जानिये जन्मकुंडली में स्थित “लक्ष्मी-नारायण योग” व “कलानिधि योग” के प्रभाव और फल

व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की मौजूदगी और संयोजन से कई ऐसे योग बनते हैं जो इंसान के जीवन को बदलने की क्षमता रखते हैं। कई बार हम खुद ही इन योगों से अंजान बने रहते हैं, लेकिन इन योगों का प्रभाव हमारे जीवन पर अवश्य ही पड़ता है। तो आइये आज बात करते हैं कुंडली के दो ऐसे ही बेहद शुभ योग, लक्ष्मी-नारायण योग की, और दूसरे, कलानिधि योग की और जानने की कोशिश करते हैं इन योगों का व्यक्ति के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है। 

लक्ष्मी-नारायण योग

भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार लक्ष्मी नारायण योग जन्म-कुंडली में स्थित शुभ बुध और शुक्र ग्रह की युति से बनने वाला योग है। जिसका फल राजयोग कारक होता है। बुध बुद्धि-विवेक, हास्य का कारक है तो शुक्र सौंदर्य, भोग विलास का कारक है। लक्ष्मी योग में बुध को विष्णु शुक्र को लक्ष्मी की श्रेणी दी गई है। इन दोनों ग्रहो का आपसी संबंध जातक को रोमांटिक और कलात्मक प्रवृत्ति का बनाता है। यह योग जैसे की नाम से ही पता चल रहा है, एक बहुत शुभ योग है। 

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यह योग सुख सौभाग्य को बढ़ाने वाला योग है। लक्ष्मी नारायण योग पर गुरु की दृष्टि सोने पर सुहागा जैसी स्थिति होती है। लग्न, पांचवें, नौवें भाव में शुक्र बुध से बनने वाले लक्ष्मी नारायण योग के प्रभाव से जातक किसी न किसी कला में विशेष दक्ष होता है। पांचवें भाव में बनने से बली लक्ष्मी नारायण के प्रभाव से जातक विद्वान् भी होता है। शुक्र के साथ बुध और बुध के साथ शुक्र की युति इन दोनों के शुभ प्रभाव को बहुत ज्यादा बढ़ा देती है। धन-धान्य योगों में से यह योग एक योग है। 

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किन किन राशि में देता है लक्ष्मी-नारायण योग पूर्ण-फल  

जन्मकुंडली के अनुसार यह लक्ष्मी-नारायण योग मेष, धनु, मीन लग्न में ज्यादा अच्छा प्रभाव नही दिखाता। बल्कि यह योग वृष, मिथुन, कन्या, तुला राशि में बहुत बली होता है।  इसी तरह बारहवें भाव का शुक्र कन्या राशि के आलावा किसी भी राशि में हो तब एक तरह से “भोग योग” बनाता है। यह योग शुक्र से सम्बंधित शुभ फलो में वृद्धि करके जातक को ज्यादा से ज्यादा शुक्र संबंधी शुभ फल मिलते हैं।

शुक्र की स्थिति से कई राजयोग भी बनते है जिसमे शुक्र वर्गोत्तम या अन्य तरह से बलशाली होने पर अकेला राजयोगकारक होता है। यह योग कुछ ही लग्नो में कारगर होते है जैसे कि, कन्या लग्न में शुक्र भाग्येश धनेश होकर योगकारक है। इसी तरह मकर, कुम्भ लग्न की कुंडलियो में यह विशेष राजयोग कारक होता है। इन दोनों मकर, कुम्भ लग्न में किसी भी तरह से यह अकेला भी बलशाली और पाप ग्रहों के प्रभाव से रहित होता है तो राजयोग बनाता है जिसके फल शुभ फल कारक होते है।

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“कलानिधि योग” 

शुक्र के सहयोग से बनने वाला शुभ “कलानिधि योग” योग जातक को किसी न किसी कला में माहिर बनाकर राजयोग तक देता है। इस योग में तीन ग्रहों का सहयोग रहता है।  जब दूसरे और पांचवें भाव में बृहस्पति की दृष्टि सम्बन्ध शुक्र बुध की युति से होता है, विशेष रूप से युति सम्बन्ध हो तब कलानिधि योग बनता है। दूसरा और पाचवां भाव कला से सम्बंधित है। इस कारण दूसरे, पांचवे भाव से ही कलानिधि योग बृहस्पति शुक्र बुध के सहयोग से बनता है। इस तरह अन्य कई शुभ योग शुक्र से बनते है जो विशेष तरह के लाभकारी योग होते हैं। योग कोई भी हो योग की शुद्धता होना जरूरी है तभी वह अच्छे से फलित होता है। जैसे योग बनाने वाले ग्रह और योग बनाने वाले ग्रहो के साथ जो भी ग्रह है वह भी अस्त या अशुभ न हो, अंशो में ग्रह बहुत प्रारंभिक या आखरी अंशो पर न हो, पीड़ित न हो, योग बनाने वाले ग्रह नवमांश कुंडली में नीच या बहुत ज्यादा पाप ग्रहो से पीड़ित न हो आदि। जातक पर महादशा-अन्तर्दशा अनुकूल और शुभ हो तब योग अच्छे से फलित होकर अपना पूरा प्रभाव दिखाते है। शुभ योग बनाने वाले ग्रहों के कमजोर होने पर उन्हें उपाय से बली करके शुभ योग के शुभ फलो को बढ़ाया जा सकता है।

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“लक्ष्मी-नारायण” योग हो और शुक्र अशुभ हो तो उसका फल

लक्ष्मी-नारायण” और शुक्र ग्रह ज्योतिष में ऐश्वर्य, आकर्षण, सुख-साधनो व मौज-मस्ती का कारक है। सब से बड़ी बात कुंडली मे बुरे काम कम और अच्छे फल ज्यादा मिलता है। परन्तु निर्भर करता है आप का लग्न कौन सा है, ओर कुंडली मे किस भाव का स्वामी है। जब जन्मकुंडली में लक्ष्मी-नारायण योग हो और शुक्र नीच का हो तो सब से खराब फल देता है जो शायद कोई भी नीच राशि गत ग्रह नही देता। 

यहाँ बात लग्नस्थ शुक की हो तो लग्न में शुक्र आपको एक आर्कषक व्यक्तित्व देता है। शौकीन मिजाज हाई प्रोफाइल रखता है। व्यक्ति हमेशा बन-ठन कर रहने का शौकीन होगा। महिला-मित्रों से काफी अच्छी पटेगी,व ऐश्वर्यशाली रहेगा ,परन्तु अगर ये ही शुक लग्न में नीच राशिगत हो तो व्यक्ति का चरित्र डांवाडोल रहता है और विवाह के बाद  बहुत से सम्बन्ध रहते हैं व ये ही सम्बन्ध उनके चारित्रिक पतन का कारण बनते हैं व बड़ी बदनामी का कारण बनते हैं। ये ही शुक महिला की कुंडली मे लग्नस्थ हो तो काफी शौकीन मिजाज व मस्तमोजी बनाता है और अगर नीच राशि का हो तो वो महिला अपने शौक पूरे करने के लिए किसी भी हद तक जा सकती है।

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