करवा चौथ 2025 का पर्व सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास माना जाता है। यह व्रत केवल एक धार्मिक परंपरा ही नहीं बल्कि पति-पत्नी के बीच प्रेम, विश्वास और समर्पण का प्रतीक भी है।

इस दिन विवाहित महिलाएं सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जला उपवास करती हैं और रात को चंद्रमा को अर्घ्य देकर अपने पति की लंबी आयु, अच्छे स्वास्थ्य और वैवाहिक जीवन की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हर राशि की अलग प्रकृति और ग्रहों का प्रभाव होता है। ऐसे में यदि करवा चौथ के दिन महिलाएं अपनी राशि अनुसार कुछ खास उपाय करें, तो न सिर्फ उनका व्रत अधिक फलदायी होता है बल्कि पति के जीवन में आयु, समृद्धि और सफलता का आशीर्वाद भी बढ़ता है।
इन उपायों को अपनाने से वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है और रिश्तों में मजबूती भी बनी रहती है। तो आइए आगे बढ़ते हैं और एक नज़र डालते हैं इस ख़ास ब्लॉग की तरफ।
करवा चौथ 2025: तिथि व मुहूर्त
हिन्दू पंचांग के अनुसार, कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी यानी कि चौथे दिन करवा चौथ व्रत रखा जाता है। इस वर्ष यह तिथि 10 अक्टूबर, 2025 शुक्रवार को पड़ रही है।
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ : 09 अक्टूबर 2025 की रात 10 बजकर 56 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त : 10 अक्टूबर 2025 की रात 07 बजकर 40 मिनट तक
करवा चौथ पूजा मुहूर्त : 10 अक्टूबर 2025 की शाम 05 बजकर 57 मिनट से 07 बजकर 07 मिनट तक
अवधि :1 घंटे 9 मिनट
करवा चौथ चंद्रोदय समय : 08 बजकर 12 मिनट
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अब बात करते हैं कि जो महिलाएं पहली बार करवा चौथ का व्रत करने जा रही हैं, उन्हें किन-किन चीज़ों का ध्यान रखना चाहिए।
करवा चौथ 2025 का महत्व
करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण व्रतों में एक माना जाता है। यह व्रत न सिर्फ पति की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए किया जाता है, बल्कि यह पति-पत्नी के बीच प्रेम, विश्वास और निष्ठा को और गहरा बनाने का प्रतीक भी है।
हिंदू धर्म में करवा चौथ को सौभाग्य का पर्व कहा गया है। इस दिन विवाहित महिलाएं सुबह से लेकर चांद निकलने तक बिना पानी पिए उपवास रखती हैं। रात को जब चंद्रमा उदित होता है, तब महिलाएं छलनी से अपने पति का मुख देखकर और उन्हें जल पिलाकर अपना व्रत पूर्ण करती हैं।
इस प्रक्रिया को अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। करवा चौथ का नाम दो शब्दों से मिलकर बना है- करवा जिसका अर्थ है मिट्टी का छोटा घड़ा और चौथ यानी चंद्रमा का चौथा दिन। इस दिन करवा का विशेष महत्व होता है, जिसमें जल भरकर पूजा की जाती है और इसे आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, करवा चौथ का दिन चंद्रमा और मंगल ग्रह की पूजा के लिए विशेष होता है। चंद्रमा को सौम्यता और भावनाओं का कारक माना गया है, जबकि मंगल को पति और दीर्घायु और सौभाग्य का प्रतीक। इस दिन इन दोनों ग्रहों की पूजा से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है और दांपत्य संबंध मजबूत बनते हैं।
आध्यात्मिक दृष्टि से भी करवा चौथ का व्रत आत्म संयम, धैर्य और श्रद्धा का प्रतीक है। यह व्रत केवल महिलाओं तक सीमित नहीं, बल्कि कई जगहों पर पुरुष भी अपनी पत्नी के के साथ उपवास करते हैं ताकि उनके रिश्ते में समानता और प्रेम का संदेश स्थापित हो सके।
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करवा चौथ 2025 पर करवा का महत्व
करवा चौथ का व्रत केवल निर्जला उपवास का ही नहीं बल्कि परंपराओं और प्रतीकों का व्रत है। इन प्रतीकों में सबसे खास है करवा, जो मिट्टी, पीतल या स्टील का घड़ा होता है। पूजा में इस्तेमाल होने वाले इस करवे का महत्व बेहद गहरा है। करवे को जल से भरकर पूजा में रखा जाता है। इसे सौभाग्य, समृद्धि और वैवाहिक जीवन की स्थिरता का प्रतीक माना जाता है। जल से भरा करवा जीवन में ऊर्जा, शांति और स्थायित्व का संकेत देता है। महिलाएं करवे में दीपक जलाती हैं और भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी तथा चंद्रमा की पूजा करती हैं।
