दुर्गा विसर्जन: कैसे करें दुर्गा विसर्जन, जानें शुभ मुहूर्त और संपूर्ण पूजा विधि !

9 दिनों तक चलने वाले त्यौहार दुर्गा पूजा का समापन दुर्गा विर्सजन के साथ होता है, जिसमें  लोग बहुत भारी मन से माँ दुर्गा को विदाई देते हैं। मान्यता है कि माँ 10 दिनों के लिए मायका आती है, इसीलिए लोग अलग-अलग तरीकों से माँ को प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। ज्यादातर भक्त देवी दुर्गा के विसर्जन के बाद ही नवरात्रि का व्रत तोड़ते हैं। दुर्गा विसर्जन करने के बाद विजयादशमी का त्यौहार मनाया जाता है। माना जाता है कि इसी दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था। वहीं देवी दुर्गा ने भी इस दिन असुर महिषासुर का संहार किया था। इस साल शारदीय नवरात्रि कि शुरुआत 29 सितंबर से हुई थी और दुर्गा विसर्जन 8 अक्टूबर को किया जायेगा। 

नवरात्रि के समापन के बाद दशमी तिथि को माँ दुर्गा की प्रतिमा को किसी समुन्द्र में या सरोवर में विसर्जित किया जाता है। कुछ लोग 9 दिन तो बहुत ही श्रद्धा के साथ पूजा करते हैं लेकिन दुर्गा विसर्जन के समय की जाने वाली पूजा को ज़्यादा महत्व नहीं देते। दुर्गा विसर्जन पूजा की अपनी एक विधि होती है, जो कि नवरात्रि की पूजा से अलग होती है। तो चलिए आपको बताते हैं, दुर्गा विसर्जन का शुभ का मुहूर्त और संपूर्ण पूजा विधि के बारे में  –

2019 में दुर्गा विसर्जन का मुहूर्त 

दुर्गा विसर्जन का दिन: 8 अक्टूबर, गुरुवार

दुर्गा विसर्जन समय : 06:17:33 से 08:37:59 तक

अवधि : 2 घंटे 20 मिनट

दुर्गा विसर्जन की पूजा विधि

  • कन्या पूजन करने के बाद एक फूल और कुछ चावल के दाने मुट्ठी में लें और संकल्प लें।
  • घट यानि कलश में जो स्थापित नारियल हो उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करें और सब में बाँट दें। 
  • कलश के जल को पूरे घर में छिड़क दें और फिर बचे हुए जल और सुपारी को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। 
  • कलश में रखें जो सिक्कों हो उसे अपनी तिजोरी या गुल्लक में रख सकते हैं, ऐसा करने से बरकत होती है। 
  • माता की चौकी से सिंहासन को वापस अपने घर के मंदिर में रख दें। 
  • माता को चढ़ाये गयी श्रृंगार सामग्री जैसे साड़ी आदि को घर की महिला सदस्य या कोई सुहागन इस्तेमाल कर सकती हैं। 
  • माता दुर्गा की प्रतिमा के पास रखे श्री गणेश की प्रतिमा को भी वापस घर के मंदिर रख दें। 
  • चढ़ावे के तौर पर इस्तेमाल किये गए सभी फल, मिष्ठान्न आदि को बांट दें। 
  • चौकी और कलश के ढक्कन पर रखे गए चावल को इकट्ठा कर पक्षियों को डाल दें। 
  • माँ दुर्गे की प्रतिमा या तस्वीर, कलश में बोयें गए जौ और बाकि पूजा सामग्री को प्रणाम कर नदी या सरोवर में विसर्जित कर दें। 
  • दुर्गा विसर्जन के बाद एक नारियल, दक्षिणा और चौकी के कपडें किसी ब्राह्मण को दान में दे दें। 

यह भी जानें –

रावण वध के अलावा इन कारणों से भी मनाया जाता है दशहरा !

जानें क्या थे रावण के सात अधूरे सपने, जिन्हें वो पूरे नहीं कर पाया !

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.