। मनुष्य के अच्छे-बुरे कर्मों के आधार पर मृत्यु के बाद व्यक्ति की आत्मा स्वर्ग या नरक में जाएगी, यह निर्धारित किया जाता है। चैत्र पूर्णिमा पर चित्रगुप्त की उपासना करने से मनुष्य को उनके बुरे कर्मों से मुक्ति मिलती है। इस दिन सर्व योनि कर्म पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। यह पूजा भक्तों को देवताओं का आशीर्वाद पाने और पिछले जन्म के पाप को नष्ट करने के लिए सर्वश्रेष्ठ होती हैं।

चैत्र पूर्णिमा का ज्योतिषीय महत्व

धार्मिक दृष्टि के अलावा ज्योतिषीय दृष्टि से भी चैत्र पूर्णिमा का एक विशिष्ट स्थान है। चैत्र हिंदू वर्ष का पहला महीना होता है और इसी महीने में सूर्य अपने नए राशि चक्र की शुरुआत करते हैं।  ऐसे में, चैत्र में सूर्य अपनी उच्च राशि मेष में स्थित होते हैं जबकि चंद्रमा तुला राशि के नक्षत्र में एक तारे चैत्र के साथ संरेखित होते हैं इसलिए इस तिथि को चैत्र पूर्णिमा कहा जाता है। इस तिथि को सृजन और अभिव्यक्ति के लिए एक शक्तिशाली अवधि माना गया है। सामान्य शब्दों में कहें, तो इस दौरान मन में पैदा होने वाले विभिन्न तरह के विचारों को संतुलित करना शुरू कर देता है।

मेष राशि में उपस्थित उच्च के सूर्य व्यक्ति की आत्मा को सक्रिय करते हैं तथा मनुष्य को अच्छे “कर्म” करने की शक्ति देते हैं क्योंकि यह कर्म हमारे वर्तमान के साथ-साथ भविष्य को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

चैत्र पूर्णिमा व्रत की पूजा विधि

चैत्र पूर्णिमा के अवसर पर अनेक धर्म-कर्म के कार्य संपन्न किये जाते हैं जिनमें से स्नान, दान, हवन, व्रत और जप आदि प्रमुख हैं। इस पूर्णिमा पर भगवान सत्यनारायण की पूजा करना और गरीब व जरूरतमंदों को दान करना फलदायी होता है। लेकिन, चैत्र पूर्णिमा व्रत की पूजा विधिपूर्वक करना  भी आवश्यक होता है इसलिए यहाँ हम आपको चैत्र पूर्णिमा 2024 व्रत की सही एवं सरल पूजा विधि प्रदान कर रहे हैं।

  • चैत्र पूर्णिमा के दिन सर्वप्रथम प्रातः काल जल्दी उठकर स्नान करें। संभव हो, तो सूर्योदय से पूर्व किसी पवित्र नदी, जलाशय, कुआं या बावड़ी में स्नान करें। 
  • स्नान के पश्चात सूर्य मंत्र का जाप करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य दें।
  • अब पूर्णिमा व्रत का संकल्प करें और फिर भगवान सत्यनारायण की पूजा करें। 
  • रात के समय विधि-विधान से चंद्र देव की पूजा करने के उपरांत उन्हें जल अर्पित करें। 
  • पूजा होने के बाद व्रती कच्चे अन्न से भरा हुआ घड़ा किसी गरीब को दान में दें। 

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चैत्र पूर्णिमा पर किये जाने वाले धार्मिक अनुष्ठान

  • चैत्र पूर्णिमा पर पवित्र जल में स्नान के बाद भगवान विष्णु और हनुमान जी की पूजा-अर्चना तथा उनका स्मरण करें।
  • भक्तजन श्री हरि की आराधना करते हुए ‘सत्यनारायण’ का व्रत करते हैं। इन जातकों को ‘सत्यनारायण कथा’ का पाठ करना चाहिए और शुद्ध व सात्विक भोजन बनाकर भगवान को प्रसाद के रूप में भोग लगाना चाहिए। चैत्र पूर्णिमा पर सत्यनारायण की पूजा में फल, सुपारी, केले के पत्ते, मोली, अगरबत्ती, और चंदन का लेप आदि विष्णु जी को अर्पित करें। 
  • इसके अलावा, इस पूर्णिमा तिथि पर मंदिरों में अनेक प्रकार के धार्मिक आयोजन किए जाते हैं। चैत्र पूर्णिमा की संध्या के समय चंद्र देव को ‘अर्घ्य’ दिया जाता है।
  • चैत्र पूर्णिमा के अवसर पर व्यक्ति अपने सामर्थ्य के अनुसार दान आदि करता है और इनमें से एक प्रमुख परंपरा है ‘अन्ना दान’ जिसके तहत गरीबों को भोजन, वस्त्र, धन आदि आवश्यक वस्तुएं दी जाती हैं।

