ओणम पर रा‍शि अनुसार करें ये उपाय, खूब बरसेगा धन और मिलेगी अपार सफलता!

एस्‍ट्रोसेज के ओणम 2023 के इस विशेष ब्‍लॉग में ओणम 2023 की शुभ तिथि, पूजन विधि, महत्‍व एवं ओणम पर किए जाने वाले राशि अनुसार उपायों की जानकारी दी जा रही है। संपूर्ण जानकारी के लिए ओणम 2023 ब्‍लॉग को अंत तक जरूर पढ़ें।

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भारत के केरल राज्‍य में ओणम का त्‍योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्‍योहार दस दिनों तक चलता है और प्रत्‍येक दिन का अपना एक अलग महत्‍व है। ओणम में दसवें दिन यानी थिरुवोणम को सबसे ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण माना जाता है। मलयालम भाषा में श्रवण नक्षत्र को थिरुवोणम कहा जाता है। जब मलयालम कैलेंडर के अनुसार चिंगम महीने में श्रावण नक्षत्र पड़ता है, तब थिरुवोणम मनाई जाती है।

ओणम 2023 कब है

साल 2023 में 29 अगस्‍त, मंगलवार के दिन ओणम का त्‍योहार मनाया जाएगा। 29 अगस्‍त को 2 बजकर 43 मिनट 29 सेकंड पर थिरुवोणम नक्षत्र शुरू होगा और 29 अगस्‍त को रात्रि 11 बजकर 50 मिनट 31 सेकंड पर थिरुवोणम नक्षत्र समाप्‍त होगा।

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ओणम का अर्थ

थिरुवोनम दो शब्‍दों से मिलकर बना है थिरु और ओणम, जिसमें थिरु का अर्थ होता है ‘जो पवित्र हो’। माना जाता है कि हर साल ओणम के दिन राजा महाबलि अपनी प्रजा से मिलने पाताल लोक से आते थे। इसके अलावा इस दिन से भगवान विष्णु के वामन अवतार के जन्म जैसी कई कथाएं भी जुड़ी हुई हैं।

दस दिनों तक कैसे मनाया जाता है ओणम का त्‍योहार

ओणम दस दिनों का त्‍योहार है। जानिए कि इन 10 दिनों में क्‍या-क्‍या होता है।

पहला दिन: इसे अथम कहते हैं और दिन लोग सुबह स्‍नान करने के बाद पूजा करने मंदिर जाते हैं। अथम पर नाश्‍ते में उबले हुए केले और पापड़ खाए जाते हैं। इसके बाद पूकालम बनाया जाता है जो कि फूलों से बना कारपेट होता है।

दूसरा दिन: यह चिथिरा का दिन होता है और इसमें भी दिन की शुरुआत भगवान की पूजा से की जाती है। पूजन के बाद घर की महिलाएं पूकालम को कुछ नए फूलों से सजाती हैं।

तीसरा दिन: यह छोधि का दिन होता है और इस अवसर पर थिरुवोणम की खरीदारी के लिए दुकानें आदि सजना शुरू हो जाती हैं।

चौथा दिन: ओणम के चौथे दिन को विशाकम कहते हैं। इस अवसर पर कई जगहों पर पूकालम की प्रतियोगिता रखी जाती है। सभी लोग अपने पूकालम लेकर प्रतियोगिता में हिस्‍सा लेते हैं। तिरुवोणम के लिए औरतें अचार और चिप्‍स आदि भी बनाती हैं।

पांचवां दिन: इसे अनिझम कहते हैं। यह दिन सबसे सुंदर होता है क्‍योंकि अनिझम पर स्‍नेक बोट की रेस होती है। यह दृश्‍य बहुत सुंदर लगता है।

छठा दिन: यह थ्रीकेट्टा का दिन है और इस दिन कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम किए जाते हैं।

सातवां दिन: ओणम का सातवां दिन मूलम कहलाता है। मूलम पर बाजार सज जाते हैं और महिलाएं घर की सजावट का सामान खरीदती हैं।

आठवां दिन: यह पूरादम का दिन होता है और इस दिन लोग मिट्टी से त्रिकोण के आकार की छोटी-छोटी मूर्तियां बनाते हैं और इन मूर्तियों को ‘मां’ कहकर सुशोभित करते हैं। फिर इन्हें मूर्ति को फूल अर्पित किए जाते हैं।

