दत्तात्रेय जयंती: जानें इस दिन का पौराणिक महत्व

इस दत्तात्रेय जयंती पर आवश्यक अनुष्ठानों का पालन करें, और पाएं विष्णु भगवान के अवतार दत्तात्रेय जी का आशीर्वाद।

हिंदू धर्म में कई देवी-देवताओं का जिक्र किया जाता है। इसलिये भारत में लोगों द्वारा पवित्र आत्माओं की याद में त्योहार मनाये जाते हैं और व्रत रखे जाते हैं। आज हम इन्हीं पवित्र आत्माओं में से एक हिंदू भगवान दत्तात्रेय के बारे में बात करेंगे। भारतीय धर्म ग्रथों के अनुसार भगवान दत्तात्रेय त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) से एक भगवान विष्णु के अवतार हैं, हालांकि इन्हें तीनों देवों के अंश के रुप में भी देखा जाता है। इस दिन व्रत का पालन करने के साथ लोग भगवान दत्त के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं। इस साल दत्तात्रेय जयंती 11 दिसंबर 2019 को मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार दत्तात्रेय जयंती मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि को पड़ती है, जो इस वर्ष 11 दिसंबर को यानि सुबह 11: 01:22 मिनट से शुरु होगी। आइए अब इस शुभ अवसर के लिए सही मुहूर्त पर एक नजर डालते हैं, इसके बारे में नीचे दी गई तालिका में बताया गया है।

दत्तात्रेय जंयंती 2019 मुहूर्त

पूर्णिमा तिथि आरंभ 11:01:22 सुबह, 11 दिसंबर 2019
पूर्णिमा तिथि समाप्त 10: 44 : 24 सुबह, 12 दिसंबर 2019

नोट: यह मुहूर्त नई दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों के लिये प्रभावी है। अपने शहर या कस्बे के लिये सही मुहूर्त जानने के लिये यहां क्लिक करें।

हिंदू धर्म में भगवान दत्तात्रेय का महत्व

जिस दिन भगवान दत्तात्रेय धरती पर हुआ था उस दिन को पूरे राष्ट्र में दत्तात्रेय जयंती के रूप में मनाया जाता है। माना जाता है कि दत्तात्रेय भगवान का धरती पर अवतरण मार्गशीर्ष माह में पूर्णिमा के दिन हुआ था, इस दिन उन्होंने त्रिदेवों को अपने अंदर समाहित कर लिया। हालांकि उन्हें त्रिमूर्ति के अंश के रुप में जाना जाता है लेकिन, मुख्य रुप से भगवान दत्तात्रेय को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। इसी तरह उनके भाईयों ऋषि दुर्वासा और चंद्र देव को क्रमश: भगवान शिव और भगवान ब्रह्मा का अवतार माना जाता है। दत्तात्रेय के भक्त पितृ ऋण और कठिनाइयों से मुक्ति पाने के लिए इस दिन उनकी पूजा करते हैं। हालांकि दत्तात्रेय जयंती भारत के हर हिस्से में मनाई जाती है लेकिन महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और गुजरात में इसे बहुत भव्य तरीके से मनाया जाता है। इन प्रदेशों में भगवान दत्तात्रेय के कई मंदिर भी हैं।

जानें क्या होता है अभिजीत मुहूर्त ?

दत्तात्रेय जयंती : पौराणिक महत्व

एक पौराणिक हिंदू कथा भगवान दत्तात्रेय के बारे में हमें जानकारी देती है। पौराणिक काल में अत्रि नामक एक ऋषि हुए जो अपनी पत्नी अनसूया के साथ रहते थे। अनसुया को उनके धार्मिक और पवित्र स्वाभाव के कारण तीनों लोकों में ख्याति प्राप्त थी। जब उनके संतान प्राप्ति का समय आया तो उन्होंने इच्छा जाहिर की कि, उनका बच्चे मेें त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) के समान गुण हों। उनकी इस इच्छा ने तीनों देवों की पत्नियों के मन में ईर्ष्या के बीज बो दिये। उन्होंने अनसूया को सबक सिखाने के लिये अपने पतियों से कहा।