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चैत्र पूर्णिमा की पौराणिक कथा 

चैत्र पूर्णिमा से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, एक नगर में सेठ-सेठानी रहते थे। सेठानी प्रतिदिन श्री हरि की पूजा करते थी, लेकिन सेठानी का पूजा-पाठ करना पति को पसंद नहीं था। इस वजह से सेठ ने अपनी पत्नी को घर से निकाल दिया और वह जंगल की तरफ जाने लगी, तब उसने देखा कि जंगल में चार आदमी मिट्टी की खुदाई कर रहे हैं। इसे देखने के बाद सेठानी बोली कि आप मुझे किसी काम पर रख लें। 

उन्होंने सेठानी को नौकरी पर रख लिया, परंतु सेठानी की कोमलता की वजह से उसके हाथ में छाले हो गए। इस पर चारों आदमी ने सेठानी को अपने घर का काम करने को कहा। सेठानी मान गई और वह चारों उसे अपने घर ले गए। वह चारों आदमी चार मुट्ठी चावल लेकर आते और मिल-बांटकर खा लेते जिसे देखकर सेठानी को बुरा महसूस होता था, तब सेठानी ने उन चारों आदमी को 8 मुट्ठी चावल लेकर आने को कहा। 

वह चारों आदमी 8 मुट्ठी चावल लाएं और उन चावलों से सेठानी ने भोजन बनाया। विष्णु जी को भोग लगाने के बाद सभी को भोजन परोसा। चारों आदमियों को भोजन अत्यंत स्वादिष्ट लगा और उन्होंने सेठानी से इसका रहस्य पूछा, तब सेठानी ने उन्हें बताया कि यह भोजन भगवान विष्णु का झूठा है इसलिए आपको स्वादिष्ट लग रहा है। सेठानी के घर छोड़कर जाने के बाद से सेठ भूखा रहने लगा और लोग उसे ताने मारने लगे थे। यह बातें सुनकर सेठ सेठानी को ढूंढ़ने के लिए निकल गया और रास्ते में वही चार आदमी मिट्टी खोदते हुए मिले, उनसे सेठ ने कहा कि आप मुझे काम पर रख लो। 

उन्होंने सेठ को भी काम पर रख लिया और सेठानी की तरह ही मिट्टी खोदने पर सेठ के हाथों में भी छाले हो गए। इसे देखने के बाद सेठ को भी घर का काम करने को कहा और सेठ भी उनके घर की तरफ चल दिया। वहां जाते ही सेठ सेठानी को पहचान गया, परंतु घूंघट की वजह से सेठानी सेठ को पहचान न सकी। रोज़ाना सेठानी खाना बनाकर भगवान विष्णु को भोग लगाकर सभी को खाना परोस देती थी। जब सेठानी सेठ को खाना परोसने लगी, तब विष्णु जी ने सेठानी का हाथ पकड़ा और कहा कि तुम ये क्या कर रही हो। सेठानी ने कहा, मैं बस भोजन परोस रही हूं। 

तब चारों भाई सेठानी से बोले, हम भी विष्णु जी के दर्शन करना चाहते हैं, तब सेठानी के प्रार्थना करने पर भगवान विष्णु ने उन सभी को दर्शन दिए। इसके बाद, सेठ ने सेठानी से क्षमा मांगी और उससे घर चलने के लिए कहा, तब चारों भाइयों ने अपनी बहन को बहुत सारा धन देकर विदा किया। इसके पश्चात सेठ भी विष्णु जी का भक्त बन गया और उनकी पूरी आस्था से भक्ति करने लगा। मान्यता है कि चैत्र पूर्णिमा का व्रत करने से सत्यनारायण भगवान के साथ-साथ बजरंगबली, राम जी और माता सीता का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। 

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देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए चैत्र पूर्णिमा पर करें ये उपाय

