दिवाली या दीपावली का त्यौहार हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्यौहार होता है। यह पांच दिवसीय त्यौहार होता है जिसकी शुरुआत धनतेरस से होती है और भैया दूज पर जाकर इसका समापन हो जाता है। दिवाली का त्योहार मुख्यतः देवी लक्ष्मी और मां काली को समर्पित होता है। हालांकि बीच में जो अन्य त्यौहार मनाए जाते हैं उस दौरान अलग-अलग देवताओं की पूजा की जाती है जैसे धनतेरस पर देव धन्वन्तरी की, नरक चौदस पर यमराज की, गोवर्धन पूजा में भगवान कृष्ण की पूजा का विधान बताया गया है।
पंचांग के अनुसार इस वर्ष अर्थात 2024 में दिवाली की तिथि को लेकर काफी संशय चल रहा है। हालांकि अपने इस खास ब्लॉगक के माध्यम से आज हम आपको दिवाली की सही तिथि की जानकारी प्रदान करेंगे, साथ ही जानेंगे इस दौरान राशि अनुसार किए जाने वाले कुछ उपायों की जानकारी और बताएंगे की दिवाली 2024 के दिन कौन सा शुभ योग बनने वाला है।
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2024 में कब है दिवाली?
हालांकि आगे बढ़ने से पहले सबसे पहले जान लेते हैं वर्ष 2024 में दिवाली और अन्य चार महत्वपूर्ण त्यौहार किस किस दिन मनाए जाएंगे
दिन 1 द्वादशी धनतेरस
29 अक्टूबर 2024 (मंगलवार)
दिन 2 चतुर्दशी नरक चतुर्दशी
31 अक्टूबर 2024 (गुरुवार)
दिन 3 अमावस्या दिवाली 1
नवंबर 2024 (शुक्रवार)
दिन 4 प्रतिपदा गोवर्धन पूजा
2 नवंबर 2024 (शनिवार)
दिन 5 द्वितीया भाई दूज
3 नवंबर 2024 (रविवार)
अब इन दिनों के शुभ मुहूर्त की बात करें तो,
सबसे पहले धनतेरस का शुभ मुहूर्त
धनतेरस मुहूर्त : 18:33:13 से 20:12:47 तक
अवधि :1 घंटे 39 मिनट
प्रदोष काल :17:37:59 से 20:12:47 तक
वृषभ काल :18:33:13 से 20:29:06 तक
नरक चतुर्दशी का शुभ मुहूर्त
अभ्यंग स्नान समय :05:18:59 से 06:32:42 तक
अवधि :1 घंटे 13 मिनट
दिवाली 2024 का शुभ मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त :17:35:38 से 18:18:58 तक
अवधि :0 घंटे 43 मिनट
प्रदोष काल :17:35:38 से 20:11:20 तक
वृषभ काल :18:21:23 से 20:17:16 तक
दिवाली महानिशीथ काल मुहूर्त
लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त :कोई नहीं
अवधि :0 घंटे 0 मिनट
महानिशीथ काल :23:38:56 से 24:30:50 तक
सिंह काल :24:52:58 से 27:10:38 तक
दिवाली शुभ चौघड़िया मुहूर्त
प्रातःकाल मुहूर्त्त (चल, लाभ, अमृत):06:33:26 से 10:41:45 तक
अपराह्न मुहूर्त्त (शुभ):12:04:32 से 13:27:18 तक
सायंकाल मुहूर्त्त (चल):16:12:51 से 17:35:37 तक
गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त
गोवर्धन पूजा प्रातःकाल मुहूर्त :06:34:09 से 08:46:17 तक
अवधि :2 घंटे 12 मिनट
गोवर्धन पूजा सायंकाल मुहूर्त :15:22:44 से 17:34:52 तक
अवधि :2 घंटे 12 मिनट
भाई दूज का शुभ मुहूर्त
भाई दूज तिलक का समय :13:10:27 से 15:22:18 तक
अवधि :2 घंटे 11 मिनट
अधिक जानकारी: यहां हमने जितने भी शुभ मुहूर्त प्रदान कर रहे हैं वो सब नई दिल्ली के लिए मान्य हैं। अगर आप अपने शहर के अनुसार इस दिन का शुभ मुहूर्त जानना चाहते हैं तो इस लिंक पर क्लिक करें- दिवाली 2024 शुभ मुहूर्त।
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दिवाली कब मनाते हैं?
