वैदिक ज्योतिष के अनुसार जातक की कुंडली में सूर्य का प्रभाव बेहद प्रभावशाली होता है, सभी नव ग्रहों में सूर्य को राजा का दर्जा प्राप्त है, और सूर्य की शुभ स्थिति जातक को जीवन में सुख- समृद्धि प्रदान करने वाली होती है। यदि जातक की कुंडली में सूर्य मजबूत अवस्था में है, तो ऐसे व्यक्ति को सफलता हासिल करने से कोई नहीं रोक सकता है। वह हर क्षेत्र में विजय प्राप्त करता है, साथ ही समाज में उसका मान-सम्मान और पद-प्रतिष्ठा भी बनी रहती है। धन, वैभव और यश की जातक को प्राप्ति होती है, और उसके बिगड़े काम भी आसानी से पूर्ण हो जाते है। परंतु ज्योतिष की गणना के मुताबिक सूर्य के कमजोर अवस्था में होने पर जातक हर तरह के कष्ट को भोगता है। उसे समाज में तिरस्कार का सामना करना पड़ता है। आर्थिक तौर पर परेशानी का मुंह देखना पड़ता।
अच्छी नौकरी, व्यापार में सफलता, घर, गाड़ी सब कुछ सूर्य योग के अच्छे प्रभाव से हासिल होता है। त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, महेश की कृपा सूर्य योग के मजबूत ग्रह में होने से प्राप्त होती है। सूर्य मेष राशि में उच्च स्थान और तुला में नीच का स्थान हासिल किए हुए है। पिता, पुत्र, राज्य, सम्मान, पद-प्रतिष्ठा का कारक सूर्य का शुक्र के साथ संयोग नहीं बनता है। क्योंकि सूर्य गर्मी का और शुक्र रज का प्रतीक है, और सूर्य की गर्मी से रज जल जाता है।
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कुंडली में सूर्य योग कैसे बनेगा अनुकूल
- बड़ों का आशीर्वाद लेने से व्यक्ति को सूर्य योग का शुभ फल प्रदान होता है
- कुंडली में तृतीय भाव में सूर्य की उपस्थिति व्यक्ति को आय में बढ़ोत्तरी दिलाता है।
- तीर्थ स्थान पर दर्शन करने से भी सूर्य योग अनुकूल फल देता है।
- यदि व्यक्ति अपने आस-पास हो रहे अन्याय को देख कर चुप रहता है, या खुद पर हो रहे अत्याचार को सहता रहता है, तो ऐसे व्यक्ति का सूर्य योग कमजोर बन जाता है
- इसलिए सूर्य के अनुकूल प्रभाव के लिए आस-पास हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाना चाहिए, ऐसा करने से सूर्य देव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
सूर्य का अन्य ग्रहों से संबंध
- सूर्य का चंद्रमा के साथ संबंध कारकत्व के अनुरूप फल प्रदान करता है, सूर्य को पिता और चंद्रमा को यात्रा का कारक माना गया है
- सूर्य और मंगल का संबंध जातक के अंदर अभिमान को बढ़ा देता है। यह प्रभाव स्त्री की कुंडली में पति को प्रभावी बनाता है, लेकिन पति के दिल में प्यार को भी बढ़ा देता है
- सूर्य का बुध के साथ संबंध पिता और पुत्र को शिक्षा प्रदान करता है। जातक की कुंडली में पैतृक संपत्ति का योग बनाता है, और उसकी बहन भी प्रतिष्ठित परिवार से संबंध बनाती है।
- सूर्य का गुरू के साथ संबंध जीवात्मा का संयोग बनाता है। जातक का विश्वास ईश्वर में और पूर्वजों में अधिक बढ़ता है, और उसे बड़ों का आशीर्वाद प्रदान कराता है
- सूर्य का शुक्र के साथ संबंध जातक को धनवान बनाता है, व्यक्ति के पास संपत्ति बढ़ाता है। स्त्री की कुंडली में यह युति उसके स्वास्थ्य को कमजोर बना देती है।
- सूर्य का शनि के साथ संबंध जातक के पिता को सरकारी काम प्रदान कराता है। पुत्र के साथ पिता का होना पुत्र को आलासी बना देता है, वैदिक ज्योतिष में यह युति पित्र दोष बनाती है।
- सूर्य का राहु के साथ संबंध जातक को अनेक तरह के कष्ट प्रदान कराता है। संतान सुख भी नहीं मिलता है, और पत्नी से भी रिश्ते अच्छे नहीं बनते है।
- सूर्य का केतू के साथ संबंध जातक और उसके पिता को धार्मिक बना देता है। कुंडली में यह युति जातक को ननिहाल पक्ष से ज्यादा सहयोग प्रदान कराता है ।
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