  1. चैत्र पूर्णिमा के दिन धन एवं ऐश्वर्य की देवी लक्ष्मी को लाल रंग के वस्त्र और सुहाग की सामग्री चढ़ाएं। ऐसा करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और उनके आशीर्वाद से आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं और सुख-सौभाग्य में निरंतर वृद्धि होती है। 
  2. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पीपल के पेड़ में माता लक्ष्मी का वास माना गया है इसलिए इस दिन सुबह-सवेरे स्नान के पश्चात पीपल की जड़ में जल और कच्चा दूध अर्पित करें। इसके बाद, देवी लक्ष्मी को बताशा और 5 तरह की मिठाई चढ़ाएं। इससे माता लक्ष्मी आपके धन संपत्ति में वृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। 
  3. पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी के महामंत्र “ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मी नमः” का कमलगट्टे की माला से जाप करें। इस उपाय को करने से देवी लक्ष्मी अपने भक्तों को अष्टलक्ष्मी का वर प्रदान करती हैं। 
  4. चैत्र पूर्णिमा की तिथि पर आप अपने घर के प्रवेश द्वार पर स्वास्तिक का निर्माण करें और इसे बनाने में हल्दी और जल का इस्तेमाल करें। इसके बाद, घर के मुख्य दरवाजे पर आम या अशोक के पत्तों से बनी बंदनवार या तोरण लगाएं। ऐसा करने से घर में माता लक्ष्मी का आगमन होता है। साथ ही, उनके साथ परिवार में सुख-समृद्धि भी आती है। 

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हनुमान जयंती 2024: इस दिन बन रहा है शुभ योग, आसान से उपायों से बना सकते हैं बिगड़ी किस्‍मत

कहा जाता है कि हनुमान जी अपने भक्‍तों की पुकार सबसे जल्‍दी सुन लेते हैं और उनकी पूजा करने वाले व्‍यक्‍ति पर कभी कोई संकट नहीं आता है। भूत-प्रेत से मुक्‍ति पानी हो या किसी संकट को दूर करना हो, संकटमोचन हनुमान जी अपने भक्‍तों की हर परेशानी को दूर करते हैं।

ज्‍योतिषशास्‍त्र में हनुमान जी की पूजा के लिए मंगलवार और शनिवार के दिन को शुभ माना गया है लेकिन हनुमान जयंती पर भी राम भक्‍त हनुमान की पूजा का बहुत महत्‍व है। हनुमान जी के जन्‍म दिवस को हनुमान जयंती के रूप में मनाया जाता है। हर साल चैत्र मास की पूर्णिमा को हनुमान जयंती मनाई जाती है। हालांकि, देश के कई हिस्‍सों में कार्तिक मास की कृष्‍ण पक्ष के चौदहवें दिन को हनुमान जयंती मनाई जाती है।

इस ब्‍लॉग में आगे विस्‍तार से बताया गया है कि हनुमान जयंती 2024 कब है, इसका क्‍या है और इस दिन किन ज्‍योतिषीय उपायों की मदद से श्रद्धालुओं के जीवन के कष्‍ट दूर हो सकते हैं।

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कब है हनुमान जयंती 2024

23 अप्रैल, 2024 को हनुमान जयंती का पर्व मनाया जाएगा और इस दिन मंगलवार का दिन पड़ रहा है। हनुमान जी के पूजन के लिए मंगलवार के दिन को बहुत शुभ माना जाता है इसलिए इस बार हनुमान जयंती और भी ज्‍यादा शुभ रहने वाली है।

23 अप्रैल, 2024 को सुबह 03 बजकर 27 मिनट से पूर्णिमा तिथि आरंभ होगी और इसका समापन 24 अप्रैल, 2024 की सुबह 05 बजकर 20 मिनट पर होगा। हनुमान जयंती पर वज्र योग बन रहा है। यह योग 23 अप्रैल, 2024 को सुबह 04 बजकर 27 मिनट से आरंभ हो रहा है और यह 24 अप्रैल, 2024 की सुबह 04 बजकर 55 मिनट तक रहेगा।

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वैदिक ज्‍योतिष में वज्र योग का महत्‍व

