सनातन धर्म में हरतालिका तीज के त्योहार का विशेष महत्व है। यह पर्व हर साल भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-सौभाग्य की कामना के लिए रखती हैं। इसके अलावा, कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर की कामना के लिए इस व्रत को रखती हैं। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। यह व्रत बहुत अधिक कठिन माना जाता है क्योंकि ये व्रत निर्जला यानी बिना पानी पिए रखा जाता है।
हरतालिका तीज खासतौर से उत्तर भारत के राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और झारखंड में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। हरियाली तीज और हरतालिका तीज दोनों ही अलग हैं। तो आइए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं हरतालिका तीज से जुड़े व्रत नियम के बारे में। साथ ही, ये भी जानेंगे कि इसका पूजा मुहूर्त कब है।
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हरतालिका तीज 2024: पूजा की तिथि और शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, हरतालिका तीज हर साल भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह तिथि 6 सितंबर 2024 को पड़ रही है।
तृतीया तिथि आरंभ: 5 सितंबर 2024 की दोपहर 12 बजकर 23 मिनट से शुरू होगी
तृतीया तिथि समाप्त: 6 सितंबर 2024 की दोपहर 03 बजकर 03 मिनट पर समाप्त होगी।
हरतालिका तीज पूजा करने का शुभ मुहूर्त: 06 सितंबर की सुबह 06 बजकर 02 मिनट से सुबह 08 बजकर 32 मिनट तक।
पूजा की कुल समय अवधि: 2 घंटे 30 मिनट है।
चलिए जान लेते हैं कि हरियाली तीज और हरतालिका तीज में क्या अंतर है।
हरियाली तीज और हरतालिका तीज में अंतर
हरियाली तीज और हरतालिका तीज में बहुत अधिक अंतर होता है। हरियाली तीज सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। वहीं हरतालिका तीज को भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाने का विधान हैं। हरियाली तीज और हरतालिका तीज की तिथि में एक माह का अंतर होता है। ये दोनों ही तीज उत्तर भारत में मनाई जाती है। इसके अलावा, कजरी तीज मनाने का भी विधान है। कजरी तीज भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। बता दें कि कजरी तीज और हरतालिका तीज के बीच 15 दिनों का अंतर होता है। पहले कजरी तीज जिसे कई जगह कजली तीज भी कहा जाता है वह मनाई जाती है फिर हरतालिका तीज मनाई जाती है।
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हरतालिका तीज का महत्व
हरतालिका तीज का बहुत अधिक महत्व हैं। यह व्रत सुहागिन महिलाओं द्वारा अखंड सौभाग्य की कामना से रखा जाता है, ताकि पति की आयु लंबी हो, वह स्वस्थ रहे और वैवाहिक जीवन सुखमय हो। इसके अलावा, कई जगहों पर हरतालिका तीज का व्रत कुंवारी युवतियां मनोवांछित वर की कामना के लिए रखती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, हरतालिका तीज का व्रत सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए किया था। तभी से आज तक इस व्रत को रखने की परंपरा चली आ रही है।
हरतालिका तीज का धार्मिक महत्व
सनातन परंपराओं के मुताबिक, हरतालिका तीज के व्रत को इच्छाओं की पूर्ति और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए सबसे फलदायी व्रतों में एक माना जाता है। यह व्रत न केवल उत्तरी भारत में, बल्कि देश के दक्षिणी हिस्से में भी लोग इस त्योहार को बहुत ही अधिक उत्साह के साथ मनाते हैं। इस त्योहार को कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में गौरी हब्बा के नाम से जाना जाता है। यहां लड़कियां और महिलाएं गौरी हब्बा की पूर्व संध्या पर देवी गौरी की पूजा करते हैं और व्रत रखकर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
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हरतालिका तीज के दिन इस विधि से करें पूजन
