देशभर के वो मंदिर जहाँ राम की नही बल्कि होती है रावण की पूजा।

देशभर के वो मंदिर जहाँ राम की नही बल्कि होती है रावण की पूजा।

आपको यूँ तो देशभर में भगवान राम के हजारों छोटे-बड़े मंदिर मिल जाएंगे, लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में ही कई ऐसे मंदिर भी हैं, जहां भगवान राम की नहीं बल्कि रावण की पूजा की जाती है। इतना ही नहीं कई मंदिर तो ऐसे भी आपको मिल जाएंगे जहाँ भगवान शिव के प्राचीन मंदिरों में लोग रावण के दर्शन करने भी आते हैं। भारत में ही नहीं बल्कि पड़ोसी देशों में भी रावण की पूजा किये जाने का विधान है। इस सूची में सबसे विख्यात नाम जो आता है वो है श्रीलंका का कोनसवरम मंदिर जो दुनिया के सबसे प्रसिद्ध रावण मंदिरों में से एक माना जाता है। लेकिन दोस्तों आज हम आपको श्रीलंका के नहीं बल्कि भारत के उन मुख्य मंदिरों से रूबरू कराएँगे जहां आज भी रावण की पूजा होती है और जहाँ दशहरे पर रावण दहन नहीं किया जाता है बल्कि मातम मनाया जाता है। तो चलिए जानते हैं भारत के उन स्थानों के बारे में जहां रावण की पूजा-आराधना की जाती है। 

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  1. राजस्थान के जोधपुर का प्रसिद्ध रावण मंदिर

राजस्थान, जोधपुर के मुद्गल ब्राह्मण खुद को रावण का वंशज मानते हैं। अपने पूर्वज के प्रति अपनी श्रद्धा को व्यक्त करते हुए उन्होंने रावण का वहां एक भव्य मंदिर भी बनवाया है। मंदिर का समस्त आधार रावण की सुंदर-सुंदर कई मूर्तियों से सुसज्जित है जिसके ऊपर एक रावण का भव्य मंदिर भी बना हुआ है। दरअसल, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जोधपुर शहर रावण की पत्नी मंदोदरी का मूल स्थान था। उस समय जोधपुर राज्य की प्राचीन राजधानी थी। इसलिए जोधपुर को रावण का मूल ससुराल भी कहा जाता है। यहाँ आपको ‘छवरी’ नाम की एक छतरी भी मिल जाएगी, जो रामायण काल की बताई जाती है। जोधपुर के चांदपोल क्षेत्र में रावण के सभी आराध्य देवताओं, शिव और देवी खुराना की प्राचीन मूर्तियां भी स्थापित हैं।

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  1. नोएडा के बिसरख गांव स्थित रावण का मंदिर

दिल्ली के निकट बसे नोएडा क्षेत्र के बिसरख गांव को रावण का जन्म स्थान माना जाता है। जन्मभूमि के चलते यहाँ आपको रावण के एक ऐसे मंदिर के दर्शन करने को मिलते हैं जिसमें करीब 42 फिट ऊँचे शिवलिंग और 5.5 फिट ऊँची रावण की भव्य प्रतिमा स्थित है। मान्यता अनुसार यहाँ रावण को ‘महाब्रह्म’ का स्थान प्राप्त है। इतना ही नहीं दशहरे पर यहाँ लोग जश्न मनाने की जगह शोक मनाने की परंपरा निभाते हैं। इसलिए यहाँ आपको न तो कोई रामलीला न ही रावण दहन की प्रक्रिया देखने को मिलेगी। यहाँ के लोगों के अनुसार बिसरख गांव जो उत्तर प्रदेश के गौतम-बुद्ध नगर जिले में स्थित है, उसका नाम विश्रवा से लिया गया है। बता दें कि विश्रवा रावण के पिता थे। जिन्हें जंगल में ये भव्य शिवलिंग प्राप्त हुआ था, जिसके बाद ही उन्होंने इस मंदिर में उसकी स्थापना की और बाद में यहाँ के लोगों ने रावण की प्रतिमा इस मंदिर में स्थापित कर दी। 

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  1. आंध्र प्रदेश के काकीनाड़ा का रावण मंदिर 

आंध्र प्रदेश का काकीनाड़ा शहर राज्य का एकमात्र ऐसा स्थान है, जहां रावण की पूजा-आराधना की जाती थी। काकीनाड़ा मंदिर में एक विशाल शिवलिंग भगवान शिव की प्रतिमा के साथ स्थापित है जिसके आस-पास रावण के चित्र उभरे हुए नज़र आते हैं।  काकीनाड़ा क्षेत्र समुद्र तट के बहुत करीब स्थित है, जहाँ शहर के बीचों-बीच देश का अकेला रावण का भव्य मंदिर स्थित है। इस मंदिर के गेट पर रावण की विशाल प्रतिमा के दर्शन करने को मिलते हैं। जिसमें रावण अपने दशानन अवतार में हैं। यह मंदिर दुनियाभर के पर्यटकों के लिए भी मुख्य स्थान है, जहाँ देश-विदेश से हर साल लाखों की संख्या में सैलानी आते हैं। 

