सफल करियर के लिए इन उपायों से बृहस्पति की स्थिति को करें मज़बूत

ज्योतिष में, बृहस्पति ग्रह की स्थिति को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। बृहस्पति ग्रह सभी ग्रहों में सबसे अधिक भारी और भीमकाय है। इंसान की कुंडली में बृहस्पति ग्रह की स्थिति पेशेवर जीवन को प्रभावित करने के लिए जानी जाती है। अगर ग्रहों के प्रभाव का अपने जीवन पर असर जानने के लिए आपके मन में कोई भी सवाल है, या किसी परेशानी का हल नहीं मिल रहा है तो अभी देश के जाने-माने ज्योतिषियों से प्रश्न पूछें और अपनी समस्या का हल जानें।  

ज्योतिष शास्त्र के आधार पर बृहस्पति का वर्ण पीला, परंतु नेत्र और सिर के केश कुछ भूरापन लिए हुए होते हैं। यह समस्त ग्रहों में सर्वाधिक बलशाली एवं अत्यंत शुभ माना जाता है। इसकी वृत्ति कोमल होती है और यह संपत्ति तथा ज्ञान का प्रदाता और मानवों का कल्याण करने वाला माना गया है। इसे देवताओं का गुरु भी माना गया है। यह न्याय, धर्म एवं नीति का प्रतीक, महान पंडित, वृहत् उदर, गौर वर्ण और स्थूल शरीर वाला, चतुर, सत्व गुण प्रधान, परमार्थी, ब्राह्मण जाति, आकाश तत्व वाला द्विपद ग्रह है। 

अपनी कुंडली में बृहस्पति की स्थिति और प्रभाव जानने के लिए अभी बनाएं अपनी मुफ्त कुंडली 

बृहस्पति ग्रह प्रत्येक राशि के पारगमन के लिए लगभग 13 महीनों का समय लेता है। इसके अलावा, बृहस्पति ग्रह धनु एवं मीन में स्वगृही होता है। साथ ही, गुरू को कर्क में उच्च का जबकि मकर में नीच का माना जाता है। पौराणिक शास्त्रों एवं वैदिक ज्योतिष के मुताबिक सूर्य, मंगल एवं चंद्रमा इनके मित्र ग्रह माने जाते हैं जबकि बुध एवं शुक्र दुश्मन ग्रह हैं। हालांकि, शनि के साथ गुरू के संबंध तटस्थ हैं। बृहस्पति ग्रह के बारे सभी महत्वपूर्ण जानकारी जानने के बाद आइये अब जानते हैं कि यह ग्रह हमारे करियर और पेशेवर जीवन को कैसे प्रभावित करता है।

प्रथम भाव में बृहस्पति ग्रह का फल

जिस जातक के पहले भाव में गुरु (बृहस्पति) होता है, ऐसा जातक अमीर बनता है। ऐसा जातक अपने स्वयं के प्रयासों से अच्छा व्यापारी व सरकारी तंत्र के सहयोग से बड़ी तरक्की प्राप्त करता है। ऐसा जातक अपने ज्ञान के बल से सामाजिक कार्य कर अपनी आजीविका प्राप्त करता है। अगर आप भी जानना चाहते हैं कि किस करियर विकल्प से आप जीवन में सुख-समृद्धि के साथ सफलता को प्राप्त कर सकते हैं, तो कॉग्निएस्ट्रो की प्रोफेशनल रिपोर्ट आपके लिए विस्तृत रूप में बेहतरीन करियर अवसरों के बारे में आपको जानकारी देती है।

द्वितीय भाव में बृहस्पति ग्रह का फल

अगर कुंडली के दूसरे भाव में गुरु हो तो जातक कवि होता है। उसमें राज्य संचालन करने की शक्ति हो‍ती है। ऐसा जातक सोने के आभूषणों के व्यापार में संलग्न होता है और विदेश से जुड़े कार्य को भी करता है। वकालत तथा जज अथवा कानूनी काम में सफलता प्राप्त करता है। इसके अतिरिक्त, यह आपको एक कुशल प्रशासनिक अधिकारी भी बनता है। 

