प्रश्न कुंडली के माध्यम से कैसे की जाती है सटीक भविष्यवाणी?

किसी भी व्यक्ति द्वारा पूछे गए प्रश्न के दिन, समय एवं स्थान पर आधारित कुंडली को ही प्रश्न कुंडली कहते हैं। फलित ज्योतिष में इसका विशेष महत्व अधिक होता है, क्योंकि अक्सर जब प्रश्नकर्ता के पास अपनी जन्म कुंडली का सही विवरण जैसे जन्म समय या जन्म तिथि नहीं होती है तो, इस स्थिति में उस जातक के प्रश्न के उत्तर केवल प्रश्न कुंडली द्वारा ही दिए जा सकते हैं। इन्हीं प्रश्नों के सटीक फलकथन का ज्योतिषीय तरीका स्वर्गीय श्री के एस कृष्णमूर्ति जी ने निकाला, जो वर्तमान में कृष्णमूर्ति पद्धति या के पी प्रश्न ज्योतिष कहलाया। प्रश्न कुंडली केपी ज्योतिष के आधार पर तैयार की जाती है और सटीक परिणाम देने के लिए इसके मूल सिद्धांतों को अपने फलकथन में शामिल करती है।

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इस लेख के माध्यम से आज आप जानेंगे प्रश्न कुंडली का महत्व और कैसे यह आपके जीवन की समस्याओं का उत्तर खोजने में आपकी सहायता करती है। एस्ट्रोसेज के विद्वान केपी ज्योतिषी कॉल पर केपी सिद्धांतों पर आधारित जीवन की किसी भी समस्या का समाधान और फलित उपाय देने में सक्षम हैं।

ज्योतिष में प्रश्न कुंडली

अक्सर जिन लोगों के पास अपना सही जन्म समय या तिथि नहीं होती हैं तो, वो इस  दुविधा में होते हैं कि ज्योतिष संबंधी फलादेश बिना समय और तिथि के कैसे किया जाए। ऐसे में प्रश्‍न कुण्‍डली उस व्यक्ति के लिए एकमात्र विकल्प सिद्ध होती है। प्रश्‍न कुण्‍डली वास्तव में समय विशेष की एक कुंडली होती है, जो उस समय बनाई जाती है, जब कोई जातक प्रश्न करता है। यानि प्रश्नकर्ता द्वारा किये गए प्रश्न का ही सही फलकथन देने का प्रयास के पी आधारित प्रश्न कुंडली से ही किया जाता है। कई बार इसी कर्म में प्रश्नकर्ता से के पी ज्योतिषी 1 से लेकर 249 के बीच कोई एक अंक चुनने के लिए कहते हैं, और उसी चुने गए अंक के आधार पर राशि और अंश देखे जाते हैं। 

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कृष्णमूर्ति पद्धति में 249 उप-नक्षत्र देते हैं सटीक भविष्यफल  

ज्योतिष की इस पद्धति “के पी प्रश्न ज्योतिष” में एक राशि और ग्रह की अवधि को सही कर्म में विभाजित किया गया है। वैदिक ज्योतिष अनुसार, प्रत्येक ग्रह एक निश्चित समय पर एक राशि में विराजमान या उपस्थित होता है, जहाँ वे एक निर्धारित भाव में उपस्थित होते हुए उस राशि के कुछ निश्चित भावों को दृष्टि करता है। इसी प्रकार सौरमंडल में कुल 12 राशियां और 27 नक्षत्र होते हैं और उन्हें ही आधार मानकर वैदिक ज्योतिष अपनी भविष्यवाणी करते हैं। ठीक उसी तरह केपी प्रश्न ज्योतिष में भी सभी 27 नक्षत्रों के 9-9 विभाजन किए जाते हैं, जिसे के पी में उप नक्षत्र या “सब” कहा जाता है। इस अनुसार कृष्णमूर्ति पद्धति में कुल मिलाकर 249 उप-नक्षत्रों को ध्यान में रखकर ही किसी भी ज्योतिष फलकथन की गणना की जाती है। 249 उप-नक्षत्र के कारण ही के पी में दिन और रात के साथ ही, हर घंटे, मिनट और यहाँ तक की एक-एक सेकंड की भी सूक्ष्मता से भविष्यवाणी करना संभव हो सका है। 

