यदि आप इन पांच नक्षत्रों में जन्मे हैं तो जाने कैसा होगा आपका व्यक्तित्व और भविष्य?

भारतीय ज्योतिष शास्त्र  के अनुसार प्रमाणित रूप से  माना जाता है कि, व्यक्ति का जीवन जन्म के समय  स्थित ग्रह – नक्षत्रों अनुसार चलता है। कब अच्छा समय आएगा और कब समस्याओं का सामना करना पड़ेगा, यह सब कुंडली को देखकर जाना जा सकता है। जब किसी मनुष्य का जन्म होता है तो उस क्षण मौजूद ग्रहों और नक्षत्रों के आधार पर उसकी कुंडली का निर्धारण होता है। वे ग्रह और नक्षत्र व्यक्ति के जीवन पर अपनी-अपनी तरह से प्रभाव छोड़ते हैं और इसी के अनुसार व्यक्ति के जीवन की दिशा तय होती है। तो आज बात करते हैं यदि आपका जन्म इन पांच नक्षत्रों में हुआ तो कैसे रहेगा आपका व्यक्तित्व और भविष्य ?

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अश्विनी नक्षत्र 

अश्विनी नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातको का सुंदर स्वरूप, स्थूल व मजबूत शरीर होता है। ऐसे व्यक्ति आकर्षक रूप के साथ बड़ी आँखें, चौड़े ललाट वाले होते हैं। ये धन वान तथा भाग्यवान होते हैं। ऐसे जातक संपूर्ण प्रकार की संपत्तियों को प्राप्त करने वाले, स्त्री और आभूषण तथा पुत्रादि से संतोष प्राप्त करते हैं। 

अश्विनी नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति की राशि मेष व जन्म नक्षत्र स्वामी केतु व राशि स्वामी मंगल होती है। पराशर ग्रन्थ के अनुसार कहा गया है कि, मंगल या केतु जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में अशुभ स्थिति में हो तो उन्हें जायदाद संबंधी मामलों से चिंता ग्रस्त, क्रोधी, बड़े भाई न हों या भाई रोग ग्रस्त हों, महत्वाकांक्षी विचार का हो जाता है। केतु जिन ग्रहों के साथ हो और मंगल की स्थिति जैसी भी हो, वे वैसा परिणाम देते हैं।

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भरणी नक्षत्र 

भरणी नक्षत्र में जन्मे जातक मेष राशि व स्वामी मंगल है और नक्षत्र का स्वामी शुक्र होता है। इस तरह आप पर मंगल और शुक्र का प्रभाव जीवन भर देखने को मिलता है। मंगल जहां ऊर्जा, साहस व महत्वाकांक्षा देता है वहीं, शुक्र कला, सौंदर्य, धन व सेक्स का कारण बनता है। भरणी नक्षत्र में जन्म होने से जातक सत्य वादी , उत्तम विचार, वचनबद्ध, रोगरहित, धार्मिक कार्यों के प्रति रुचि रखने वाला, साहसी, प्रेरणादायक, चित्रकार एवं फ़ोटोग्राफ़ी में अभिरुचि रखने वाला होता है। इनका उद्देश्य अंतिम चरण तक पूर्ण फल को प्राप्त करना होता है।  

कृतिका नक्षत्र 

कृतिका नक्षत्र नक्षत्रों की गणनाओं में तीसरा नक्षत्र माना गया है। वृभष राशि में कृतिका नक्षत्र के अंतिम 3 चरण होते हैं। नक्षत्र स्वामी सूर्य व राशि स्वामी शुक्र है। कृत्तिका नक्षत्र के पहले चरण में जन्म होने पर जन्म राशि मेष, राशि स्वामी मंगल तथा शेष 3 चरणों में जन्म होने पर राशि वृषभ तथा राशि स्वामी शुक्र इस तरह जातक पर मंगल, सूर्य और शुक्र का जीवन भर प्रभाव रहता है। ऐसे जातक का शरीर कोमल लेकिन स्वस्थ होता है। पहले चरण में जन्म हुआ है तो गठिला बदन होगा। स्त्री और मकान सुख,तेजस्वी, विद्वान, सामाजिक कार्यों में रुचि लेने वाले, अतिथि सत्कार में कुशल, कला एवं कला विज्ञान में कुशल और ऐसा जातक विख्यात होता है।

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मृगशिरा नक्षत्र  

मृगशिरा नक्षत्र का स्वामी ग्रह मंगल को माना जाता है। मृगशिरा नक्षत्र के पहले दो चरण वृषभ राशि में स्थित होते हैं और शेष 2 चरण मिथुन राशि में स्थित होते हैं, जिसके कारण इस नक्षत्र पर वृषभ राशि तथा इसके स्वामी ग्रह शुक्र एवं मिथुन राशि तथा इसके स्वामी ग्रह बुध का प्रभाव भी रहता है। इस तरह इस नक्षत्र में जन्मे जातक पर मंगल, बुध और शुक्र का प्रभाव जीवन भर बना रहता है। इस नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति सुंदर होते हैं और उनके हाथ-पैर लंबे होते हैं। ऐसे व्यक्ति स्त्री, भवन, वाहन और सभी प्रकार का सुख प्राप्त करते हैं। समाज प्रिय, अपने कार्य में दक्ष, संगीत-प्रेमी, सफल व्यवसायी, अन्वेषक, अल्प-व्यवहारी, परोपकारी, नेतृत्व क्षमताशील होता है।

रोहिणी नक्षत्र 

रोहिणी नक्षत्र का राशि वृषभ व राशि स्वामी शुक्र है और नक्षत्र स्वामी चंद्रमा है।  इस नक्षत्र में जन्मे जातक देखने में सुंदर तथा आकर्षक आंखों वाले होते हैं। इन्हें स्त्री और वाहन सुख मिलता है। रोहिणी नक्षत्र में जन्म होने से जातक सत्यवक्ता,धन वान, कृतज्ञ, मेधावी, राज मान्य, संवेदनशील, सौम्य स्वभाव, ज्ञान युक्त, शीलयुक्त,  पवित्रात्मा, प्रिय वचन बोलने वाला, साथ  ही ऐसे जातक  प्राकृतिक सौंदर्य का प्रेमी, कला, नाट्य तथा संगीत में अभिरुचि, सार्वजनिक उत्सवों में भाग लेने वाला, सामाजिक प्रतिष्ठा एवं सम्मान का इच्छुक, परोपकारी व इन सभी क्षेत्रों से कार्य करते हैं।

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