अहोई अष्टमी 2025: मां बाप के लिए उनकी संतान ही सबसे बड़ी पूंजी और जीवन का सच्चा आधार होती है। हर माता-पिता का सपना होता है कि उनके बच्चे स्वस्थ, दीर्घायु और सफल हों। इन्हीं शुभ कामनाओं को पूर्ण करने के लिए हिंदू धर्म में अहोई अष्टमी का व्रत बेहद महत्वपूर्ण माना गया है।

इस व्रत का विशेष महत्व संतान के सुख, समृद्धि और उज्जवल भविष्य से जुड़ा हुआ है। अहोई अष्टमी पर माताएं पूरे नियम और श्रद्धा से उपवास रखती हैं और संतान की लंबी उम्र तथा जीवन की हर कठिनाई से रक्षा के लिए अहोई माता का आशीर्वाद मांगती हैं।
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धार्मिक मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से व्रत रखने और कुछ विशेष उपाय करने से बच्चों पर आने वाले संकट दूर हो जाते हैं और उनके जीवन में खुशहाली, तरक्की और सफलता का मार्ग खुलता है। इसलिए अहोई अष्टमी को मातृत्व और संतान के बीच के अटूट बंधन का पावन पर्व भी कहा जाता है।
आइए इसी क्रम में आगे बढ़ते हैं और जानते है कि इस साल अहोई अष्टमी का व्रत कब रखा जाएगा, मुहूर्त, पूजा विधि, कथा, व्रत नियम आदि के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
अहोई अष्टमी 2025: तिथि और समय
हिंदू पंचांग के अनुसार, अहोई अष्टमी का पर्व कार्तिक मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को पड़ता है। इस बार यह तिथि 13 अक्टूबर 2025 को पड़ रही है। ऐसे में अहोई अष्टमी व्रत 13 अक्टूबर को रखा जाएगा।
अष्टमी तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 13, 2025 की दोपहर 12 बजकर 26 मिनट से
अष्टमी तिथि समाप्त – अक्टूबर 14, 2025 की सुबह 11 बजकर 11 मिनट तक
अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त – शाम 05 बजकर 53 मिनट से शाम 07 बजकर 08 मिनट तक
तारों को देखने के लिये सांझ का समय – शाम 06 बजकर 17 मिनट
अहोई अष्टमी के दिन चंद्रोदय समय – रात 11 बजकर 18 मिनट
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अहोई अष्टमी 2025 पर व्रत का महत्व
हिंदू धर्म में अहोई अष्टमी का व्रत बहुत ही ख़ास महत्व है। यह व्रत मुख्य रूप से संतान की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य के लिए रखा जाता है। इस दिन माताएं निर्जला उपवास रखकर अहोई माता की पूजा करती हैं और अपने बच्चों की सुख-समृद्धि तथा जीवन की हर कठिनाई से रक्षा की कामना करती हैं।
धार्मिक मान्यता है कि अहोई माता का व्रत करने से संतान पर आने वाले संकट दूर हो जाते हैं और उनके जीवन में खुशहाली बनी रहती है। इसे संतान सुख और मातृत्व से जुड़ा पर्व भी माना जाता है, क्योंकि यह व्रत माता के प्रेम, त्याग और संकल्प का प्रतीक है।
आध्यात्मिक दृष्टि से यह व्रत न केवल संतान की उन्नति का मार्ग खोलता है बल्कि घर-परिवार में शांति और समृद्धि भी लाता है। अहोई अष्टमी व्रत को आस्था और श्रद्धा से करने पर संतान जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करती है और उनका भविष्य उज्जवल होता है।
अहोई अष्टमी 2025: पूजा विधि
अहोई अष्टमी व्रत की पूजा विधि बेहद सरल और शुभ मानी गई है। इसे विधि-विधान से करने पर माता अहोई की कृपा से संतान को दीर्घायु, स्वास्थ्य और सफलता की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं इसकी पूजा विधि के बारे में:
- अहोई अष्टमी के दिन सुबह स्नान करके साफ कपड़े पहनें और व्रत का संकल्प लें।