कार्तिक मास के अमावस्या के दिन प्रदोष काल होने पर दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है। अगर दो दिन तक अमावस्या तिथि रहती है तो प्रदोष काल का स्पर्श न करें तो दूसरे दिन दिवाली मनाने का विधान है। वहीं एक मत के अनुसार अगर दो दिन तक अमावस्या तिथि प्रदोष काल में नहीं आती तो ऐसी स्थिति में पहले दिन दिवाली मनाई जाती है।
इसके अलावा अगर अमावस्या तिथि का विलोपन हो जाए अर्थात अगर अमावस्या तिथि पड़े ही ना और चतुर्दशी के बाद सीधे प्रतिपदा आरंभ हो जाए तो पहले दिन चतुर्दशी तिथि को ही दिवाली मनाई जाती है।
अब सवाल उठता है कि दिवाली पर लक्ष्मी पूजन कब करें? तो प्रदोष काल में सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त लक्ष्मी पूजन के लिए सबसे उत्तम माने गए हैं। स्थिर लग्न होने से पूजा का विशेष महत्व प्राप्त होता है। वहीं महा निशीथ काल में मध्य रात्रि के समय आने वाला मुहूर्त माता काली के पूजन के लिए उत्तम माना गया है। यह समय तांत्रिक पूजा के लिए सबसे शुभ होता है।
दिवाली पर क्या करें
कार्तिक अमावस्या के दिन प्रातः काल शरीर पर तेल की मालिश करने के बाद स्नान करने का विधान बताया गया है। कहते हैं ऐसा करने से धन की हानि नहीं होती है। दिवाली के दिन परिवार के वृद्ध और बच्चों को छोड़कर बाकी लोगों को भोजन नहीं करना चाहिए। शाम के समय लक्ष्मी पूजन की बात पूजन ग्रहण करें। दिवाली के दिन पूर्वजों का पूजन अवश्य करें और उन्हें भी धूप और दीप अर्पित करें। प्रदोष काल के समय हाथ में उलका धारण कर पितरों को मार्ग दिखाएं। ऐसा करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है। दिवाली से पहले मध्य रात्रि को स्त्री पुरुषों को गीत, भजन और घर में उत्सव मनाना चाहिए ऐसा करने से घर में व्याप्त दरिद्रता दूर होती है।
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दिवाली का ज्योतिषीय महत्व जानते हैं आप?
हिंदू धर्म के हर एक त्यौहार का ज्योतिषीय महत्व भी होता है। ऐसे में बात करें दिवाली के त्यौहार की तो हिंदू समाज में दिवाली का समय किसी भी कार्य के शुभारंभ, किसी भी वस्तु की खरीदारी के लिए बेहद ही उत्तम और शुभ माना जाता है। इसके पीछे ज्योतिषीय महत्व है। दरअसल दीपावली के आसपास सूर्य और चंद्रमा तुला राशि में स्वाति नक्षत्र में स्थित रहते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य और चंद्रमा की यह स्थिति बेहद ही शुभ और उत्तम फल देने वाली मानी गई है।
तुला एक संतुलित भाव वाली राशि होती है। यह राशि न्याय और अपक्षपात का भी प्रतिनिधित्व करती है। तुला राशि के स्वामी शुक्र जो कि स्वयं सौहार्द, भाईचारे, सद्भाव और सम्मान के कारक माने गए हैं ऐसे में इन्हीं गुणों की वजह से सूर्य और चंद्रमा दोनों का तुला राशि में स्थित होना बेहद ही सुखद और शुभ संयोग माना जाता है। यही वजह है कि दिवाली के दौरान अगर आप किसी नई चीज की शुरुआत करते हैं, कोई व्यवसाय शुरू करते हैं, किसी नई नौकरी में प्रवेश करते हैं, किसी बड़ी चीज की खरीदारी करते हैं, घर बनवाते हैं, घर में प्रवेश करते हैं तो इसके लिए यह समय बेहद ही उत्तम होता है।
इसके अलावा दिवाली का समय आध्यात्मिक और सामाजिक दोनों ही रूपों से विशेष महत्वपूर्ण माना गया है। यह समय आध्यात्मिक अंधकार पर आंतरिक प्रकाश, अज्ञान पर ज्ञान, असत्य पर सत्य, और बुराई पर अच्छाई का उत्सव भी कहा जाता है।
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दीपावली पर दीपक जलाते समय भूलकर भी ना करें ये गलतियां
