बृहस्पति करेंगे अश्विनी नक्षत्र में प्रवेश: जानें किन राशियों का होगा बोलबाला!

बृहस्पति का अश्विनी नक्षत्र में प्रवेश: किसी भी ग्रह से मिलने वाले फलों की भविष्यवाणी करने में नक्षत्र महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वैदिक ज्योतिष में 27 प्रकार के नक्षत्र होते हैं और हर नक्षत्र को चार पदों और 12 राशियों में विभाजित किया गया है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार, सभी 27 नक्षत्रों की सूची में अश्विनी पहला नक्षत्र है। केतु ग्रह के स्वामित्व वाले अश्विनी नक्षत्र के चारों पद मंगल ग्रह की राशि मेष के अंतर्गत आते हैं। 

Varta Astrologers

भविष्य से जुड़ी किसी भी समस्या का समाधान मिलेगा विद्वान ज्योतिषियों से बात करके

एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम आपको गुरु के अश्विनी नक्षत्र में प्रवेश के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे। आपको बता दें कि गुरु महाराज 22 अप्रैल 2023 की सुबह 03 बजकर 33 मिनट पर अश्विनी नक्षत्र के प्रथम पद में प्रवेश करेंगे और 21 जून 2023 की दोपहर 01 बजकर 19 मिनट तक इसी नक्षत्र में रहेंगे। इसके बाद, पुनः 27 नवंबर 2023 को दोपहर 01 बजकर  09 मिनट पर अश्विनी नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। बृहस्पति की अश्विनी नक्षत्र में मौजूदगी कुंडली में बृहस्पति की स्थिति के आधार पर जातकों को विभिन्न तरह से प्रभावित करेगी। यदि व्यक्ति की कुंडली में महादशा चल रही है या जिस लग्न में वह पैदा हुए हैं इसका असर भी बृहस्पति के अश्विनी नक्षत्र में प्रवेश से मिलने वाले प्रभावों पर पड़ेगा। मेष राशि मंगल की मूल त्रिकोण राशि भी है।  

आइये आगे बढ़ते हैं और नज़र डालते हैं बृहस्पति के अश्विनी नक्षत्र में होने से जातकों को प्राप्त होने वाले प्रभावों के बारे में। साथ ही, इसके तहत जन्म लेने वाले जातकों को बृहस्पति की ये स्थिति कैसे प्रभावित करेगी। 

 यह भी पढ़ें:  राशिफल 2023

अश्विनी नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोगों का व्यक्तित्व 

वैदिक ज्योतिष में अश्विनी नक्षत्र को सभी 27 नक्षत्रों में पहला स्थान प्राप्त है जो कि अश्व की मुख की तरह दिखाई देता है। अश्विनी नक्षत्र के तहत जन्म लेने वाले जातकों में शक्ति, साहस, तेज़, मज़बूत इच्छा शक्ति और पहल करने की अद्भुत क्षमता पाई जाती है। चलिए अब हम उन सामान्य बातों के बारे में आपको बताते हैं जो अश्विनी नक्षत्र में जन्मे लोगों के व्यक्तित्व में पाई जाती हैं।

  • अश्विनी नक्षत्र के तहत पैदा हुए जातक बेहद महत्वाकांक्षी होते हैं और हमेशा अपने सपनों को हकीकत में बदलने का प्रयास करते रहते हैं। 
  • यह जातक आत्मविश्वास से भरे रहते हैं और किसी भी तरह का कदम उठाने में देरी नहीं करते हैं।
  • ऐसे लोग अपने जीवन में जोखिम उठाने से भी पीछे नहीं हटते हैं। 
  • अश्विनी में जन्मे लोग स्वतंत्रता प्रेमी होते हैं और अपने जीवन में भी स्वतंत्र रहना पसंद करते हैं इसलिए बंधनों में बंधकर काम नहीं कर पाते हैं। 
  • ये जातक भरोसेमंद होते हैं और दूसरे लोग अपनी समस्याओं का समाधान पाने के लिए इनके पास आते हैं क्योंकि ये भावनाओं से ज्यादा तर्क को महत्व देते हैं।
  • इनके व्यक्तित्व के नकारात्मक पक्ष की बात करें तो, ये लोग ज्यादातर आवेग में आकर काम करते हैं और किसी भी काम को करने से पहले सोचते नहीं हैं।  
  • इन लोगों में सब्र और धैर्य बेहद कम पाया जाता है। साथ ही, इन्हें अपने कार्यों में किसी भी तरह की देरी पसंद नहीं होती है। ऐसे में, दूसरों से आगे रहने की होड़ में ये लोग कभी-कभी आत्मकेंद्रित हो जाते हैं।

बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा

ज्योतिष में अश्विनी नक्षत्र का महत्व

नक्षत्रों की सूची में अश्विनी नक्षत्र को पहला स्थान प्राप्त है और यह मेष राशि में 0 डिग्री से लेकर 13.2 डिग्री तक फैला हुआ है। इस नक्षत्र के अधिपति देवता छाया ग्रह केतु है और इसका संबंध पृथ्वी तथा पृथ्वी पर जीवन से जुड़ा हुआ है। यदि किसी व्यक्ति के जन्म के समय चंद्रमा मेष राशि में 0 से  13.20 डिग्री पर स्थित होता है, तो उसका जन्म अश्विनी नक्षत्र के तहत माना जाता है।

इन लोगों का स्वाभाविक रूप से झुकाव चिकित्सा के क्षेत्र में होता है और ये लोग ज्यादातर चिकित्सा संबंधित क्षेत्रों जैसे हीलर, चिकित्सक, परामर्शदाता, कोच आदि में ही आगे बढ़ते हैं। इस नक्षत्र के शासकों को अश्विनी कुमारों के नाम से जाना जाता है जो कि वैदिक ज्योतिष में जुड़वां चिकित्स्क माने गए हैं। यह अश्विनी नक्षत्र में जन्मे जातकों को किसी भी चीज़ से उबरने की शक्ति प्रदान करते हैं। इन लोगों के पास एक से एक नए आइडियाज मौजूद होते हैं। 

अश्विनी नक्षत्र के पद

अश्विनी नक्षत्र का प्रथम पद: इस नक्षत्र के पहले पद के स्वामी मंगल देव हैं और यह मेष राशि के नवांश में आता है। यह जातक को स्वभाव से आक्रामक और अहंकारी बना सकता है जिसकी बदौलत ये लोग स्वयं को दूसरों के साथ विवादों में फंसा हुआ पाते हैं। 

अश्विनी नक्षत्र का दूसरा पद: शुक्र ग्रह अश्विनी नक्षत्र के दूसरे पद के स्वामी हैं जो कि वृषभ राशि के नवांश के अंतर्गत आता है। इस स्थिति के चलते जातक अपनी इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम होते हैं। 

अश्विनी नक्षत्र का तीसरा पद: अश्विनी नक्षत्र के तीसरे पद के स्वामी बुध हैं और यह पद मिथुन नवांश में आता है। इन लोगों के फैसले लेने की क्षमता शानदार होती है और साथ ही, ये लोग बातचीत में माहिर होते हैं। 

अश्विनी नक्षत्र का चौथा पद: इस नक्षत्र का चौथा पद कर्क नवांश के तहत आता है। इसके तहत जन्मे जातक भावुक होते हैं और अधिकतर डॉक्टर के पेशे से जुड़े होते हैं।    

नये साल में करियर की कोई भी दुविधा कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट से करें दूर 

गुरु ग्रह का ज्योतिषीय महत्व 

बृहस्पति को भाग्य का ग्रह भी कहा जाता है जो कि बुद्धि और अध्यात्म का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह व्यक्ति की रुचि को दर्शन, आध्यात्मिक और धार्मिक कार्यों के प्रति बढ़ाते हैं। साथ ही, मनुष्य को उच्च मूल्यों के साथ सही पथ पर चलने के प्रेरित करते हैं। हालांकि, वैदिक ज्योतिष में गुरु को शुभ और लाभकारी ग्रह माना जाता है जिसका संबंध समृद्धि, सौभाग्य और प्रगति से हैं।

