भाद्रपद अमावस्या 2025: भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र और विशेष माना गया है। यह दिन सिर्फ एक चंद्रविहीन रात्रि नहीं, बल्कि पितृ तृप्ति आत्मशुद्धि और नकारात्मकता से मुक्ति का शक्तिशाली समय है। माना जाता है कि इस दिन किए श्राद्ध, तर्पण और दान से हमारे पूर्वज प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद देते हैं। साथ ही, यह अमावस्या दरिद्रता, शत्रु बाधा और पितृ दोष से छुटकारा पाने का भी उत्तम अवसर मानी जाती है। इस दिन व्रत, पवित्र स्नान, विशेष उपाय, मंत्र जाप और हवन का विशेष महत्व होता है, जिससे जीवन में शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

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इस बार की भाद्रपद अमावस्या पर दुर्लभ योग भी बन रहे हैं, जो इस दिन को और भी प्रभावशाली बना देते है। ऐसे में यदि आप चाहते हैं, पूर्वजों की कृपा, परिवार में सुख-शांति और जीवन से बाधाओं को दूर करना, तो इस दिन को खोने ने दें। आइए जानते हैं, इस विशेष तिथि का महत्व, पूजा विधि, उपाय और उससे जुड़ी मान्यताएं, जो आपकी आध्यात्मिक यात्रा को और भी समृद्ध बनाएंगी।
भाद्रपद अमावस्या 2025: तिथि व मुहूर्त
अमावस्या तिथि प्रारंभ: 22 अगस्त 2025 की सुबह 11 बजकर 58 मिनट से
अमावस्या तिथि समाप्त: 23 अगस्त 2025 की सुबह 11 बजकर 38 मिनट पर होगी।
भाद्रपद अमावस्या तिथि: 23 अगस्त 2025, शनिवार
भाद्रपद अमावस्या की पूजा विधि
- सूर्योदय से पहले उठें। शुद्ध जल से स्नान करें, हो सके तो कुंड या पवित्र नदी में स्नान करें।
- स्नान के जल में थोड़ा गंगाजल, काले तिल, कुशा और तुलसी पत्र मिलाएं।
- घर की छत या किसी खुले स्थान पर तिल, जल और पुष्ण से पितरों को तर्पण दें।
- तर्पण देते समय यह मंत्र बोलें “ॐ पितृभ्यः स्वधा नमः।”
- अपने पितरों का स्मरण करते हुए उनके नाम से खीर, पूड़ी, सब्जी, फल और जल का भोग लगाएं।
- ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद को श्रद्धा से भोजन करवाएं और वस्त्र या दक्षिणा दें।
- शाम को घर के मुख्य द्वार, तुलसी चौरा और पवित्र स्थानों पर दीपक जलाएं। सरसों के तेल का दीपक विशेष फलदायी माना गया है।
- हवन सामग्री में गुग्गुल, लोबान, तिल और जौ का प्रयोग करें।
- पितृ शांति के लिए नीचे दिए गए मंत्रों का कम से कम 108 बार जाप करें: “ॐ नमः भगवते वासुदेवाय नमः”, “ॐ श्री पितृदेवताभ्यो नमः”।
- इस दिन काले तिल, वस्त्र, छाता, चप्पल, भोजन आदि का दान करें।
- गरीब, वृद्ध, गाय और पक्षियों को अन्न दें।
- जरूरतमंदों को गुप्त दान करना पुण्यदायी होता है।
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भाद्रपद अमावस्या 2025: महत्व
हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि को आध्यात्मिक, धार्मिक और पितृ कर्तव्य की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। यह दिन उन पूर्वजों को समर्पित होता है, जिनके कारण हम इस संसार में हैं। भले ही श्राद्ध पक्ष बाद में आता है, लेकिन भाद्रपद को पितृ तर्पण और श्राद्ध का आरंभिक द्वार माना जाता है।
