कार्तिक पूर्णिमा के दिन जरूर करें इन चीज़ों का दान; मिलेंगे हजारों लाभ!

सनातन धर्म में कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को बहुत ही ख़ास माना जाता है इसे कार्तिक पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस दिन पवित्र नदी गंगा में स्नान का विशेष महत्व है। साथ ही, मान्यता है कि इस दिन स्नान के बाद दान व दीपदान करने से देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस विशेष दिन लोग व्रत-उपवास रखते हैं। कहते हैं कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करने और व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पाप व कष्ट मिट जाते हैं।

इस दिन को धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बहुत शुभ माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली और त्रिपुरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु, भगवान शिव और भगवान ब्रह्मा यह त्रिदेवों की पूजा से शुभ फल की प्राप्ति होती है। तो आइए आगे बढ़ते हैं और एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम जानते हैं साल 2024 में कार्तिक पूर्णिमा का व्रत कब रखा जाएगा, इस दिन कौन से उपाय करने चाहिए व इस दिन पढ़ी जाने वाली कथा।

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कार्तिक पूर्णिमा 2024: तिथि व समय

इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर 2024 (शुक्रवार) को पड़ रही है। 

कार्तिक पूर्णिमा आरम्भ: नवंबर 15, 2024 की सुबह 06 बजकर 21 मिनट से 

कार्तिक पूर्णिमा समाप्त: नवंबर 16, 2024 की सुबह 03 बजकर 12 मिनट तक।

कार्तिक पूर्णिमा महत्व

सनातन धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का अत्यधिक महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु, भगवान शिव, और देवी लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। साथ ही, इस पर्व को देव दीपावली और गुरु नानक जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। इस दिन को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में भी मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन देवता पृथ्वी पर आते हैं और दीपों के माध्यम से उनका स्वागत किया जाता है। 

इस दिन पवित्र नदियों, विशेष रूप से गंगा, यमुना, और सरस्वती में स्नान करना अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। 

सिख धर्म में कार्तिक पूर्णिमा का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन सिखों के प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी का जन्म हुआ था। इसे गुरु नानक जयंती के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन गुरुद्वारों में कीर्तन, लंगर, और अरदास की जाती है, जो सेवा और समर्पण का प्रतीक है। इसके अलावा, इस दिन ध्यान, साधना और उपवास का भी विशेष महत्व होता है।

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कार्तिक पूर्णिमा पूजा विधि

  • कार्तिक पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले उठकर ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना शुभ माना जाता है।
  • यदि संभव हो, तो इस दिन किसी पवित्र नदी, विशेषकर गंगा, यमुना या किसी तीर्थ स्थल पर जाकर स्नान करें। यदि यह संभव न हो, तो घर में स्नान के जल में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
  • स्नान के बाद शुद्ध वस्त्र धारण करें और पूजा के लिए की तैयार करें।
  • भगवान विष्णु को तुलसी के पत्ते, चंदन, रोली, धूप, दीप, अगरबत्ती, अक्षत (चावल), फूल (विशेष रूप से कमल), पंचामृत, फल और नैवेद्य (भोग) अर्पित करें।
  • इसके अलावा, भगवान विष्णु को पीले फूल और तुलसी के पत्ते अर्पित करें। भगवान विष्णु को तुलसी अति प्रिय है, इसलिए उनकी पूजा में तुलसी का उपयोग अवश्य करें।
  • भगवान शिव को जल, दूध, बेलपत्र और धतूरा चढ़ाएं। भगवान शिव की पूजा में पंचामृत से अभिषेक करना विशेष फलदायी माना जाता है।
  • दीपक जलाएं और भगवान की आरती करें। “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” और “ॐ नमः शिवाय” मंत्रों का जाप करें।
  • कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान का विशेष महत्व है। शाम के समय अपने घर या मंदिर में दीप जलाएं और यदि संभव हो तो किसी पवित्र नदी के किनारे दीपदान करें।
  • इस दिन व्रत रखना अत्यंत शुभ माना जाता है। यदि संभव हो, तो निराहार उपवास रखें या फलाहार ग्रहण करें।
  • व्रत के साथ-साथ भगवान विष्णु के नाम का जाप करते रहें और शाम को आरती के बाद व्रत का पारण करें।
  • इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, धन, और दीपदान करें। विशेष रूप से गरीबों और ब्राह्मणों को भोजन कराना अत्यंत पुण्यदायी होता है।

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कार्तिक पूर्णिमा की कथा

कार्तिक पूर्णिमा से जुड़ी कई अन्य कथाएं भी प्रसिद्ध हैं। आइए जानते हैं इन कथाओं के बारे में..

