सावधान: अगस्त की इस तारीख को चंद्रमा देखने से लग सकता है बड़ा कलंक-रहिए सतर्क वरना……!

भाद्रपद के महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन चंद्रमा दर्शन वर्जित माना गया है। ऐसे में सवाल उठता है कि, आखिर ऐसा क्यों? दरअसल इस दिन गणेश चतुर्थी या जिसे कलंक चतुर्थी कहते हैं वह मनाई जाती है। इस दिन घरों में गणपति बप्पा विराजे जाते हैं। गणेश स्थापना के साथ-साथ इसी दिन कलंक चतुर्थी भी मनाई जाती है जिसे बहुत सी जगह पर चौठ चतुर्थी भी कहते हैं।

बात करें इस वर्ष की तो इस वर्ष कलंक चतुर्थी 30 अगस्त को मनाई जाएगी और गणेश चतुर्थी 31 अगस्त को मनाई जाएगी। ध्यान रखें कि, कलंक चतुर्थी के दिन चंद्रमा देखना वर्जित होता है। ऐसे में जानना दिलचस्प होगा कि आखिर इसके पीछे की वजह क्या है? यदि आप भी यह जानना चाहते हैं तो यह ब्लॉग अंत तक पढ़ें।

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कलंक चतुर्थी शुभ मुहूर्त 

30 अगस्त, , 2022 मंगलवार 

चन्द्रोदय का समय: 08:28:59

चन्द्रास्त का समय: 20:38:59

अभिजीत मुहूर्त: 11:56:02 से 12:47:13 तक 

गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त

31 अगस्त, 2022 बुधवार

गणेश पूजन के लिए मध्याह्न मुहूर्त : 11:04:43 से 13:37:56 तक

अवधि : 2 घंटे 33 मिनट

समय जब चन्द्र दर्शन नहीं करना है : 15:35:21 से 20:38:59 तक 30, अगस्त को

समय जब चन्द्र दर्शन नहीं करना है : 09:26:59 से 21:10:00 तक 31, अगस्त को

……तो इसलिए वर्जित है कलंक चतुर्थी के दिन चंद्रमा देखना

पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि, भगवान गणेश जी द्वारा चंद्रमा को एक श्राप दिया गया था जिसके चलते भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन चंद्रमा नहीं देखा जाता है। यदि कोई व्यक्ति इस दिन चंद्रमा देख ले तो उस पर मानहानि जैसे गंभीर दोष लगने लगते हैं। यही वजह है कि इस चतुर्थी को कलंक चतुर्थी (Kalank Chaturthi 2022) भी कहा जाता है।

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कलंक चतुर्थी से जुड़ी पौराणिक कहानी

कलंक चतुर्थी से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार बताया जाता है कि एक बार चंद्रमा ने भगवान गणेश को देखकर उनके फूले हुए पेट और गजमुख रूप का मजाक उड़ाया। इस पर गणेश जी को बड़ा क्रोध आया और उन्होंने चंद्रमा को श्राप दे दिया। भगवान गणेश में चंद्रमा से कहा कि तुम्हें अपने रूप पर इतना घमंड है इसीलिए तुम्हारा क्षय हो जाएगा और तुम्हें कोई देखेगा भी नहीं और यदि इस श्राप के बावजूद तुम्हें कोई देखता है तो उस पर कलंक लगेगा। 

जैसे ही भगवान ने चंद्रमा को यह श्राप दिया चंद्रमा का आकार धीरे-धीरे घटने लगा। इससे परेशान होकर चंद्रमा ने शिवजी की पूजा शुरू की। तब शिवजी ने चंद्रमा को गणेश जी की ही पूजा करने की सलाह दी। अंत में गणेश जी ने चंद्रमा से कहा कि, मैंने तुम्हें जो श्राप दिया है उसका असर तो कभी खत्म नहीं होगा लेकिन मैं इसके प्रभाव को घटा अवश्य सकता हूं। 

इससे 15 दिन तुम्हारा क्षय होगा लेकिन तुम फिर बढ़कर अपने पूर्ण रूप को प्राप्त कर लोगे। साथ ही यहां इस बात का भी ध्यान रखा जाए कि, भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन जो कोई भी व्यक्ति तुम्हें देखेगा उस पर कलंक लग जाएगा। 

ऐसी मान्यता है कि भगवान गणेश के श्राप के चलते ही चंद्रमा 15 दिनों की अवधि के लिए घटने लगता है और 15 दिनों के लिए उसका आकार बढ़ने लगता है। 

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गणेश चतुर्थी और कलंक चतुर्थी की तिथियों में इस वर्ष अंतर क्यों?

