शरद पूर्णिमा 2025: चंद्रमा की अमृत वर्षा से कैसे मिलता है सौभाग्य और स्वास्थ्य?
शरद पूर्णिमा 2025: हिंदू पंचांगके अनुसार, आश्विन मासकी पूर्णिमा तिथि को शरद पूर्णिमा कहा जाता है। यह दिन धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बेहद खास माना जाता है।
मान्यता है कि इस रात चंद्रमा सोलह कलाओं से पूर्ण होकर आकाश में उदित होता है और अपनी किरणों से अमृत बरसाता है। इसलिए इस रात खीर बनाकर चांदनी में रखने की परंपरा है, ताकि उसमें अमृत का संचार हो सके और उसे प्रसाद रूप में ग्रहण करने से आरोग्य और सौभाग्य की प्राप्ति हो।
शास्त्रों में कहा गया है कि अश्विन पूर्णिमापर मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और दरिद्रता दूर होती है।
इस दिन व्रत-उपवास करने और दान-पुण्य करने से मनुष्य को अपार पुण्य की प्राप्ति होती है। इसलिए इसे साल की सबसे पावन पूर्णिमाओं में से एक माना गया है।
एस्ट्रोसेज एआई के इस ब्लॉग में हम शरद पूर्णिमा 2025 जिसे अश्विन पूर्णिमा व्रत के बारे में सब कुछ जानेंगे, साथ ही इसके महत्व, व्रत कथा, पूजा विधि और कुछ उपायों के बारे में भी जानेंगे। तो चलिए बिना किसी देरी के अपने ब्लॉग की शुरुआत करते हैं।
शरद पूर्णिमा 2025: तिथि और समय
पूर्णिमा आरम्भ: अक्टूबर 6, 2025 की दोपहर 12 बजकर 25 मिनट से
पूर्णिमा समाप्त: अक्टूबर 7, 2025 की सुबह 09 बजकर 18 मिनट तक
शरद पूर्णिमा तिथि: मंगलवार, अक्टूबर 7, 2025 को
शरद पूर्णिमा 2025 का महत्व
शरद पूर्णिमा का महत्व हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और खास माना गया है। इस दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं के साथ आकाश में पूर्ण रूप से प्रकट होता है और उसकी शीतल किरणों में अमृत का संचार होता है।
मान्यता है कि इस दिन की चांदनी सिर्फ सुंदर ही नहीं, बल्कि औषधीय गुणों से भरपूर होती है, इसलिए लोग दूध और खीर को रातभर खुले आसमान में रखकर सुबह प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। इसे स्वास्थ्य और आयु वृद्धि के लिए शुभ माना जाता है।
इस दिन माता लक्ष्मी की पूजा विशेष रूप से की जाती है क्योंकि विश्वास है कि शरद पूर्णिमा की रात लक्ष्मी माता पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और जो साधक जागरण करके उनकी आराधना करते हैं, उनके घर में सुख-समृद्धि, धन और सौभाग्य का वास होता है।
साथ ही, चंद्रदेव की उपासना से मानसिक शांति, संतुलन और आध्यात्मिक शक्ति की प्राप्ति होती है। आध्यात्मिक दृष्टि से भी शरद पूर्णिमा का बड़ा महत्व है। इस रात ध्यान, जप और साधना करने से साधक को दिव्य अनुभूति होती है और उसकी आत्मा पवित्र होती है।
शरद पूर्णिमा की रात :साल की सबसे उज्ज्वल और अमृतमयी रात कही जाती है, जो स्वास्थ्य, धन, सौंदर्य और अध्यात्म इन सबका वरदान लेकर आती है।
शरद पूर्णिमा 2025: पूजा विधि
सबसे पहले सुबह स्नान करके स्वच्छ कपड़े धारण करें और घर में पूजन स्थान को शुद्ध करें।
पूजा स्थान पर माता लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र रखें और चंद्रमा की ओर मुख करके पूजा करने की व्यवस्था करें।
घर और पूजा स्थल को दीपक फूल और रोशनी से सजाएं। विशेषकर इस दिन दीपदान का बहुत महत्व है।
व्रती पूरे दिन व्रत रखते हैं और संकल्प लेते हैं कि माता लक्ष्मी और चंद्रदेव की पूजा विधि पूर्वक करेंगे।
पूजा में दीपक, धूप, कपूर, अक्षत, रोली, मिठाई, दूध और खीर का विशेष प्रयोग होता है।
रात में जब चंद्रमा आकाश में उदित हो जाए तो दूध, जल और खीर से चंद्रमा को अर्घ्य दें।
परंपरा है कि इस रात खीर बनाकर उसे चांदनी में रख दिया जाता है और फिर मध्यरात्रि या अगले दिन सुबह इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है। यह खीर अमृत तुल्य मानी जाती है।
इस रात माता लक्ष्मी की आराधना करते हुए जागरण का विशेष महत्व है। इससे घर में दरिद्रता दूर होती है और धन-धान्य में वृद्धि होती है।
बृहत् कुंडलीमें छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरालेखा-जोखा
शरद पूर्णिमा 2025: कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय की बात है। एक नग में एक बहुत ही धनी व्यापारी रहता था। उसके पास धन, दौलत और वैभव की कोई कमी नहीं थी लेकिन संतान न होने के कारण वह और उसकी पत्नी हमेशा दुखी रहते थे। दोनों ने कई देवी-देवताओं की पूजा और यज्ञ हवन किए, लेकिन संतान सुख नहीं मिला।
काफी समय बाद उनकी मनोकामना पूरी हुई और उन्होंने एक पुत्री को जन्म दिया। बेटी बहुत सुंदर थी, लेकिन स्वभाव से बेहद आलसी थी। जैसे-जैसे वह बड़ी हुई, उसमें आलस्य और भी बढ़ गया।
वह न तो समय पर उठती, न ही पूजा-पाठ करती और न ही घर के कामों में हाथ बंटाती। उसकी इन आदतों से परिवार हमेशा परेशान रहता था। कन्या जब विवाह योग्य हुई तो उसका विवाह एक अच्छे और योग्य युवक से कर दिया गया। विवाह के बाद वह अपने ससुराल पहुंची तो वहां भी उसका यही आलसी स्वभाव देखकर सभी नाराज हो गए।
वह किसी भी काम में मन नहीं लगाती थी और हर समय टालमटोल करती रहती थी। धीरे-धीरे उसकी यह आदत इतनी बढ़ ई कि पति भी उससे दूर रहने लगा और परिवार के लोग उसका सम्मान नहीं करते थे।
एक दिन उसकी सास ने उससे कहा, आज शरद पूर्णिमा का व्रत और रात्रि जागरण है। सभी महिलाएं इस व्रत को करती हैं और माता लक्ष्मी की पूजा करती हैं, ताकि घर में सुख-समृद्धि बनी रहे। तू भी आज यह व्रत कर और माता लक्ष्मी से आलस्य दूर करने की प्रार्थना कर।
लड़की ने मन ही मन सोचा कि शायद यही उसके जीवन की परेशानियों को दूर कर सकता है। उसने पूरे विधि-विधान से व्रत रखा, रातभर जागरण किया और मां लक्ष्मी की सच्चे मन से पूजा की। कहते हैं कि उस पात मां लक्ष्मी स्वयं उस कन्या के घर आई और बोलीं, हे पुत्री तेरे आलस्य के कारण तेरा जीवन दुखमय हो गया था, लेकिन आज तेरे व्रत और सच्चे मन से की गई आराधना से मैं प्रसन्न हूूं। अब तेरे जीवन से आलस्य दूर होगा और तुझे सुख, समृद्धि और सम्मान मिलेगा। उस दिन के बाद वह कन्या धीरे-धीरे बदल गई।
उसने घर के कामों में रुचि लेना शुरू किया, पूजा पाठ करने लगी और समय का महत्व समझा। उसके जीवन में खुशहाली लौट आई और ससुराल वाले भी उसे आदर देने लगे। इसी कारण शरद पूर्णिमा का व्रत रखने और माता लक्ष्मी की पूजा करने से आलस्य, दरिद्रता और दुख दूर होकर सुख, वैभव और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
अब घर बैठे विशेषज्ञ पुरोहित से कराएं इच्छानुसार ऑनलाइन पूजा और पाएं उत्तम परिणाम!
शरद पूर्णिमा 2025: क्या करें, क्या न करें
शरद पूर्णिमा 2025 पर क्या करें
इस दिन सुबह जल्दी स्नान करें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें।
दीपक जलाकर लक्ष्मी जी व चंद्रदेव को भोग लगाएं।
दूध और चावल की खीर बनाकर चांदनी में रातभर रखें और सुबह प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
पूरी रात भजन-कीर्तन या मंत्र जाप करते हुए जागरण करें।
जरूरतमंदों को अन्न, कपड़े या धन का दान करें, इससे पुण्य मिलता है।
इस रात ध्यान, योग और जप करने से आत्मिक शांति और मानसिक बल प्राप्त होता है।
शरद पूर्णिमा 2025 पर क्या न करें
इस दिन किसी से झगड़ा या कटु वचन न बोलें।
नकारात्मक विचार और आलस्य से बचें, वरना पूजा का फल कम हो जाता है।
मांस, मदिरा या तामसिक भोजन का सेवन बिल्कुल न करें।
इस रात सोना अशुभ माना जाता है, क्योंकि लक्ष्मी जी का आशीर्वाद प्राप्त नहीं होता।
घर को अस्वच्छ न रखें, इससे दरिद्रता का वास होता है।
खीर या अन्न को बर्बाद न करें, यह माता लक्ष्मी का प्रसाद होता है।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. शरद पूर्णिमा 2025 कब मनाई जाती है?
शरद पूर्णिमा, आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इस दिन रात को चंद्रमा अपनी सभी 16 कलाओं के साथ पूर्ण रूप से दिखाई देता है।
2. शरद पूर्णिमा पर क्या व्रत करना अनिवार्य है?
हां, परंपरागत रूप से इस दिन व्रत रखना शुभ माना जाता है। यदि व्रत न रख पाएं तो भी पूजा और रात्रि जागरण अवश्य करें।
3. शरद पूर्णिमा की रात खीर चांदनी में क्यों रखी जाती है?
कहा जाता है कि इस रात चंद्रमा की किरणों में अमृत तत्व बरसता है। खीर को चांदनी में रखने से यह अमृत तत्व उसमें समाहित हो जाता है और इसे खाने से स्वास्थ्य लाभ मिलता है।
इस सप्ताह रखा जाएगा पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत, नोट कर लें तिथि
साप्ताहिक राशिफल 06 अक्टूबर से 12 अक्टूबर 2025: साल 2025 बहुत तेज़ी से आगे बढ़ रहा है और ऐसे में, अब इसके हमसे विदा लेने से केवल 2 महीने बचे हैं, क्योंकि आने वाला हर दिन, महीना और सप्ताह हमें साल के अंत की ओर लेकर जाएगा।
इसी क्रम में, एस्ट्रोसेज एआई हर बार की तरह इस बार भी “साप्ताहिक राशिफल” का यह विशेष ब्लॉग आपके लिए लेकर आया है, जिसके अंतर्गत आपको अक्टूबर 2025 के पहले सप्ताह अर्थात 06 से 12 अक्टूबर, 2025 से जुड़ी समस्त जानकारी प्राप्त होगी।
अक्टूबर का यह पहला सप्ताह सभी 12 राशियों के लिए क्या भविष्यवाणी कर रहा है, इसके बारे में हम विस्तार से बात करेंगे।
साथ ही, इस लेख में हम आपको जीवन के विभिन्न क्षेत्रों जैसे करियर, व्यापार, प्रेम से लेकर वैवाहिक जीवन तक का हाल भी बताएंगे।
अगर आपके मन में सवाल उठ रहे हैं कि इस सप्ताह नौकरी में बॉस रहेंगे ख़ुश या रहेंगे नाराज़? प्रेम विवाह का सपना होगा सच या करना होगा इंतज़ार? परिवार में बनी रहेगा मिठास या विवादों की होगी भरमार? व्यापार में होगा मुनाफा या मुश्किलों का करना होगा सामना? इन सभी सवालों के जवाब आपको हमारे साप्ताहिक राशिफल के इस ब्लॉग में प्राप्त होंगे।
बता दें कि साप्ताहिक राशिफल के इस ब्लॉग में आपको राशिफल के अलावा अक्टूबर के इस सप्ताह (06 से 12 अक्टूबर, 2025) में पड़ने वाले ग्रहण-गोचर और मनाए जाने वाले व्रत-त्योहारों की सही तिथियों की जानकारी भी मिलेगी।
बता दें कि यह ब्लॉग पूर्ण रूप से वैदिक ज्योतिष पर आधारित है जो कि हमारे विद्वान ज्योतिषियों ने ग्रह-नक्षत्रों की चाल, दशा और स्थिति की गणना के बाद तैयार किया है। साथ ही, इस सप्ताह में किन मशहूर हस्तियों का जन्मदिन आएगा? इससे भी हम आपको अवगत करवाएंगे। तो आइए बिना देर किये शुरुआत करते हैं इस लेख की।
इस सप्ताह के ज्योतिषीय तथ्य और हिंदू कैलेंडर की गणना
सबसे पहले हम बात करेंगे अक्टूबर 2025 के इस सप्ताह के पंचांग की, तो बता दें कि 06 अक्टूबर से लेकर 12 अक्टूबर 2025 का यह हफ़्ता बेहद ख़ास रहने वाला है क्योंकि इस दौरान सुहागिन महिलाओं का पर्व करवा चौथ मनाया जाएगा।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस हफ़्ते का आरंभ पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के अंतर्गत शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि यानी कि 06 अक्टूबर 2025 को होगा जबकि इस सप्ताह का समापन मृगशिरा नक्षत्र के अंतर्गत कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि अर्थात 12 अक्टूबर 2025 को होगा।
अक्टूबर 2025 के इस सप्ताह का धार्मिक और ज्योतिषीय रूप से विशेष महत्व है, क्योंकि इस दौरान कई बड़े पर्व व व्रत आएंगे। साथ ही, ग्रहों की चाल एवं दशा में भी बदलाव देखने को मिलेगा। तो चलिए बिना देर किए अब हम आगे बढ़ते हैं और आपको रूबरू करवाते हैं इस सप्ताह में पड़ने वाले व्रत-त्योहारों के बारे में।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
इस सप्ताह में पड़ने वाले व्रत और त्योहार
क्या आप भी उन लोगों में से हैं जिन्हें अपने व्यस्त जीवन की भागदौड़ में व्रत-त्योहारों की तिथियां याद नहीं रहती हैं, तो हमारा यह सेक्शन आपके लिए ही है ताकि आप किसी भी पर्व या व्रत को मनाने से चूक न जाएं। साप्ताहिक राशिफल के हमारे इस लेख में आपको 06 अक्टूबर से 12 अक्टूबर 2025 के बीच पड़ने वाले व्रत-त्योहार की पूरी लिस्ट प्रदान की जा रही है जो कि इस प्रकार है:
अश्विन पूर्णिमा व्रत (07 अक्टूबर 2025, मंगलवार): हिन्दू पंचांग के अनुसार, एक वर्ष में कुल बारह पूर्णिमा तिथि आती है और सबका अपना महत्व होता है। इनमें से एक है अश्विन पूर्णिमा जो हर साल अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा पर आती है। इसे शरद पूर्णिमा और रास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। वैदिक ज्योतिष की मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं में होता है इसलिए इसकी किरणें अमृत समान मानी जाती हैं। इस अवसर पर कोजागर व्रत भी रखने की परंपरा है।
संकष्टी चतुर्थी (10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार): सनातन धर्म के लोकप्रिय व्रतों में से एक है संकष्टी चतुर्थी, जो भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, प्रत्येक शुभ कार्य को शुरू करने से पहले भगवान गणेश का पूजन किया जाता है इसलिए इन्हें प्रथम पूज्य का दर्जा प्राप्त है। कहते हैं कि संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से गणेश जी अपने भक्त के जीवन से सभी परेशानियों, कष्टों और विघ्नों को हर लेते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है।
करवा चौथ (10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार): करवा चौथ का पर्व हर सुहागिन के लिए आस्था का पर्व होता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर सुहागिन महिलाओं द्वारा अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत किया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु की कामना के लिए निर्जला उपवास करती हैं और रात को चाँद देखकर व्रत तोड़ती हैं। करवा चौथ का उत्तर भारत में बहुत धूमधाम और आस्था से मनाया जाता है।
हम आशा करते हैं कि यह व्रत-त्योहार आपके जीवन में खुशियाँ और आशा की नई किरण लेकर आयेंगे।
ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों और इनकी चाल, दशा और स्थिति में होने वाले बदलावों को महत्वपूर्ण माना जाता है। जैसे कि हम सभी जानते हैं कि हर ग्रह एक निश्चित अवधि के बाद अपनी राशि में परिवर्तन करता है। सरल शब्दों में कहें तो. ज्योतिष में प्रत्येक ग्रह अपनी निर्धारित अवधि के बाद एक राशि से निकलकर दूसरी राशि में प्रवेश कर जाता है और इस घटना को ही गोचर कहा जाता है।
अगर बात करें अक्टूबर 2025 की, तो इस सप्ताह (06 से 12 अक्टूबर, 2025) के दौरान सिर्फ एक ग्रह अपनी राशि में बदलाव करेगा। कौन सा है वह ग्रह और कब होगा यह गोचर? चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं इस गोचर के बारे में।
शुक्र का कन्या राशि में गोचर (09 अक्टूबर 2025): वैदिक ज्योतिष में शुक्र ग्रह को प्रेम के कारक ग्रह माना जाता है जो अब 09 अक्टूबर की सुबह 10 बजकर 38 मिनट पर सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं। शुक्र गोचर का असर समस्त संसार और राशियों पर नज़र आ सकता है।
नोट: अक्टूबर के पहले सप्ताह यानी कि 06 से 12 अक्टूबर, 2025 के दौरान कोई ग्रहण नहीं लगने जा रहा है।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
इस सप्ताह के बैंक अवकाशों की सूची
अगर आपको भी हर दूसरे दिन बैंक से कोई न कोई काम पड़ता रहता है, तो आपको बैंक अवकाशों की जानकारी होना बेहद आवश्यक है। आपकी जरूरतों और सुविधाओं को ध्यान में रखकर हम आपको अक्टूबर 2025 के पहले सप्ताह (06 से 12 अक्टूबर, 2025) के दौरान पड़ने वाले बैंक अवकाशों के बारे में बताने जा रहे हैं।
तिथि
दिन
पर्व
राज्य
06 अक्टूबर 2025
सोमवार
लक्ष्मी पूजा
उड़ीसा, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल
07 अक्टूबर 2025
मंगलवार
महर्षि वाल्मीकि जयंती
हिमाचल प्रदेश, स हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश
व्रत-पर्वों एवं बैंक अवकाशों की जानकारी आपको प्रदान करने के बाद अब हम आपको अक्टूबर के पहले सप्ताह में उपलब्ध शुभ मुहूर्तों के बारे में बताने जा रहे हैं, तो चलिए नज़र डालते हैं इस सप्ताह के शुभ मुहूर्त पर।
इस सप्ताह (06 अक्टूबर से 12 अक्टूबर, 2025) के शुभ मुहूर्त
सनातन धर्म में हर काम को शुभ मुहूर्त में करने की परंपरा है, यानी कि वह समय जब ग्रहों-नक्षत्रों के साथ-साथ देवी-देवताओं का आशीर्वाद भी आपको प्राप्त हो जाए। इस दौरान किसी काम का शुभारंभ करने से आपको सफलता और सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। इसी क्रम में, हम आपको अवगत करवाने जा रहे हैं अक्टूबर 2025 के पहले सप्ताह यानी कि 06 अक्टूबर से 12 अक्टूबर, 2025 के बीच में उपलब्ध शुभ तिथियों से।
इस सप्ताह (06 से 12 अक्टूबर 2025) के नामकरण मुहूर्त
नामकरण संस्कार हिंदू धर्म के सोलह संस्कारों में से एक महत्वपूर्ण संस्कार है। इस संस्कार के अंतर्गत नवजात शिशु का नाम रखा जाता है और उसे ज़िन्दगी की पहचान दी जाती है। यदि आप भी इस सप्ताह नामकरण संस्कार के शुभ मुहूर्त देख रहे हैं, तो वह इस प्रकार हैं:
तिथि
मुहूर्त
06 अक्टूबर 2025, सोमवार
12:25:38 से 30:16:24
08 अक्टूबर 2025, बुधवार
06:17:30 से 22:45:41
10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार
19:40:11 से 30:18:38
12 अक्टूबर 2025, रविवार
06:19:47 से 13:37:03
इस सप्ताह (06 से 12 अक्टूबर 2025) के अन्नप्राशन मुहूर्त
अगर आप अपने शिशु का अन्नप्राशन संस्कार संपन्न करना चाहते हैं, लेकिन आपको शुभ मुहूर्त नहीं मिल रहा है, तो यहाँ हम आपको इस सप्ताह (06 से 12 अक्टूबर 2025) के अन्नप्राशन संस्कार के लिए शुभ मुहूर्त प्रदान कर रहे हैं।
तिथि
मुहूर्त
8 अक्टूबर 2025
07:33 से 14:15,15:58 से 20:25
10 अक्टूबर 2025
20:17 से 22:13
इस सप्ताह (06 से 12 अक्टूबर 2025) के वाहन खरीद मुहूर्त
जो जातक वाहन खरीदने का सपना देख रहे हैं, लेकिन किसी न किसी वजह से नहीं ले पा रहे हैं, तो अब हम आपको इस सप्ताह में उपलब्ध वाहन खरीद मुहूर्त प्रदान करने जा रहे हैं, जो आपके लिए फलदायी साबित होंगे।
तिथि
मुहूर्त
10 अक्टूबर 2025, शुक्रवार
19:40:11 से 30:18:38
12 अक्टूबर 2025, रविवार
06:19:47 से 13:37:03
इस सप्ताह (06 से 12 अक्टूबर 2025) के कर्णवेध मुहूर्त
सनातन धर्म के सोलह संस्कारों में से कर्णवेध संस्कार को महत्वपूर्ण माना जाता है। अगर आप इस हफ्ते में अपने शिशु का कर्णवेध संस्कार करवाना चाहते हैं, तो उसके मुहूर्त इस प्रकार हैं:
तिथि
मुहूर्त
8 अक्टूबर 2025
07:33-14:1515:58-18:50
11 अक्टूबर 2025
17:13-18:38
12 अक्टूबर 2025
07:18-09:37,11:56-15:42
इस सप्ताह (06 से 12 अक्टूबर 2025) के विद्यारंभ मुहूर्त
हर माता-पिता के लिए वह पल सबसे ख़ास होता है जब उनका बच्चा पढ़ाई की शुरुआत करता है। इसी क्रम में, विद्यारंभ संस्कारमहत्वपूर्ण भूमिका निभाता है इसलिए यहाँ हम आपको विद्यारंभ संस्कार के शुभ मुहूर्त प्रदान कर रहे हैं।
तिथि
नक्षत्र
मुहूर्त
10 अक्टूबर 2025
कृतिका
दोपहर 12:15 से दोपहर 02:33 बजे तक
इस सप्ताह में जन्मे मशहूर सितारे
06 अक्टूबर 2025: विनोद खन्ना, सिबी सत्यराज, जीतन राम मांझी
07 अक्टूबर 2025: प्रशांत चोपड़ा, ज़हीर ख़ान, अश्विनी अक्कुनजी
11 अक्टूबर 2025: जो साइमन, हरीश वर्मा, अमिताभ बच्चन
12 अक्टूबर 2025: सुसान एंटोन, देव गिल, विजयेंद्र कुमेरिया
एस्ट्रोसेज इन सभी सितारों को जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं देता है। यदि आप अपने पसंदीदा सितारे की जन्म कुंडली देखना चाहते हैं तो आप यहां पर क्लिक कर सकते हैं।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. करवा चौथ का व्रत कब है?