करवा का एक और महत्व यह है कि रिश्तों की मजबूती का प्रतीक है। करवा चौथ की पूजा में महिलाएं एक-दूसरे को करवा देकर श्रृंगार और मिठाई बांटती हैं। इसे “करवा दान” कहा जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से आपसी संबंध मजबूत होते हैं और समाज में प्रेम व भाईचारा बढ़ता है। इसके अलावा करवा को संपन्नता और अखंड सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है।
जब महिला चंद्रमा को अर्घ्य देती है, तो करवे का जल उपयोग में लाती है। यह प्रक्रिया दर्शाती है कि जीवन में जल की तरह ही पवित्रता, प्रवाह और संतुलन हमेशा बना रहना चाहिए।
करवा चौथ 2025 की पूजा विधि
- सूर्योदय से पहले सास द्वारा दी गई सर्गी (फलों, मिठाई और पकवान) का सेवन करें।
- स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें कि आप पूरे दिन निर्जला उपवास करेंगे।
- करवा चौथ की सामग्री तैयार करें जैसे- करवा (मिट्टी या पीतल का छोटा घड़ा) धूप, फूल, चंदन, मिठाई, फल और सूखा मेवा, छलनी और रोली, कुमकुम, अक्षत भगवान शिव, पार्वती, गणेश और कार्तिकेय की प्रतिमा/चित्र।
- शाम के समय महिलाएं सोलह श्रृंगार कर लाल या पीले वस्त्र धारण करती है।
- पूजा स्थल को साफ करके चौकी पर भगवान शिव-पार्वती, गणेश जी और कार्तिकेय की प्रतिमा स्थापित करें।
- चौकी पर करवा रखें, उसमें जल भरें और उसके ऊपर रोली, अक्षत व फूल अर्पित करें।
- सभी सुहागिन महिलाएं एकत्र होकर करवा चौथ की कथा सुनें और आरती करें।
- कथा के बाद करवा में दीपक जलाकर भगवान से पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य की प्रार्थना करें।
- चांद निकलने के बाद महिलाएं छलनी में से चंद्रमा को देखें।
- पहले चंद्रमा को अर्घ्य दें और प्रार्थना करें। फिर छलनी से अपने पति का मुख देखें।
- पति अपनी पत्नी को जल पिलाकर और मिठाई खिलाकर व्रत का समापन कराते हैं।
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करवा चौथ की व्रत कथा
करवा चौथ की कथा हर साल सुहागिनें बड़े श्रद्धा भाव से सुनती और सुनाती हैं। मान्यता है कि इस कथा के बिना व्रत अधूरा रहता है। बहुत समय पहले एक साहूकार की सात बेटियां और एक बेटा था। सभी बेटियों ने करवा चौथ का व्रत रखा। दिन भर बिना भोजन और जल पिए भगवान से अपने पतियों की लंबी उम्र की प्रार्थना की। शाम होते-होते सबसे छोटी बेटी भूख प्यास से बहुत कमजोर हो गई। यह देखकर उसका भाई उसे बहलाने लगा और बोला कि चांदी निकल आया है, अब तुम व्रत तोड़ दो। छोटी बहन ने आसमान की ओर देखा तो उसे चांद दिखाई नहीं दिया।
तब उसके भाई ने पेड़ पर चढ़कर एक दीपक जलाया और छलनी जैसी रोशनी दिखा दी। बहन ने सोचा कि चांदी निकल आया है। उसने जल्दी से अपने पति का मुख देखकर व्रत खोल लिया। लेकिन जैसे ही उसने व्रत खोला, उसके पति की तबीयत अचानक बिगड़ गई और वह गंभीर रूप से बीमार हो गया। यह देखकर छोटी बहन बहुत पछताई और समझ गई कि उसने समय से पहले व्रत तोड़कर गलती की है। वह रातभर रोती रही और भगवान से क्षमा मांगती रही।
अगले वर्ष जब करवा चौथ आया तो उसने पूरे नियम-विधान और सच्चे मन से व्रत किया। उसकी भक्ति और निष्ठा से उसका पति फिर से स्वस्थ हो गया और उसे लंबी आयु प्राप्त हुई। इस कथा से यही शिक्षा मिलती है कि करवा चौथ का व्रत पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ करना चाहिए।
यह व्रत पति की दीर्घायु और दांपत्य जीवन की खुशहाली के लिए बेहद शुभ माना जाता है। श्रद्धापूर्वक किए गए इस व्रत से न केवल पति की आयु लंबी होती है, बल्कि दांपत्य जीवन में प्रेम, विश्वास और सुख-समृद्धि भी बनी रहती है।
करवा चौथ 2025 में इन नियमों का पालन जरूर करें
सोलह श्रृंगार का महत्व