दीपावली के दिन दिये जलाना बहुत ही शुभ माना जाता है और तकरीबन हर घर में यह प्रथा मनाई जाती है लेकिन दिये जलाकर खाली जमीन पर भूल कर भी ना रखें। फिर चाहे वह घर के प्रवेश द्वार पर हो या माता लक्ष्मी के सामने रखा दिया ही क्यों ना हो। इससे नकारात्मक प्रभाव पड़ने लगता है। दिये को जलाकर उसे किसी आसन पर अवश्य रखें। इससे सकारात्मकता जीवन में आती है।
इसके अलावा दीपावली के दिन दीपक जलाकर हमेशा पूर्व दिशा में ही रखें इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा। अब सवाल उठता है कि, आसन कैसे बनाएं? अर्थात दिवाली का दिया किस चीज पर रखें। तो आप चाहे तो खड़े चावल का आसान बना सकते हैं और इसके ऊपर दीपक रख सकते हैं या फिर रोली अक्षत का आसान बनाकर इस पर दीपक रख सकते हैं। अगर आप खड़े चावल के आसन पर दीपक रखते हैं तो इससे माँ लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और आपकी किस्मत चमकने लगती है वहीं रोली अक्षत का आसान अगर आप इस्तेमाल करते हैं तो इससे आपकी कुंडली में मौजूद ग्रह मजबूत होते हैं।
दीपावली पर कितने दीपक जलाएं और क्या है इनका महत्व
दीपावली का पहला दिया धनतेरस के दिन जलाया जाता है इसे यम दीपक कहते हैं। यह मृत्यु के देवता यमराज को समर्पित होता है। धनतेरस के दिन शाम को सूर्यास्त के बाद घर के मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर दक्षिण दिशा में दीपक जलाया जाता है। कहते हैं ऐसा करने से परिवार से अकाल मृत्यु का डर दूर हो जाता है। इसके अलावा अगर आप दीपक की बात कर रहे हैं तो दीपक हमेशा विषम संख्या में ही जलाने चाहिए अर्थात पांच दीपक, सात दीपक या नौ दीपक।
इसके अलावा तेल में हमेशा सरसों के तेल का इस्तेमाल करें। मुख्य तौर पर पांच दीपक जलाना बेहद अनिवार्य होता है। इसमें से एक दिया घर के सबसे ऊंचे स्थान पर रखते हैं, दूसरा दिया घर की रसोई में रखें, तीसरा दिया पीने के पानी के पास रखें, चौथ दिया पीपल के पेड़ के पास रख दें और पांचवा दिया घर के मुख्य प्रवेश द्वार जिसे यम दीपक कहते हैं वहां रखें।
दीपावली में दीपक जलाने की हालांकि ऐसी कोई संख्या नहीं होती है आप जितने चाहे उतने दीपक जला सकते हैं लेकिन कम से कम पांच दीपक तो आपको अवश्य जलाएँ ही। दिया जलाने के लिए विशेष मंत्र का भी जप किया जाता है। क्या हैं ये मंत्र:
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दीये जलाने का मंत्र
शुभं करोति कल्याणं आरोग्यम् धनसंपदा।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोऽस्तु ते।।
दीपावली पर क्या करें-क्या ना करें?
- दीपावली के दिन रंगोली अवश्य बनाएं। इससे मां लक्ष्मी की प्रसन्नता हासिल होती है।
- दिवाली के दिन घर में तोरण अवश्य लगाएँ। यह आम के पत्ते, फूल आदि से बनाया जाता है। इसे लगाने से घर में सुख समृद्धि आती है।
- दिवाली के मौके पर अपने घर और ऑफिस को अच्छी तरह से सजाएँ।
- दिवाली के दिन झाड़ू पूजन अवश्य करें।
- दिवाली के दिन प्रवेश द्वार के दोनों तरफ दीप अवश्य जलाएं। इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
अब बात करें क्या ना करें कि तो,
- दिवाली के दिन शराब का सेवन बिलकुल भी ना करें।
- अपने घर और आसपास का वातावरण शांत रहने दें।
- वाद विवाद ना करें।
- आमतौर पर दिवाली के दिन संध्या बेला में सोए नहीं। ऐसा करने से घर में दरिद्रता नहीं आती है।
- अपने घर की स्त्रियों का अपमान ना करें।
- दिवाली के दिन अगर आप किसी को तोहफे देने जा रहे हैं तो धारदार चीजों या फिर पटाखे कभी भी तोहफे में ना दें। इस पर रिश्ते में खटास आती है।
दीपावली पर राशि अनुसार महालक्ष्मी पूजन