इस साल करवा चौथ का व्रत 10 अक्टूबर 2025 को रखा जाएगा।
2. अक्टूबर में शुक्र का गोचर कब होगा?
इस सप्ताह शुक्र का कन्या राशि में गोचर 09 अक्टूबर 2025 को होगा।
3. रास पूर्णिमा 2025 में कब है?
वर्ष 2025 में रास पूर्णिमा 07 अक्टूबर 2025, मंगलवार को पड़ेगी।
टैरो साप्ताहिक राशिफल 05 से 11 अक्टूबर, 2025: क्या होगा भविष्य?
टैरो साप्ताहिक राशिफल 05 से 11 अक्टूबर, 2025: दुनियाभर के कई लोकप्रिय टैरो रीडर्स और ज्योतिषयों का मानना है कि टैरो व्यक्ति की जिंदगी में भविष्यवाणी करने का ही काम नहीं करता बल्कि यह मनुष्य का मार्गदर्शन भी करता है। कहते हैं कि टैरो कार्ड अपनी देखभाल करने और खुद के बारे में जानने का एक ज़रिया है।
टैरो इस बात पर ध्यान देता है कि आप कहां थे, अभी आप कहां हैं या किस स्थिति में हैं और आने वाले कल में आपके साथ क्या हो सकता है। यह आपको ऊर्जा से भरपूर माहौल में प्रवेश करने का मौका देता है और अपने भविष्य के लिए सही विकल्प चुनने में मदद करता है। जिस तरह एक भरोसेमंद काउंसलर आपको अपने अंदर झांकना सिखाता है, उसी तरह टैरो आपको अपनी आत्मा से बात करने का मौका देता है।
आपको लग रहा है कि जैसे जिंदगी के मार्ग पर आप भटक गए हैं और आपको दिशा या सहायता की ज़रूरत है। पहले आप टैरो का मज़ाक उड़ाते थे लेकिन अब आप इसकी सटीकता से प्रभावित हो गए हैं या फिर आप एक ज्योतिषी हैं जिसे मार्गदर्शन या दिशा की ज़रूरत है या फिर आप अपना समय बिताने के लिए कोई नया शौक ढूंढ रहे हैं।
इन कारणों से या अन्य किसी वजह से टैरो में लोगों की दिलचस्पी काफी बढ़ गई है। टैरो डेक में 78 कार्ड्स की मदद से भविष्य के बारे में जाना जा सकता है। इन कार्ड्स की मदद से आपको अपने जीवन में मार्गदर्शन मिल सकता है।
टैरो की उत्पति 15वीं शताब्दी में इटली में हुई थी। शुरुआत में टैरो को सिर्फ मनोरंजन के रूप में देखा जाता था और इससे आध्यात्मिक मार्गदर्शन लेने का महत्व कम था। हालांकि, टैरो कार्ड का वास्तविक उपयोग 16वीं सदी में यूरोप के कुछ लोगों द्वारा किया गया जब उन्होंने जाना और समझा कि कैसे 78 कार्ड्स की मदद से भविष्य के बारे में जाना जा सकता है, उसी समय से इसका महत्व कई गुना बढ़ गया।
टैरो एक ऐसा ज़रिया है जिसकी मदद से मानसिक और आध्यात्मिक प्रगति को प्राप्त किया जा सकता है। आप कुछ स्तर पर अध्यात्म से, थोड़ा अपनी अंतरात्मा से और थोड़ा अपने अंर्तज्ञान और आत्म-सुधार लाने से एवं बाहरी दुनिया से जुड़ें।
तो आइए अब इस साप्ताहिक राशिफल की शुरुआत करते हैं और जानते हैं कि 05 से 11 अक्टूबर, 2025तक का समय सभी 12 राशियों के लिए कैसे परिणाम लेकर आएगा?
टैरो साप्ताहिक राशिफल 05 से 11 अक्टूबर, 2025: राशि अनुसार राशिफल
मेष राशि
प्रेम जीवन: नाइन ऑफ पेंटाकल्स
आर्थिक जीवन: क्वीन ऑफ कप्स
करियर: नाइट ऑफ वैंड्स
स्वास्थ्य: टेन ऑफ वैंड्स
प्यार में नाइन ऑफ पेंटाकल्स कार्ड स्वतंत्रता, आत्म-सम्मान और अपनी एवं अपने पार्टनर की उपलब्धियों का आनंद लेने को दर्शाता है। यह कार्ड बताता है कि अप चाहे रोमांस की तलाश कर रहे हों या फिर एक गंभीर रिश्ते में आना चाहते हों, तो दोनों ही स्थितियों में आपको अपनी कीमत को समझना चाहिए और प्यार के मामले में उच्च मानकों को बनाए रखने में संकोच नहीं करना चाहिए।
धन के मामले में मेष राशि के लोगों को क्वीन ऑफ कप्स कार्ड मिला है जो कि भावनात्मक स्थिरता, वित्तीय संपन्नता और खासतौर पर रचनात्मक कार्यों से जुड़े उद्योगों के विस्तार की संभावना का प्रतीक है। यह कार्ड आपको चेतावनी देता है कि आपको पेचीदा निवेशों पर बहुत ज्यादा निर्भर नहीं रहना चाहिए और अपने मन की बात सुननी चाहिए। इसमें उन लोगों का ध्यान रखना शामिल हो सकता है जिनके पास पैसा है।
टैरो साप्ताहिक राशिफल के अनुसार आपको करियर में नाइट ऑफ वैंड्स कार्ड मिला है जो कि जोश से भरपूर महत्वाकांक्षा, बदलाव की चाहत और नए रोमांचक अवसरों की तलाश को दर्शाता है। इसके साथ ही यह कार्ड आपको उतावलेपन और लापरवाही से बचने की सलाह भी दे रहा है। इस कार्ड का कहना है कि आप अपने करियर में लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सोच-समझकर सक्रिय कदम उठाने के लिए तैयार हैं लेकिन आपको अच्छे से सोच-विचार करने के बाद ही योजना बनानी चाहिए और ये आपके दीर्घकालिक लक्ष्यों से मेल खानी चाहिए।
स्वास्थ्य के मामले में आपको टेन ऑफ वैंड्स कार्ड मिला है जो कि तनाव और थकान का प्रतीक है। इस कार्ड का कहना है कि आपको अपनी जिम्मेदारियों का फिर से मूल्यांकन करना चाहिए और मानसिक एवं शारीरिक रूप से बिल्कुल खत्म होने से पहले अपनी सेहत को प्राथमिकता देनी चाहिए। इस कार्ड के अनुसार बहुत ज्यादा जिम्मेदारियां हानिकारक हो सकती हैं और आपको अपने काम बांट लेने चाहिए, दूसरों से मदद लेनी चाहिए और काम के बीच में ब्रेक लेना चाहिए। इससे आपकी सेहत ठीक रह सकती है।
लकी चार्म: रेड जैस्पर स्टोन
वृषभ राशि
प्रेम जीवन: नाइट ऑफ कप्स
आर्थिक जीवन: द लवर्स
करियर: नाइन ऑफ वैंड्स
स्वास्थ्य: टू ऑफ स्वॉर्ड्स
प्रेम जीवन में टैरो साप्ताहिक राशिफल के अनुसार वृषभ राशि के लोगों को नाइट ऑफ कप्स कार्ड मिला है। यह कार्ड बताता है कि आपके जीवन में कोई आकर्षक, संवेदनशील और समझदार व्यक्ति आ सकता है। वह आपकी देखभाल कर सकता है और आपको भावनात्मक सहारा दे सकता है। वहीं अगर आप पहले से ही रिश्ते में हैं, तो आपका रिश्ता और ज्यादा गहरा एवं मजबूत हो सकता है। यह कार्ड आपको प्रेरणा देता है कि आप अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त करें और साहस के साथ कदम उठाएं। इसके साथ ही आपको अपने साथी से अवास्तविक उम्मीदें न रखने की सलाह भी देता है। परफेक्ट पार्टनर की तलाश करने पर अपेक्षाओं के पूरा न होने से आपकाे निराशा हो सकती है।
टैरो कार्ड रीडिंग में द लवर्स कार्ड महत्वपूर्ण आर्थिक निर्णयों का प्रतिनिधित्व करता है। यह कार्ड अक्सर उस स्थिति को दर्शाता है जब आप चौराहे पर खड़े होते हैं, जहां एक रास्ता दूसरे से बिल्कुल अलग दिशा में जाता है। यह कार्ड आपको प्रेरित करता है कि आप अपने वित्तीय निर्णयों को अपने आदर्शों और रुचि के साथ मिलाएं ताकि आपको केवल लाभ ही नहीं बल्कि लंबे समय तक संतुष्टि भी मिल सके।
करियर टैरो रीडिंग में नाइन ऑफ वैंड्स कार्ड मिला है जो कि एक मुश्किल दौर के बाद एक कठिन कार्य के खत्म होने की ओर संकेत कर रहा है। इसमें थकान और निराशा को पार करने के लिए धैर्य और दृढ़ता की आवश्यकता होती है। यह कार्ड बताता है कि अपने संसाधनों और ऊर्जा को थकाऊ कार्यों या चुनौतीपूर्ण सहकर्मियों से बचाकर रखने के लिए आपको कुछ स्पष्ट सीमाएं निर्धारित करने की जरूरत है।
स्वास्थ्य के मामले में आपको टू ऑफ स्वॉर्ड्स कार्ड मिला है जो कि भावनात्मक स्वास्थ्य और दबी या अवरूद्ध भावनाओं की वजह से पैदा हुई स्वास्थ्य समस्याओं पर सावधानीपूर्वक विचार करने की ओर इशारा कर रहा है। इस समय आपको झिझक हो सकती है। इस कार्ड के अनुसार आपको भावनात्मक या मानसिक असंतुलन के कारण आपको अपने स्वास्थ्य को लेकर कुछ कठिन निर्णय लेने की जरूरत हो सकती है।
लकी चार्म: अपने घर के अंदर व्हीट स्टॉक रखें।
बृहत् कुंडलीमें छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरालेखा-जोखा
मिथुन राशि
प्रेम जीवन: सेवेन ऑफ वैंड्स
आर्थिक जीवन: ऐट ऑफ वैंड्स
करियर: स्ट्रेंथ
स्वास्थ्य: व्हील ऑफ फॉर्च्यून
टैरो साप्ताहिक राशिफल के अनुसार प्रेम जीवन में मिथुन राशि के जातकों को सेवेन ऑफ वैंड्स कार्ड मिला है। इस कार्ड का कहना है कि आपको अपने रिश्ते को दूसरों के प्रभाव या आंतरिक कलह से बचाने के लिए कुछ सीमा बनानी चाहिए और अपने सिद्धांतों के लिए खड़ा होना चाहिए। यह कार्ड कहता है कि आपको साहसपूर्वक बात करनी चाहिए, अपने रिश्ते को बचाना चाहिए और अड़चनों को पार करने के लिए अपने पार्टनर के साथ आपसी सहयोग करना चाहिए।
आर्थिक जीवन की बात करें, तो अपराइट ऐट ऑफ स्वॉर्ड्स कार्ड यह संकेत देता है कि आप अपने डर और सीमाओं की वजह से विवश महसूस कर रहे हैं। आप सोच रहे हैं कि आपके पास सीमित विकल्प हैं जबकि ऐसा नहीं है। सच तो यह है कि असल में अड़चनें भौतिक नहीं बल्कि मानसिक कारण से हैं। आपको अपनी मान्यताओं पर फिर से विचार करना चाहिए। आपको यह समझने की जरूरत है कि आपके पास अपनी सोच से कहीं अधिक प्रभाव और शक्ति है। वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए आपको नए और रचनात्मक तरीकों की तलाश करनी चाहिए।
अपराइट स्ट्रेंथ टैरो कार्ड करियर रीडिंग में आंतरिक रूप से दृढ़ रहने, साहस और आत्मविश्वास रखने का प्रतिनिधित्व करता है जिससे अड़चनों को पार किया जा सकता है, चुनौतीपूर्ण कार्यों के सामने डटकर खड़ा रहा जा सकता है और अपने प्रभुत्व को जमाने के लिए आक्रामकता के बजाय समझदारी से काम लिया जा सकता है। यह कार्ड ताकत, धैर्य और प्रभावी तरीके से तनाव को नियंत्रित करने के समय को दर्शाता है जिससे आप प्रगति एवं लाभ प्राप्त कर सकें।
स्वास्थ्य के क्षेत्र में व्हील ऑफ फॉर्च्यून कार्ड प्रगति और चुनौतियों दोनों को दर्शाता है। यह हमें सिखाता है कि सेहत से जुड़े मामलों में उतार-चढ़ाव आना एक स्वाभाविक चक्र है और इन्हें स्वीकार करना आवश्यक है। अगर आप इस समय कसी स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहे हैं, तो इस कार्ड के अनुसार आपके अंदर इतनी शक्ति और ताकत है कि आप इन चुनौतियों को पार कर सकें।
लकी चार्म: एक्वामरीन स्टोन
कर्क राशि
प्रेम जीवन: पेज ऑफ स्वॉर्ड्स
आर्थिक जीवन: द हर्मिट
करियर: ऐस ऑफ कप्स
स्वास्थ्य: थ्री ऑफ पेंटाकल्स
कर्क राशि के लोगों को लव लाइफ में पेज ऑफ स्वॉर्ड्स कार्ड मिला है। यह कार्ड कहता है कि आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ रिश्ते में आ सकते हैं जो युवा और जिज्ञासु हो एवं जिसे बौद्धिक बातें करना पसंद हो लेकिन इसके साथ ही वह भावनात्मक रूप से अपरिपक्व, असुरक्षित और संकोची भी हो सकता है। वहीं दूसरी ओर, यह कार्ड एक ऐसे समय के भी संकेत दे सकता है जिसमें आप और आपके पार्टनर के बीच खुलकर एवं ईमानदारी से बातचीत हो और आप दोनों एक-दूसरे से नई अवधारणाओं को साझा करें।
टैरो साप्ताहिक राशिफल के अनुसार द हर्मिट कार्ड कहता है कि आपको आत्म-चिंतन और बचत करने के साथ-साथ वित्तीय संपन्नता से ऊपर अपनी खुद की खुशियों को रखने की जरूरत है। आप एक कदम पीछे लेकर अपने वित्तीय उद्देश्यों पर विचार करें और देखें कि वे किस तरह से आपके मूल्यों के साथ मेल खा सकते हैं और फिजूलखर्च से बचें।
प्रोफेशनल रीडिंग में अपराइट ऐस ऑफ कप्स कार्ड रचनात्मक कार्यों, प्रमोशन, नए बदलाव, भावनात्मक रूप से संतुष्ट करने वाले अवसरों को दर्शाता है। इस कार्ड का कहना है कि आपके ऑफिस का माहौल उदार और उत्साहजनक हो सकता है। यह कार्ड इस बात पर प्रकाश डालता है कि आपको अपने पैशन पर काम करना चाहिए और नए चुनौतीपूर्ण कार्यों को स्वीकार करना चाहिए। यह कार्ड नए करियर या मौजूदा स्थिति में ही एक नई शुरुआत के संकेत भी दे रहा है।
स्वास्थ्य के मामले में अपराइट थ्री ऑफ पेंटाकल्स कार्ड इस बात का प्रतिनिधित्व करता है कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आपको पूरे फोकस के साथ प्रयास करने और समर्पण की आवश्यकता है। यह अक्सर टीम के साथ मिलकर काम करने या दूसरों के अनुभव से सीखने के ज़रिए होता है। इस कार्ड का कहना है कि आपको एक निर्धारित योजना का पालन करना चाहिए जैसे कि डाइट या एक्सरसाइज रूटीन या फिर आप किसी विशेषज्ञ से सलाह भी ले सकते हैं।
लकी चार्म: लेडीबग ब्रेसलेट या चेन
सिंह राशि
प्रेम जीवन: टेन ऑफ स्वॉर्ड्स
आर्थिक जीवन: द लवर्स
करियर: नाइट ऑफ कप्स
स्वास्थ्य: जजमेंट
टैरो साप्ताहिक राशिफल का कहना है कि सिंह राशि के जातकों को इस सप्ताह टेन ऑफ स्वॉर्ड्स कार्ड मिला है। यह कार्ड अपराइट या रिवर्स आने पर दर्शाता है कि आपके रिश्ते का अंत हो सकता है या आपका ब्रेकअप तकलीफदेह हो सकता। विश्वासघात, किसी संकट या सब कुछ खत्म होने की वजह से आपका रिश्ता टूट सकता है। भले ही स्थिति मुश्किल और दर्दनाक हो लेकिन यह कार्ड संकेत देता है कि इसके बाद भी समाधान और सकारात्मक बदलाव की संभावना मौजूद है।
वित्तीय अवसर मिलने के लिए यह उत्तम समय है। यह बड़ा निवेश करने और अच्छा रिटर्न प्राप्त करने के लिए अनुकूल समय है। द लवर्स कार्ड संकेत देता है कि आपको नए वित्तीय अवसर मिलने वाले हैं। इस कार्ड का यह भी कहना है कि आपको एक से ज्यादा नौकरी के अवसर मिल सकते हैं या आपको नया बिज़नेस करने का मौका भी मिल सकता है जिससे आपकी वित्तीय स्थिति बेहतर हो सकती है।
टैरो करियर रीडिंग में अपराइट नाइट ऑफ कप्स कार्ड कलात्मक तरीके से अपने विचारों को व्यक्त करने, रचनात्मक प्ररेणा स्रोत और कूटनीतिक कौशल को दर्शाता है। इस कार्ड का कहना है कि आप ऐसे पेशों में सफलता पा सकते हैं जिनमें संवेदनशीलता और पैशन की जरूरत होती है जैसे कि काउंसलिंग, हीलिंग या कला। यह कार्ड इस बात के भी संकेत देता है कि आपके अंदर समस्याओं को हल करने का सकारात्मक दृष्टिकोण रहेगा और कार्यक्षेत्र में आपके सामने नए अवसर आ सकते हैं।
हेल्थ रीडिंग के अनुसार अपराइट जजमेंट कार्ड मुश्किल समय के बाद बीमारी से ठीक होने, उपचार और नया जन्म होने को दर्शाता है। यह कार्ड नकारात्मक विचारों को छोड़ने के लिए प्रेरित करता है ताकि आप अपने स्वास्थ्य को लेकर नई प्रतिबद्धता को अपना सकें। इस कार्ड का कहना है कि आपको ठीक होने और सकारात्मक विकास की दिशा में आवश्यक कदम उठाने चाहिए। साथ ही आपके लिए यह समय पुनर्मूल्यांकन का भी संकेत है ताकि आप अपने जीवन में सुधार ला सकें और बेहतर दिशा चुन सकें।
लकी चार्म: गोल्डन सन शेप्ड चार्म
कन्या राशि
प्रेम जीवन: द हिरोफैंट
आर्थिक जीवन: टू ऑफ पेंटाकल्स
करियर: द एम्प्रेस
स्वास्थ्य: जस्टिस
