देवताओं की भूमि देवभूमि उत्तराखंड में चार धाम यात्रा इस वर्ष 10 मई से शुरू होने जा रही है। देवताओं के मंदिरों के कपाट खुलने से फिर बंद होने तक और दोबारा खुलना की अवधि भक्तों के लिए बेहद ही खास और महत्वपूर्ण होती है। भक्त लंबे समय तक इस बात की राह देखते हैं कि चार धाम की यात्रा कब से शुरू होगी। अपने इस विशेष कवरेज ब्लॉग में हम आपको उत्तराखंड चार धाम यात्रा 2024 (Char Dhaam Yatra 2024) की संपूर्ण जानकारी प्रदान करने जा रहे हैं। इसके अलावा यहां हम इस बारे में भी आपको अवगत कराएंगे कि अगर आप ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना चाहते हैं तो आप कैसे कर सकते हैं।
सबसे पहले बात करें चार धाम यात्रा की तो, चार धाम यात्रा की शुरुआत असल में कब से हुई इसका कोई वास्तविक इतिहास नहीं है लेकिन ऐसा माना जाता है कि चार धाम यात्रा की परंपरा शंकराचार्य जी ने (जिन्हें महान सुधारक और दार्शनिक का दर्जा दिया गया है उन्होंने) की है। चार धाम की यात्रा तकरीबन 1200 वर्षों पुरानी है। पहले इसे छोटा चार धाम के नाम से जाना जाता था।
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हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार कहते हैं कि चार धाम स्थल बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण है और विभिन्न देवी देवताओं और पौराणिक घटनाओं से संबंधित है। यमुनोत्री यमुना नदी का स्रोत है जिसे देवी यमुना से जोड़कर देखा जाता है, वहीं गंगोत्री गंगा नदी का स्रोत है जिसे देवी गंगा से जोड़कर देखा जाता है, भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ में भगवान शिव द्वारा पांडवों को मोक्ष प्रदान करने की कथा बेहद ही प्रचलित है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु को समर्पित बद्रीनाथ वह स्थान है जहां उन्होंने ध्यान किया था। ऐसे में इन सभी मंदिरों का इतिहास कई दशकों पुराना है।
वर्ष 2024 में चार धाम की यात्रा कब से?
बात करें कब खुलेंगे चार धाम के कपाट तो, केदारनाथ चार धाम तीर्थ स्थल में से पहला नाम है केदारनाथ धाम का जिसके कपट 10 मई 2024 को खुलने वाले हैं, दूसरा है गंगोत्री धाम का जिसके भी कपट 10 मई 2024 को खुलेंगे, तीसरा है यमुनोत्री धाम जिसके कपट भी 10 मई को खुलेंगे, आखिरी है बद्रीनाथ धाम इसके कपट 12 मई को खुलने वाले हैं।
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चार धाम यात्रा करने का सबसे उपयुक्त समय
बात करें सबसे सही समय की जब आप चार धाम की यात्रा पर जा सकते हैं तो आमतौर पर तीर्थ स्थलों का मौसम अप्रैल के अंत से नवंबर तक अनुकूल माना जाता है। ऐसे में चार धाम की यात्रा के लिए दो मुख्य अवधि मानी जाती है। पहली है ग्रीष्म ऋतु जो अप्रैल के अंत से जून के मध्य तक चलती है। ऐसे में आप इस दौरान चार धाम की यात्रा पर जा सकते हैं। यहां पर इस समय सुखद मौसम रहता है, हल्का तापमान रहता है और आसमान साफ रहता है जो यात्रा के लिए अनुकूल समय बनता है। इस दौरान अगर आप मंदिर जाते हैं तो मंदिर जाने वाली सड़क खुली रहती हैं जिससे तीर्थयात्री आसानी से मंदिर तक पहुंच जाते हैं।
दूसरा समय होता है मानसून के बाद का समय अर्थात अगस्त से नवंबर का समय। इस दौरान भी वातावरण साफ हो जाता है और आसमान में सफाई रहती है। इस अवधि के दौरान मौसम आम तौर पर सुखद रहता है, हल्का तापमान रहता है और आसमान साफ रहता है। ऐसे में कठोर मौसम की स्थिति का सामना किया बिना आप आसानी से चार धाम की अपनी यात्रा पूरी कर सकते हैं।
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ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कैसे करें?
