इस दिन भी रखते हैं वट सावित्री का व्रत, लंबी होती है पति की उम्र
ज्येष्ठ मास में अनेक व्रत एवं त्योहार आते हैं। ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को वट पूर्णिमा का व्रत किया जाता है। इस दिन सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत एवं पूजन करती हैं। शास्त्रों के अनुसार इस दिन सावित्री और सत्यवान की पूजा का विधान है।
भारत में वट सावित्री का व्रत देश के अलग-अलग हिस्सों में भिन्न तिथि पर रखा जाता है। पश्चिम भारत में इस व्रत को ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन रखा जाता है, तो वहीं उत्तरी भारत में यह व्रत ज्येष्ठ माह की अमावस्या को किया जाता है।
वट पूर्णिमा व्रत हिंदू त्योहारों में बहुत महत्व रखता है और इसे ज्येष्ठ पूर्णिमा या वट सावित्री पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। नारद पुराण के अनुसार वट सावित्री का व्रत ज्येष्ठ अमावस्या और ज्येष्ठ पूर्णिमा दोनों पर रखा जा सकता है। वहीं दूसरी ओर, स्कंद पुराण में यह स्पष्ट रूप से बताया गया है कि ज्येष्ठ माह में पूर्णिमा पर व्रत किया जाता है जबकि एक अन्य ग्रंथ में ज्येष्ठ अमावस्या को वट सावित्री का व्रत रखने की तिथि के रूप में उल्लिखित किया गया है।
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कब है वट पूर्णिमा का व्रत
वट पूर्णिमा का व्रत 21 जून, 2024 को पड़ रहा है। 21 जून को सुबह 06 बजकर 33 मिनट पर पूर्णिमा तिथि आरंभ हो जाएगी और इसका समापन अगले दिन 22 जून को 06 बजकर 39 मिनट पर होगा। इस प्रकार व्रत 21 जून को ही रखा जाएगा।
वट सावित्री या वट पूर्णिमा का व्रत त्रयोदशी तिथि से लेकर पूर्णिमा तक लगातार तीन दिनों तक रखा जाता है। शास्त्रों के अनुसार जो महिलाएं तीन दिनों तक व्रत नहीं रख सकती हैं, वो ज्येष्ठ अमावस्या या ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत कर सकती हैं।
हिंदू पुराणों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि वट वृक्ष त्रिमूर्ति यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश का प्रतीक है। इस वृक्ष की पूजा करने से श्रद्धालुओं के सभी दुख और कष्ट दूर हो जाते हैं और उन्हें सौभाग्य प्राप्त होता है।
अनेक शास्त्रों और ग्रंथों में इस व्रत के महत्व का उल्लेख किया गया है। स्कंद पुराण, भविष्योत्तर पुराण और महाभारत आदि में इस व्रत का उल्लेख मिलता है। अपने पति के उत्तम स्वास्थ्य और लंबी आयु की कामना के लिए विवाहित स्त्रियां इस व्रत को रखती हैं।
भारत के सभी हिस्सों में वट पूर्णिमा का व्रत किया जाता है। यह व्रत मां गौरी और सती सावित्री को समर्पित है। महाराष्ट्र और गुजरात में बड़ी धूमधाम से इस व्रत को किया जाता है। भारत के अन्य शहरों जैसे कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार और उड़ीसा में भी इस व्रत को करने का विधान है।
भारत के दक्षिण राज्यों जैसे कि कर्नाटक और तमिलनाडु में इस व्रत को करादयन नोन्बू के नाम से जाना जाता है। पूरे भारत में इस व्रत को पूरे जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है।
इस दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले उठकर स्नान के पानी में आंवला और तिल के बीजों को डालकर नहाती हैं और फिर धुले हुए वस्त्र पहनती हैं। फिर वे अपनी मांग में सिंदूर भरती हैं और चूड़ियां पहनती हैं।
इस दिन श्रद्धालु वट वृक्ष की जड़ खाते हैं और अगर लगातार तीन दिनों तक व्रत हो, तो इसे पानी के साथ तीनों दिन लिया जाता है।
वट वृक्ष की पूजा करने के बाद महिलाएं पेड़ के चारों ओर लाल या पीले रंग का धागा बांधती हैं। इसके बाद अक्षत, पुष्प और जल चढ़ाती हैं और फिर वृक्ष की परिक्रमा करती हैं।
इस दिन विशेष भोजन बनता है। पूजा के बाद परिवार के सभी सदस्यों में प्रसाद वितरित किया जाता है।
महिलाएं अपने घर के बड़े-बूढ़ों का आशीर्वाद लेती हैं।
इस दिन ज़रूरतमंद और गरीब लोगों को वस्त्रों, भोजन, धन आदि का दान देने का भी बहुत महत्व है। इस दिन आप बेल के वृक्ष की पूजा भी कर सकते हैं।
वट पूर्णिमा के दिन पानी में सरसों के दाने मिलाकर स्नान करें। महिलाएं सोलह श्रृंगार कर के वट वृक्ष की पूजा करें।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न. वट पूर्णिमा का व्रत कैसे किया जाता है?
उत्तर. इस दिन वट वृक्ष की पूजा की जाती है।
प्रश्न. वट पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?
उत्तर. इस दिन सुहागिन स्त्रियां पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं।
प्रश्न. वट पूर्णिमा का व्रत कब है?
उत्तर. 21 जून को वट पूर्णिमा है।
प्रश्न. वट सावित्री व्रत कितने दिन का होता है?
उत्तर. यह व्रत तीन दिनों का होता है।
प्रश्न. क्या वट पूर्णिमा व्रत में पानी पीते हैं?
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जगन्नाथ रथयात्रा से लेकर गुरु पूर्णिमा तक, यहां देखें आषाढ़ माह में पड़ने वाले व्रत-त्योहारों की लिस्ट!
सनातन धर्म में आषाढ़ महीना का बहुत अधिक महत्व है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, आषाढ़ मास वर्ष का चौथा महीना है, जो जून के महीने में शुरू होता है और ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार जुलाई के महीने में समाप्त होता है। चैत्र, वैशाख और ज्येष्ठ के बाद, अगला महीना आषाढ़ का महीना होता है। यह महीना मानसून के आगमन का संकेत देता है। मौसम में बदलाव के कारण इस महीने स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता होती है। इस माह को शून्य मास और चातुर्मास के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस माह से ही चातुर्मास की शुरुआत होती है। यानी भगवान विष्णु निद्रा अवस्था में चले जाते हैं और चार महीने तक कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है।
भले ही इस माह शुभ कार्य न हो लेकिन आषाढ़ मास तीर्थ यात्रा के लिए सबसे शानदार महीना माना जाता है। इस मास में पूजा पाठ करने का भी विशेष महत्व है और इसे साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। भगवान जगन्नाथ की भव्य यात्रा निकाली जाती है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। बता दें कि जब तक चातुर्मास रहता है तब शुभ और मांगलिक कार्य करने की मनाही होती है इसलिए इस माह पूजा पाठ पर अधिक ध्यान लगाना चाहिए।
आषाढ़ का महीना बेहद खास महीना होता है क्योंकि इस महीने कई व्रत व त्योहार पड़ते हैं। आज इस ब्लॉग में हम आषाढ़ मास से जुड़ी तमाम रोमांचक चीज़ों के बारे में विस्तार से बताएंगे जैसे कि इस माह के दौरान कौन-कौन से व्रत-त्यौहार आएंगे? इस माह में कौन से उपाय किए जाने चाहिए? इस माह का धार्मिक महत्व क्या है? और इस मास में जातकों को क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए? ऐसी ही कई जानकारियों से लबालब है एस्ट्रोसेज का यह विशेष ब्लॉग, इसलिए अंत तक ज़रूर पढ़ें।
आषाढ़ मास 2024: तिथि
आषाढ़ माह का आरंभ 23 जून 2024 रविवार को होगा जिसकी समाप्ति 21 जुलाई 2024 रविवार को हो जाएगी। शास्त्रों में बताया गया है कि आषाढ़ मास में भगवान विष्णु और भगवान शिव की उपासना करने का विशेष महत्व है। इस माह इनकी पूजा करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है। इस मास में पूजा-पाठ और हवन का भी बहुत अधिक महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, आषाढ़ मास में व्यक्ति को हर दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल देना चाहिए।
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आषाढ़ मास का महत्व
भगवान विष्णु व भगवान शिव के अलावा, आषाढ़ माह में माता लक्ष्मी व भगवान सूर्य की पूजा करनी चाहिए। इस माह सूर्य को प्रात: उठकर जल देना चाहिए। ऐसा करने से धन-संपदा और मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। जो भी मनुष्य इस महीने में सूर्यदेव की पूजा-अर्चना करता हैं उनके रोग-दोष दूर हो जाते हैं। आषाढ़ मास में कनेर के फूल,लाल रंग के पुष्प अथवा कमल के फूलों से भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। इस महीने में भले ही शुभ कामकाज न होते हों लेकिन पूजा-पाठ के लिहाज से यह महीना बहुत ही शुभ माना गया है। आषाढ़ मास में यज्ञ-दान का भी बहुत महत्व है। जो भी व्यक्ति इस माह यज्ञ व हवन करता है उस पर मां लक्ष्मी व भगवान विष्णु का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
जैसा कि ऊपर बताया जा चुका है कि आषाढ़ माह में मौसम में बदलाव देखने को मिलता है। यह महीना वर्षा ऋतु का महीना माना जाता है। ऐसे में, इस दौरान संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है इसलिए इस अवधि खानपान का विशेष ध्यान रखने की सलाह दी जाती है। इस महीने में भगवान विष्णु, भगवान शिव, मां दुर्गा, और हनुमान जी की पूजा करने से कुंडली में सूर्य और मंगल की स्थिति मजबूत होती है। इससे आर्थिक संकटों से भी छुटकारा मिलता है और जीवन में सुख समृद्धि आती है।
आषाढ़ माह में होता चातुर्मास की शुरुआत
सनातन धर्म में चातुर्मास का विशेष महत्व होता है। चातुर्मास की शुरुआत आषाढ़ महीने से ही होती है और यह पूरे चार महीने तक होता है। इस अवधि के दौरान किसी भी तरह का शुभ और मांगलिक कार्य करना वर्जित होता है। सनातन धर्म में चातुर्मास का विशेष महत्व है। इसमें आने वाले चार महीने जिसमें सावन, भादौ, आश्विन और कार्तिक का महीना आता है। इस दौरान तीर्थ यात्रा करने का विशेष महत्व है। आषाढ़ मास में देवशयनी एकादशी पड़ती है और इस दिन से भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं इसलिए इस समय किसी प्रकार के मांगलिक कार्य नहीं किये जाते हैं। मांगलिक कार्यों की फिर शुरुआत कार्तिक मास की देवउत्थान एकादशी के दिन से होती है।
आषाढ़ मास यानी कि 23 जून 2024 से 21 जुलाई 2024 के दौरान हिन्दू धर्म के कई प्रमुख व्रत-त्योहार आने वाले हैं, जो कि इस प्रकार हैं:
तिथि
वार
पर्व
25 जून 2024
मंगलवार
संकष्टी चतुर्थी
02 जुलाई 2024
मंगलवार
योगिनी एकादशी
03 जुलाई 2024
बुधवार
प्रदोष व्रत (कृष्ण)
04 जुलाई 2024
गुरुवार
मासिक शिवरात्रि
05 जुलाई 2024
शुक्रवार
आषाढ़ अमावस्या
07 जुलाई 2024
रविवार
जगन्नाथ रथ यात्रा
16 जुलाई 2024
मंगलवार
कर्क संक्रांति
17 जुलाई 2024
बुधवार
देवशयनी एकादशी, आषाढ़ी एकादशी
18 जुलाई 2024
गुरुवार
प्रदोष व्रत (शुक्ल)
21 जुलाई 2024
रविवार
गुरु-पूर्णिमा, आषाढ़ पूर्णिमा व्रत
आषाढ़ मास में जन्म लेने वाले लोगों के गुण
ज्योतिष शास्त्र में हर महीने का अपना अलग और विशेष महत्व होता है। ज्योतिष के अनुसार जन्म का महीना, तारीख और राशियों से किसी के स्वभाव के बारे में बताया जा सकता है। ऐसे में, आइए जानते हैं आषाढ़ के महीने में जन्म लेने वाले जातक का व्यक्तित्व कैसा होता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, आषाढ़ मास में जन्म लेने वाले लोग मनमौजी और अपने में ही मस्त रहने वाले होते हैं। ये लोग अपनी मर्जी के खिलाफ काम नहीं करते हैं। ये लोग दूसरों को अपनी ओर आसानी से प्रभावित कर लेते हैं और इनके व्यवहार से हर कोई इन पर जल्द ही आकर्षित हो जाता है। ये जातक बहुत अधिक ज्ञानी और मेहनती होते हैं। इन लोगों को अच्छे से पता है कि कैसे दूसरों से अपना काम निकाला जाता है। ये लोग प्रेम संबंधों के प्रति काफी संवेदनशील होते हैं।
आषाढ़ माह में जन्म लेने वाले लोग अकेले नहीं बल्कि अपने मित्रों के साथ आगे बढ़ना पसंद करते हैं। ऐसे लोगों को घूमने फिरने का काफी शौक होता है। ये लोग ज्यादातर प्राकृतिक स्थानों पर घूमना पसंद करते हैं। साथ ही ऐसे लोग धार्मिक स्थल पर यात्रा करना और एडवेंचर करना बहुत पसंद करते हैं।
आषाढ़ के महीने को वर्षा ऋतु का महीना भी कहा जाता है क्योंकि इस महीने से मानसून की शुरुआत हो जाती है। ऐसे में, इस महीने में रोग व संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है यही वजह है कि इस माह से जुड़े ढेरों नियम के बारे में बताया जाता है, जिसका पालन हर किसी को करना चाहिए ताकि सतर्क रहा जा सके। तो आइए जानते हैं इन नियमों के बारे में।
इस महीने में ज्यादा से ज्यादा ऐसे फल खाएं जिसमें जल की मात्रा अधिक हो। जैसे- तरबूज, खरबूजा आदि।
तेल व ज्यादा भुनी व चिकनी से बनी चीजों का सेवन करने से बचें।
इसके अलावा, आषाढ़ के महीने में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। ऐसा करना बेहद शुभ माना जाता है।
यदि आप चाहें तो इस महीने में एकादशी, अमावस्या, और पूर्णिमा तिथि पर छाता, खड़ाऊ, आंवले, आम, खरबूजे, फल, व मिठाई, दक्षिणा, आदि चीज़ों को जरूरतमंद व गरीब लोगों को दान कर सकते हैं। ऐसा करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
आषाढ़ मास में क्या करें व क्या न करें
इस महीने में भगवान श्री हरि भगवान विष्णु निद्रा अवस्था में चलते जाते हैं इसलिए इस माह से लेकर पूरे चार माह तक शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्य करने से बचना चाहिए अन्यथा इसके अशुभ प्रभाव जीवन पर पड़ सकता है।
इस माह जितना हो सके भगवान विष्णु की पूजा करें और उनके मंत्रों का रोजाना जाप करें।
इस महीने में बासी खाना खाने से परहेज करें अन्यथा बीमार पड़ने का खतरा बना रहता है।
ये महीना वर्षा ऋतु के आगमन का होता है इसलिए जल का अपमान भूलकर भी न करें और न ही पानी की बर्बादी करें। वैसे तो पानी को बर्बाद कभी नहीं करना चाहिए लेकिन इस अवधि खास तौर पर आषाढ़ माह ऐसा करने से बचें।
इस महीने में स्नान दान का विशेष महत्व बताया गया है। ऐसे में पवित्र नदियों में जा कर स्नान कर सकते हैं।
इस माह भगवान सूर्य की उपासना करें और उन्हें जल अर्पित करें।
यदि संभव हो तो इस महीने छाता, पानी से भरा घड़ा, खरबूजा, तरबूज, नमक, आंवले आदि का दान अवश्य करें। ऐसा करना शुभ माना जाता है।
इस महीने में हरे पत्तेदार सब्जियों का सेवन न करें क्योंकि उनमें कीड़े लगने की संभावना अधिक होती है।
इस महीने में तामसिक चीजें जैसे,मसूर की दाल, बैंगन शराब और मास मदिरा आदि से दूरी बना लें।
इसके अलावा यदि इस दौरान भगवान विष्णु, भगवान शिव, माँ दुर्गा, भगवान हनुमान की पूजा की जाए तो ग्रह दोषों से छुटकारा पाया जा सकता है।
आषाढ़ महीने में इन मंत्रों का करें जाप
आषाढ़ माह में रोज सुबह पूजा करते समय नीचे दिए गए इन मंत्रों का जाप और ध्यान जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती है।
ऊँ नम: शिवाय, ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय।
ऊँ रामदूताय नम:।
कृं कृष्णाय नम:।
ऊँ रां रामाय नम:।
इन मंत्रों का जाप करने से नकारात्मक विचारों से मुक्ति मिलती है, विचार सकारात्मक बनते हैं। घर के मंदिर में या किसी अन्य मंदिर में ध्यान किया जा सकता है। इसके लिए किसी शांत स्थान का चयन करना चाहिए।
आषाढ़ माह में किए जाने वाले आसान उपाय