कन्या राशि के लोगों को प्रेम जीवन में द हिरोफैंट कार्ड दिया है जो कि दर्शाता है कि रिश्ते में दोनों साथी समान मूल्यों, विश्वासों और जीवनशैली को साझा करते हैं। यह कार्ड विवाह, प्रतिबद्धता और पारंपरिक रिश्तों का प्रतीक है। जो जातक रिश्ते में हैं या विवाहित हैं, उनके लिए यह कार्ड लंबे समय तक चलने वाले और प्रतिबद्ध रिश्ते की ओर संकेत कर रहा है जबकि सिंगल जातकों को कोई ऐसा पार्टनर मिल सकता है जो उनके पारंपरिक मूल्यों को साझा करता हो।
टैरो साप्ताहिक राशिफल में टू ऑफ पेंटाकल्स अपराइट कार्ड दर्शाता है कि आय के स्रोतों में लचीलापन और संतुलन लाना बहुत आवश्यक है जैसे कि आपको कई वित्तीय जिम्मेदारियों या आय के स्रोतों के बीच संतुलन बनाना पड़ सकता है। आपको बजट बनाकर चलने और धन के मामले में थोड़ा लचीला बनने की जरूरत है।
करियर रीडिंग के अनुसार द एम्प्रेस अपराइट कार्ड कहता है कि इस समय आपकी रचनात्मकता में वृद्धि होगी, आप समृद्ध होंगे और विकास करेंगे। आपको कला, प्रकृति, दूसरों की देखभाल करने या नेतृत्व से जुड़े कामों में सफलता मिलने के संकेत हैं। यह कार्ड आपको अपने पैशन पर काम करने, रचनात्मक विचार लाने और सकारात्मक माहौल बनाने के लिए प्रेरित कर रहा है।
हेल्थ रीडिंग में आपको अपराइट जस्टिस कार्ड मिला है जो कि स्वास्थ्य के मामले में संतुलन, समानता और जिम्मेदारी को दर्शाता है। यह कार्ड खुद की देखभाल करने, स्वस्थ आहार अपनाने और व्यायाम करने एवं बीमारियों से बचने के लिए अपनी सेहत से जुड़े सच का सामना करने के लिए कह रहा है।
लकी चार्म: क्रिस्टल ट्री
तुला राशि
प्रेम जीवन: द चैरियट
आर्थिक जीवन: क्वीन ऑफ पेंटाकल्स
करियर: नाइन ऑफ कप्स
स्वास्थ्य: फाइव ऑफ कप्स (रिवर्स्ड)
टैरो साप्ताहिक राशिफल में तुला राशि को द चैरियट कार्ड दिया गया है। यह कार्ड एक ऐसे सफर को दर्शाता है जहां पर दो लोग एक जैसे लक्ष्य के साथ एक अनजानी दुनिया में कदम रख रहे हैं। आपको अपने रिश्ते में साहस और दृढ़ निश्चय के साथ जिम्मेदारी उठानी चाहिए। आप चुनौतियों का डटकर सामना करें, हार न मानें और रिश्ते को एक मजबूत, समर्पित एवं लंबे समय तक चलने वाले संबंध की ओर लेकर जाएं।
धन की बात करें, तो यहां पर आपको अपराइट क्वीन ऑफ पेंटाकल्स कार्ड मिला है जो कि बहुत अच्छा कार्ड है। इस कार्ड का कहना है कि आप कड़ी मेहनत, अनुशासन और अच्छी तालीम की मदद से संपन्नता, सुरक्षा और सफलता प्राप्त कर सकते हैं। यह कार्ड कहता है कि आप धन को अच्छी तरह से संभालने में सक्षम हैं। आप अपनी आय और क्षमता के अनुसार जीवन जीते हैं और भौतिक सुख-सुविधाओं एवं स्वाद और गुणवत्ता के बीच संतुलन बनाकर चलते हैं।
करियर में तुला राशि के लोगों को अपराइट नाइन ऑफ कप्स कार्ड मिला है जो कि एक बहुत अच्छा कार्ड है। इस कार्ड का कहना है कि आप समझदारी से किए गए निवेश या आय के स्रोतों को अच्छी तरह से संभालने की वजह से संपन्न और स्थिर रहेंगे एवं अपने वित्तीय लक्ष्यों को प्राप्त कर पाएंगे। यह कार्ड बताता है कि आर्थिक जीवन में आप आरामदायक स्थिति में हैं, जीवन के सुखों का आनंद ले रहे हैं और आपको सांसारिक सुख के लिए आभार व्यक्त करना चाहिए। यह कार्ड संकेत देता है कि आपको नौकरी या बिज़नेस में कई अच्छे अवसर मिलने वाले हैं जिससे आप सुख-सुविधाओं से भरपूर और आरामदायक जीवन जी पाएंगे। करियर के क्षेत्र में जल्द ही आपके सपने पूरे होने वाले हैं।
हेल्थ रीडिंग में फाइव ऑफ कप्स इनवर्टिड कार्ड दर्शाता है कि आप पुरानी स्वास्थ्य समस्याओं को भूल रहे हैं, खुद को माफ करना सीख रहे हैं, दर्द या निराशा को पीछे छोड़ रहे हैं और अब धीरे-धीरे आपकी मानसिक और शारीरिक मजबूती वापस आ रही है।
लव टैरो रीडिंग में वृश्चिक राशि को द मून कार्ड मिला है जो बताता है कि इस समय आपका रिश्ता भावनात्मक और आत्मिक रूप से मजबूत होगा। यह वह समय है जब आपका अवचेतन मन और भावनाएं आपके रिश्ते को गहराई से प्रभावित कर रही हैं। लेकिन यह कार्ड गलतफहमियों, अनकहे सच या चिंताओं को भी दर्शाता है। इस कार्ड का कहना है कि आपको अपने मन की सुननी चाहिए, उन भावनाओं पर विचार करें जो आपने अब तक व्यक्त नहीं की हैं और साथ ही आपको यह समझना चाहिए कि चीज़ें हमेशा वैसी नहीं होती है, जैसी वे दिखती हैं।
वित्तीय जीवन में नाइट ऑफ पेंटाकल्स कार्ड मिला है जिसके अनुसार आप व्यवस्थित, धीरे-धीरे और अनुशासित तरीके से धन या संपत्ति इकट्ठा कर सकते हैं। यह कार्ड सावधानी से योजना बनाने, वास्तविक दीर्घकालिक उद्देश्य रखने और जल्दी पैसा कमाने वाली स्कीमों के बजाय सुरक्षित और भरोसेमंद निवेश करने पर ज़ोर देता है।
करियर में नाइट ऑफ स्वॉर्ड्स कार्ड महत्वाकांक्षा, कोई ठोस कदम उठाने और लक्ष्य को पाने के लिए प्रयास करने को दर्शाता है। इस कार्ड का कहना है कि सफलता पाने के लिए तुरंत और कभी-कभी कठोर रणनीति बनानी पड़ती है। यह कार्ड अड़चनों को पार करने या नए अवसरों का लाभ उठाने के लिए जोखिम से न डरने, साहसी बनने और दृढ़तापूर्वक कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
सेहत के लिहाज़ से अपराइट पेज ऑफ कप्स कार्ड शुभ संकेत लेकर आ रहा है जिसके अनुसार किसी स्वास्थ्य समस्या का निदान हो सकता है। यह कार्ड गर्भावस्था या उपचार की ओर भी संकेत कर रहा है। इसके अलावा इस कार्ड का कहना है कि आपके आध्यात्मिक विकास और सहज ज्ञान में वृद्धि होगी। आपको अपने जीवन में जागरूकता लानी चाहिए और अपने अंदर की सच्चाई या अंतर्ज्ञान पर विश्वास रखें ताकि आप सही दिशा में निर्णय ले सकें।
धनु राशि के जातकों को लव लाइफ में क्वीन ऑफ पेंटाकल्स कार्ड मिला है। आप अपने रिश्ते में सुरक्षित और आत्मविश्वास से महसूस भरपूर रहेंगे और आप इसके हकदार भी हैं क्येंकि आपने इसे पाने के लिए बहुत प्रयास किए हैं। आप दयालु, आत्मविश्वास से भरपूर, दूसरों की मदद करने वाले, व्यवहारिक, समर्पित, दूसरों की देखभाल करने वाले और मेहमान नवाज़ होंगे।
द स्टार कार्ड बाधाओं को पार करने के बाद प्रगति, वित्तीय सुरक्षा और आशा को दर्शाता है। इस कार्ड का कहना है कि आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत है और यह कार्ड वर्तमान में जीने और भविष्य के लिए एक स्थिर योजना बनाने के बीच संतुलन बनाने के लिए बढ़ावा दे रहा है। यह कार्ड आपको कृतज्ञता व्यक्त करने, आशावादी बने रहने के लिए कह रहा है। इसके साथ ही आपको अप्रत्याशित आर्थिक लाभ और समाधानों के लिए तैयार रहना चाहिए। इस कार्ड का कहना है कि आपको ईश्वर की योजना पर विश्वास और उम्मीद रखनी चाहिए।
करियर रीडिंग में अपराइट टू ऑफ वैंड्स कार्ड दर्शाता है कि यह समय सही निर्णय लेने, योजना बनाने और नए अवसरों का लाभ उठाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह कार्ड कहता है कि आपको अपने करियर को लेकर केवल आज के बारे में नहीं बल्कि आने वाले समय के बारे में भी सोचना चाहिए। भविष्य में स्थिरता और प्रगति पाने के लिए आपको अपने दीर्घकालिक लक्ष्यों का मूल्यांकन करना चाहिए, पारंपरिक रास्तों से हटकर नए और अनोखे तरीके ढूंढने चाहिए एवं सोच-समझकर जोखिम उठाना चाहिए।
टैरो साप्ताहिक राशिफल में स्वास्थ्य के क्षेत्र में आपको ऐट ऑफ कप्स कार्ड मिला है जिसके अनुसार आपको खुद को प्राथमिकता देनी चाहिए और संभावित असंतुलन को दूर करना चाहिए। यह कार्ड इस बात का संकेत हो सकता है कि आपको तनावपूर्ण स्थितियों से ब्रेक लेना चाहिए, अपनी प्राथमिकताओं के बारे में दोबारा से सोचना चाहिए और थोड़ा आराम करना चाहिए एवं आरोग्य रहना चाहिए। यह समय आत्मचिंतन और स्वास्थ्य में सुधार के लिए हो सकता है जिसमें आदतों या जीवनशैली में बदलाव करना शामिल हो सकता है।
लकी चार्म: कंपास शेप्ड चार्म
मकर राशि
प्रेम जीवन: किंग ऑफ स्वॉर्ड्स
आर्थिक जीवन: स्ट्रेंथ
करियर: टेन ऑफ स्वॉर्ड्स
स्वास्थ्य: ऐस ऑफ कप्स
लव टैरो रीडिंग में आपको किंग ऑफ स्वॉर्ड्स कार्ड मिला है जो कि एक ऐसे रिश्ते को दर्शाता है जिसका आधार सम्मान है एवं आप और आपके पार्टनर की बौद्धिक समझ एक-दूसरे से मेल खाती है। आप दोनों एक-दूसरे से जल्दबाज़ी के बजाय स्पष्ट और तार्किक बात करना पसंद करते हैं। यह कार्ड दर्शाता है कि रिश्ते में साथी की उम्मीदें काफी ऊंची हो सकती हैं। वह चाहता है कि रिश्ता पूरी तरह से ईमानदारी और तर्कसंगतता पर टिका रहे। इस कार्ड का कहना है कि आप दोनों में से एक पार्टनर ज्यादा व्यवहारिक और संयमित है एवं अपनी भावनाओं को खुलकर व्यक्त नहीं करता है।
फाइनेंशियल टैरो रीडिंग में अपराइट स्ट्रेंथ कार्ड मिला है जो कि साहस, धन खर्च करने के मामले में आत्म-नियंत्रण और समझदारी से दीर्घकालिक वित्तीय निर्णय लेने का प्रतिनिधित्व करता है। इस कार्ड का कहना है कि वित्तीय बाधाओं को दूर करने और सोच-समझकर वित्तीय जोखिम उठाने की क्षमता और आंतरिक शक्ति आपके अंदर मौजूद है।
मकर राशि को करियर के क्षेत्र में टेन ऑफ स्वॉर्ड्स कार्ड मिला है जो कि किसी चीज़ के खत्म होने, नौकरी छूटने या कार्यक्षेत्र में मुश्किल समय को दर्शाता है। इस कार्ड का कहना है कि आप अपने काम से थकान या विश्वासघात महसूस कर सकते हैं या फिर अब आपको ये एहसास हो गया है कि आप जो नौकरी कर रहे हैं, उसमें अब आपको कोई आनंद नहीं मिल पा रहा है। हालांकि, यह कार्ड नई शुरुआत और आपके लिए बेहतर राह खोजने के अवसर का भी प्रतीक है।
हेल्थ रीडिंग में ऐस ऑफ कप्स कार्ड मिला है। अगर आप स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, तो यह कार्ड एक अच्छा संकेत है। यह कार्ड एक नई शुरुआत के संकेत दे रहा है जिसमें आप अपनी सेहत में सुधार देख सकते हैं या आपकी ऊर्जा के स्तर में वृद्धि हो सकती है। अगर आप गर्भधारण करने की कोशिश कर रही हैं, तो ऐस ऑफ कप्स आपके लिए एक सकारात्मक संकेत है क्योंकि यह कार्ड प्रजनन क्षमता और गर्भावस्था का भी संकेतक हो सकता है।
लकी चार्म: ओनिक्स
कुंभ राशि
प्रेम जीवन: फाइव ऑफ पेंटाकल्स
आर्थिक जीवन: किंग ऑफ वैंड्स
करियर: ऐस ऑफ वैंड्स
स्वास्थ्य: नाइन ऑफ स्वॉर्ड्स
टैरो साप्ताहिक राशिफल के अनुसार कुंभ राशि के लोगों को अपराइट फाइव ऑफ पेंटाकल्स कार्ड मिला है जिसके अनुसार आपको अपने रिश्ते में मुश्किलें देखनी पड़ सकती हैं। रिश्ते में सहयोग की कमी हो सकती है या भावनात्मक या वित्तीय स्तर पर उपेक्षा होने की वजह से मन में असुरक्षा और अकेलेपन की भावना आ सकती है। इस कार्ड का कहना है कि आप और आपके पार्टनर में से कोई एक या आप दोनों ही भावनात्मक रूप से टूटा हुआ, बहिष्कार या सहयोग की कमी महसूस कर सकते हैं।
अपराइट किंग ऑफ वैंड्स कार्ड वित्तीय जीवन में आत्मविश्वास, नेतृत्व करने की क्षमता और दूरदर्शिता को दर्शाता है। इस कार्ड के अनुसार इस समय आप संपन्न रहेंगे और दृढ़ संकल्प एवं ठोस कदम उठाकर अपने वित्तीय लक्ष्यों को पाने में सफल होंगे। यह कार्ड आपको जिम्मेदारी लेने, अपने मन की सुनने और आर्थिक जीवन में सफलता पाने के लिए अपने पैशन और अनुभव का उपयोग करने के लिए प्रेरित कर रहा है।
करियर की बात करें, तो अपराइट ऐस ऑफ वैंड्स कार्ड एक नई शुरुआत के संकेत दे रहा है जो प्रेरणा, रचनात्मक ऊर्जा और मजबूत कदम उठाने की वजह से संभव हो पाएगा। इस कार्ड का कहना है कि आपको कार्यक्षेत्र में प्रगति के अवसर मिलेंगे, आप नए प्रयास करेंगे, प्रमोशन मिलने के योग हैं या फिर आप अपना बिज़नेस भी शुरू कर सकते हैं। यह आपके पैशन और खास प्रतिभा की वजह से हो पाएगा।
स्वास्थ्य के लिहाज़ से नाइन ऑफ स्वॉर्ड्स कार्ड मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं जैसे कि तनाव, चिंता और अनिद्रा को दर्शाता है। अत्यधिक चिंता और विचारों के कारण ऐसा हो सकता है। इन समस्याओं से निपटने के लिए आपको रचनात्मक तरीकों जैसे कि किताबें पढ़ना, ध्यान करना या प्रोफेशनल उपचार को अपनाना चाहिए। आप ऐसी चीज़ों में भी शामिल हो सकते हैं जो भावनात्मक स्वास्थ्य को बढ़ावा दे और अच्छी नींद पाने में मदद करे।
लव लाइफ में द एम्पेरर कार्ड एक मजबूत और व्यवस्थित रिश्ते की ओर इशारा कर रहा है। इस कार्ड का कहना है कि आपका पार्टनर आपको यह समझाना चाहता है कि यह रिश्ता अस्थायी नहीं है और वे इसके लिए गंभीर हैं। वह चाहते हैं कि आप रिश्ते में सुरक्षा और स्थिरता महसूस करें क्योंकि आपके लिए उनके मन में स्थिर और गहरी भावनाएं हैं।वह योजनाबद्ध तरीके से अपने रिश्ते को आगे बढ़ाना चाहते हैं। वह रिश्ता शुरू करने से पहले कुछ विशेष कदम उठाते हैं लेकिन एक बार किसी के प्रति प्रतिबद्ध होने के बाद उस रिश्ते को पूरी ईमानदारी के साथ निभाते हैं।
आर्थिक जीवन में द हैंग्ड मैन ठहराव के संकेत दे रहा है। इस कार्ड का कहना है कि आपको धैर्य रखना चाहिए, अपने दृष्टिकोण में बदलाव लाना चाहिए और वित्तीय निर्णय लेने या आर्थिक स्तर पर प्रगति करने के लिए अपको सही समय का इंतज़ार करना चाहिए। सरल शब्दों में कहें, तो आपको अपनी आर्थिक स्थिति का पुनर्मूल्यांकन करना चाहिए, नए और रचनात्मक हल निकालने चाहिए और कभी-कभी भविष्य में लाभ पाने के लिए सोच-समझकर कुछ त्याग करने चाहिए।
द मैजिशियन कार्ड के अनुसार आपको अपने करियर में नए अवसर मिलने वाले हैं। ये अवसर आपसे जोखिम उठाने और अनोखे विचारों पर काम करने की अपेक्षा कर सकते हैं। द मैजिशियन कार्ड अपने रहस्यों को कभी भी आसानी से उजागर नहीं करता है इसलिए आप इस समय कुछ लोगों के सामने अपनी योजनाओं और रहस्यों को ज़ाहिर न करें। नया बिज़नेस शुरू करने या प्रमोशन पाने के लिए यह शानदार समय है क्योंकि इस समय आप आत्मविश्वास से भरपूर और मजबूत महसूस करेंगे। आपके जीवन में कुछ बड़ा होने वाला है।
हेल्थ रीडिंग में मीन राशि को क्वीन ऑफ कप्स कार्ड मिला है जिसके अनुसार आपको अपनी मानसिक और शारीरिक सेहत को पहले महत्व देना चाहिए। अपनी शरीर की जरूरतों पर ध्यान देना चाहिए और अपने प्रति थोड़ा दयालु बनना चाहिए। इस कार्ड का कहना है कि आपको अपने मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि हो सकता है कि आप दूसरों के साथ बहुत ज्यादा व्यस्त रहने की वजह से अपनी जरूरतों का ख्याल न रख पाए हों।
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. टैरो एक दिव्य साधन के रूप में कहां पर उभरा था?