कुल 27 योगों में से 15वें स्‍थान पर वज्र योग आता है। इस योग का तत्‍व वरुण है और चंद्रमा इसके स्‍वामी ग्रह हैं। वज्र योग व्‍यक्‍ति को आध्‍यात्मिक शक्‍ति प्रदान करता है। इस योग के दौरान जन्‍मे जातकों का जीवन संपन्‍नता से परिपूर्ण होता है और समाज में इनकी प्रतिष्‍ठा बढ़ती है। ये महान योद्धा होते हैं और इनमें प्रशासनिक गुण भी विद्यमान होते हैं।

हनुमान जयंती का महत्‍व

चैत्र महीने की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जयंती मनाई जाती है। हनुमान जी को वानर देवता भी कहा जाता है और हनुमान जी के जन्‍म के उपलक्ष्‍य में यह जयंती मनाई जाती है। हालांकि, विभिन्‍न कैलेंडर के हिसाब से भिन्‍न क्षेत्रों में अलग-अलग समय पर हनुमान जयंती मनाई जाती है। दक्षिण भारत के राज्‍यों में चैत्र पूर्णिमा पर आने वाली हनुमान जयंती सबसे ज्‍यादा लोकप्रिय है।

आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में हनुमान जयंती 41 दिनों तक मनाई जाती है और इसकी शुरुआत चैत्र पूर्णिमा से होती है एवं वैशाख महीने की कृष्‍ण पक्ष की दशम तिथि पर इसका समापन होता है। आंध्र प्रदेश में श्रद्धालु चैत्र पूर्णिमा पर 41 दिनों की दीक्षा शुरू करते हैं और हनुमान जयंती पर इसका समापन होता है।

कर्नाटक में मार्गशीर्ष महीने के दौरान शुक्‍ल पक्ष त्रयोदशी को हनुमान जयंती मनाई जाती है। इस दिन को हनुमान व्रतम के नाम से जाना जाता है।

ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी सूर्योदय के समय पैदा हुए थे और हनुमान जयंती के दिन सूर्योदय से पहले ही आध्‍यात्मिक प्रवचन शुरू हो जाते हैं और सूर्योदय के बाद इनका समापन होता है।

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हनुमान जयंती की पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार अजंना नाम की एक अप्‍सरा ने श्राप के कारण धरती पर जन्‍म लिया था। अप्‍सरा को इस श्राप से तभी मुक्‍ति मिल सकती थी, जब वह एक संतान को जन्‍म देती। वाल्‍मीकि रामायण में उल्लिखित है कि केसरी, हनुमान जी के पिता थे और वे सुमेरू के राजा भी थे। बृहस्‍पति देव के पुत्र थे केसरी। संतान प्राप्ति के लिए अंजना ने 12 सालों तक भगवान शिव की कठोर तपस्‍या की थी। अंजना को संतान के रूप में हनुमान जी प्राप्‍त हुए। मान्‍यता है कि हनुमान जी भगवान शिव के ही अवतार हैं।

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हनुमान जयंती की पूजन विधि

हनुमान जयंती पर आप निम्‍न विधि से पूजन कर सकते हैं:

  • व्रत से पहले की रात्रि को जमीन पर सोएं और भगवान राम और माता सीता के साथ हनुमान जी के नाम का भजन करें।
  • हनुमान जयंती पर सुबह जल्‍दी उठकर राम-सीता और हनुमान जी का स्‍मरण करें। इसके बाद स्‍नान आदि से निवृत्‍त होकर हाथ में गंगाजल लेकर व्रत का संकल्‍प लें।
  • अब आप पूर्व की ओर हनुमान जी की मूर्ति स्‍थापित करें और हनुमान जी को लाल रंग के फूल, सिंदूर, अक्षत, पान का बीड़ा, लाल लंगोट, तुलसी दल और मोतीचूर के लड्डू चढ़ाएं। इसके बाद हनुमान चालीसा का पाठ कर के हनुमान जी की आरती करें। भोग में आप हलवा, केला या लड्डू भी चढ़ा सकते हैं। इस शुभ दिन पर बजरंग बाण और सुंदर कांड का पाठ भी करवा सकते हैं।

हनुमान जयंती के लिए ज्‍योतिषीय उपाय

अपने जीवन के कष्‍टों को दूर करने और मनोकामना की पूर्ति के लिए हनुमान जयंती पर निम्‍न उपाय कर सकते हैं:

