बृहस्पति गोचर 2024: एस्ट्रोसेज हमेशा से ही अपने रीडर्स को ज्योतिष की इस रहस्यमई दुनिया की नवीनतम घटनाओं से अपडेट रखने के लिए नए-नए ब्लॉग लेकर आता रहता है जिसके माध्यम से आप महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटनाओं के बारे में जान सकें।
इसी कड़ी में आज हम लेकर आए हैं गुरु गोचर से संबंधित हमारा यह खास ब्लॉग। इस ब्लॉग में हम वृषभ राशि में बृहस्पति के अस्त होने के बारे में जानेंगे। बृहस्पति 3 मई 2024 को अस्त होने वाला है और यह निश्चित रूप से कुछ राशियों और विश्व की घटनाओं को प्रभावित करेगा।
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ज्योतिष में बृहस्पति ग्रह
बृहस्पति हमारे सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है। साथ ही यह ज्योतिष जगत का भी सबसे महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है। इसे नौ ग्रहों में सबसे अधिक महत्व दिया गया है और इसे देव गुरु बृहस्पति के नाम से जाना जाता है। यह सबसे शुभ ग्रह है और इसका स्वभाव लाभकारी होता है। ज्ञान के ग्रह के रूप में ज्योतिष में बृहस्पति आशीर्वाद, दिव्यता और शुभता का कारक है। यह धन और विस्तार जैसे विषयों पर प्रभाव डालता है और शांति का भी प्रतीक है। व्यक्ति की कुंडली में इसकी स्थिति से पता चलता है कि विवाह जैसे शुभ अवसर जातक के जीवन में कब आएंगे।
वहीं जिन जातकों की कुंडली में बृहस्पति कमजोर स्थिति में होता है उन्हें विवाह में देरी और कम शुभता प्राप्त होती है। हालांकि मजबूत स्थिति थोड़ा धैर्य रखने पर अनुकूल परिणाम अवश्य देती है।
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वृषभ राशि में बृहस्पति अस्त: क्या रहेगा समय?
सबसे पहले बात करें समय की तो 3 मई 2024 को रात्रि 22:08 पर बृहस्पति अस्त होने जा रहा है और ज्योतिष में इसे बृहस्पति तारा डूबना या गुरु तारा डूबना के नाम से भी जाना जाता है। लगभग 1 महीने तक चलने वाली इस अवधि के दौरान (बृहस्पति के फिर से उदय होने तक) कोई भी शुभ और धार्मिक समारोह आयोजित नहीं किए जाते हैं।
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वृषभ राशि में बृहस्पति- विशेषताएं
वृषभ राशि में बृहस्पति धन और ज्ञान प्राप्त करने के लिए यथार्थवादी दृष्टिकोण जातकों के जीवन में लेकर आता है। वृषभ राशि में बृहस्पति की ऊर्जा आपको एकनिष्ठ और नैतिक रूप से ईमानदार रणनीति के माध्यम से सफलता की और मार्गदर्शन करती है। पैसा हासिल करने और इसे आगे तक ले जाने के लिए यह लोगों को अपने कंफर्ट क्षेत्र से बाहर निकलने के लिए भी प्रेरित करती है। यह प्रत्येक प्रोजेक्ट को एक विशिष्ट दृष्टि और स्वभाव भी प्रदान करता है।
अपनी वृषभ राशि के अनुसार यह जातक को बेहतर प्रदर्शन की क्षमता और वित्तीय संस्थानों में उच्च पद तक पहुंचाने की क्षमता देता है। समाज के लाभ के लिए खाद्य क्षेत्र और वित्तीय प्रबंधन के मामले में बृहस्पति के वृषभ राशि में गोचर से बड़े पैमाने पर बदलाव देखने को मिल सकते हैं। अपने प्रेरक संचार के चलते वृषभ राशि में बृहस्पति एक मजबूत सामाजिक नेटवर्क बनाने की क्षमता रखता है। बृहस्पति की यह स्थिति महत्वपूर्ण वित्तीय लाभ, असाधारण पाक कौशल, इंटीरियर डिजाइन आदि पर नजर और कलात्मक और रचनात्मक सौंदर्य शास्त्र से जोड़कर देखी जाती है। बृहस्पति वृषभ राशि में उच्च लक्ष्य और करीबी पारिवारिक रिश्तों से जुड़ा संकेत माना गया है। यह जीवन के दूसरे चरण में एक प्रमुख काया पलट की ओर ले जाता है। साथ ही करियर के विकास और संबंध पारक परिपक्वता के लिए ठोस आधार भी प्रदान करता है।
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वृषभ राशि में बृहस्पति अस्त- क्या पड़ेगा देश दुनिया पर प्रभाव?