उत्तर. यूरोप में।
प्रश्न 2. क्या टैरो की उत्पत्ति भविष्यवाणी करने के लिए हुई थी?
उत्तर. पहले टैरो की उत्पत्ति कार्ड्स के एक गेम के रूप में हुई थी और बाद में इससे भविष्यवाणी की जाने लगी।
प्रश्न 3. टैरो का आविष्कार कब हुआ था?
उत्तर. यूरोप में लगभग 1400 के दशक में
अंक ज्योतिष साप्ताहिक राशिफल: 05 अक्टूबर से 11 अक्टूबर, 2025
कैसे जानें अपना मुख्य अंक (मूलांक)?
अंक ज्योतिष साप्ताहिक भविष्यफल जानने के लिए अंक ज्योतिष मूलांक का बड़ा महत्व है। मूलांक जातक के जीवन का महत्वपूर्ण अंक माना गया है। आपका जन्म महीने की किसी भी तारीख़ को होता है, उसको इकाई के अंक में बदलने के बाद जो अंक प्राप्त होता है, वह आपका मूलांक कहलाता है। मूलांक 1 से 9 अंक के बीच कोई भी हो सकता है, उदाहरणस्वरूप- आपका जन्म किसी महीने की 10 तारीख़ को हुआ है तो आपका मूलांक 1+0 यानी 1 होगा।
इसी प्रकार किसी भी महीने की 1 तारीख़ से लेकर 31 तारीख़ तक जन्मे लोगों के लिए 1 से 9 तक के मूलांकों की गणना की जाती है। इस प्रकार सभी जातक अपना मूलांक जानकर उसके आधार पर साप्ताहिक राशिफल जान सकते हैं।
अपनी जन्मतिथि से जानें साप्ताहिक अंक राशिफल (05 अक्टूबर से 11 अक्टूबर, 2025)
अंक ज्योतिष का हमारे जीवन पर सीधा प्रभाव पड़ता है क्योंकि सभी अंकों का हमारे जन्म की तारीख़ से संबंध होता है। नीचे दिए गए लेख में हमने बताया है कि हर व्यक्ति की जन्म तिथि के हिसाब से उसका एक मूलांक निर्धारित होता है और ये सभी अंक अलग-अलग ग्रहों द्वारा शासित होते हैं।
जैसे कि मूलांक 1 पर सूर्य देव का आधिपत्य है। चंद्रमा मूलांक 2 का स्वामी है। अंक 3 को देव गुरु बृहस्पति का स्वामित्व प्राप्त है, राहु अंक 4 का राजा है। अंक 5 बुध ग्रह के अधीन है। 6 अंक के राजा शुक्र देव हैं और 7 का अंक केतु ग्रह का है। शनिदेव को अंक 8 का स्वामी माना गया है। अंक 9 मंगल देव का अंक है और इन्हीं ग्रहों के परिवर्तन से जातक के जीवन में अनेक तरह के परिवर्तन होते हैं।
बृहत् कुंडलीमें छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरालेखा-जोखा
मूलांक 1
(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 1, 10, 19, 28 तारीख़ को हुआ है)
इस मूलांक वाले जातक अधिक सचेत और समय के पाबंद होते हैं। ये लोग व्यवस्थित तरीके से काम करते हैं।
प्रेम जीवन: इस समय आप अपने जीवनसाथी के प्रति अधिक ईमानदार रहेंगे। आपका पार्टनर आपके लिए प्रतिबद्ध रह सकता है और उनके इस रवैये से आपको खुशी मिलेगी।
शिक्षा: प्रोफेशनल स्टडीज़ जैसे कि एमबीए, कानून और अन्य विषयों की पढ़ाई कर रहे छात्र अच्छा प्रदर्शन करेंगे। इससे आपको अपनी काबिलियत का पता चलेगा।
पेशेवर जीवन: यदि आप नौकरी करते हैं, तो आप अपने काम में कौशल दिखाने और अच्छा प्रदर्शन करने में सक्षम होंगे। आप अपने कार्यक्षेत्र में शानदार प्रदर्शन कर सकते हैं और इसका लाभ उठा सकते हैं। वहीं व्यापारी अच्छा मुनाफा कमाने में विशेष कौशल दिखा सकते हैं।
सेहत: इस समय आपका स्वास्थ्य अच्छा रहने वाला है और ऐसा आपकी इम्युनिटी के मजबूत रहने की वजह से हो सकता है। आपके जोश और उत्साह से भरपूर रहने की वजह से आपका स्वास्थ्य दुरुस्त रहेगा।
उपाय: आप रविवार के दिन सूर्य ग्रह के लिए यज्ञ-हवन करें।
मूलांक 2
(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 2, 11, 20, 29 तारीख़ को हुआ है)
इस मूलांक वाले जातकों की यात्रा करने में अधिक रुचि हो सकती है। ये लोग लगातार सोच-विचार करते रहते हैं और इस सप्ताह अपनी योग्यता को निखारने के लिए इसका प्रयोग कर सकते हैं।
प्रेम जीवन: इस सप्ताह आप अपने पार्टनर के प्रति प्यार दिखाने में असफल हो सकते हैं। इस वजह से आपके और आपके पार्टनर का रिश्ता खराब हो सकता है। आप दोनों का संबंध कमज़ोर पड़ सकता है।
शिक्षा: यदि आप इस समय उच्च शिक्षा ले रहे हैं या योजना बना रहे हैं, तो आपको इस सप्ताह ऐसा करने से बचना चाहिए क्योंकि इस दौरान आप उच्च अंक प्राप्त करने में असमर्थ हो सकते हैं।
पेशेवर जीवन: नौकरीपेशा जातक इस समय गुणवत्ता के साथ काम नहीं कर पाएंगे। इसका असर उनके प्रदर्शन पर पड़ सकता है। वहीं व्यापारी आवश्यक मुनाफा कमाने में असमर्थ हो सकते हैं।
सेहत: आपको इस सप्ताह गंभीर रूप से जुकाम और खांसी होने की आशंका है। इम्युनिटी कमज़ोर होने की वजह से ऐसा हो सकता है।
उपाय: आप सोमवार के दिन चंद्रमा के लिए यज्ञ हवन करें।
मूलांक 3
(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 3, 12, 21, 30 तारीख़ को हुआ है)
इस मूलांक वाले जातक बहुत निष्ठावान होते हैं। इन्हें आध्यात्मकि उद्देश्यों से यात्रा पर जाना पड़ सकता है और ये यात्राएं इनके लिए लाभकारी सिद्ध होंगी। इस मूलांक वाले लोग खुले विचारों वाले होते हैं और अपने जीवन में इसे अपनाते हैं।
प्रेम जीवन: इस समय आप अपने जीवनसाथी के साथ अधिक ईमानदार नज़र आएंगे और उनके प्रति समर्पित रहेंगे। इस वजह से आप अपने रिश्ते को बनाए रखने और उसे मजबूत करने में सक्षम हो सकते हैं। आप इस समय का आनंद लेंगे।
शिक्षा: छात्र इस सप्ताह उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपने कौशल का प्रदर्शन करने में सक्षम होंगे। ऐसा आपके अंदर मौजूद कौशल की वजह से हो सकता है।
पेशेवर जीवन: नौकरीपेशा जातक अपने कार्यक्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करेंगे और सफलता प्राप्त करेंगे। व्यापारी एक मजबूत प्रतिद्वंदी के रूप में उभर कर सामने आ सकते हैं और अच्छा मुनाफा कमाने में सफल होंगे।
सेहत: ऊर्जा एवं उत्साह से भरपूर रहने की वजह से आपकी सेहत इस सप्ताह अच्छी रहने वाली है।
उपाय: बृहस्पतिवार के दिन बृहस्पति ग्रह के लिए यज्ञ-हवन करें।
मूलांक 4
(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 4, 13, 22, 31 तारीख़ को हुआ है)
इस मूलांक वाले जातक इस सप्ताह अधिक जुनूनी हो सकते हैं। इन्हें अधिक यात्रा करने का मौका मिल सकता है जिसका ये आनंद लेते हुए नज़र आएंगे। इन्हें इस सप्ताह विदेश यात्रा पर अधिक जाना पड़ सकता है।
प्रेम जीवन: इस सप्ताह आप अपने जीवनसाथी के साथ रिश्ते में खुश रहेंगे। ऐसा आपके और आपके पार्टनर के बीच अच्छी आपसी समझ होने के कारण हो सकता है।
शिक्षा: छात्र विजुअल कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग और ग्राफिक्स जैसी प्रोफेशनल स्टडीज़ में शानदार प्रदर्शन करते हुए नज़र आएंगे। आप पढ़ाई में अपनी खास जगह बनाने में सक्षम होंगे।
पेशेवर जीवन: नौकरीपेशा जातक अपने सहकर्मियों को पीछे छोड़ सकते हैं। आप अपने कार्यक्षेत्र में बेहतरीन प्रदर्शन करेंगे। इस समय आपका प्रदर्शन शानदार रहने वाला है। वहीं व्यापारी अपने प्रतिद्वंदियों को कड़ी टक्कर देंगे और उच्च मुनाफा कमाने में सफल होंगे।
सेहत: इस समय आपके अंदर ऊर्जा का स्तर उच्च रहने वाला है और इसका असर आपकी सेहत पर भी देखने को मिलेगा। आप इस सप्ताह आशावादी रहने वाले हैं।
उपाय: आप नियमित रूप से 22 बार ‘ॐ दुर्गाय नम:’ मंत्र का जाप करें।
मूलांक 5
(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 5, 14, 23 तारीख़ को हुआ है)
मूलांक 5 वाले जातक अधिक पेशेवर दृष्टिकोण के होते हैं। ये तर्क करने में माहिर होते हैं और अपने जीवन में हमेशा इसे साथ लेकर चलते हैं।
प्रेम जीवन: इस समय आप अपने जीवनसाथी के साथ अधिक खुश रहेंगे। इस वजह से आपके और आपके पार्टनर का रिश्ता भी मजबूत बना रहेगा।
शिक्षा: आप फाइनेंशियल अकाउंटिंग, कॉस्टिंग और एमबीए आदि जैसे विषयों में शानदार प्रदर्शन करेंगे। आप उच्च अंक प्राप्त कर सकते हैं। आप अपने साथी छात्रों को कड़ी टक्कर देने और अच्छा प्रदर्शन करने में सक्षम होंगे।
पेशेवर जीवन: इस सप्ताह मूलांक 5 वाले नौकरीपेशा जातक विदेश जा सकते हैं और आप अपने काम में गुणवत्ता दिखाने के साथ-साथ अच्छा प्रदर्शन करेंगे। व्यापारियों को उच्च मुनाफा होने के योग हैं।
सेहत: रोग प्रतिरोधक क्षमता के मजबूत होने की वजह से आपकी सेहत भी अच्छी बनी रहेगी। ऐसा आपके अंदर ऊर्जा के उच्च स्तर के कारण भी हो सकता है।
उपाय: आप रोज़ प्राचीन ग्रंथ नारायणीयम का पाठ करें।
मूलांक 6
(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 6, 15, 24 तारीख़ को हुआ है)
इस मूलांक वाले जातकों की लंबी दूरी की यात्रा करने में अधिक रुचि हो सकती है। ये जातक लापरवाह स्वभाव के होते हैं। इसके अलावा इस मूलांक वाले लोग संवेदनशील भी हो सकते हैं।
प्रेम जीवन: इस सप्ताह आप अपने पार्टनर के प्रति अपने आकर्षण को दिखा सकते हैं। इस वजह से आपके और आपके और जीवनसाथी के बीच आपसी तालमेल बहुत अच्छा रहने वाला है।
शिक्षा: इस समय छात्र पढ़ाई में अच्छा प्रदर्शन करने में सक्षम होंगे। आप प्रोफेशनल स्टडीज़ भी आसानी से कर लेंगे और अपने साथी छात्रों से आगे निकल सकते हैं।
पेशेवर जीवन: नौकरीपेशा जातकों को नौकरी के नए अवसर मिलने की संभावना है जिससे वे प्रसन्न महसूस करेंगे। इससे आपको अधिक संतुष्टि मिलने के आसार हैं। व्यापारी इस समय अपने बिज़नेस में नई तकनीकों को लागू कर सकते हैं जिससे उन्हें उच्च मुनाफा होने के संकेत हैं।
सेहत: इस सप्ताह आपकी सेहत अच्छी रहने वाली है। उत्साह एवं इम्युनिटी के मजबूत होने की वजह से ऐसा हो सकता है। आपके अंदर साहस देखने को मिलेगा।
उपाय: आप नियमित रूप से 24 बार ‘ॐ शुक्राय नम:’ मंत्र का जाप करें।
(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 7, 16, 25 तारीख़ को हुआ है)
इस सप्ताह हो सकता है कि मूलांक 7 वाले जातक अपने लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त न कर पाएं। इनकी आध्यात्मिक कार्यों में अधिक रुचि हो सकती है और ये आध्यात्मिक यात्रा पर भी जा सकते हैं।
प्रेम जीवन: इस समय आप अपने जीवनसाथी से असंतुष्ट नज़र आ सकते हैं। ऐसा आप दोनों के बीच चल रही अहंकार से संबंधित समस्याओं के कारण हो सकता है। आपको उनके साथ तालमेल बिठाने की जरूरत है।
शिक्षा: इस सप्ताह छात्रों की पढ़ाई में एकाग्रता कम हो सकती है और इसकी वजह से वे इस समय शिक्षा के क्षेत्र में प्रगति करने में पीछे रह सकते हैं।
पेशेवर जीवन: आपकी अपनी मौजूदा नौकरी में दिलचस्पी कम हो सकती है और इस वजह से आप बेहतर प्रगति और संतुष्टि पाने के लिए नौकरी बदलने के बारे में सोच सकते हैं। हालांकि, यह आपको आसानी से नहीं मिल पाएगा। व्यापारी इस समय अच्छा मुनाफा कमाने में असमर्थ हो सकते हैं और उन्हें नुकसान होने की आशंका है।
सेहत: इस सप्ताह आपको त्वचा पर जलन और स्किन बर्न की शिकायत हो सकती है। ऐसा एलर्जी के कारण हो सकता है।
उपाय: आप मंगलवार के दिन केतु ग्रह के लिए यज्ञ-हवन करें।
ऑनलाइन सॉफ्टवेयर से मुफ्तजन्म कुंडली प्राप्त करें।
मूलांक 8
(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 8, 17, 26 तारीख़ को हुआ है)
इस मूलांक वाले जातक अपने सिद्धांतों को लेकर अधिक दृढ़ निश्चयी होते हैं और प्रतिबद्ध एवं ईमानदार रहते हैं। ये जातक बहुत मेहनती होते हैं।
प्रेम जीवन: इस सप्ताह आप अपने जीवनसाथी को अपना प्यार नहीं दिखा पाएंगे। आप अपने व्यवहार में उलझे हुए रह सकते हैं। कभी-कभी आप धैर्य भी खो सकते हैं।
शिक्षा: इस समय आपको पढ़ाई में अपनी एकाग्रता को बढ़ाने की जरूरत है। आप पढ़ा हुआ भूल सकते हैं और पढ़ाई पर से आपका ध्यान भटक सकता है।
पेशेवर जीवन: यदि आप नौकरी करते हैं, तो आपको अनुकूल परिणाम प्राप्त करने के लिए योजना बनाने और काम करने की जरूरत है। व्यापारियों को नुकसान हो सकता है और वे अच्छा मुनाफा कमाने में पीछे रह सकते हैं।
सेहत: आपको इस सप्ताह तनाव के कारण पैरों में दर्द होने की आशंका है। आप ध्यान और योग से इसे दूर कर सकते हैं।
उपाय: आप नियमित रूप से 11 बार ‘ॐ मंदाय नम:’ मंत्र का जाप करें।
(अगर आपका जन्म किसी भी महीने की 9, 18, 27 तारीख़ को हुआ है)
इस मूलांक वाले जातक सिद्धांतों पर चलना पसंद करते हैं। ये खुले विचारों वाले होते हैं और और अधिक यात्राएं कर सकते हैं।
प्रेम जीवन: आप अपने जीवनसाथी के साथ अधिक ईमानदार रहेंगे जिससे आपको उनसे अधिक प्यार मिल सकता है।
शिक्षा: आप मैनेजमेंट, लॉ और अकाउंटिंग जैसे विषयों में शानदार प्रदर्शन करेंगे। आप उच्च अंक प्राप्त करने में सक्षम हो सकते हैं।
पेशेवर जीवन: अगर आप नौकरी करते हैं, तो आपको काम के अधिक दबाव के कारण परेशानी हो सकती है। इसकी वजह से आपकी अपनी मौजूदा नौकरी में रुचि कम हो सकती है। व्यापारियों को इस सप्ताह अपने प्रतिद्वंदियों से अधिक दबाव देखना पड़ सकता है।
सेहत: रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमज़ोर होने के कारण आपको पाचन से संबंधित समस्याएं होने का खतरा है। इस वजह से आपको परेशानी हो सकती है।
उपाय: आप नियमित रूप से 27 बार ‘ॐ भूमि पुत्राय नम:’ मंत्र का जाप करें।
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. मूलांक 2 के इष्ट देव कौन हैं?
उत्तर. भगवान शिव हैं।
प्रश्न 2. मूलांक 4 वाले लोग कैसे होते हैं?
उत्तर. ये प्रगतिशील और मेहनती होते हैं।
प्रश्न 3. 4 अंक का स्वामी कौन है?
