जैन धर्म को विश्व के सभी धर्मों में सबसे प्राचीन धर्म का दर्जा दिया गया है। जैन धर्म में महावीर जयंती का बड़ा महत्व बताया गया है। महावीर जयंती महावीर स्वामी के जन्म दिन के रूप में मनाई जाती है। हिंदु पंचांग के अनुसार जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर जी का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस साल महावीर जयंती 6 अप्रैल यानी सोमवार के दिन मनाई जा रही है।
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ऐसे मनाएं महावीर जयंती
इस वर्ष देशभर में चल रहे लॉकडाउन की वजह से महावीर जयंती कुछ अलग और अनोखे तरीके से मनाई जाएगी।
- इस दिन लोग अपने घरों में बर्तन बजाकर महावीर स्वामी का गुणगान करेंगे।
- इस दौरान लोग ‘जियो और जीने दो’ का नारा लगाएंगे।
- इसके बाद शाम को घरों में दीपक जलाएं।
- घर की महिलाएं और बच्चियां केसरिया वस्त्र पहनें और पुरुष सफेद वस्त्र पहनें।
- इसके बाद अगले दिन यानि 7 अप्रैल को महामंत्र नवकार का विश्व शांति हेतु जाप करें।
किसी भी इंसान के जीवन को सुख और समृद्ध बनाने के लिए महावीर स्वामी ने पांच ऐसे सिद्धांत बताए थे जिनका सभी को पालन करना चाहिए। महावीर जयंती के इस ख़ास मौके पर आइये जानें क्या हैं वो सिद्धांत।
पहला सिद्धांत, अहिंसा, भगवान महावीर का पहला और सबसे अहम सिद्धांत था, अहिंसा। इस सिद्धांत में उन्होंने जैन लोगों को किसी भी परिस्थिति में हिंसा से दूर रहने का संदेश दिया था। महावीर स्वामी ने अहिंसा के सिद्धांत के तहत लोगों को इस बात की शिक्षा दी थी कि उन्हें किसी भी हालत में किसी अन्य इंसान को कभी भी कष्ट नहीं पहुंचाना चाहिए।
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दूसरा सिद्धांत, सत्य की राह पर चलना, भगवान महावीर ने विश्व को दूसरा सिद्धांत दिया सदैव सत्य की राह पर चलने का। उन्होंने हमेशा लोगों को केवल सच बोलने के लिए प्रेरित किया।
तीसरा सिद्धांत, अस्तेय, भगवान महावीर के तीसरे सिद्धांत के अनुसार अस्तेय का पालन करने वाले इंसान किसी भी रूप में अपने मन के मुताबिक किसी भी चीज़ को ग्रहण नहीं करते हैं। ऐसे लोग जीवन में हमेशा संयम के साथ काम करते हैं और केवल उसी वस्तु को ग्रहण करते हैं जो उन्हें खुद से दी जाती है।
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भगवान महावीर का चौथा सिद्धांत, ब्रह्मचर्य, भगवान महावीर ने दुनिया को चौथा सिद्धांत ब्रह्मचर्य का दिया। इस सिद्धांत का पालन करने वाले जैन व्यक्तियों को अपने जीवन में सदैव पवित्रता के गुणों का प्रदर्शन करना होता है। जिसके चलते वो किसी भी कामुक गतिविधि में भी हिस्सा नहीं ले सकते हैं।
इसके बाद आता है अंतिम और सबसे महत्वपूर्ण सिद्धांत, अपरिग्रह, जो बाकि सभी सिद्धांतों को एक कड़ी में जोड़ने का काम करता है। ऐसी मान्यता है कि अपरिग्रह का पालन करने से इंसानों में एक चेतना जागती है जिससे वे किसी भी सांसारिक और भोग की वस्तुओं का त्याग कर देते हैं।
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