मान्यता है कि इस दिन जल, तिल और कुशा से किए गए तर्पण से पितृगण तृप्त होते हैं और आशीर्वाद देते हैं। इससे जीवन में आ रही रुकावटें, बीमारियां और धन संबंधी बाधाएं दूर होती हैं। जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है, उनके लिए यह दिन विशेष फलदायक होता है। सही विधि से पूजा, तर्पण और दान करने से दोषों की शांति होती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
भाद्रपद अमावस्या पर किए गए विशेष दान, हवन और मंत्र जाप से दरिद्रता, दुर्भाग्य और शनि की पीड़ा में राहत मिलती है। यह दिन घर से नकारात्मक ऊर्जा को बाहर निकालने का उत्तम अवसर है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति को तीर्थ यात्रा के समान पुण्य मिलता है। विशेष रूप से गंगा स्नान, पितृ तर्पण और गरीबों को अन्न-वस्त्र दान करने से सात पीढ़ियों तक पुण्य फल मिलता है।
भाद्रपद अमावस्या 2025 पर क्या करें क्या न करें
क्या करें
- सवेरे ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करें। यदि संभव हो तो गंगा स्नान या तिल मिश्रित जल से स्नान करें।
- पितरों के नाम से तर्पण करें। जल में काले तिल, कुशा और पुष्प डालकर पितरों को श्रद्धा से अर्पित करें।
- श्राद्ध, हवन और पिंडदान करें यह दिन पितृ शांति के लिए अत्यंत उपयुक्त होता है।
- गाय, कुत्ते, कौवे, ब्राह्मण और गरीबों को भोजन अवश्य कराएं।
- इस दिन अन्न, वस्त्र, काले तिल, दक्षिणा, छाता, चप्पल आदि का दान करें।
- यह पितरों को प्रसन्न करता है और जीवन में दरिद्रता हटाता है।
- पीपल में पितृ देवों का वास माना गया है, ऐसे में इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करें। जल चढ़ाएं और घी का दीपक जलाएं।
- पितरों का स्मरण करें। उन्हें मन से याद करें, क्षमा याचना करें और उनके आशीर्वाद की प्रार्थना करें। साथ ही, “ॐ श्री पितृदेवताभ्यो नमः” “ॐ नमः भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें।
क्या न करें
- इस दिन मांस, मदिरा, लहसुन-प्याज आदि तामसिक भोजन का सेवन न करें।
- झगड़ा, अपशब्द या कठोर वाणी का प्रयोग न करें क्योंकि यह दिन संयम और शांति का होता है।
- इस दिन नाखून और बाल काटना शुभ नहीं माना जाता है।
- अनादर या उपेक्षा से पितरों की आत्मा को दुख पहुंच सकता है। अतः जो भी कार्य करें श्रद्धा और भावनाओं से करें।
- भूलकर भी किसी भूखे को भूखा न लौटाएं, जो भी आए, उसे अन्न या जल जरूर दें।
- किसी मांगने वाले या ब्राह्मण का अपमान न करें, यह भारी दोष देता है।
- विवादास्पद या अपवित्र कार्यों से बचें। मानसिक, वाणी और कर्म से शुद्ध रहें।
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भाद्रपद अमावस्या 2025 की कथा
पुराणों में वर्णित एक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक ब्राह्मण था, जो बहुत ही धार्मिक, तपस्वी और अपने कर्म में निष्ठावान था। उसके तीन पुत्र थे। तीनों में सबसे छोटा पुत्र स्वभाव से चंचल और अनुशासनहीन था। वह माता-पिता और पूर्वजों का अपमान करता था, धार्मिक कार्यों से दूर रहता था और श्राद्ध व तर्पण को व्यर्थ समझता था। समय बीतता गया और उस ब्राह्मण की मृत्यु हो गई। बड़ा और मंझला पुत्र विधिवत श्राद्ध और तर्पण करते रहे, लेकिन छोटा पुत्र हमेशा इन कार्यों से भागता रहा।