करवा चौथ का व्रत केवल उपवास का ही नहीं, बल्कि सुहागिन महिलाओं के श्रृंगार का भी विशेष दिन माना जाता है। इस दिन सोलह श्रृंगार करना बेहद शुभ होता है। खासकर हाथों में मेहंदी लगाना और पूरे श्रृंगार से सजना, चौथ माता को प्रसन्न करता है। मान्यता है कि इससे महिलाओं को अखंड सौभाग्य और पति की लंबी उम्र का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
करवा चौथ 2025 पर लाल परिधान पहनना
करवा चौथ पर लाल रंग को विशेष रूप से शुभ माना गया है। जो महिलाएं पहली बार यह व्रत कर रही होती हैं, उनके लिए शादी का जोड़ा पहनना श्रेष्ठ माना गया है। हालांकि अन्य लाल रंग की साड़ी या ड्रेस भी धारण की जा सकती है। इस दिन भूलकर भी काले, भूरे या सफेद रंग के वस्त्र पहनने से बचना चाहिए, क्योंकि यह रंग अशुभ माने जाते हैं।
बाया की परंपरा
करवा चौथ व्रत की शुरुआत करने वाली महिलाओं के लिए मायके से बाया भेजने की परंपरा है। बाया में कपड़े, मिठाई, फल और पूजा से जुड़ी सामग्री शामिल होती है। इसे पूजा से पहले बहू के ससुराल में पहुंचना अनिवार्य होता है। यह परंपरा करवा चौथ की पूजा को पूर्णता प्रदान करती है।
करवा चौथ 2025 पर व्रत पारण की विधि
पूजा, चांद को अर्घ्य देने और पति का मुख देखने के बाद व्रत पारण किया जाता है। व्रत पारण पति के हाथ से जल ग्रहण करके किया जाता है। इसके बाद प्रसाद खाया जाता है और रात में केवल सात्विक भोजन किया जाता है। इस दिन प्याज, लहसुन और किसी भी तामसिक भोजन का सेवन वर्जित माना गया है।
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करवा चौथ 2025 के दिन राशि अनुसार करें उपाय
मेष राशि
मेष राशि के जातकों को इस दिन लाल चुनरी माता पार्वती को अर्पित करना चाहिए और साथ ही ॐ पार्वत्यै नमः मंत्र का जाप करना चाहिए। ऐसा करने से पति की सेहत और आयु लंबी होती है।
वृषभ राशि
सफेद चूड़ियां पहनें और चंद्रमा को कच्चे दूध से अर्घ्य दें। दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ेगा।
मिथुन राशि
हरे रंग की चूड़ियां और मेहंदी का प्रयोग करें। चंद्रमा को अर्घ्य देते समय मिश्री डालें, वैवाहिक जीवन में मिठास आएगी।
कर्क राशि
चांदी के करवे में जल भरकर पूजा करें और चंद्रमा को अर्घ्य दें। परिवार में सुख शांति बनी रहेगी।
सिंह राशि
इस दिन सोने या पीले रंग के वस्त्र पहनें। पूजा में हल्दी और गुड़ का भोग लगाएँ। पति का भाग्य मजबूत होगा।
कन्या राशि
हरे वस्त्र धारण करें और तुलसी के पौधे के पास दीपक जलाएं। वैवाहिक जीवन में स्थिरता आएगी।
तुला राशि
इस दिन लाल और गुलाबी रंग के वस्त्र पहनें। चंद्रमा को अर्घ्य में गुलाब की पंखुड़ियां डालें, दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ेगा।
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वृश्चिक राशि
करवा चौथ की पूजा में लाल सिंदूर और अनार अर्पित करें। पति की सेहत और रिश्ते में मजबूती आएगी।
धनु राशि
पीले वस्त्र पहनें और पूजा में केले और हल्दी का प्रयोग करें। सौभाग्य और खुशहाली प्राप्त होगी।
मकर राशि
काले रंग से परहेज करें और सफेद या क्रीम रंग के कपड़े पहनें। पूजा में सफेद मिठाई का भोग लगाएं।
कुंभ राशि
नीले रंग के वस्त्र पहनें। पूजा के समय शहद का भोग लगाएं और पति को दें, संबंधों में मधुरता आएगी।
मीन राशि
इस दिन पीले या लाल रंग के कपड़े पहनें। चंद्रमा को अर्घ्य देते समय केसर मिलाएं। दांपत्य जीवन में समृद्धि आएगी।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
करवा चौथ का व्रत वर्ष 2025 में शुक्रवार, 10 अक्टूबर को रखा जाएगा। इस दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला उपवास रखकर पति की लंबी आयु की कामना करेंगी।
करवा चौथ का व्रत मुख्य रूप से विवाहित महिलाएं रखती हैं। हालांकि कई जगह अविवाहित लड़कियां भी अच्छे पति की प्राप्ति के लिए यह व्रत करती हैं।
परंपरा के अनुसार यह व्रत निर्जला रखा जाता है यानी न तो भोजन किया जाता है और न ही जल ग्रहण किया जाता है। हालांकि, स्वास्थ्य कारणों से कुछ महिलाएं डॉक्टर की सलाह पर फलाहार कर सकती हैं।