गणेश चतुर्थी 2025: साल भर की प्रतीक्षा के बाद एक बार फिर से घर-आंगन में गणपति बप्पा के स्वागत की तैयारी शुरू हो चुकी है। ढोल-नगाड़ों की गूंज, मोदक की मिठास और भक्ति से भरे माहौल में जब विघ्नहर्ता पधारते हैं, तो हर दिशा में सुख-शांति और समृद्धि की अनुभूति होती है। गणेश चतुर्थी न केवल भगवान के जन्मोत्सव का पर्व है, बल्कि यह एक ऐसा समय होता है जब भक्त अपने प्रिय बप्पा को घर लाकर पूरे विधि-विधान से उनकी स्थापना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि गणेश जी को प्रथम पूज्य होना का वरदान मिला है और उनकी पूजा से सारे कार्य निर्विघ्न पूर्ण होते हैं।

इस पावन अवसर पर लोग अपने घरों, कार्यालयों और पंडालों में गणपति की प्रतिमा स्थापित करते हैं और दस दिनों तक भक्ति, सेवा और श्रद्धा से उनका पूजन करते हैं। लेकिन बप्पा की स्थापना तभी फलदायी होती है जब उसे सही मुहूर्त और विधि से किया जाए।
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तो आइए जानें इस वर्ष गणेश स्थापना का शुभ मुहूर्त, पूजन, विधि, नियम और वो सब कुछ जो आपको इस गणेशोत्सव को सार्थक और शुभ बनाने के लिए जानना चाहिए।
गणेश चतुर्थी 2025: तिथि व मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 26 अगस्त की दोपहर 01 बजकर 56 मिनट पर होगी, जिसका समापन अगले दिन यानी 27 अगस्त की दोपहर 03 बजकर 46 मिनट पर होगी। उदया तिथि के आधार पर 27 अगस्त दिन बुधवार को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा।
पूजा मुहूर्त 2025
गणेश पूजन के लिए मध्याह्न मुहूर्त : 27 अगस्त की सुबह 11 बजकर 05 मिनट से दोपहर 01 बजकर 39 मिनट तक।
अवधि : 2 घंटे 34 मिनट
समय जब चन्द्र दर्शन नहीं करना है : 26 अगस्त की दोपहर 01 बजकर 56 मिनट से रात 08 बजकर 27 मिनट तक।
समय जब चन्द्र दर्शन नहीं करना है : 27 अगस्त की सुबह 09 बजकर 28 मिनट से रात 08 बजकर 56 मिनट तक।
गणेश विसर्जन 2025 में कब होगा
इस बार 6 सितंबर 2025, को अनंत चतुर्दशी दिन शनिवार को गणेश विसर्जन किया जाएगा।
गणेश चतुर्थी महत्व
गणेश चतुर्थी केवल एक पर्व नहीं, बल्कि श्रद्धा, भक्ति और विश्वास का उत्सव है। यह दिन भगवान श्री गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है, जिन्हें ‘विघ्नहर्ता’, ‘सिद्धिदाता’ और बुद्धि के देवता के रूप में पूजा जाता है। यह पर्व भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को पूरे भारत, विशेषकर महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, उत्तर भारत और विदेशों में भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भक्त अपने घरों में गणपति बप्पा की स्थापना करते हैं और उन्हें मोदक, दूर्वा और लड्डू का भोग अर्पित कर विशेष पूजा करते हैं।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन बप्पा स्वयं धरती पर पधारते हैं और अपने भक्तों के दुखों का अंत कर, जीवन में सुख शांति और सफलता का आशीर्वाद देते हैं। गणेश चतुर्थी का सबसे खास संदेश यही है कि हर नए कार्य की शुरुआत बप्पा के आशीर्वाद से होनी चाहिए। वे सिर्फ विघ्नों को हरते ही नहीं, बल्कि बुद्धि, विवेक और विनय भी देते हैं, जो जीवन को सही दिशा में ले जाने के लिए जरूरी हैं।
आज के भागदौड़ भरे जीवन में यह पर्व हमें फिर से ध्यान, श्रद्धा और सादगी की ओर लौटने का अवसर देता है। जब परिवार एक साथ बप्पा की सेवा में जुटता है, तो घर का वातावरण भी सकारात्मक और पवित्र हो उठता है।