एक दिन वह बहुत बीमार पड़ गया। उसकी इतनी खराब हो गई कि वह मृत्युशय्या पर आ गया। उसी रात उसे स्वप्न में उसके पिता और पितृगण दिखाई दिए। उन्होंने क्रोधित स्वर में कहा कि ‘हमने तुम्हें जीवन दिया, संस्कार दिए और तुमने हमें श्राद्ध और तर्पण से वंचित कर दिया। तेरे कारण हमारी आत्मा भूखी और अशांत है। अगर अब भी तू अपनी गलती सुधार ले, तो तुझे और हम दोनों को शांति मिल सकती है’। अगली सुबह जैसी ही वह युवक उठा उसने अपने भाइयों से सारी बात बताई और पश्चाताप करते हुए तुरंत भाद्रपद अमावस्या के दिन विधिपूर्वक स्नान, तर्पण और श्राद्ध किया।
उसने गरीबों को भोजन, वस्त्र और दक्षिणा भी दी। तभी से उसके जीवन में चमत्कारिक रूप से सुधार हुआ, स्वास्थ्य वापस आया और घर में सुख-शांति लौट आई। तब से यह मान्यता बनी कि भाद्रपद अमावस्या पर पितरों की आत्मा विशेष रूप से पृथ्वी पर आती है, और यदि इस दिन श्रद्धा से तर्पण, श्राद्ध और दान किया जाए तो वे तृप्त होकर आशीर्वाद देते हैं।
कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर
भाद्रपद अमावस्या 2025 पर जरूर करें ये उपाय
पितृ दोष शांति के लिए
इस दिन सूर्योदय के बाद शुद्ध जल में काले तिल, कुशा और गंगाजल मिलाकर पितरों को दक्षिण दिशा की ओर मुख करके तर्पण करें। साथ ही, इस मंत्र ॐ पितृदेवताभ्यः नमः का 108 बार जाप करें। ऐसा करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
दरिद्रता से छुटकारा पाने के लिए
भाद्रपद अमावस्या की शाम को पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं। सात परिक्रमा करें और हाथ जोड़कर प्रार्थना करें कि “हे पितरों, हमारे घर से दरिद्रता दूर करें और समृद्धि प्रदान करें।”
कर्ज से मुक्ति पाने के लिए
कर्ज व किसी प्रकार से लोन से मुक्ति पाने के लिए इस दिन एक पुराने सिक्के को काले कपड़े में बांधकर उसमें थोड़ा सा काला तिल और एक चुटकी आटा रखकर बहते जल में प्रवाहित करें। यह उपाय कर्ज से छुटकारा पाने के लिए बहुत कारगर माना जाता है।
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शत्रु बाधा हटाने के लिए
इस दिन नारियल पर काजल की बिंदी लगाकर अपने ऊपर से सात बार उतारें और किसी सुनसान स्थान या नदी में प्रवाहित करें। यह उपाय बुरी नजर और शत्रु बाधा से रक्षा करता है।
स्वास्थ्य लाभ के लिए
काले तिल और उड़द की दाल का दान करें। इसके अलावा, मंदिर में दीपक जलाकर “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से आपकी सेहत अच्छी होगी और आपको बड़ी से बड़ी समस्या से छुटकारा मिलेगा।
सुख-शांति के लिए
इस दिन कौवे, कुत्ते, गाय और चींटियों को अन्न खिलाएं। यह बहुत शुभ माना जाता है और ऐसा करने पितृ प्रसन्न होते हैं। इससे घर में भी सुख-शांति बनी रहती है।
धन वृद्धि के लिए
इस दिन रात को चंद्रमा को अर्घ्य दें और गुप्त रूप से किसी गरीब को चांदी का सिक्का या चावल दान करें। ऐसा करने से आपके धन में वृद्धि होगी और आपकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
भाद्रपद अमावस्या वर्ष 2025 में 23 अगस्त 2025 को मनाई जाएगी।
इस दिन पितरों के लिए तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध, और दान-पुण्य करना सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। इससे पितृ तृप्त होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
जी हां, यदि संभव हो तो इस दिन गंगा या किसी पवित्र नदी में स्नान करना अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। इससे पापों से मुक्ति और पितृ तृप्ति मिलती है।