बृहस्पति महाराज को 12 राशियों का एक चक्र पूरा करने में 12 साल का समय लगता है। राशि चक्र में गुरु ग्रह को धनु और मीन राशि का स्वामित्व प्राप्त है और सप्ताह में इन्हें गुरुवार का दिन समर्पित होता है। सामान्य तौर पर धनु और मीन राशि के जातकों को ज्ञान, आध्यात्मिकता और परिपक्वता का आशीर्वाद प्राप्त होता है क्योंकि बृहस्पति इनकी राशि के स्वामी हैं। साथ ही, ये लोग भरोसेमंद और दयालु होते हैं। 

ज्योतिष शास्त्र में केतु का महत्व 

केतु छाया ग्रह है जो कि चंद्रमा के दक्षिण नोड के रूप में जाना जाता है। वहीं, राहु चंद्रमा का उत्तर नोड है और राशि चक्र में केतु हमेशा राहु के विपरीत मौजूद होता है। हालांकि, राहु और केतु ग्रह नहीं है लेकिन ज्योतिषीय दृष्टि से उनके पास इतनी शक्तियां मौजूद हैं कि इन्हें छाया ग्रह माना जाता है। छाया ग्रह होने के कारण ये सूर्य और चंद्रमा पर भी ग्रहण लगाने का सामर्थ्य रखते हैं और ये दोनों ग्रह सदैव वक्री अवस्था या प्रतिगामी (पीछे की ओर) ही चलते हैं। ऐसे में, चंद्रमा को पुनः एक नोड में वापस आने पर 27 दिनों का समय लगता है। 

अब हम अश्विनी नक्षत्र के बारे में अच्छे से जान चुके हैं। ऐसे में, आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि बृहस्पति के अश्विनी नक्षत्र में प्रवेश से कैसे होंगी 12 राशियां प्रभावित।

ऑनलाइन सॉफ्टवेयर से मुफ्त जन्म कुंडली प्राप्त करें

बृहस्पति का अश्विनी नक्षत्र में प्रवेश: राशि अनुसार राशिफल

मेष राशि

मेष राशि के जो लोग सरकारी और प्राइवेट सेक्टर में प्रगति हासिल करना चाहते हैं उन्हें इस समय सफलता प्राप्त होगी क्योंकि बृहस्पति मंगल की मूल त्रिकोण राशि में मौजूद होंगे। गुरु ग्रह इन लोगों को आर्थिक लाभ प्रदान करेंगे और प्रेम से जुड़े मामलों में भी भाग्य हर कदम पर आपका साथ देगा क्योंकि बृहस्पति की दृष्टि आपके पांचवें भाव पर होगी।  यह आपके लिए सभी चीज़ों को आसान बनाएंगे। हालांकि, केतु के नक्षत्र में गुरु ग्रह की उपस्थिति के कारण आपके वैवाहिक जीवन में उदासीनता देखने को मिल सकती है और ऐसे में, उत्साह और जोश आपके रिश्ते से नदारद रह सकता है। यदि आप अपने पार्टनर को धोखा दे रहे हैं तो सावधान रहे, इस दौरान आप पकड़े जा सकते हैं। 

वृषभ राशि

आपके बारहवें भाव में बृहस्पति स्थित होंगे और ऐसे में, आप विदेशी संबंधों से या फिर उनके माध्यम से लाभ प्राप्त करेंगे। यह नक्षत्र परिवर्तन आपके लिए अनेक विदेश यात्राएं लेकर आ सकता है जो आपके लिए फायदेमंद साबित हो सकती है। साथ ही, आपका झुकाव आध्यात्मिकता की तरफ हो सकता है। हालांकि, बृहस्पति का यह नक्षत्र गोचर इन जातकों को आर्थिक रूप से परेशान कर सकता है क्योंकि ग्यारहवें भाव के स्वामी आपके बारहवें भाव में जाएंगे। साथ ही, आठवें भाव के स्वामी होने के कारण ये आपको शारीरिक समस्याएं और बीमारी दे सकते हैं। बारहवें भाव में गुरु के प्रवेश से इन जातकों के शादीशुदा जीवन में भी उतार-चढ़ाव आने की संभावना है। दुश्मन आप पर हावी होने की कोशिश करते दिखाई दे सकते हैं, लेकिन आप बहुत धैर्य के साथ इन परिस्थितियों से निपट लेंगे। 