- दीवार पर अहोई माता का चित्र या प्रतिमा स्थापित करें। इसके साथ सप्त ऋषियों की आकृति भी बनाई जाती है।
- दीवार या कागज पर मिट्टी, गेरू या रंग से अष्टकोण बनाकर उसमें अहोई माता, सेई और सेई के बच्चों का चित्र बनाएं।
- पूजा के लिए जल से भरा कलश, रोली, चावल, दीपक, अगरबत्ती, फूल, दूध, मिठाई, और गेहूं के दाने रखें।
- अहोई माता के सामने दीपक जलाएं और उन्हें फूल अर्पित करें।
- अहोई माता की व्रत कथा पढ़ें या सुनें। संध्या समय तारों को जल अर्पित करें और अहोई माता से संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।
- तारा उदय के बाद व्रती जल और भोजन ग्रहण करते हैं।
अहोई अष्टमी 2025 व्रत का नियम
- अहोई अष्टमी कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाया जाता है।
- व्रत रखने वाली माताएं निर्जला उपवास रखती हैं। कुछ स्थानों पर माताएं हल्का भोजन (फल, दूध आदि) कर सकती हैं।
- प्रातःकाल स्नान और साफ-सफाई के बाद पूजा की जाती है। व्रत कथा सुनना और अहोई माता की प्रतिमा या चित्र की स्थापना करना जरूरी है।
- संध्या के समय तारा उदय के बाद अहोई माता को जल अर्पित करें और संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करें।
- व्रत पूरी श्रद्धा, भक्ति और संयम के साथ रखना चाहिए। तारा उदय के बाद व्रती जल ग्रहण करके व्रत तोड़ते हैं।
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अहोई अष्टमी 2025: पौराणिक कथा
अहोई अष्टमी व्रत की कथा संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि से जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार, एक बार एक विधवा मां अपनी पाठ संतानाओं की रक्षा और उनके अच्छे भविष्य की कामना करती थी। उसका एक बच्चा बहुत बीमार था और उसे दीर्घायु मिलने की कोई संभावना नहीं दिखाई देती थी।
एक दिन माता को अहोई माता की कृपा का दर्शन हुआ। अहोई माता ने उसने कहा कि यदि वह अहोई अष्टमी का व्रत पूरी श्रद्धा और भक्ति से रखें और सात नारियल या सात मिट्टी के चित्रों के माध्यम से अपने बच्चों की रक्षा के लिए पूजा करें, तो उनके संतान की लंबी उम्र और कल्याण सुनिश्चित होगा।
मां ने माता की आज्ञा अनुसार व्रत रखा और अहोई माता की पूजा की। परिणामस्वरूप, उनकी संतान स्वस्थ, दीर्घायु और सुखी जीवन जीने लगे। इस कथा के आधार पर यह व्रत आज भी माताएं संतान के स्वास्थ्य, लंबी उम्र और सफलता के लिए श्रद्धा भाव से करती हैं।
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन किए गए छोटे से उपाय और पूजा भी संतान के जीवन में संकटों को दूर करते हैं और उन्हें माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
अहोई अष्टमी 2025 के दिन करें अचूक टोटके
आठ मिट्टी या नारियल के चित्र बनाकर पूजा
अहोई माता और अपने बच्चों के आठ चित्र बनाकर पूजा करना सबसे मुख्य टोटका माना जाता है। माता की भक्ति और श्रद्धा के साथ इन चित्रों पर दूध, फूल और चावल अर्पित करें। इससे संतान पर आने वाले संकट दूर होते हैं और उनके जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
अष्टकोण बनाकर गेहूं और जल अर्पित करना
मिट्टी या कागज पर अष्टकोण बनाएं और इसके अंदर गेहूं, दूध और जल अर्पित करें। यह उपाय संतान के स्वास्थ्य और दीर्घायु को बढ़ाने में बेहद प्रभावशाली माना जाता है।
अहोई अष्टमी 2025 पर सात नारियल का दान