तृतीय भाव में बृहस्पति ग्रह का फल

तृतीय भाव में बैठ गुरु ग्रह जातक परिश्रम के बल पर ही अपने भाग्य का निर्माण करता है। ऐसा करने से उनके अपने कार्यो से लाभ तथा कार्य में बढ़ोतरी होती है। इस स्थान में स्थित गुरु से जातक के लिए सर्वोत्तम व्यवसाय अध्यापन का हो सकता है व जातक सरकार के द्वारा मान सम्मान प्राप्त करते हैं और सरकार के अधीन काम करने वाले होते हैं। आपको अपने बुद्धि विवेक के कारण लेखन से लाभ की प्राप्ति होगी। 

कार्यक्षेत्र से जुड़ा कोई भी निर्णय लेने के लिए आप कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट की मदद भी ले सकते हैं। 

चतुर्थ भाव में बृहस्पति ग्रह का फल

कुंडली के चौथे भाव में गुरु हो तो व्यक्ति लेखक, प्रवासी, योगी, आस्तिक, कामी, पर्यटनशील तथा विदेश से जुड़े कार्य करता है। चौथे घर में बृहस्पति बहुत अच्छे परिणाम देता है। ऐसा जातक पैसा, धन, और बहुत सम्पत्ति के साथ साथ सरकारी क्षेत्रों से जुड़ कर समृद्धि और धन में वृद्धि कर अपनी आजीविका प्राप्त करता है। राजनीतिक क्षेत्र में हों तो एक उच्च पद प्राप्त करता है। अगर आप अपने बच्चे के भविष्य से जुड़ी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं कि उसे 10वीं के बोर्ड एग्जाम के बाद कौन सी स्ट्रीम का चयन करना चाहिए, जिससे भविष्य में उसे लाभ मिले, तो कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट इसमें आपकी मदद करती है।

पंचम भाव में बृहस्पति ग्रह का फल

पंचम भाव में स्थित गुरु ग्रह के होने से जातक उत्तम वक्ता, धारा प्रवाह बोलने (मीडिया) वाले और कुशल व्याख्याता बनता है। ऐसे जातक  उत्तम लेखक या ग्रंथकार होते हैं। अक्सर ऐसे जातक मीडिया से जुड़े कार्य को कर अपने जीवन की सुख समृद्धि को प्राप्त कर अपना जीवन यापन करते हैं और सदैव समाज  से जुड़े कार्य को समाज के बीच में घुल मिल कर कार्य करके तरक्की प्राप्त करते हैं।  

षष्ठम भाव में बृहस्पति ग्रह का फल

यदि जातक की कुंडली के छठे भाव में गुरु हो तो ऐसा जातक अक्सर कर्ज  से युक्त रहता है। ऐसा जातक अपने ननिहाल पक्ष से जुड़ कर नये व्यापार  की योजना बनाकर सफलता प्राप्त करता है। साथ ही वकालत के क्षेत्र  में उन्नति कर एक अच्छा वकील बनता है। ऐसे जातकों को कानूनी काम करना चाहिए।

 बृहत् कुंडली : जानें ग्रहों का आपके जीवन पर प्रभाव और उपाय 

सप्तम भाव में बृहस्पति ग्रह का फल

अगर किसी जातक की कुंडली के सातवें भाव में गुरु हो तो जातक की बुद्धि श्रेष्ठ होती है। ऐसा व्यक्ति भाग्यवान, नम्र और धैर्यवान होता है। ऐसा जातक धार्मिक कार्यों में शामिल हो कर अपनी आजीविका प्राप्त करता है और विवाह के बाद सरकारी क्षेत्र से जुड़ कर सूचना विभाग में काम करता है या खुद के व्यापार को आगे बढ़ाता है और सामाजिक क्षेत्रों में अपना योगदान देता रहता है।