कहते हैं दीपावली के समय अगर आप अपनी राशि के अनुसार विधि विधान से पूजा करें तो इससे आपको माँ लक्ष्मी की प्रसन्नता अवश्य हासिल होती है और जीवन में धन समृद्धि आती है। चलिए आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं किन राशि के जातकों को किस तरह से लक्ष्मी पूजन इस दिन करना होता है।
मेष राशि: मेष राशि के जातक दीपावली के दिन शुक्र यंत्र और शनि यंत्र मंत्रों से अभिमंत्रित करके घर के मंदिर में एक वर्ष के लिए स्थापित कर दें और इसकी नियमित रूप से मां लक्ष्मी की पूजन करें। इससे मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती।
वृषभ राशि: वृषभ राशि के जातक दीपावली की रात्रि से लगातार 7 दिन तक महालक्ष्मी यंत्र के समक्ष कमलगट्टे की माला से मां लक्ष्मी मंत्र का जप करें। इससे आपके जीवन में आर्थिक संपन्नता आने की संभावना बढ़ती है।
मिथुन राशि: मिथुन राशि के जातक दीपावली के दिन चांदी का श्री यंत्र बनाकर श्री लक्ष्मी के मंत्रों से अभिमंत्रित कर इसे गले में धारण करें तो धन लाभ होता है।
कर्क राशि: कर्क राशि के जातक दीपावली पर सूर्य यंत्र और शुक्र यंत्र बनवाकर अभिमंत्रित कर लें, घर के मंदिर में एक वर्ष के लिए स्थापित कर दें, नियमित रूप से इसकी पूजा करें तो आपको मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी।
सिंह राशि: सिंह राशि के जातक दीपावली के दिन बुध यंत्र अभिमंत्रित कर घर के मंदिर में एक वर्ष के लिए स्थापित कर दें। इसकी नियमित रूप से पूजा करें। आपको मां लक्ष्मी की कृपा अवश्य प्राप्त होगी।
कन्या राशि: कन्या राशि के जातक दीपावली के दिन चंद्र यंत्र और शुक्र यंत्र अभिमंत्रित करके घर के मंदिर में एक वर्ष के लिए स्थापित कर दें और नियमित रूप से इसके दर्शन और पूजा करें तो आर्थिक संकट दूर होने लगेगा।
तुला राशि: तुला राशि के जातक दीपावली के दिन श्री यंत्र की प्राण प्रतिष्ठा करके नियमित रूप से इसकी पूजा करें। आपके जीवन से दुख, रोग, दरिद्रता दूर होगी।
वृश्चिक राशि: वृश्चिक राशि के जातक दीपावली पर गुरु यंत्र और बुध यंत्र अभिमंत्रित करके घर के मंदिर में एक वर्ष के लिए स्थापित कर दें। नियमित रूप से इसके दर्शन और पूजा करें तो इससे आपको माँ की कृपा प्राप्त अवश्य होगी।
धनु राशि: धनु राशि के जातक दीपावली पर शनि यंत्र और शुक्र यंत्र अभिमंत्रित करके घर के मंदिर में 1 वर्ष के लिए स्थापित कर दें, नियमित रूप से इसके दर्शन और पूजा करें तो मां लक्ष्मी की कृपा हासिल होगी।
मकर राशि: मकर राशि के जातक दीपावली पर शनि और मंगल यंत्र अभिमंत्रित करके घर के मंदिर में एक वर्ष के लिए स्थापित कर दें, नियमित रूप से इसकी पूजा करें, दर्शन करें मां लक्ष्मी अवश्य प्रसन्न होंगी।
कुंभ राशि: कुम्भ राशि के जातक दीपावली पर गुरु यंत्र अभिमंत्रित करके घर के मंदिर में एक वर्ष के लिए स्थापित कर दें, नियमित रूप से इसकी पूजा और दर्शन करें, मां लक्ष्मी प्रसन्न होंगी।
मीन राशि: मीन राशि के जातक दीपावली पर शनि मंगल यंत्र अभिमंत्रित करके घर के मंदिर में एक वर्ष के लिए स्थापित कर दें, नियमित रूप से इसके दर्शन करें तो मां लक्ष्मी की कृपा और प्रसन्नता हासिल होगी।
इसके अलावा भी आप छोटे-छोटे पूजा में कुछ उपाय कर सकते हैं जिससे भी आपको मां लक्ष्मी की प्रसन्नता हासिल हो सकती है जैसे कि,
- मेष राशि के जातक मां लक्ष्मी को लाल फूल अवश्य अर्पित करें।
- वृषभ राशि के जातक इस दिन की पूजा के साथ मां लक्ष्मी मंत्र का जाप करें।
- मिथुन राशि के जातक महालक्ष्मी और भगवान गणेश की विधिवत पूजा करें।
- कर्क राशि के जातक कमल के फूल से मां लक्ष्मी की पूजा करें।
- सिंह राशि के जातक मां लक्ष्मी और गणेश भगवान की पूजा अवश्य करें और लाल रंग के फूल और मोदक पूजा में शामिल करें।
- कन्या राशि के जातक माता रानी को खीर का प्रसाद चढ़ाएं और हरे वस्त्र अर्पित करें।
- तुला राशि के जातक माता को लाल रंग के फूल और वस्त्र और मिठाई अर्पित करें।
- वृश्चिक राशि के जातक पूजा में लाल रंग का सिंदूर अवश्य चढ़ाएं।
- धनु राशि के जातक सफेद और पीले रंग के फूल अवश्य पूजा में शामिल करें।
- मकर राशि के जातक मां लक्ष्मी के समक्ष शुद्ध देसी घी का दीपक अवश्य जलाएं।
- कुंभ राशि के जातक दिवाली के दिन पीपल के पेड़ के नीचे दीपक प्रज्वलित करें।
- मीन राशि के जातक देवी को लाल चुनरी के साथ कमल का फूल अर्पित करें।
दिवाली और तिहार पर्व की सांस्कृतिक समानताएं
भारत और नेपाल को हिंदू राष्ट्र के रूप में जाना जाता है। साथ ही, इन दोनों देशों की धार्मिक, सांस्कृतिक मान्यताएं और रीति-रिवाज़ लगभग एक समान हैं। भारत और नेपाल में त्योहारों को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है जो सांस्कृतिक प्रेम एवं सौहार्द को दर्शाता है। उदाहरण के तौर पर, भारत में दिवाली और नेपाल में तिहार का पर्व लगातार पांच दिन मनाया जाता है और इसे मनाये जाने का तरीका और रिवाज़ भी लगभग समान है।
जैसे दिवाली पर्व का आरंभ धनतेरस से होता है, उसी तरह तिहार पर्व का काग पूजा के साथ होता है। इसमें कौओं का पूजन किया जाता है और उन्हें खाना खिलाया जाता है। इसके पीछे मान्यता है कि कौवों को हमारे पूर्वजों का संदेशवाहक माना जाता हैं और हमारे पूर्वजों तक भोजन को पहुंचाने के लिए कौओं को इस दिन खाना खिलाया जाता है।
ठीक इसी प्रकार, छोटी दिवाली की तरह ही नेपाल में कुकुर तिहार या काल भैरव पूजा की जाती है। इस पूजा के अंतर्गत कुत्तों का तिलक करके उन्हें फूल और भोजन अर्पित किया जाता है। बता दें कि कुत्ते को भगवान काल भैरव का वाहन माना जाता है जो धर्मराज युधिष्ठिर के साथ स्वर्ग तक गए थे।
तीसरा दिन काफी हद तक दिवाली से मिलता है। इस दिन सुबह गौ (गाय) माता की पूजा की जाती है और भारत की ही तरह शाम को लोग दीपक जलाते हैं और पटाखे फोड़ते हैं।
चौथे दिन, नेपाल में गोवर्धन पूजा की जाती है जो कि गोरू तिहार या गोरू पूजा के नाम से जानी जाती है। इस पूजा में भगवान शिव के वाहन नंदी बैल की पूजा की जाती है।
पांचवां और अंतिम दिन, भारत में मनाये जाने वाले भाई दूज की तरह भाई टिका का पर्व मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई के तिलक करती हैं और उनकी लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती हैं। इसके साथ ही, तिहार पर्व का समापन हो जाता है, ठीक वैसे ही जैसे भारत में भाई दूज के साथ दिवाली त्योहार का अंत हो जाता है।
तिहार पर्व के माध्यम से नेपाल गौ, नंदी समेत विभिन्न पशुओं के प्रति आभार प्रकट करता है और उनका आदर-सम्मान करता है, ठीक ऐसे ही भारत में दिवाली को मनाया जाता है। यह दोनों त्योहार भारत और नेपाल की संस्कृतियों में समानता को दर्शाते हैं और लोगों के जीवन में खुशियां लेकर आते हैं।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
वर्ष 2024 में दिवाली का त्योहार अमावस्या तिथि पर 1 नवंबर 2024 शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा।
दिवाली 2024 का शुभ मुहूर्त: लक्ष्मी पूजा मुहूर्त्त :17:35:38 से 18:18:58 तक
अवधि :0 घंटे 43 मिनट
प्रदोष काल :17:35:38 से 20:11:20 तक
वृषभ काल :18:21:23 से 20:17:16 तक
वर्ष 2024 में धनतेरस 29 अक्टूबर 2024 मंगलवार के दिन पड़ रही है।
वर्ष 2024 में भाई दूज का त्योहार 3 नवंबर 2024 रविवार के दिन मनाया जाएगा।