यदि संभव हो तो सात नारियल किसी गरीब, अनाथ या मंदिर में दान करें। यह उपाय माता अहोई की कृपा को प्राप्त करने का सरल और प्रभावशाली तरीका है।
अहोई अष्टमी 2025 पर तारा देखकर जल अर्पण
व्रत के अंत में सूर्यास्त के बाद तारे को देखकर अहोई माता को जल अर्पित करें। यह टोटका संतान के लिए विशेष रूप से शुभ होता है और माता की कृपा बढ़ाता है।
संयम, शुद्ध विचार और भक्ति भाव
व्रत के दौरान क्रोध, झगड़ा और नकारात्मक विचार से दूर रहें। संयम, सच्चाई और भक्ति के साथ पूजा करने माता अहोई का आशीर्वाद संतान पर स्थायी रूप से बना रहता है और वे जीवन में सुख, स्वास्थ्य और सफलता प्राप्त करते हैं।
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अहोई अष्टमी 2025 : राशि अनुसार उपाय
मेष राशि
मेष राशि के माता-पिता अहोई माता को लाल फूल अर्पित करें और गेहूं के दाने जल में डालकर तारा को अर्पित करें। संतान के स्वास्थ्य और आत्मविश्वास के लिए यह शुभ होता है।
वृषभ राशि
वृषभ राशि के लिए अहोई माता को दूध, गुड़ और गुड़ की मिठाई अर्पित करें। संतान की बुद्धि और अध्ययन में सफलता के लिए यह उपाय लाभकारी है।
मिथुन राशि
मिथुन राशि के माता-पिता व्रत के दिन हरा कपड़ा ओढ़कर पूजा करें और सात नारियल का दान करें। संतान पर माता का आशीर्वाद मजबूत होता है और उनका भविष्य उज्जवल बनता है।
कर्क राशि
कर्क राशि के लिए अहोई माता को पीले फूल, फल और दीपक अर्पित करें। संतान के जीवन में स्वास्थ्य और मानसिक स्थिरता बनी रहती है।
सिंह राशि
सिंह राशि के माता-पिता व्रत के दिन तुलसी के पत्ते और हल्दी का उपयोग करें। संतान के जीवन में ऊर्जा, साहस और नेतृत्व क्षमता बढ़ती है।
कन्या राशि
कन्या राशि के लिए अहोई माता को सफेद फूल, दूध और गेहूं अर्पित करें। संतान के करियर और पढ़ाई में सफलता के लिए यह उपाय खास है।
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तुला राशि
तुला राशि के माता-पिता व्रत के दिन लाल और नारंगी फूल अर्पित करें। संतान के जीवन में संतुलन और सकारात्मक ऊर्जा आती है।
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के लिए अहोई माता को जल चावल अर्पित करें। संतान की दीर्घायु और सुरक्षा के लिए यह उपाय लाभकारी है।
धनु राशि
धनु राशि के माता-पिता अहोई माता को हरे फूल और गुड़ अर्पित करें। संतान के स्वास्थ्य और सफलता के लिए यह उपाय शुभ माना जाता है।
मकर राशि
मकर राशि के लिए साल नारियल या साल मिट्टी के बर्तन का दान करें। संतान के जीवन में सुख, समृद्धि और सम्मान बढ़ता है।
कुंभ राशि
कुंभ राशि के माता-पिता व्रत के दिन नीले और सफेद फूल अर्पित करें। संतान के जीवन में मानसिक शक्ति और स्थिरता बढ़ती है।
मीन राशि
मीन राशि के लिए अहोई माता को गुलाब के फूल और दूध अर्पित करें। संतान के जीवन में सफलता, स्वास्थ्य और आशीर्वाद मिलता है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
अहोई अष्टमी कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है। यह व्रत मुख्य रूप से संतान की लंबी उम्र और उज्ज्वल भविष्य के लिए रखा जाता है।
अहोई अष्टमी का व्रत आमतौर पर निर्जल रखा जाता है। कुछ स्थितियों में हल्का भोजन जैसे फल, दूध या हल्दी वाला पानी ग्रहण किया जा सकता है।
प्रातःकाल स्नान कर साफ कपड़े पहनें, अहोई माता का चित्र या प्रतिमा स्थापित करें। पूजा सामग्री में फूल, दीपक, जल, चावल, गेहूं, दूध और मिठाई रखें। पूजा के बाद कथा सुनें और शाम को तारों को देखकर जल अर्पित करें।