शीघ्र फल प्राप्ति के लिए
आषाढ़ का महीना यज्ञ और धार्मिक अनुष्ठान कराने के लिए शुभ होता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, वर्ष के 12 महीनों में चौथा महीना आषाढ़ का महीना होता है और इस माह में यज्ञ करने से शीघ्र फल की प्राप्ति होती है।
आर्थिक समस्याओं से निपटने के लिए
यदि आपको अपनी कुंडली में सूर्य और मंगल की स्थिति बेहद कमजोर है और साथ ही जीवन में आ रही आर्थिक समस्याओं से निपटना चाहते हैं तो इस माह श्री हरि विष्णु, भोलेनाथ, मां दुर्गा और हनुमानजी की पूजा अवश्य करें। आषाढ़ मास में इनकी पूजा करना विशेष फलदायी होता है।
शारीरिक कष्टों से छुटकारा पाने के लिए
आषाढ़ मास में सूर्योदय से पूर्व उठकर सभी कार्यों से निवृत्त होकर स्नान करना चाहिए और फिर सूर्यदेव को जल अर्पित करना चाहिए। इसके बाद ही भोजन करना चाहिए। सूर्यदेव आरोग्य के देवता माने जाते हैं और आषाढ़ माह उनकी उपासना करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिल जाती है।
मनोकामना पूर्ण करने के लिए
आषाढ़ माह में कई व्रत और त्योहार पड़ते हैं इसलिए यह माह पूजा-पाठ के लिए और भी खास होता है। इस माह देवशयनी एकादशी, आषाढ़ी एकादशी और योगिनी एकादशी जैसे कई पुण्यदायी व्रत पड़ते हैं। संभव हो तो इन त्योहारों पर पूजा पाठ करें और व्रत लें। ऐसा करने से आपकी हर मनोकामना पूर्ण होगी।
भगवान विष्णु की विशेष कृपा के लिए
आषाढ़ महीने में स्नान और दान का खास महत्व है। ऐसे में अपनी सामर्थ्य के अनुसार आषाढ़ मास में जरूरतमंद लोगों को दान-दक्षिणा जरूर देना चाहिए। मान्यता है कि आषाढ़ माह में छाता, आंवला ,जूते-चप्पल और नमक आदि का दान करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
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नवविवाहितों के लिए क्यों अशुभ माना जाता है आषाढ़ माह
मान्यता है कि आषाढ़ के महीने में नई-नई शादी हुए जातकों को अपने पार्टनर के साथ नहीं रहना चाहिए यानी शादी के शुरुआती वर्षों में जोड़े को आषाढ़ महीने के दौरान अलग हो जाना चाहिए। इसके पीछे कई अलग-अलग वजह बताई जाती है। हालांकि सच यह है कि पुराने जमाने में लोग मानते थे कि यदि आषाढ़ के महीने में नवविवाहित जोड़े एक साथ रहते हैं और अगर महिला गर्भवती होती है तो वह चैत्र महीने में बच्चे को जन्म दे सकती है। सनातन धर्म में चैत्र गर्मी का महीना है और यह गर्मी के मौसम के आगमन का प्रतीक है। माना जाता था कि गर्मी के दिनों में नवजात शिशु और माँ को कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है इसलिए, यह सुझाव दिया गया कि नवविवाहित जोड़ों को पूरे आषाढ़ महीने के लिए अलग रहना चाहिए।
आषाढ़ के ठीक बाद आने वाले सावन के महीने में नवविवाहित जोड़ों को दोबारा साथ में रहने की अनुमति दे दी जाती थी। यह भी माना जाता है कि आषाढ़ के महीने में नवविवाहित महिला को अपनी सास के साथ नहीं रहना चाहिए इसलिए उन्हें आषाढ़ के महीने तक मायके भेज दिया जाता था ताकि दोनों के बीच कोई मतभेद न हो और रिश्ता प्यार से चलता रहे।
आषाढ़ माह 2024 में राशि अनुसार करें ये उपाय, होगा लाभ
आषाढ़ के महीने में भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए राशि अनुसार उपाय बता जा रहे हैं, जिसे अपनाकर आप जीवन में सुख समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं।
मेष राशि
आषाढ़ माह में मेष राशि के जातकों को गाय को हरा मूंग खिलाना चाहिए। ऐसा करने से यदि आप स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं तो आपको राहत मिलेगी और आपकी सेहत पहले से बेहतर होगी। यही नहीं बड़ी से बड़ी स्वास्थ्य समस्याओं से आपको छुटकारा मिलेगा।
वृषभ राशि
वृषभ राशि राशि के जातकों को आषाढ़ माह में छोटी कन्याओं को भोजन करवाना चाहिए और उन्हें मिश्री का दान करना चाहिए। ऐसा करने से परिवार में सुख समृद्धि आएगी और कुंडली में शुक्र की स्थिति मजबूत होगी।
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मिथुन राशि
इस राशि के जातकों को आषाढ़ माह में मां दुर्गा के सामने घी का दीपक जलाएं। ऐसा करने से जातकों भगवान विष्णु का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
कर्क राशि
अपने जीवन में शुभ फल प्राप्त करने के लिए व सकारात्मक ऊर्जा के लिए आषाढ़ महीने में बेल के फल को लाल कपड़े में बांधकर रख लें और जैसे ही आषाढ़ माह खत्म हो तो उसे किसी बेहती नदी में प्रवाहित कर दें। ऐसा करने से आपको हर काम में सफलता प्राप्त होगी।
सिंह राशि
सिंह राशि के जातकों को आषाढ़ के महीने में माँ भगवती को लाल चंदन व लाल चुनरी चढ़ाएं। ऐसा करने से आपके रुके हुए काम बनने लगेंगे।
कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों को सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए और पितरों की आत्मा की शांति के लिए आषाढ़ के महीने में पक्षियों को गेहूं और चावल के दाने खिलाने चाहिए। ऐसा करना आपके लि शुभ रहेगा।
तुला राशि
अपने जीवन से कष्ट और तमाम परेशानियां दूर करने के लिए आषाढ़ के महीने में देवी भगवती को मसूर की दाल अर्पित करना चाहिए और फिर इसे किसी सुहागिन महिला को दान कर दें।
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के जातकों को इस दिन तुलसी का पौधा लगाना चाहिए और रोजाना पौधे के आगे दीपक जलाना चाहिए। ऐसा करने से आपका सोया हुआ भाग्य जाग जाएगा।
धनु राशि
धनु राशि के जातकों को मां दुर्गा के मंदिर जाकर सुहाग का सामान अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में खुशियां आएंगी और आपका प्रेम जीवन खुशहाल बना रहेगा।
मकर राशि
अपने जीवन में सुख सौभाग्य के लिए आषाढ़ के महीने में विष्णु मंदिर में जाकर भगवान विष्णु को अशोक के पत्ते की माला अर्पित करना चाहिए।
कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातकों को आषाढ़ महीने में छोटे बच्चों को किताबें व मीठी चीज़ों का दान करना चाहिए। ऐसा करने से आपको कभी भी आर्थिक समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा और कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होगी।
मीन राशि
मीन राशि के जातकों को आषाढ़ के महीने में एक लाल कपड़े में गेहूं भरकर उसे किसी गरीब व जरूरतमंदों को दान करना चाहिए। ऐसा करने से आपकी संतान को दीर्घ आयु प्राप्त होगी और वे हमेशा स्वस्थ रहेंगे।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. आषाढ़ कौन से महीने को कहते हैं?
उत्तर 1. हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ मास वर्ष का चौथा महीना है।
प्रश्न 2. आषाढ़ महीना कब से चल रहा है?
उत्तर 2. आषाढ़ माह का आरंभ 23 जून 2024 रविवार को होगा जिसकी समाप्ति 21 जुलाई 2024 रविवार को हो जाएगी।
प्रश्न 3. आषाढ़ माह का महत्व?
उत्तर 3. माना जाता है कि इस महीने में भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से पुण्य फलों की प्राप्ति होती है।
प्रश्न 4. आषाढ़ को अशुभ क्यों माना जाता है?
उत्तर 4. भगवान विष्णु चार महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं। इस तरह चातुर्मास शुरू हो जाता है इसलिए इस माह को अशुभ माना जाता है।
शनि-मंगल मिलकर करेंगे बवाल, इन 5 राशियों को कदम-कदम पर उठानी पड़ सकती है मुश्किलें!
ज्योतिष शास्त्र में नवग्रहों में से शनि, मंगल समेत कुछ ग्रह मनुष्य जीवन को अत्यधिक प्रभवित करने का सामर्थ्य रखते हैं। जब बात आती है शनि की, तो लोग इनके नाम से भी भयभीत हो जाते हैं और इनकी दृष्टि पड़ने पर ग्रह अशुभ फल देने लगते हैं। इसी क्रम में, अब शनि महाराज मंगल देवता पर अपनी दृष्टि डालने जा रहे हैं। एस्ट्रोसेज का यह ब्लॉग आपको उन राशियों के बारे में अवगत कराएगा जो शनि की दृष्टि मंगल पर पड़ने से अत्यंत प्रभावित होगी। तो आइए बिना देर किये आगे बढ़ते हैं और इन राशियों के बारे में जानते हैं।
जैसे कि हम जानते हैं कि प्रत्येक ग्रह एक निश्चित अवधि के बाद अपनी राशि में परिवर्तन करता है। इसी क्रम में, 01 जून 2024 को साहस और पराक्रम के देवता मंगल मेष राशि में प्रवेश कर गए हैं और यह इस राशि में 12 जुलाई 2024 तक रहेंगे। ऐसे में, कुंभ राशि में उपस्थित शनि महाराज की की तीसरी दृष्टि मंगल देव पर पड़ेगी और इसके परिणामस्वरूप, जून माह में राशि चक्र की पांच राशियों के जातकों के जीवन पर मंगल और शनि दोनों ही ग्रहों का अशुभ प्रभाव देखने को मिलेगा। चलिए नज़र डालते हैं इन राशियों पर।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
शनि की मंगल पर दृष्टि से, इन 5 राशियों को मिलेंगे अशुभ परिणाम
कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों को जून माह में शनि की दृष्टि मंगल पर पड़ने से अशुभ प्रभावों का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में, इस राशि वालों का जीवन उतार-चढ़ाव भरा रहने की आशंका है। इस राशि के व्यापार करने वाले जातकों को व्यापार में काफ़ी भारी नुकसान हो सकता है। इस अवधि में आप धन कमाने के जो भी प्रयास करेंगे, उसमें आपको असफलता मिल सकती है जिसके चलते आप निराश या मायूस महसूस कर सकते हैं। शनि की मंगल पर दृष्टि पड़ने की वजह से आपको करियर में ज्यादा अच्छी सफलता न मिलने के आसार है। साथ ही, नौकरी में समस्याओं से दो-चार होना पड़ सकता है।
लेकिन, इन जातकों को आर्थिक जीवन में सावधान रहने की सलाह दी जाती है। मंगल पर शनि की दृष्टि का प्रभाव आपके रिश्ते में उतार-चढ़ाव लेकर आ सकता है जिसके चलते पार्टनर के साथ आपकी बहस या विवाद हो सकती है। इस अवधि में छोटी-छोटी बातें कोई बड़ी समस्या का रूप ले सकती हैं। स्वास्थ्य के लिहाज़ से, यह अवधि आपके लिए थोड़ी मुश्किल रह सकती है और ऐसे में, सिरदर्द और हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं परेशान कर सकती हैं। नौकरीपेशा जातक कार्यस्थल में विवादों में फंस सकते हैं इसलिए आपको अपनी वाणी पर ध्यान देना होगा।
कन्या राशि के जातकों को मंगल और शनि के नकारात्मक प्रभाव झेलने पड़ सकते हैं। यह अवधि आपके लिए समस्याओं से भरी रह सकती हैं इसलिए आपको जून माह में किसी भी तरह के बड़े फैसलों को लेने से बचना होगा। करियर की बात करें, तो नौकरी में आपको काफी मेहनत करनी पड़ सकती है और हो सकता है कि इसके बावजूद भी सकारात्मक परिणाम न मिलने का अनुमान है जिसकी वजह से आप निराश रह सकते हैं।
संभावना है कि आर्थिक जीवन में आपको धन हानि भी उठानी पड़ें और ऐसे में, आपको बेकार के खर्चे परेशान कर सकते हैं। इन्हें पूरा करने के लिए आपको लोन लेने की नौबत आ सकती है। वहीं, जिन जातकों का अपना व्यापार है, उन्हें इस दौरान मन मुताबिक लाभ न मिलने के संकेत है। प्रेम जीवन में आपके रिश्ते में अहंकार होने की वजह से पार्टनर के साथ आपका रिश्ता बिगड़ सकता है। इसके अलावा, कन्या राशि वालों को गले में संक्रमण और तंत्रिका तंत्र से संबंधित समस्याएं घेर सकती हैं।
तुला राशि वालों का नाम भी उन राशियों में शामिल हैं जिन्हें शनि और मंगल के प्रभाव नकारात्मक रूप से प्रभावित करेंगे। शनि की दृष्टि की वजह से मंगल का गोचर आपके लिए ज्यादा ख़ास नहीं कहा जा सकता है। प्रेम और पारिवारिक जीवन में यह अवधि आपके लिए असफलता लेकर आ सकती है। घर-परिवार में संपत्ति को लेकर विवाद पैदा हो सकते हैं जिसके चलते घर का वातावरण तनावपूर्ण रहने की आशंका है। जिन जातकों के विवाह की बात चल रही है, उनके लिए फ़िलहाल कुछ समय के लिए शादी को टालना ठीक रहेगा।
अगर आप धन निवेश करना चाहते हैं, तो कुछ समय के लिए आपको रुकने की सलाह दी जाती है, अन्यथा आपको धन हानि होने की संभावना है। करियर के क्षेत्र में भी समस्याएं जन्म ले सकती हैं और ऐसे में, आपको आर्थिक रूप से नुकसान होने का अनुमान है। इन जातकों से कोई मनपसंद की वस्तु या कोई सामान खो सकता है। घर-परिवार में अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने के लिए आप लोन लेने के लिए मज़बूर हो सकते हैं। दूसरी तरफ, प्रेम जीवन में पार्टनर के साथ आपको अच्छा तालमेल बनाए रखना मुश्किल लग सकता है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में आपको धैर्य रखना होगा और अपनी सेहत पर ध्यान देना होगा क्योंकि इन लोगों को पैरों में दर्द की समस्या परेशान कर सकती है जिसकी वजह से आप तनाव में आ सकते हैं।
वृश्चिक राशि वालों को भी मंगल पर शनि की अशुभ दृष्टि की वजह से नकारात्मक परिणाम झेलने पड़ सकते हैं। ऐसे में, इन लोगों को जीवन में कदम-कदम पर समस्या का सामना करना पड़ेगा। अगर आप किसी अच्छी नौकरी की तलाश में हैं, तो आपके हाथ से ऐसा कोई अवसर निकल सकता है जिससे आप निराश दिखाई देंगे। वृश्चिक राशि के जो जातक नौकरी करते हैं, वह अपने वरिष्ठों के साथ विवाद में उलझ सकते हैं और इस वजह से आपका प्रमोशन भी अटकने का अनुमान है। इस अवधि में काम की अधिकता की वजह से आप व्यस्त रहेंगे और साथ ही, आप पर नौकरी का दबाव भी अधिक रहने की आशंका है।
जो जातक खुद का व्यापार करते हैं, वह अच्छा लाभ कमाने में पीछे रह सकते हैं। जून माह में ही ग्रहों के राजकुमार बुध का भी गोचर होगा जो आपकी समस्याओं को बढ़ाने का काम करेगा। इसके फलस्वरूप, आपको धन कमाने की राह में दिक्कतों का सामना करना होगा। साथ ही, जून के महीने में आप बेहद व्यस्त नज़र आएंगे जिसके चलते आप परिवार को समय देने में समर्थ नहीं होंगे और यह आपके लिए समस्या की वजह बन सकता है। प्रेम जीवन में पार्टनर के साथ आपके रिश्ते में प्रेम और उत्साह की कमी रह सकती है। साथ ही, इस दौरान आपको माता के स्वास्थ्य पर काफ़ी पैसा खर्च करना पड़ सकता है।
मकर राशि के लिए मंगल और शनि दोनों ग्रह अशुभ परिणाम लेकर आ सकते हैं। ऐसे में, आपके सुख -सुविधाओं में कमी आने की आशंका है। जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में प्रगति की रफ़्तार धीमी रहने का अनुमान है। अगर आपका खुद का व्यापार है, तो आपको बिज़नेस में बेहद सावधान रहते हुए आगे बढ़ना होगा। इस दौरान आपको कारोबार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं। यह अवधि मकर राशि के नौकरीपेशा जातकों को औसत परिणाम देने का काम करेगी और आप पर काम का दबाव बढ़ने के आसार है। पारिवारिक जीवन में चल रही समस्याओं की वजह से आपका जीवनसाथी के साथ विवाद या मतभेद हो सकता है। इस राशि के लोग रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने की वजह से रोगों का शिकार हो सकते हैं। परिवार के किसी सदस्य की बिगड़ती सेहत आपके खर्चे बढ़ाने का काम करेगी।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. क्या मंगल शनि का शत्रु है?
उत्तर 1. ज्योतिष के अनुसार, शनि और मंगल को एक-दूसरे के शत्रु माना जाता है।
प्रश्न 2. मंगल पर शनि की दृष्टि होने से क्या होगा?
उत्तर 2. मंगल और शनि का दृष्टि संबंध होने पर यह एक विध्वंसक योग का निर्माण करता है।
प्रश्न 3. जून 2024 में मंगल किस राशि में है?