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केवल विंशोत्तरी दशा को बनाया जाता है आधार 

पारंपरिक ज्योतिष शास्त्र में किसी भी गणना के लिए ज्योतिषी कई दशाओं जैसे विंशोत्तरी दशा, अष्टोत्तरी दशा और योगिनी दशा, इत्यादि का प्रयोग करते हैं, परंतु केपी में केवल और केवल विंशोत्तरी दशा को ही महत्व दिया गया है। ऐसे में इस पद्धति में केवल एक दशा के अनुसार ही गणना करने के कारण, ज्योतिषियों के लिए केपी का प्रयोग करना बेहद सरल हो जाता है।

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केपी आधारित प्रश्न कुंडली कैसे भविष्यवाणी करती है?

हिंदू कुंडली में 12 भाव होते हैं और प्रत्येक भाव या घर जीवन के कुछ विशेष क्षेत्रों और घटनाओं को दर्शाता है। यही भाव अथवा घर केपी ज्योतिष में प्रश्न कुंडली का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं।

  • पहले भाव से सुख, आयु, शारीरिक बनावट आदि का पता चलता है। 
  • दूसरे भाव से धन, परिवार, आदि का पता चलता है। 
  • तीसरे भाव से छोटे बहन-भाई, नौकर, पराक्रम, आदि का पता चलता है। 
  • चौथे भाव से माता, जमीन, ज्ञान, आदि का पता चलता है। 
  • पांचवें भाव से संतान, गर्भ, विद्या, प्रेम, आदि का पता चलता है। 
  • छठे भाव से रोग, भय, शत्रु, प्रतियोगिता, कर्ज, आदि का पता चलता है। 
  • सातवें भाव से विवाह, स्त्री या पति, प्रेम संबंध, व्यापार, लेनदेन, आदि का पता चलता है। 
  • आठवें भाव से शत्रु द्वारा हानि, झगड़ा, मानसिक अशांति, आदि का का पता चलता है। 
  • नौवें भाव से भाग्य, धर्म, विदेश यात्रा, दान, आदि का पता चलता है। 
  • दसवें भाव से व्यवसाय, पद, तरक्की, कार्य शैली, आदि का का पता चलता है। 
  • ग्यारहवें भाव से विद्या, बड़े भाई-बहन, आदि का पता चलता है। 
  • बारहवें भाव से स्थान परिवर्तन, भोग, दान, आदि का पता चलता है। 

सभी पारंपरिक पद्धतियों से अलग कृष्णमूर्ति पद्धति आधारित प्रश्न कुंडली की सबसे ख़ास बात यही है कि, ये हर प्रश्न का सटीक फलकथन देने में पूरी तरह सक्षम है। ऐसे में ज्योतिषी इस कुंडली के आधार पर निश्चित तौर पर यह बता पाने में सफल होते हैं कि कोई घटना, किस समय, कितने बजे, कितने मिनट पर, कितने सेकंड में घटित होगी। जी हाँ! के पी में आपको घटित होने के समय का सटीक ब्यौरा सेकेंडों और मिनटों में भी बताना संभव हो जाता है।

उदाहरण के लिए मान लेते हैं कि, कोई प्रश्न करता है कि उसकी शादी कब होगी? तो ऐसी स्थिति में उसके प्रश्न का उत्तर देने के लिए विवाह की तारीख की सही गणना करने के लिए केपी नियम यह है कि यदि उस जातक की कुंडली में 7वें भाव का उप नक्षत्र स्वामी 2, 7, 11 भावों में से किसी एक का कारक है तो, उस कुंडली के अनुसार ही प्रश्नकर्ता को विवाह का वादा किया जाता है। हमें इस उप स्वामी को एक व्यक्तिगत ग्रह के रूप में मानने और यह देखने की जरूरत होती है कि यह किस तारे में जमा है। इस दौरान यदि वह तारा स्वामी भी सकारात्मक है तो घटना 100% फलदायी होगी, अन्यथा उसकी भविष्यवाणी व्यर्थ भी हो सकती है। जिसे एक सक्षम केपी ज्योतिषी आसानी से आंक सकता है।

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घटना कब फलीभूत होगी?

