नवपत्रिका पूजा 2023: जानें पूजन विधि और शुभ मुहूर्त, इस दिन बन रहा है यह शुभ योग!

दुर्गा पूजा का आरंभ महासप्‍तमी से होता है और इसी दिन नवपत्रिका पूजन करने का भी विधान है। भारत के कुछ हिस्‍सों में नवपत्रिका पूजा को कलाबाऊ पूजा के नाम से भी जाना जाता है। बंगाल, असम और उड़ीसा राज्‍यों में नौ तरह की अलग-अलग पत्तियों से मां दुर्गा की पूजा की जाती है। इस दिन नौ पत्तियों यानी नव पत्रिका की पूजा करने का बहुत महत्‍व है। इन नौ पत्तियों में केले, हल्‍दी, अनार, अशोक, धान, बिल्‍व, कच्‍वी, जौ और मनका की पत्तियां ली जाती हैं।

Varta Astrologers

दुनियाभर के विद्वान ज्योतिषियों से करें फ़ोन पर बात और जानें करियर संबंधित सारी जानकारी

नवपत्रिका पूजा 2023 कब है

नवपत्रिका पूजा 2023 में 21 अक्‍टूबर को शनिवार के दिन की जाएगी। 20 अक्‍टूबर, 2023 को रात 11 बजकर 26 मिनट पर सप्‍तमी तिथि आरंभ होगी और फिर अगले दिन 21 अक्‍टूबर, 2023 को रात 9 बजकर 55 मिनट पर सप्‍तमी ति‍थि का समापन होगा।

नवपत्रिका पूजन में 9 पत्तियों का महत्‍व

जैसा कि ऊपर बताया है कि नवपत्रिका पूजन में नौ विभिन्‍न पत्तियों से मां दुर्गा की पूजा की जाती है और इस पूजन में ली गई सभी नौ पत्तियों का अपना अलग-अलग महत्‍व है। आगे जानिए नवपत्रिका पूजन में उपयोग की जाने वाली पत्तियां किस देवी-देवता का प्रतीक हैं।

  • केले का पेड़ और इसकी जड़ एवं पत्तियां देवी दुर्गा के ब्राह्मणी रूप का प्रतीक मानी जाती हैं।
  • कच्‍वी पौधा मां काली का प्रतीक है।
  • हल्‍दी का पौधा स्‍वयं मां दुर्गा का प्रति‍निधित्‍व करता है।
  • जौ का पौधा और इसकी पत्तियां देवी दुर्गा के कार्तिकी रूप का प्रतीक हैं।
  • बिल्‍व का पौधा, इसकी जड़ और पत्तियां भगवान शिव से जुड़ी होती हैं।
  • अनार का पौधा देवी रक्‍तदंतिका से संबंधित है।
  • अशोक का पेड़ और इसकी पत्तियां सोकराहिता का प्रतीक हैं।
  • मनका के पौधे का संबंध देवी चामुंडा से है।
  • धान को स्‍वयं देवी लक्ष्‍मी का प्रतीक माना गया है।

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

नवपत्रिका पूजा 2023 का महत्‍व

भारत के कई हिस्‍सों में नवपत्रिका को कलाबाऊ के नाम से भी जाना जाता है और इस दिन किसान भी अच्‍छी फसल के लिए देवी की पूजा करते हैं। नवपत्रिका पर किसान मां दुर्गा से प्रार्थना करते हैं कि इस साल उनके खेतो में अच्‍छी फसल हो। इस दिन किसान देवी के रूप में प्रकृति की उपासना करते हैं और उनसे अच्‍छी फसल और धन-धान्‍य की कामना करते हैं। शरद ऋतु के दौरान फसल कटने के समय पर ही किसान नवपत्रिका की पूजा करते हैं। 

नवपत्रिका पूजा 2023 पर बना रहा है शुभ योग

नवपत्रिका पूजन के दिन सुकर्मा योग बन रहा है जिसे ज्‍योतिष शास्‍त्र में बहुत शुभ माना जाता है। इस योग में धार्मिक कार्य और अनुष्‍ठान करने से विशेभ लाभ प्राप्‍त होता है। सुकर्मा योग पर स्‍वयं भगवान विष्‍णु का आधिपत्‍य है जो इस योग को अत्‍यंत शुभ बनाता है। मान्‍यता है कि इस योग में किए गए सभी कार्य सफल होते हैं और नए कार्य आरंभ करने पर, उसमें कोई अड़चन या रुकावट नहीं आती है। मांगलिक कार्यों जैसे कि विवाह या नामकरण संस्‍कार के लिए भी सुकर्मा योग को शुभ माना जाता है।

