शिव जी को पति रूप में पाने के लिए देवी सती ने किया था कोकिल व्रत, जानें तिथि एवं मुहूर्त!

कोकिला व्रत 2024: सनातन धर्म में हर व्रत का अपना एक अलग स्थान है इसलिए आने वाला हर माह, हर दिन अपने साथ कोई न कोई व्रत या पर्व लेकर आता है। इसी क्रम में, आज हम कोकिला व्रत 2024 के बारे में बात करेंगे जो कि आषाढ़ मास में आता है। इस माह के अंतिम दिन कोकिला व्रत को करने की परंपरा है। एस्ट्रोसेज के इस ब्लॉग में आपको कोकिला व्रत 2024 से जुड़ी समस्त जानकारी प्राप्त होगी। साथ ही, इस साल कब किया जाएगा यह व्रत और किस मुहूर्त में पूजा करना होगा शुभ? यह भी हम आपको बताएंगे। इसके अलावा, क्यों है कोकिला व्रत इतना खास, इस बारे में भी हम बात करेंगे। 

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कोकिला व्रत के शाब्दिक अर्थ की बात करें, तो यह ईश्वर के प्रति समर्पण व्यक्त करने का एक जरिया है जबकि उपवास को एक शुभ संस्कार माना गया है जिसमें मंत्र और प्रार्थना की सहायता से भक्ति प्रकट की जाती है। आषाढ़ मास की पूर्णिंमा के दिन गुरु पूर्णिमा, देवी लक्ष्मी और विष्णु जी की आराधना के साथ-साथ कोकिला व्रत भी किया जाता है। इसके अलावा, विवाहित स्त्रियां सुखी वैवाहिक जीवन की कामना के लिए कोकिला व्रत करती हैं जबकि कुंवारी लड़कियां मनोवांछित वर पाने के लिए यह व्रत करती हैं।

आइए अब हम बिना देर किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कोकिला व्रत की तिथि एवं समय के बारे में।

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कोकिला व्रत 2024: तिथि एवं शुभ मुहूर्त

कोकिला व्रत श्रावण माह के सभी व्रतों के शुभारंभ का प्रतिनिधित्व करता है। पंचांग के अनुसार, हर साल यह व्रत आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि पर किया जाता है, लेकिन इस व्रत को पूर्णिमा से एक दिन पहले यानी कि आषाढ़ शुक्ल की चतुर्दशी को रखा जाता है। आषाढ़ पूर्णिमा के अगले दिन से श्रावण का महीना शुरू हो जाता है। इस साल कोकिला व्रत 20 जुलाई 2024, शनिवार के दिन किया जाएगा। बता दें कि यह व्रत अधिकतर उस वर्ष में रखा जाता है जिस वर्ष में आषाढ़ अधिक मास लगता है। इस बारे में हम विस्तार से चर्चा करेंगे, परंतु उससे पहले नज़र डालते हैं कोकिला व्रत 2024 की तिथि एवं समय के बारे में।

कोकिला व्रत की तिथि एवं पूजा मुहूर्त

कोकिला व्रत की तिथि: 20 जुलाई 2024, शनिवार

कोकिला व्रत के लिए प्रदोष पूजा मुहूर्त: शाम 07 बजकर 23 मिनट से रात 09 बजकर 24 मिनट तक

पूर्णिमा तिथि का आरंभ: 20 जुलाई 2024 को 05 बजकर 59 मिनट से, 

पूर्णिमा तिथि की समाप्ति: 21 जुलाई 2024 को 03 बजकर 46 मिनट तक 

आज का गोचर

कोकिला व्रत 2024 का महत्व 

धार्मिक दृष्टि से कोकिला व्रत को महत्वपूर्ण माना जाता है। कोकिला व्रत का संबंध माता सती और भगवान शिव से है और अगर हम इसके नाम की बात करें, तो कोकिला शब्द भारतीय पक्षी कोयल को दर्शाता है। यह व्रत मनुष्य जीवन के सभी दुखों का नाश करने वाला माना गया है और इसी उद्देश्य से कोकिला व्रत रखा जाता है। कहते हैं कि इस व्रत को विधि-विधान से संपन्न करने पर जातक को समस्त सुख प्राप्त होते हैं। साथ ही, जिन लोगों के विवाह के मार्ग में समस्याएं आ रही होती हैं और उनके द्वारा यह व्रत करने का संकल्प लिया जाता है, तो उनका विवाह शीघ्र ही हो जाता है। कोकिला व्रत से जुड़ी एक अन्य मान्यता के अनुसार, अगर कोई अविवाहित कन्या मनचाहे वर पाने के उद्देश्य से कोकिला व्रत करती है, तो उसकी यह मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।

