सातवें भाव में केतु का प्रभाव और सटीक उपाय

ज्योतिष में सभी नौ ग्रहों में केतु ग्रह को छाया ग्रह का दर्जा प्राप्त है, मतलब ये ग्रह जिसके साथ मिल जाते हैं उसी के अनुसार फल देते है, वैसे तो ज्योतिष में केतु को अशुभ ग्रह माना जाता है, लेकिन ये ग्रह मनुष्य के जीवन पर अच्छे और बुरे दोनों तरह के प्रभाव डालता है, ऐसा नहीं है कि केतु ग्रह हमेशा बुरे फल देने वाला होता है, ये ग्रह शुभ फलों की भी प्राप्ति कराता है। यह ग्रह वैराग्य, मोक्ष, तांत्रिक और आध्यात्म आदि का कारक है , धनु केतु की उच्च राशि मानी जाती है। कुंडली के बारह भावों पर केतु का अलग-अलग तरीके से प्रभाव पड़ता है, तो आइए इस लेख में बताते है, सप्तम भाव पर केतु का प्रभाव और उसके दुष्प्रभाव से बचने के उपाय ।

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सातवें भाव में स्थित केतु का असर 

वैदिक ज्योतिष के अनुसार केतु को धन से जुड़े मामलों के लिए एक हद तक अच्छा माना गया है, यदि आपके सातवें भाव में केतु ग्रह विराजमान है तो आपको धन से जुड़े लाभ मिल सकते हैं, साथ ही पुराना उधार दिया हुआ पैसा भी वापस मिल सकता है । हालांकि ज्यादातर मामलों में केतु की यह स्थिति अशुभफल देने वाली मानी गई है, वैदिक ज्योतिष के अनुसार केतु जातक को मंद बुद्धि और मूर्ख बनाता है। जातक के सोचने-समझने की शक्ति को नष्ट कर देता है, जिसके बाद मनुष्य अपने जीवन में हो रही गलत परिस्थितियों को भी सही समझने लगता है। जातक केतु ग्रह के प्रभाव के बाद अपनी ग़लतियों को नज़रअंदाज़ कर दूसरों में ग़लतियां निकालने का काम करने लगता है। सातवें भाव में केतु ग्रह के प्रभाव से शादी-शुदा जातकों के जीवन में परेशानियां भी आती है, और उनका वैवाहिक जीवन प्रभावित होता है। मित्रों की तरफ से भी कष्ट मिलता है, और यात्रा भी कष्टकारी और असफल हो जाती है। यात्रा पर बेवजह का खर्च भी होता है और आर्थिक हालात पर भी असर पड़ता है। सातवें भाव में केतु ग्रह के प्रभाव से आपके जीवन में शत्रुओं का भय बना रहता है, शत्रुओं की तरफ से धन हानि भी होती है। 

वैदिक ज्योतिष में सभी ग्रहों के कभी ना कभी होने वाले दुष्प्रभाव से बचने के लिए कुछ ना कुछ उपाय बताए गए है, ठीक उसी प्रकार छाया ग्रह केतु के दुष्प्रभाव से बचने के लिए नीचे आपको कुछ उपाय भी बताए जा रहे हैं, जिनकी मदद से आप केतु ग्रह से होने वाले दुष्प्रभाव से आसानी से बच सकते हैं । 

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     केतु ग्रह के दुष्प्रभाव से बचाव के उपाय 

  • प्रतिदिन सुबह गणपति जी की पूजा करें । 
  • श्री गणपति अर्थशीर्ष का जाप करना भी लाभकारी होगा ।
  • चटक रंगों का प्रयोग ना करें, जैसे ग्रे, भूरा आदि ।
  • संभव हो तो रोज़ाना कुत्तों को रोटी खिलाएं और उनकी सेवा करें । 
  • परिवार के छोटे लड़कों के साथ मधुर संबंध रखें ।
  • केतु के दुष्प्रभाव से बचने के लिए केला, तिल का बीज, काला कंबल और लहसुनिया रत्न दान करें ।
  • केतु ग्रह के दुष्प्रभाव से बचने के लिए 9 मुखी रुद्राक्ष धारण करें ।

वैदिक ज्योतिष में छाया ग्रह केतु के दुष्प्रभाव से बचने के लिए ऊपर बताए गए इन उपायों का विशेष महत्व है । केतु ग्रह का कोई भौतिक स्वरुप नहीं है, इसलिए वैदिक ज्योतिष में इस ग्रह को छाया ग्रह का दर्जा दिया गया है, और इसके दुष्प्रभाव के कारण ही इसे पापी ग्रह और अशुभ ग्रह की श्रेणी में रखा गया है। हालांकि ऐसा नहीं है कि केतु ग्रह के प्रभाव से जातक को केवल परेशानियों का ही सामना करना पड़ता है, बल्कि जातकों को इसके प्रभाव से मोक्ष भी प्राप्त होता है ।
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