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  1. मध्यप्रदेश के रावणग्राम का रावण मंदिर

मध्यप्रदेश स्थित रावणग्राम क्षेत्र में आज भी लोग रावण की पूजा करते हैं। यहाँ के प्रसिद्ध रावण मंदिर में करीब 10 फुट की एक प्राचीन मूर्ति स्थित है। जिसको लेकर मान्यता है कि इसका निर्माण नौवीं से चौदहवीं शताब्दी के बीच किया गया था। सबसे हैरान करने वाली बात इस मूर्ति की ये है कि ये मूर्ति लेती हुई है। यहाँ के लोग मानते हैं कि यदि इसे खड़ा कर दिया तो बहुत बड़ा अपशकुन हो सकता है। लोगों का तो ये भी मानना है कि जब भी किसी ने ऐसा करने का प्रयास किया है, तो क्षेत्र-वासियों को कईअप्रिय घटनाओं का सामना करना पड़ा है। दशहरा पर्व पर जब पूरा देश भगवान राम की आराधना में होता है, उस वक़्त इस मंदिर में रावण की प्रार्थना और ‘रावण बाबा नमः’ के जयकारों की गूंज ही सुनाई देती है। 

  1. हिमाचल प्रदेश का बैजनाथ मंदिर

हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा शहर से लगभग 60 किलोमीटर दूर बैजनाथ शहर स्थित है जहाँ  के लोग अपनी प्रथा के अनुसार दशहरा का पर्व न मनाकर भगवान शिव के प्रति रावण की भक्ति का सम्मान करते हैं। बैजनाथ शहर समुद्र तट से करीब 4,311 फीट की ऊचाई पर हिमालय की सुंदर धौलाधार पर्वत श्रृंखला के बीच में स्थित है। यह जगह भगवान शिव के एक प्राचीन मंदिर के लिए बहुत प्रसिद्ध है। माना जाता है कि शिव जी के इस मंदिर का निर्माण 13 वीं शताब्दी में किया गया था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, रावण ब्रह्मांड के निर्माता भगवान ब्रह्मा के पौत्र और ऋषि विश्रवा के पुत्र तथा धन के देवता कुबेर के सौतेले भाई थे। इसके साथ ही यहाँ के लोग रावण की शक्ति, उसके ज्ञान, उसकी कला और भगवान शिव के प्रति उसकी भक्ति का सम्मान करते हैं। इसलिए उनका कहना हैं कि ऐसे विद्वान राजा व शिव भक्त को जलाना उचित नहीं है। बल्कि ऐसा करने से महादेव का अपमान भी होता है।  

  1. कानपुर का दशानन रावण मंदिर 

यूपी के कानपुर स्थित दशानन मंदिर में हर साल हजारों लोग रावण की पूजा करने देश-विदेश से आते हैं। रावण का यह विख्यात मंदिर शहर के शिवाला क्षेत्र में स्थित एक अन्य शिव मंदिर से सटा हुआ है, जिसकी आधारशिला साल 1868 में रखी गई थी। इस मंदिर की सबसे अलग बात ये है कि ये रावण मंदिर सालभर में केवल एक बार दशहरे के दिन ही खुलता है। इस दौरान रावण को उच्च विद्वान पंडित मानने वाले लोग उसके ज्ञान और शिव भक्ति से प्रभावित होकर इस मंदिर में दर्शन और पूजन करने आते हैं। रामायण अनुसार स्वयं भगवान श्रीराम रावण को विद्वान व ज्ञानी पंडित मानते थे, तभी उन्होंने यज्ञ में महा ब्राह्मण के लिए रावण को न्यौता दिया था।

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  1. मध्यप्रदेश का विख्यात रावण रूंडी 

एमपी के मंदसौर जिले में रावण रूंडी और शाजापुर जिले के भदखेड़ी में भी लोग रावण की पूजा-अर्चना करते हैं। यहाँ का नामदेव वैष्णव समाज खासतौर पर दशहरे के दिन रावण की पूजा करता है। यहाँ आपको रावण की 35 फुट ऊंची 10 सिर वाली प्रतिमा के दर्शन करने को मिलते हैं, जिसे हाल ही में 2005 में स्थापित किया गया है। इससे पहले यहाँ चूने और ईंट से बनी रावण की 25 फीट ऊंची मूर्ति थी, जो समय के साथ खंडित हो गई। चूँकि ये स्थान रावण की पत्नी मंदोदरी का जन्मस्थान माना जाता है, इसलिए रावण को उस क्षेत्र के लोग बतौर दामाद पूजते हैं। दशहरे के दिन यहाँ रावण दहन की प्रक्रिया नहीं की जाती, बल्कि दशहरा पर हर साल इस मूर्ति का अभिषेक व पूजन किया जाता है। माना जाता है कि रावण का ससुराल होने के कारण यहाँ की महिलाएं मंदिर से निकलते वक़्त रावण की प्रतिमा से घूंघट करती हैं, क्योंकि इस गांव में आज भी दामाद से परदा रखने का प्रचलन है। 

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