इस दौरान महादशा तथा अंतर्दशा और फलदायी कारकों की प्रत्यंतर दशा के संयुक्त काल का फल घटना को देता है, परंतु इसके अतिरिक्त वे शेष फल नहीं देता। दिन को ठीक करने के लिए सूर्य के गोचर को 9 ग्रहों में सबसे अधिक स्टेशनरी के रूप में देखा जाता है। जब सूर्य महादशा स्वामी की राशि और अंतर्दशा के नक्षत्र में गोचर करेगा, तो तब जाकर घटना पूर्ण रूप से फलित होती है। 

प्रश्नकर्ता के द्वारा पूछे गए प्रत्येक प्रश्न के लिए, संबंधित घर या भाव का चयन किया जाता है और उसके उप नक्षत्र स्वामी को देखा जाता है। जैसे नौकरी के लिए कुंडली का छठा भाव सबसे महत्वपूर्ण है और बीमारी से बचाव के लिए पंचम भाव सबसे महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि यह कुंडली चार्ट में छठे भाव से बारहवां भाव होता है।

इस प्रकार एक ज्योतिषी अपने ज्ञान और अनुभव के साथ-साथ, श्री के एस कृष्णमूर्ति जी द्वारा निर्धारित नियमों का उपयोग करके केपी पद्धति के माध्यम से सबसे सटीक भविष्यवाणी करता है।

कृष्णमूर्ति पद्धति सबसे सटीक क्यों है?

इस प्रश्न का जब हमने विस्तारपूर्वक सरल भाषा में उत्तर हमारे वरिष्ठ केपी ज्योतिषी आचार्य रमन जी से जाना तो, उन्होंने बताया कि व्यक्ति के जन्म के समय में 1 मिनट का अंतर हो सकता है, लेकिन प्रश्न कुंडली में समय में त्रुटि की कोई संभावना नहीं होती है। क्योंकि यह वास्तविक समय के आधार पर डाली जाती है, इसलिए केपी प्रश्न कुंडली में त्रुटि की संभावना नगण्य है।

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आचार्य रमन जी ने आगे इसी पर हमारे साथ अपना अनुभव साझा करते हुए बताया कि, वे स्वयं भी कई बार सटीक भविष्यवाणी के लिए केपी होरी का उपयोग करते हैं और वे अक्सर एस्ट्रोसेज के माध्यम से अपने कई लेख प्रकाशित करते रहे हैं। इसी कर्म में उनकी अपने गुरुजी, कृष्णामूर्ति जी और सहस्ने जी की कृपा से कई भविष्यवाणियां सटीक तारीख के साथ सच भी हो सकी हैं। आप उन्हें यहाँ नीचे लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं। 

1. विकास दुबे गिरफ्तारी

2. विकास दुबे एनकाउंटर

3. सुशील शर्मा की गिरफ्तारी

आचार्य रमन जी का मानना है कि ज्ञान और अनुभव के अलावा किसी भी क्षेत्र में किसी भी व्यक्ति के लिए गुरु कृपा अथवा ईश्वरीय कृपा का होना भी बेहद अहम व महत्वपूर्ण होता है, फिर चाहे वे ज्योतिष हो, चिकित्सा हो या इंजीनियरिंग, हर क्षेत्र में परमात्मा का आशीर्वाद होना बहुत अनिवार्य होता है। 

हम आशा करते है कि आपको इस लेख में दी गई जानकारी पसंद आई होगी। एस्ट्रोसेज का हिस्सा बनने के लिए आप सभी का धन्यवाद।

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