उत्तर 3. वर्ष 2024 के जून माह में मंगल अपनी राशि मेष में विराजमान हैं।
शनि वक्री इन 5 राशियों के लिए लाएगा आर्थिक संकट, सिर्फ इस एक राशि को मिलेगा भाग्य का साथ!
शनि कुंभ राशि में वक्री: एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको शनि कुंभ राशि वक्री के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करेंगे। साथ ही, यह भी बताएंगे कि शनि वक्री का प्रभाव सभी 12 राशियों पर किस प्रकार से पड़ेगा। बता दें कुछ राशियों को शनि वक्री से बहुत अधिक लाभ होगा तो, वहीं कुछ राशि वालों को इस अवधि बहुत ही सावधानी से आगे बढ़ने की आवश्यकता होगी क्योंकि उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा इस ब्लॉग में शनि की स्थिति को मजबूत करने के कुछ शानदार व आसान उपायों के बारे में भी बताएंगे। बता दें किशनि 29 जून 2024 को अपनी स्वयं की राशि कुंभ में वक्री होने जा रहे हैं। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं किस राशि के जातकों को इस दौरान शुभ परिणाम मिलेंगे और किन्हें अशुभ।
जैसे कि हम जानते हैं कि शनि ग्रह कर्मफल दाता है जो कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं और सभी ग्रहों में यह सबसे मंद गति से चलने वाले ग्रह हैं। ऐसे में, जब भी इनकी स्थिति में ज़रा सा भी परिवर्तन होता है उसका असर मानव जीवन के साथ-साथ राशिचक्र की सभी 12 राशियों पर पड़ता है।
शनि महाराज को किसी एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने में ढाई साल का समय लगता है और इस प्रकार, यह 12 राशियों का एक चक्र पूरा करने में 30 साल का समय लेते हैं। बीते 17 जनवरी 2023 को शनि देव अपनी मूल त्रिकोण राशि में लौट आए थे और अब यह कुंभ राशि में ही 29 जून 2024 की रात 11 बजकर 40 मिनट पर वक्री हो रहे हैं। हालांकि, शनि की वक्री अवस्था को बेहद प्रभावशाली और ताकतवर माना जाता है जिसका गहरा असर सभी राशियों पर देखने को मिलता है। अब नज़र डालते हैं कि किन राशियों को शनि की वक्री चाल शुभ व किन राशियों पर अशुभ परिणाम प्रदान करेगी।
शनि कुंभ राशि में वक्री: समय
शनि, शक्तिशाली ग्रह जो 17 जनवरी, 2023 को कुंभ राशि में प्रवेश कर चुके हैं और अब 29 जून, 2024 को वक्री होने के लिए तैयार है। शनि वर्तमान में अपनी मूल त्रिकोण राशि में हैं।
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कुंभ राशि में शनि का वक्री होना: इन राशियों पर पड़ेगा नकारात्मक प्रभाव
मेष राशि
मेष राशि के जातकों के लिए शनि आपके दसवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं और अब यह लाभ भाव यानी कि ग्यारहवें भाव में वक्री हो रहे हैं। ऐसे में, शनि का कुंभ राशि में वक्री होना आपके करियर और कमाई को प्रभावित करेगा। इसके परिणामस्वरूप, जातकों को कार्यों में मनचाहे परिणाम पाने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ सकती है।
आपको यह बात ध्यान में रखनी होगी कि शनि ग्रह आपकी परीक्षा ले रहे हैं और इस दौरान वह आपको जीवन के महत्वपूर्ण पाठ पढ़ाएंगे। ऐसे में, आपको मेहनत करना जारी रखना होगा क्योंकि भविष्य में आपको शनि देव अनुकूल परिणाम प्रदान करेंगे। जिन जातकों का अपना व्यापार हैं, उन्हें अपने बिज़नेस को चलाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है और लाभ कुछ हद तक कम हो सकता है। आर्थिक जीवन की बात करें तो आशंका है कि वक्री शनि का आपके वित्तीय जीवन में बहुत अधिक सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा और आपकी आर्थिक स्थिति खराब हो सकती है।
वृषभ राशि के जातकों के लिए शनि नौवें और दसवें भाव के स्वामी हैं और यह आपके लाभ के दसवें भाव में वक्री होंगे। कुंभ राशि में शनि का वक्री होना वृषभ राशि वालों के करियर और लाभ पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। जहां तक आपके करियर का सवाल है, वक्री शनि के फलस्वरूप आपको मनचाही सफलता मिलने में समस्या का सामना करना पड़ सकता है। इस अवधि आपको छोटे-छोटे लाभ प्राप्त करने के लिए भी अधिक प्रयास करने पड़ सकते हैं। आपके अंदर प्रतिभा और अच्छे स्किल्स होने के बावजूद भी कार्यक्षेत्र में आपके वरिष्ठ आपसे ज्यादा दूसरों पर भरोसा करेंगे और उन्हें तरजीह दे सकते हैं। जिन जातकों का खुद का बिज़नेस हैं, उन्हें अपने व्यवसाय को चलाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है और इस अवधि के दौरान नए व्यवसायों को बनाए रखना मुश्किल हो सकता है।
मिथुन राशि
मिथुन राशि वालों के लिए शनि आपके आठवें और नौवें भाव के स्वामी हैं जो कि वक्री होने जा रहे हैं। शनि की वक्री चाल के चलते आपके भाग्य में थोड़ी कमी देखने को मिल सकती है और साथ ही, कार्यों के पूरे होने में देरी होने की संभावना है, लेकिन थोड़ी देर से ही सही आपके सभी कार्य आपके अनुसार पूरे हो जाएंगे।
इस अवधि में आपकी आर्थिक स्थिति में सुधार देखने को मिलेगा। इन जातकों को नौकरी में ट्रांसफर या फिर कार्यक्षेत्र में जॉब प्रोफाइल में बदलाव का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, इस दौरान आप अध्यात्म की राह पर आगे बढ़ेंगे या फिर स्वयं को आध्यात्मिक गुरुओं की शरण में पाएंगे।
सिंह राशि के जातकों के लिए शनि छठे और सातवें भाव के स्वामी हैं और यह आपके सातवें भाव में वक्री हो जाएंगे। व्यवसायी वर्ग के लोगों के लिए यह अवधि अच्छी कही जा सकती है क्योंकि इस दौरान आपको कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ सकता है। आर्थिक जीवन में भी आपको अच्छे परिणाम मिलते नज़र नहीं आ रहे हैं और आशंका है कि अच्छा लाभ प्राप्त न हो। शनि वक्री के दौरान आपके खर्चों में वृद्धि हो सकती है। यदि आपको आर्थिक जीवन में लाभ मिलता भी है, तो यह आपकी उम्मीद से कम हो सकता है। आप पर जिम्मेदारियों का बोझ आ सकता है, जिसे पूरा आपके लिए मुश्किल हो सकता है। शनि की वक्री अवस्था आपके वैवाहिक जीवन में समस्याएं पैदा कर सकती हैं और आपको रिश्ते में उतार-चढ़ावों का सामना करना पड़ सकता है इसलिए इन जातकों को अपने रिश्ते को प्यार से संभालना होगा।
कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों के लिए शनि पांचवें और छठे भाव के स्वामी हैं जो अब आपके छठे भाव में वक्री होंगे। हालांकि, वकीलों के लिए इस समय को अच्छा नहीं कहा जा सकता है क्योंकि शनि छठे भाव में हैं और यह क़ानूनी मुद्दों के फैसलों में देरी करवा सकते हैं या फिर आपके पास आने वाले मुकदमों में कमी देखने को मिल सकती है।
कन्या राशि वालों के शत्रु इस अवधि में आप पर हावी होने की कोशिश कर सकते हैं और कुछ समय के लिए आपको कमज़ोर भी कर सकते हैं। हालांकि, परिस्थितियां आपके नियंत्रण में रहेंगी, लेकिन आप तनाव में नज़र आ सकते हैं और इस वजह से आपकी रातों की नींद भी उड़ सकती है। साथ ही, इन जातकों को स्टॉक मार्केट में निवेश करने से बचना होगा, अन्यथा आपको नुकसान हो सकता है। इसके परिणामस्वरूप आपको आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है।
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शनि कुंभ राशि में वक्री: इस एक राशि को होगा लाभ
धनु राशि
शनि के वक्री होने से धनु राशि के जातकों को बहुत अधिक शानदार परिणाम प्राप्त होंगे। आपको कई क्षेत्रों से अच्छी खबरें मिलेंगी, विशेष रूप से काम और नौकरी के मामले में आपको भाग्य का साथ मिलेगा। यदि आप अपनी नौकरी बदलने या नए अवसरों की तलाश कर रहे हैं तो आपको निश्चित रूप से नए और बेहतरीन अवसर प्राप्त होंगे। इस अवधि आप अपने साहस और प्रयासों के दम पर आप सफलता हासिल करने में सक्षम होंगे।
शनि की वक्री अवस्था के दौरान आप अच्छा ख़ासा लाभ प्राप्त करेंगे जिसके दम पर आप आर्थिक रूप से सफल होंगे। साथ ही, इस दौरान आपको उच्च वेतन वाली नौकरी मिलने की प्रबल संभावना है जो कि वित्तीय समस्याओं से आपको मुक्ति प्रदान करेगी। इस समय आपको भाग्य का भी साथ मिलेगा।
शनि कुंभ राशि में वक्री: प्रभावशाली उपाय
गरीबों को भोजन कराना शनि के लिए सबसे अच्छे उपायों में से एक है।
गरीब व जरूरतमंदों को कंबल और काले कपड़े दान करें।
जरूरतमंदों को जूते दान करें।
गरीबों को काले चने की खिचड़ी और घी दान करें।
सरसों का तेल दान करें और हर शनिवार को शनि मंदिर में सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. शनि कुंभ राशि में कब वक्री होने जा रहा है?
उत्तर 1. शनि 29 जून 2024 की रात 11 बजकर 40 मिनट पर कुंभ राशि में वक्री हो रहे हैं।
प्रश्न 2. शनि देव कुंभ राशि में कब तक वक्री रहेंगे?
उत्तर 2. शनि अभी खुद की राशि कुंभ में विराजमान हैं. 29 जून 2024 से 15 नवंबर 2024 तक वक्री रहेंगे।
प्रश्न 3. शनि ग्रह खराब होने के क्या लक्षण है?
उत्तर 3. बनते हुए काम में अड़चने आना, कर्ज का बोझ होना, घर में आग लगना, मकान बिकना या उसका कोई हिस्सा गिरना आदि भी शनि दोष के लक्षण माने गए हैं।
प्रश्न 4. शनि की राशि कौन सी है?
उत्तर 4. शनि कुंभ और मकर राशि के स्वामी हैं।
चिलचिलाती गर्मी में भी कूल दिखते हैं ये राशि वाले, जानें इसके पीछे की वजह!
इन दिनों लोगों को लंबे समय से सूर्य देव के प्रचंड तेवरों का सामना करना पड़ रहा है। सुबह से ही भीषण गर्मी और लू लोगों की हालत बिगाड़ रही है। भीषण गर्मी से अभी राहत के आसार भी नजर नहीं आ रहे। इस बीच कुछ राशियों पर गर्मी का कोई प्रभाव नज़र नहीं आ रहा है। इस राशि के जातक चिलचिलाती गर्मी में भी कूल नज़र आते हैं। दरअसल, ज्योतिष शास्त्र में राशियों को अलग-अलग तत्वों (अग्नि, वायु, पृथ्वी और जल) में बांटा गया है। सभी 12 राशियों में तीन राशियां जल तत्व की राशियां हैं और एक राशि राशि वायु तत्व की राशि है। यानी 4 राशियां ऐसी हैं, जो जल व वायु तत्व से संबंधित हैं इसलिए ये राशि वाले जातक भीषण गर्मी में भी ऊर्जा से भरे हुए दिखाई देते हैं।
तो आइए इसी क्रम में आगे बढ़ते हैं और जानते हैं उन राशियों के बारे में जो इस तपती गर्मी में भी कूल नज़र आते हैं यानी सूर्यदेव की किरण उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाती है। साथ ही, जानेंगे कि इन राशियों की क्या खूबियां हैं।
इन राशियां तपती गर्मी में भी रहते हैं फिट
मिथुन राशि
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मिथुन राशि द्विस्वभाव वाली और वायु तत्व की राशि है। वायु तत्व की राशि होने के परिणामस्वरूप, इन जातकों को गर्मी परेशान नहीं करती है। यह मौसम और परिस्थिति के अनुसार, खुद को बड़ी आसानी से ढाल लेते हैं। यही नहीं सर्दी के मौसम में इन्हें ज्यादा सर्दी नहीं लगती है। ये हर मौसम में सामान्य रहते हैं और चाहे कितनी भी गर्मी हो जाए पसीने की बूंद इनके माथे पर नज़र नहीं आती है।
हालांकि, इस राशि के व्यक्तित्व की बात करें तो ये बहुत अधिक कल्पनाशील और ख्यालों में हर वक्त खोए रहते हैं। इसके अलावा, ये जातक काफी परिवर्तनशील होते हैं। ये काफी पढ़े-लिखे होते हैं और किताबें पढ़ने का इन जातकों को बहुत अधिक शौक होता है। हालांकि, द्विस्वभाव वाली राशि होने के कारण अक्सर इन्हें निर्णय लेने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यही कारण है कि ये सही निर्णय नहीं ले पाते हैं। हालांकि, ये जल्द से जल्द धन अर्जित करने के बारे में सोचते हैं और उसके लिए काफी मेहनत भी करते हैं।
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कर्क राशि
बात कर्क राशि की करें तो, कर्क राशि जल तत्व की राशि है और साथ ही, इस राशि के स्वामी शीतलता का कारक ग्रह चंद्रमा हैं। इसके परिणामस्वरूप इस राशि के जातक भीषण गर्मी में भी खुद को संभालना अच्छे से जानते हैं। यही नहीं कुछ लोगों को गर्मी में टैनिंग की काफी समस्या होती है लेकिन इन राशि वालों को कम गर्मी लगने की वजह से टैनिंग की समस्या भी नहीं सताती है। इस राशि के जातक काफी कूल रहते हैं। इनके स्वभाव में भी शांति और शीतलता देखने को मिलती है।
इसके अलावा, ये लोग बहुत अधिक भावुक होते हैं। ये भले ही बाहर से बहुत अधिक कठोर नज़र आए लेकिन अंदर से बहुत नरम दिल के होते हैं। कई बार इस राशि का यही स्वभाव उन्हें लोगों के बीच प्रिय बनाने में मदद करता है। इन जातकों का भावुक स्वभाव इनको परिस्थितियों से जल्दी बाहर आने नहीं देता है। कर्क राशि के स्वामी चन्द्रमा और जल तत्व की राशि होने के फलस्वरूप ये लोग संवेदनशील, मासूम,कभी -कभी मूडी व भावुक होते हैं।
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वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल हैं, जो अग्नि प्रधान ग्रह हैं इसलिए इनका स्वभाव तेज होता है लेकिन, जल तत्व होने की वजह से इन्हें हरियाली व पाली वाले क्षेत्र अधिक पसंद आते हैं। मौका मिलते हैं इस राशि के लोग समुद्र तट या जलीय क्षेत्रों में घूमने के लिए निकल जाते हैं। हालांकि, इस राशि के जातकों को सर्दी जुकाम की समस्या बहुत अधिक रहती है क्योंकि, ये जल तत्व के होते हैं लेकिन, ख़ास बात यह होती है कि इनको गर्मी अधिक परेशान नहीं करती है और यह तपतपाती गर्मी को भी सहन करने में सक्षम होते हैं।
वृश्चिक राशि के जातक दूसरों के बारे में जानने में काफी दिलचस्पी लेते हैं। ये जरूरी चीज़ों पर ध्यान केंद्रित करते हैं। इन लोगों को रिसर्च करना बहुत पसंद होता है और मुद्दे की तह तक पहुंच कर रहते हैं। हालांकि, इन जातकों को गुस्सा जल्दी आता है पर ये लोग बातचीत में स्पष्टवादी होते हैं। ज्यादा क्रोध से इन्हें नुकसान भी पहुंच सकता है इसलिए इन्हें अपने क्रोध पर नियंत्रण रखने की आवश्यकता होती है। वृश्चिक राशि के लोगों की इच्छा शक्ति बहुत मजबूत होती है और ये एक दूसरे में बहुत जल्दी घुल मिल जाते हैं।
मीन राशि जल तत्व की राशि है और इसके स्वामी देवगुरु बृहस्पति हैं इसलिए गुरु की स्थिरता और गंभीरता इन राशि के जातकों में पाई जाती है। मीन राशि जल तत्व की राशि होने के कारण इनके व्यक्तित्व के साथ इनकी प्रकृति में भी शीतला देखी जाती है। गर्मी के दिनों में इस राशि के जातकों को अधिक परेशानी नहीं होती है और ये काफी कूल रहते हैं। चाहे कितनी भी गर्मी क्यों न हो जाए इनका चेहरा मुस्कुराता रहता है।
इनके स्वभाव की बात करें तो ज्योतिष के अनुसार मीन राशि के लोग स्वतंत्र रहना काफी पसंद करते हैं। इनके विचारों से लोग काफी प्रभावित होते हैं। ऐसे लोग काफी भावुक होते हैं। ये काल्पनिक दुनिया में ज्यादा रहते हैं। इनके पास धन आवश्यकता से अधिक होता है और कई बार यह परेशानी का सबब भी बन जाता है। इस राशि के लोगों को युवावस्था में ही धन, वैभव, ऐश्वर्य एवं भौतिक सुख की प्राप्ति होती है। आध्यात्मिक गतिविधियों की तरफ इनका झुकाव बहुत अधिक होता है। लेकिन अंधभक्ति का दिखावा नहीं करते हैं।
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. मीन राशि का तत्व क्या है?