अष्टम भाव में बृहस्पति ग्रह का फल

अगर किसी जातक की कुंडली के अष्टम  भाव में गुरु हो तो जातक गुप्त कर्म की ओर अधिक आकर्षित होता है। उसके साथी भी ऐसे ही होते हैं। यहाँ पर स्थित गुरु के बारे में शोध भी किया है और उससे ज्ञात होता है कि जातक गुप्त कार्य अवश्य करता है। साथ ही  जातक चोरी, डकैती अथवा अन्य चोरी-छुपे करने वाले कार्य व गुप्त विद्या की ओर अग्रसर होता है। तंत्र सिद्धि जैसे कार्य करता है तथा सफल भी होता है। अगर अपने बच्चे की उच्च शिक्षा के बारे में मन में कोई भी संदेह या सवाल है, तो अभी आर्डर करें कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट और पाएं अपने हर सवाल का सटीक और विस्तृत जवाब।

नवम भाव में बृहस्पति ग्रह का फल

जातक के नौवें भाव में गुरु हो तो जातक उच्च पद की प्राप्ति करता है व  भाई-बंधुओं से स्नेह रखने वाला होता है तथा राज्य का प्रिय होता है। नौवां घर बृहस्पति से विशेष रूप से प्रभावित होता है, इसलिए इस भाव वाला जातक प्रसिद्ध होता है। जातक अपनी ज़ुबान का पक्का और एक  सच्चा ईमानदार अधिकारी  बनता है।

दशम भाव में बृहस्पति ग्रह का फल

जातक के दसवें भाव में हो तो जातक को भूमिपति एवं भवन प्रेमी बना देता है और ऐसा जातक भूमि से जुड़ा कार्य करता है तथा ऐसा व्यक्ति चित्र-कला में निपुण व अच्छे परिणाम का आनंद प्राप्त करता है। ग़रीबों की सेवा व इनके लिए NGO से जुड़ कर अपनी आजीविका के स्तोत्र को भी प्राप्त करता है। कॉग्निएस्ट्रो की करियर परामर्श रिपोर्ट (प्रोफेशनल) से अपनी कुंडली के आधार पर जानें आपके व्यक्तित्व के अनुसार आपके लिये सर्वश्रेष्ठ करियर और नौकरी विकल्प 

एकादश भाव में बृहस्पति ग्रह का फल

कुंडली के ग्यारहवें भाव में गुरु हो तो जातक ऐश्वर्यवान, पिता के व्यापार  को बढ़ाने वाला और नये व्यापार की  योजना बनाने वाला तथा धार्मिक कार्यों से जुड़ कर आमदनी के स्तोत्र को बढ़ाता है। ऐसा व्यक्ति किसी समझदार व ज्ञानी के साथ मिल कर अपना कार्य  करता है

द्वादश भाव में बृहस्पति ग्रह का फल

द्वादश भाव में गुरु के अशुभ फल ही मिलते हैं। वैसे भी यह व्यय भाव कहलाता है। इस भाव में गुरु के प्रभाव से जातक समाज में अपमानित होता है।  आलसी व  निम्न स्तर की नौकरी करने वाला होता है। गुरु ग्रह के अति शुभ  होने पर  शास्त्रज्ञ,  मितव्ययी, सम्पादन के क्षेत्र में विशेष सफलता प्राप्त करने वाला, परोपकारी होने के साथ दुष्ट प्रवृत्ति का तथा अत्यधिक लालची होता है।

राजयोग रिपोर्ट से पाएं अपनी कुंडली में बनने वाले राज योग की जानकारी

ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह का महत्व

वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति को गुरु की संज्ञा दी गयी है। यदि किसी जातक की कुंडली में गुरु मज़बूत स्थिति में हो तो इससे इंसान जीवन में प्रगति करता है, इन्सान को पेट से संबंधित परेशानियों से छुटकारा मिलता है। हालाँकि वहीं, अगर बृहस्पति कुंडली में पीड़ित अवस्था में मौजूद है तो इससे इंसान को अपने जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। पीड़ित गुरु शारीरिक कष्ट के साथ-साथ इंसान की नौकरी तथा विवाह आदि में भी परेशानी की वजह बनता है। इस स्थिति में व्यक्ति को बृहस्पति ग्रह की शांति के लिए कुछ बेहद ही सरल उपाय करने और मंत्रों का उच्चारण करने की सलाह बताई जाती है