- इस दिन व्रत रखने वाली महिलाओं और लड़कियों को सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करना चाहिए।
- स्नान करने के बाद महिलाओं को लाल और हरे रंग के कपड़े पहनना चाहिए और सोलह श्रृंगार करना चाहिए।
- इसके बाद मंदिर के सामने बैठकर व्रत का संकल्प लें।
- फिर पूजा स्थल को फूलों से सजाकर एक चौकी रखें और उस चौकी पर केले के पत्ते रखकर भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की हाथ से बनी हुई मूर्तियां स्थापित करें।
- अब सबसे पहले भगवान गणेश, भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करें। अब पूजा स्थल को केले के पत्तों और फूलों से सजाएं और मूर्तियों के माथे पर कुमकुम लगाएं।
- भगवान शिव और देवी पार्वती की षोडशोपचार पूजा करें। षोडशोपचार पूजा एक 16 चरणों वाली पूजा अनुष्ठान है जो आवाहनम से शुरू होती है और नीरजनम पर समाप्त होती है।
- इसके बाद देवी पार्वती के लिए अंग पूजा शुरू करें।
- हरतालिका के दिन व्रत कथा जरूर पढ़ें क्योंकि इसके बिना पूजा अधूरी मानी जाती है।
- व्रत कथा पूरी होने के बाद माता पार्वती को सुहाग का सामान अर्पित करें।
- व्रत रखने वाले को इस दिन सोना नहीं चाहिए बल्कि पूरी रात जागरण करना चाहिए।
हरतालिका तीज व्रत करने के नियम
- हरतालिका तीज का व्रत जो महिलाएं पहली बार कर रही हैं, उन्हें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि इस व्रत को अधूरा छोड़ना और बीच में तोड़ना वर्जित होता है।
- इस दिन यदि कोई महिला मासिक धर्म से गुजर रही हो तो उसे भगवान की मूर्तियों को नहीं छूना चाहिए और कथा भी दूर से ही किसी अन्य से सुननी चाहिए। हालांकि व्रत का पूरा पालन करना चाहिए बस पूजा दूर से करनी चाहिए।
- इस दिन व्रत करने वाली महिलाओं को सोना नहीं चाहिए बल्कि पूरी रात माता पार्वती एवं भगवान शिव की पूजा का नाम जपना चाहिए और जागरण करना चाहिए। मान्यता है कि जो लोग हरतालिका तीज व्रत की रात्रि को जागरण करने के बजाय सो जाते हैं, उनका अगला जन्म अजगर के रूप में होता है।
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हरतालिका तीज पर जरूर करें इन मंत्रों का जाप
शांति मंत्र
ॐ द्यौः शान्तिरन्तरिक्षं शान्तिः पृथिवी शान्तिरापः शान्तिरोषधयः शान्तिः। वनस्पतयः शान्तिर्विश्वेदेवाः शान्तिर्ब्रह्म शान्तिः सर्वं शान्तिः शान्तिरेव शान्तिः सा मा शान्तिरेधि॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः॥
क्षमा मंत्र
जगन्मातर्मातस्तव चरणसेवा न रचिता न वा दत्तं देवि द्रविणमपि भूयस्तव मया। तथापि त्वं स्नेहं मयि निरुपमं यत्प्रकुरुषे कुपुत्रो जायेत क्व चिदपि कुमाता न भवति॥
देवी पार्वती का मंत्र
ओम् उमयेए पर्वतयेए जग्दयेए जगत्प्रथिस्थयेए स्हन्तिरुपयेए स्हिवयेए ब्रह्म रुप्नियेए”
शिव मंत्र
ओम् ह्रयेए महेस्ह्अरयेए स्हम्भवे स्हुल् पद्येए पिनक्ध्रस्हे स्हिवये पस्हुपतये महदेवयअ नमह्”
हरतालिका तीज की व्रत कथा
शिवमहापुराण के अनुसार, माता पार्वती अपने कई जन्मों से भगवान शिव को अपने पति के रूप में पाना चाहती थी। इसके लिए उन्होंने हिमालय पर्वत के गंगा तट पर बाल अवस्था में अधोमुखी होकर कठोर तपस्या की थी। माता पार्वती ने इस तप में अन्न और जल का भी सेवन करना छोड़ दिया था। वह सिर्फ सूखे पत्ते चबाकर ही तप किया करती थी। माता पार्वती को इस अवस्था में देखकर उनके माता-पिता बहुत ज्यादा दुखी रहते थे। एक दिन देवऋषि नारद भगवान विष्णु की तरफ से पार्वती जी के विवाह के लिए प्रस्ताव लेकर उनके पिता के पास गए।