उत्तर. इस अंक के स्वामी राहु हैं।
शुक्र का कन्या राशि में गोचर: जानें, देश-दुनिया और राशियों पर इसका प्रभाव
शुक्र का कन्या राशि में गोचर: एस्ट्रोसेज एआई हर नए ब्लॉग के साथ आपको ज्योतिष से जुड़ी ताजा और सबसे जरूरी घटनाओं की जानकारी देने की कोशिश करता है, ताकि हमारे पाठक ज्योतिष की दुनिया की नई हलचलों से अपडेट रहें।
09 अक्टूबर 2025 की सुबह 10 बजकर 38 मिनट शुक्र का कन्या राशि में गोचर करेंगे। अब देखते हैं कि इस घटना का असर 12 राशियों शेयर बाजार और दुनिया की घटनाओं पर किस तरह पड़ सकता है।
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि कन्या राशि में शुक्र नीच का होता है, इसलिए यह सामान्य रूप से नकारात्मक परिणाम दे सकता है। लेकिन उसी समय बुध भी कन्या राशि में उच्च स्थिति में रहेगा और वह शुक्र के नीच होने के प्रभाव को कुछ हद तक समाप्त कर देगा। इसके बावजूद शुक्र असहज रहेगा और नीच के ग्रह की तरह ही असर दिखाता रहेगा।
शुक्र ग्रह,जिसे शास्त्रों में शुक्राचार्य भी कहा जाता है, ज्योतिष में रिश्तों, प्यार, सुंदरता, धन और आकर्षण का प्रतीक माना जाता है। आपकी जन्म कुंडली में शुक्र की स्थिति यह बताती है कि आपके जीवन में कौन सी चीज़ें सबसे ज्यादा अहम हैं, पैसे के प्रति आपका रवैया कैसा है, आपके अंदर कला और सुंदरता की समझ कितनी है और आप दूसरों से प्यार कैसे जताते हैं और खुद प्यार कैसे पाना चाहते हैं।
अगर शुक्र कमजोर या पीड़ित हो तो रिश्तों और पैसों से जुड़ी परेशानियां आ सकती हैं। लेकिन जब शुक्र अच्छी स्थिति में होता है तो यह इंसान की जिंदगी में संतुलन, सुकून और खुशी लाता है।
शुक्र का कन्या राशि में गोचर: कन्या राशि में शुक्र की विशेषता
जब शुक्र कन्या राशि में होता है, तो व्यक्ति के स्वभाव में साफ-सुथरेपन और परफेक्शन की जरूरत होती है। ऐसे लोग दिमाग से बहुत विश्लेषणात्मक और आलोचनात्मक होते हैं। इन्हें सेहत, सलीकेदार रहन-सहन और अच्छे पहनावे की कद्र होती है।
ये लोग बड़े-बड़े रोमांटिक ड्रामे करने की बजाय छोटे-छोटे कामों और सेवा भाव में अपना प्यार जताते हैं। कन्या राशि में शुक्र वाले लोग रिश्तों में बहुत चुनिंदा होते हैं। ये खुद की भी आलोचना ज्यादा करते हैं और दूसरों की कमियां भी जल्दी पकड़ लेते हैं।
प्यार जताने का तरीका इनका व्यवहार, अच्छे से व्यवस्थित घर-परिवार और सोच समझकर किए गए काम होते हैं। इनकी पर्सनैलिटी आमतौर पर सरल स्मार्ट और व्यवस्थित होती है। शुक्र कन्या में नीच का होता है, इसलिए यहां इसकी ताकत कमज़ोर हो जाती है। लेकिन क्योंकि कन्या राशि के स्वामी बुध हैं और बुध शुक्र के मित्र हैं, इसलिए शुक्र पूरी तरह खराब असर नहीं देता।
इसके बावजूद चूंकि शुक्र पति-पत्नी और विवाह के कारक माने जाते हैं इसलिए इसका नीच होना शादीशुदा जीवन पर नकारात्मक असर डाल सकता है। ऐसे लोग अक्सर शादी और रिश्तों में पूरी तरह संतुष्ट नहीं रह पाते, उन्हें खुशी पाने में दिक्कत होती है। फिर भी ये लोग सच्चे दिल से प्यार करते हैं। इनके लिए कमिटमेंट ही असली प्यार होता है।
अगर ये किसी रिश्ते में आते हैं तो पूरी तरह समर्पित रहते हैं और बहुत अच्छे पार्टनर साबित होते हैं। ये लोग शिष्ट, अच्छे संस्कार वाले, आकर्षक और साफ-सुथरे दिखने वाले होते हैं। कन्या में शुक्र वाले लोग आरामदायक और शानदार जीवन की ख्वाहिश रखते हैं। इन्हें अच्छे कपड़े पहनना और स्टाइलिश तरीके से रहना पसंद होता है।
गाड़ियां, जमीन-जायदाद और अन्य सुख-सुविधाएं इनको बहुत आकर्षित करती हैं। सुंदरता के प्रति इनका झुकाव इतना होता है कि कई बार इनका प्रोफेशन भी ब्यूटी इंडस्ट्री या आर्ट (जैसे संगीत, पेंटिंग, डिजाइनिंग आदि) से जुड़ा हो सकता है।
बृहत् कुंडलीमें छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरालेखा-जोखा
शुक्र का कन्या राशि में गोचर: इन राशियों पर पड़ेगा सकारात्मक प्रभाव
मिथुन राशि
मिथुन राशि वालों के लिए शुक्र पांचवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं। अब यह आपके चौथे भाव में गोचर करेंगे। आमतौर पर शुक्र का चौथे भाव में गोचर शुभ माना जाता है। इसलिए यह गोचर आपके लिए अच्छे नतीजे देने वाला होगा। चौथे भाव में शुक्र की स्थिति मनोकामनाओं की पूर्ति कराने वाली मानी जाती है। इसलिए अगर आप अपनी इच्छाओं को पूरा करने के लिए मेहनत करेंगे तो यह शुक्र का गोचर आपको मदद करेगा।
चूंकि बारहवें भाव के स्वामी शुक्र नीच का होकर चौथे भाव में बैठे हैं इसलिए घर-गृहस्ती से जुड़ी चीज़ों पर आपका कुछ पैसे खर्च हो सकता है। संभव है कि आप कुछ बेकार या गैरजरूरी चीज़ें भी खरीद लें। ऐसे में आपके लिए यही अच्छा रहेगा कि सिर्फ जरूरी चीज़ों पर ही खर्च करें। जब शुक्र कन्या राशि में होगा तो आपका मन घर और सजावट की ओर ज्यादा लगा रहेगा। घर को सजाने संवारने की इच्छा बढ़ सकती है और परिवार के कुछ लोगों के व्यवहार से आपको परेशानी भी हो सकती है।
रिश्तों में खासकर रोमांटिक रिलेशनशिप में लापरवाही करना आपके लिए ठीक नहीं रहेगा। हालांकि चौथे भाव में शुक्र का गोचर सुख देने वाला माना जाता है, लेकिन अगर आप रिश्तों में लापरवाह नहीं हुए तो इसका असर और भी अच्छा होगा।
सिंह राशि की कुंडली में शुक्र तीसरे और दसवें भाव के स्वामी हैं। शुक्र का कन्या राशि में गोचर आपके दूसरे भाव (धन और वाणी के भाव) में होगा। शुक्र का दूसरे भाव में गोचर सामान्यतः अच्छे नतीजे देता है। इस दौरान आपको नए कपड़े और गहने लेने का मौका मिल सकता है। संगीत और गानों में रुचि बढ़ सकती है। परिवार के लोगों के साथ रिश्ते बेहतर होंगे और साथ ही घर में मनोरंजन के साधन भी मिल सकते हैं। पैसे की स्थिति मजबूत होगी और व्यापारियों को भी इस समय का फायदा मिलेगा, क्योंकि दसवें भाव के स्वामी शुक्र दूसरे भाव में बैठा है।
अगर आप कला, क्रिएटिविटी, पब्लिक रिलेशन या इसी तरह के पेशों से जुड़े हैं तो यह गोचर आपके करियर के लिए और भी अच्छा साबित होगा। शुरू में कुछ दिक्कतें आ सकती हैं क्योंकि शुक्र यहां नीच का है, लेकिन धीरे-धीरे आपको सकारात्मक नतीजे मिलेंगे। कुल मिलाकर यह गोचर बुरा नहीं बल्कि काफी हद तक अच्छा रहेगा।
कन्या राशि की कुंडली में शुक्र दूसरे भाव और नौवें भाव के स्वामी हैं। अब यह आपके पहले भाव में आ रहा है। लग्न में शुक्र का गोचर सामान्य तौर पर शुभ माना जाता है। साथ ही, भाग्येश आपके पहले भाव में आ रहा है, इसलिए आपको किस्मत का साथ भी मिलेगा। लेकिन यहां शुक्र नीच का हो रहा है, जो इसकी सबसे बड़ी कमजोरी है। इसलिए केवल किस्मत पर भरोसा करना सही नहीं होगा। कई बार किस्मत काम कर जाती है और कई बार बिल्कुल साथ नहीं देती इसलिए मेहनत और सतर्कता दोनों जरूरी होंगी।
इस समय आप अच्छा पैसा कमा सकते हैं। लेकिन मेहनत की रफ्तार और बढ़ानी पड़ेगी। मनोरंजन से जुड़ी चीजों में अच्छा परिणाम मिल सकते हैं। व्यापार में बढ़ोत्तरी के योग बन रहे हैं। शादी या रिश्तों से जुड़ी बातें आगे बढ़ सकती हैं, लेकिन हर कदम सोच-समझकर लेना जरूरी होगा। बातचीत में विनम्र रहें और अपने पिता के साथ संबंध अच्छे बनाए रखें। अगर आप इन बातों का ध्यान रखेंगे तो इस गोचर से आपको अच्छे नतीजे मिलेंगे।
अब घर बैठे विशेषज्ञ पुरोहित से कराएं इच्छानुसार ऑनलाइन पूजा और पाएं उत्तम परिणाम!
वृश्चिक राशि की कुंडली में शुक्र सातवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं। अभी यह आपके लाभ भाव यानी ग्यारहवें भाव में प्रवेश कर रहे हैं। ज्योतिष में माना जाता है कि जब शुक्र लाभ भाव में आते हैं तो यह शुभ परिणाम देते हैं। भले ही यहां शुक्र नीच का हो, लेकिन फिर भी इसके फल अच्छे ही माने जाते हैं इसलिए इस समय आपको शुक्र से अच्छे नतीजे मिलने की उम्मीद रहेगी। लाभ भाव में शुक्र होने से धन और सफलता में बढ़ोतरी होगी। करियर में भी अच्छा समय रहेगा और तरक्की के योग बनेंगे। भाइयों और दोस्तों का सहयोग मिलेगा, लेकिन चूंकि सातवें भाव के स्वामी शुक्र इ दौरान कमजोर है इसलिए पति पत्नी या प्रेम संबंधों में थोड़ी परेशानी आ सकती है।
अगर आप इस मामले में सावधानी रखेंगे तो स्थिति संभल जाएगी और बाकी चीज़ों में अच्छे नतीजे मिलते रहेंगे। व्यवसाय और रोजमर्रा के कामों में भी यही स्थिति रहेगी, यानी अगर आप मेहनत करते रहेंगे तो शुक्र यह गोचर आपके लिए सकारात्मक साबित होगा।
शुक्र का कन्या राशि में गोचर: इन राशियों पर पड़ेगा नकारात्मक प्रभाव
मेष राशि
मेष राशि की कुंडली में शुक्र धन और सप्तम भाव के स्वामी हैं। अभी यह आपके छठे भाव यानी शत्रु, ऋण और रोग) से गुजर रहा है। शुक्र यहां नीच का भी हो जाता है और छठे भाव में इसका गोचर शुभ नहीं माना जाता है। ऐसे समय में आपको अपने दुश्मनों या विरोधियों से सावधान रहना होगा। बिना वजह भी कुछ नए लोग आपसे नाराज़ हो सकते हैं या आपके खिलाफ हो सकते हैं। इस गोचर के दौरान अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखना बहुत ज़रूरी होगा। ज़रा सी लापरवाही भी आपको बीमार कर सकती है। गाड़ी चलाते समय भी सावधान रहें और किसी भी ऐसे काम से बचें जिसमें चोट या कटने खरोचने का डर हो।
शादीशुदा लोगों को अपने जीवनसाथी की सेहत का भी ध्यान रखना चाहिए। पैसों और परिवार से जुड़े मामलों में सावधानी बरतना आपके लिए लिए जरूरी होगा। व्यापार में इस दौरान कोई भी बड़ा जोखिम उठाना ठीक नहीं रहेगा। कुल मिलाकर, इस गोचर के समय आपको सतर्क रहकर और संभलकर चलना होगा, तभी आप मुश्किलों से बच पाएंगे।
धनु राशिकी कुंडली में शुक्र छठे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं। अभी यह आपके दसवें भाव में गोचर कर रहा है। दसवें भाव में शुक्र का गोचर सामान्यतः शुभ नहीं माना जाता, और यहां शुक्र नीच का भी हो रहा है। इसलिए इस समय आपको विशेष सतर्कता बरतनी होगी। नौकरीपेशा लोगों को अपने बॉस और सहकर्मियों से रिश्ते बिगड़ने से बचाना होगा। खासकर महिला सहकर्मियों से रिश्ते बिगड़ने से बचाना होगा। खासकर महिला सहकर्मियों से तालमेल बनाए रखना जरूरी है।
अगर आपका बॉस या कोई वरिष्ठ महिला है, तो और भी सतर्क रहें। शुक्र का यह गोचर मानसिक तनाव भी ला सकता है। बहस और विवाद की संभावना बनी रहती है। इसलिए हर हाल में झगड़े और तकरार से बचना आपके लिए अच्छा रहेगा, खासकर नौकरी और बिज़नेस से जुड़े मामलों में। इस समय किसी भी नए प्रोजेक्ट या प्रयोग को शुरू करना सही नहीं रहेगा। सरकारी या प्रशासनिक अधिकारियों से बातचीत में भी पूरी इज्जत और शिष्टाचार बनाए रखना होगा। साथ ही, सामाजिक मामलों में भी सोच-समझकर कदम उठाना ज़रूरी होगा।
मीन राशिकी कुंडली में शुक्र तीसरे और आठवें भाव के स्वामी हैं। अभी यह आपके सातवें भाव में गोचर कर रहे हैं। गोचर शास्त्र के अनुसार, सातवें भाव में शुक्र का गोचर बहुत अधिक शुभ नहीं माना जाता है। ऊपर से शुक्र यहां नीच का भी है इसलिए इस समय आपको बहुत सावधानी रखनी होगी। तीसरे भाव के स्वामी कमजोर होकर सातवें भाव में आया है, इसलिए आपको आत्मविश्वास बनाए रखना होगा। ध्यान रहे कि आत्मविश्वास अति आत्मविश्वास में न बदल जाए।
इस दौरान आपको किसी ऐसे मुद्दे पर कोई खबर मिल सकती है, जिससे आप सहमत न हों। ऐसे में तुरंत प्रतिक्रिया देने के बजाय पहले यह जरूर जांच लें कि खबर सच है या सिर्फ अफवाह। ऐसा करने से रिश्तों को बिगड़ने से बचाया जा सकेगा। चूंकि आठवें भाव के स्वामी शुक्र सातवें भाव में बैठा है, इसलिए जीवनसाथी की सेहत का ख़ास ख्याल रखना जरूरी होगा।
इसके अलावा, यदि आपको पहले से जननांग से जुड़ी कोई तकलीफ है तो उस पर भी ध्यान दें। इस समय बेवजह की यात्राओं से बचना बेहतर होगा। किसी महिला से बहस या झगड़ा करने से बिल्कुल बचें और अपना ध्यान पूरी तरह अपने काम पर लगाएं। यानी इस पूरे गोचर में आपको हर कदम सावधानी से चलना होगा।
शुक्र को बेहतर बनाने के सबसे आसान उपायों में से एक है खुद को साफ-सुथरा रखना और व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखना।
हर शुक्रवार को मां लक्ष्मी की पूजा करें।
अपनी पत्नी, बहन आदि से प्यार और सम्मान करें और उन्हें अक्सर उपहार देकर उनकी सराहना करें।
शुक्र का कन्या राशि में गोचर: विश्व स्तर पर असर
व्यावहारिक रिश्तों और राजनीतिक संवेदनशीलता पर ध्यान
दुनिया भर में रिश्तों, कूटनीति और साझेदारियों में बदलाव देखने को मिल सकता है। ये बदलाव ज्यादा व्यावहारिक, विश्लेषणात्मक और सेवा-भाव से जुड़ी सोच की ओर होंगे।
देश और संस्थाओं आदर्शवादी वादों के बजाय हकीकत पर आधारित नीतियों के जरिए सहयोग बढ़़ाने की कोशिश करेंगी।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीति में मुश्किलें आ सकती हैं, क्योंकि कन्या राशि का असर नेताओं को ज़्यादा आलोचनात्मक और परफेक्शन चाहने वाला बना सकता है।
छोटी-छोटी गलतफहमियां अगर समझदारी से न संभाली जाएं तो बड़े विवादों का रूप ले सकती हैं। लेकिन अगर बातचीत विस्तार से और तथ्यों पर आधारित होगी, तो समझौते सफल रहेंगे।
शुक्र का कन्या राशि में गोचर का टेक्नोलॉजी, व्यापार और बाज़ार पर प्रभाव
जिन क्षेत्रों में बारीकी, विश्लेषण और सेवा की ज़रूरत होती है (जैसे आईटी, डेटा एनालिटिक्स, मेडिकल टेक्नोलॉजी, एआई-आधारित हेल्थकेयर) वे इस गोचर के दौरान तेजी से आगे बढ़ सकते हैं। इस समय ध्यान शौक़ और विलासिता वाली नई खोजों से हटकर व्यावहारिक और समस्या हल करने वाली तकनीक पर रहेगा।
शुक्र जो धन के कारक ग्रह है, अब कन्या राशि में प्रवेश कर रहे हैं। इसकी वजह से वैश्विक वित्तीय बाजारों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है।
निवेशक इस समय ज्यादा सतर्क रहेंगे और जोखिम भरे कामों की बजाय स्थिरता और लंबे समय से फायदे को प्राथमिकता देंगे। विलासिता से जुड़ी चीज़ों पर खर्च घट सकता है, जबकि ज़रूरी और सेवा-आधारित उद्योगों में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी।
स्वास्थ्य, जीवनशैली और मानवीय सेवा
कन्या राशि सेहत, अनुशासन और रोजमर्रा की दिनचर्या की कारक होती है। विश्व स्तर पर लोग स्वास्थ्य सेवाओं, मेडिकल रिसर्च और प्रिवेंटिव केयर (बीमारियों से बचाव वाली देखभाल) पर ज़्यादा ध्यान देंगे। वेलनेस इंडस्ट्री जैसे योग, ऑर्गेनिक फूड और नेचुरल थैरेपीज़ में भी बढ़ोतरी हो सकती हैं।
कन्या राशि सेवा और उपचार पर जोर देती है। इस गोचर के दौरान मानवीय परियोजनाओं, सार्वजनिक सेवा सुधारों और वॉलंटियर मूवमेंट्स पर दुनिया का ध्यान बढ़ सकता है।
देश आपस में मिलकर हेल्थकेयर, पर्यावरण की सफाई और सेवा से जुड़े अभियानों पर काम कर सकते हैं।
शुक्र का कन्या राशि में गोचर से कला और रचनात्मकता में बदलाव
शुक्र सुंदरता, कला और क्रिएटिविटी के कारक है, लेकिन कन्या राशि की ऊर्जा विश्लेषणात्मक और बारीकियों पर ध्यान देने वाली होती है।
इस समय दुनिया भर में कला और रचनात्मकता की दिशा ज्यादा सादगी, निखार और उपयोगिता की ओर झुकेगी, न कि दिखावे और भव्यता की ओर।
कला और मीडिया के क्षेत्र में आलोचना और जजमेंट भी बढ़ सकता है।
शुक्र का कन्या राशि में गोचर: शेयर बाजार रिपोर्ट
09 अक्टूबर 2025 को शुक्र अपनी नीच राशि कन्या में प्रवेश करेंगे। आइए देखते हैं कि शेयर मार्केट रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर महीने में बाजार सुधरकर स्थिर होगा या और ज्यादा गिरावट दिखाएगा।
महीने के पहले आधे हिस्से में निवेश विश्लेषण, अकाउंटिंग, सुधार और सतर्क निवेश रणनीतियों पर ध्यान देंगे।
17 अक्टूबर को जब सूर्य तुला राशि में जाएगा, तब साझेदारी,सहयोग और अचानक बनने वाले गठबंधनों की वजह से बाजार थोड़ा संतुलित हो सकता है।
निवेशक इस समय छोटे-छोटे, सटीक और डेटा आधारित फैसले लेना पसंद करेंगे, जिसकी वजह से महीने के दूसरे हिस्से में उतार-चढ़ाव बढ़ सकता है।
लंबे समय के निवेशकों में उतार-चढ़ाव आ सकता है। बाजार में अचानक गिरावट आ सकती है।
बैंकिंग, फाइनेंस और शिक्षा से जुड़ी शेयरों में देरी या करेक्शन देखने को मिल सकता है।
चूंकि शुक्र कन्या में नीच का है इसलिए लक्जरी, फैशन, कॉस्मेटिक्स, हॉस्पिटैलिटी और एंटरटेनमेंट सेक्टर में उतार-चढ़ाव रहेगा।
22 अक्टूबर के बाद जब शुक्र तुला राशि में प्रवेश करेगा तब लक्जरी, रियल एस्टेट और साझेदारी आधारित बिज़नेस में सुधार होगा। महीने के आखिरी हफ्ते में बाज़ार अच्छा प्रदर्शन कर सकता है।
शुक्र का कन्या राशि में गोचर: नई फ़िल्में रिलीज़ और उनका भाग्य
ऊपर बताई गई तीनों फिल्में बस औसत ही करेंगी। संभावना है कि इनमें से कोई भी फिल्म ब्लॉकबस्टर साबित नहीं होगी। हां, सभी फ़िल्में अपना खर्च निकाल लेंगी और थोड़ी-बहुत अतिरिक्त कमाई भी कर लेंगी, लेकिन कोई बड़ी या चौंकाने वाली सफलता नहीं मिलेगी क्योंकि इस समय शुक्र अपनी नीच राशि कन्या में हैं इसलिए इस अवधि में किसी भी फिल्म का प्रदर्शन बहुत अच्छी नहीं हो पाएगा।
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. शुक्र किस राशि में उच्च का होता है?
मीन राशि
2. क्या शुक्र और बृहस्पति एक-दूसरे के मित्र ग्रह हैं?
नहीं, दोनों एक-दूसरे के प्रति तटस्थ हैं।
3. कन्या राशि पर किस ग्रह का शासन है?
