शारदीय नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी की आराधना के लिए समर्पित है। यह रूप तप, संयम और अटूट भक्ति का प्रतीक है। मां ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने से जीवन में आत्मविश्वास, दृढ़ता और सफलता के मार्ग खुलते हैं। मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से मां की पूजा करने वाले भक्तों की झोली ज्ञान, शांति और सौभाग्य से भर जाती है।

जिन लोगों के जीवन में रुकावटें, असफलताएं या मानसिक अशांति बनी रहती है, उन्हें दूसरे दिन की साधना और विशेष उपाय अवश्य करने चाहिए। मां की कृपा से न केवल मनोकामनाएं पूरी होती हैं, बल्कि कठिन से कठिन लक्ष्य भी सहजता से प्राप्त हो जाते हैं।
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तो चलिए बिना देरी किए शुरू करते हैं हमारा नवरात्रि स्पेशल का यह विशेष ब्लॉग और जान लेते हैं शारदीय नवरात्रि के दूसरे दिन से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण और जानने वाली बातों की जानकारी। सबसे पहले बात करें कि वर्ष 2025 में नवरात्रि की द्वितीया तिथि कब पड़ने वाली है।
शारदीय नवरात्रि 2025 की द्वितीया तिथि
वर्ष 2025 में नवरात्रि का दूसरा दिन 23 सितंबर 2025 मंगलवार के दिन पड़ने वाला है। इस दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का महत्व बताया गया है।
इसके अलावा, बात करें नवरात्रि की द्वितीया तिथि के हिंदू पंचांग की तो, इस दिन द्वितीया तिथि रहेगी, पक्ष शुक्ल रहेगा, नक्षत्र हस्त, योग ब्रह्म योग रहेगा। बात करें इस दिन के अभिजीत मुहूर्त की तो यह 11 बजकर 49 मिनट से लेकर 12 बजकर 37 तक रहेगा।
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शारदीय नवरात्रि 2025 में मां का कैसा रहेगा स्वरूप
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है, जिनका स्वरूप अत्यंत तेजस्वी, शांत और तपस्विनी है। मां ने श्वेत वस्त्र धारण किए हुए हैं, जो पवित्रता, सादगी और सात्विकता का प्रतीक है।
उनके दाहिने हाथ में जर की माला और बाएं हाथ में कमंडल है, जो तप, संयम और भक्ति का द्योतक है। मां की मुद्रा चलने की है, मानो वे साधना के मार्ग पर अग्रसर हों। उनके चेहरे पर करुणा और अटूट धैर्य की झलक है।
मान्यता है कि मां ब्रह्मचारिणी की उपासना से साधक को तप, त्याग, धैर्य और आत्मसंयम की शक्ति प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सफलता और शांति दोनों का मार्ग प्रशस्त होता है।
शारदीय नवरात्रि 2025 पर मां ब्रह्मचारिणी की पूजा विधि
- इस दिन सुबह स्नान करके स्वच्छ व सात्विक वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान को गंगाजल या शुद्ध जल से पवित्र करें और मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- कलश स्थापना के बाद मां ब्रह्मचारिणी के स्वरूप की तस्वीर या मूर्ति के सामने दीपक जलाएं और रोली, अक्षत, पुष्प, धूप और चंदन अर्पित करें।
- मां को सफेद रंग के फूल, विशेषकर चमेली या गुलाब चढ़ाना शुभ माना जाता है।
- गन्ने का रस, मिश्री और शक्कर का भोग लगाएं, क्योंकि मां ब्रह्मचारिणी को यह प्रिय है।
- पूजन के समय ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः मंत्र का 108 बार जाप करें।
- अंत में मां की आरती करें और सभी देवी-देवताओं का स्मरण करके पूजा संपन्न करें।
- मान्यता है कि इस विधि से मां प्रसन्न होकर साधक को तप, संयम, धैर्य और मानसिक शक्ति का आशीर्वाद देती हैं।

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मां ब्रह्मचारिणी की कथा
मां ब्रह्मचारिणी, माता पार्वती का वह रूप हैं, जिन्होंने भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाने के लिए कठिन तपस्या की थी। कथा के अनुसार, पर्वतराज हिमालय की पुत्री सती ने जब राजा दक्ष के यज्ञ में अपने पति भगवान शिव को अपमान होते देखा, तो उन्होंने क्रोध और आहत भाव से अपने प्राण त्याग दिए।
अगले जन्म में वे हिमालय की पुत्री पार्वती के रूप में अवतरित हुईं। बचपन से ही पार्वती को यह ज्ञात था कि उनका विवाह भगवान शिव से ही होगा।
नारद मुनि ने भी माता हिमावती और राजा हिमालय को यह बताया कि पार्वती का भाग्य भगवान शिव के साथ बंधा है, लेकिन इसके लिए उन्हें कठोर तप करना होगा। माता पार्वती ने अपने निश्चय में अडिग रहते हुए तपस्या का मार्ग चुना।
