हिन्दू पंचांग के अनुसार हर महीने की शुक्ल पक्ष पर अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गा अष्टमी (Masik Durgashtami 2021) होती है। माघ महीने में दुर्गाअष्टमी शनिवार के दिन 20 फरवरी, 2021 को मनाई जाएगी। दुर्गाष्टमी को मासिक दुर्गाष्टमी, मास दुर्गाष्टमी नामों से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है, कि मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षक का वध करके देवताओं की सेवा की थी, और हर महीने होने वाली दुर्गाअष्टमी पर भक्तगण मां दुर्गा की उपासना कर उपवास रखते हैं। मासिक दुर्गाष्टमी पर मां दुर्गा के नौ स्वरुपों की पूजा की जाती है।तो आइए जानते हैं दुर्गा अष्टमी से जुड़ी खास बाते महत्व और पूजा मुहूर्त ।
मासिक दुर्गाष्टमी 2021 पूजा मुहूर्त (Masik Durgashtami 2021 Puja Muhurat)
अष्टमी तिथि प्रारम्भ – सुबह 10: 58 से
अष्टमी तिथि समाप्त – दोपहर- 01: 31 तक
मासिक दुर्गाष्टमी पूजा विधि
- प्रात: काल उठकर स्नान करें, साफ सुथरे वस्त्र धारण करें।
- घर पर बने मंदिर की साफ-सफाई कर गंगा जल छिड़कें।
- मंदिर के सामने एक चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर मां दुर्गा की मूर्ति या प्रतिमा की स्थापना करें।
- देवी दुर्गा के सामने घी का दीपक जलाएं, और उन्हें अक्षत, लाल सिंदूर और लाल पुष्प अर्पित करें ।
- मां दुर्गा को फल, मिठाई का भोग लगाएं ।
- दुर्गा चालीसा का पाठ करें, और मां की आरती उतारे
- पूरा दिन उपवास करें, और एक वक्त फलहार ग्रहण करें ।
मासिक दुर्गा अष्टमी महत्व
दुर्गा अष्टमी (Durga Ashtami) हर महीने शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन होती है। हर महीने होने के कारण इसे मासिक दुर्गाष्टमी कहा जाता है । इस दिन पर भक्त मां दुर्गा के सभी नौ स्वरूपों की पूजा करके उनको प्रसन्न करते है। हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है, कि जब भक्त शक्ति की अराधना करके उन्हें प्रसन्न करते हैं, तो मां उनकी सभी मुराद पूरी करती हैं, और उनके सभी दुख को हर लेती है। जो भक्त हर महीने दुर्गा अष्टमी पर सच्ची श्रद्धा और भक्ति के साथ आदि शक्ति जगदंबे की उपासना करते है, मां की उन भक्तों पर विशेष कृपा बनी रहती है। उनके जीवन में सुख-समृद्धि और खुशहाली बनी रहती है। मासिक दुर्गा अष्टमी पर भक्त मां दुर्गा के सभी नौ स्वरुपो शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्माण्डा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा कर उन्हें प्रसन्न करते हैं।
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मासिक दुर्गाष्टमी की रोचक कथा (Masik Durga Ashtami Katha)
पौरािणिक मान्यता के अनुसार दुर्गा अष्टमी के दिन के लिए ऐसी मान्यता है, कि क्रूर राक्षक का वध करने के लिए देवी दुर्गा का अवतार हुआ था। कथा के अनुसार दुर्गम नामक राक्षक ने तीनों लोक में आतंक मचा रखा था। उसके आतंक और अत्याचार के भय से सभी देवी-देवता को स्वर्ग लोक छोड़कर कैलाश जाना पड़ा, क्योंकि दुर्गम राक्षस को ये वरदान प्राप्त था की उसका वध कोई देवता नहीं कर सकता है, केवल स्त्री के हाथों ही उसका वध होगा, और इसी समस्या का समाधान निकालने के लिए सभी देवताओं ने कैलाश पर जाकर भगवान शिव से परेशानी का हल निकालने की विनती की, जिसके बाद ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने अपनी शक्तियों को मिलाकर देवी दुर्गा को जन्म दिया। देवी दुर्गा को त्रिदेवों ने मिलकर सबसे ज्यादा शक्तिशाली हथियार प्रदान किया। जिसके बाद आदि शक्ति देवी दुर्गा ने राक्षस दुर्गम को युद्ध के लिए ललकारा और युद्ध कर उसका वध कर दिया। पौराणिक कथा के अनुसार देवी दुर्गा का जन्म शुक्ल पक्ष की अष्टमी पर हुआ, तभी से हर माह पर पड़ने वाली दुर्गा अष्टमी पर भक्त मां दुर्गा की अराधना करने लगे।
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