इसके बाद तीनों देवों ने भगवान का रुप धारण किया और अनसूया से नग्न अवस्था में भिक्षा देने की मांग की।  अनसूया ने थोड़ी देर सोचा और उसके बाद एक मंत्र का जाप करते हुए तीनों देवों पर पानी की बूंदें छिड़की, जिससे तीनों देव तुरंत छोटे बच्चों में बदल गये। इसके बाद देवी अनसूया ने नग्न होकर तीनों को दूध पिलाया। जब ऋषि अत्रि घर वापस आए तो उन्होंने अपने पति को पूरी घटना सुनाई, ऋषि अत्रि पहले से ही इस घटना के बारे में जानते थे।

उन्होंने तीनों शिशुओं का दिल से स्वागत किया और उन्हें छह हाथों और तीन सिर वाले एक बालक में परिवर्तित कर दिया। जब देवताओं की पत्नियों को इस घटना के बारे में पता चला तो उन्होंने अनसूया से क्षमा मांगी और अपने पतियों को वापस पाने की विनती की। अनसूया त्रिदेवों की पत्नियों की बात से पिघल गईं और तीनों देवों को उनके वास्तविक अवतार में बदल दिया, तीनों देवों ने इसके बदले उन्हें एक बालक दिया, और इसी बालक को आगे चलकर दत्तात्रेय के नाम से जाना गया।

दत्तात्रेय जयंती पर अनुष्ठान और पूजन कैसे करें

जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि दत्तात्रेय जयंती के दिन लोग पितृ ऋण से मुक्ति जीवन की परेशानियों को दूर करने के लिये भगवान दत्तात्रेय की पूजा करते हैं। हालांकि इस दिन कुछ रसम रिवाजों को नियम से करना भी जरुरी होता है। इनमें से कुछ के बारे में नीचे बताया गया है।

  • हिंदू धर्म के अन्य त्योहारों की ही तरह दत्तात्रेय जयंती के दिन भी सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान करना चाहिये।
  • इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करना अति शुभ माना जाता है।
  • इस दिन अपने सत्व को निर्मल बनाने के लिये रखे जाने वाले उपवास का संकल्प लिया जाना चाहिये।
  • इस दिन की जाने वाली पूजा में भक्तों को दीया, धूप, अगरबत्ती, फूल, कपूर आदि भगवान दत्तात्रेय को अर्पित करने चाहिये।
  • इस दिन पूजा स्थल पर भगवान दत्तात्रेय की प्रतिमा या तस्वीर लगानी चाहिये। भगवान दत्तात्रेय की प्रतिमा पर सिंदूर, हल्दी और चंदन लगाना चाहिये।
  • इस दिन भजन-कीर्तन करने के साथ-साथ धार्मिक पुस्तकों को पढ़ना चाहिये। पूजा समाप्ति के बाद आप इस दिन गीता का पाठ कर सकते हैं।
  • पूजा की प्रक्रिया पूरी करने के बाद, भक्तों को भगवान की तस्वीर या मूर्ति की सात बार परिक्रमा करनी चाहिए।
  • इसके बाद भगवान की आरती करें।
  • आरती करने के बाद पहले भगवान को प्रसाद का भोग लगाएं और उसके बाद भक्तों में प्रसाद वितरण अवश्य करें।
  • इस दिन भगवान दत्तात्रेय की प्रतिमा के सामने भक्तों को ध्यान का अभ्यास करना चाहिये.
  • ‘श्री गुरु दत्तात्रेय नम:’ मंत्र का जाप करें। इससे आपके मन को शांति का आभास होगा।

हम आशा करते हैं कि दत्तात्रेय जयंती पर लिखा हमारा यह ब्लॉग आपको पसंद आया होगा। भगवान आपको शांति और संपन्नता दे। हमारे साथ जुड़े रहने के लिये आपका धन्यवाद।

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