उन्होंने वर्षों तक केवल फल-फूल खासकर जीवन बिताया, फिर कई वर्षों तक केवल पत्तों पर निर्वाह किया और अंत में निराहार रहकर भी तर करती रहीं। उनकी यह कठिन साधना हजारों वर्षों तक चली। इस कठिन तप से उनके शरीर का रोम-रोम तप की आभा से चमकने लगा और उनका स्वरूप पूर्णत दिव्य हो गया।
इसी कारण वे ब्रह्मचारिणी नाम से विख्यात हुईं। ‘ब्रह्म’ अर्थात तप और ज्ञान, तथा ‘चारिणी’ अर्थात आचरण करने वाली। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ब्रह्मा, विष्णु और अन्य देवता उन्हें आशीर्वाद देने आए। अंततः भगवान शिव ने उनके तप, धैर्य और भक्ति को स्वीकार करते हुए उन्हें अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार किया।
मां ब्रह्मचारिणी का यह स्वरूप त्याग, संयम, धैर्य और तपस्या का प्रतीक है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा का विशेष महत्व है। श्रद्धालु मानते हैं कि उनकी उपासना से मन में आत्मविश्वास, धैर्य और लक्ष्य के प्रति दृढ़ता आती है। जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना करने की शक्ति प्राप्त होती है, और साधक को आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग मिलता है।
मां ब्रह्मचारिणी पूजा मंत्र व भोग
मंत्र
ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः
या देवी सर्वभूतेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
कम से कम 108 बार जाप करें। जाप के समय रुद्राक्ष या चंदन की माला का उपयोग करें। मां के स्वरूप का ध्यान करते हुए मन को पूर्ण एकाग्र रखें।
मां ब्रह्मचारिणी का प्रिय भोग
- गन्ने का रस (मुख्य भोग)
- मिश्री व शक्कर
- सफेद मिठाई (रसगुल्ला, पेड़ा)
- चमेली के फूल के साथ प्रसाद चढ़ाना शुभ माना जाता है।
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शारदीय नवरात्रि 2025 पर मां ब्रह्मचारिणी को प्रसन्न करने के उपाय
आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए
मां ब्रह्मचारिणी को सफेद रंग के फूल जैसे चमेली, गुलाब या मोगरा अर्पित करें। यह पवित्रता और शांति का प्रतीक है और मां को प्रसन्न करता है। साथ ही, इससे मां का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है।
शारदीय नवरात्रि 2025 पर मनोकामना पूर्ति के लिए
नवरात्रि 2025 के दूसरे दिन मां को गन्ने का रस मिश्री या शक्कर का भोग लगाएं। मान्यता है कि इससे मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती है।
मन की शांति के लिए
इस दिन ॐ देवी ब्रह्मचारिण्यै नमः मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें। जाप के समय मन को एकाग्र रखें और मां के स्वरूप का ध्यान करें।
शारदीय नवरात्रि 2025 पर सकारात्मकता के लिए
इस दिन तप और संयम का संकल्प लें। मां ब्रह्मचारिणी तप और संयम की देवी हैं, इसलिए इस दिन किसी भी प्रकार का क्रोध झूठ या कटु वचन न बोलें।
सुख-शांति के लिए
इस दिन घर व परिवार में सुख शांति के लिए पूजा में घी के दीपक के साथ दूध का दीपक जलाएं। यह जीवन में सुख-शांति और मानसिक स्थिरता देता है।
आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए
इस दिन दो या पांच कुमारी कन्याओं को घर बुलाकर उन्हें भोजन और दक्षिणा दें। इससे मां की विशेष कृपा प्राप्त होती है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।
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शारदीय नवरात्रि 2025 पर बेहतर स्वास्थ्य के लिए
इस दिन घर में सफेद वस्त्र या हल्के रंग के वस्त्र पहनने से सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है और मां की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही, स्वास्थ्य भी बेहतर होता है।
पापों से मुक्ति के लिए
इस दिन जरूरतमंदों को अन्न और मीठा वितरित करें। यह मां को अत्यंत प्रिय है और पाप नाशक माना जाता है। ऐसा करने से साधक सभी पापों से मुक्ति पा लेता है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है।
मां ने सफेद वस्त्र धारण किए हैं, दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल है, और वे चलने की मुद्रा में हैं।
गन्ने का रस, मिश्री, शक्कर और सफेद मिठाई।