बृहस्‍पति कर्क राशि में वक्री-क्‍या होगा 12 राशियों का हाल?

बृहस्‍पति कर्क राशि में वक्री: वैदिक ज्‍योतिष में बृहस्‍पति ग्रह को देवताओं के गुरु के रूप में जाना जाता है। यह ग्रह ज्ञान, संपन्‍नता, नैतिकता और अध्‍यात्‍म का प्रतीक है। जब बृहस्‍पति ग्रह वक्री होता है, तब यह उल्‍टा यानी पीछे की ओर चलता हुआ प्रतीत होता है। यह चरण सभी के लिए गहन चिंतन, कर्मों से सीखने और जीवन में बड़े बदलाव लाने का होता है।

साल 2025 में गुरु ग्रह चंद्रमा की राशि कर्क में वक्री होंगे। बृहस्‍पति और चंद्रमा के बीच मैत्री संबंध हैं। गुरु के कर्क राशि में वक्री होने से आध्‍यात्मिक जागृति, आत्‍मनिरीक्षण और अगर समझदारी से काम लिया जाए तो दीर्घकालिक विकास का मिश्रण देखने को मिल सकता है। सरल शब्‍दों में कहें, तो कर्क राशि में वक्री बृहस्‍पति आगे बढ़ने के बजाय रूक कर सोचने और जीवन के लिए रणनीतिक निर्णय लेने के लिए प्रेरित करता है।

एस्‍ट्रोसेज एआई के इस बृहस्‍पति के कर्क राशि में वक्री से संबंधित इस ब्‍लॉग में इसकी तारीख, प्रभाव, राशिफल और ज्‍योतिषीय उपायों के बारे में बताया गया है। तो चलिए अब आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि गुरु के कर्क राशि में वक्री होने का क्‍या प्रभाव पड़ेगा।

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बृहस्‍पति कर्क राशि में वक्री: तिथि और समय

11 नवंबर, 2025 को शाम 06 बजकर 31 मिनट पर गुरु कर्क राशि में वक्री होंगे। अपने व्‍यक्‍तिगत विकास के बारे में सोचने, वित्तीय येाजनाओं का पुर्नमूल्‍यांकन करने और महत्‍वपूर्ण रिश्‍तों पर विचार करने के लिए यह सही समय है।

वक्री होने के लगभग 23 दिनों के बाद बृहस्‍पति 04 दिसंबर, 2025 को रात को 08 बजकर 39 मिनट पर मिथुन राशि में गोचर करेंगे लेकिन वक्री अवस्‍था में ही रहेंगे। मिथुन राशि में प्रवेश करने के बाद भी गुरु की वक्री अवस्‍था हमें याद दिलाती रहेगी कि हमें अपने पिछले निर्णयों की समीक्षा करनी चाहिए और यह सोचना चाहिए कि अभी हम जो कार्य कर रहे हैं, वह दीर्घकालिक स्थिरता और विकास प्रदान करते हैं या नहीं।

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बृहस्‍पति कर्क राशि में वक्री: ज्‍योतिषीय महत्‍व

वैदिक ज्‍योतिष में बृहस्‍पति ग्रह को विकास, ज्ञान और संपन्‍नता का कारक बताया गया है। यह जीवन के लगभग हर पहलू को प्रभावित करता है। इसका असर करियर से लेकर बिज़नेस और निजी विकास एवं आध्‍यात्मिकता पर पड़ता है। यहां तक कि गुरु की चाल, स्थिति या राशि में हल्‍का-सा भी परिवर्तन आने पर इसका महत्‍वपूर्ण प्रभाव देखने को मिल सकता है। यही वजह है कि ज्‍योतिषी गुरु के गोचर पर बड़ी बारीकी से नज़र रखते हैं।

जब कुंडली में गुरु मजबूत और सकारात्‍मक स्थिति में होते हैं, तब यह सफलता और आत्‍मविश्‍वास प्रदान करते हैं एवं व्‍यक्‍ति का झुकाव सत्‍य और सदाचारी जीवन की ओर होता है।

वहीं दूसरी ओर, अगर गुरु कमजोर या पीड़ित हो, तो खासतौर पर स्‍वास्‍थ्‍य के क्षेत्र में चुनौतियां उत्‍पन्‍न होने का डर रहता है जैसे कि पाचन संबंधित परेशानियां हो सकती हैं।

बृहस्‍पति की कृपा से दृढ़ता प्राप्‍त होती है जिससे लोगों को बाधाओं को दूर करने और संतुलन बनाए रखने में मदद मिलती है। बृहस्‍पति की दृष्टि भी महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाती है। जब गुरु की किसी कमजोर भाव पर दृष्टि पड़ती है, तो यह उसे बल प्रदान करता है और चुनौतियों या मुश्किलों को कम करता है एवं सकारात्‍मकता को बढ़ाता है।