उत्तर 1. इस राशि को जल तत्व प्रधान माना जाता है।
प्रश्न 2. मीन राशि के देवता कौन है?
उत्तर 2. इस राशि का स्वामी देव गुरु बृहस्पति हैं।
प्रश्न 3. वृश्चिक राशि का तत्व कौन सा है?
उत्तर 3. वृश्चिक राशि को जल तत्व की राशि माना गया है।
प्रश्न 4. वृश्चिक राशि के लोग कैसे होते हैं?
उत्तर 4. वृश्चिक राशि वाले अपने काम के प्रति काफी प्रतिबद्ध किस्म के होते हैं। दोस्ती के मामले में ये काफी बेहतर होते हैं।
बुध मिथुन राशि में उदित: इन राशियों को मिलेगी राहत और इन राशियों पर आएगी आफ़त!
एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में आपको बुध मिथुन राशि में उदित से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी जैसे कि तिथि, समय एवं प्रभाव आदि। बता दें कि बुध 27 जून 2024 को मिथुन राशि में उदित हो जाएंगे और ऐसे में, राशि चक्र की सभी 12 राशियों के जातकों के जीवन पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के प्रभाव देखने को मिलेंगे। हमारा यह ब्लॉग आपको बुध के उदित होने से राशियों, शेयर बाजार समेत संसार पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में अवगत कराएगा इसलिए इस ब्लॉग को अंत तक पढ़ना जारी रखें।
ज्योतिष में बुध ग्रह किसी व्यक्ति के संवाद करने के तरीके को दर्शाते हैं फिर चाहे वह बात करने, लिखने या फिर सुनने के माध्यम से हो। मनुष्य जीवन में बुध बात करने की क्षमता को प्रभावित करते हैं। सकारात्मक पक्ष देखें तो, यह आपको बातों में स्पष्ट और चीज़ों को जल्दी समझने वाला बनाते हैं जबकि नकारात्मक रूप से गलतफहमी या बातों को गलत समझने आदि को बढ़ावा देते हैं। हालांकि, कभी-कभी बुध के अशुभ प्रभाव में होने पर यह आपको छल कपटी और धोखेबाज़ बना सकता है। साथ ही, बुध की स्थिति आपको मजाकिया और संचार में व्यंग्यात्मक भी बनाने का काम करती है।
बुध मिथुन राशि में उदित: समय
बुध महाराज 27 जून 2024 की सुबह 04 बजकर 22 मिनट पर मिथुन राशि में उदित हो जाएंगे। बता दें कि मिथुन राशि के स्वामी ग्रह बुध हैं और ऐसे में, यह अपनी ही राशि में उदित होंगे इसलिए इनकी स्थिति में होने वाले बदलाव का असर 12 राशियों, शेयर बाजार और विश्व में होने वाली घटनाओं पर पड़ेगा। हालांकि, इसके ठीक दो दिन बाद यानी कि 29 जून को बुध देव कर्क राशि में गोचर कर जाएंगे। आइए जानते हैं कि बुध के उदित होने से यह आपके जीवन को कैसे प्रभावित करेंगे।
बृहत् कुंडलीमें छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरालेखा-जोखा
क्या होता है बुध का उदय होना?
बुध के उदित होने का अर्थ ऐसी अवस्था से है जब बुध सूर्य से दूरी बनाना शुरू कर देता है जिससे वह अपनी खोई हुई शक्तियों को पुनः प्राप्त कर सके। इस घटना को ही बुध का उदित होना कहा जाता है और इसे बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि प्राचीन काल में इसे गतिविधियों और घटनाओं के सूचक के रूप में देखा जाता था।
ज्योतिष की दुनिया में बुध के उदित होने को बौद्धिक और संचार कौशल से जुड़ी अवधि माना ’जाता था। इस समय को किसी भी तरह के काम की नई शुरुआत के लिए श्रेष्ठ कहा गया है, विशेष रूप से सीखने, लिखने, संवाद और व्यापार आदि के लिए। वहीं, कुछ ज्योतिषियों का मत है कि यह आपके विचारों को स्पष्ट बनाने का भी काम करता है।
बुध मिथुन राशि में उदित; इन राशियों के लिए साबित होगा वरदान
मेष राशि
मेष राशि वालों के लिए बुध महाराज आपके तीसरे और छठे भाव के स्वामी हैं जो कि अब आपके तीसरे भाव में उदित होने जा रहे हैं। ऐसे में, इन जातकों का संचार कौशल शानदार रहेगा और आप जीवन के महत्वपूर्ण कामों को पूरा करने में सक्षम होंगे। पेशेवर जीवन की बात करें, तो करियर के क्षेत्र में सहकर्मियों के साथ आपके रिश्ते सौहार्द से पूर्ण बने रहेंगे और उनका रवैया आपके साथ दोस्ताना होगा।
जिन जातकों का संबंध मीडिया या मार्केटिंग से है, उनके लिए यह अवधि लाभ लेकर आएगी। आप नए-नए दोस्त बनाने में सक्षम होंगे क्योंकि इस समय आपकी वाणी मधुर और बातचीत करने की क्षमता शानदार रहेगी। बुध का इस स्थिति को आपके पिता के लिए फलदायी कहा जाएगा और साथ ही, जीवनसाथी और भाई-बहनों के साथ आपके रिश्ते मजबूत होंगे।
वृषभ राशि
वृषभ राशि के जातकों के लिए बुध ग्रह आपके दूसरे और पांचवें भाव के स्वामी हैं। अब यह आपके दूसरे भाव में उदित होने जा रहे हैं और ऐसे में, यह आपके जीवन में सकारात्मक परिणाम लेकर आएंगे। परिवार के साथ आप अच्छा समय बिताते हुए दिखाई देंगे और उनके साथ बात करने से आप हर समस्या का हल ढूंढ़ने में सक्षम होंगे। इन जातकों की मधुर वाणी सबको अपना बनाने का काम करेगी और आपकी बात को टालना हर किसी के लिए मुश्किल होगा।
परिवार में चल रहे विवाद या मतभेद अब दूर होंगे और आपको मनपसंद भोजन करने के मौके मिलेंगे। बुध की यह स्थिति वृषभ राशि के छात्रों के लिए फलदायी रहेगी और शिक्षा में आपका प्रदर्शन अच्छा रहेगा। इस अवधि में आपकी बुद्धि तेज़ बनेगी जिसका फायदा आपको आर्थिक जीवन में मिलेगा। आपकी आर्थिक स्थिति मज़बूत होने से आपके आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होगी।
मिथुन राशि वालों के लिए बुध ग्रह आपके पहले/लग्न भाव में उदित होंगे जो कि आपके पहले और और चौथे भाव में स्वामी हैं। ऐसे में, यह आपके आत्मविश्वास को बढाएंगे और समाज में आपके मान-सम्मान में भी वृद्धि होगी। साथ ही, इन लोगों के सामाजिक जीवन के दायरे का भी विस्तार होगा और आप अपनी एक विशिष्ट जगह बना सकेंगे। हालांकि, बुध के मिथुन राशि में उदित होने से आपके जीवन में चल रही आर्थिक समस्याएं और परिवार में उत्पन्न मतभेद अब दूर होंगे। अगर पार्टनर के साथ आप मतभेद का सामना कर रहे हैं, तो अब उसका भी समाधान हो जाएगा और इसके फलस्वरूप, आप साथी के साथ यादगार समय बिताते हुए दिखाई देंगे।
आप दोनों साथ मिलकर परिवार को मज़बूत करने के बारे में सोच-विचार करेंगे और इस दिशा में आप कोई ठोस कदम भी उठा सकते हैं। साथ ही, आप लापरवाह होकर जीवन जिएंगे जिसकी वजह से आप अपने आसपास मौजूद लोगों का मनोरंजन करेंगे। ऐसे में, वह आप पर प्रेम न्योछावर करेंगे। मीडिया, लिटरेचर या कला के क्षेत्र से जुड़े जातक बुध उदित की अवधि में अपनी चमक बिखेरेंगे।
सिंह राशि
वाणी और संचार के कारक ग्रह बुध सिंह राशि वालों के लिए दूसरे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं जो अब आपके ग्यारहवें भाव में उदित होने जा रहे हैं। बुध के मिथुन राशि में उदित होने से आप अपने भाई-बहनों के साथ समय बिताते हुए नज़र आएंगे, विशेष रूप से बड़े भाई-बहनों के साथ। ऐसे में, वह आपका साथ देंगे और जीवन के लक्ष्यों को हासिल करने में आपकी सहायता और मार्गदर्शन दोनों करेंगे। अगर आपको आर्थिक मदद की भी आवश्यकता होगी, तब भी वह अपने कदम पीछे नहीं खीचेंगे और आपकी सहायता करेंगे।
वहीं, कार्यक्षेत्र में वरिष्ठों के साथ आपके रिश्ते मधुर बने रहेंगे और इसके परिणामस्वरूप, नौकरी में आपको किसी अच्छे पद की प्राप्ति हो सकती है। सिंह राशि के जातकों के सामाजिक जीवन का विस्तार होगा और साथ ही, आप सोशल मीडिया पर काफ़ी एक्टिव रहेंगे।
कन्या राशि
कन्या राशि के जातक बुध उदित की अवधि में ऊर्जावान और उत्साह से भरे रहेंगे। इन जातकों के सपने ऊंचे होंगे और आप एक साथ कई कामों को करने में सक्षम होंगे। इन लोगों के घर में सुख-शांति बनी रहेगी और परिवार के सदस्यों के साथ आप हंसी-मजाक करते हुए दिखाई देंगे जिससे वातावरण खुशहाल बना रहेगा। ऐसे में, आपके आसपास के लोग आपसे ख़ुश रहेंगे। बुध उदित का समय शिक्षा के लिए भी उत्तम रहेगा क्योंकि इस राशि के छात्रों की याददाश्त तेज़ होगी और वह नए काम जल्दी से सीख जाएंगे।
करियर के क्षेत्र में, इस समय को आपके लिए शुभ कहा जाएगा और यह आपको कार्यों के सकारात्मक परिणा प्रदान करेगा। जिन लोगों का अपना व्यापार है, उनका बिज़नेस तरक्की और प्रगति के मार्ग पर आगे बढ़ेगा। आपके मान-सम्मान में भी वृद्धि होगी और वहीं, जो जातक नौकरी करते हैं, उनकी मुलाकात उच्च पद के किसी प्रभावशाली व्यक्ति से हो सकती है। इस राशि के जो जातक सरकारी नौकरी करते हैं, उनके लिए बुध की उदित अवस्था बेहतरीन परिणाम लेकर आएगी क्योंकि आप करियर में स्थिरता प्राप्त करने में सक्षम होंगे। साथ ही, कन्या राशि के जातक नई योजनाओं को शुरू करने के बारे में सोच-विचार कर रहे हैं, तो वह इस अवधि में आगे की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं, उन्हें जल्द ही सफलता की प्राप्ति होगी।
तुला राशि वालों के लिए बुध देव आपके नौवें और बारहवें भाव के स्वामी हैं। बुध उदित की अवधि में आप खुद को भाग्यशाली महसूस करेंगे। इन जातकों का झुकाव अध्यात्म के प्रति बढ़ेगा और धार्मिक ग्रंथों के बारे में जानने में आपकी दिलचस्पी होगी। ऐसे में, आप तीर्थस्थलों और सांस्कृतिक धरोहरों की यात्रा करते हुए नज़र आ सकते हैं। हालांकि, इस दौरान आपके रिश्ते पिता या पिता तुल्य व्यक्ति के साथ अच्छे बने रहेंगे और वह हर कदम पर आपका साथ देंगे। लेकिन, आपको थोड़ा सावधान रहना होगा क्योंकि आपके पिता को स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं परेशान कर सकती हैं। साथ ही, धर्म-कर्म और दान आदि से जुड़े कार्यक्रमों में आप बढ़-चढ़कर भाग लेंगे।
बुध मिथुन राशि में उदित होने का समय उन छात्रों के लिए सफलता लेकर आएगा जो उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने के बारे में सोच रहे हैं। इन लोगों के मार्ग में आ रही समस्याएं दूर होंगी और इसके परिणामस्वरूप, आप अपनी पसंद के कॉलेज में एडमिशन लेने में सफल रहेंगे। इस अवधि को आपके पेशेवर जीवन के लिए भी सकारात्मक कहा जाएगा जिनका संबंध ट्रैवेलिंग, शिक्षा और रियल एस्टेट से है। इन क्षेत्रों में अचानक से तेज़ी देखने को मिलेगी और साथ ही, आपको भाग्य का साथ मिलेगा। बॉस की नज़रों में आपकी छवि अच्छी बनी रहेगी और फलस्वरूप, बेहतरीन काम के लिए इंसेंटिव मिलने की भी संभावना है।
कुंभ राशि
कुंभ राशि वालों की कुंडली में बुध आपके पांचवें भाव में उदित होंगे। बता दें कि बुध महाराज आपके पांचवें और आठवें भाव के भी स्वामी हैं। ऐसे में, पेशेवर जीवन के लिए इस अवधि को अच्छा कहा जाएगा, विशेष रूप से विभिन्न मार्केट के बारे में जानने के लिए। यह जातक अपनी रुचि के माध्यम से पैसा कमाने में सक्षम होंगे। यह समय उन लोगों के लिए फलदायी रहेगा जो मनोविज्ञान, शिक्षक और ज्योतिष आदि से जुड़े हैं।
आपकी योग्यताएं और क्षमताएं मज़बूत होंगी और ऐसे में, दूसरे लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करने में सक्षम होंगे। आपके ग्राहकों की संख्या में वृद्धि होगी जिससे आपका व्यापार बढ़ेगा। जिन लोगों की रुचि सट्टेबाजी में हैं, उन्हें इस दौरान कम से कम धन निवेश करने की सलाह दी जाती है, अन्यथा आपको हानि हो सकती है।
बुध मिथुन राशि में उदित: इन राशियों की बढ़ेंगी मुसीबतें
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के जातकों के लिए बुध देव आपके आठवें और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं। अब यह आपके आठवें भाव में उदित होने जा रहे हैं जो कि आपके रहस्यों का भाव है। इस अवधि में आपकी मानसिक शांति भंग रह सकती है। साथ ही, आपको दोस्तों के साथ रिश्ते में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
इसके विपरीत, बुध उदित की अवधि आपके पेशवर जीवन के लिए जोख़िम भरी रहने की आशंका है इसलिए आपको सोच-समझकर आगे बढ़ना होगा। नौकरीपेशा जातकों को भी सतर्क रहने की आवकश्यता होगी क्योंकि आपको वरिष्ठों और बॉस के साथ मतभेदों से जूझना पड़ सकता है जिसका असर आपके मान-सम्मान पर पड़ने की संभावना है।इस अवधि को योजनाओं के निर्माण के लिए अच्छा कहा जाएगा, लेकिन उन्हें लागू करने में आपको देरी का सामना करना पड़ सकता है, अन्यथा आपको नकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं। इस राशि के जो जातक रिसर्च, खनन या पेट्रोलियम आदि से संबंध रखते हैं, उनकी वेतन में वृद्धि होने की संभावना है।
बुध मिथुन राशि में उदित के दौरान जरूर करें ये उपाय
बुध ग्रह के लिए यज्ञ/हवन करें।
गणेश जी की पूजा करें और उन्हें दूर्वा घास चढ़ाएं। साथ ही, उन्हें देशी घी के लड्डू का भोग लगाएं।
गाय को हरी सब्ज़ियां खिलाएं।
परिवार की महिलाओं को वस्त्र और हरे रंग की चूड़ियां दें।
किन्नरों का आशीर्वाद लें।
पक्षियों को भीगे हुए हरे चने खिलाएं।
बुध मिथुन राशि में उदित: विश्व पर प्रभाव
सरकार एवं राजनीति
बुध के मिथुन राशि में उदित होने से सरकार विभिन्न क्षेत्रों का समर्थन कर सकती है और वह ऐसा इन क्षेत्रों में सुधार लाकर और योजनाएं लागू करके कर सकती हैं।
देश के बड़े राजनेता और उच्च अधिकारी जिम्मेदारी से पूर्ण बयान दे सकते हैं। ऐसे में, वह जनता के साथ जुड़ने और उनकी बात सुनने का प्रयास करेंगे।
व्यापार एवं कृषि
व्यापार के कारक ग्रह कहे जाने वाले बुध के उदित होने पर दुनियाभर में व्यापार के क्षेत्र में गिरावट आने का अनुमान है।
पब्लिक सेक्टर, फार्मा और कंप्यूटर सॉफ्टवेयर इंडस्ट्री आदि को मुश्किल दौर से गुजरना पड़ सकता है।
ट्रांसपोर्ट, हस्तशिल्प और हैंडलूम आदि क्षेत्रों में बुध उदित होने से तेज़ी देखने को मिलेगी।
भारत में कृषि और पशुपालन की मांग में वृद्धि होगी।
शेयर बाजार और सट्टा बाजार में अस्थिरता का दौर जारी रहेगा।
देश में अधिकतर लोगों का झुकाव अध्यात्म और धर्म-कर्म के कार्यों में बढ़ेगा।
पब्लिक सेक्टर में काम करने वालों जातकों को विभिन्न स्रोतों से लाभ प्राप्त होगा।
मीडिया एवं जर्नलिज्म
जो लोग मीडिया के क्षेत्र से जुड़े हैं, वह अपनी शर्तों पर काम करने में सक्षम होंगे। साथ ही, आप पर काम का बोझ बढ़ सकता है।
लेखक, जर्नलिस्ट, कंटेंट क्रिएटर आदि को बुध के उदित होने से लाभ होगा।
बुध मिथुन राशि में उदित: शेयर बाजार भविष्यवाणी
बुध की उदित अवस्था शेयर बाजार को अत्यधिक प्रभावित करेगी और इसका असर विभिन्न कंपनियों के शेयरों से मिलने वाले मुनाफे पर भी असर डालेगा। अगर आप शेयर बाजार में रुचि रखते हैं, तो एस्ट्रोसेज ने शेयर बाज़ार भविष्यवाणी को विशेष रूप से आपके लिए तैयार किया है। चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि बुध के मिथुन राशि में उदित होने से शेयर बाजार पर अच्छा या बुरा कैसा असर पड़ेगा।
फार्मा, पब्लिक और आईटी सेक्टर आदि के लिए आने वाला समय चुनौतीपूर्ण रहने की आशंका है।
बैंकिंग क्षेत्र काफ़ी समय से समस्याओं का सामना कर रहा है और इनका यह कठिन समय आगे भी जारी रह सकता है।
इस महीने का अंतिम समय रबर, तंबाकू और खाने-पीने में इस्तेमाल होने वाले तेल उद्योग आदि के लिए अच्छा रहने की संभावना है।
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बुध मिथुन राशि में उदित: इन खेल टूर्नामेंटों को करेंगे प्रभावित
बुध के उदित होने से नीचे दिए गए खेल टूर्नामेंट प्रभावित होंगे।
टूर्नामेंट
तारीख़
आईसीसी टी20 क्रिकेट वर्ल्ड कप
01 जून से 29 जून, 2024
बुध 27 जून 2024 को मिथुन राशि में उदित होंगे और इसके बाद यह कर्क राशि में 29 जून 2024 को प्रवेश कर जाएंगे। ऐसे में, बुध के स्वयं की राशि में उदित होने से आईसीसी टी20 वर्ल्ड कप के फाइनल पर इसका असर देखने को मिलेगा। यह एकमात्र ऐसा टूर्नामेंट है जो इस अवधि में होने जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप, इस वर्ल्ड कप में नए खिलाड़ी अपना दबदबा बनाएंगे।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. बुध ग्रह की मूल त्रिकोण राशि कौन सी है?