  • अगर आपको अपने आसपास नकारात्‍मक ऊर्जा महसूस हो रही है या आपकी कोई मनोकामना पूर्ण नहीं हो पा रही है, तो आप हनुमान जयंती के दिन अपने घर की छत पर लाल रंग का झंडा लगाएं। हनुमान जी को रक्षक के रूप में भी जाना जाता है और वे अपने भक्‍तों की सभी प्रकार की समस्‍याओं से रक्षा करते हैं।
  • आर्थिक संकट से जूझ रहे लोगों को हनुमान जयंती के दिन गरीब लोगों को खाना खिलाना चाहिए लेकिन उससे पहले प्रसाद का हनुमान जी को जरूर भोग लगाएं। इससे आपकी आर्थिक तंगी दूर हो सकती है।
  • जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष है, उन्‍हें हनुमान जयंती पर रामायण पाठ करवाना चाहिए।
  • यदि आप किसी बीमारी या स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या से ग्रस्‍त हैं, तो आप हनुमान जयंती से प्रतिदिन 108 बार हनुमान चालीसा का पाठ करना शुरू करें।
  • कोई कानूनी केस चल रहा है, तो उसमें जीत हासिल करने के लिए आप हनुमान जी के मंदिर में लाल रंग की ध्‍वजा लगवाएं।

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हनुमान जी की प्रिय राशियां

वैसे तो हनुमान जी को अपने सारे भक्‍त बहुत प्रिय हैं लेकिन राशिचक्र की 12 राशियों में से कुछ राशियां ऐसी हैं जिन पर सदैव हनुमान जी की कृपा रहती है। आगे उन्‍हीं राशियों के बारे में विस्‍तार से बताया गया है।

मेष राशि

मेष राशि के लोगों पर सदैव हनुमान जी की कृपा रहती है। ये जातक ज्ञानी, कुशल और बहुत बुद्धिमान होते हैं। ऐसा माना जाता है कि मेष राशि के लाेगों को हर मंगलवार हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। इस उपाय से इनकी सारी समस्‍याएं दूर हो सकती हैं और इन्‍हें अपने भाग्‍य का साथ मिल सकता है। इसके अलावा इन जातकों को कभी अपने जीवन में आर्थिक संकट देखना नहीं पड़ता है।

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सिंह राशि

इन लोगों पर हनुमान जी की विशेष कृपा बरसती है। इनके जीवन में कोई परेशानी या मुश्किल नहीं आती है और अगर कोई बाधा हो भी, तो हनुमान जी के आशीर्वाद से वह दूर हो जाती है। इन लोगों का पारवारिक जीवन सकारात्‍मक और शांतिपूर्ण रहता है। इनका जीवन संपन्‍नता से भरपूर रहता है।

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वृश्चिक राशि

हनुमान जी की कृपा से वृश्चिक राशि के लोगों को अपने सभी कार्यों में सफलता हासिल होती है। उनकी कृपा से आपके बिगड़े हुए काम जल्‍दी बन जाते हैं और आप अपने कार्यों को पूरा करने में सक्षम होते हैं। हनुमान जी की उपासना करने से आपको अत्‍यंत लाभ मिल सकता है। इन्‍हें धन को लेकर कोई परेशानी नहीं होती है।

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कुंभ राशि

कुंभ राशि के जातकों पर भी हनुमान जी की कृपा दृष्टि रहती है। इनके सभी कार्य सफल होते हैं और इनके मार्ग में कोई बाधा या रुकावट नहीं आती है। ये लोग खुशहाल और शांतिपूर्ण जीवन व्‍यतीत करते हैं। इनकी आर्थिक स्थि‍ति भी अच्‍छी होती है। हनुमान जी इस राशि के लोगों की उपासना से जल्‍दी प्रसन्‍न हो जाते हैं। इन्‍हें हर मंगलवार हनुमान जी के दर्शन करने हनुमान मंदिर जाना चाहिए।

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मंगल का मीन राशि में गोचर: इन राशियों को धन-संपदा, सफलता एवं तरक्की की होगी प्राप्ति