आध्यात्मिक एवं धार्मिक गतिविधियां
- गुरु तारा डूबने अर्थात गुरु अस्त के इस समय के दौरान भारत में आध्यात्मिक प्रथाओं में शामिल लोगों की संख्या में कमी देखने को मिल सकती है। आयोजित होने वाले धार्मिक अनुष्ठानों में भी भारी गिरावट आएगी।
- शांति और आध्यात्मिकता पाने के लिए जातक योग और ज्ञान की ओर ज्यादा प्रेरित होंगे।
- इस अवधि में आध्यात्मिकता का ज्ञान प्राप्त करके और गुप्त पाठ्यक्रम में शामिल होकर लोग खुद को प्रबुद्ध करने की तलाश में लोगों की संख्या में वृद्धि देखी जाएगी। शारीरिक गतिविधियों में शामिल होना लोगों के लिए फायदेमंद साबित होगा।
- तेल, घी, सुगंधित तेल आदि की कीमतों में कमी आएगी और इससे लोगों को राहत मिलेगी।
- आध्यात्मिक प्रयोजनों के लिए उपयोग किए जाने वाले सुगंधित उत्पाद जैसे इत्र, परफ्यूम आदि और फूल आधारित जैविक उत्पादों के निर्यात में वृद्धि आएगी।
सरकार और राजनीति
- कुछ मंत्री और सरकार में उच्च पद पर बैठे लोग कुछ परीक्षण के दौर से गुजरेंगे और मानसिक तनाव, अराजकता, पीड़ा आदि भी उन्हें उठानी पड़ सकती है।
- कोई भी सार्वजनिक बयान देते समय उन्हें ज्यादा सावधान रहने और अपने शब्दों पर ध्यान देने की आवश्यकता पड़ेगी।
- न्यायपालिका को व्यवस्था में मौजूद खामियों को सुधारने और उन्हें दूर करने की दिशा में कुशलता पूर्वक काम करते देखा जाएगा।
- दुनिया भर में युद्ध ग्रस्त देशों को शांतिपूर्ण तरीके से चीजे तलाशने में से पहले फिर से कुछ परेशानियां और परीक्षा के समय के गुजरना पड़ेगा।
- मंत्रियों और सरकारी अधिकारियों को उन सभी कमियों पर काम करने पर ध्यान देना पड़ेगा जो जनता के प्रगति में बाधा बन सकती हैं।
शिक्षा एवं अन्य संबंधित क्षेत्र
- परामर्शदाता, शिक्षक, प्रशिक्षक, प्रोफेसर जैसे शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों को गुरु अस्त्र के दौरान लाभ प्राप्त होगा लेकिन काम पर कुछ अनिश्चित या प्रतिकूल परिस्थितियों भी उन्हें उठानी पड़ सकती हैं।
- इस गोचर के दौरान लेखन और वैज्ञानिकों को अपने शोध, थीसिस या कहानियां और अन्य प्रकाशन कार्यों का पुनर्गठन करते हुए देखा जाएगा।
- दुनिया भर में गुरु अस्त से शोधकर्ताओं, सरकार के सलाहकारों, वैज्ञानिकों को लाभ होगा और उनके पास अपना शोध सावधानी पूर्वक करने के लिए ज्यादा समय रहेगा।
- इस दौरान चिकित्सा क्षेत्र में कुछ बड़े सुधार भी देखने को मिल सकते हैं।
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वृषभ राशि में बृहस्पति अस्त- शेयर बाजार की भविष्यवाणी
बृहस्पति का गोचर सबसे महत्वपूर्ण गोचरों में से एक माना जाता है और यह भी शेयर बाजार को उसी तरह से प्रभावित करेगा जैसे यह दुनिया में बाकी सभी चीजों को करने वाला है। चलिए आगे बढ़ते हैं और शेयर बाजार रिपोर्ट से जान लेते हैं कि गुरु अस्त का शेयर बाजार पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
- सार्वजनिक क्षेत्र, सीमेंट उद्योग, ऊन मिल, लोहा इस्पात और आवास में विकास होगा।
- फार्मा सेक्टर, ऑटोमोबाइल, ट्रैक्टर उद्योग, उर्वरक और बीमा सौंदर्य प्रसाधन, परिवहन, फॉर्म कपास मिल, फिल्म उद्योग प्रिंटिंग आदि में भी उछाल देखने को मिलेगा।
- चिकित्सा और कानूनी कंपनियों से भी धन कमाने की उम्मीद है।
- यह कुल मिलाकर शेयर बाजार के लिए एक सुस्त अवधि रहने वाली है।
बृहस्पति वृषभ राशि में अस्त: इन राशियों पर पड़ेगा नकारात्मक प्रभाव
मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातकों के लिए बृहस्पति सातवें और दसवें घर का शासक स्वामी है और 12वें घर में अस्त होने जा रहा है। ग्रहों का संरेखण रोमांटिक और पेशेवर जीवन के संदर्भ में अचानक बदलाव की ओर इशारा कर रहा है। इस दौरान काम से जुड़े नए पद या स्थानांतरण के मौके जातकों को मिल सकते हैं। हालांकि यह सभी बदलाव आपके लिए ज्यादा फायदेमंद नहीं होंगे। व्यवसाय में होने के चलते उच्च खर्चों के अलावा अप्रत्याशित नुकसान का जोखिम भी जातकों को उठाना पड़ेगा जो आपकी बचत की संभावना को काफी कम बन सकता है।
कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों के लिए गुरु छठे और नवम भाव का स्वामी है और 11वें घर में अस्त होने जा रहा है जो मेहनती प्रयासों के माध्यम से धीरे-धीरे लेकिन अचानक वित्तीय लाभ की संभावना के संकेत दे रहा है। करियर के लिहाज से बात करें तो महत्वपूर्ण प्रगति और संतुष्टि की संभावना में आपको सफलता मिलेगी। व्यावसायिक गतिविधियां पूर्णता और पर्याप्त मुनाफा कमाएंगी। जीवनसाथी के साथ रिश्तों में ज्यादा सामंजस्य देखने को मिलेगा जिससे आपके जीवन में शांति और संतुष्टि आएगी। आंतरिक खुशी के चलते समग्र स्वास्थ्य में सुधार होगा जिससे प्रमुख स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम आपके जीवन से कम होने वाला है।
सिंह राशि
सिंह राशि के जातकों के लिए बृहस्पति पांचवें और आठवें घर का स्वामी है और अब आपके दसवें भाव में अस्त होने जा रहा है। इसके परिणाम स्वरुप आपको अपने संतान के विकास और उनके करियर की आकांक्षाओं को लेकर चिंता सता सकती है। वृषभ राशि में बृहस्पति के अस्त होने के दौरान नौकरी की स्थिरता संदेह में रहेगी जिसके परिणाम स्वरुप विभिन्न कारणों से नौकरी में असंतुष्टि के चलते आप बार-बार बदलाव करते नजर आ सकते हैं। इस राशि के जो जातक व्यवसाय के क्षेत्र से संबंधित हैं उनके जीवन में बाधाएँ आने वाली हैं जिससे वित्तीय प्रवाह में उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा और परिणाम स्वरुप लाभ और बिक्री में कमी होगी।
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कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों के लिए बृहस्पति चतुर्थ और सातवें घर का स्वामी है और आपके नवम घर में अस्त होने जा रहा है। यह स्थान धन और व्यावसायिक उन्नति के संदर्भ में अनुकूल और प्रतिकूल परिणाम दोनों ही देने वाला है। करियर में बदलाव विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में लाभप्रद संभावनाएं आएंगी। इस राशि के व्यवसाई अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन और यात्रा संबंधी व्यवसाय से कमाई करेंगे लेकिन त्वरित गति से नहीं बल्कि धीमी गति से। पैसों के मामले में बचत धीरे-धीरे लेकिन मध्यम रूप से की जा सकेगी। रिश्ते में संतुष्टि अपर्याप्त रहेगी और सामान्य स्वास्थ्य बिना किसी बड़ी समस्या के स्थिर रहेगा।
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वृषभ राशि में बृहस्पति अस्त- नोट कर लें प्रभावशाली उपाय
- बृहस्पति के बीज मंत्र का रोजाना 108 बार जाप करें।
- भगवान विष्णु की पूजा करें और उन्हें पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएँ।
- ज्यादातर पीला कपड़ा पहनें और अपनी कुंडली में बृहस्पति की स्थिति के आधार पर पीला नीलम रत्न भी धारण कर सकते हैं। हालांकि इसे धारण करने से पहले विद्वान ज्योतिषियों से परामर्श अवश्य कर लें।
- मुमकिन हो तो गुरुवार का व्रत प्रारंभ कर दें।
- बृहस्पति यंत्र की स्थापना करें और नियमित रूप से उसकी पूजा करें।
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