मार्गशीर्ष के महीने में शुक्ल पक्ष को आने वाली पूर्णिमा को मार्गशीर्ष पूर्णिमा कहा जाता है। इसे बत्तीसी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू धर्म के अनुसार यह महीना दान-पुण्य करने, धार्मिक कार्यों और देवी-देवताओं के पूजन के लिए विशेष महत्व रखता है। श्रीमद् भागवत गीता में श्रीकृष्ण ने स्वयं कहा है कि, सभी महीनों में से मार्गशीर्ष का महीना बहुत शुभ होता है। मान्यता है कि इसी महीने से सतयुग का भी आरंभ हुआ था। इस दिन स्नान, दान और तपस्या करने का बहुत ज्यादा महत्व है। इस पूर्णिमा के दिन हज़ारों श्रद्धालु हरिद्वार, बनारस, मथुरा और प्रयागराज की पवित्र नदियों में स्नान और तपस्या करते हैं।
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मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2023 कब है
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 26 दिसंबर, 2023 को मंगलवार के दिन पड़ रही है। पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 26 दिसंबर, 2023 को सुबह 05 बजकर 48 मिनट पर होगी और पूर्णिमा तिथि की समाप्ति 27 दिसंबर, 2023 को सुबह 06 बजकर 05 मिनट पर होगी।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत करने की विधि
हिंदू धर्म में मार्गशीर्ष पूर्णिमा का व्रत रखने का विधान है और मार्गशीर्ष के महीने में इस व्रत का बहुत महत्व माना जाता है। वर्ष 2023 में 26 दिसंबर को मार्गशीर्ष पूर्णिमा पड़ रही है। ऐसी मान्यता है कि श्रद्धा भाव से इस व्रत को रखने से व्यक्ति को अपने जीवन में सुख-शांति, संपन्नता और उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
इस व्रत को करने के लिए पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और उसके बाद साफ कपड़े पहनें। अब भगवान विष्णु की पूजा करें और मूर्ति के आगे दीया जलाएं। मूर्ति के आगे पुष्प, फल, मिठाई चढ़ाएं और धूपबत्ती जलाएं। फिर विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।
पूजन के बाद श्रद्धालु पूरा दिन व्रत रखते हैं और इस व्रत में दिनभर में केवल फल, दूध और जल का ही सेवन करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को रखने से शरीर और दिमाग की शुद्धि होती है और शरीर से सारे विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं।
शाम के समय श्रद्धालु मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत कथा पढ़ें और सुनें। इसमें भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की कथा सुनाई जाती है। पूरी श्रद्धा के साथ कथा सुनने के बाद भगवान विष्णु की आरती करें।
पूजन के दौरान भगवान विष्णु को प्रसाद चढ़ाकर आप अपने व्रत का पारण करें। पूजन में उपस्थित सभी लोगों, परिवार के सदस्यों और जरूरतमंद लोगों में प्रसाद बांट दें।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत रखने से श्रद्धालुओं को असीम लाभ होते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसके साथ ही मार्ग में आ रही रुकावटें दूर होती हैं। मान्यता है कि इस व्रत को रखने वाले व्यक्ति को लंबा और स्वस्थ जीवन प्राप्त होता है।\
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मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रत 2023 का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन तुलसी की जड़ को शरीर पर लगाने और फिर पवित्र नदी में स्नान करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। अन्य माहों में आने वाली पूर्णिमा की तुलना में मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर दान करने से उसका 32 गुना अधिक लाभ मिलता है। यही कारण है कि इसे बत्तीसी पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस शुभ अवसर पर भगवान सत्यनारायण की पूजा एवं सत्यनारायण कथा का पाठ भी किया जाता है। कथा के बाद ब्राह्मणों को दान एवं भोजन करवाने से भी भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।
भगवान शिव की भी आराधना और उपासना के लिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा को शुभ माना जाता है। हिंदू धर्म में यह दिन अत्यंत महत्व रखता है और इसे पूरी श्रद्धा और जोश के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सुख-शांति, संपन्नता और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
श्रद्धालु भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भी मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर व्रत रखते हैं और शाम को भगवान शिव का पूजन कर दूध, शहद और बेल पत्र अर्पित करते हैं।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर भगवान शिव की पूजा