हम सब यह बात जानते हैं कि ग्रहों की स्थिति, चाल एवं दशा में होने वाला बदलाव व्यक्ति के जीवन को अत्यधिक प्रभावित करता है। इसी प्रकार, मेष राशि के स्वामी और सबसे उग्र ग्रह कहे जाने वाले मंगल देव मनुष्य जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यह हमारे जीवन में इच्छा, साहस, जुनून आदि का प्रतिनिधित्व करते हैं। हालांकि, मंगल देव को अनेक नामों से जाना जाता है जैसे कि ‘लोहिता’ अर्थात जिसका रंग लाल है, ‘रक्तवर्ण’ इसका अर्थ रक्त के समान लाल रंग है, ‘भौम पुत्र’ और ‘कुजा’ आदि शामिल हैं। अब यह जल्द ही मीन राशि में गोचर करने जा रहे हैं जिसका प्रभाव राशि चक्र की सभी राशियों समेत देश-दुनिया पर पड़ेगा। एस्ट्रोसेज के इस ब्लॉग में आपको मंगल का मीन राशि में गोचर के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होगी। तो आइए शुरुआत करते हैं इस खास ब्लॉग की। लेकिन सबसे पहले जानते हैं मंगल ग्रह का वैदिक ज्योतिष में महत्व

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वैदिक ज्योतिष में मंगल 

वैदिक ज्योतिष में मंगल को युद्ध के देवता कहा जाता है जो कि एक उग्र ग्रह हैं। यह एक पुरुष प्रधान ग्रह हैं जिन्हें बेहद शक्तिशाली माना गया है। किसी मनुष्य के जीवन में मंगल साहस, पराक्रम के कारक माने गए हैं और यह हमारी जीवन में ऊर्जा को बढ़ाने का काम करते हैं। इसके परिणामस्वरूप, आप और हम किसी भी कार्य को अपने पूरे सामर्थ्य और शक्ति के साथ करने में सक्षम होते हैं। 

यह आपके भीतर साहस, शक्ति और दृढ़ संकल्प को दर्शाते हैं। राशि चक्र में मंगल महाराज को मेष और वृश्चिक राशि पर अधिपत्य प्राप्त हैं। बता दें कि यह मकर राशि में उच्च के होते हैं जबकि कर्क इनकी नीच राशि है। हालांकि, जब मंगल ग्रह का गोचर कुंडली के तीसरे, छठे, दसवें भाव और ग्यारहवें भाव में होता है, तो जातक को अच्छे परिणामों की प्राप्ति होती है। यह मनुष्य शरीर में रक्त को प्रभावित करते हैं।

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मंगल का मीन राशि में गोचर: तिथि और समय

युद्ध के देवता और लाल ग्रह के नाम से प्रसिद्ध मंगल महाराज 23 अप्रैल 2024 की सुबह 08 बजकर 19 मिनट पर बृहस्पति देव की राशि मीन में गोचर करने जा रहे हैं। मीन जल तत्व की राशि है जबकि मंगल ग्रह स्वभाव से उग्र है। ऐसे में, मंगल का मीन राशि में गोचर का प्रभाव राशि चक्र की सभी राशियों के साथ-साथ देश-दुनिया को भी प्रभावित करेगा जिसके बारे में आपको इस ब्लॉग में जानकारी प्राप्त होगी। 

मंगल का मनुष्य जीवन पर प्रभाव

मनुष्य जीवन में मंगल एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है इसलिए कुंडली में इस ग्रह का अनुकूल होना बेहद आवश्यक होता है। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में इनकी स्थिति प्रतिकूल होती है, तो उन्हें अपने जीवन में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसी प्रकार, मंगल जब मजबूत होता है, लेकिन अशुभ स्थिति में होता है, तो वह व्यक्ति को अपराधी तक बन सकता है। वहीं, जब मंगल महाराज की स्थिति कुंडली में मजबूत होती है, तो ऐसे इंसान को यह सेना में भर्ती करवाते हैं और देश की सेवा में अपना योगदान देने के लिए तत्पर बनाते हैं। 

साथ ही, इनके शुभ स्थिति में होने पर भूमि से जुड़े सभी कामों में सफलता की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, जातक को अपने जीवन में भूमि, भवन, मकान आदि की कमी नहीं होती है। मंगल देव की मज़बूत स्थिति शत्रुओं एवं दुश्मनों पर हावी नहीं होने देते हैं। मंगल देव 27 नक्षत्रों में से मृगशिरा, चित्रा और धनिष्ठा नक्षत्र के अधिपति देव हैं। माना जाता है कि मंगलवार के दिन इनमें से कोई भी नक्षत्र पड़ने पर उस समय मंगल से संबंधित वस्तुओं का दान करना सर्वश्रष्ठ साबित होता है। 