बृहस्पति ग्रह शांति के उपाय

  • भगवान शिव की पूजा करें। 
  • वामन देव की पूजा करें। 
  • शिव सहस्रनाम स्तोत्र का जाप करें।
  • श्रीमद् भागवत पुराण का पाठ करें।
  • झूठ बोलने से बचें।
  • जितना मुमकिन हो ज्ञान का वितरण करें।
  • अपने बड़े-बुजुर्गों, गुरुओं, और ब्राह्मणों का सम्मान करें। अपने पति का सम्मान करें।
  • बच्चों के साथ और अपने बड़े भाई के साथ अपने संबंध अच्छे रखें।
  • पीला, ऑफ-वाइट, और क्रीम कलर अपने जीवन में शामिल करें।
  • केसरिया रंग, हल्दी, चने की दाल, कच्चा नमक, शुद्ध घी, पीले फूल, पुखराज रत्न, और किताबों का दान करें। 
  • गुरुवार के दिन पूजा पाठ के बाद माथे पर केसर का तिलक लगाने से भी कुंडली में बृहस्पति की स्थिति मजबूत बनती है और जीवन सुखमय व्यतीत होता है। 
  • बृहस्पतिवार के दिन यदि आप व्रत रखते हैं तो इस दिन विशेष रूप से बृहस्पतेश्वर महादेव की पूजा भी करें।
  • कुंडली में गुरु की स्थिति मजबूत बनाने के लिए इस दिन मंदिर में चने की दाल और केसर का दान करना भी शुभ फलदायी माना जाता है।
बृहस्पति के लिए व्रत: इसके अलावा शादी में आ रही रुकावट या समस्या दूर करने के लिए, धन और विद्या की प्राप्ति के लिए गुरुवार के दिन उपवास रखना फलदायी साबित होता है। बृहस्पति के लिए रत्न: बृहस्पति ग्रह की शांति के लिए पुखराज रत्न धारण करना सर्वश्रेष्ठ बताया गया है।  बृहस्पति के लिए यंत्र: बृहस्पति के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए गुरु यंत्र को गुरुवार के दिन बृहस्पति की होरा एवं इसके नक्षत्र के समय धारण करें। बृहस्पति के लिए रुद्राक्ष: बृहस्पति ग्रह के शुभ प्रभाव के लिए पांच मुखी रुद्राक्ष पहनना शुभ माना जाता है।

बृहस्पति मंत्र

गुरु बीज मंत्र:

 “ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः”

गुरु की कृपा दृष्टि पाने के लिए आप इस मंत्र का भी जाप कर सकते हैं – 

ॐ बृं बृहस्पतये नमः”

गुरु का वैदिक मंत्र

“ॐ बृहस्पते अति यदर्यो अर्हाद् द्युमद्विभाति क्रतुमज्जनेषु।

यद्दीदयच्छवस ऋतप्रजात तदस्मासु द्रविणं धेहि चित्रम्।।”

गुरु का तांत्रिक मंत्र 

“ॐ बृं बृहस्पतये नमः”

बृहस्पति का बीज मंत्र 

“ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरुवे नमः”

इस प्रकार उपरोक्त विवेचन के आधार पर कहा जा सकता है कि गुरु ग्रह आपकी जीवनचर्या को किस प्रकार प्रभावित करता है। यह एक सामान्य फल है। विशेष अध्ययन के लिए देश, काल और पात्र का भी अध्ययन किया जाता है। आचार्य डॉ सुनील बरमोला से कॉल पर बात करने के लिए यहाँ क्लिक करें 

सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: एस्ट्रोसेज ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर

आशा है कि यह लेख आपको पसंद आया होगा। एस्ट्रोसेज के साथ बने रहने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

One comment

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.