अब सवाल उठता है कि अगर आप चार धाम यात्रा 2024 में इच्छुक हैं और आप इसके लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना चाहते हैं तो कैसे करें तो गाइडलाइंस के अनुसार हम आपको बता दें कि, चार धाम यात्रा दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को सबसे पहले अपना ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होता है। बिना रजिस्ट्रेशन के किसी भी श्रद्धालु को यात्रा नहीं करने मिलती है। ऐसे में यात्रा पर जाने से पहले इस बात को सुनिश्चित कर लें कि आपने अपना ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवा लिया है। अब बात करें चार धाम यात्रा 2024 के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की तो,
- सबसे पहले आप चार धाम की आधिकारिक वेबसाइट registrationandtouristcare.uk.gov.in पर लॉगिन कर लें।
- इसके बाद वेबसाइट के होम पेज पर नजर आ रहे रजिस्टर या लॉगिन बटन पर क्लिक करें।
- यहां पर सभी जानकारी जैसे आपका नाम, आपका मोबाइल नंबर, आपकी ईमेल आईडी सब भरें और इसके बाद साइन अप करें।
- इसके बाद आपको यात्रा से जुड़ी पूरी जानकारी यहां पर देनी होगी।
- जब एक बार आपका रजिस्ट्रेशन सफलतापूर्वक हो जाएगा तो आपके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर चार धाम यात्रा रजिस्ट्रेशन नंबर आ जाएगा।
- चार धाम यात्रा रजिस्ट्रेशन नंबर से ही आप अपना रजिस्ट्रेशन कार्ड डाउनलोड कर लें।
- यात्रा के दौरान इस कार्ड को हमेशा अपने साथ रखें और जरूरत पड़ने पर इसे दिखा दें।
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चारों धामों से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
- यमुनोत्री: यमुनोत्री पवित्र चार धाम का पहला पड़ाव माना जाता है। यह पवित्र नदी यमुना का स्रोत है। यह उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में गढ़वाल हिमालय में स्थित है। यहां पर आम तौर पर लोग शुद्धता, तपस्या और परमात्मा से आशीर्वाद पाने के लिए आते हैं।
- गंगोत्री: गंगोत्री चार धाम यात्रा का दूसरा पड़ाव होता है। यह उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में राजश्री गढ़वाल हिमालय में भी स्थित है। यमुनोत्री के बाद तीर्थयात्री गंगोत्री दर्शन करने के लिए जाते हैं। इन्हें पवित्र नदी गंगा का स्रोत माना गया है।
- केदारनाथ: केदारनाथ चार धाम की यात्रा का तीसरा पड़ाव है। यह उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में गढ़वाल हिमालय में स्थित है। यह हिंदुओं के सबसे पवित्र और सबसे प्रतिष्ठित तीर्थ स्थलों में से भी एक होता है। यहां भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर है। केदारनाथ की यात्रा गौरीकुंड से शुरू होती है। केदारनाथ मंदिर तक पहुंचाने के लिए यात्रियों को तकरीबन 16 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है जिसे आमतौर पर लोग ट्रैकिंग के माध्यम से पूरा करते हैं।
- बद्रीनाथ: चार धाम का आखिरी और अंतिम पड़ाव होता है बद्रीनाथ। चार धाम की यात्रा यहां आने से ही पूरी होती है। यह उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है। यहां पर भगवान विष्णु का मंदिर समर्पित है। इसे चार धाम यात्रा में सबसे पवित्र और सबसे प्रतिष्ठ तीर्थ स्थलों में से एक माना गया है। बद्रीनाथ का रास्ता घुमावदार सड़कों, हिमालय की सुंदरता ऊंची चोटियों, हरी-भरी घाटियों से भरा हुआ है।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
उत्तर: चार धाम की यात्रा यमुनोत्री से शुरू होकर गंगोत्री, केदारनाथ और फिर बद्रीनाथ पर पूरी होती है।
उत्तर: असली चार धाम चारों दिशाओं में स्थित हैं। उत्तर में बद्रीनाथ, दक्षिण रामेश्वर, पूर्व में पुरी और पश्चिम में द्वारिका पुरी।
उत्तर: 2024 में 10 मई को गंगोत्री यमुनोत्री के कपाट खुलेंगे।
उत्तर: केदारनाथ मंदिर के कपाट अक्षय तृतीया के दिन अर्थात 10 मई 2024 को खोले जाएंगे।
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