मिथुन राशि

बृहस्पति आपके ग्यारहवें भाव में विराजमान होंगे और इसके परिणामस्वरूप जातकों को बिज़नेस या काम के सिलसिले में यात्राएं करनी पड़ सकती हैं, विशेष रूप से विदेश यात्रा। बृहस्पति का यह गोचर उन लोगों के लिए फलदायी साबित होगा जो कि करियर में वृद्धि के नए अवसर तलाश रहे हैं या फिर उच्च पद की प्राप्ति की चाह रखते हैं। यह अवधि व्यापार करने वालों के लिए भी लाभदायक रहेगी। बृहस्पति के अश्विनी नक्षत्र में प्रवेश के दौरान आप कई महत्वपूर्ण पेशेवर संपर्क स्थापित कर सकते हैं।

कर्क राशि

बृहस्पति का मेष राशि में गोचर कर्क राशि के जातकों के करियर में परिस्थितियों को आसान बनाएगा। जो जातक प्राइवेट सेक्टर में काम करते हैं उन्हें मनचाहे परिणाम पाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। हालांकि, इस गोचर के दौरान सरकारी क्षेत्रों में नौकरी करने वाले जातकों को निश्चित रूप से लाभ प्राप्त होगा। 

लेकिन, बृहस्पति आपकी कुंडली में पहले से नकारात्मक स्थिति में मौजूद हैं, तो आशंका है कि इस अवधि में आप नौकरी से हाथ धो सकते हैं या फिर कार्यस्थल पर चलने वाली राजनीति का शिकार बन सकते हैं। ऐसे में, आपको काम बेहद सावधानीपूर्वक करना होगा। हालांकि, इस समय को व्यापार के लिए अच्छा नहीं कहा जा सकता है क्योंकि आपको बिज़नेस में मंदी देखने को मिल सकती है। हो सकता है कि चीज़ें उतनी तेज़ी से आगे नहीं बढ़ें जितनी आपने उम्मीद की है। 

सिंह राशि

बृहस्पति का अश्विनी नक्षत्र में प्रवेश सिंह राशि के जातकों के लिए मिले-जुले परिणाम लेकर आ सकता है क्योंकि गुरु आपके नौवें भाव में स्थित होंगे। जो लोग नई नौकरी की तलाश में हैं उन्हें नौकरी मिल सकती है, लेकिन हो सकता है आप उस नौकरी से संतुष्ट न हों। साथ ही, आपको करियर में स्थानांतरण का सामना करना पड़ सकता है। जिन जातकों का अपना व्यापार है उनको नए आर्डर मिल सकते हैं, परंतु विकास की रफ़्तार धीमी रहने की आशंका है। वहीं, जो लोग पार्टनरशिप में व्यापार करते हैं उन्हें सावधानीपूर्वक आगे बढ़ने की आवश्यकता होगी क्योंकि पार्टनर के साथ विवाद हो सकता है।

कन्या राशि

कन्या राशि वालों के लिए बृहस्पति आपके आठवें भाव में उपस्थित होंगे। इस अवधि में आपके कार्यस्थल में बदलाव हो सकता है। साथ ही, आपको कोई बेहतर नौकरी मिलने की संभावना है। हालांकि, काम का अधिक बोझ कन्या राशि वालों को तनाव में लेकर आ सकता है। 

