ज्योतिष में कुंडली के द्वादश भाव को व्यय एवं हानि का भाव कहा जाता है। यह अलगाव एवं अध्यात्म का
श्रेणी: वैदिक ज्योतिष
कुंडली में एकादश भाव : लाभ और आमदनी का भाव
हिन्दू ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में एकादश भाव आमदनी और लाभ का भाव होता है। यह भाव व्यक्ति की कामना,
कुंडली में दशम भाव : करियर और व्यवसाय का भाव
ज्योतिष में दशम भाव को कर्म का भाव कहा जाता है। यह भाव व्यक्ति की उपलब्धि, ख़्याति, शक्ति, प्रतिष्ठा, रुतबा,
कुंडली में नवम भाव : भाग्य और धर्म का भाव
वैदिक ज्योतिष के अनुसार जन्म कुंडली में नवम भाव व्यक्ति के भाग्य को दर्शाता है और इसलिए इसे भाग्य का
कुंडली में अष्टम भाव : परिवर्तन और मृत्यु का भाव
जन्म कुंडली में अष्टम भाव जातकों का आयु भाव कहलाता है। यह भाव जातकों की दीर्घायु अथवा जीवन की अवधि
कुंडली में चतुर्थ भाव– घर, खुशी और समृद्धि का भाव
जन्म कुंडली में चतुर्थ भाव को प्रसन्नता या सुख का भाव कहा जाता है। इसे माता के भाव के तौर
कुंडली में तृतीय भाव– संसार से संवाद का माध्यम
जन्म कुंडली में तृतीय भाव को वीरता और साहस का भाव कहा जाता है। यह हमारी संवाद शैली और उद्देश्यों
कुंडली में सप्तम भाव – जानें विवाह भाव का महत्व
जन्म कुंडली में सप्तम भाव व्यक्ति के वैवाहिक जीवन, जीवनसाथी तथा पार्टनर के विषय का बोध कराता है। यह नैतिक,
कुंडली में द्वितीय भाव – धन-धान्य और मौक़ों का द्वार
कुंडली के 12 भावों में से द्वितीय भाव को कुंटुंब भाव और धन भाव के नाम से जाना जाता है।
कुंडली में प्रथम भाव – स्वयं को जानने का मार्ग
जन्म कुंडली में प्रथम भाव यानि लग्न का विशेष महत्व है। हिन्दू ज्योतिष शास्त्र की उत्पत्ति ऋग्वेद से हुई है,