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मान्यता है कि जो मनुष्य कोकिला व्रत को सच्चे मन एवं पूरी श्रद्धा के साथ करता है, उसे जन्म-जन्मांतर के लिए अपने साथी का साथ मिलता है और उन्हें कोई विपदा अलग नहीं कर सकती है। इस व्रत को करने से सुहागिन महिलाओं को सौभाग्य, कल्याण, धन-धान्य और समृद्धि, की प्राप्ति होती है। इसके विपरीत, कुंवारी कन्याओं को अपना मनचाहा वर या सुयोग्य जीवनसाथी की प्राप्ति के लिए कोकिला व्रत करना चाहिए और इस मनोकामना की पूर्ति के लिए कोयल स्वरूप मूर्ति की पूजा एवं उनसे प्रार्थना करनी चाहिए। यह व्रत महिलाओं को अनेक प्रकार के दोषों जैसे कि भौम दोष से भी छुटकारा प्रदान करता है।

कब करें कोकिला व्रत?

हालांकि, कुछ लोगों का ऐसा मत है कि कोकिला व्रत को उस साल में करना चाहिए जिस वर्ष आषाढ़ का महीना अधिक मास के अंतर्गत आता हो। सामान्य शब्दों में कहें, तो वह वर्ष जब आषाढ़ अधिक मास होता है अर्थात आषाढ़ दो मास का होता है, उस समय कोकिला व्रत को अधिक मास में न रखकर सामान्य आषाढ़ माह में किया जाता है। इस व्रत के दौरान गंगा, यमुना तथा अन्य पवित्र नदियों के जल में स्नान करना शुभ रहता है। कोकिला व्रत को मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा रखा जाता है और समूचे देश की महिलाएं इस व्रत को आषाढ़ पूर्णिमा के दिन करती हैं। 

कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर

कैसे जुड़ा है कोकिला व्रत देवी सती से?

कोकिला व्रत से संबंधित पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव के मना करने के बावजूद माता सती अपने पिता दक्ष के यज्ञ में चली गई थी और उनकी आज्ञा का उल्लंघन करने पर शिव जी ने क्रोधित होकर देवी सती को कोकिला पक्षी होने का श्राप दे दिया था। इस श्राप की वजह से माता सती 10 हजार वर्षों तक नंदन वन में कोकिला पक्षी के रूप में रहीं। इसके पश्चात, उन्होंने पुन: पार्वती के रूप में जन्म लिया और पूरे विधि-विधान एवं नियमानुसार आषाढ़ मास में एक माह तक व्रत किया। इसके बाद ही देवी पार्वती को भगवान शिव पति के रूप में प्राप्त हुए। इस कथा से जुड़ी मान्यता है कि कोकिला व्रत को विधि पूर्वक धारण करने से स्त्रियों को अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद मिलता है। 

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कोकिला व्रत की पूजा विधि

  • कोकिला व्रत के दिन भक्त प्रातःकाल उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करे। 
  • साथ ही, अपने दिन की शुरुआत सूर्य देव को अर्घ्य देकर करें। 
  • इसके पश्चात, देवी पार्वती और भगवान शिव की उपासना करें, फिर शिव जी का दूध और गंगाजल से अभिषेक करें।
  • इस  व्रत में भोलेबाबा की पूजा का विधान है और इस दिन शिव पूजा में लाल फूल, सफेद फूल, धतूरा, दूर्वा, बेलपत्र, भांग, दीपक, धूप एवं अष्टगंध का उपयोग अवश्य करें।
  • कोकिला व्रत को आप निराहार रहकर भी कर सकते हैं। लेकिन यदि आप ऐसा न कर सके, तो एक समय आप फलाहार करें।
  • इस दिन व्रत की पूजा करते समय कोकिला व्रत कथा को अवश्य पढ़ें।
  • कोकिला व्रत में संध्या पूजा का विशेष महत्व होता है इसलिए संध्याकाल में भगवान शिव की आरती करें। इसके बाद शिव जी को प्रसाद का भोग लगाएं और फिर पूजा के उपरांत आप फलाहार कर सकते हैं।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. क्या होता है कोकिला व्रत?

उत्तर 1. इस व्रत के पुण्य से देवी पार्वती को शिव जी पति रूप में प्राप्त हुए थे।

प्रश्न 2. कोकिला व्रत 2024 में कब आएगा? 

उत्तर 2. वर्ष 2024 में कोकिला व्रत 20 जुलाई 2024, शनिवार के दिन किया जाएगा।

प्रश्न 3. कोकिला व्रत में किसकी पूजा करते हैं?

उत्तर 3. कोकिला व्रत में भगवान शिव की पूजा की जाती है।

 

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