बुध
पापांकुशा एकादशी 2025: यमलोक की यातनाओं से मिलेगी मुक्ति, जानें खास नियम
पापांकुशा एकादशी 2025: पापांकुशा एकादशीहिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण और पुण्य प्रदान करने वाली एकादशीमानी जाती है। इस व्रत का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि इसे करने से मनुष्य को मृत्यु के उपरांत यमलोक की कठोर और भयानक यातनाओं से मुक्ति मिलती है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
पद्म पुराण और गरुड़ पुराण में इसके उल्लेख मिलता है, जहां कहा गया है कि पापांकुशा एकादशी व्रत का पालन करने वाला व्यक्ति सभी पापों से मुक्त होकर भगवान विष्णु के धाम को प्राप्त करता है। इस दिन व्रत, उपवास और भगवान विष्णु की आराधना करने से जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और सौभाग्य की वृद्धि होती है।
यही कारण है कि इसे नरक से छुटकारा दिलाने वाला व्रत भी कहा गया है। भक्तगतण पूरे नियम और श्रद्धा के साथ इस दिन व्रत रखते हैं और विष्णु जीकी पूजा कर उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। माना जाता है कि यह व्रत पापों को नष्ट कर पुण्य प्रदान करता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति तक का मार्ग दिखाता है।
एस्ट्रोसेज एआई के इस ब्लॉग में हम पापांकुशा एकादशी 2025 व्रत के बारे में सब कुछ जानेंगे, साथ ही इसके महत्व, व्रत कथा, पूजा विधि और कुछ उपायों के बारे में भी जानेंगे। तो चलिए बिना किसी देरी के अपने ब्लॉग की शुरुआत करते हैं।
पापांकुशा एकादशी 2025: तिथि और समय
पापांकुशा एकादशी: शुक्रवार, 03 अक्टूबर 2025
एकादशी तिथि प्रारंभ: 02 अक्टूबर 2025 की शाम 07 बजकर 12 मिनट से
पारण मुहूर्त: 04 अक्टूबर की सुबह 06 बजकर 15 मिनट से 08 बजकर 37 मिनट तक।
अवधि : 2 घंटे 21 मिनट
बृहत् कुंडलीमें छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरालेखा-जोखा
पापांकुशा एकादशी 2025 का महत्व
सनातन धर्म में पापांकुशा एकादशी का विशेष महत्व है। यह व्रत हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्षकी एकादशी तिथि को आता है। मान्यता है कि इस व्रत को श्रद्धा और नियम से करने पर मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मृत्यु के बाद यमलोक की यातनाएं सहनी नहीं पड़ती हैं।
पुराणों के अनुसार, इस व्रत का पालन करने वाला व्यक्ति विष्णुधाम यानी बैकुंठ लोक को प्राप्त करता है। पापांकुशा एकादशी व्रत का महत्व इतना गहरा है कि इसे करने से जीवन में सुख-समृद्धि, सौभाग्य और शांति आती है।
यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए कल्याणकारी माना गया है, जो पापों के बोझ से मुक्ति पाना चाहते हैं और मोक्ष की प्राप्ति की कामना करते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा की जाती है। साथ ही दान-पुण्य करने का भी विशेष महत्व है।
कहा गया है कि पापांकुशा एकादशी पर व्रत करने वाला व्यक्ति अपने साथ-साथ अपने पूर्वजों को भी स्वर्ग का मार्ग प्रदान करता है। इस व्रत का पालन करने से भक्त के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है और वह भौतिक तथा आध्यात्मिक दोनों ही रूप से उन्नति करता है।
संक्षेप में कहा जाए तो पापांकुशा एकादशी 2025 व्रत केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए भी अत्यंत फलदायी है।
अब घर बैठे विशेषज्ञ पुरोहित से कराएं इच्छानुसार ऑनलाइन पूजा और पाएं उत्तम परिणाम!
पापांकुशा एकादशी की पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर गंगाजल मिले जल से स्नान करें।
स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान विष्णु के समक्ष व्रत का संकल्प लें।
व्रत और उपवास पूरे दिन व्रत का पालन करें। जो लोग फलाहार करें, अन्यथा निर्जल उपवास भी किया जा सकता है।
भगवान विष्णु की पूजा भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र को पवित्र स्थान पर स्थापित करें। उन्हें पीले या सफेद वस्त्र पहनाएं।
धूप,दीप, चंदन, पुष्प, तुलसीदल और धान्य चढ़ाएं।
मंत्र जाप और स्तुति भगवान विष्णु के मंत्र ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जप करें। साथ ही विष्णु सहस्रनाम या एकादशी व्रत कथा का पाठ करना शुभ माना जाता है।
आरती और भजन कीर्तन पूजा के अंत में भगवान विष्णु की आरती करें और भजन-कीर्तन गाए।
इस दिन श्रद्धा भाव से विष्णु जी की महिमा का गुणगान करना विशेष फल देता है।
दान-पुण्य पापांकुशा एकादशी पर दान का महत्व बहुत अधिक है।
जरूरतमंदों को अन्न वस्त्र, धान्य, दक्षिणा और तुलसी के पौधे का दान करना शुभ माना गया है।
व्रत पारण अगले दिन द्वादशी तिथि को प्रात काल भगवान विष्णु की पूजा कर ब्राह्मणों को भोजन कराकर और उन्हें दान देकर व्रत का समापन करें। इसके बाद स्वयं भोजन करें।
पापांकुशा एकादशी की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सतयुग में विंध्याचल पर्वत के पास महिषधन नामक एक शिकारी रहता था। वह जीवों का शिकार करके ही अपना जीवन यापन करता था। क्रूरता और पाप के कारण उसके जीवन में पापों का अंबार लग गया था।
एक दिन उसकी मृत्यु का समय निकट आया। तब यमराज के दूत उसे लेने पहुंचे। शिकार डर के मारे कांपने लगा और बोला हे देवदूतों मेरे पाप तो असंख्य हैं, अब मुझे क्या करना चाहिए? दूतों ने उसे बताया कि यदि तुम पापांकुशा एकादशी का व्रत पूरी श्रद्धा से कर लो तो तुम्हारे सभी पाप नष्ट हो जाएंगे और मृत्यु के बाद तुम्हें यमलोक की यातनाएं नहीं सहनीं पड़ेंगी।
यह सुनकर शिकारी ने पापांकुशा एकादशी का व्रत विधिपूर्वक किया। व्रत के प्रभाव से उसके सभी पाप नष्ट हो गए और मृत्यु के बाद उसे भगवान विष्णु के धाम में स्थान प्राप्त हुआ।
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु की पूजा करें।
भगवान विष्णु को तुलसीदल, पीले पुष्प, चंदन और धूप-दीप अर्पित करें। पूरे दिन व्रत और उपवास का पालन करें। सामर्थ्य अनुसार फलाहार करें।
विष्णु सहस्रनाम, गीता पाठ या “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जप करें।
जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, अन्न या धन का दान करें।
द्वादशी के दिन सुबह ब्राह्मणों को भोजन कराकर और दान देकर व्रत का पारण करें।
पापांकुशा एकादशी 2025 पर क्या न करें
इस दिन झूठ बोलना, क्रोध करना और किसी का अपमान करने से बचें।
प्याज, लहसुन, मांस, शराब और नशीले पदार्थों का सेवन करें।
तामसिक भोजन और बुरी संगति से दूर रहें।
व्रत के दिन अधिक आलस्य या देर तक सोना वर्जित माना गया है।
भगवान विष्णु की पूजा के समय तुलसी के बिना भोग न लगाएं।
व्रत के दिन किसी जीव को कष्ट न पहुंचाएं और न ही कटु वचन बोलें।
पापांकुशा एकादशी 2025 के दिन करें राशि अनुसार उपाय
मेष राशि
मेष राशि वाले इस दिन भगवान विष्णु को गुड़ और गेहूं का भोग लगाएं। इससे करियर में आ रही रुकावटें दूर होंगी और आर्थिक स्थिति सुधरेगी।
वृषभ राशि
वृषभ राशि राशि वाले भगवान विष्णु को दूध और तुलसी मिश्रित खीर अर्पित करें। दांपत्य जीवन में मधुरता आएगी और स्वास्थ्य संबंधी लाभ मिलेगा।
मिथुन राशि
मिथुन राशि वाले एकादशी के दिन भगवान विष्णु को हरे रंग के वस्त्र अर्पित करें और ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 बार जप करें। शिक्षा व व्यापार में सफलता मिलेगी।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. पापांकुशा एकादशी 2025 कब मनाई जाएगी?
पापांकुशा एकादशी 2025 में 03 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
2. पापांकुशा एकादशी व्रत का क्या महत्व है?
इस व्रत को करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है, जीवन में सुख-समृद्धि आती है और मृत्यु के बाद यमलोक की यातनाओं से रक्षा होती है।
3. इस व्रत में कौन-सी पूजा करनी चाहिए?
इस दिन भगवान विष्णु का पूजन करना चाहिए। तुलसी पत्र, पीले पुष्प, धूप-दीप, फल-फूल और पंचामृत से भगवान की पूजा करना शुभ होता है।
बुध का तुला राशि में गोचर: इन राशियों का शुरू होगा गोल्डन टाइम!
बुध का तुला राशि में गोचर: वैदिक ज्योतिष में हर ग्रह को विशेष महत्व दिया गया है और प्रत्येक ग्रह अपनी ख़ूबियों और खामियों के लिए जाना जाता है। हमारे आज के इस स्पेशल ब्लॉग में हम सौरमंडल के सबसे छोटे और तेज़ रफ़्तार से चलने वाले ग्रह बुध की बात करेंगे। बता दें कि नवग्रहों में बुध देव को शुभ ग्रह माना जाता है जिन्हें ग्रहों के युवराज भी कहा जाता है।
सौरमंडल में बुध ग्रह सूर्य के सबसे निकट स्थित हैं और ऐसे में, बुध का गोचर महत्वपूर्ण माना जाता है। अब यह जल्द ही अपना राशि परिवर्तन करते हुए तुला राशि में गोचर करने जा रहे हैं, जिसका प्रभाव मानव जीवन सहित संसार पर नज़र आ सकता है।
एस्ट्रोसेज एआई के इस विशेष ब्लॉग के माध्यम से आपको “बुध का तुला राशि में गोचर” से जुड़ी समस्त जानकारी विस्तार पूर्वक प्राप्त होगी जैसे तिथि व समय आदि। हम यह जानते हैं कि जब बुध महाराज एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसका असर मनुष्य जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर पड़ता है साथ ही, गोचर के समय बुध ग्रह की स्थिति और दिशा निजी और पेशेवर जीवन में बड़े बदलाव लेकर आने की क्षमता रखती है।
ऐसे में, बुध गोचर का राशियों, देश-दुनिया और स्टॉक मार्केट पर क्या प्रभाव पड़ेगा? यहां हम आपको इस बारे में विस्तार से बताएंगे। तो चलिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं सबसे पहले गोचर का समय।
बुध का तुला राशि में गोचर: समय
बुध गोचर का समय जानने से पहले हम आपको बता दें कि बुध को तेज़ गति से चलने वाला ग्रह माना जाता है इसलिए इन्हें एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने में तकरीबन 27 से 30 दिनों का समय लगता है।
इन्हें युवा ग्रह कहा जाता है जो अब अपनी अस्त अवस्था से बाहर आने के एक दिन बाद यानी कि 03 अक्टूबर 2025 की रात 03 बजकर 36 मिनट पर कन्या राशि से निकलकर तुला राशि में गोचर करेंगे। शायद ही आप जानते होंगे कि तुला राशि के स्वामी ग्रह शुक्र हैं जो बुध देव के मित्र माने जाते हैं। ऐसे में, तुला राशि में बुध की स्थिति अच्छी कही जा सकती है क्योंकि यह इनकी मित्र राशि है। चलिए अब हम बिना देर किए आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं बुध तुला राशि में किस तरह से प्रभाव देते हैं।
बुध का तुला राशि में गोचर: विशेषताएं
ज्योतिष में बुध को बुद्धि के कारक ग्रह माना जाता है जबकि तुला संतुलन की राशि है। ऐसे में, जो लोग तुला राशि में बुध ग्रह के तहत जन्म लेते हैं, वह जीवन से जुड़ा कोई भी फैसला लेने से पूर्व अच्छे से सोच-विचार करते हैं।
बुध देव को वायु तत्व का ग्रह माना जाता है जब यह निष्पक्षता की राशि तुला में मौजूद होते हैं, तो यह जातक को रचनात्मक और कलात्मक गुण का आशीर्वाद देते हैं। ऐसे में, इन जातकों की रुचि रचनात्मक क्षेत्रों में बढ़ती है।
हालांकि, शुक्र देव की राशि तुला में बुध के उपस्थित होने से व्यक्ति का स्वभाव विनम्र और वाणी मधुर होती है। साथ ही, यह दूसरों की अपेक्षा चीज़ों को जल्दी और आसानी से समझ लेते हैं।
तुला राशि में बुध देव बैठे होने पर जातक का जीवन सुखमय होता है और इनका रुझान संगीत के क्षेत्र में होता है।
जिन जातकों का जन्म तुला राशि में बुध के अंतर्गत होता है, वह बेहद हंसमुख, मिलनसार और दयालु स्वभाव के होते हैं। इन लोगों को लक्ज़री और सुख-सुविधाओं से पूर्ण घर पसंद होता है।
बुध का तुला राशि में प्रभाव जानने के बाद अब हम आपको अवगत करवाते हैं बुध के धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व।
ज्योतिष में बुध ग्रह का महत्व
ग्रहों के युवराज के नाम से प्रसिद्ध बुध ग्रह बुद्धि, वाणी, व्यापार और संचार को नियंत्रित करते हैं। यह व्यक्ति की सोच-विचार करने, निर्णय लेने की और व्यापार करने की क्षमता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
जन्म कुंडली में बुध देव की स्थिति किसी व्यक्ति की बुद्धि, तार्किक सोच और दूसरों के साथ सही तरीके से जुड़ने की क्षमता का भी प्रतिनिधित्व करती है। इनके आशीर्वाद से जातक किसी भी चीज़ या कार्य को जल्दी से सीख लेते हैं और व्यापार के क्षेत्र में महारत हासिल करते हैं।
बुध देव दोहरे स्वभाव के ग्रह हैं जो कुंडली में शुभ या अशुभ जिस ग्रह के साथ बैठ जाते हैं, उसी के अनुसार आपको सकारात्मक और नकारात्मक परिणाम प्रदान करते हैं।
राशि चक्र में बुध ग्रह को मिथुन और कन्या राशि पर आधिपत्य हैं। यह कन्या राशि में उच्च अवस्था में होते हैं और गुरु ग्रह की राशि मीन में नीच अवस्था में होते हैं।
बुध महाराज को 27 नक्षत्रों में से अश्लेषा, ज्येष्ठा और रेवती नक्षत्र पर स्वामित्व प्राप्त हैं।
बात करें इनके शत्रु और मित्र की, तो सूर्य और शुक्र के साथ बुध देव के संबंध मित्रतापूर्ण हैं जबकि मंगल और चंद्रमा इनके शत्रु माने जाते हैं। वहीं, गुरु और शनि के साथ बुध देव के संबंध तटस्थ हैं।
अब हम आपको बताने जा रहे हैं बुध ग्रह के शुभ अंक और रंग के बारे में।
बुध का तुला राशि में गोचर: बुध का शुभ अंक, रंग और दिन
जैसे कि हम जानते हैं कि ज्योतिष में हर ग्रह को समर्पित अंक, रंग, दिन और रत्न होता है। इसी क्रम में, कुंडली में किसी विशेष ग्रह को अगर आप मज़बूत करना चाहते हैं या नकारात्मक प्रभाव को कम करने या शुभ फल प्राप्त करने के इच्छुक हैं, तो आप उस ग्रह से संबंधित अंक, रंग, दिन और रत्न के माध्यम से ग्रहों को बलवान कर सकते हैं।
बुध ग्रह की बात करें, तो बुद्धि, वाणी और संचार के ग्रह बुध को हरा रंग अतिप्रिय है। साथ ही, इन्हें समर्पित दिन बुधवार हैं और इनका रत्न पन्ना माना गया है। ऐसे में, बुध ग्रह की कृपा पाने के लिए आपको बुधवार के दिन हरे रंग के वस्त्र ज्यादा से ज्यादा पहनने की सलाह दी जाती है। साथ ही, आप बुधवार को हरी सब्ज़ियों का भी दान कर सकते हैं। इसके अलावा, बुध ग्रह के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए बुधवार के दिन बुध देव की पूजा और व्रत कर सकते हैं। ऐसा करना फलदायी माना जाता है।
वहीं, अंकों में बुध ग्रह का अंक 05 है और दिशाओं में यह उत्तर दिशा के स्वामी हैं। बता दें कि कुंडली में बुध ग्रह को शुभ करने के लिए आप पन्ना रत्न भी धारण कर सकते हैं, परंतु कोई भी रत्न चाहे वह बुध ग्रह का हो या किसी भी अन्य ग्रह का, उसे धारण करने से पहले अनुभवी एवं विद्वान ज्योतिषी से परामर्श अवश्य लें। ऐसा करना फलदायी माना जाता है। जब कुंडली में किसी इंसान पर बुध की महादशा चल रही हो, तो बुधवार के दिन बुध ग्रह के लिए व्रत और पूजन करने से सकारात्मक परिणामों की प्राप्ति होती है।
अब हम आगे बढ़ते हैं और आपको अवगत करवाते हैं बुध ग्रह से जुड़ी रोचत बातों से।
बुध ग्रह से जुड़े रोचक तथ्य
तत्व: बुध ग्रह को पृथ्वी तत्व का ग्रह माना जाता है जो ज़मीन से जुड़ाव, व्यावहारिकता और तर्क का प्रतीक है।
स्वभाव: ज्योतिष में बुध देव को द्विस्वभाव ग्रह की संज्ञा प्राप्त है जो शुभ और अशुभ ग्रहों के साथ बैठे होने पर उन्हीं के अनुसार फल प्रदान करते हैं।
लिंग: बुध ग्रह स्त्री और पुरुष दोनों ऊर्जाओं में संतुलन बनाकर चलते हैं इसलिए न यह पुरुष हैं और न ही स्त्री।
ऊर्जा: बुध ग्रह की ऊर्जा तार्किक, जिज्ञासु और बहुमुखी है, जो ग्रहण करने की क्षमता और बुद्धिमानी को दर्शाती है।
व्यक्तित्व: धार्मिक ग्रंथों में वर्णित बुध देव को युवा माना जाता है जिनका व्यक्तित्व बेहद आकर्षण है और यह बहुत बुद्धिमान हैं।
कुंडली में कमज़ोर बुध कैसे करते हैं आपको प्रभावित? चलिए जानते हैं।
मज़बूत बुध कैसे करता है जीवन को प्रभावित?