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गणेश स्थापना की विधि
- घर की सफाई करें और उस स्थान को शुद्ध करें जहां गणपति जी विराजमान होंगे।
- एक पवित्र लकड़ी की चौकी या पट्टा लें और उस पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं।
- उस स्थान पर एक स्वस्तिक चिह्न बनाएं और चावल से हलका सा चौकोर मंडप बनाएं।
- शुभ मुहूर्त में गणेश जी की मूर्ति को घर लाएं, मूर्ति को लात समय गणपति बप्पा मोरया का जयघोष करें।
- मूर्ति को मंडप पर स्थापित करें और उनके दाएं हाथ में अक्षत, बाएं हाथ में दूर्वा रखें।
- उनके सामने एक तांबे या मिट्टी के कलश में जल भरकर रखें।
- ध्यान रखें कि मूर्ति मिट्टी या शुद्ध पर्यावरण अनुकूल होनी चाहिए।
- विसर्जन तक गणेश जी को अकेला न छोड़ें – दिन में कम से कम एक बार भजन, आरती अवश्य करें।
गणेश चतुर्थी की पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय की बात है। देवी पार्वती ने एक दिन स्नान करते समय अपने शरीर की मैल से एक बालक की मूर्ति बनाई और उसमें प्राण डाल दिए। वह बाल सुंदर, बलवान और आज्ञाकारी था। पार्वती जी ने उसे आदेश दिया कि जब तक वह स्नान कर रही है, तब तक किसी को भीतर न आने देना, चाहे कोई भी हो। उस समय भगवान शिव वहां पहुंचे और बालक से अंदर जाने का रास्ता मांगा। लेकिन बालक ने उन्हें रोक दिया।
यह देख शिव जी को क्रोध आ गया उन्होंने चेतावनी दी लेकिन वह बालक अपनी मां की आज्ञा से टस से मस न हुआ। तब भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से उसका सिर काट दिया। जब माता पार्वती बाहर आई और यह दृश्य देखा, तो वह अत्यंत दुखी हो गईं और क्रोधित होकर संपूर्ण ब्रह्मांड को नष्ट करने की धमकी दे दी। सभी देवता परेशान हो गए और शिव जी से क्षमा याचना की।
माता पार्वती के क्रोध को शांत करने के लिए भगवान शिव ने देवताओं को आज्ञा दी कि जो भी जीव उत्तर दिशा की ओर सोया हो उसका सिर लेकर आओ। देवताओं को एक हाथी का बच्चा मिला, जो उत्तर दिशा की ओर सोया हुआ था। वे उसका सिर लेकर आए और भगवान शिव ने उसे बालक के धड़ से जोड़ दिया।
देवी पार्वती की प्रसन्नता के लिए शिव जी ने उस बालक को गणेश नाम दिया और आशीर्वाद दिया कि उन्हें सभी देवताओं में सबसे पहले पूजा जाएगा। तभी से भगवान गणेश को प्रथम पूज्य का स्थान मिला।
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गणेश चतुर्थी 2025 पर इन मंत्रों का करें जाप
मंत्र: ॐ गण गणपतये नमः ।
लाभ: यह गणेश जी का मूल बीज मंत्र है। इसे प्रतिदिन जपने से सभी विघ्न, रुकावटें, और नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है। यह मंत्र मन को शांति, और जीवन में स्थिरता देता है।
मंत्र: ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा ।
लाभ: यह मंत्र कार्य में सफलता, लक्ष्य की प्राप्ति और दिमागी फोकस के लिए बहुत असरदार है। खासतौर पर छात्रों और नौकरी करने वालों के लिए उत्तम है।
मंत्र: वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
लाभ: यह सबसे प्रसिद्ध गणेश मंत्र है। इसे हर शुभ कार्य से पहले बोलना चाहिए। यह जीवन के सभी संकट, रुकावट और अनचाही घटनाओं से रक्षा करता है।
मंत्र: ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्॥
लाभ: यह मंत्र बुद्धि, ज्ञान और निर्णय क्षमता को बढ़ाने वाला है। बच्चों, छात्रों और नई शुरुआत करने वालों के लिए विशेष लाभकारी है।
मंत्र: ॐ पार्वतीप्रियाय नमः।
