जन्माष्टमी आज: इस विधि से तीन समय पूजा कर और व्रत रखने से पूरी हो सकती है हर मनोकामना !

आज 12 अगस्त 2020 को देश भर में हिन्दू धर्म के लोग बड़े ही हर्षों उल्लास के साथ जन्माष्टमी का त्यौहार मना रहे हैं। इस दिन विशेष तौर पर कृष्ण जी की पूजा अर्चना के साथ ही व्रत रखना भी महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि आज के दिन व्रत रखने से मुरली मनोहर भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरी कर देते हैं। हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार आज के दिन खासतौर से तीन समय कृष्ण जी की पूजा करने का विशेष महत्व हैं। हम आपको आज के दिन तीन समय की जाने वाली पूजा, उसका महत्व और जन्माष्टमी व्रत से जुड़े आवश्यक तथ्यों के बारे में बताने जा रहे हैं। 

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जन्माष्टमी का महत्व 

हिन्दू धर्म में जन्माष्टमी त्यौहार का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि आज के दिन ही सभी युगों में इंसानी रूप में प्रकट होने वाले भगवान् श्री विष्णु के कृष्ण अवतार का जन्म हुआ था। विष्णु जी ने भगवान श्री कृष्ण के रूप में द्वापर युग में जन्म लेकर कंस का अंत किया था। चूँकि उनका जन्म भाद्रपद की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था इसलिए हर साल इस तिथि को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। माता देवकी और पिता वासुदेव के यहाँ पैदा हुए कृष्ण जी का बचपन यशोदा माता और नन्द बाबा के यहाँ बीता। उनके जीवन से जुड़ी बहुत सी ऐसी रोचक कहानियां है जो दूसरों को प्रेरित करती हैं। कृष्ण जन्मोत्सव के रूप में मनाये जाने वाले इस त्यौहार को काफी धूम धाम के साथ विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। 

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आज मुख्य रूप से इन तीन वक़्त में की जाती है कृष्ण जी की पूजा 

पहली पूजा 

आज दिन की पहली पूजा सुबह सूर्योदय के बाद स्नान ध्यान करने के बाद की जाती है। इस दौरान व्रत रखने वाले सभी व्रती कृष्ण जी की पूजा अर्चना कर व्रत रखते हैं। इस समय कृष्ण जी के बाल रूप का पूजन किया जाता है। जिन व्रतियों ने एक दन पहले रखा होता है वो इस पहली पूजा के बाद अपना व्रत खोलते हैं। 

दूसरी पूजा 

आज दूसरी पूजा दोपहर के समय विशेष रूप से की जाती है। दोपहर के वक़्त खासतौर से सबसे पहले देवकी माता का जलाभिषेक कर उनके लिए सूतिकागृह का निर्माण कर पूजा की जाती है। इसके बाद श्री कृष्ण की मूर्ति या उनका चित्र स्थापित कर विधि पूर्वक उनकी पूजा अर्चना की जाती है। 

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तीसरी पूजा 

आज की तीसरी पूजा विशेष रूप से रात के 12 बजे कृष्ण जन्म के समय मध्यरात्रि में कृष्ण मंदिर में की जाती है। ठीक 12 बजे कृष्ण जी के बाल रूप की पूजा की जाती है और इसके साथ ही आज के दिन व्रत रखने वाले सभी व्रती कान्हा को प्रसाद चढ़ाने के बाद अपना व्रत खोलते हैं। 

बता दें कि दो दिन मनाये जाने वाले जन्माष्टमी के त्यौहार का व्रत दोनों दिन रखा जा सकता है।  कुछ लोग कृष्ण जन्म से पहले व्रत रखते हैं तो कुछ कृष्ण जन्म के दिन व्रत रखकर रात के समय जन्म के बाद व्रत खोलते हैं। आप भी अपनी श्रद्धा अनुसार इस दिन व्रत रखकर कृष्ण जी का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

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