06 मई को गजकेसरी योग के साथ भद्रा का पृथ्वी पर वास, इस राशि के जातक रहें सावधान

साल 2021 का मई महीना कई बड़े गोचरों और योग का महीना है। अब 06 मई 2021 को ऐसा ही एक विशेष योग यानी कि चन्द्र और बृहस्पति (गजकेसरी योग) का योग हो रहा है लेकिन इसके साथ ही इस दौरान भद्रा भी पड़ रहा है। ऐसे में आज हम आपको इस लेख में गजकेसरी योग के बारे में बताने वाले हैं और साथ ही आपको इस बात की भी जानकारी देंगे कि इस योग का हम सब के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ेगा। साथ ही भद्रा के पड़ने से इस दिन पर क्या प्रभाव पड़ेगा इस बात की भी जानकारी आपको आज के इस लेख में दी जाएगी।

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ज्योतिष शास्त्र यह बात मानता है कि हमारे जीवन में घटने वाली प्रत्येक घटना ग्रहों के चाल व स्थिति पर निर्भर करती है। जाहीर सी बात है कि समय की ही तरह ग्रह भी चलायमान हैं। इसलिए न कभी ग्रह रुकते हैं, न समय और न ही हमारी ज़िंदगी। यही वजह है कि दुनिया भर के ज्योतिषियों की नज़र ग्रह और गोचर पर बनी रहती है।

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इसी क्रम में साल 2021 के मई महीने की छह तारीख ज्योतिषियों के लिए कई मायनों में विशेष बन गयी है। दरअसल इस दिन चंद्रमा व बृहस्पति की युति हो रही है और इस अति विशेष युति को ज्योतिषीय भाषा में गजकेसरी योग का नाम दिया गया है। 

क्या है गजकेसरी योग?

गजकेसरी योग दो शब्दों से मिलकर बना है; गज और केसरी। ‘गज’ का अर्थ है हाथी जबकि ‘केसरी’ का अर्थ होता है सिंह। इस योग का अर्थ इसके इन दो शब्दों में ही समाहित है। 

जिस भी जातक की कुंडली में गजकेसरी योग बनता है उस जातक के पास हाथी जैसी बुद्धि और अभिमान मुक्त ताकत व सिंह जैसी फुर्ती और पराक्रम के गुण मौजूद होते हैं। ऐसे जातक उच्च पदों पर विराजमान होते हैं और एक कुशल व प्रखर वक्ता होते हैं। ऐसे जातक समाज में बहुत मान और सम्मान प्राप्त करते हैं और बृहस्पति की कृपा से इनके जीवन में धन की भी कोई कमी नहीं होती है।

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गजकेसरी योग कैसे करें मजबूत?

कभी-कभी ऐसा होता है कि जातकों की कुंडली में गजकेसरी योग तो होता है लेकिन उन्हें इसका पूर्ण फल नहीं प्राप्त होता है। ऐसे में जातकों को गजकेसरी योग को मजबूत करने की जरूरत पड़ती है। आइये अब हम आपको गजकेसरी योग को मजबूत बनाने के उपायों के बारे में बताते हैं।

गजकेसरी योग को मजबूत करने के लिए जातकों को पीला पुखराज धारण चाहिए। वहीं आप सफ़ेद मोती को धारण कर के भी गजकेसरी योग को मजबूत कर सकते हैं। आपको बता दें कि पीला पुखराज भगवान बृहस्पति को प्रसन्न करने के लिए होता है जबकि सफ़ेद मोती को धारण करने से चंद्रमा देवता प्रसन्न होते हैं। हालांकि ध्यान रहे कि इन रत्नों को धारण करने से पहले किसी विद्वान ज्योतिषी की सलाह अवश्य ले लें। भगवान शिव की आराधना करने से भी गजकेसरी योग को बल मिलता है।

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आइये अब विस्तार से जानते हैं कि 06 मई को बनने वाले गजकेसरी योग का आपके और हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ने वाला है। 

क्या पड़ेगा गजकेसरी योग का आपके जीवन पर प्रभाव?

चूंकि 06 मई को बृहस्पति और चंद्रमा की अद्भुत युति हो रही है, ऐसे में सभी जातकों पर इसका असर पड़ेगा। 06 मई को चंद्रमा और बृहस्पति कुम्भ राशि में युति कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में यह युति वृषभ, तुला और वृश्चिक राशि के जातकों के लिए बहुत ही लाभकारी सिद्ध होने वाला है।

इन तीनों राशि के जातकों को इस दिन आर्थिक लाभ होने की उम्मीद है। व्यवसाय कर रहे जातकों को भी इस दिन व्यवसाय में उम्मीद से बेहतर नतीजे प्राप्त होने की संभावना है। इस के साथ ही स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से भी यह योग इन तीन राशियों के लिए बेहद शुभ फल देने वाला साबित होगा।

भद्रा का अड़ंगा

संयोग की बात है कि इस दिन पृथ्वी लोक पर गजकेसरी योग के साथ-साथ भद्रा भी रहने वाली है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भद्रा को अशुभ माना गया है। इस दौरान सभी शुभ व मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं। ऐसे में इस दिन आप किसी भी तरह का नया काम या फिर हवन इत्यादि न करें तो बेहतर है। इस दिन किसी भी नए काम को शुरू करने वाले जातक के कार्य में जिंदगी भर बाधा व परेशानी बनी रहती है।

खास कर से कुंभ राशि के जातकों को इस दौरान खास तौर से सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि भद्रा इस दिन कुंभ राशि पर ही रहने वाली है। ऐसे में कुंभ राशि वाले जातकों को खास तौर से सलाह दी जाती है कि आज के दिन किसी भी तरह का आर्थिक लेन देन करने से बचें वर्ण आर्थिक नुकसान झेलना पड़ सकता है।

हालांकि भद्रा के दौरान कुछ काम जैसे कि अग्नि संस्कार, शत्रु को कैद करना, युद्ध करना, क्रूर कर्म, इत्यादि पर कोई मनाही नहीं होती है। मान्यता है कि अनजाने में भी अगर भद्रा के दौरान कोई शुभ कार्य किया जाता है तो भी उसका कोई फल नहीं प्राप्त होता है।

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