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वैज्ञानिक दृष्टि से मंगल देव का महत्व

वैज्ञानिक रूप से, पृथ्वी से मंगल का आकार आधा होता है। जहाँ तक इसके वायुमंडल की बात करें, तो जितना हमें पता चला है कि मंगल का वायुमंडल नाइट्रोजन, कार्बन, डाइऑक्साइड और आर्गन से मिलकर बना है। साथ ही, मंगल की सतह काफी ठोस है और अभी तक की गई रिसर्च के अनुसार, मंगल ग्रह पर कोई सक्रिय ज्वालामुखी नहीं है। हालांकि, मंगल के पास फोबोस और डीमोस नाम के अपने दो चंद्रमा भी हैं। 

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कुंडली में मंगल ग्रह के कमज़ोर होने के लक्षण  

किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल कमज़ोर हैं या नहीं, इसकी जानकारी हमें विभिन्न लक्षणों से मिल सकती है। तो आइए उन लक्षणों पर नज़र डालते हैं। 

  • मंगल दोष होने पर व्यक्ति के विवाह में देरी हो सकती है। 
  • यदि शादीशुदा हैं, तो आपका वैवाहिक जीवन अशांति से पूर्ण रहता है या फिर आपकी शादी टूट भी सकती है। 
  • कुंडली में मंगल ख़राब होने पर जातक को गुर्दे में पथरी, ब्लड प्रेशर, गठ‍िया, फोड़े-फुंसी आदि समस्याओं से जूझना पड़ता है। 
  • व्यक्ति को जल्दी-जल्दी गुस्सा आता है जिसके चलते उनके अपने करीबियों और रिश्तेदारों से रिश्ते ख़राब होने लगते हैं। 
  • मंगल ग्रह की अशुभता की वजह से मनुष्य को संतान सुख प्राप्त करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 
  • ऐसा मंगल आपको कोर्ट-कचहरी के चक्कर में फंसा सकता है और करीबियों से धोखा मिलने की भी आशंका होती है। 

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मंगल ग्रह के मज़बूत होने के संकेत 

किसी मनुष्य की कुंडली में मंगल मज़बूत होने के लक्षण इस प्रकार हैं: 

  • जिन लोगों की कुंडली में मंगल मज़बूत होता है, वह ज्यादातर साहसी और बहादुर होते हैं। ऐसे लोग जोख़िम लेने से डरते नहीं हैं। 
  • ऐसे जातक दृढ़ निश्चयी होते हैं और यह जल्दी उत्साहित नहीं होते हैं। जब तक यह अपना लक्ष्य हासिल नहीं कर लेते हैं, तब तक आगे बढ़ते रहते हैं। 
  • कुंडली में मज़बूत मंगल होने पर जातक बेहद ऊर्जावान और भावुक होते हैं। इन्हें हर काम में सक्रिय रहना पसंद करते हैं। 
  • यह लोग आत्मविश्वास से भरे रहते हैं और यह लोग अपने मन की बात करने से घबराते नहीं हैं। साथ ही, यह अपने लिए आवाज़ बुलंद भी करते हैं। 
  • इनका स्वभाव प्रतिस्पर्धी और प्रेरणा से पूर्ण रहता है। यह लोग खुद को और अन्य लोगों को चुनौती देने में रुचि रखते हैं।  

कुंडली में मंगल मज़बूत करने के लिए करें ये उपाय  

  • कुंडली में मंगल ग्रह कमज़ोर होने पर मंगलवार के दिन स्नान करने के बाद लाल रंग के वस्त्र धारण करें। इसके बाद ‘ॐ क्रां क्रीं क्रौं स: भौमाय नम:’ मंत्र का तीन, पांच या सात माला का जाप करें। 
  • जातक द्वारा मंगलवार के दिन व्रत करने से भी मंगल ग्रह मजबूत होता है। 
  • मंगलवार को संकटमोचन हनुमान जी को चमेली का तेल मिला सिंदूर अर्पित करें। साथ ही, बजरंगबली को चोला चढ़ाएं। 
  • जातकों की कुंडली में मंगल अशुभ होने पर मूंगा रत्न धारण करना फलदायी होता है, लेकिन यह पहनने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी से सलाह अवश्य लें। 
  • गरीबों तथा जरूरतमंद लोगों को मंगलवार के दिन भोजन कराएं।

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