व्यापार करने वाले जातकों को इस बात का अनुभव हो सकता है कि उनके कर्मचारी मन लगाकर काम नहीं कर रहे हैं और न ही उनका समर्थन कर रहे हैं। इन परिस्थितियों में भी आप अच्छा प्रदर्शन करते हुए अपने प्रतिद्वंद्वियों से आगे निकल सकते हैं। यदि आपका काम विदेश से या फिर दूसरे राज्य के लोगों के साथ जुड़ा हुआ है, तो आपको सतर्क रहने की सलाह दी जाती है। इस अवधि में छात्रों को सफलता पाने के लिए अतिरिक्त मेहनत करनी होगी।

कुंडली में राजयोग कबसे? राजयोग रिपोर्ट से जानें जवाब

तुला राशि 

बृहस्पति के अश्विनी नक्षत्र में प्रवेश के दौरान तुला राशि के जातकों के प्रदर्शन में सुधार देखने को मिल सकता है। साथ ही, आपको कोई नया अवसर मिल सकता है या फिर मौजूदा कंपनी में आपकी पदोन्नति हो सकती है। ऐसे में, यह समय कंपनी को आगे बढ़ाने और सफलता के मार्ग पर ले जाने के लिए अनुचित है। आपको धन कमाने के लिए ऐसा कोई भी रास्ता अपनाने से बचना होगा जहां आपको कोई शार्टकट अपनाना पड़ें।

वृश्चिक राशि 

वृश्चिक राशि के जातकों को करियर में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है। इस अवधि में आपको काम बेहद सावधानी से करना होगा क्योंकि आपकी नौकरी में बदलाव होने की संभावना है। हालांकि, यह समय सरकारी क्षेत्रों से जुड़े लोगों के लिए अच्छा रहेगा। वहीं, जिन जातकों का अपना व्यापार है उनको बिज़नेस में थोड़ा सतर्क रहने की आवश्यकता महसूस हो सकती है। ऐसे में. आपको इस दौरान किसी भी नए कार्य या नए प्रोजेक्ट की शुरुआत करने से बचना चाहिए। जो लोग विदेश में काम करते हैं या फिर विदेश में काम करने की सोच रहे हैं उनके लिए बृहस्पति का नक्षत्र परिवर्तन सफलता लेकर आएगा। 

धनु राशि

व्यापारी वर्ग के लोगों के लिए यह समय फलदायी साबित होगा। इस राशि के नौकरीपेशा जातकों को नौकरी में पदोन्नति मिलने की संभावना है और नई नौकरी ढूंढ रहे लोगों को नौकरी मिल सकती है। वहीं, जिन जातकों का व्यापार है वह इस अवधि में वृद्धि की उम्मीद कर सकते हैं। साथ ही, नया बिज़नेस शुरू करने के लिए समय अनुकूल है। इस राशि के छात्रों को पढ़ाई में मनचाही सफलता मिलने के आसार हैं। 

मकर राशि

मकर राशि के जातकों के पेशेवर जीवन के लिए बृहस्पति का अश्विनी नक्षत्र में गोचर फलदायी रहेगा। इन लोगों को करियर में सफलता मिलेगी क्योंकि बृहस्पति की दृष्टि आपके दसवें भाव पर पड़ रही होगी। ऐसे में, यह अवधि उन लोगों के लिए शानदार रहेगी जो प्रमोशन की उम्मीद लिए हुए हैं। साथ ही, इस दौरान नए अवसर भी प्राप्त होंगे और आपके बॉस आपके काम को बेहद करीब से देख रहे होंगे। इसके परिणामस्वरूप, कार्यस्थल पर मान-सम्मान की प्राप्ति के योग बनेंगे। 