उत्तर 1. कन्या।
प्रश्न 2. बुध के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए कौन सी धातु और रत्न धारण करना चाहिए?
उत्तर 2. रत्न: पन्ना और धातु: सोना/चांदी।
प्रश्न 3. बुध के शत्रु ग्रह कौन से हैं?
उत्तर 3. मंगल को बुध का शत्रु माना जाता है।
इस शुभ योग में रखा जाएगा निर्जला एकादशी का व्रत, राशि अनुसार उपाय करने से चमकेगा भाग्य!
सनातन धर्म में सभी एकादशी तिथियों का विशेष महत्व है। हर महीने दो एकादशी व्रत रखे जाते हैं और इस तरह वर्ष में 24 एकादशी की तिथियां पड़ती है। परन्तु जिस वर्ष अधिक मास होता है, उस वर्ष में 26 एकादशी तिथियां आती है। इन सभी में निर्जला एकादशी को सबसे श्रेष्ठ मानी जाती है। ऐसा माना जाता है कि सभी एकादशी में केवल निर्जला एकादशी का व्रत रखने से श्रद्धालुओं को वर्ष के सभी एकादशियों के बराबर फल प्राप्त होता है। निर्जला एकादशी व्रत सभी एकादशियों में सबसे कठिन व्रत होता है क्योंकि इस व्रत में द्वादशी तक पानी की एक बूंद भी नहीं ग्रहण की जाती है इसलिए इसे निर्जला एकादशी के नाम से जाना जाता है। साथ ही, इसे भीमसेनी एकादशी या पांडव एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। महर्षि वेदव्यास के अनुसार, भीमसेन ने सबसे पहले इस व्रत को रखा था। इस व्रत में सूर्योदय से द्वादशी के सूर्योदय तक जल ग्रहण नहीं किया जाता है। इस व्रत को विधि-विधान से करने वालों को दीर्घायु और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
ख़ास बात यह है कि इस साल निर्जला एकादशी पर बहुत अधिक शुभ योग का निर्माण हो रहा है और इस योग की वजह से इस एकादशी का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाएगा। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं इस साल निर्जला एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा, इस दिन बनने वाले शुभ योग व इस दिन राशि अनुसार करने वाले आसान उपायों के बारे में हम यहां चर्चा करेंगे।
निर्जला एकादशी 2024: तिथि व समय
निर्जला एकादशी का व्रत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की तिथि को रखा जाता है। इस बार यह तिथि 18 जून 2024 को पड़ रही है।
निर्जला एकादशी तिथि: मंगलवार, 18 जून 2024
एकादशी तिथि प्रारंभ: 17 जून 2024 की सुबह 04 बजकर 45 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त: 18 जून 2024 की सुबह 06 बजकर 26 मिनट तक
निर्जला एकादशी पारण मुहूर्त : 19 जून 2024 की सुबह 05 बजकर 23 मिनट से 08 बजकर 11 मिनट तक।
अवधि : 2 घंटे 47 मिनट
शुभ योग
निर्जला एकादशी के दिन 3 शुभ योग बन रहे हैं और पारण वाले दिन 5 शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। सबसे पहले बात करें निर्जला एकादशी के दिन बन रहे शुभ योगों की तो, इस दिन त्रिपुष्कर योग, शिव योग और स्वाति नक्षत्र का शुभ योग बनेगा।
समय की बात करें तो,
त्रिपुष्कर योग- एकादशी के दिन शाम 03:56 से अगले दिन सुबह 05:24 तक रहेगा।
वहीं शिव योग एकादशी वाले दिन प्रात:काल से लेकर रात 09 बजकर 39 मिनट तक है।
स्वाति नक्षत्र एकादशी वाले दिन प्रात:काल से प्रारंभ होकर शाम 03:56 तक रहने वाला है।
ये दोनों ही योग और नक्षत्र किसी भी नए काम की शुभ शुरुआत के लिए बेहद ही शुभ माने गए हैं। वहीं कहा जाता है कि त्रिपुष्कर योग में जो भी काम किया जाए उससे व्यक्ति को तीन गुना फल की प्राप्ति होती है।
निर्जला एकादशी के दिन शिव योग का निर्माण हो रहा है। शिव योग को तंत्र या वामयोग भी कहते हैं, जो बहुत ही शुभ योगों में एक माना जाता है। जैसा कि नाम से प्रतीत हो रहा है कि शिव योग भगवान शिव पर आधारित है। इस दौरान भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करना और जलाभिषेक करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि इस योग में किए हर कार्य सफल होते हैं और इसके परिणाम सकारात्मक मिलते हैं।
इसके बाद पारण वाले दिन के शुभ मुहूर्त की बात करें तो, इस दिन यानि 19 जून को सिद्ध योग प्रात:काल से रात 09 बजकर 12 मिनट तक रहने वाला है, विशाखा नक्षत्र प्रात:काल से शाम 05:23 तक रहने वाला है। .
पारण के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और अमृत सिद्धि योग का शुभ संयोग बन रहा है। ये तीनों शुभ योग 19 जून को शाम 05:23 से अगले दिन यानि 20 जून को सुबह 05:24 तक रहने वाले हैं।
क्या ये जानते हैं आप? इन महिलाओं को भूलकर भी नहीं करना चाहिए निर्जला एकादशी का व्रत: दरअसल निर्जला एकादशी व्रत का संबंध गदाधारी भीम से जोड़कर भी देखा जाता है इसलिए षष्टरोन के अनुसार गर्भवती महिलाओं, अधिक उम्र की महिलाओं, बीमार महिलाओं, आदि को ये व्रत नहीं रखना चाहिए। इसका एक कारण ये भी है कि ये व्रत बहुत ही कठिन होता है ऐसे में यदि कोई गर्भवती महिला या उम्रदराज़ महिला या बीमार महिला इस व्रत को करती है तो उन्हें परेशानी हो सकती है।
शास्त्रों में हर एक एकादशी के व्रत का महत्व बताया गया है। कहा जाता है कि यह एकादशी का व्रत अगर कोई भी व्यक्ति करता है तो उसका फल उसे 24 एकादशी व्रत करने के बराबर मिलता है। मान्यता है कि श्रद्धापूर्वक जो इस पवित्र एकादशी का व्रत करता है, वह समस्त पापों से मुक्त हो जाता है। निर्जला एकादशी जल के महत्व जल पिलाने और दान करने की परंपरा होती है।
इस दिन जल से भरे कलश का दान करने वाले श्रद्धालुओं को साल भर की एकादशियों का फल प्राप्त होता है। अगर आप साल भर की एकादशी करते है और गलती से किसी एकादशी में अन्न खा लेते है तो इस एकादशी का व्रत करने से अन्य एकादशियों का दोष भी समाप्त हो जाता है। इस दिन निर्जल रहकर भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए क्योंकि एकादशी का दिन भगवान विष्णु को बहुत ही ज्यादा प्रिय होता है।
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निर्जला एकादशी की पूजा विधि
निर्जला एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर सभी कार्यों से निवृत हो जाए। फिर इसके बाद स्नान करके साफ वस्त्र धारण करें।
निर्जला एकादशी के दिन एक चौकी पर साफ पीले वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
भगवान विष्णु को पीला रंग अति प्रिय है इसलिए एकादशी व्रत के दिन पूजा सामग्री में पीले पुष्प, वस्त्र, पीला फल जैसे आम या केला और साथ में कलश व आम के पत्ते जरूर रखें।
इसके अलावा, पूजा की सामग्री में पान, लौंग, सुपारी, कपूर, पीला चंदन, अक्षत, पानी से भरा नारियल, पंचमेवा, कुमकुम, हल्दी, धूप, दीप, तिल, मिष्ठान, मौली आदि जरूर रखें क्योंकि इन चीज़ों के प्रति पूजा अधूरी मानी जाती है।
सनातन धर्म में पंचामृत का विशेष महत्व है और भगवान विष्णु की पूजा में पंचामृत अवश्य चढ़ाया जाता है। शास्त्रों के अनुसार, पंचामृत का भोग लगाने से और उसे प्रसाद के रूप में बांटने व उसे ग्रहण करने से साधक को पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
भगवान विष्णु की पूजा के वक्त चढ़ाने वाले भोग में तुलसी के पत्ते जरूर रखें। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें तुलसी सर्वाधिक प्रिय है इसलिए पूजा के समय भोग में और पंचामृत में तुलसी जरूर डालें। इससे न केवल इन चीजों की शुद्धि होती है, बल्कि भगवान विष्णु का विशेष कृपा भी प्राप्त होगी।
इस दिन पूजा के दौरान कथा जरूर पढ़ें क्योंकि कथा के बिना पूजा अधूरी मानी जाती है। साथ ही, इसके बाद ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप कम से कम 108 बार जरूर करें।
यदि आप निर्जला एकादशी का व्रत रख रहे हैं तो आपको इस दिन पानी पीने से बचना चाहिए। और अगर आपके अंदर व्रत रखने की क्षमता है तब ही व्रत रखें।
विष्णु पुराण के अनुसार, निर्जला एकादशी पर भगवान विष्णु को पान के पत्ते अर्पित किए जाते हैं इसलिए इस दिन पान खाने से बचना चाहिए। अगर आपने व्रत नहीं भी रखा है तब भी नपान न खाएं।
निर्जला एकादशी सहित किसी भी एकादशी और यहां तक कि द्वादशी यानी अगले दिन तक भी तामसिक भोजन जैसे कि मांस, मदिरा, प्याज, लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए।
निर्जला एकादशी के दिन देर तक न सोना अच्छा नहीं माना जाता है और इस दिन काले वस्त्र व सुहागन औरतों को सफेद वस्त्र पहनें से बचना चाहिए।
इस दिन दाढ़ी, बाल और नाखून, कटवाने से बचना चाहिए।
निर्जला एकादशी के दिन चावल और बैंगन का सेवन भी वर्जित माना जाता है।
निर्जला एकादशी पर पढ़ें ये कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भीमसेन व्यास जी से बोले कि हे पितामह! भ्राता युधिष्ठिर, माता कुंती, द्रोपदी, अर्जुन, नकुल और सहदेव आदि सभी मुझसे एकादशी का व्रत करने को कहते हैं। महाराज मैं भगवान की भक्ति, पूजा पाठ, दान आदि कर सकता हूं लेकिन भोजन के बिना मैं एक पल भी जीवित नहीं रह सकता हूं। इस पर व्यास जी ने कहा कि हे भीमसेन! यदि तुम नरक को बुरा और स्वर्ग को अच्छा समझते हो तो प्रत्येक मास की दोनों एकादशियों को अन्न मत खाया करो। इस पर भीम बोले हे पितामह! मैं तो पहले ही आपसे ये बात बता चुका हूं कि मैं भूख नहीं बर्दाश्त कर कर सकता। यदि वर्षभर में कोई एक ही व्रत ऐसा हो तो रख सकता हूं पर हर महीने मेरे लिए मुश्किल होगा क्योंकि मेरे पेट में वृक नाम की अग्नि है जिसके चलते मैं भूख बर्दाश्त नहीं कर सकता हूं। अत: आप मुझे कोई ऐसा व्रत बताइए जो वर्ष में केवल एक बार ही करना पड़े और मुझे स्वर्ग की प्राप्ति हो जाए। इस पर व्यास जी ने कहा कि बड़े-बड़े ऋषियों ने बहुत शास्त्र आदि बनाए हैं जिनसे थोड़े परिश्रम से ही स्वर्ग की प्राप्ति हो सकती है। इसी प्रकार शास्त्रों में दोनों पक्षों की एकादशी का व्रत मुक्ति के लिए रखा जाता है। ऐसा सुनकर भीमसेन घबरा गए और परेशान हो गए और व्यास जी से दूसरा कोई उपाय बताने की विनती करने लगे।
ऐसा सुनकर व्यास जी कहने लगे कि वृषभ और मिथुन की संक्रांति के बीच ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी का व्रत करो। इस एकादशी में अन्न तो दूर जल भी ग्रहण नहीं किया जाता। तुम उस एकादशी का व्रत करो। यह एकादशी तुम्हें सभी एकादशी का फल प्रदान करेगी। इस दिन भोजन नहीं करना चाहिए और न ही जल ग्रहण करना चाहिए, क्योंकि भोजन करने से व्रत टूट जाता है। व्यास जी ने इस व्रत के बारे में जैसे ही भीमसेन को बताया वे खुश हो गए और इस एकादशी का व्रत करने लगे। जिसके बाद उन्हें पुण्य फल की प्राप्ति हुई।
निर्जला एकादशी के दिन करें राशि अनुसार उपाय
मेष राशि
मेष राशि के लोगों को निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु को लाल रंग के फूल अर्पित करने चाहिए। इस राशि के लोगों को इस दिन सात प्रकार के अनाज का भी दान करना चाहिए।
वृषभ राशि
वृषभ राशि के लोगों को निर्जला एकादशी पर सफेद अनाज जैसे- चावल, सफेद चने आदि का दान करना चाहिए और इसके साथ ही इस दिन क्षमता अनुसार चीनी भी दान कर सकते हैं। ऐसा करने से आपके जीवन में सुख समृद्धि बढ़ेगी।
मिथुन राशि
मिथुन राशि के लोगों को निर्जला एकादशी पर पीले रंग के वस्त्र भगवान विष्णु को अर्पित करना चाहिए। उसके साथ ही, तुलसी चढ़ी खीर का भोग लगाना चाहिए। इस दिन आपको गाय को हरि व पत्तेदार सब्जी खिलाना चाहिए और किसी जरूरतमंद को मूंग की दाल का दान करना चाहिए।
कर्क राशि
कर्क राशि के लोगों को निर्जला एकादशी पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को खीर का भोग बनाकर अर्पित करना चाहिए। इसका भोग लगाकर सबको प्रसाद के रूप में बांटना चाहिए। ऐसा करने से आपका तनाव कम हो सकता है और घर पर सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।
सिंह राशि
सिंह राशि के लोगों को निर्जला एकादशी के दिन माता लक्ष्मी को लाला रंगे के वस्त्र अर्पित करने चाहिए और खुद इस दिन पीले कपड़े पहनकर पूजा करनी चाहिए। इस दिन श्रीहरि को शहद और गुड़ का भोग लगाएं। इससे आर्थिक जीवन में आ रही समस्या दूर होगी।
कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों को निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पीले रंग की मिठाई और शुद्ध केसर का भोग लगाना चाहिए। साथ ही, तुलसी के पत्ते भी भोग में डालना चाहिए। माना जाता है कि इस उपाय को करने से धन लाभ की प्राप्ति होती है।
तुला राशि
तुला राशि के लोगों को निर्जला एकादशी के पर्व पर सत्तू का शरबत दान करना चाहिए। इसके साथ भगवान विष्णु को भोग में केसर वाला दूध अर्पित करें। ऐसा करने से आपका जीवन में प्रेम जीवन सुखमय होता है।
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के लोगों को निर्जला एकादशी के दिन गुड़ और चने का दान करना चाहिए और इसके साथ ही भगवान चने या जौ का सत्तू अर्पित करें। इसके अलावा इस दिन राहगीरों को जल या शरबत पिलाएं। ऐसा करने से आपको करियर में सफलता प्राप्त होगी।
धनु राशि
धनु राशि के लोगों को निर्जला एकादशी पर भगवान विष्णु को पीले वस्त्र और चंदन अर्पित करने चाहिए। ऐसा करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है। इसके साथ ही धनु राशि के लोगों के लिए निर्जला एकादशी पर पीले फलों का दान करना भी फलदायी साबित हो सकता है।
मकर राशि
मकर राशि के लोगों को निर्जला एकादशी पर भगवान विष्णु को दही और केसर का भोग लगाना चाहिए। ऐसा करने से आपका वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है और अविवाहित जातकों को अच्छे वर की प्राप्ति होती है।
कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातकों के लोगों को निर्जला एकादशी पीपल के पेड़ पर तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए और सात या 11 बार उसकी परिक्रमा करनी चाहिए। ऐसा करने से आपके जीवन से हर प्रकार के कष्ट दूर होते हैं।
मीन राशि
मीन राशि के जातकों के लोगों को निर्जला एकादशी के पर्व पर भगवान को नारियल और मिश्री अर्पित करनी चाहिए। इसके साथ ही जरूरतमंद व गरीबों को वस्त्र व भोजन देना चाहिए।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. साल 2024 में निर्जला एकादशी कब रखा जाएगा?
उत्तर 1. इस साल निर्जला एकादशी का व्रत 18 जून 2024 को रखा जाएगा।
प्रश्न 2. निर्जला एकादशी में कौन सा योग बन रहा है?
उत्तर 2. इस साल निर्जला एकादशी में बेहद शुभ योग यानी शिव योग का निर्माण हो रहा है।
प्रश्न 3. निर्जला एकादशी के नियम क्या है?
उत्तर 3. निर्जला एकादशी का सबसे बड़ा नियम है कि इस दिन किसी भी तरह के तरल पदार्थ का सेवन न करें। हालांकि, बीमार होने पर यह नियम लागू नहीं होता है।
प्रश्न 4. निर्जला एकादशी में पानी कब किया जाता है?
उत्तर 4. शास्त्रों के अनुसार, निर्जला एकादशी से पहले तड़के सुबह 3 बजे से 4:30 बजे के बीच जल ग्रहण कर सकते हैं।
शुभ योग में मनाई जाएगी गायत्री जयंती, इन ख़ास उपायों से होगी हर इच्छा की पूर्ति!
प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गायत्री जयंती मनाई जाती है। यह ख़ास दिन माता गायत्री को समर्पित होता है और इस दिन मां गायत्री की विधि-विधान से पूजा पाठ करने से साधक को हर समस्या से छुटकारा मिलता है। कुछ लोग इस दिन उपवास भी रखते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता गायत्री की पूजा-उपासना व व्रत करने से साधक के सभी बिगड़े काम बन जाते हैं। साथ ही साधक की हर मनोकामना की पूर्ति होती है। इस दिन स्नान-ध्यान करने का विशेष महत्व है।
इस दिन वेदों की माता गायत्री प्रकट हुई थी। सनातन धर्म के अनुसार, माता गायत्री को वेदमाता भी कहा जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, माता गायत्री से ही चार वेद ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद, अथर्ववेद की उत्पत्ति हुई थी। इनसे संबंधित गायत्री मंत्र में सभी 4 वेदों का सार होता है। मां गायत्री सभी तरह के ज्ञान की देवी हैं। उनकी पूजा त्रिदेव यानी ब्रह्मा, विष्णु और शंकर भी करते हैं।
ख़ास बात यह है कि इस बार गायत्री जयंती पर विशेष योग का निर्माण हो रहा है, जिसके चलते इस पर्व का महत्व और अधिक बढ़ गया है। तो आइए आगे बढ़ते हैं और बिना देरी किए जानते हैं गायत्री जयंती की तिथि, पूजा विधि, उपाय व इस दिन बनने वाले शुभ योग के बारे में।
गायत्री जयंती 2024: तिथि व समय
वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 17 जून 2024 को पड़ रही है। इस तिथि की शुरुआत की सुबह 04 बजकर 43 मिनट से हो रही है। यह तिथि 18 जून को सुबह 06 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगी। उदय तिथि के अनुसार, गायत्री जयंती 17 जून दिन सोमवार को मनाई जाएगी।
17 जून को गायत्री जयंती रवि योग और शिव योग में मनाया जाएगा। ख़ास बात यह है इस दिन चित्रा नक्षत्र पड़ रहा है। इस दिन रवि योग की शुरुआत सुबह 05 बजकर 23 मिनट से होगी। इसकी समाप्ति दोपहर 01 बजकर 50 मिनट पर होगी। इसके अलावा, परिघ योग प्रात: काल से लेकर रात 09 बजकर 35 मिनट तक है। उसके बाद से शिव योग का प्रारंभ होगा। वहीं गायत्री जयंती वाले दिन चित्रा नक्षत्र प्रात: काल से लेकर दोपहर 01 बजकर 50 मिनट तक है। उसके बाद से स्वाति नक्षत्र है।
गायत्री जयंती 2024 मुहूर्त
गायत्री जयंती के दिन मां गायत्री की पूजा करने के लिए सूर्योदय के समय सूर्य देव को जल अर्पित करने के बाद विधि-विधान से पूजा कर सकते हैं। सूर्य को अर्घ्य देने के बाद गायत्री मंत्र का जाप इस दिन अवश्य करें। उस दिन ब्रह्म मुहूर्त 04 बजकर 03 मिनट से शाम 04 बजकर 43 मिनट तक है। सूर्योदय समय सुबह 05 बजकर 23 मिनट तक है।
गायत्री जयंती के दिन अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त 05 बजकर 23 मिनट से 07 बजकर 08 मिनट तक है। शुभ-उत्तम मुहूर्त 08 बजकर 53 मिनट से 10 बजकर 37 मिनट तक है।
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गायत्री जयंती का महत्व
सनातन धर्म में गायत्री जयंती का बहुत अधिक महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, इस पृथ्वी लोक पर हर जीव के अंदर मां गायत्री प्राण-शक्ति के रूप में विद्यमान है, यही कारण है माता गायत्री को सभी शक्तियों का आधार माना गया है। मान्यता है कि गायत्री जयंती के दिन माता गायत्री की विधि-विधान से पूजा करने से वेदों का अध्ययन करने के समान पुण्य फल की प्राप्ति होती है। साधक के ज्ञान में वृद्धि होती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही, परिवार में शांति का वातावरण स्थापित होगा।
गायत्री संहिता में लिखा है ‘भासते सततं लोके गायत्री त्रिगुणात्मिका॥’ अर्थात गायत्री माता सरस्वती, मां लक्ष्मी और मां काली का प्रतिनिधित्व करती हैं। माता गायत्री से आयु, प्राण, प्रजा, पशु, कीर्ति, धन एवं ब्रह्मवर्चस के सात प्रतिफल अथर्ववेद में बताए गए हैं। इनकी पूजा करने पर व्यक्ति को सभी प्रकार के सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है।
इस दिन इस मंत्र का जाप जरूर करें- ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्। माना जाता है कि, जो भक्त गायत्री मंत्र का नियमित जाप करता है। उसके अंदर आध्यात्मिक शक्ति जागृत होती हैं। इस मंत्र के जाप से व्यक्ति को धन लाभ और सामाजिक प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है। साथ ही, गायत्री माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यही नहीं छात्र/छात्राओं के लिए यह मंत्र बहुत अधिक फायदेमंद साबित होता है।
गायत्री जयंती के दिन सूर्योदय से पहले उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें। यदि ऐसा संभव न हो तो घर में ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
स्नान करने के बाद व्रत का संकल्प लें।
इसके बाद माता गायत्री की प्रतिमा या चित्र स्थापित करने के बाद विधि-विधान से पूजा करें।
इस दिन गायत्री चालीसा, गायत्री आरती और गायत्री मंत्र का जाप अवश्य करें। माना जाता है कि सूर्योदय से पहले गायत्री मंत्र का जाप करना बहुत अधिक शुभ होता है। सुख-समृद्धि के लिए गायत्री मंत्र को रुद्राक्ष की माला और पीले वस्त्र के साथ जपना चाहिए।
इस दिन गायत्री मंत्र पढ़कर हवन करें।
इस दिन उपवास भी रखा जाता है। व्रत करने वाले फलाहार का ही सेवन करें।
गायत्री जयंती के दिन अपने माता-पिता, आध्यात्मिक गुरुओं और बड़ों का आशीर्वाद जरूर लें।
इस दिन अपनी वाणी और क्रोध पर नियंत्रण जरूर रखें।
गायत्री जयंती के दिन जल दान करें। गौ माता को खिलाएं और पक्षी के जल के पात्र को पानी से भर कर रखें।
इसके अलावा, यदि आप पवित्र पुस्तकों का दान करते हैं, तो आपके लिए अत्यधिक सौभाग्यशाली होगा।
पौराणिक कथा के अनुसार, एक ब्राह्मण वैदिक यज्ञ करना चाहते थे, लेकिन अविवाहित होने के कारण ऐसा करने में असमर्थ थे क्योंकि यज्ञ केवल पत्नी के उपस्थित होने पर ही किया जा सकता था। ब्रह्मा देवी सरस्वती के पास गए और अनुरोध किया कि वह यज्ञ के लिए उनकी पत्नी के रूप में उनके साथ जाएं। देवी सरस्वती ने देवी सावित्री की पहचान ग्रहण करने और ब्रह्मा के दिव्य जीवनसाथी के रूप में सेवा करने के लिए सहमति व्यक्त की और उनके साथ चली गईं। ब्रह्मा ने यज्ञ की तैयारी शुरू की। लेकिन तैयारी पूरी होने के बाद देवी सरस्वती काफी समय तक अनुपस्थित रहीं। यज्ञ का मुहूर्त निकला जा रहा था। जैसे ही ब्रह्मा का धैर्य समाप्त हो गया, उन्होंने दूसरी स्त्री की तलाश शुरू कर दी। इसके बाद ब्रह्मा जी ने वहां मौजूद देवी गायत्री से विवाह कर लिया और उन्हें अपनी पत्नी का स्थान देकर यज्ञ प्रारम्भ कर दिया। देवी गायत्री भगवान ब्रह्मा की पत्नी और देवी सरस्वती का अवतार हैं। वेदों की माता, या वेद माता के रूप में, देवी गायत्री पूजनीय हैं। देवी गायत्री को एक देवत्व के रूप में पूजा जाता है क्योंकि वह ज्ञान का प्रतिनिधित्व करती हैं।
गायत्री जयंती के दिन करें इन उपायों को
गायत्री जयंती के दिन किए जाने वाले कुछ ख़ास उपाय बताए जा रहे हैं, जिन्हें अपनाने से व्यक्ति कई समस्याओं से छुटकारा पा सकता है। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में।
दुख दरिद्रता दूर करने के लिए
यदि किसी व्यक्ति को अपने व्यापार या नौकरी में नुकसान उठाना पड़ रहा है या मेहनत करने के बाद भी कार्य में सफलता प्राप्त नहीं हो रही है तो ऐसे लोगों को पीले वस्त्र पहनकर गायत्री मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए। इसके अलावा, गायत्री माता का ध्यान कर गायत्री मंत्र के आगे और पीछे श्रीं सम्पुट लगाकर जप करने से दरिद्रता का नाश होता है। इसके साथ ही रविवार को व्रत किया जाए तो बहुत अधिक लाभकारी होता है।
संतान संबंधी परेशानियां से छुटकारा पाने के लिए
यदि किसी दंपत्ति को संतान प्राप्त करने में कठिनाई आ रही हो या किसी अन्य प्रकार से संतान से वंचित है तो या उसकी संतान किसी बड़ी बीमारी से ग्रस्त है तो गायत्री जयंती के दिन सुबह पति-पत्नी मिलकर एक साथ सफेद वस्त्र धारण कर यौं बीज मंत्र का सम्पुट लगाकर गायत्री मंत्र का विधि-विधान से जाप करें। ऐसा करने से संतान संबंधी हर समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
विरोधियों व शत्रुओं पर विजय प्राप्ति के लिए
यदि कोई व्यक्ति अपने शत्रुओं से परेशान हैं या आपके शत्रु षड्यंत्र रचकर आपको नुकसान पहुंचा रहे हैं तो गायत्री जयंती के दिन लाल वस्त्र धारण कर मां दुर्गा का ध्यान करें और गायत्री मंत्र के आगे एवं पीछे क्लीं बीज मंत्र का तीन बार सम्पुट लगाकार 108 बार जाप अवश्य करें। ऐसा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त की जा सकती है। इसके अलावा, यदि आपका कोई काम रुका है तो उस पर भी कार्य होने लगेगा।
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विवाह में देरी के लिए
यदि किसी भी व्यक्ति के शादी-विवाह में किसी कारण वश देरी हो रही है या किसी वजह से शादी का मुहूर्त टल जा रहा है तो इस ख़ास दिन पीले वस्त्र धारण कर माता पार्वती का ध्यान करते हुए ह्रीं बीज मंत्र का सम्पुट लगाकर 108 बार जाप करने से विवाह कार्य में आने वाली समस्त बाधाएं दूर होती हैं और जल्द ही विवाह के योग बनते हैं।
बड़ी बीमारे से छुटकारा पाने के लिए
यदि आप किसी बड़ी बीमारी से ग्रस्त है और लाख इलाज करने के बाद भी रोग से छुटकारा नहीं मिल रहा हैं तो इस दिन एक कांसे के पात्र में स्वच्छ जल भरकर रख लें एवं उसके सामने लाल आसन पर बैठकर गायत्री मंत्र के साथ ऐं ह्रीं क्लीं का संपुट लगाकर गायत्री मंत्र का जाप करें। जप के बाद जल से भरे पात्र का सेवन करने से बड़ी से बड़ी बीमारी से भी छुटकारा मिल सकता है। और आप रोग मुक्त हो सकते हैं।
अन्य रोगों से मुक्ति के लिए
यदि आप छोटी-मोटी स्वास्थ्य समस्याओं से लड़ रहे हैं तो इस विशेष दिन दूध, दही, घी एवं शहद को मिलाकर एक हजार गायत्री मंत्रों के साथ हवन करने से चेचक, आंखों के रोग और पाचन संबंधी रोग समाप्त हो जाते हैं और छोटी-मोटी समस्याएं भी आपको परेशान नहीं कर सकती हैं।
इसी आशा के साथ कि, आपको यह लेख भी पसंद आया होगा एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए हम आपका बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
प्रश्न 1. गायत्री जयंती कब है?
उत्तर 1. गायत्री जयंती 17 जून 2024 को पड़ रही है। इस तिथि की शुरुआत की सुबह 04 बजकर 43 मिनट से हो रही है। यह तिथि 18 जून को सुबह 06 बजकर 24 मिनट पर समाप्त होगी।
प्रश्न 2. गायत्री माता किसका अवतार है?
उत्तर 2. गायत्री माता को त्रिदेवी लक्ष्मी, पार्वती और सरस्वती का अवतार माना जाता है।
प्रश्न 3. गायत्री माता किसकी बेटी है?
उत्तर 3. गायत्री माता ब्रह्मा की पुत्री हैं।
प्रश्न 4. गायत्री मंत्र क्या है?
उत्तर 4. ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्
इस सप्ताह माँ लक्ष्मी के आशीर्वाद से मालामाल होंगी ये राशियाँ- परिवार में भी आएंगी खुशियाँ!
हम उम्मीद करते हैं जून का अब तक का समय आपके लिए अनुकूल गुजारा हो और आगे आने वाला समय भी आपके लिए ढेरों खुशियां लेकर आए। अपने इस खास राशिफल ब्लॉग में हम जानेंगे कि जून का तीसरा सप्ताह सभी 12 राशियों के लिए क्या सौगात या चुनौतियां लेकर आने वाला है। यहां हम आपको आपकी राशि अनुसार भविष्यफल के साथ-साथ उपायों की जानकारी भी दे रहे हैं।
सिर्फ इतना ही नहीं वैदिक ज्योतिष पर आधारित अपने इस खास ब्लॉग में हम आपको इस सप्ताह में पड़ने वाले व्रत, त्यौहार, ग्रहण, गोचर आदि की जानकारी, बैंक अवकाश, विवाह मुहूर्त, की भी जानकारी प्रदान कर रहे हैं तो लिए बिना देरी किए शुरू करते हैं अपना यह खास ब्लॉग और जानते हैं जून के तीसरे सप्ताह से जुड़ी कुछ बेहद ही दिलचस्प बातें।
सबसे पहले बात कर लें इस सप्ताह के हिंदू पंचांग और ज्योतिषीय गणना की तो हिंदू पंचांग के अनुसार जून का यह सप्ताह शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि और चित्रा नक्षत्र से शुरू हो जाएगा और इस सप्ताह का समापन कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के तहत होगा।
इस सप्ताह पड़ने वाले व्रत और त्योहारों की जानकारी
आगे आने वाले 7 दिनों में कौन-कौन से महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार किए जाएंगे अगर आप भी इस बारे में जानकारी हासिल करना चाहते हैं तो अपने इसका सेगमेंट में हम इसी बात से आपको अवगत कराते हैं। सबसे पहले बात करें इस सप्ताह की शुरुआत की तो,
17 जून को गायत्री जयंती है
18 जून को निर्जला एकादशी का व्रत किया जाएगा। यह सभी एकादशियों में सबसे कठिन और महत्वपूर्ण एकादशी व्रत माना जाता है।
18 जून को राम लक्ष्मण द्वादशी है।
19 जून को प्रदोष व्रत है।
21 जून को वट पूर्णिमा व्रत है। साथ ही यह साल का सबसे बड़ा दिन भी होने वाला है। इस दिन अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस भी है और ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत है।
22 जून को कबीर जयंती है। ज्येष्ठ पूर्णिमा है, इष्टि है और इस दिन से आषाढ़ माह प्रारंभ हो जाएगा।
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इस सप्ताह पड़ने वाले ग्रहण और गोचर
ग्रहण गोचर के बारे में जानना इसलिए भी आवश्यक हो जाता है क्योंकि ग्रहों की चाल और स्थिति का मानव जीवन पर प्रभाव अवश्य पड़ता है। बात करें 17 से 23 जून के सप्ताह में लगने वाले ग्रहण और होने वाले गोचर की तो, इस सप्ताह में ना ही कोई ग्रहण लग रहा है और ना ही कोई गोचर होगा।
17-23 जून 2024: विवाह मुहूर्त 2024
जून के इस पूरे महीने में भी कोई विवाह मुहूर्त नहीं है। ऐसे में अगर आप भी विवाह करना चाहते हैं या फिर आपके घर में कोई विवाह योग्य है तो आपको जुलाई तक रुकने की सलाह दी जाती है।
बैंक अवकाशों की बात करें तो अगर आप भी जानना चाहते हैं कि 17 से 23 जून के बीच कौन-कौन से बैंक अवकाश कब-कब किए जाएंगे और ये कहां-कहां मान्य होंगे तो लिए जान लेते हैं।
17 जून 2024 सोमवार को बकरीद है जो एक राष्ट्रीय अवकाश होता है। हालांकि कुछ जगहों पर इसे नहीं मानते हैं।
21 जून 2024 शुक्रवार को वट सावित्री का व्रत है और यह भारत में कई राज्यों में मनाया जाता है।
22 जून 2024 शनिवार को संत गुरु कबीर जयंती है। इसका अवकाश छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में देखने को मिलेगा।
इस सप्ताह जन्में कुछ मशहूर सितारों के जन्मदिन की जानकारी
अपनी इस आखिरी सेगमेंट में हम इस सप्ताह जन्म लेने वाले सितारों का नाम जानने से पहले जान लेते हैं जून के महीने में अगर आपका भी जन्म हुआ है तो आपका स्वभाव कैसा है। अक्सर देखा गया है कि जून के महीने में जन्म लेने वाले लोग स्वभाव में बेहद डिप्लोमेटिक होते हैं, दिमाग के बेहद ही तेज होते हैं, इनके भीतर कई तरह की कलाएं और हुनर छिपे हुए होते हैं। मन से यह बेहद ही विचित्र होते हैं। अगर इनका मूड है तो सामने वाले पर अपनी पूरी दुनिया भी लुटा सकते हैं और अगर नहीं है तो यह प्यासे को पानी भी देने से कतराते हैं।
प्यार मोहब्बत की बात करें तो इन्हें अपना रोमांस या प्यार चोरी चुपके करना ज्यादा पसंद है। सार्वजनिक रूप से रोमांस इन्हें पसंद नहीं होता है। अपने पार्टनर के लिए यह दुनिया जहान से भी भिड़ सकते हैं। हालांकि यह अपने पार्टनर से सबसे ज्यादा कंपेटिबल बैठते हैं। इस महीने जन्म लेने वाले लोग अधिकारी, पेंटर, काउंसलर, मैनेजर, टीचर, डॉक्टर आदि बनते हैं। कुंडली में ग्रहों की स्थिति ठीक हो तो इन्हें राजनीति में भी अपना सिक्का चमकाने में कोई नहीं रोक सकता है। इन्हें अपने जीवन में अपनी सफलता के दम पर नाम शोहरत, धन सब कुछ मिलता है। इनका व्यक्तित्व बेहद ही करिश्माई होता है जिससे विपरीत लिंग के लोग उनकी तरफ खिंचे चले आते हैं।
जून के महीने में जन्म लेने वाले लोगों का लकी नंबर 4, 6 और 9 होता है। उनके लिए लकी कलर ऑरेंज, मजेंटा और पीला होते हैं। लकी दिन मंगलवार, शनिवार और शुक्रवार होता है। लकी स्टोन रूबी होता है। हालांकि अगर कोई भी रत्न आप पहनने की इच्छा रखते हैं तो उससे पहले विद्वान ज्योतिषियों से परामर्श अवश्य कर लें और तभी आगे बढ़ें ऐसे आपको सलाह दी जाती है।
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
प्रश्न 1: 17 से 23 जून के व्रत-त्योहार कौन-कौन से हैं?
उत्तर: गायत्री जयंती, वट पूर्णिमा, निर्जला एकादशी जैसे महत्वपूर्ण व्रत-त्योहार किए जाएंगे।
प्रश्न 2: 17 से 23 जून के ग्रहण कौन-कौन से हैं?
उत्तर: इस सप्ताह कोई भी ग्रहण नहीं लगने वाला है।
प्रश्न 3: इस सप्ताह में कितने बैंक अवकाश हैं?
उत्तर: 17-23 जून के बीच बकरीद है जो एक राष्ट्रीय अवकाश होता है। 21 जून 2024 शुक्रवार को वट सावित्री का व्रत है और 22 जून को शनिवार को संत गुरु कबीर जयंती का बैंक अवकाश है।
टैरो साप्ताहिक राशिफल (16 जून से 22 जून, 2024): इस सप्ताह किस राशि पर होगी धन की वर्षा?
टैरो साप्ताहिक राशिफल 16 जून से 22 जून 2024: टैरो कार्ड एक प्राचीन विद्या है जिसका उपयोग भविष्य जानने के लिए किया जाता है। इसका प्रयोग प्राचीन काल से ही टैरो कार्ड रीडर और रहस्यवादियों द्वारा अंतर्ज्ञान प्राप्त करने और किसी विषय की गहराई तक पहुँचने के लिए होता रहा है। यदि कोई व्यक्ति बेहद आस्था और विश्वास के साथ मन में उठ रहे सवालों के जवाब ढूंढ़ने के लिए आता है, तो टैरो कार्ड की दुनिया आपको हैरान कर सकती है। बहुत से लोग मानते हैं कि टैरो एक मनोरंजन का साधन है और इसे ज्यादातर मनोरंजन के रूप में देखते हैं।
साल 2024 के छठे महीने जून का यह तीसरा सप्ताह यानी कि टैरो साप्ताहिक राशिफल 16 जून से 22 जून 2024 अपने साथ क्या कुछ लेकर आएगा? यह जानने से पहले हम टैरो कार्ड के बारे में बात करेंगे। आपको बता दें कि टैरो की उत्पति आज से 1400 वर्ष पहले हुई थी और इसका सबसे पहला वर्णन इटली में मिलता है। शुरुआत में टैरो को ताश के रूप में राजघरानों की पार्टियों में खेला जाता था। हालांकि, टैरो कार्ड का वास्तविक उपयोग 16वीं सदी में यूरोप के कुछ लोगों द्वारा किया गया जब उन्होंने जाना और समझा कि कैसे 78 कार्ड्स की मदद से भविष्य के बारे में जाना जा सकता है, उसी समय से इसका महत्व कई गुना बढ़ गया। मध्यकाल में टैरो को जादू-टोना से जोड़कर देखा जाने लगा और इसके परिणामस्वरूप आम लोगों ने भविष्य बताने वाली इस विद्या से दूरी बनाना सही समझा।
लेकिन टैरो कार्ड का सफर यही थमा नहीं और इसने कुछ दशकों पहले पुनः प्रसिद्धि प्राप्त की जब दुनिया के सामने इसे एक भविष्य बताने वाली विद्या के रूप में पहचान मिली। भारत समेत दुनियाभर में टैरो की गिनती भविष्यवाणी करने वाली महत्वपूर्ण विद्याओं में होती है और अंत में टैरो कार्ड वह सम्मान पाने में सफल हुआ है जिसका वह हक़दार था। तो आइए अब इस साप्ताहिक राशिफल की शुरुआत करते हैं और जानते हैं कि जून का तीसरा सप्ताह यानी कि 16 जून से 22 जून 2024 तक का समय सभी 12 राशियों के लिए कैसा रहने की संभावना है?
टैरो साप्ताहिक राशिफल 16 जून से 22 जून, 2024: राशि अनुसार राशिफल
मेष राशि
प्रेम जीवन: द लवर
आर्थिक जीवन: द हायरोफैंट
करियर: किंग ऑफ स्वार्ड्स
स्वास्थ्य: नाइन ऑफ कप्स
प्रेम संबंध के लिए द लवर्स का कार्ड एक बेहद ही शानदार कार्ड माना जाता है। यह आपके और आपके साथी के बीच खुशहाल प्रेम को दर्शाता है। यह सोलमेट कार्ड भी है और यह इस बात को इंगित करता है कि आप दोनों अपने रिश्ते में बेहद ही खुश और संतुष्ट हैं। अगर आपके रिश्ते में कोई गलतफहमी थी तो वह इस सप्ताह अवश्य ही दूर हो जाएगी।
द हीरोफेंट कार्ड दर्शाता है कि फिलहाल आप अपनी आर्थिक स्थिति से संतुष्ट हैं। यह कार्ड यह भी दर्शाता है कि आप अपने पैसों को अपनी पुरानी जगहों में सुरक्षित रखना पसंद करते हैं और बिना किसी धोखाधड़ी और शॉर्टकट के साफ सीधे तरीकों का उपयोग करके पैसा कमाना चाहते हैं। आप अपने जीवन में धन का सम्मान करते हैं और इसे महत्व देना भी सीख चुके हैं।
किंग ऑफ स्वॉर्ड्स यह दर्शाता है कि कार्यस्थल पर आपकी स्थिति मज़बूत और प्रभावशाली बनी हुई है। हालांकि आप मतलबी भी हो सकते हैं लेकिन, आपको नए अवसरों की प्राप्ति के लिए अपने सेफ जोन से बाहर निकलकर नई चुनौतियों को स्वीकार करना होगा। यह आपके करियर में आगे बढ़ने और उत्कृष्टता प्राप्त करने में मदद करेगा।
नाइन ऑफ कप्स का कार्ड अच्छे स्वास्थ्य को दर्शाता है। आप इस अवधि फिट महसूस करेंगे और यदि आप किसी बीमारी से ग्रस्त हैं, तो इस सप्ताह आपको उससे निजात मिल सकती है और आप पहले से बेहतर महसूस करेंगे। इसके अलावा, आप ऊर्जा से भरपूर रहेंगे और बाहर घूमेंगे और हर काम सक्रिय होंगे।
भाग्यशाली ज्योतिषीय ग्रह: मंगल
वृषभ राशि
प्रेम जीवन: नाइन ऑफ स्वॉर्ड्स
आर्थिक जीवन: नाइट ऑफ कप्स
करियर: पेज़ ऑफ पेंटाकल्स
स्वास्थ्य: फोर ऑफ कप्स
यह माइनर आर्काना कार्ड, नाइन ऑफ स्वोर्ड्स कार्ड अफसोस, चिंता और पश्चाताप को दर्शाता है। सरल भाषा में कहें तो, यह बताता है कि आप अपने रिश्ते में खुश नहीं हैं और कोई न कोई ऐसी बात है, जो आप नहीं जानते हैं। इसके अलावा, इस सप्ताह आपको ऐसा भी महसूस हो सकता है कि आपका पार्टनर आपको धोखा दे रहा है।
आर्थिक पक्ष के मुताबिक नाइट ऑफ कप्स दर्शाता है कि आपको नए अवसरों की प्राप्ति हो सकती है। इसके अलावा, अगर आपने पहले किसी तरह का निवेश किया था, तो इस अवधि आपको बड़ा धन लाभ हो सकता है। अगर आप पैसों को लेकर परेशान हैं, तो इस सप्ताह आपकी परेशानी का हल हो सकता है।
आपके करियर के लिहाज़ से पेज ऑफ पेंटाकल्स कार्ड यह दर्शाता है कि आपको नए मौके मिल सकते हैं, जो आपके करियर में चार चांद लगा देगा और इससे आपको संतुष्टि महसूस होगी। इस सप्ताह आपके करियर में तेजी से आगे बढ़ेंगे। इसके अलावा, कार्यक्षेत्र में आपको उच्च पद पर पदोन्नत मिल सकती है। पेज ऑफ पेंटाकल्स आने वाले भविष्य में तरक्की के संकेत दे रहा है, जो आपके करियर को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा।
फोर ऑफ कप्स स्वास्थ्य को लेकर दर्शा रहा है कि इस सप्ताह आप अपने स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर रहे हैं और अपने शरीर पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहे हैं। इससे पहले कि आपकी चिंता और तनाव बड़ा रूप ले ले और गंभीर स्वास्थ्य स्थिति में बदल जाए, आपको अपनी सेहत पर ख़ास ध्यान देने की आवश्यकता होगी ताकि आने वाली समस्या को आप रोक सके।
भाग्यशाली ज्योतिषीय ग्रह: शुक्र
बृहत् कुंडलीमें छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरालेखा-जोखा
मिथुन राशि
प्रेम जीवन: द वर्ल्ड
आर्थिक जीवन: द स्टार
करियर: नाइट ऑफ पेंटाकल्स
स्वास्थ्य: पेज़ ऑफ वैंड्स
मिथुन राशि के जातकों को प्रेम जीवन में द वर्ल्ड कार्ड प्राप्त हुआ है और यह आपके लिए अद्भुत कार्ड प्रतीत हो रहा है, जो दर्शा रहा है कि यह सप्ताह हर एक लिहाज़ से शानदार रहने वाला है। आप दोनों के बीच संबंध और गहरे होने की संभावना है। आप अपने रिश्ते को लेकर काफी खुश रहेंगे और अपने पार्टनर के साथ आनंदमय समय व्यतीत करेंगे।
वित्तीय रीडिंग की बात करें तो द स्टार एक उत्कृष्ट कार्ड है। मिथुन राशि के जातकों को अपने पुराने निवेश से बड़े धन लाभ होने की संभावना है। इसके प्रभाव से आपकी आर्थिक स्थिति काफी मज़बूत होगी और धन से जुड़े मामलों में भाग्य आपका भरपूर साथ देगा।
नाइट ऑफ पेंटाकल्स कार्ड, आपके करियर में आने वाले शानदार अवसरों की ओर इशारा कर रहा है। इस सप्ताह आपको नए मौके मिलेंगे और आप अपने करियर में नई ऊंचाइयों पर पहुंचने में सफल होंगे। इस दौरान आपको कोई बड़ी बिज़नेस डील मिल सकती है या फिर नौकरी में आपका प्रमोशन होना संभव है।
पेज ऑफ वैंड्स एक माइनर आर्काना कार्ड है और यह दर्शाता है कि आपका स्वास्थ्य शानदार रहने वाला है। यदि आप किसी बीमारी या चोट से जूझ रहे थे तो अब आप जल्द ही ठीक हो जाएंगे। यह आपसे अपने स्वास्थ्य को बनाए रखने की दिशा में कदम उठा रहे हैं और जल्दी है बेहतर स्वास्थ्य प्राप्त करेंगे।
भाग्यशाली ज्योतिषीय ग्रह: बुध
कर्क राशि
प्रेम जीवन: द फूल
आर्थिक जीवन: द चैरियट
करियर: टेन ऑफ स्वॉर्ड्स (रिवर्सड)
स्वास्थ्य: सेवन ऑफ वैंड्स
कर्क राशि के प्रेम जीवन की बात करें को द फूल आपके लिए एक सकारात्मक कार्ड प्रतीत हो रहा है लेकिन यह कार्ड आपको तब ही तक अच्छे परिणाम देगा जब तक आप किसी चीज़ को लेकर गंभीर नहीं हैं। यह आपके प्रेम जीवन में एक रिश्ते की शुरुआत का संकेत देता है या यदि आप रिश्ते में हैं तो एक नया अध्याय शुरू कर सकते हैं। आप अपने पार्टनर के संग रोमांस करने का नया तरीका खोजेंगे।
आर्थिक जीवन के लिए द चैरियट कार्ड संकेत दे रहा है कि इस सप्ताह आपको दृढ़ संकल्प और फोकस होकर अपने आर्थिक जीवन पर ध्यान देना होगा। अब समय आ गया है कि आप अपनी वित्तीय स्थिति पर नियंत्रण रखें, समझदारी से निवेश करें और वित्तीय चुनौतियों से छुटकारा पाएं। यह सप्ताह आपके लिए अपने वित्त की योजना बनाने और वित्तीय स्थिरता प्राप्त करने की दिशा में काम करने का एक अच्छा समय हो सकता है।
टेन ऑफ स्वॉर्ड्स (रिवर्सड) कार्ड आपके लिए शुभ साबित होगा, जो संकेत देता है कि इस सप्ताह आप अपने करियर के कठिन दौर से उबरने में सक्षम होंगे और अब आप महसूस करेंगे कि चीजें आपके लिए पटरी पर लौट रही हैं। अगर आपकी नौकरी चली गई है तो यही समय है जब आप नई नौकरी ढूंढने में सफल होंगे।
हेल्थ रीडिंग में सेवन ऑफ वैंड्स आपको अपने स्वास्थ्य की देखभाल करने और खुद का फिट रखने में मदद करेगा। आपको सलाह दी जाती है कि अपनी दिनचर्या और जीवनशैली में योग व व्यायाम शामिल करें। जीवन को संतुलन बनाए रखने के लिए यह अवधि सबसे शानदार साबित हो सकती है।
आपके प्रेम संबंध के लिहाज़ से देखा जाए तो, थ्री ऑफ स्वोर्ड्स संकेत दे रहा है कि आप अपने पिछले रिश्ते को लेकर परेशान हैं और उसे उभरने की कोशिश कर रहे हैं। अब आप किसी भी रिलेशनशिप में आने के लिए तैयार नहीं हैं और बहुत ही सावधानी बरत रहे हैं। टैरो साप्ताहिक राशिफल के मुताबिक आपको नए लोगों से मुलाकात करनी चाहिए और जीवन में आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए।
आर्थिक जीवन के लिए द टॉवर आपको चेतावनी दे रहा है कि आने वाले समय में आपको पर आर्थिक रूप से कठिन समय का सामना करना पड़ सकता है इसलिए आपको अब अपने खर्चों पर लगाम लगाने की आवश्यकता हो सकती है और कठिन समय से बचने के लिए योजना बनाकर चलना चाहिए।
करियर के लिहाज़ से देखा जाए तो इस सप्ताह आपको नए मौके मिलने की संभावना है। आप अपनी तेज़ बुद्धि की मदद से अपने करियर को लेकर सही फैसले लेने में सक्षम होंगे। आप में नेतृत्व करने की बेहतर क्षमता है और आप कार्यस्थल पर चीजों को प्रबंधित करना जानते हैं। आप सफलता की राह पर हैं।
स्वास्थ्य कार्ड के रूप में टेंपरेंस एक अत्यंत सकारात्मक कार्ड है, जो दर्शा रहा है कि आने वाले दिनों में आप अच्छे स्वास्थ्य का आनंद लेंगे। इस सप्ताह आप शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक तौर पर मजबूत और स्वस्थ रहेंगे।
भाग्यशाली ज्योतिषीय ग्रह: सूर्य
कन्या राशि
प्रेम जीवन: द सन
आर्थिक जीवन: टेन ऑफ कप्स
करियर: फोर ऑफ पेंटाकल्स
स्वास्थ्य: टू ऑफ स्वॉर्ड्स
कन्या राशि के प्रेम जीवन की बात करें तो द सन कार्ड आपके लिए एक अच्छा कार्ड है, जो दर्शा रहा है कि इस सप्ताह आप परिवार के साथ अच्छा समय व्यतीत करेंगे। आपके प्रेम संबंध भी इस सप्ताह काफी शानदार रहेंगे। इसके अलावा, आपके जीवन में आपका पार्टनर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। आप दोनों का रिश्ता पहले से अधिक मजबूत होगा।
आर्थिक दृष्टि से देखा जाए तो, यह सप्ताह आपके लिए शानदार रहने वाला है। इस सप्ताह आप आरामदायक तरीके से जीवन जीने में सफल होंगे। साथ ही, आप अपने परिवार को भी सारे ऐशो-आराम देने में सक्षम होंगे। आप आर्थिक तौर पर काफी तेज़ी से आगे बढ़ेंगे। इसके अलावा आपको धन कमाने के नए मौके मिलने की संभावना है। कुल मिलाकर ये सप्ताह आपके लिए फलदायक है।
इस सप्ताह आप अपने करियर में उत्तम प्रदर्शन करने में सफल होंगे। हालांकि, आपको सलाह दी जाती है कि कार्यस्थल पर अपने पद को लेकर परेशान हों और पूरे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ें। सफलता प्राप्त करने की ओर तैयारी करें क्योंकि आपके अंदर कुछ बड़ा करने की क्षमता है।
स्वास्थ्य के लिहाज़ से बात करें तो, आपको अधिक सावधान रहने की सलाह दी जाती है। अपने दिल की बात खुलकर कहें और अगर ज़रूरी हो तो चिकित्सा विशेषज्ञों की मदद लें, लेकिन पहले अपनी सेहत पर ध्यान दें।
तुला राशि के जातकों के प्रेम जीवन की बात करें तो द हरमिट कार्ड संकेत दे रहा है कि इस सप्ताह आप पारिवारिक मुद्दों को संभालने पर बहुत अधिक ध्यान केंद्रित करेंगे। इस सप्ताह आपका परिवार आपके लिए पहली प्राथमिकता हो सकता है। आशंका है कि आपका या परिवार का कोई सदस्य बीमार पड़ जाए और उसे लगातार देखभाल और ध्यान देने की आवश्यकता हो सकती है।
आर्थिक जीवन के लिए सिक्स ऑफ वैंड्स आने वाली वृद्धि की ओर इशारा करता है। यह कार्ड आपके लिए बेहद शानदार साबित होगा। इस अवधि आपके लिए आय के नए स्रोत आ सकते हैं और आपका निवेश भी आपको बढ़िया रिटर्न देगा, जिससे आपकी वित्तीय स्थिरता और अधिक बढ़ेगी।
करियर में फोर ऑफ वैंड्स आपके आने वाले प्रमोशन की ओर इशारा करता है। यदि आप व्यवसाय से जुड़े हैं तो निश्चित रूप से आपको इस अवधि अच्छा मुनाफा होगा और आपका व्यवसाय में अच्छा प्रदर्शन करने में सक्षम होंगे। नौकरी करने वालों के लिए यह करियर में प्रगति और सीखने का समय है। इस सप्ताह आप कार्यक्षेत्र में अपने काम का आनंद लेते हुए नज़र आएंगे।
स्वास्थ्य रीडिंग में सेवेन ऑफ कप्स यह संकेत देता है कि इस सप्ताह कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं आपको परेशान कर सकती हैं। हालांकि, चिंता की कोई बात नहीं है क्योंकि कोई बड़ी समस्या आपके परेशान नहीं करेगी। सर्दी या बुखार जैसी आम समस्या हो सकती है।
भाग्यशाली ज्योतिषीय ग्रह: शुक्र
वृश्चिक राशि
प्रेम जीवन: पेज़ ऑफ पेंटाकल्स
आर्थिक जीवन: टूऑफ़ वैंड्स
करियर: एस ऑफ़ कप्स
स्वास्थ्य: फाइव ऑफ स्वॉर्ड्स
प्रेम जीवन में पेज़ ऑफ पेंटाकल्स संकेत दे रहा है कि इस सप्ताह आपको अपने फ्रेंड सर्कल में किसी से प्रेम का प्रस्ताव मिल सकता है। इसका मतलब यह भी हो सकता है कि आप उम्मीद कर सकते हैं कि कोई आपको डेट पर जाने के लिए कहेगा और वास्तव में ऐसा हो भी सकता है। यह सप्ताह प्रस्तावों से भरा हो सकता है और आपका प्रेम जीवन इस सप्ताह से आगे बढ़ सकता है।
वित्त में टू ऑफ वैंड्स का अर्थ है कि आपको पैसे कमाने के कई नए अवसरों की प्राप्ति हो सकती है। आप नए लोगों से मिल सकते हैं जिनकी मदद से आप आय के नए स्रोत खोजने में सफल होंगे। इस सप्ताह आर्थिक जीवन की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि, आपको सलाह दी जाती है कि पैसों को लेकर पहले से ही योजनाएं बनाकर चलें और उसी के मुताबिक आगे बढ़ें।
करियर के संबंध में देखा जाए तो, इस सप्ताह आपको कई नए मौके मिलने की संभावना है। साथ ही आपकी नौकरी में बदलाव भी हो सकते हैं या आप एक नई शुरुआत कर सकते हैं या हो सकता है कि अपना कोई बिज़नेस शुरू करें। अगर आप बिज़नेस कर रहे हैं तो, आपको इस सप्ताह नए अवसर मिल सकते हैं और कुल मिलाकर देखा जाए तो, यह सप्ताह करियर में अच्छी उन्नति प्राप्त करने के लिए फलदायी साबित होगा।
स्वास्थ्य रीडिंग में फाइव ऑफ स्वोर्ड्स कार्ड आपके लिए अनुकूल प्रतीत नहीं हो रही है। इस सप्ताह कोई पुरानी चोट या बीमारी फिर से उभर कर आपको परेशान करना शुरू कर सकती है। ऐसे में, सामान्य दैनिक कार्य करना भी आपके लिए परेशानी का सबब बन सकता है।
भाग्यशाली ज्योतिषीय ग्रह: मंगल
धनु राशि
प्रेम जीवन: टू ऑफ कप्स
आर्थिक जीवन:किंग ऑफ कप्स
करियर: क्वीन ऑफ वैंड्स
स्वास्थ्य: टेन ऑफ कप्स
प्रेम संबंध के बारे में बात करें तो, यह सप्ताह आपके लिए अच्छा साबित होगा। आपके रिश्ते काफी अच्छे से आगे बढ़ रहे हैं और आप दोनों के बीच तालमेल शानदार रहेगा। यह एक सोलमेट कार्ड है और ऐसे में, आपको भी यह लगता है कि आपका साथी वास्तव में आपका सोलमेट है। इस अवधि आप दोनों के बीच एक बेहतर सामंजस्य देखने को मिलेगा और यह आनंदमय दौर आने वाले समय में भी जारी रहेगा।
जहां तक बात है धन से जुड़े मामलों को संभालने की, तो आप काफी सूझबूझ के साथ आगे बढ़ेंगे और तर्क के साथ फैसले लेने में सक्षम होंगे। यह सप्ताह आपके लिए सकारात्मक साबित होने की संभावना है। आपको पैसे कमाने में किसी बड़ी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा और आप आसानी से अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाए रखने में सफल होंगे। धनु राशि के जातक इस अवधि का भरपूर आनंद लेते हुए नज़र आएंगे।
करियर के लिहाज़ से यह सप्ताह आपके लिए कुछ महत्वपूर्ण बदलाव लेकर आने वाला है। इस सप्ताह जातकों को विदेश जाने का मौका मिलने की संभावना है। यह कार्ड जीवन में वृद्धि और आने वाले सप्ताह या निकट भविष्य में आपके लिए आने वाले नए करियर अवसरों का भी संकेत देता है। यदि आप नौकरीपेशा है तो आपको पदोन्नति मिलने की प्रबल संभावना है।
टेन ऑफ कप्स यह संकेत दे रहा है कि स्वास्थ्य के लिहाज़ से यह सप्ताह आपके लिए अच्छा साबित होगा। आपकी सेहत अच्छी बनी रहेगी और आपको किसी बड़ी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। हालांकि, फिर भी अपनी सेहत का ध्यान रखें और अपना खान-पान अच्छा रखें।
भाग्यशाली ज्योतिषीय ग्रह: बृहस्पति
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मकर राशि
प्रेम जीवन: थ्रीऑफ पेंटाकल्स
आर्थिक जीवन: टू ऑफ स्वॉर्ड्स
करियर: नाइन ऑफ वैंड्स
स्वास्थ्य: एट ऑफ वैंड्स
मकर राशि के प्रेम जीवन के लिहाज़ से थ्रीऑफ पेंटाकल्स संकेत दे रहा है कि आप और आपका साथी एक-दूसरे का बहुत सम्मान करेंगे और एक-दूसरे से कई चीज़ें सीखेंगे। आप दोनों मिलकर अपने रिश्ते को बहुत अधिक मजबूत बनाएंगे और आदर्श रिश्ते को हासिल करने की दिशा में काम करेंगे।
वित्तीय रीडिंग में टू ऑफ स्वॉर्ड्स संकेत दे रहा है कि इस अवधि आपके सामने दो बड़े वित्तीय निर्णय आ सकते हैं और आप भ्रमित हो सकते हैं कि आपको पहले किस पर ध्यान देना चाहिए। इस अवधि आप अचानक खुद को वित्तीय संकट में भी पा सकते हैं और इसे संभालना आपको मुश्किल लग सकता है।
करियर रीडिंग में नाइन ऑफ वैंड्स संकेत दे रहा है कि आप अपने नौकरी पेशा जीवन में तंग आ चुके हैं और इससे पूरी तरह असंतुष्ट है। आप फंसा हुआ महसूस कर सकते हैं। ऐसा हो सकता है कि आपने एक ही कंपनी में एक ही पद पर लंबे समय तक काम किया हो और अब आप बदलाव चाहते हों, लेकिन आगे बढ़ने और नौकरी बदलने को लेकर भ्रमित हो रहे हों या खुद को प्रतिकूल परिस्थितियों में फंसा हुआ महसूस कर रहे हैं।
स्वास्थ्य रीडिंग में आपको एट ऑफ वैंड्स कार्ड प्राप्त हुआ है, जो संकेत दे रहा है कि स्वास्थ्य के लिहाज से यह एक बेहतरीन सप्ताह है और निश्चित रूप से इस अवधि आप फिट महसूस करेंगे और आपको सही उपचार और स्वास्थ्य लाभ की प्राप्ति होगी।
भाग्यशाली ज्योतिषीय ग्रह: शनि
कुंभ राशि
प्रेम जीवन: किंग ऑफ स्वॉर्ड्स
आर्थिक जीवन: टू ऑफपेंटाकल्स
करियर: किंग ऑफ वैंड्स
स्वास्थ्य: टेन ऑफ वैंड्स
किंग ऑफ स्वॉर्ड्स कार्ड आपके लिए औसत प्रतीत हो रहा है। इस सप्ताह आप अपने कर्तव्यों को बहुत अच्छी तरह से निभाएंगे, लेकिन आपको यह भी समझने की जरूरत है कि रिश्ते भावनाओं पर आधारित होते हैं और यही चीज़ आपके रिश्ते से नदारद है। आपको सलाह दी जाती है कि इस अवधि अपने साथी के साथ अधिक समय बिताएं और मधुर वाणी का इस्तेमाल करें, जिसके बाद आपको अपने रिश्ते में सुधार देखने को मिलेगा।
आर्थिक जीवन में टू ऑफपेंटाकल्स इशारा करता है कि आप अपनी जरूरतों को पूरा करने करने की कोशिश कर रहे हैं। आशंका है कि आप अपने सपनों के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एक साथ कई काम कर रहे हों या आर्थिक स्थिति को स्थिर बनाए रखने के लिए नौकरी व व्यवसाय एक साथ कर रहे हों। कामकाज के लिहाज से इस सप्ताह आप अधिक मेहनत कर सकते हैं।
किंग ऑफ वैंड्स इंगित करता है कि आपको अपने करियर में विकास के कई नए अवसर प्राप्त होंगे और आप तेज़ी से तरक्की करेंगे लेकिन आपको परिणाम धीरे-धीरे प्राप्त हो सकते हैं। अच्छी खबर यह है कि आपको चिंता करने की ज़रूरत नहीं है क्योंकि भले ही आपको लगता है कि आपका करियर धीरे-धीरे बढ़ रहा है लेकिन भविष्य में इससे आपको ज़रूर फ़ायदा होगा।
टेन ऑफ वैंड्स आपको चेतावनी देता है कि इस अवधि आपको अपने स्वास्थ्य की देखभाल करने की आवश्यकता हो सकती है। यह समय जिम ज्वाइन करने का अच्छा समय है। अब आपको खुद की फिटनेस पर ध्यान देना चाहिए।
भाग्यशाली ज्योतिषीय ग्रह: शनि
मीन राशि
प्रेम जीवन: नाइनऑफ पेंटाकल्स
आर्थिक जीवन: किंग ऑफ कप्स
करियर: द स्टार
स्वास्थ्य: पेज़ ऑफ कप्स
मीन राशि के प्रेम जीवन की बात करें तो नाइन ऑफ़ पेंटाकल्स इंगित करता है कि आप इस अवधि किसी रिश्ते में नहीं रहना चाहते हैं और आप अकेले रहकर खुश व सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। आप निश्चित रूप से अकेले रहने का आनंद उठा रहे हैं और अभी किसी रिश्ते में रहने के बारे में सोचने के मूड में भी नहीं हैं।
वित्त में किंग ऑफ कप्स आपके लिए एक शानदार कार्ड है, जो भविष्यवाणी कर रहा है कि आप आर्थिक रूप से स्थिर हैं लेकिन यह कार्ड एक चेतावनी भी देता है कि आपको वित्त संभालते समय सावधान बरतने की आवश्यकता हो सकती है और आपको अपने दिल को अपने दिमाग पर हावी नहीं होने देना चाहिए। अपनी भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए पूरे दिल और दिमाग से फैसला लें।
करियर में द स्टार एक स्वागत कार्ड है और यह दर्शाता है कि आपका करियर सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। आप अपने करियर का आनंद ले रहे हैं और कार्यस्थल में मजबूत महसूस कर रहे हैं। आपका संगठन आपकी मेहनत को महत्व देता है और आप उनके लिए बहुत अधिक मायने रखते हैं।
पेज ऑफ कप्स स्वास्थ्य के लिहाज से एक अच्छे सप्ताह का संकेत देता है लेकिन भावनात्मक मुद्दे आपको थोड़ा परेशान कर सकते हैं। कुल मिलाकर आप अच्छे स्वास्थ्य का आनंद लेंगे और अपने स्वास्थ्य का ध्यान देंगे।