चूंकि, बृहस्‍पति सभी 12 राशियों में गोचर करने में 12 वर्षों से अधिक समय लेता है इसलिए इसका हर एक राशि में गोचर करना काफी महत्‍व रखता है। किसी भाव या राशि में बृहस्‍पति की उपस्थिति विकास को बढ़ावा देती है, अवसरों को आकर्षित करती है और नया नज़रिया प्रदान करती है। बृहस्‍पति की स्थिति जिसमें उसके नक्षण की स्थिति भी शामिल हो, उसे जानकर करियर, वित्तीय जीवन, रिश्‍तों और आध्‍यात्मिक विकास के बारे में महत्‍वपूर्ण मार्गदर्शन मिल सकता है।

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बृहस्‍पति कर्क राशि में वक्री: धार्मिक महत्‍व

सनातन धर्म में बृहस्‍पति को देव गुरु भी कहा जाता है और बृहस्‍पति देवताओं के शिक्षक या गुरु के रूप में महत्‍वपूर्ण स्‍थान रखते हैं। इन्‍हें ज्ञान, नैतिकता और आध्‍यात्मिक मार्गदर्शन का प्रतीक माना जाता है। बृहस्‍पतिवार का दिन गुरु ग्रह को समर्पित होता है। इस दिन भक्‍त पीले रंग के वस्‍त्र धारण करते हैं और गुरु को प्रसन्‍न करने एवं उनका आशीर्वाद पाने के लिए उन्‍हें पीले रंग के फल अर्पित करते हैं और विशेष मंत्रों का जाप करते हैं।

बृहस्‍पति का संबंध पीले रंग और केले के वृक्ष से है और ऐसा माना जाता है कि बृहस्‍पतिवार के दिन केले के पेड़ पर हल्‍दी या चंदन लगाने, पीले रंग के वस्‍त्र पहनने और पीली रंग की चीज़ें चढ़ाने से गुरु ग्रह प्रसन्‍न होते हैं।

पौराणिक दृष्टि से बृहस्‍पति भगवान ब्रह्मा के ज्ञान को दर्शाता है और मनुष्‍यों के लिए धार्मिकता एवं आध्‍यात्मिक विकास की ओर एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है। जब बृहस्‍पति वक्री होता है, तब इसका महत्‍व और ज्‍यादा व्‍यक्‍तिगत हो जाता है, यह लोगों को आध्‍यात्मिक कार्यों में शामिल होने के लिए प्रेरित करता है, जीवन के उद्देश्‍य के बारे में सोचने और दान-पुण्‍य करने के लिए प्रोत्‍साहित करता है।

बृहस्‍पति कर्क राशि में वक्री: ऐतिहासिक महत्‍व

लंबे समय से मानव इतिहास के सबसे प्रभावशाली खगोलीय पिंड में बृहस्‍पति को रखा गया है। सदियों से सभ्‍यताओं में इसकी उपस्थिति और गति के बारे में व‍र्णन मिला है जो ब्रह्मांड के प्रति मनुष्‍य के आकर्षण और जीवन एवं समाज पर इसके प्रभावों को दर्शाता है।

रोमन पौराणिक कथाओं में बृहस्‍पति को देवताओं के राजा के रूप में पूजा जाता है। वह अधिकार, न्‍याय और व्‍यवस्‍था बनाए रखने की शक्‍ति का प्रतिनिधित्‍व करते हैं। वहीं ग्रीक पौराणिक कथाओं में ज्‍यूस भी यही गुण रखता है और ज्ञान, नेतृत्‍व एवं उच्‍च आदर्शों का प्रतीक है।

अब तक खगोलविदों और विद्धानों ने बृहस्‍पति के चक्र और स्थिति का गहराई से अध्‍ययन किया है और उनका उद्देश्‍य यह समझना है कि समाज किस दिशा में जा रहा है, महत्‍वपूर्ण घटनाओं की भविष्‍यवाणी करना और मानव के व्‍यवहार को गहराई से समझना भी उनका उद्देश्‍य था। बृहस्‍पति के बार-बार गोचर करने या स्थिति बदलने को नए कार्यों की शुरुआत करने, यात्रा करने, उच्‍च ज्ञान पाने या बौद्धिक प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए महत्‍वपूर्ण संकेत माना जाता था।