कुंभ राशि

कुंभ राशि के नौकरीपेशा जातकों पर काम का बोझ ज्यादा हो सकता है, लेकिन फिर भी इन्हें थोड़ा आराम दिया जा सकता है। साथ ही, आपको सहकर्मियों की तरफ से सहयोग न मिलने की आशंका है। ऐसे में, आपको सलाह दी जाती है कि परिस्थितियों से घबराकर अपने कदम पीछे न खींचें, बल्कि मौजूदा हालात का डटकर सामना करें। लेकिन, अगर आप नौकरी छोड़ना चाहते हैं, तब भी आपको स्थिर बने रहना होगा। कंपनी में कोई नया निवेश करते समय आपको सतर्क रहना होगा और बहुत सोच-समझकर ही धन निवेश करने की सलाह आपको दी जाती है। वहीं, जिन जातकों का अपना व्यापार है उन्हें बृहस्पति के अश्विनी नक्षत्र में प्रवेश के दौरान कुछ तनाव का सामना करना पड़ सकता है।

मीन राशि 

मीन राशि के जातक कार्यस्थल पर दबाव का अनुभव कर सकते हैं लेकिन वह आसानी से इसे मैनेज कर लेंगे। आपकी नौकरी में बदलाव की संभावना है या फिर स्थानांतरण भी हो सकता है। इस दौरान आपको काम के सिलसिले में देश में या फिर विदेश में यात्रा पर जाना पड़ सकता है। यदि आप किसी नए व्यापार की शुरुआत करना चाहते हैं तो इस समय हम आपको थोड़ा रुकने की सलाह देना चाहेंगे। इस वर्ष के ज्यादातर भाग में आपकी आर्थिक स्थिति स्थिर बनी रहेगी क्योंकि बृहस्पति आपके दूसरे भाव में बैठे होंगे। 

नोट: जैसे कि हम जानते हैं कि राहु पहले से मेष राशि में विराजमान हैं और 30 अक्टूबर 2023 तक इस राशि में राहु बृहस्पति के साथ युति करेंगे। गुरु और राहु मिलकर “गुरु चांडाल योग” का निर्माण करेंगे। ऐसे में, राहु की शांति और बृहस्पति के अश्विनी नक्षत्र में प्रवेश से शुभ फल की प्राप्ति के लिए आप कुछ उपाय कर सकते हैं। 

गुरु चांडाल योग के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए अपनाएं ये उपाय

  • गेहूं, गुड़ और तांबा आदि का दान करें। इन तीन वस्तुओं या इनमें से किसी एक वस्तु को तांबे के बर्तन में रखकर रविवार के दिन बहते हुए जल में प्रवाहित करें।
  • नीले रंग के वस्त्र पहनने से बचें। 
  • गले में चांदी की चेन धारण करें।   
  • नारियल को बहते हुए जल में बहाएं । 
  • विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। 
  • घर या कार्यस्थल पर राहु यंत्र की स्थापना करें और उसकी पूजा-अर्चना करें।  

सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर

हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह लेख ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!

Dharma

बजरंग बाण: पाठ करने के नियम, महत्वपूर्ण तथ्य और लाभ

बजरंग बाण की हिन्दू धर्म में बहुत मान्यता है। हनुमान जी को एक ऐसे देवता के रूप में ...

51 शक्तिपीठ जो माँ सती के शरीर के भिन्न-भिन्न अंगों के हैं प्रतीक

भारतीय उप महाद्वीप में माँ सती के 51 शक्तिपीठ हैं। ये शक्तिपीठ माँ के भिन्न-भिन्न अंगों और उनके ...

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र (Kunjika Stotram) से पाएँ दुर्गा जी की कृपा

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक ऐसा दुर्लभ उपाय है जिसके पाठ के द्वारा कोई भी व्यक्ति पराम्बा देवी भगवती ...

12 ज्योतिर्लिंग: शिव को समर्पित हिन्दू आस्था के प्रमुख धार्मिक केन्द्र

12 ज्योतिर्लिंग, हिन्दू आस्था के बड़े केन्द्र हैं, जो समूचे भारत में फैले हुए हैं। जहाँ उत्तर में ...

दुर्गा देवी की स्तुति से मिटते हैं सारे कष्ट और मिलता है माँ भगवती का आशीर्वाद

दुर्गा स्तुति, माँ दुर्गा की आराधना के लिए की जाती है। हिन्दू धर्म में दुर्गा जी की पूजा ...

Leave a Reply

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा.