एस्ट्रोसेज का यह विशेष ब्लॉग आपको आदि अमावस्या 2023 के बारे में समस्त जानकारी प्रदान करेगा जैसे कि तिथि, महत्व एवं इस दिन क्या-क्या कार्य किए जाते हैं आदि। अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने और पवित्र नदी में स्नान आदि करने का बहुत महत्व है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में पितृ दोष है, तो उसे आदि अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने से, इस दोष से मुक्ति मिल सकती है। आदि अमावस्या पर बन रहे योग के साथ-साथ ज्योतिषीय उपायों के बारे में जानने के लिए इस ब्लॉग को अंत तक जरूर पढ़ें।
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2023 में कब पड़ रही है आदि अमावस्या
15 अगस्त, 2023 को बुधवार के दिन आदि अमावस्या है। 15 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 45 मिनट पर अमावस्या तिथि आरंभ होगी और 16 अगस्त को दोपहर 03 बजकर 09 मिनट पर इसका समापन होगा।
आदि अमावस्या पर 19 वर्षों बाद शुभ संयोग
इस वर्ष की आदि अमावस्या पर कई शुभ योग बन रहे हैं। इनमें से पहला तो यही है कि यह अमावस्या अर्थात अधिक मास की अमावस्या तीन वर्षों बाद पड़ रही है। इसके अलावा 19 वर्षों बाद अधिक मास अमावस्या पर शुभ संयोग बना है कि यह सावन की अधिक मास अमावस्या है। ऐसे में पितरों की आत्मा की शांति के लिए यह दिन बेहद ही उत्तम और फलदायी माना जा रहा है। आप भी इस दिन की विधिवत पूजा अर्चना करके कुंडली से पितृ दोष जैसा जटिल दोष दूर या उसका नकारात्मक प्रभाव कुंडली से दूर कर सकते हैं।
इसके अलावा हम आपको यहाँ यह भी जानकारी प्रदान कर रहे हैं कि अधिक मास की यह अति-शुभ अमावस्या किन राशियों के लिए बेहद ही शुभ रहने वाली है।
इन राशियों के लिए बेहद खास है आदि अमावस्या
वृषभ राशि, कन्या राशि, तुला राशि, वृश्चिक राशि और कुम्भ राशि
इन राशियों को अपने सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होगी, अपार धन लाभ होगा, कड़ी मेहनत का फल मिलेगा, पारिवारिक जीवन में सुख और शांति रहेगी, भाई-बहनों से प्रेम बढ़ेगा, माता से रिश्ते अच्छे होंगे, मन शांत रहेगा और तनाव में गिरावट आएगी, स्वास्थ्य उत्तम बना रहेगा, व्यापारी जातक मोटा लाभ कमाएंगे और सिंगल जातकों के जीवन में किसी खास व्यक्ति की दस्तक होगी जिससे आपका रिश्ता भविष्य में भी मजबूत बना रहेगा।
आदि अमावस्या क्या है?
तमिल कैलेंडर के अनुसार आदि महीने में पड़ने वाली अमावस्या को आदि अमावस्या कहते हैं। जुलाई और अगस्त के मध्य में यह अमावस्या पड़ती है। पितरों और पूर्वजों के तर्पण के लिए इस अमावस्या का बहुत महत्व है। वहीं तमिल कैलेंडर में आदि अमावस्या को पितरों को प्रसन्न करने के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इस दिन तमिलनाडु के सभी मंदिरों में विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है और लोग इस दिन अपने पितरों और पूर्वजों की पूजा करते हैं। साथ ही, अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए उनसे प्रार्थना करते हैं।
अलग-अलग राज्यों में आदि अमावस्या का महत्व
आदि अमावस्या के दिन तर्पण और कई तरह के अन्य संस्कार किए जाते हैं। केरल में तर्पण को कार्किडका वावु के नाम से जाना जाता है। उत्तर भारत में इस दिन हरियाली अमावस्या मनाई जाती है। मराठी, गुजराती, तेलुगु और कन्नड़ कैलेंडर में इसे आषाढ़ अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा महाराष्ट्र में आदि अमावस्या को गटरी अमावस्या, आंध्र प्रदेश में छुकल अमावस्या, कनार्टक में भीमन अमावस्या और उड़ीसा में यह चितालागी अमावस्या के नाम से लोकप्रिय है।
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आदि अमावस्या का महत्व
आदि महीने में पितृ गण धरती पर हमें अपना आशीर्वाद देने आते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार, इस अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों कर्क राशि में होते हैं। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को पिता और आत्मा का कारक माना गया है जबकि चंद्रमा मां और मन का प्रतीक हैं। हर साल आदि माह में सूर्य देव दक्षिण की ओर अपना मुख कर लेते हैं और इस स्थिति में सूर्य देव को दक्षिणायन बुलाया जाता है।
आदि अमावस्या पर क्या किया जाता है?
यदि आप अपने पितरों का तर्पण करना या उनका आशीर्वाद पाना चाहते हैं, तो आदि अमावस्या का दिन इसके लिए अनुकूल रहेगा। ऐसी मान्यता है कि आदि अमावस्या पर तर्पण और भोग को हमारे पितर आसानी से स्वीकार कर लेते हैं और इस दिन तर्पण करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है। मान्यता है कि आदि अमावस्या पर पवित्र नदी में स्नान करने से व्यक्ति को अपने पाप कर्मों से मुक्ति मिल जाती है।
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आदि अमावस्या पर व्रत रखने के लाभ
आप आदि अमावस्या के दिन व्रत या एक समय भोजन कर सकते हैं। अमावस्या पर व्रत एवं तर्पण करने से निम्न लाभ मिलते हैं:
- आपके पूर्वजों की आत्मा को मुक्ति और शांति मिलती है।
- आपको बुरे कर्मों से छुटकारा मिलता है और आपके जीवन में सुख-शांति आती है।
- आपके पूरे परिवार में सुख-समृद्धि बढ़ती है।
आदि अमावस्या पर करें ये ज्योतिषीय उपाय
आदि अमावस्या के दिन कुछ उपाय करने से आपके जीवन की मुश्किलें दूर हो सकती हैं। इस अमावस्या पर ईश्वर की कृपा और आशीर्वाद पाने के लिए आप निम्न उपाय कर सकते हैं:
- भगवान शिव की आराधना करें और 108 बार ‘ॐ नम: शिवाय:’ मंत्र का जाप करें।
- गरीब और जरूरतमंद लोगों को वस्त्रों का दान करें और उन्हें भोजन करवाएं।
- इस दिन हनुमान जी की पूजा का भी बड़ा महत्व है। ऐसे में, बजरंग बाण का पाठ करने से लाभ होगा।
- मानसिक शांति के लिए प्राणायाम या योग करें।
- गुरुड़ पुराण के अनुसार आदि अमावस्या पर जल में तिल के बीज डालकर पितरों को अर्पित करें और उनसे लंबी उम्र, सफलता, कर्ज से मुक्ति एवं शत्रुओं का नाश करने की प्रार्थना करें।
- इस दिन भोजन में लहसुन और प्याज का उपयोग करने से बचें।
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