सुकर्मा योग का मुहूर्त

21 अक्‍टूबर को मध्‍य रात्रि 03 बजकर 01 मिनट पर सुकर्मा योग प्रारंभ होगा।

22 अक्‍टूबर को रात्रि 12 बजकर 35 मिनट तक सुकर्मा योग रहेगा।

अब घर बैठे विशेषज्ञ पुरोहित  से कराएं इच्छानुसार ऑनलाइन पूजा और पाएं उत्तम परिणाम!

नवपत्रिका पूजा 2023 की पूजन विधि

नवपत्रिका पूजा में मां दुर्गा की उपासना और उनका आह्वान किया जाता है। इस पूजा में सभी नौ पत्तियों को एकसाथ बांधकर उन्‍हें किसी पवित्र नदी या तालाब में स्‍नान करवाया जाता है।

अगर किसी के घर के आसपास कोई नदी या तालाब नहीं है, तो वह घर पर भी नवपत्रिका स्‍नान करवा सकता है। पत्तियों से गिर रहे पानी को अपने ऊपर छिड़का जाता है। इसके बाद, इन्हें कई तरह के पवित्र जल से शुद्ध किया जाता है जैसे कि सबसे पहले इस पर गंगाजल छिड़कें, उसके बाद बारिश का पानी और फिर सरस्‍वती नदी का जल छिड़कने के बाद इस पर समुद्र का जल और कमल के साथ तालाब का पानी डालें। आखिर में झरने का पानी इन नौ पत्तियों पर डाला जाता है।

नवपत्रिका पूजन के दिन बंगाली महिलाएं लाल बॉर्डर वाली सफेद रंग की साड़ी पहनती हैं। नवपत्रिका को भी इसी साड़ी से सजाया जाता है और फिर इस पर फूलों की माला अर्पित की जाती है। ऐसी मान्‍यता है कि नवपत्रिका का श्रृंगार पारंपरिक बंगाली दुल्‍हन की तरह ही करना चाहिए।

नवपत्रिका पूजन में स्‍नान के बाद प्राण-प्रतिष्‍ठा का विधान है। पूजन स्‍थल को साफ करें और वहां पर मां दुर्गा की प्रतिमा या मूर्ति को स्‍थापित करें। आप पूजा स्थान को फूलों और लाइटों से भी जा सजा सकते हैं।

इसके पश्‍चात् षोडशोपचार पूजन करना होता है जिसमें मां दुर्गा की सोलह अलग-अलग वस्तुओं से  पूजा की जाती है। अब पूजन स्‍थल पर नवपत्रिका को प्रतिमा के रूप में स्थापित करके पूजा की जाती है। इस पर चंदन का तिलक लगाते हैं और फल-फूल चढ़ाकर इसका पूजन करते हैं। नवपत्रिका के दाईं ओर भगवान गणेश की मूर्ति रखी जाती है और आखिर में मां दुर्गा  की महाआरती की जाती है। आरती के बाद वहां मौजूद भक्‍तों में प्रसाद बांटा जाता है।

पाएं अपनी कुंडली आधारित सटीक शनि रिपोर्ट  

नवपत्रिका पूजा 2023 की कथा

मान्यताओं के अनुसार, कलाबाऊ को भगवान गणेश की पत्‍नी माना जाता है। लेकिन, इस बात को लेकर लोगों के बीच अलग-अलग धारणएं प्रचलित हैं। नवपत्रिका पूजन को लेकर एक कथा यह भी है कि कोलाबोऊ, मां दुर्गा की परम भक्‍त थीं और हर समय उनकी भक्‍ति में ही लीन रहती थी। वह नौ अलग-अलग पेड़ की पत्तियों से मां दुर्गा की पूजा करती थी। नवपत्रिका पूजन में जिन 9 पत्तियों का नव पत्रिका के रूप में पूजन किया जाता है, वह कलाबाऊ का ही प्रतीक हैं।

सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर

हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.