हरियाली तीज का त्यौहार सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद ही ख़ास महत्व रखता है। इस दिन महिलाएं नई दुल्हन की तरह सजती हैं और अपने पति की लंबी उम्र, और संतान प्राप्ति की कामना लिए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। सिर्फ इतना ही नहीं इस दिन हरे रंग का बेहद महत्व बताया गया है।
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तो आइये इस आर्टिकल के माध्यम से हम आपको बताते हैं कि, आखिर हरियाली तीज और हरे रंग का क्या संबंध है? साथ ही जानते हैं इस दिन की पूजा में किन मंत्रों का जप अवश्य करना चाहिए, और साथ ही इस दिन झूला झूलने का क्या महत्व होता है।
सावन के महीने में मनाये जाने वाले इस ख़ास त्यौहार का सुहागिन महिलाएं विशेषतौर पर इंतजार करती हैं। हरियाली तीज सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि (इस वर्ष 23-जुलाई, गुरुवार) को मनाई जाती है। इस समय के दौरान चारों तरफ हरियाली छाई रहती है जिसके चलते इसे हरियाली तीज कहा जाता है।
हरियाली तीज का यह त्यौहार विशेष रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है। उत्तर भारत में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार, झारखंड आदि जगहों पर इस त्यौहार का खूबसूरत रंग देखने को मिलता है। इसके अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसे कजली तीज के नाम से भी जाना जाता है।
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हरियाली तीज पर मेहँदी लगाये जाने का क्या है महत्व ?
हरियाली तीज का सीधा संबंध सुहागिन महिलाओं से होता है। इस दिन महिलाएं खूबसूरत वस्त्र पहनती हैं, हाथों में मेहंदी और पैरों में आलता लगाती हैं और झूला झूलती हैं। तो आइये एक-एक कर के जानते हैं कि इन सभी बातों का आखिर महत्व क्या होता है?
हरियाली तीज और हरा रंग
हिन्दू मान्यता में सावन और हरे रंग को जोड़कर देखा जाता है। सावन की वजह से प्रकृति ने भी हरे रंग की चादर ओढ़ी होती है। साथ ही हरा रंग सुहाग का प्रतीक, ख़ुशहाली, तरक्की, दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक माना जाता है।
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मेहंदी : हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार हरियाली तीज और मेहंदी का ख़ास संबंध बताया गया है। मान्यता है कि इस दिन जो भी सुहागिन स्त्री अपने हाथों में मेहंदी लगाती है उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है, और ऐसा करना बेहद शुभ भी माना जाता है। इस दिन महिलाओं को पूर्ण श्रृंगार, यानि एकदम नई दुल्हन की तरह साज-श्रृंगार करना चाहिए, मेहंदी भी इसी श्रृंगार का एक भाग है, उसके बिना श्रृंगार अधूरा माना जाता है।
मान्यता है कि हाथों में मेहंदी लगाना पति के प्रति प्रेम और खुशहाली का प्रतिनिधित्व करता है। मेहंदी का हरा रंग ही अपने आप में हरियाली का प्रतीक है जो जीवन में समृद्धि और नयापन लेकर आता है। मेहंदी रचने के बाद जो रंग देती है वह पति के प्रति स्त्री के प्रेम को प्रदर्शित करता है। यही वजह है कि इस दिन मेहंदी लगाना अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है।
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झूला झूलने का महत्व : हरियाली तीज के दिन जहाँ सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत रखती हैं, वहीं कुंवारी लड़कियाँ इस दिन अच्छे वर के लिए, या शादी में आ रही किसी भी प्रकार की बाधा के निवारण के लिए भी इस व्रत को रखती हैं। इस दिन की सबसे ख़ास परंपरा के अनुसार इस दिन व्रत करने वाली महिलाएं और लड़कियाँ झूला भी झूलती हैं।
अब इस दिन झूला झूलने के पीछे क्या मान्यता है, आइये हम आपको बताते हैं। हरियाली तीज के मौके पर प्रकृति में चारों तरफ हरियाली फैली होती है। ऐसे में इस दौरान सभी के मन में सकारात्मकता का वास होता है और हमारे विचारों को भी नयापन मिलता है। ऐसे में हरियाली तीज के मौके पर महिलाएं जीवन में चल रही किसी भी तरह की परेशानियों से दूर अपने मनोरंजन और प्रकृति का आनंद लेने के लिए झूला झूलती हैं।
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हरियाली तीज का पूजा मंत्र
हरियाली तीज में भगवान शंकर और माँ गौरी की पूजा का विधान बताया गया है। हरियाली तीज की पूजा-आराधना के लिए कुछ विशेष मन्त्रों का उल्लेख किया गया है। आइये जानते हैं तीज का सबसे पवित्र पूजन मंत्र के बारे में :-
“देहि सौभाग्य आरोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
पुत्रान देहि सौभाग्यम देहि सर्व।
कामांश्च देहि मे।।
रुपम देहि जयम देहि यशो देहि द्विषो जहि।।”
माँ पार्वती के लिए इस मंत्र का करें जप :
- ॐ उमायै नम:
- ॐ पार्वत्यै नम:
- ऊं जगद्धात्र्यै नम:
- ॐ जगत्प्रतिष्ठयै नम:
- ॐशांतिरूपिण्यै नम:
- ॐ शिवायै नम:
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भगवान शिव के लिए इस मंत्र का करें जप :
- ॐ हराय नम:
- ॐ महेश्वराय नम:
- ॐ शम्भवे नम:
- ॐ शूलपाणये नम:
- ॐ पिनाकवृषे नम:
- ॐ शिवाय नम:
- ॐ पशुपतये नम:
- ॐ महादेवाय नम:
हरियाली तीज की पूजा में आपको भी इस मंत्र का जप अवश्य करना चाहिए।
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