जिन जातकों की कुंडली में बुध देव मज़बूत अवस्था में होते हैं, वह तर्कशास्त्र में माहिर होने के साथ-साथ ज्ञानी होते हैं। ऐसे लोगों को वाद-विवाद या डिबेट में हराना बहुत कठिन होता है।
शुभ बुध के प्रभाव से जातकों का संचार कौशल बहुत मज़बूत होता है और इनकी वाणी मधुर होती है इसलिए दूसरे आसानी से इनसे प्रभावित हो जाते हैं।
किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध अपनी उच्च राशि में या अनुकूल अवस्था में होने पर जातक अपने विचारों को दूसरों के सामने आसानी से रखने में सक्षम होता है। इनकी वाणी से लोग जल्दी प्रभावित हो जाते हैं और यह बेहद विश्लेषणात्मक और सरल स्वभाव के होते हैं।
बुध की शुभ स्थिति जातक को बुद्धिमान और व्यापार के क्षेत्र में सफलता प्रदान करती है।
बुध देव का आशीर्वाद आप पर होने से जातक के रिश्ते अपनी बुआ और मौसी के साथ अच्छे होते हैं।
बुध का तुला राशि में गोचर: कमज़ोर बुध का प्रभाव
यदि कोई व्यक्ति किसी ऐसे रोग का शिकार हो जाता है जिसके बारे में तुरंत पता नहीं चल पाता है और ऐसे में, आपको भविष्य में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसे कमज़ोर बुध का लक्षण माना जाता है।
बुध की कुंडली में दुर्बलता का सीधा प्रभाव व्यक्ति की सुंदरता पर नज़र आता है।
अगर आपके बाल असमय ही झड़ने या टूटने लगते हैं या फिर नाखून अचानक से कमज़ोर होकर टूटने लगते हैं, तो यह भी कुंडली में बुध ग्रह की अशुभता का संकेत होता है।
ऐसे जातक जिन्हें जीवन से जुड़े फैसले लेने में समस्या का अनुभव होता है और आपके द्वारा लिए गए फैसले आगे जाकर आपको नुकसान करवा देते हैं, तो यह भी कमज़ोर बुध का लक्षण होता है।
बुध ग्रह के नकारात्मक प्रभाव की वजह से जातकों को नौकरी और व्यापार में हानि उठानी पड़ती है।
परिवार के सदस्यों के साथ आपके न चाहते हुए भी रिश्ते बिगड़ने लगते हैं और घर में लड़ाई-झगङे का माहौल हमेशा बना रहता है, जिसका कारण बुध का अशुभ प्रभाव होता है।
अगर आपका बुध कमज़ोर होगा तो, आपके रिश्ते महिला रिश्तेदारों से बिगड़ने लगते हैं, विशेष रूप से बुआ और मौसी के साथ।
बुध का तुला राशि में गोचर: सरल एवं प्रभावी उपाय
बुध ग्रह से शुभ फल पाने के लिए आंवला और हरी सब्जियों को सेवन करना चाहिए।
हरा रंग बुध देव को बहुत प्रिय होता है इसलिए बुधवार के दिन हरी सब्जियों का दान करें और हरे रंग के कपड़े धारण करें।
बुध देव को शांत करने के लिए बुधवार के दिन सुबह स्नान करने के बाद हरे रंग के वस्त्र धारण करने के बाद “ॐ बुं बुधाय नमः” का कम से कम 108 बार जाप करें।
कुंडली में बुध ग्रह को बलवान बनाने के लिए बेटी, बहन, बुआ और साली का सम्मान करें। उनके साथ रिश्ते को अच्छा बनाकर रखें और बुधवार के दिन उन्हें कुछ मीठा खिलाएं।
बुध ग्रह को शांत करने के लिए बुधवार को देवी दुर्गा के मंदिर जाकर माता को हरे रंग की चूड़ियां चढ़ाएं। साथ ही, इस दिन “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:” मंत्र का भी जाप करें।
जो जातक बुध की कृपा पाना चाहते हैं, उनके लिए साबुत हरे मूंग का दान करना फलदायी माना जाता है।
जिन जातकों का बुध अशुभ होता है, उन्हें बुधवार के दिन तुलसी की पत्ती को धोकर उसका सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से आपको बुध देव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
सुहागिन महिलाओं को हरी चूड़ियां भेंट करने से कुंडली में बुध ग्रह मजबूत बनता है।
बुध का तुला राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
मेष राशि
बुध ग्रह आपकी कुंडली में तीसरे तथा छठे भाव के स्वामी होते हैं और यह… (विस्तार से पढ़ें)
वृषभ राशि
बुध ग्रह आपकी कुंडली में दूसरे तथा पांचवें भाव के स्वामी होते हैं और… (विस्तार से पढ़ें)
मिथुन राशि
बुध ग्रह आपके राशि स्वामी होने के साथ-साथ चतुर्थ भाव के भी… (विस्तार से पढ़ें)
कर्क राशि
बुध ग्रह आपकी कुंडली में तीसरे तथा द्वादश भाव के स्वामी होते हैं और तुला… (विस्तार से पढ़ें)
सिंह राशि
बुध ग्रह आपकी कुंडली के लाभ भाव के स्वामी होने के साथ-साथ धन भाव… (विस्तार से पढ़ें)
कन्या राशि
बुध ग्रह आपकी राशि स्वामी होने के साथ-साथ आपके कर्म स्थान के भी… (विस्तार से पढ़ें)
तुला राशि
बुध ग्रह आपकी कुंडली में आपके भाग्य भाव के स्वामी होते हैं। साथ ही… (विस्तार से पढ़ें)
वृश्चिक राशि
बुध ग्रह आपकी कुंडली में अष्टम भाव के स्वामी होने के साथ-साथ… (विस्तार से पढ़ें)
धनु राशि
बुध ग्रह आपकी कुंडली में सप्तम भाव के स्वामी होने के साथ-साथ दशम भाव… (विस्तार से पढ़ें)
मकर राशि
बुध ग्रह की कुंडली में छठे भाव के स्वामी होने के साथ-साथ भाग्य भाव के भी… (विस्तार से पढ़ें)
कुंभ राशि
बुध ग्रह आपकी कुंडली में पंचम भाव के स्वामी होते हैं। साथ ही साथ यह आपके … (विस्तार से पढ़ें)
मीन राशि
बुध ग्रह की कुंडली में चतुर्थ भाव के स्वामी होने के साथ-साथ सप्तम भाव के भी स्वामी…(विस्तार से पढ़ें)
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. बुध का तुला राशि में गोचर कब होगा?
इस साल बुध का तुला राशि में गोचर 03 अक्टूबर 2025 को होने जा रहा है।
2. तुला राशि का स्वामी कौन है?
राशि चक्र की सातवीं राशि तुला के अधिपति देव शुक्र ग्रह हैं।
3. ज्योतिष में बुध ग्रह का क्या महत्व है?
ज्योतिष के अनुसार, बुध ग्रह बुद्धि, वाणी, व्यापार, संचार कौशल और तर्क के कारक ग्रह हैं।
बुध का कन्या राशि में उदय: इन राशियों को कर देंगे मालामाल!
बुध का कन्या राशि में उदय: ज्योतिष की दुनिया में हर ग्रह के गोचर को महत्वपूर्ण माना जाता है, विशेष रूप से नवग्रहों के जनक सूर्य, युद्ध के देवता मंगल और ग्रहों के राजकुमार बुध देव के गोचर को।
ग्रहों के युवराज होने के नाते बुध ग्रह को अत्यधिक महत्व दिया जाता है जो लगभग हर माह अपनी राशि या दशा में परिवर्तन करते हैं। अब इसी क्रम में, बुध महाराज जल्द ही कन्या राशि में उदित होने जा रहे हैं जिसका असर संसार और राशियों पर नज़र आ सकता है।
बता दें कि बुध देव का उदित होना आपके जीवन में बड़े बदलाव लेकर आने में सक्षम होगा, क्योंकिइस ग्रह की स्थिति में होने वाला छोटे से छोटा बदलाव भी व्यक्ति के जीवन को किसी न किसी रूप में प्रभावित करने की क्षमता रखता है। एस्ट्रोसेज एआई का यह लेख आपको “बुध का कन्या राशि में उदय” के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेगा।
हमारे इस लेख में आप बुध उदित की तिथि और समय के बारे में जान सकेंगे। जब बुध देव अपनी अस्त अवस्था से बाहर आएंगे, तो किन राशियों को शुभ परिणाम देंगे और किन राशियों की मुसीबतों को बढ़ाएंगे? इस बारे में चर्चा करेंगे। साथ ही, बुध के उदित होने से सभी 12 राशियों पर किस तरह का प्रभाव नज़र आएगा? देश-दुनिया में किस तरह के सकारात्मक और नकारात्मक बदलाव देखने को मिलेंगे? इससे भी हम आपको अवगत करवाएंगे। साथ ही, बुध उदित के दौरान किए जाने वाले आसान उपाय भी प्रदान करेंगे।
तो चलिए अब हम आगे बढ़ने हैं और शुरुआत करते हैं इस लेख की और सबसे पहले जानते हैं बुध का कन्या राशि में उदय का समय।
बुध का कन्या राशि में उदय: समय व तिथि
वैदिक ज्योतिष में प्रत्येक ग्रह एक निश्चित अवधि के बाद अपना गोचर करता है यानी कि एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है। शायद ही आप जानते होंगे कि बुध महाराज 23 से 27 दिन में अपना राशि परिवर्तन करते हैं और इस दौरान वह उदित, अस्त, वक्री और मार्गी होते हैं।
इसी क्रम में, बुध महाराज अब 02 अक्टूबर 2025 की शाम 05 बजकर 25 मिनट पर कन्या राशि में उदित होने जा रहे हैं।
बता दें कि बुध महाराज बीते 29 अगस्त 2025 को कर्क राशि में अस्त हो गए थे और अब यह लगभग एक महीने बाद पुनः उदित हो रहे हैं। बुध उदित होकर कैसे परिणाम देंगे, इससे पहले जान लेते हैं कि क्या होता है बुध का उदय और अस्त होना।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
क्या होता है बुध ग्रह का उदय और अस्त होना?
हम आपको अपने पिछले लेखों में बताते आए हैं कि ज्योतिष में हर ग्रह की दशा और राशि में होने वाले परिवर्तन का असर मनुष्य जीवन पर गहराई से पड़ता है। ऐसे में, बुद्धि, तर्क, वाणी, शिक्षा, गणना, संचार और व्यापार के कारक ग्रह बुध के अस्त और उदित को अत्यधिक विशेष माना जाता है।
जब बुध ग्रह अपने परिक्रमा पथ पर चलते हुए सूर्य के बहुत निकट चले जाते हैं, तो वह सूर्य के तीव्र प्रभाव से कमज़ोर हो जाता है और अपनी शक्तियां खो बैठता है, इसे ही बुध ग्रह का अस्त होना कहा जाता है। इस अवस्था में बुध ग्रह दुर्बल होता है और पूरी क्षमता से परिणाम देने में सक्षम नहीं होता है। बुध ग्रह जब अस्त होता है, तो वह जातकों को नकारात्मक परिणाम देता है और वाणी में कड़वाहट और गलतफ़हमियों में वृद्धि होती है।
बात करें बुध ग्रह के उदित होने की, तो जब बुध ग्रह अपनी अस्त अवस्था में परिक्रमा करते हुए सूर्य से एक निश्चित दूरी पर आ जाते हैं और अपनी शक्तियां पुनः प्राप्त कर लेते हैं, इसे ही बुध ग्रह का उदित होना कहते हैं।
उदित होकर बुध महाराज दोबारा अपनी पूरी क्षमता से परिणाम देने लगते हैं और फिर से, जातकों को अपना शुभ प्रभाव देना शुरू कर देते हैं, विशेष रूप से उन जातकों को जिनकी कुंडली में बुध देव मज़बूत स्थिति में होते हैं। इस अवधि में बातचीत में सुधार होता है और संचार कौशल मज़बूत होता है। साथ ही, यह समय व्यापार के लिए शुभ माना जाता है।
आइए अब हम आगे बढ़ते हैं और आपको रूबरू करवाते हैं ज्योतिष में बुध ग्रह के महत्व से।
बुध का कन्या राशि में उदय: ज्योतिषीय दृष्टि से बुध ग्रह
बुध ग्रह को ज्योतिष शास्त्र में युवराज का पद प्राप्त है और इन्हें एक शुभ ग्रह माना जाता है।
हालांकि, यह दोहरे स्वभाव के ग्रह हैं जो कुंडली में जिस भी ग्रह के साथ बैठे होते हैं, वैसे ही आपको परिणाम देते हैं।
सरल शब्दों में कहें तो, अगर बुध ग्रह अशुभ या पापी ग्रहों के साथ बैठे होते हैं, तो जातक को जीवन में नकारात्मक परिणाम प्रदान करते हैं। वहीं, शुभ ग्रह जैसे गुरु ग्रह के साथ बैठे होने पर सकारात्मक परिणाम देते हैं।
बता दें कि राशि चक्र में बुध ग्रह कन्याऔर मिथुन राशि के अधिपति देव हैं।
बुध महाराज की उच्च राशि कन्या है और यह गुरु ग्रह की राशि मीन में नीच अवस्था में होते हैं।
बात करें मित्र और शत्रु ग्रहों की तो, सूर्य और शुक्र ग्रह से बुध के मित्रवत संबंध हैं जबकि चंद्रमा और मंगल के प्रति यह शत्रुता के भाव रखते हैं।
लाभकारी ग्रह के रूप में बुध ग्रह को सभी 27 नक्षत्रों में सेज्येष्ठा ,रेवती और अश्लेषा नक्षत्र पर स्वामित्व प्राप्त हैं।
बुध देव को बुद्धि, मित्र, व्यापार और ज्ञान के कारक ग्रह माना जाता है। इनका कुंडली में शुभ प्रभाव होने पर जातक अच्छा वक्त बनता है। साथ ही, राजनीति और कूटनीति का ज्ञानी होता है। कुंडली में बुध देव की स्थिति शुभ होने पर जातक व्यापार के क्षेत्र में कामयाबी हासिल करता है।
बुध का कन्या राशि में उदय: धार्मिक दृष्टि से बुध ग्रह
ज्योतिष की तरह ही बुध ग्रह का धार्मिक महत्व भी है। बता दें कि सनातन धर्म में बुध देव भगवान विष्णु के प्रतीक माने जाते हैं, जिन्हें संसार के पालनहार कहा जाता है।
संतुलन और धैर्य के प्रतीक विष्णु जी के समान ही बुध महाराज भी व्यक्ति के जीवन में विवेक, समझदारी, और संतुलन लेकर आते हैं।
कुंडली में बुध ग्रह का शुभ प्रभाव व्यक्ति को धर्म-कर्म की तरफ आकर्षित करता है और उसे जीवन में सही मार्ग पर चलने की शिक्षा देता है।
ऐसे जातकों का झुकाव धार्मिक ग्रंथों और वेदों, शास्त्रों के अध्ययन में होता है। धार्मिक गुरुओं और प्रचारकों के लिए बुध देव की स्थिति विशेष मायने रखती है, क्योंकि इनके मज़बूत अवस्था में होने पर ही वह अपने विचारों को उपदेशों के माध्यम से दुनिया के सामने रख पाते हैं।
बुध देव को हरा रंग बेहद प्रिय है इसलिए हरी रंग की वस्तुओं का दान करने से इनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
बुध को तेज़ गति से चलने वाला ग्रह माना जाता है इसलिए इनकी चाल, दशा और राशि में जल्दी-जल्दी बदलाव होता है। यह परिवर्तन मनुष्य जीवन के भिन्न-भिन्न क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं, कैसे आइए जानते हैं।
बुध का कन्या राशि में उदय: करियर पर प्रभाव
किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध ग्रह की स्थिति आपके सोचने-विचारने, व्यापार करने और खुद को दूसरों के सामने रखने की क्षमता का प्रतिनिधित्व करती है। बुध महाराज की मज़बूत स्थिति जातक को बुद्धिमान बनाती है और वह नेटवर्किंग, डेटा और लेखन के क्षेत्र में सफलता हासिल करता है।
बुध का आर्थिक जीवन पर प्रभाव
आर्थिक जीवन में बुध की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है, विशेष रूप से धन से जुड़े फैसले लेने में। कुंडली में बुध महाराज कागजी कार्रवाई और लेने-देन को नियंत्रित करते हैं। जब बुध ग्रह वक्री अवस्था में होता है, उस समय जातकों को आर्थिक जीवन से जुड़े फैसले लेने से बचना चाहिए। साथ ही, फ़िज़ूलख़र्ची भी नहीं करनी चाहिए। साथ ही, धन संबंधित मामलों में छलकपट से बचें।
बुध का कन्या राशि में उदय: प्रेम जीवन पर प्रभाव
बुध देव संचार कौशल के ग्रह हैं इसलिए इनकी स्थिति रिश्तों में संचार को सीधे रूप से प्रभावित करती है। शुभ बुध के प्रभाव से आपका रिश्ते साथी के साथ हंसी-मजाक, खुलकर बात करना और एक-दूसरे के प्रति सम्मान से परिपूर्ण होता है। लेकिन, इनकी वक्री अवस्था आपके और साथी के रिश्ते में बहस और विवाद बढ़ाने का काम करती है।
बुध का वैवाहिक जीवन पर प्रभाव
जब बुध महाराज वक्री होते हैं, उस समय विवाह बंधन में बंधने के इच्छुक जातकों को विवाह में देरी का सामना करना पड़ता है। हालांकि, जो जातक पहले से विवाहित होते हैं, तो बुध ग्रह उनके और साथी के बीच संचार को दर्शाते हैं और इनके आशीर्वाद से जीवनसाथी एक-दूसरे का सम्मान करते हैं।
बुध का कन्या राशि में उदय: व्यक्तित्व पर प्रभाव
बुध ग्रह किसी व्यक्ति के जीवन में उसके संचार कौशल, वाणी और विचारों को गहराई से प्रभावित करते हैं। ऐसे में, जब बुध ग्रह शुभ होता है, तो जातक का संचार कौशल बेहतरीन होता है और वाणी मधुर होती है। साथ ही, जातक बेहद रचनात्मक होता है। व्यक्ति हंसी-मज़ाक करने वाला होता है और उसकी सोच तार्किक हो सकती है। वहीं, कमज़ोर बुध वाले लोग शर्मीले होते हैं।
बुध का स्वास्थ्य पर प्रभाव
जब बात आती है स्वास्थ्य की, तो बुध ग्रह सीधे तौर पर किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य को प्रभावित नहीं कर सकता है क्योंकि यह निर्भर करता है कि बुध देव किस ग्रह पर दृष्टि डाल रहे हैं या किस ग्रह के साथ युति कर रहे हैं। मित्र ग्रहों के साथ बुध के बैठे होने पर आपका स्वास्थ्य अच्छा रहेगा और वहीं, पापी ग्रहों के साथ होने पर आपकी वाणी पर असर नज़र आ सकता है।
चलिए अब हम आपको बताने जा रहे हैं कि कुंडली में बुध ग्रह कमज़ोर होने पर आप कैसे जान सकते हैं।
याददाश्त का कमज़ोर होना: ऐसे जातक जिनकी कुंडली में बुध ग्रह अशुभ होते हैं, तो इसका प्रभाव आपकी याददाश्त पर पड़ता है और आप बातों के साथ-साथ कामों को याद नहीं रख पाते हैं।
व्यापार में नुकसान: बुध देव को व्यापार के कारक माना जाता है और इनके पीड़ित होने पर जातक को व्यापार में हानि या नुकसान झेलना पड़ता है।
गलत फैसले लेना: कुंडली में बुध महाराज के दुर्बल होने पर जातक को सही निर्णय लेने में समस्याओं का सामना करना पड़ता है और वह गलत फैसले ले सकता है।
वाणी में समस्या: बुध अगर अशुभ होता है, तो जातक कोवाणी से जुड़ी समस्या दे सकता है और ऐसे में, जातक हकलाने लगता है और अपने विचार दूसरों के सामने नहीं रख पाता है।
त्वचा और नस से जुड़ी समस्या: बुध ग्रह के नकारात्मक प्रभाव की वजह से जातक को त्वचा से जुड़ी समस्याएं जैसे एलर्जी और हाथ-पैर सुन्न होना आदि परेशान कर सकती हैं।
चिंता में डूबना: बुध ग्रह के पीड़ित होने पर जातक हमेशा किसी न किसी बात को लेकर तनावया चिंता में डूबा रह सकता है।
अब हम आपको बताने जा रहे हैं बुध ग्रह को मज़बूत करने के उपाय
बुध का कन्या राशि में उदय: सरल एवं अचूक उपाय
रत्न: ज्योतिष में प्रत्येक ग्रह का अपना कोई न कोई रत्न है और ऐसे में, अगर आप बुध ग्रह से शुभ फल पाना चाहते है, तो आप पन्ना रत्न पहन सकते हैं। लेकिन,किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श लेने के सलाह लेने के बाद ही आप ऐसा करें।
पौधे: यदि आपकीकुंडली में बुध दोष या बुध कमज़ोर अवस्था में होता है, तो जातक को घर पर चौड़ी पत्तियों वाले पौधे लगाने चाहिए। इसके अलावा, आप घर की चौखट पर पंचपल्लव का तोरण लगाएं जिसमें गूलर, पीपल, आम, वट और अशोक वृक्ष की पत्तियां हों।
गणेश जी की पूजा: बुधवार का दिन प्रथम पूज्यभगवान गणेश को समर्पित है इसलिए इस दिन बुध देव को प्रसन्न करने के लिए बुधवार का व्रत और श्रीगणेश की विधि-विधान से पूजा करें।
हरा रंग: बुध महाराज को हरा रंग अतिप्रिय है इसलिए बुध देव की कृपा पाने के लिए हरे रंग के वस्त्र ज्यादा से ज्यादा धारण करें। ऐसा करना शुभ माना जाता है।
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. बुध का कन्या राशि में उदय कब होगा?
इस साल बुध का कन्या राशि में उदय 02 अक्टूबर 2025 को होगा।
2. कन्या राशि का स्वामी कौन है?
राशि चक्र की छठी राशि कन्या के अधिपति देव बुध ग्रह हैं।
3. बुध ग्रह कितने दिनों में गोचर करते हैं?
ज्योतिष के अनुसार, बुध ग्रह का हर गोचर 23 से 27 दिनों में होता है।
शुभ योग में मनाया जाएगा दशहरा 2025, ये उपाय दिलाएंगे हर काम में विजय!