पहली कथा: पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में त्रिपुरासुर नामक एक शक्तिशाली असुर था। वह तीन नगरों (त्रिपुर) का राजा था और अपने आतंक से सभी देवताओं और मनुष्यों को त्रस्त कर रखा था। त्रिपुरासुर ने कठोर तपस्या करके भगवान ब्रह्मा से वरदान प्राप्त किया था कि उसे केवल एक ही व्यक्ति मार सकेगा और वह व्यक्ति त्रिपुरासुर को तभी मार पाएगा जब वह तीनों नगरों को एक साथ नष्ट कर सके। इस वरदान के कारण त्रिपुरासुर और भी अहंकारी हो गया और उसने सभी लोकों पर अपना शासन स्थापित कर लिया।

त्रिपुरासुर के आतंक से त्रस्त होकर देवता भगवान शिव की शरण में गए। उन्होंने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वे त्रिपुरासुर का वध करें और उन्हें उसके अत्याचार से मुक्ति दिलाएं। भगवान शिव ने देवताओं की प्रार्थना स्वीकार की और त्रिपुरासुर को पराजित करने के लिए तैयार हो गए। भगवान शिव ने तब अपने दिव्य धनुष पर एक अद्भुत बाण चढ़ाया और तीनों नगरों को एक साथ निशाना बनाकर नष्ट कर दिया, जिससे त्रिपुरासुर का अंत हुआ।

त्रिपुरासुर के वध के बाद देवताओं ने इस दिन को त्रिपुरी पूर्णिमा के रूप में मनाया और इसे भगवान शिव की महिमा का प्रतीक माना गया। इस घटना के बाद से ही कार्तिक पूर्णिमा को शिव भक्ति और उपासना का विशेष दिन माना जाने लगा।

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भगवान विष्णु से जुड़ी कथा

दूसरी कथा: एक अन्य कथा के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार धारण किया था, जो उनके दशावतारों में से पहला अवतार माना जाता है। इस अवतार में भगवान विष्णु ने धरती को जलप्रलय से बचाया था और सभी प्राणियों को सुरक्षा दी थी। इस कारण, कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है।

देव दीपावली की कथा

कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली भी कहा जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन सभी देवता पृथ्वी पर आकर गंगा नदी के किनारे दीप जलाते हैं। इसे देवताओं की दीपावली कहा जाता है, और विशेष रूप से काशी में गंगा तट पर दीप जलाने की परंपरा है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की आराधना से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

कार्तिक पूर्णिमा: राशि अनुसार उपाय व दान

मेष राशि 

मेष राशि के जातकों को इस दिन भगवान विष्णु को लाल पुष्प अर्पित करना चाहिए और साथ ही, “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें। इस दिन तांबे का बर्तन, गुड़, और लाल कपड़े का दान करें।

वृषभ राशि

इन दिन वृषभ राशि के जातकों को भगवान शिव का अभिषेक दूध और जल से करें और बेलपत्र अर्पित करें। साथ ही, सफेद वस्त्र, चावल, और दही का दान करें।

मिथुन राशि

मिथुन राशि के जातक तुलसी के पौधे के सामने दीप जलाएं और भगवान विष्णु को पीले फल अर्पित करें। हरी मूंग, पुस्तकें, और हरे वस्त्र का दान करना आपके लिए लाभकारी रहेगा।

कर्क राशि

कर्क राशि के जातक कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्रदेव को दूध और जल अर्पित करें और “ॐ सों सोमाय नमः” मंत्र का जाप करें। दूध, चावल, और चांदी का दान करना आपके लिए फायदेमंद साबित होगा।

सिंह राशि

भगवान सूर्य को जल अर्पित करें और “ॐ घृणि सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें। साथ ही, गेहूं, गुड़, और तांबे का दान करें।

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कन्या राशि

भगवान गणेश की पूजा करें और उन्हें दुर्वा अर्पित करें। साथ ही, हरी मूंग, किताबें, और हरे रंग का वस्त्र दान करें।

तुला राशि

देवी लक्ष्मी की पूजा करें और कमल का पुष्प अर्पित करें। सफेद कपड़े, शक्कर, और सुगंधित वस्त्रों का दान करें।

वृश्चिक राशि 

भगवान शिव को जल चढ़ाएं और “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें। लाल वस्त्र, मसूर की दाल, और तांबे का दान करें।

धनु राशि

भगवान विष्णु को पीले फूल और तुलसी दल अर्पित करें। पीले वस्त्र, चने की दाल, और गुड़ का दान करें।

मकर राशि

मकर राशि के जातक को भगवान शिव को काले तिल और जल अर्पित करें। काले तिल, लोहे का दान, और कंबल का दान करें।

कुंभ राशि

कुंभ राशि के जातक को हनुमान जी की पूजा करें और उन्हें चोला अर्पित करें। काले तिल, तेल, और नीले वस्त्र का दान करें।

मीन राशि

मीन राशि के जातक भगवान विष्णु को पीले वस्त्र और तुलसी पत्र अर्पित करें। साथ ही, चने की दाल, पीले वस्त्र, और केले का दान करें।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1- कार्तिक की पूर्णिमा कब है 2024 में?

2024 में, भारत में कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर 2024 को मनाई जाएगी।

2- कार्तिक पूर्णिमा क्यों मनाई जाती है?

कार्तिक पूर्णिमा को देवताओं की दीपावली के रूप में भी मनाया जाता है।

3- कार्तिक पूर्णिमा पर किसकी पूजा होती है?

कार्तिक पूर्णिमा के शुभ दिन मां लक्ष्मी जी की पूजा करने का भी विशेष महत्व होता है. ऐसा माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी बहुत प्रसन्न होती हैं।

4- कार्तिक पूर्णिमा के दिन किसका जन्म हुआ था?

सिख सम्प्रदाय में कार्तिक पूर्णिमा का दिन प्रकाशोत्सव के रूप में मनाया जाता है। क्योंकि इस दिन सिख सम्प्रदाय के संस्थापक गुरु नानक देव का जन्म हुआ था।

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