नौवां दिन: ओणम का नौवां दिन उथिरादम कहलाता है। इसे पहली ओणम भी कहा जाता है। इस दिन लोग बड़ी बेसब्री से राजा बलि का इंतजार करते हैं और औरतें बड़ा पूकालम बनाती हैं।

दसवां दिन: इसे थिरुवोणम कहते हैं। इस दिन राजा बलि अपने भक्‍तों को आशीर्वाद देने आते हैं। राजा के स्‍वागत के लिए घर के बाहर सुंदर रंगोली और साध्य भोजन पकाया जाता है। यह दिन दूसरा ओणम के नाम से भी प्रसिद्ध है और इस अवसर पर खूब पटाखे जलाए और रोशनी की जाती है।

थिरुवोणम के बाद और दो दिन तक ओणम का त्‍योहार मनाया जाता है और इस तरह यह पर्व 12 दिनों का हो जाता है। हालांकि, 10 दिनों का ही ज्‍यादा महत्‍व होता है।

ग्‍यारहवां दिन: इसे अवित्तम कहते हैं और इसे तीसरी ओणम के नाम से भी जाना जाता है। ग्‍यारहवें दिन लोग राजा बलि की वापसी की तैयारियों में जुटे होते हैं।

बारहवां दिन: इसे छथय कहते हैं और इसके साथ ही ओणम के भव्‍य त्‍योहार का समापन हो जाता है।

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ओणम की पूजा से जुड़ी जरूरी बातें

  • थिरुवोणम केरल के सबसे प्रमुख और महत्‍वपूर्ण त्‍योहारों में से एक है। केरल के लोग इस पर्व को बहुत धूमधाम से मनाते हैं। थिरुवोणम से दस दिन पहले ही इस त्‍योहार को मनाने की शुरुआत हो जाती है। 
  • ओणम के आठवें दिन को पूरादम कहते हैं और इस दिन तिरुवोणम के लिए सभी जरूरी चीजों की खरीदारी की जाती है।
  • नौवां दिन उथरादोम कहलाता है और इस दिन ताजे फल-सब्जियों आदि की खरीदारी की जाती है। दसवें दिन की शाम को सब्जियां काट कर रख ली जाती है और तिरुवोणम का त्‍योहार मनाने के लिए सभी जरूरी तैयारियां कर ली जाती हैं।
  • दसवें दिन लोग सुबह जल्‍दी उठकर स्‍नान कर नए कपड़े पहनते हैं और गरीब लोगों को दान देते हैं। कई घरों में इस दिन परिवार की महिला सभी को भेंट में कपड़े देती हैं।
  • थिरुवोणम पूजा और इस त्‍योहार से जुड़ी सभी रीतियां श्रवण नक्षत्र में ही करनी चाहिए।
  • थिरुवोणम के दिन घर को अच्‍छे से साफ कर के उसे सजाना चाहिए। राजा बलि के स्‍वागत के लिए घर के प्रमुख द्वार को साफ करके सजाने का विशेष महत्‍व है। केरल में घरों के बाहर ओणम पर चावल के पेस्‍ट से रंगोली या कुछ आकृतियां  भी बनाई जाती है।
  • थिरुवोणम की शाम को परिवार के सभी सदस्‍य मिलकर कई खेल खेलते हैं या सांस्‍कृतिक कार्यक्रम करते हैं। इस दिन शाम के बाद पूरा शहर रोशनी और दीपों से जगमगा उठता है।

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ओणम से जुड़ी पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, त्रेता युग में ब‍लि नाम के एक राजा थे, जो भगवान विष्‍णु के बहुत बड़े भक्‍त थे। बलि दानवीर, सच बोलने वाले और ब्राह्मणों का सम्‍मान करते थे। वह यज्ञ आदि करते रहते थे। अपनी भक्‍ति के कारण राजा बलि की शक्‍तियां काफी बढ़ गई थीं और उन्‍हें देवराज इंद्र से ईर्ष्‍या होने लगी थी। राजा बलि ने इंद्रलोक तक पर कब्‍जा कर लिया था।

रा‍जा बलि के भय से देवराज इंद्र और अन्‍य देवता गण भगवान विष्‍णु की शरण में मदद मांगने गए। तब देवताओं के रक्षा के लिए भगवान विष्‍णु ने वामन अवतार लिया। वह बलि के सामने बालक ब्राह्मण के रूप में प्रकट हुए और अपनी बुद्धिमानी से उन्‍होंने राजा बलि को जीत लिया। बलि तीनों लोकों पर अपना आधिपत्‍य जमा चुके थे।