लाभ: यह मंत्र गृहस्थ, सुख, दांपत्य जीवन और पारिवारिक शांति के लिए फलदायी है। माता पार्वती के साथ गणपति को प्रसन्न करता है।
इन मंत्रों का कम से कम 11, 21 या 108 बार मंत्र का उच्चारण करें। मंत्र जाप करने से पहले साफ सुथरी जगह पर बैठें और दीपक या धूप जलाकर ध्यानपूर्वक जप करें।
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गणेश चतुर्थी 2025 पर राशि अनुसार करें मंत्र का जाप
| राशि | मंत्र |
| मेष राशि | ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये नमः । |
| वृषभ राशि | ॐ वक्रतुण्डाय हुं । |
| मिथुन राशि | ॐ गं गणपतये नमः । |
| कर्क राशि | ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्॥ |
| सिंह राशि | ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः गणेशाय नमः । |
| कन्या राशि | ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ |
| तुला राशि | ॐ लम्बोदराय नमः । |
| वृश्चिक राशि | ॐ गजवक्त्राय नमः । |
| धनु राशि | ॐ ध्रां ध्रीं ध्रौं सः सिद्धिविनायकाय नमः । |
| मकर राशि | ॐ एकदन्ताय नमः । |
| कुंभ राशि | ॐ विघ्नराजाय नमः । |
| मीन राशि | ॐ सुमुखाय नमः । |
इन आसान उपायों से दूर करें जीवन से जुड़ी हर समस्या
समस्याएं व रुकावटें दूर करने के लिए
गणेश चतुर्थी के दिन पीले कपड़े में 21 दूर्वा बांधकर गणपति को अर्पित करें और इस दौरान “ॐ गं गणपतये नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें। ऐसा करने से जीवन से सभी रुकावटें और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
धन की स्थिरता और बरकत के लिए
गणेश जी को मोदक या बेसन के लड्डू का भोग लगाएं और उसमें से एक लड्डू घर के तिजोरी या धन स्थान पर रख दें। ऐसा करने से धन आगमन के मार्ग खुलते हैं और बरकत बनी रहती है।
घर में सुख-शांति के लिए
गणेश चतुर्थी पर लाल चंदन से दरवाजे के दोनों ओर “ॐ” और “स्वास्तिक” का चिन्ह बनाएं। ऐसा करने से नेगेटिविटी दूर होती है, घर में सुख-शांति और प्रेम बना रहता है।
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विद्या और बुद्धि के लिए
छात्र गणेश चतुर्थी के दिन अपने अध्ययन कक्ष में गणपति की छोटी सी मूर्ति रखें और हर दिन ॐ वक्रतुण्डाय नमः का 21 बार जाप करें। ऐसा करने से एकाग्रता बढ़ती है, पढ़ाई में रुचि और सफलता मिलती है।
विवाह में देरी या कलह के लिए
गणेश चतुर्थी के दिन गणपति को लाल सिंदूर और पांच गुलाब अर्पित करें और इस दौरान “ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये नमः मंत्र का 108 बार जाप करें। ऐसा करने से विवाह में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और वैवाहिक जीवन में प्रेम बढ़ता है।
बिजनेस में सफलता के लिए
गणेश चतुर्थी पर एक पीला कपड़ा लें, उसमें सुपारी, हल्दी की गांठ, दूर्वा और गुड़ रखकर पोटली बनाएं और दुकान या ऑफिस में स्थापित करें। ऐसे में, नया काम शुरू करने में सफलता मिलती है और व्यापार में बढ़ोतरी होती है।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
गणेश चतुर्थी 2025 में 26 अगस्त (मंगलवार) को मनाई जाएगी। इस दिन चंद्र दर्शन वर्जित होता है, इसलिए चंद्रमा देखने से बचें।
हां, बिल्कुल! गणेश चतुर्थी पर घर में गणपति बप्पा की मूर्ति स्थापित की जा सकती है — बस पूजा विधि और विसर्जन का ध्यान जरूर रखें।
आप अपनी सुविधा अनुसार 1.5 दिन, 3 दिन, 5 दिन, 7 दिन या 10 दिन (अनंत चतुर्दशी) तक गणपति की स्थापना कर सकते हैं।