बुध का कन्या राशि में गोचर: बुध बुद्धि और वाणी के ग्रह माने जाते हैं जो बहुत तेज़ गति से चलते हैं, इसलिए इनका गोचर जल्दी-जल्दी होता है। ऐसे में, बुध ग्रह को नवग्रहों में महत्वपूर्ण माना जाता है इसलिए इनकी स्थिति में परिवर्तन भी अहम माना जाता है।
बता दें कि ज्योतिष के अनुसार, बुध तर्क, व्यापार, शिक्षा और लेखन के कारक ग्रह हैं। जब यह किसी राशि में बैठे होते हैं, तो इसका प्रभाव प्रत्येक व्यक्ति के जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर पड़ता है।

साथ ही, बुध का गोचर और उनकी दिशा हमारे निजी और पेशेवर जीवन को गहराई से प्रभावित करने की क्षमता रखती है। इसी क्रम में, बुध महाराज अब अपना राशि परिवर्तन करते हुए कन्या राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं जिसका प्रभाव राशियों और देश-दुनिया पर दिखाई दे सकता है।
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एस्ट्रोसेज एआई की हमेशा से यही पहल रही है कि हम अपने पाठकों को ज्योतिष की दुनिया में होने वाले हर छोटे-बड़े परिवर्तन और नवीनतम घटनाओं के बारे में अवगत कराते रहें। ऐसे में, हमारा आज का यह ख़ास ब्लॉग आपको बुध का कन्या राशि में गोचर के बारे में समस्त जानकारी प्रदान करेगा।
बुध का यह गोचर न सिर्फ़ राशियों को प्रभावित करेगा, बल्कि देश के साथ-साथ विश्व में होने वाली घटनाओं, शेयर बाजार, व्यापार आदि में कुछ बड़े बदलाव लेकर आ सकता है, जिनके बारे में हम विस्तार से चर्चा करेंगे। चलिए अब हम आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं बुध ग्रह का कन्या राशि में गोचर के बारे में।
बुध का कन्या राशि में गोचर कब और किस समय होगा?
ग्रहों के राजकुमार के नाम से विख्यात बुध ग्रह तेज़ गति से चलते हैं इसलिए इनका गोचर जल्दी-जल्दी होता है। बता दें कि बुध का गोचर लगभग हर 23 से 27 दिनों में होता है यानी कि हर महीने बुध एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश कर जाते हैं। बुध ग्रह का गोचर 15 सितंबर 2025 की सुबह 10 बजकर 58 मिनट पर कन्या राशि में होगा। इस अवधि के दौरान बुध का कन्या राशि में गोचर का असर विभिन्न राशियों पर अलग-अलग तरीके से पड़ेगा।
बुध का यह गोचर अपनी राशि में होगा और हर राशि में गोचर का इनका अपना प्रभाव होता है। उदाहरण के तौर पर मेष राशि में बुध गोचर लोगों को नई सोच और नए विचारों का आशीर्वाद देता है, जबकि वृषभ राशि में बुध देव व्यापार में स्थिरता और समृद्धि प्रदान करते हैं। आइए अब हम आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं बुध का कन्या राशि में प्रभाव कैसा होता है।
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कन्या राशि में बनेगा बुधादित्य योग
बुध महाराज जब 15 सितंबर को कन्या राशि में प्रवेश करेंगे, तो उसके दो दिन बाद यानी कि 17 सितंबर 2025 को सूर्य भी कन्या राशि में प्रवेश कर जाएंगे। ऐसे में, बुध और सूर्य कन्या राशि में युति का निर्माण करते हुए बेहद शुभ माने जाने वाले बुधादित्य योग का निर्माण करेंगे। बता दें कि बुधादित्य योग जातकों को धन-समृद्धि और सफलता देने वाला माना जाता है।
बुध की कन्या राशि में विशेषता
