वो रहस्य जिसकी वजह से रावण कभी भी माता सीता को छू तक नहीं पाया

क्या आपने कभी ये सोचा है कि इतने समय तक रावण की कैद में रहने के बावजूद रावण ने माता सीता को छुआ तक क्यों नहीं? या फिर क्या आपने कभी सोचा है कि रावण के पास तो सोने की लंका थी लेकिन फिर भी रावण ने माता सीता को अशोक वाटिका में क्यों रखा था? कई लोग इसके जवाब में कहते हैं कि यह रावण की महानता थी जो उसने अपना आचरण सही रखा। लेकिन ऐसा नहीं है। 

जीवन से जुड़ी हर छोटी बड़ी समस्या का समाधान जानने के लिए विद्वान ज्योतिषियों से करें फोन पर बात और चैट 

दरअसल इसकी वजह रावण की महानता नहीं बल्कि एक घटना है जिसके बारे में ज़्यादातर लोगों को पता नहीं है। आज हम आपको इस लेख में उसी घटना के बारे में बताएँगे जिसकी वजह से रावण न सिर्फ माँ सीता को बल्कि दुनिया की किसी भी स्त्री को बिना उस स्त्री की मर्जी के नहीं छू सकता था।

रावण ने क्यों कभी सीता जी को नहीं छुआ?

इस पौराणिक कथा का उल्लेख वाल्मीकि रामायण के उत्तरकांड में अध्याय 26 और श्लोक 39 में मिलता है। यह कथा भगवान श्री राम के जन्म से भी पहले की है।

इस कथा के मुताबिक जब रावण ने समस्त पृथ्वी को जीत लिए और स्वर्ग तक पर उसका आधिपत्य हो गया तब उसने कुछ समय के लिए अपने भाई कुबेर के शहर अलाका में विश्राम करने के लिए रुका। कुबेर का यह नगर बहुत सुंदर था। हिमालय के नजदीक होने की वजह से यहाँ शीतल हवा बहती थी और पूरा नगर फूलों की खुशबू से नहाया हुआ प्रतीत होता था।

एक बार स्वर्ग की अप्सराओं की रानी रंभा अपने होने वाले पति नलकुबेर से मिलने जा रही थी तभी रास्ते में उसकी मुलाक़ात रावण से हो गयी।

रावण ने जब रंभा को देखा तो वह रंभा की खूबसूरती पर मोहित हो गया। रावण ने रंभा के साथ दुराचार करने की कोशिश की। यह देख कर रंभा ने रावण को बताया कि वह रावण के भाई कुबेर के बेटे नलकुबेर की होने वाली अर्धांगिनी है और ऐसे में वह रिश्ते में रावण की पुत्रवधू लगेगी इसलिए रावण उसे छोड़ दे। लेकिन रावण के ऊपर रंभा के किसी अनुनय विनय का फर्क नहीं पड़ा और उसने यह सब जानने के बावजूद भी रंभा के साथ दुराचार किया।

ये भी पढ़ें: देशभर के वो मंदिर जहाँ राम की नही बल्कि होती है रावण की पूजा।

बाद में जब नलकुबेर को इस बात की खबर मिली तो उसने रावण को श्राप दे दिया कि यदि आज के बाद रावण ने किसी भी स्त्री को उसकी मर्जी के बिना गलत नियत से स्पर्श किया या फिर किसी स्त्री को उसकी मर्जी के बिना अपने महल में रखा तो रावण के मस्तक के सौ टुकड़े हो जाएँगे।

इस घटना के बाद जब माता सीता का स्वयंवर हुआ था तब रावण भी उस स्वयंवर में मौजूद था। रावण भी माता सीता से विवाह करने की इच्छा रखता था लेकिन उसकी यह कामना कभी पूरी नहीं हो पायी।

बाद में जब उसने माता सीता का साधु के वेश में हरण किया तो नलकुबेर के श्राप की ही वजह से उसे विवश होकर माता सीता को अशोक वाटिका में रखना पड़ा क्योंकि उसे पता था कि यदि उसने माता सीता के साथ दुराचार करने की कोशिश की या फिर उन्हें अपने महल में रखा तो नलकुबेर की श्राप की वजह से उसे मस्तक के सौ टुकड़े हो जाएँगे।

हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख जरूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ जरूर साझा करें। धन्यवाद! 

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.