दरअसल शास्त्रों के अनुसार बात करें तो गणेश भगवान का जन्म भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन दोपहर को हुआ था इसलिए गणेश चतुर्थी का पर्व उस दिन मनाया जाता है जिस दिन दोपहर के समय चतुर्थी तिथि पड़ती है। 

बात करें इस वर्ष की तो पंचांग के अनुसार इस साल चतुर्थी तिथि 30 अगस्त को दोपहर में 3:35 से प्रारंभ हो रही है और 31 अगस्त को चतुर्थी तिथि 3:25 पर समाप्त हो जाएगी इसीलिए गणेश स्थापना के लिए 31 अगस्त का समय शुभ माना जा रहा है और चतुर्थी के लिए 30 अगस्त का समय उपयुक्त रहेगा। 

इसके अलावा हम आपको यहाँ यह भी बता दें कि 31 अगस्त की रात को चतुर्थी तिथि नहीं मान्य होगी इसलिए 30 अगस्त को ही चौठ चंद्र और कलंक चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा।

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चौठ चंद्र से जुड़ी मान्यता

  • चौठ चंद्र के व्रत में महिलाएं दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं और इस दिन तरह-तरह के पकवान बनाकर रात के समय चंद्रमा की पूजा करती हैं। 
  • चंद्रोदय के समय व्रत करने वाले व्यक्ति और उनके परिवार के सभी लोग अपने हाथों में फल, दही, और बनाए गए पकवान को लेकर चंद्रमा के दर्शन करते हैं और उनकी पूजा करते हैं। 
  • इसके बाद खीर को एक थाली में रखकर चांदी की अंगूठी या फिर सिक्के से काटा जाता है। 
  • खीर चौठ चंद्र का मुख्य प्रसाद माना गया है। 

कहा जाता है इस दिन की पूजा विधि व तरीके से करने से परिवार के लोग निरोगी रहते हैं, उन्हें मान प्रतिष्ठा प्राप्त होती है, और साथ ही उन पर कभी भी कोई झूठा कलंक या आरोप नहीं लगता है।

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अगर इस दिन गलती से देख लिया चांद तो क्या करें?

चलिए यह तो बात हो गई की कलंक चतुर्थी के दिन चंद्रमा देखना वर्जित है। लेकिन मान लीजिए किसी व्यक्ति ने अनजाने में इस दिन चंद्रमा के दर्शन कर लिए तो इससे बचने के क्या उपाय हैं? 

जानकारी के लिए बता दें कि श्रीमदभगवतगीता के दसवें स्कंध 56-57 अध्याय में बताया गया है कि स्वयं प्रभु श्री कृष्ण पर भी यह श्राप लगा था जिसके चलते उन पर उनके मित्र प्रसनजीत की हत्या और सर्य की स्यामंतक मणि को चोरी का आरोप लगा था

  • चंद्रमा दोष से बचने के लिए आपको चंद्र मंत्र का जाप करने की सलाह दी जाती है। मंत्र:
    सिंहः प्रसेन मण्वधीत्सिंहो जाम्बवता हतः। सुकुमार मा रोदीस्तव ह्मेषः स्यमन्तकः।।
  • इसके अलावा आप कृष्ण-स्यमंतक की कथा पढ़कर या सुनकर भी इस दोष से मुक्ति पा सकते हैं। 
  • इसके साथ ही कलंक दोष से मुक्ति पाने के लिए मौली में 21 दूर्वा बांधकर उससे एक मुकुट बनाएं और इस मुकुट को गणपति मंदिर में जाकर भगवान गणेश के सिर पर सजाएं। 
  • गणेश भगवान की मूर्ति पर इक्कीस केसर लड्डुओं का भोग लगाएं। इसके बाद इनमें से पांच लड्डू भगवान गणेश के पास रख कर बाकी ब्राह्मणों में बांट दें।

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