जब माता पार्वती को उनके पिता ने उनके विवाह के बारे में बताया तो वह काफी दुखी हो गई। उनके पिता चाहते की पार्वती का विवाह विष्णु जी से हो जाए। इस पर उनकी उस सहेली ने माता पार्वती को वन में जाने कि सलाह दी। जिसके बाद माता पार्वती ने ऐसा ही किया और वो एक गुफा में जाकर भगवान शिव की तपस्या में लीन हो गई थी। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग का बनाया और शिव जी की स्तुति करने लगी। इतनी कठोर तपस्या के बाद भगवान शिव ने माता पार्वती को दर्शन दिए और उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार कर लिया। इसके बाद से इस दिन का महत्व बहुत अधिक बढ़ गया और आज भी व्रत रखने वाली सुहागिन महिलाएं अपने हाथों से भगवान शिव व माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करती हैं।
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हरतालिका तीज पर राशि अनुसार अपनाएं ये ख़ास उपाय
मेष राशि
मेष राशि की महिलाएं हरतालिका तीज के दिन पूजा करते समय लाल रंग का कपड़ा पूजास्थल पर रखें और गाय को मीठी रोटी खिलाएं। यदि संभव हो, तो इस दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंद की सहायता करें।
वृषभ राशि
इस राशि की महिलाओं को इस पवित्र दिन तुलसी या बांस का पौधा लगाना चाहिए। ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होगी। इसके अलावा, पौधों का दान भी करना चाहिए।
मिथुन राशि
इस दिन मिथुन राशि की महिला जातकों को अपने परिवार के बड़े-बुजुर्गों का आशीर्वाद लेना चाहिए और जरूरतमंदों को दवा पानी देना चाहिए।
कर्क राशि
कर्क राशि की महिलाएं अपने परिवार के बड़े बुजुर्गों की सेवा करें और उनका आशीर्वाद लें। इसके अलावा, परिवार के किसी बड़े सदस्य से चावल या चांदी की कोई वस्तु लेकर हमेशा उसे अपने पास रखें।
सिंह राशि
हरतालिका तीज के दिन, इस राशि की महिलाओं को सुहागिन महिलाओं को सुहाग का सामान बांटना चाहिए। साथ ही, इस दिन शाम के समय गरीब लोगों को अखरोट और नारियल का दान करना चाहिए।
कन्या राशि
कन्या राशि की महिलाएं इस दिन किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने और कठोर शब्द कहने से बचें। इस दिन काले रंग के रुमाल या काले वस्त्रों का दान करना आपके लिए शुभ साबित होगा।
तुला राशि
तुला राशि के महिलाओं को इस दिन गाय को रोटी खिलाना चाहिए। ऐसा करना आपके लिए फलदायी साबित होगा। साथ ही, आपको अपने माता-पिता के स्वास्थ्य का भी ध्यान रखना होगा।
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि की महिलाएं हरतालिका तीज के दिन झूठ बोलने छल व कपट से दूर रहना चाहिए।
धनु राशि
धनु राशि के जातक हरतालिका तीज पर अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार गरीबों के मध्य धन का दान करें। इसके अलावा, लाल रंग के कपड़े का भी दान कर सकते हैं।
मकर राशि
मकर राशि के जातक के राशि आराध्य भगवान शिव हैं। अतः इस दिन सच्ची श्रद्धा से जरूरतमंदों की सहायता करें और भगवान शिव का अभिषेक करें।
कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातक हरतालिका तीज पर भगवान शिव को प्रसन्न करने हेतु गरीबों के मध्य अन्न का दान करें। साथ ही दवा हेतु अर्थ का भी दान कर सकते हैं।
मीन राशि
मीन राशि के जातक भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा-दृष्टि प्राप्त करने के लिए हरतालिका तीज पर केले, मौसमी फल और पीले रंग के कपड़े का दान करें। ऐसा करना आपके लिए शुभ होगा।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
हिंदू पंचांग के अनुसार, हरतालिका तीज हर साल भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह तिथि 6 सितंबर 2024 को पड़ रही है।
तृतीया तिथि 05 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 23 मिनट पर शुरू होगी जो कि 06 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 03 मिनट पर समाप्त होगी। हरितालिका पूजा मुहूर्त सुबह 06 बजकर 01 मिनट से सुबह 08 बजकर 32 मिनट तक रहेगा।
इस व्रत के दौरान दिन में सोना वर्जित माना गया है।
हरतालिका तीज का बहुत अधिक महत्व हैं। यह व्रत सुहागिन महिलाओं द्वारा अखंड सौभाग्य की कामना से रखा जाता है।