राजा बलि का एक गुण था कि वह अपने द्वार से कभी किसी भी ब्राह्मण को खाली हाथ नहीं जाने देते थे। इसलिए उन्‍होंने भगवान विष्‍णु के वामन अवतार से कुछ मांगने के लिए कहा। तब भगवान विष्‍णु ने बलि से कहा मुझे तीन चरण रखने जितना स्‍थान दे दो। वहां उपस्थित गुरु शुक्राचार्य जी वामन की मंशा को समझ चुके थे इसलिए उन्‍होंने राजा ब‍लि को चेताया भी था लेकिन बलि ने वामन की बात को स्‍वीकार कर लिया और उसे तीन चरणों जितनी धरती दे दी।

इसके बाद भगवान विष्‍णु ने विशाल आकार ले लिया और उनके एक चरण में ही पूरी पृथ्‍वी समा गई। दूसरे चरण की एड़ी में स्‍वर्ग और पंजे में ब्रह्मलोक आ गया। तब वामन अवतार लिए विष्‍णु जी ने राजा बलि से पूछा कि अपना तीसरा चरण कहां रखूं। बलि ने अपना सिर आगे कर दिया और कहा कि आप अपना तीसरा चरण मेरे सिर पर रख दीजिए।

वामन जी ने अपना तीसरा चरण बलि के सिर पर रख दिया और राजा बलि पाताल लोक पहुंच गए। भगवान विष्णु राजा की भक्‍ति से काफी प्रसन्‍न हुए। उन्‍होंने राजा से कोई वरदान मांगने को कहा। तब राजा ने कहा कि वो चाहते हैं कि वह साल में एक बार अपनी प्रजा से मिलने आएं। बस, इसी वजह से थिरुवोणम मनाया जाता है और इसी दिन राजा बलि प्रकट होते हैं।

ओणम के त्‍योहार पर रा‍शि अनुसार करें उपाय

जानें ओणम के त्‍योहार पर राशि अनुसार उपायों के बारे में जो आपके जीवन को सुख और समृद्धि से भर देंगे।

मेष राशि: ओणम के दिन गरीबों को तांबे के बर्तन में भोजन खिलाएं और गायत्री मंत्र का जाप करें।

वृषभ राशि: इस दिन घी और आंवला खाएं और गौ दान करें।

मिथुन राशि: मिथुन राशि के लोग ओणम के दिन नज़दीकी मंदिर या धार्मिक स्‍थल में चावल और दूध दान करें। साथ ही, अविवाहित कन्‍याओं को उपहार दें।

कर्क राशि: ओणम के दिन सफेद रंग के कपड़े और चांदी के गहने पहनें। इसके अलावा आप भगवान विष्‍णु और भगवान गणेश की आराधना करें।

सिंह राशि: सिंह राशि वाले ओणम पर बहते हुए पानी में गुड़ और गेहूं प्रवाहित करें। मिठाई का सेवन करें और गले में चांदी का कोई आभूषण पहनें।

कन्‍या राशि: कन्‍या राशि के लोग घर की महिलाओं से अच्‍छे संबंध बनाकर रखें और उनका आदर करें। आप गाय को हरा चारा खिलाएं।

तुला राशि: चावल, गुड़ और दूध का दान करें और चांदी के गहने पहनें।

वृश्चिक राशि: अपनी जेब में हमेशा लाल रंग का रूमाल रखें और सुबह भगवान गणेश की पूजा करें।

धनु राशि : आप ओणम के दिन केसरी या पीले रंग के कपड़े पहनें और माथे पर चंदन और हल्‍दी का तिलक लगाएं।

मकर राशि: पक्षियों को पानी पिलाएं और दाना डालें। नारियल की मिठाई का सेवन करें और सूर्योदय और सूर्यास्‍त के बाद जमीन पर सरसों का तेल डालें।

कुंभ राशि: कुंभ राशि के जातक गरीबों को भोजन खिलाएं और भगवान शिव के रूद्र रूप की पूजा करें। आपको वस्‍त्रों का दान करने से भी लाभ होगा।

मीन राशि: गले में सोने की चेन पहनें और पीले रंग की मिठाइयों का दान करें। मंदिर जाकर नारियल चढ़ाएं।

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