- कन्या राशि में बुध की स्थिति बेहद ख़ास मानी जाती है क्योंकि इस राशि में बुध की स्थिति भद्र महापुरुष योग का निर्माण करती है। अगर यह कुंडली के पहले, चौथे, सातवें और दसवें भाव में विराजमान होते हैं, तो आपको भद्र या कुलीन पद तक पहुंचाने का काम कर सकते हैं।
- बुध महाराज जब कन्या राशि में मौजूद होते हैं, तो ऐसा जातक अपने घर, आर्थिक जीवन, आसपास के लोगों और कार्यों को संभालने में माहिर होता है। कन्या राशि में बुध की स्थिति व्यक्ति को समाधान खोजने में सक्षम बनाती है।
- जब बुध ग्रह कन्या राशि में उपस्थित होते हैं, तो इस बात को सुनिश्चित करते हैं कि व्यक्ति को हर कार्य में सफलता की प्राप्ति हो। साथ ही, वह अपने जीवन के लक्ष्यों को हासिल करने के लिए अपनी बुद्धि और विवेक का उपयोग अच्छे से कर पाता है।
- बुध की कन्या में उपस्थिति जातक को प्रबंधन और विश्लेषण से जुड़े व्यापार में कामयाबी दिलाने का काम करती है।
- साथ ही, ऐसा व्यक्ति गणितज्ञ, डाटा विश्लेषक, उद्यमी, सीईओ, प्रबंधक, आहार विशेषज्ञ, परामर्शदाता, विपणन, सेल्स पर्सन आदि बनता है।
- ऐसे जातक जिनका जन्म कन्या राशि में बुध के तहत होता है, उन्हें जीवन में गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है। साथ ही, इन्हें गुर्दे, नाभि और पीठ के निचले हिस्से से जुड़े रोग परेशान कर सकते हैं।
- सिर्फ़ इतना ही नहीं, आपको वाणी, मस्तिष्क और त्वचा से संबंधित समस्याएं भी घेर सकती हैं।
आइए अब हम नज़र डालते हैं बुध ग्रह के ज्योतिषीय महत्व पर।
बुध का कन्या राशि में गोचर: ज्योतिष की दृष्टि से
- ज्योतिष शास्त्र में बुध ग्रह को विशेष स्थान प्राप्त है क्योंकि यह मनुष्य जीवन में बुद्धि, संचार, तर्कशक्ति, शिक्षा और व्यापार को नियंत्रित करते हैं।
- बात करें बुध ग्रह के नाम के अर्थ की, तो बुध ग्रह का नाम संस्कृत भाषा के शब्द ‘बुध’ से बना है, जिसका अर्थ “बुद्धिमान” होता है।
- बुध महाराज बेहद शक्तिशाली होते हैं जो व्यक्ति के मन-मस्तिष्क, विवेक, ज्ञान और तर्क क्षमता को प्रभावित करने का सामर्थ्य रखते हैं।
- मनुष्य जीवन में बुध देव बुद्धिमानी और शिक्षा का भी प्रतिनिधित्व करते हैं।
- ऐसे जातक जिनकी कुंडली में बुध देव मजबूत स्थिति में होते हैं, उन्हें तेज दिमाग, मज़बूत तर्कशक्ति और ज्ञान का आशीर्वाद देते हैं।
- ऐसे में, व्यक्ति इनसे जुड़े क्षेत्रों में ही आगे बढ़ता है और इनकी रुचि विज्ञान, साहित्य और गणित में होती है।
- संचार के प्रमुख ग्रह के रूप में बुध देव प्रत्येक व्यक्ति के बात करने की शैली, संचार कौशल, और लेखन क्षमता को भी नियंत्रित करते हैं।
- अगर किसी जातक की कुंडली में बुध की स्थिति अनुकूल होती है, तो वह लेखक, संचारक या अच्छा वक्ता बनता है।
- साथ ही, बुध महाराज को व्यापार के कारक भी माना जाता है। ऐसे में, यह व्यक्ति को व्यापार में सफलता दिलाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। इनके प्रभाव से ही निर्णय लेने और आर्थिक योजना बनाने की क्षमता मज़बूत होती है।
- जिन जातकों से बुध ग्रह प्रसन्न होते हैं या कुंडली में इनकी स्थिति शुभ होती है, तो उन्हें व्यापार में सफलता मिलती है। वह आर्थिक मामलों को भी समझदारी से संभालते हैं।]
- तर्कशक्ति और विवेक के प्रतीक के रूप में बुध देव किसी इंसान के सोच-विचार करने की क्षमता, निर्णय लेने की शक्ति और समस्याओं का समाधान ढूंढ़ने की योग्यता को बढ़ाते हैं। बुध की अनुकूल स्थिति वाले जातक निर्णय लेने में तेज और धैर्यवान होते हैं।
कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर
बुध ग्रह का धार्मिक महत्व
- ज्योतिष की तरह ही बुध देव का धार्मिक महत्व भी है। शायद ही आप जानते होंगे कि ग्रहों के युवराज बुध को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है।
- बता दें कि जगत के पालनहार भगवान विष्णु संतुलन और धैर्य का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसी प्रकार, बुध ग्रह व्यक्ति के जीवन में विवेक, धैर्य, बुद्धिमानी और संतुलन लेकर आते हैं।
- जब कुंडली में बुध ग्रह का शुभ प्रभाव होता है, तो जातक का झुकाव धर्म-कर्म में होता है। ऐसे में, वह धार्मिक मार्ग पर ही चलना पसंद करता है।
- ऐसा जातक धार्मिक प्रवृत्ति की वजह से धार्मिक ग्रंथों जैसे वेद, पुराण आदि का अध्ययन करते हुए नज़र आता है।
- सनातन धर्म में बुध ग्रह की पूजा देवता के रूप में की जाती है जो मान्यताओं के अनुसार हमारी प्रज्ञा के देवता माने गए हैं।
- सप्ताह में बुध ग्रह को बुधवार का दिन समर्पित होता है इसलिए बुद्धि और कारोबार में कामयाबी हासिल करने के लिए इस दिन बुध ग्रह की पूजा-अर्चना फलदायी मानी जाती है।
- बता दें कि धार्मिक दृष्टि से बुध महाराज को वृद्धि और समृद्धि का आशीर्वाद देने वाले देव माना गया है।
- ऐसा कहा जाता है कि जिस इंसान पर बुध देव प्रसन्न हो जाते हैं, उसे कभी भी जीवन में समस्या नहीं आती है। साथ ही, उसका जीवन कल्याणमय हो जाता है। ब
- सभी दिशाओं में बुध देव को उत्तर दिशा का स्वामित्व प्राप्त है और इस दिशा का संध कुबेर देव से है।
चलिए अब हम आपको अवगत करवाते हैं कुंडली में शुभ बुध होने पर कैसे परिणाम मिलते हैं।
बुध का कन्या राशि में गोचर: बुध का शुभ-अशुभ प्रभाव
कुंडली में मज़बूत बुध का प्रभाव
जैसे कि हम आपको ऊपर बता चुके हैं कि बुध ग्रह जातकों के जीवन को विशेष रूप से प्रभावित करता है, कैसे? आइए जानते हैं।
- अगर किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली में बुध देव की स्थिति बलवान होती है, तो व्यक्ति का संचार कौशल बेहतरीन होता है। वह अपनी बातों से सबका दिल जीतने में सक्षम होता है और साथ ही, वह हाज़िर जवाब होता है।
- कुंडली में बुध बलवान होने पर जातक बहुत बुद्धिमान और चतुर होता है। गणित पर उसकी पकड़ मज़बूत होती है और वह गणनाएं करने में बेहद तेज़ होता है। ऐसा व्यक्ति जीवन के हर क्षेत्र को तार्किक होकर देखता है।
- शुभ बुध के प्रभाव से जातक वाणिज्य और कारोबार में अपार सफलता प्राप्त करता है। किसी व्यक्ति पर बुध की कृपा उसे अच्छा स्पीकर बनाती है। साथ ही, वह संवाद और संचार से जुड़े क्षेत्र में करियर बनाता है।
अब हम आपको ऐसे संकेतों के बारे में बताने जा रहे हैं जो कमज़ोर बुध की निशानी होते हैं।
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कुंडली में कमज़ोर बुध के संकेत
याददाश्त कमजोर होना: ऐसे जातक जिनकी कुंडली में बुध ग्रह दुर्बल अवस्था में होते हैं, वह ज्यादा देर तक बातें याद नहीं रख पाते हैं। साथ ही, किसी भी काम में ध्यान लगाने में परेशानी का अनुभव होता है।