भगवान शिव की भी आराधना और उपासना के लिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा को शुभ माना जाता है। हिंदू धर्म में यह दिन अत्यंत महत्व रखता है और इसे पूरी श्रद्धा और जोश के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सुख-शांति, संपन्नता और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
श्रद्धालु भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए भी मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर व्रत रखते हैं और शाम को भगवान शिव का पूजन कर दूध, शहद और बेल पत्र अर्पित करते हैं।
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मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2023 पर बन रहा है शुभ योग
26 दिसंबर को सुबह 04 बजकर 21 मिनट से शुक्ल योग शुरू हो रहा है जो कि 26 दिसंबर, 2023 की अर्धरात्रि को 03 बजकर 20 मिनट तक रहेगा।
हिंदू ज्योतिष में 27 योगों में शुक्ल योग 23वें स्थान पर आता है। शुक्ल योग में जन्म लेने वाले लोग हर कला में निपुण होते हैं। इन्हें कविताएं पसंद होती हैं। यह योग आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है।
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मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर शिव पूजन के लाभ
- भगवान शिव की उपासना के लिए मार्गशीर्ष पूर्णिमा को बहुत शुभ माना जाता है। जीवन की मुश्किलों और कठिनाईयों से उबरने के लिए इस दिन को शिव उपासना के लिए सर्वोत्तम माना गया है।
- इसके अलावा मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर शिव उपासना से आध्यात्मिक विकास भी होता है और मन एवं मस्तिष्क की शुद्धि हो जाती है। व्यक्ति में प्रेम और माफ कर देने जैसे सकारात्मक गुण विकसित होते हैं।
- नया व्यापार और प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए भी मार्गशीर्ष पूर्णिमा का समय शुभ होता है। शिव के उपासक मानते हैं कि इस दिन पूजा करने से व्यक्ति को अपने कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
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मार्गशीर्ष पूर्णिमा के लिए ज्योतिषीय उपाय
मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर आप अपनी मनोकामना के अनुसार कुछ ज्योतिषीय उपाय कर सकते हैं।
- अगर आपको पैसों की तंगी हो रही है या आपको धन से जुड़ी समस्याओं ने घेरा हुआ है, तो इस पूर्णिमा के दिन अपने घर के पूजन स्थल में एक लाल रंग का कपड़ा और चार लौंग रखें। अब मां लक्ष्मी और कुबेर देवता का ध्यान करें और उनके बीज मंत्रों का जाप करते हुए घी के पांच दीये जलाएं। अब इन पांच दीपकों में से एक में दो लौंग डालें और बाकी बची हुई लौंग को लाल रंग के कपड़े में बांधकर मां लक्ष्मी के सामने रख दें। अब आप कनकधारा स्तोत्र का पाठ शुरू कर दें। इसके पश्चात् लाल रंग के कपड़े में बंधी लौंग को अपनी तिजोरी या धन रखने के स्थान पर रख दें।
- जिन लोगों को अपनी नौकरी या व्यापार में प्रगति नहीं मिल पा रही है, वे एक लोटे में जल भरकर, उसमें थोड़ा-सा कच्चा दूध और बताशे डालकर पीपल के पेड़ पर इस जल को चढ़ा दें। अब दूध से बनी पांच तरह की मिठाई पेड़ के सामने रखें और सात बार पेड़ की परिक्रमा करें। अब आपको विष्णु सहस्त्रनाम और शिवाष्टक स्तोत्र का पाठ करना है। इससे नौकरी या व्यापार में तरक्की के बीच आ रही रुकावटें दूर होती हैं।
- यदि आप आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं या आपको पैसों की तंगी का सामना करना पड़ रहा है, तो आप मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर चांद निकलने के बाद कच्चे दूध, चीनी और चावल को मिलाकर एक मिश्रण बना लें। इस मिश्रण में कच्चा दूध अधिक मात्रा में होना चाहिए। अब ‘ॐ स्त्रां स्त्रौं स: चंद्रमसे नम:’ मंत्र का जाप करते हुए चंद्रमा को अर्घ्य दें। इस उपाय को करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और पैसों की तंगी दूर होती है।
- जिन लोगों के विवाह में अड़चन आ रही है या किसी न किसी वजह से विवाह की बात बन नहीं पा रही है, तो आप मार्गशीर्ष पूर्णिमा के दिन सफेद रंग के वस्त्र पहन कर शिवलिंग का अभिषेक करें। इसके अलावा अगर वैवाहिक जीवन में भी कोई तनाव या अनबन चल रही है, तो जल में दूध मिलाकर पति-पत्नी दोनों साथ में चंद्रमा को अर्घ्य दें। इस उपाय को करने से पति-पत्नी के बीच प्यार बढ़ता है।
- पूर्णिमा की रात्रि को कुएं के पास जाएं और उसमें एक चम्मच दूध डाल दें। इसके बाद पीछे मुड़कर न देखें और सीधा घर आ जाएं। इस उपाय को करते समय आपको कोई देखे नहीं। अब एक लोटे में जल भरें और उसमें दूध, चीनी और अक्षत डालकर चंद्रमा को अर्घ्य दें। इस उपाय से सौभाग्य मिलता है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
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