सदियों से ऐतिहासिक अभिलेखों में बृहस्‍पति की मजबूत उपस्थिति को विकास, विस्‍तार, मार्गदर्शन और उत्‍कृष्‍टता की खोज के प्रतीक के रूप में दिखाया गया है। गुरु ग्रह के प्रति यह आकर्षण न सिर्फ प्रारंभिक खगोल विज्ञान के अध्‍ययन को आकार देता रहा है बल्कि इसका असर सांस्‍कृतिक कथाओं पर भी पड़ा है। इस तरह यह ग्रह मनुष्‍य के विचारों, सामाजिक विकास और विश्‍व की विभिन्‍न सभ्‍यताओं की बौद्धिक परंपराओं में अपने स्‍थायी महत्‍व को दर्शाता है।

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बृहस्‍पति कर्क राशि में वक्री: गुरु का नक्षत्र और उसका प्रभाव

सभी 12 राशियों में बृहस्‍पति धनु और मीन राशि के स्‍वामी हैं। बृहस्‍पति कर्क राशि में उच्‍च का और मकर राशि में नीच का होता है। बृहस्‍पति पुनर्वसु, विशाखा और पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र के स्‍वामी हैं और इसका कर्क राशि में वक्री होना निम्‍न नक्षत्रों में जन्‍मे लोगों के जीवन को प्रभावित कर सकता है:

  • पुनर्वसु नक्षत्र: यह नक्षत्र आध्‍यात्मिक विकास, आत्‍मनिरीक्षण और बदलाव को स्‍वीकार करने को बढ़ावा देता है। लोग अपनी प्राथमिकताओं का पुर्नमूल्‍यांकन और जीवन की नई शुरुआत कर सकते हैं।
  • विशाखा नक्षत्र: यह नक्षत्र दृढ़ निश्‍चयी बनाता है लेकिन धैर्य रखने के लिए भी कहता है। वक्री बृहस्‍पति करियर में उपलब्धि पाने में कुछ देरी कर सकता है लेकिन लगातार प्रयास करते रहने से सफलता मिलने की संभावना प्रबल होती है।
  • पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र: यह नक्षत्र गहराई से सोच-विचार करने और आध्‍यात्मिक चीज़ों या कार्यों पर ध्‍यान देने को बढ़ावा देता है। व्‍यक्‍ति को भावनात्‍मक या आध्‍यात्मिक जागृति का अनुभव हो सकता है।

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बृहस्‍पति कर्क राशि में वक्री के दौरान मजबूत गुर का प्रभाव

कुंडली में खासतौर पर वक्री अवस्‍था में बृहस्‍पति के मजबूत होने का जीवन के विभिन्‍न पहलुओं पर महत्‍वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है, जानिए कैसे:

  • यह ज्ञान और आध्‍यात्मिक विकास लेकर आता है जिससे व्‍यक्‍ति को नैतिक निर्णय लेने में मदद मिलती है।
  • कुंडली में बृहस्‍पति के मजबूत होने का संबंध वित्तीय लाभ और भौतिक सफलता से भी है। यह धन को संचित करने के अवसर लेकर आता है और समृ‍द्ध बनाता है।
  • जिन लोगों की कुंडली में बृहस्‍पति मजबूत होता है, वे अक्‍सर शैक्षिक कार्यों में उत्‍कृष्‍टता प्राप्‍त करते हैं। इनकी सीखने और ज्ञान प्राप्‍त करने में रुचि होती है।
  • बृहस्‍पति की अनुकूल स्थिति समाज में प्रतिष्‍ठा और मान्‍यता भी प्रदान कर सकती है।
  • इससे खासतौर पर गुरु, शिक्षक और आधिकारिक लोगों के साथ अच्‍छे संबंध बनाने को बढ़ावा मिलता है।
  • मजबूत बृहस्‍पति अच्‍छा स्‍वास्‍थ्‍य और शारीरिक शक्‍ति प्रदान करता है और इससे मानव शरीर की प्राकृतिक उपचार करने की प्रक्रिया को बढ़ावा मिलता है।

बृहस्‍पति कर्क राशि में वक्री के दौरान कमज़ोर गुरु का प्रभाव

जब बृहस्‍पति कमजोर या पीड़ित होता है, तब कुछ चुनौतियां बढ़ सकती हैं:

  • करियर में उन्‍नति करने और वित्तीय लाभ पाने में देरी हो सकती है।
  • बृहस्‍पति के वक्री होने से भावनात्‍मक स्‍तर पर गलतफहमियां होने की वजह से परिवार में विवाद हो सकते हैं।
  • व्‍यक्‍ति को समाज में सम्‍मान या पहचान प्राप्‍त करने में दिक्‍कत हो सकती है।
  • इसके अलावा बृहस्‍पति के वक्री होने से स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याएं भी हो सकती हैं और संपूर्ण शक्‍ति प्रभावित हो सकती है।

बृहस्‍पति कर्क राशि में वक्री: ज्‍योतिषीय उपाय

वक्री बृहस्‍पति की ऊर्जा को शांत करने के लिए आप निम्‍न उपाय कर सकते हैं:

  • आप रोज़ अपने माथे पर चंदन या हल्‍दी का तिलक लगाएं।
  • बृहस्‍पति की सकारात्‍मक ऊर्जा को बढ़ाने के लिए सोने के जेवर या पीले रंग के वस्‍त्र पहनें।
  • बृहस्‍पतिवार के दिन पीली रंग की वस्‍तुएं जैसे कि हल्‍दी, दाल या केला दान करें।
  • गुरुवार के दिन व्रत रखें और ‘ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवे नम:’ मंत्र का 3 से 5 बार जाप करें।
  • केले के वृक्ष की पूजा करें और उसके नीचे दीया जलाएं।
  • भगवान विष्‍णु की मूर्ति या तस्‍वीर पर केसर या पीले चंदन का तिलक लगाएं और उनकी पूजा करें।
  • बृहस्‍पति के प्रभाव को ज्‍यादा से ज्‍यादा बढ़ाने के लिए किसी अनुभवी ज्‍योतिषी से परामर्श करने के बाद पुखराज रत्‍न धारण करें।

बृहस्‍पति कर्क राशि में वक्री: राशि अनुसार प्रभाव

मेष राशि

मेष राशि के नौवें और बारहवें भाव के स्‍वामी बृहस्‍पति हैं जो कि अब आपके चौथे भाव में वक्री होने जा रहे हैं…विस्‍तार से पढ़ें

वृषभ राशि

वृषभ राशि के आठवें और  भाव के स्‍वामी बृ‍हस्‍पति ग्रह हैं और अब वह आपके तीसरे भाव में वक्री होने जा रहे हैं…विस्‍तार से पढ़ें

मिथुन राशि

मिथुन राशि के सातवें और दसवें भाव के स्‍वामी ग्रह बृहस्‍पति हैं। अब गुरु आपके दूसरे भाव में वक्री होने जा रहे हैं…विस्‍तार से पढ़ें

कर्क राशि

कर्क राशि के छठे और नौवें भाव के स्वामी बृहस्पति हैं और अब वह इस राशि के पहले भाव में वक्री होने जा रहे हैं…विस्‍तार से पढ़ें

सिंह राशि

सिंह राशि के पांचवे और आठवें भाव का स्‍वामी बृहस्‍पति अब आपके बारहवें भाव में वक्री होने जा रहे हैं…विस्‍तार से पढ़ें

कन्या राशि

कन्या राशि के चौथे और सातवें भाव के स्‍वामी बृहस्‍पति ग्रह हैं जो कि अब आपके ग्‍यारहवें भाव में वक्री होने जा रहे हैं…विस्‍तार से पढ़ें

तुला राशि

तुला राशि के तीसरे और छठे भाव के स्‍वामी बृहस्‍पति हहैं और अब वह आपके दसवें भाव में वक्री होने जा रहे हैं…विस्‍तार से पढ़ें

वृश्चिक राशि

बृहस्‍पति वृश्चिक राशि के दूसरे और पांचवे भाव के स्‍वामी हैं और अब वह आपके नौवें भाव में वक्री होने जा रहे हैं…विस्‍तार से पढ़ें

धनु राशि

धनु राशि के पहले और चौथे भाव के स्‍वामी बृहस्‍पति ग्रह हैं और अब वह आठवें भाव में वक्री होने जा रहे हैं…विस्‍तार से पढ़ें

मकर राशि

मकर राशि के तीसरे और बारहवें भाव के स्‍वामी बृहस्‍पति हैं और अब वह आपके सातवें घर में वक्री होने जा रहे हैं…विस्‍तार से पढ़ें

कुंभ राशि

कुंभ राशि के दूसरे और ग्‍यारहवें भाव के स्‍वामी बृहस्‍पति हैं और अब वह आपके छठे भाव में वक्री होने जा रहे हैं…विस्‍तार से पढ़ें

मीन राशि

मीन राशि के पहले और दसवें भाव के स्‍वामी बृहस्‍पति ग्रह हैं जो कि अब आपके पांचवे भाव में वक्री होने जा रहे हैं…विस्‍तार से पढ़ें

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1.  बृहस्‍पति ग्रह कर्क राशि में किस तिथि पर वक्री हो रहे हैं?

11 नवंबर, 2025 को शाम 06 बजकर 31 मिनट पर।

2. बृहस्‍पति के वक्री होने से किन राशियों पर सबसे ज्‍यादा प्रभाव पड़ेगा?

मेष, कर्क और मकर पर खासतौर पर असर देखने को मिलेगा।

3. वक्री होने के दौरान क्‍या उपाय करने चाहिए?

मंत्रों का जाप करें और सप्‍ताह में एक बार यज्ञ-हवन करें।