दशहरा 2025: सनातन धर्म में विजयदशमी का पर्वअसत्य पर सत्य की विजय और अधर्म पर धर्म की स्थापना का दिव्य प्रतीक माना जाता है। हर वर्ष अश्विन मासके शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को पूरे भारतवर्ष में बड़े धूमधाम से दशहरा मनाया जाता है।
इस दिन से जुड़ी कई पौराणिक मान्यताएं हैं, माना जाता है कि भगवान श्री राम ने इसी दिन रावण का वध कर लंका पर विजय हासिल की थी, जिससे यह पर्व अच्छाई की बुराई पर जीत का अमर संदेश देता है।
वहीं दूसरी मान्यता के अनुसार, मां दुर्गा ने नौ रात और दस दिन चले भीषण युद्ध के बाद महिषासुर का संहार कर देवताओं को अत्याचार से मुक्ति दिलाई थी। देश के अलग-अलग हिस्सों में इसे अलग-अलग रूपों में मनाया जाता है।
उत्तर भारत में भगवान राम की विजय के रूप में, बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों में देवी दुर्गा की प्रतिमाओं के विसर्जन के साथ, दक्षिण भारत में आयुध पूजा के रूप में और कई स्थानों पर इसे सरस्वती पूजा का दिन भी माना जाता है।
विशेष बात यह है कि इस वर्ष दशहरा बेहद शुभ संयोग लेकर आ रहा है। दशहरा 2025 के दिन दो पावन योग बन रहे हैं, जिनमें पूजा और अनुष्ठान करना अत्यंत मंगलकारी माना गया है। ऐसे में इस साल की विजयादशमी केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी अत्यधिक फलदायी सिद्ध होगी।
तो आइए जानते हैं इस वर्ष दशहरा 2025 कब मनाया जाएगा, इसका महत्व, पूजा विधि और वे खास बातें जो इस पर्व को और भी पावन बनाती हैं। सभी जानकारी विस्तार से पाने के लिए ब्लॉग को अंत तक अवश्य पढ़ें।
दशहरा 2025: तिथि व समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 01 अक्टूबर दिन बुधवार की शाम 07 बजकर 02 मिनट से शुरू होगी और यह तिथि 02 अक्टूबर दिन बृहस्पतिवार की शाम 07 बजकर 12 मिनट तक मान्य रहेगी।
ऐसे में उदया तिथि के अनुसार विजयदशमी का त्योहार 02 अक्टूबर 2025 गुरुवार को मनाया जाएगा। इस दिन दशहरा शस्त्र पूजा भी होगी।
विजय मुहूर्त : 02 अक्टूबर की दोपहर 02 बजकर 09 मिनट से 02 बजकर 56 मिनट तक
अवधि : 0 घंटे 47 मिनट
अपराह्न मुहूर्त : 01 बजकर 21 मिनट से 03 बजकर 44 मिनट तक
दशहरा 2025 पर शुभ योग
दशहरा 2025 गुरुवार 02 अक्टूबर 2025 को मनाया जाएगा। इस दिन सुकर्मा योग बन रहा है, यह योग 02 अक्टूबर 2025 की सुबह से शुरू होकर रात 11 बजकर 28 मिनट तक रहेगा।
बृहत् कुंडलीमें छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरालेखा-जोखा
दशहरा 2025: मांगलिक कार्यों के लिए भी अत्यंत शुभ है विजयदशमी
विजयदशमी का दिन केवल बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक ही नहीं बल्कि मांगलिक कार्यों के लिए भी अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन किसी भी नए कार्य की शुरुआत घर-गृहस्थी से जुड़े शुभ कार्य, व्यापार, यात्रा या शिक्षा संबंधी कार्य करना अत्यंत मंगलकारी फल देता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, विजयदशमी को अबूझ मुहूर्त कहा जाता है, यानी इस दिन बिना किसी विशेष मुहूर्त निकाले भी मांगलिक कार्य कार्य जैसे- विवाह, गृहप्रवेश, वाहन-खरीद, व्यापार- आरंभ आदि किए जा सकते हैं।
इसी कारण से भारत के कई हिस्सों में लोग दशहरे के दिन नए व्यापार की नींव रखते हैं, बच्चों की शिक्षा की शुरुआत करते हैं और नए साधनों की खरीदारी करते हैं। मान्यता है कि विजयादशमी पर किए गए शुभ कार्य दीर्घकालीन सफलता और समृद्धि प्रदान करते हैं।
दशहरा 2025 का महत्व
विजयादशमी का पर्व सनातन धर्म में विशेष स्थान रखता है क्योंकि यह दिन अच्छाई की बुराई पर विजय और धर्म की अधर्म पर जीत का प्रतीक है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इसी दिन भगवान श्री राम ने राक्षस रावण का वध कर दुनिया को उसके अत्याचार से मुक्त कराया था।
वहीं, दूसरी मान्यता के अनुसार, मां दुर्गा ने नौ रात और दस दिन तक चले भीषण युद्ध के बाद महिषासुर का संहार कर देवताओं को भय और आतंक से मुक्त किया था। इस कारण यह पर्व धर्म, साहस और शक्ति की महिमा का प्रतीक बन गया है।
विजयदशमी का महत्व केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी बहुत बड़ा है। उत्तर भारत में जहां रामलीला और रावण का आयोजन होता है, वहीं बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों में इसे दुर्गा प्रतिमाओं के विसर्जन के साथ मनाया जाता है।
दक्षिण भारत में इस दिन आयुध पूजा और कई स्थानों पर सरस्वती पूजा की परंपरा है। इस प्रकार यह पर्व पूरे देश को एक सूत्र में पिरोकर हमारी संस्कृति की विविधता और एकता को दर्शाता है।
अब घर बैठे विशेषज्ञ पुरोहित से कराएं इच्छानुसार ऑनलाइन पूजा और पाएं उत्तम परिणाम!
दशहरा 2025: पूजा विधि
सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थान को साफ-सुथरा करें।
भगवान श्री राम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र रखकर उनका पूजन करें। दीपक, धूप, गंगाजल से पूजा स्थल को शुद्ध करें।
देवी-देवताओं को रोली, चंदन, अक्षत (चावल), पुष्प और नैवेद्य अर्पित करें।
इस दिन शस्त्र पूजा (तलवार, धनुष-बाण, औज़ार, वाहन, किताबें आदि) करना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
हवन या आरती करें और “रामचरितमानस” या “दुर्गा सप्तशती” का पाठ करें।
पूजा के बाद प्रसाद बांटें और बड़ों का आशीर्वाद लें।
शाम के समय रावण दहन देखने से पहले श्रीराम का स्मरण करें।
विजयदशमी से जुड़ी पौराणिक कथाएं
विजयदशमी को लेकर कई पौराणिक कथाएं हैं, जो इस प्रकार है:
दशहरा 2025 पर श्री राम और रावण की कथा
सबसे प्रसिद्ध कथा रामायण से जुड़ी है। भगवान श्री राम ने अपनी पत्नी सीता को रावण की कैद से छुड़ाने के लिए लंका पर चढ़ाई की। नौ दिनों तक चले भीषण युद्ध के बाद दशमी तिथि को श्री राम ने रावण का वध किया और अधर्म पर धर्म की विजय हुई। यही कारण है कि इस दिन उत्तर भारत में रावण दहन किया जाता है और रामलीला का समापन होता है।
मां दुर्गा और महिषासुर की कथा
एक अन्य पौराणिक मान्यता के अनुसार, महिषासुर नामक राक्षस ने देवताओं को पराजित कर स्वर्ग लोक पर अधिकार कर लिया था। उसके अत्याचारों से त्रस्त होकर सभी देवताओं की शक्तियों से माता दुर्गा का अवतरण हुआ। देवी दुर्गा ने नौ रात और दस दिन तक महिषासुर से युद्ध किया और दशमी के दिन उसका वध कर देवताओं को अत्याचार से मुक्ति दिलाई। इसलिए नवरात्रि के बाद दशहरा को शक्ति की विजय का पर्व माना जाता है।
दशहरा 2025 पर आयुध पूजा और सरस्वती पूजा की परंपरा
दक्षिण भारत में विजयादशी को आयुध पूजा के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन अपने औजारों, हथियारों और साधनों की पूजा करने से उनमें शुभता और सफलता आती है। वहीं कई जगहों पर इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा कर बच्चों की शिक्षा की शुरुआत की जाती है, जिसे विद्यारंभ संस्कार कहा जाता है।
महाभारत काल में पांडवों को अज्ञातवास के दौरान अपने हथियार छिपाने पड़े थे। अर्जुन ने अपने धनुष को शमी वृक्ष में छुपाया था और अज्ञातवास की समाप्ति के बाद विजयादशमी के दिन उसे पुन: निकाला। इसके बाद उन्होंने कौरवों पर विजय प्राप्त की। तभी से शमी वृक्ष की पूजा और उसका आदान प्रदान विजयदशमी के दिन शुभ माना जाता है।
दशहरा 2025: राशि अनुसार उपाय
मेष राशि
मेष राशि के जातक भगवान श्री राम की पूजा करें और गुड़ व गेहूं का दान करें। कार्यों में सफलता और मान-सम्मान की प्राप्ति होगी।
वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातक मां दुर्गा को लाल पुष्प अर्पित करें और दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं। घर में सुख-शांति और समृद्धि बढ़ेगी।
मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातक मां दुर्गा को लाल पुष्प अर्पित करें और दूध से बनी मिठाई का भोग लगाएं। घर में सुख-शांति और समृद्धि बढ़ेगी।
कर्क राशि
कर्क राशि के जातक देवी दुर्गा को चांदी का सिक्का अर्पित करें और बाद में तिजोर में रखें। धन लाभ और आर्थिक मजबूती मिलेगी।
सिंह राशि
सिंह राशि के जातक शमी वृक्ष की पूजा करें और उसकी पत्तियां घर लाकर पूजा स्थान पर रखें। नए अवसर और व्यापार में लाभ होगा।
कन्या राशि
कन्या राशि के जातक दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और कन्याओं को भोजन कराएं। इससे घर परिवार में सुख और शांति बनी रहेगी।
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
साल 2025 में दशहरा का पर्व कब मनाया जाएगा?
साल 2025 में 02 अक्टूबर 2025 को दशहरा का पर्व मनाया जाएगा।
दशहरा का पर्व कौन से माह में मनाया जाता है?
हर वर्ष अश्विन मास में शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है।
इस साल दशहरा में कौन सा योग बन रहा है?
सुकर्मा योग।
दुर्गा विसर्जन 2025 के समय हुई ये भूल, तो व्रत हो सकता है निष्फल!
दुर्गा विसर्जन 2025: नवरात्रि के पावन नौ दिनों तक मां दुर्गा की भक्ति और आराधना का पर्व पूरे उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। ढोल-नगाड़ों की गूंज, देवी के जयकारों और भक्तिमय वातावरण से पूरा माहौल शक्ति और उत्साह से भर उठता है। लेकिन जब ये नौ दिन पूरे होते हैं, तब आता है वह भावुक पल, जब मां दुर्गा की प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाता है।
माना जाता है कि इस दिन देवी अपने मायके से विदा होकर कैलाश पर्वत लौट जाती हैं। इसी कारण दुर्गा विसर्जन का दिन भक्तों के लिए आस्था, भक्ति और भावनाओं का संगम होता है। शुभ मुहूर्त में किए गए विसर्जन से जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
आज के हमारे इस विशेष ब्लॉग के माध्यम से हम जानेंगे कि वर्ष 2025 में दुर्गा विसर्जन किस दिन किया जाएगा, इसका शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है और इस दौरान आपको किन बातों के प्रति विशेष रूप से सावधानी बरतने की आवश्यकता रहेगा। तो चलिए आगे बढ़ने से पहले सबसे पहले जान लेते हैं 2025 में दुर्गा विसर्जन कब किया जाएगा।
दुर्गा विसर्जन 2025 की तारीख और मुहूर्त
2025 में दुर्गा विसर्जन 02 अक्टूबर 2024 गुरुवार के दिन किया जाएगा। बात करें इसके विसर्जन मुहूर्त की तो,
दुर्गा विसर्जन समय : सुबह 06 बजकर 14 मिनट से सुबह 08 बजकर 36 मिनट तक
अवधि : 2 घंटे 22 मिनट
दुर्गा विसर्जन का महत्व केवल धार्मिक दृष्टि से ही नहीं बल्कि परंपरा और आस्था से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। शास्त्रों के अनुसार, विसर्जन का मुहूर्त तभी मान्य होता है, जब विजयादशमी तिथि प्रातःकाल या अपराह्न काल में व्याप्त हो।
ऐसे समय में मां दुर्गा की प्रतिमा का विसर्जन करने से विशेष पुण्य और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। खासकर यदि दशमी तिथि और श्रवण नक्षत्र दोनों एक साथ अपराह्न काल में हों, तो यह समय दुर्गा विसर्जन के लिए सबसे उत्तम माना जाता है।
मान्यता है कि अधिकांश भक्त दुर्गा विसर्जन के बाद ही अपने नवरात्रि व्रत की पारण करते हैं, यानी नौ दिनों के उपवास को पूर्ण करते हैं। इसके बाद ही विजयदशमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।
यही दिन धर्म और अधर्म के बीच विजय का प्रतीक माना जाता है क्योंकि इसी तिथि को भगवान श्री राम ने रावण का वध किया था और मां दुर्गा ने महिषासुर नामक असुर का संहार किया था।
बृहत् कुंडलीमें छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरालेखा-जोखा
दुर्गा विसर्जन 2025 का महत्व
दुर्गा विसर्जन नवरात्रि उत्सव का सबसे भावुक और महत्वपूर्ण चरण माना जाता है। नौ दिनों तक मां दुर्गा की आराधना और भक्ति करने के बाद भक्त उन्हें विदा करते हैं और प्रतिमा का विसर्जन जल में करते हैं। यह परंपरा इस बात का प्रतीक है कि देवी अपने भक्तों के घर से विदा होकर कैलाश पर्वत लौट जाती हैं। विसर्जन का धार्मिक महत्व भी बहुत गहरा है।
माना जाता है कि शुभ मुहूर्त में किए गए विसर्जन से परिवार में सुख-समृद्धि, शांति और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। दुर्गा विसर्जन अच्छाई की बुराई पर विजय का संदेश देता है। इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था और मां दुर्गा ने महिषासुर का अंत किया था। इसलिए यह दिन शक्ति और धर्म की जीत का प्रतीक माना जाता है। अधिकांश भक्त विसर्जन के बाद ही अपने नवरात्रि व्रत पारण करते हैं यानी नौ दिनों के उपवास को पूर्ण करते हैं।
इसके साथ ही विसर्जन का एक दार्शनिक महत्व भी है। मिट्टी की प्रतिमा का जल में विलीन हो जाना यह सिखाता है कि जीवन अस्थायी है और हर अंत एक नए आरंभ का मार्ग बनाता है। यही कारण है कि दुर्गा विसर्जन को न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि जीवन दर्शन और आस्था के प्रतीक के रूप में भी विशेष महत्व दिया गया है।
दुर्गा विसर्जन 2025 : पूजा विधि
सबसे पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और विसर्जन का संकल्प लें।
देवी की प्रतिमा को फूल, चंदन, सिंदूर, धूप-दीप और नैवेद्य अर्पित करें।
विसर्जन से पहले अपराजिता देवी की पूजा करने का विधान है। इसे शुभ माना जाता है।
देवी को नारियल, पान, सुपारी, वस्त्र और दक्षिणा अर्पित कर उन्हें विदाई दी जाती है।
मां की विदाई से पहले आरती की जाती है और भक्त जयकारे लगाते हैं।
शुभ मुहूर्त में प्रतिमा को जल में विसर्जित किया जाता है। इस समय भक्त “मां अगले वर्ष फिर आना” का जयकारा लगाते हैं।
प्रतिमा विसर्जन के बाद भक्त अपने नौ दिनों के व्रत को तोड़ते हैं और विजयदशमी का पर्व मनाते हैं।
अब घर बैठे विशेषज्ञ पुरोहित से कराएं इच्छानुसार ऑनलाइन पूजा और पाएं उत्तम परिणाम!
दुर्गा विसर्जन करते समय इन बातों का रखें ध्यान
दुर्गा विसर्जन के लिए किसी पवित्र नदी, तालाब या जलाशय को सबसे शुभ माना जाता है।
मां की प्रतिमा, कलश या जवारे का विसर्जन हमेशा पूरे श्रद्धा और आस्था के साथ करना चाहिए।
विसर्जन के लिए जाते समय देवी की प्रतिमा का उतना ही ध्यान रखें, जितना आपने उन्हें घर लाते समय रखा था।
इस दौरान यह विशेष ध्यान रखें कि प्रतिमा को कोई नुकसान न पहुंचे विसर्जन से पहले मां दुर्गा की विधिवत पूजा और आरती अवश्य करें।
आरती की पवित्र ज्योति को मां के आशीर्वाद और प्रसाद स्वरूप ग्रहण करें।
पूजा में प्रयुक्त सामग्री को भी सम्मानपूर्वक पवित्र जल में विसर्जित किया जा सकता है।
विसर्जन के बाद किसी ब्राह्मण को नारियल, वस्त्र और दक्षिणा का दान करना अत्यंत शुभ फलदायी माना गया है।
दुर्गा विसर्जन करते समय इन मंत्रों का करें जप
दुर्गा विसर्जन 2025 का विदाई मंत्र
“पुनरागमनाय च विद्यमानाय च नमः।”
(हे मां! अगले वर्ष फिर से पधारने की प्रार्थना के साथ आपको नमन है।)
दुर्गा विसर्जन 2025 के नियम वरना निष्फल हो सकता है व्रत
दुर्गा विसर्जन से पहले मां दुर्गा के समक्ष हवन करना शुभ माना जाता है।
इसके बाद देवी को पान के पत्ते पर सिंदूर अर्पित करें और विवाहित महिलाओं को भी सिंदूर लगाएं। दुर्गा पूजा में सिंदूर का महत्व बहुत अधिक है।
मान्यता है कि ऐसा करने से सौभाग्य और मंगल की वृद्धि होती है।
नवरात्रि के प्रथम दिन स्थापित किए गए कलश का जल विसर्जन से पहले आम के पत्तों द्वारा पूरे घर में छिड़क दें। इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और वातावरण शुद्ध होता है।
नौ दिनों की पूजा अर्चना के दौरान देवी को अर्पित की गई सामग्री, कलश का जल और अन्य पूजन सामग्री प्रतिमा के साथ पवित्र नदी या तालाब में विसर्जित करें।
घट स्थापना का नारियल और नवरात्रि के पहले दिन बोए गए ज्वारे भी प्रतिमा के साथ विसर्जित कर दिए जाते हैं। कुछ लोग इन ज्वारों को घर में धन-स्थान पर भी रखते हैं, जिससे घर में सुख-समृद्धि और बरकत बनी रहती है।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि मां दुर्गा की प्रतिमा को पूरे सम्मान और श्रद्धा के साथ जल में विसर्जित करें, क्योंकि अनादर के साथ किया गया विसर्जन नौ दिनों की पूजा को निष्फल कर सकता है।
दुर्गा विसर्जन 2025 के समय सिंदूर का विशेष महत्व होता है। नवरात्रि के अंतिम दिन प्रतिमा विसर्जन से पहले देवी दुर्गा को सिंदूर चढ़ाने और विवाहित स्त्रियों को सिंदूर अर्पित करने की परंपरा होती है। इसे सिंदूर खेला भी कहा जाता है।
माना जाता है कि यह परंपरा सौभाग्य, समृद्धि और दांपत्य सुख का प्रतीक है। विवाहित स्त्रियां देवी दुर्गा को सिंदूर अर्पित कर अपने और अपने परिवार के सुख-शांति, पति की लंबी आयु और वैवाहिक जीवन की मंगलकामना करती हैं। एक-दूसरे को सिंदूर लगाना आपसी भाईचारे, प्रेम और शुभता का द्योतक है।
धार्मिक मान्यता है कि दुर्गा मां को सिंदूर चढ़ाने से भक्तों के जीवन में सौभाग्य की वृद्धि होती है और देवी का आशीर्वाद घर-परिवार पर सदैव बना रहता है। सिंदूर का रंग शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक है, जो देवी दुर्गा की शक्ति स्वरूप छवि को दर्शाता है।
विसर्जन के समय सिंदूर अर्पित करना इस बात का संकेत है कि देवी का आशीर्वाद हमारे जीवन में शक्ति, सौंदर्य, मंगल और सम्पन्नता के रूप में सदैव बना रहेगा।
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
दुर्गा विसर्जन 2025 कब किया जाता है?
दुर्गा विसर्जन नवरात्रि के अंतिम दिन यानी विजयादशमी को किया जाता है। यह कार्य प्रातःकाल या अपराह्न काल में विजय दशमी तिथि में करना शुभ माना जाता है।
दुर्गा विसर्जन कहां करना चाहिए?
पारंपरिक रूप से प्रतिमा का विसर्जन किसी पवित्र नदी, तालाब या जलाशय में किया जाता है। आजकल पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए कृत्रिम तालाबों का भी उपयोग किया जाता है।
दुर्गा विसर्जन से पहले कौन-सी पूजा की जाती है?
विसर्जन से पहले मां दुर्गा की विधिवत पूजा, आरती और हवन किया जाता है। देवी को पान, सिंदूर, नारियल, फल और दक्षिणा अर्पित की जाती है।