बोलने में समस्या: अशुभ बुध के प्रभाव से व्यक्ति को वाणी से जुड़ी समस्याएं परेशान करने लगती हैं जैसे तुतलाना, हकलाना और शब्दों का गलत चयन करना।
अधिक चिंता करना: अगर कोई इंसान बार-बार किसी बात को लेकर परेशान या चिंता में रहता है जिसका असर मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ता है, तो यह कमज़ोर बुध का संकेत होता है।
सही निर्णय न लेना: कुंडली में दुर्बल बुध के प्रभाव से जातक को जीवन में सही निर्णय लेने में परेशानी होती है और ऐसे में, वह कई बार गलत फैसले ले लेता है। साथ ही, हमेशा भ्रमित रहता है।
त्वचा और नस संबंधित समस्याएं होना: कमज़ोर बुध से पीड़ित व्यक्ति को त्वचा से जुड़ी समस्याएं जैसे एलर्जी या फिर हाथ-पैर सुन्न होना आदि हो सकती हैं।
व्यापार में घाटा: जिन लोगों का बुध कमज़ोर होता है, उन्हें संचार कौशल, शिक्षा, व्यापार और लेखन से जुड़ी समस्याएं रह सकती हैं। साथ ही, व्यापार में हानि भी झेलनी पड़ सकती है।
नीरस होना: बुध देव के नकारात्मक प्रभाव से जातक का स्वभाव नीरस और उदासीन हो जाता है।
चलिए अब हम जान लेते हैं बुध ग्रह को कैसे मज़बूत कर सकते हैं।
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बुध का कन्या राशि में गोचर: सरल एवं अचूक उपाय
- बुध ग्रह को मज़बूत करने के लिए बुधवार के दिन व्रत रखें और इस दिन हरे रंग के कपड़े धारण करें। साथ ही, हरे चने का सेवन करें और तुलसी के पौधे की पूजा करें।
- बुध से शुभ फल पाने के लिए बुधवार के दिन हरा मूंग, हरे वस्त्र, हरी चूड़ियां और हरी सब्जियों का दान करें।
- बुधवार के दिन भगवान गणेश को पान और दूर्वा (हरी घास) अर्पित करने से बुध ग्रह प्रसन्न होते हैं।
- बुध ग्रह को कुंडली में बलवान करने के लिए प्रतिदिन या बुधवार के दिन बुध ग्रह के बीज मंत्र “ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः” का या “ॐ गण गणपतये नमो नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें।
- बुध ग्रह के रत्न पन्ना को बुधवार के दिन चांदी या सोने की अंगूठी में छोटी उंगली में धारण करें। हालांकि, आपको ऐसा करने से पहले किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श करने की सलाह दी जाती है।
- नियमित रूप से गाय माता की सेवा करने से बुध ग्रह कुंडली में बलवान होता है। साथ ही, बुधवार को गाय को हरा चारा खिलाएं।
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बुध का कन्या राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
मेष राशि
मेष राशि वालों के लिए बुध तीसरे और छठे भाव के स्वामी हैं। बुध का कन्या राशि … (विस्तार से पढ़ें)
वृषभ राशि
वृषभ राशि वालों के लिए बुध दूसरे और पांचवें भाव के स्वामी हैं। बुध का… (विस्तार से पढ़ें)
मिथुन राशि
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सिंह राशि वालों के लिए बुध ग्रह दूसरे और ग्यारहवें भाव के स्वामी हैं। बुध का… (विस्तार से पढ़ें)
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मीन राशि
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
इस साल बुद्धि के ग्रह बुध 15 सितंबर 2025 को कन्या राशि में गोचर करेंगे।
हां, बुध देव कन्या राशि में सूर्य के साथ युति करते हुए बुधादित्य योग निर्मित करेंगे।
ज्योतिष के अनुसार, बुध ग्रह और शुक्र देव आपस में तटस्थ संबंध रखते हैं।