इस दिन मनाया जाएगा साल का दूसरा ‘वट सावित्री व्रत’, जान लें महत्व और उपाय

ज्येष्ठ माह हिंदू कैलेंडर का एक ऐसा माह होता है जिसमें आने वाली एकादशी तिथि, पूर्णिमा तिथि, अमावस्या तिथि, का अन्य सभी एकादशी, पूर्णिमा, और अमावस्या तिथि की तुलना में ज्यादा महत्व बताया गया है। ऐसे में धार्मिक दृष्टि से भी बात करें तो शरद पूर्णिमा के बाद ज्येष्ठ पूर्णिमा सबसे खास मानी जाती है। इस वर्ष ज्येष्ठ पूर्णिमा 14 जून, 2022 मंगलवार के दिन पड़ रही है। इस दिन गंगा स्नान करने से, पूजा पाठ करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

अपने इस विशेष ब्लॉग में हम आपको पूर्णिमा व्रत मुहूर्त के साथ-साथ ज्येष्ठ पूर्णिमा महत्व और साथ ही इस दौरान किए जाने वाले कर्मकांड और अन्य महत्वपूर्ण बातों की जानकारी प्रदान कर रहे हैं। तो आइए आगे बढ़ते हैं सबसे पहले जान लेते हैं इस वर्ष ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है।

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ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत 2022

 पूर्णिमा आरम्भ: जून 13, 2022 को 21:04:02 से

 पूर्णिमा समाप्त: जून 14, 2022 को 17:22:31 पर

जानकारी के लिए बता दें कि, ऊपर दिया गया मुहूर्त केवल नई दिल्ली के लिए मान्य है। आप अपने शहर के अनुसार इस दिन का शुभ मुहूर्त जान सकते हैं। उसके लिए यहां क्लिक करें

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ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत महत्व

ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। माना जाता है कि पूर्णिमा तिथि के दिन ही सावित्री के पति सत्यवान को वटवृक्ष के नीचे जीवनदान मिला था। इस दिन स्नान, ध्यान, पुण्य कर्म, का विशेष महत्व बताया जाता है। इसके अलावा जिन युवक और युवतियों का विवाह होते-होते रुक जाता है या उसमें किसी प्रकार की परेशानी और बाधा आ रही होती है उनके लिए ज्येष्ठ पूर्णिमा का व्रत विशेष फलदाई माना गया है।

ऐसे लोगों को इस दिन सुबह जल्दी उठकर श्वेत वस्त्र धारण करके शिव भगवान का अभिषेक करने, उनकी पूजा करने, की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से विवाह के रास्ते में आ रही सभी प्रकार की अड़चन दूर होती है।

ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन पूर्णिमा व्रत के साथ-साथ वट पूर्णिमा व्रत, और कबीर दास जयंती का भी संयोग बनता है। इसके अलावा यहां यह भी जानने वाली बात है कि यह तिथि ज्येष्ठ माह की अंतिम तिथि होती है। इसके बाद आषाढ़ माह प्रारंभ हो जाता है।

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ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन वट पूर्णिमा व्रत क्यों मनाया जाता है? यह व्रत वट सावित्री व्रत के समान ही माना गया है। इस दिन भी सुहागिन महिलाएं अपने सुहाग की लंबी और निरोगी जीवन के लिए व्रत रखती हैं। मुख्य तौर पर बात करें तो गुजरात, महाराष्ट्र, और दक्षिण भारत में ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन वट पूर्णिमा व्रत किया जाता है, वहीं उत्तर भारत में यह व्रत अमावस्या तिथि के दिन किया जाता है। 

ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत उपाय

  • मान्यता के अनुसार ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत के दिन पीपल के पेड़ पर स्वयं भगवान विष्णु, महालक्ष्मी के साथ वास करते हैं। ऐसे में यदि इस दिन आप एक लोटे में जल भरकर इसमें कच्चा दूध और बताशा डालकर पीपल के पेड़ को अर्पित करते हैं तो इससे रुके हुए धन की प्राप्ति होती है, नौकरी में सफलता मिलती है, और बिजनेस में लाभ होता है। 
  • इसके अलावा वैवाहिक जीवन में परेशानियां आ रही हो तो इस दिन जीवन साथी के साथ चंद्र देव को दूध का अर्घ्य दें। अगर दोनों साथ में नहीं भी रहते हैं तो इनमें से कोई भी एक यह उपाय कर सकता है। 
  • अपना भाग्य चमकाने के लिए इस दिन रात के समय कुएं में एक चम्मच दूध डाल दें। ऐसा करने से आपका भाग्य उदय होता है। साथ ही यदि आपके काम में कोई बाधा आ रही हो तो वह भी दूर होती है। 
  • कुंडली से ग्रह दोष दूर करने के लिए पीपल और नीम त्रिवेणी के नीचे विष्णु सहस्त्रनाम या शिवाष्टक का पाठ करें। इस बेहद शुभ माना गया है। 
  • इस दिन माँ लक्ष्मी की तस्वीर पर 11 कौड़ियाँ चढ़ाएं और उनपर हल्दी का तिलक लगाएं। अगले दिन उन्हें लाल कपड़े में बांधकर तिजोरी में रखने से आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। 
  • चूंकि इस दिन का महत्व वट पूर्णिमा व्रत से जोड़कर देखा जाता है ऐसे में इस दिन वटवृक्ष के नीचे बैठकर पूजा अवश्य करें और सावित्री की कथा अवश्य सुनें। इसके बाद अपनी क्षमता अनुसार दान करें और अपने पति की लंबी आयु की कामना करें।

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वट पूर्णिमा व्रत:: राशि अनुसार क्या करें दान?

  • मेष राशि: इस दिन तांबे के बर्तन में जल भरकर दान करें। 
  • वृषभ राशि: स्टील की बाल्टी में जल भरकर दान करें और श्री सूक्त का पाठ करें। 
  • मिथुन राशि: इस दिन भगवान गणेश की पूजा करें और मिट्टी के घड़े में जल भरकर दान करें। 
  • कर्क राशि: इस दिन भगवान शिव की पूजा करें और चांदी के गिलास में जल दान करें। 
  • सिंह राशि: गायत्री मंत्र का जप करें और तांबे के बर्तन में जल भरकर उसका दान करें। 
  • कन्या राशि: भगवान विष्णु की पूजा करें और मिट्टी के घड़े में जल भरकर का दान करें। 
  • तुला राशि: श्री सूक्त का पाठ करें। स्टील के बर्तन में जल भरकर जलदान करें। 
  • वृश्चिक राशि: तांबे के बर्तन में जल दान करें और हनुमान भगवान की पूजा करें। 
  • धनु राशि: जरूरतमंदों को तांबे के बर्तन में जल दान करें और आप चाहें तो धार्मिक पुस्तकों का दान भी कर सकते हैं। 
  • मकर राशि: भगवान विष्णु की पूजा करें और लोहे की बाल्टी में जल का दान करें। 
  • कुंभ राशि: सुंदरकांड का पाठ करें और लोहे की बाल्टी में जल दान करें। 
  • मीन राशि: विष्णु भगवान की पूजा करें और तांबे के बर्तन में जल का दान करें।

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