जानें अक्टूबर माह में कब रखा जाएगा रमा एकादशी का व्रत, शास्त्रों में हैं विशेष महत्व!

हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि के अगले दिन रमा एकादशी का व्रत रखा जाता है। इस एकादशी को लक्ष्मी जी के नाम पर रमा एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी पर महालक्ष्मी के रमा स्वरूप के साथ-साथ भगवान विष्णु के पूर्णावतार केशव स्वरूप की पूजा करने का विधान है। इस शुभ तिथि पर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है। धार्मिक मत के अनुसार, एकादशी व्रत करने से साधक को मृत्यु लोक में सभी सुखों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही, भगवान विष्णु की कृपा से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

ख़ास बात यह है कि इस दिन बेहद शुभ योग का निर्माण हो रहा है, जिस वजह से इस एकादशी का महत्व और अधिक बढ़ जाएगा। तो आइए बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं रमा एकादशी 2024 की तिथि, पूजा मुहूर्त, महत्व, प्रचलित पौराणिक कथा और आसान ज्योतिषीय उपाय के बारे में।

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रमा एकादशी 2024: तिथि और शुभ मुहूर्त

एकादशी तिथि प्रारम्भ : अक्टूबर 27, 2024 की सुबह 05 बजकर 26 मिनट से

एकादशी तिथि समाप्त : अक्टूबर 28, 2024 की सुबह 07 बजकर 53 मिनट तक।

रमा एकादशी पारण मुहूर्त : 29 अक्टूबर 2024 की सुबह 06 बजकर 31 मिनट से 08 बजकर 44 मिनट

अवधि : 2 घंटे 13 मिनट

रमा एकादशी के दिन शुभ योग

इस दिन बेहद शुभ योग ब्रह्म योग का निर्माण हो रहा है। इसे विशेष रूप से शुभ और लाभकारी माना जाता है, क्योंकि यह व्यक्ति के जीवन में समृद्धि, ज्ञान, आध्यात्मिक उन्नति, और जीवन के सभी क्षेत्रों में सफलता प्रदान करता है। इस योग के प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में धन, समृद्धि और भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, ब्रह्म योग के कारण व्यक्ति के अंदर अध्यात्मिकता बढ़ती है और वह अपने जीवन में सच्चाई और धर्म के मार्ग पर चलता है।

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रमा एकादशी का महत्व

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में आती है यानी रमा एकादशी का सनातन धर्म में बहुत अधिक महत्व है। इसे रंभा या रमा एकादशी भी कहा जाता है। यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है। इस दिन व्रत रखने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत को रखने से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का वास होता है। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त सच्चे मन और पूर्ण श्रद्धा से रमा एकादशी का व्रत करते हैं, वे अपने पूर्व और वर्तमान जन्म के पापों से मुक्त हो जाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से भक्तों को पापों से मुक्ति मिलती है और उनके जीवन में शांति आती है।

रमा एकादशी पूजा विधि

  • रमा एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को एक साफ स्थान पर स्थापित करें।
  • पूजा स्थल को गंगाजल या शुद्ध जल से शुद्ध करें और वहां दीपक जलाएं।
  • भगवान विष्णु को चंदन, पुष्प, धूप, दीप, फल, और तुलसी के पत्ते अर्पित करें। याद रखें कि तुलसी इस दिन बिल्कुल न तोड़ें। पूजा के लिए तुलसी का पत्ता एक दिन पहले तोड़ लें।
  • इसके बाद विष्णु सहस्रनाम या भगवान विष्णु के मंत्रों का जाप करें, जैसे: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”।
  • रमा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की कथा सुनना और पढ़ना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। कथा सुनने से व्रत का पुण्य कई गुना बढ़ जाता है।
  • संध्या के समय एक बार फिर भगवान विष्णु की पूजा करें। दीप जलाकर, भगवान विष्णु को भोग अर्पित करें और आरती करें।
  • रमा एकादशी की रात को जागरण करना उत्तम माना गया है। भगवान विष्णु के भजन, कीर्तन, और मंत्रों का जाप करें।
  • इस दिन रात्रि में जागरण करने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

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रमा एकादशी व्रत कथा

प्राचीन काल में मुचुकुंद नाम का एक पराक्रमी और धर्मनिष्ठ राजा था। राजा मुचुकुंद भगवान विष्णु के परम भक्त थे और वे अपने राज्य में धार्मिक कार्य और यज्ञ कराते रहते थे। उनके राज्य में प्रजा बहुत सुखी और समृद्ध थी। राजा की एक सुंदर और पवित्र स्वभाव वाली रानी थी जिसका नाम चंपा था। राजा और रानी का एक पुत्र था, जिसका नाम शंखधार था। शंखधार बचपन से ही अधर्मी और पापी स्वभाव का था। वह सदैव बुरे कर्म करता और दूसरों को कष्ट पहुंचाता था। उसके पाप कर्मों से राजा और रानी बहुत चिंतित रहते थे, लेकिन शंखधार पर किसी भी प्रकार का उपदेश या सलाह का कोई असर नहीं होता था।

एक दिन, शंखधार ने राज्य के खजाने को लूट लिया और वहां से भाग गया। उसने सभी धन का दुरुपयोग किया और अंततः कंगाल हो गया। जब उसे अपने पापों का फल भुगतना पड़ा, तब वह बहुत दुखी हुआ और जंगल की ओर चला गया। वहां उसने एक ऋषि को तपस्या करते देखा। ऋषि का नाम लोमश ऋषि था, जो भगवान विष्णु के अनन्य भक्त और ज्ञानी थे।

शंखधार ने ऋषि लोमश से अपने कष्टों और पापों का वर्णन किया और प्रायश्चित के लिए मार्गदर्शन मांगा। ऋषि ने उसकी बात सुनी और कहा, “हे राजकुमार, तुमने अपने जीवन में बहुत पाप किए हैं, लेकिन यदि तुम भगवान विष्णु की शरण में आ ओगे और कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की रमा एकादशी का व्रत रखोगे, तो तुम्हें पापों से मुक्ति मिलेगी और तुम्हारे सारे कष्ट दूर होंगे।”

शंखधार ने ऋषि के निर्देशानुसार रमा एकादशी का व्रत किया। उसने पूरे नियम और विधि से भगवान विष्णु की पूजा की, व्रत रखा और पूरी श्रद्धा से रमा एकादशी व्रत कथा सुनी। इस व्रत के प्रभाव से उसके सारे पाप नष्ट हो गए और वह पवित्र हो गया। व्रत के पुण्य फल से उसे नया जीवन मिला और भगवान विष्णु की कृपा से उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई। वह अपने पिता के राज्य में वापस लौट आया और एक धार्मिक व सच्चे राजा के रूप में अपने राज्य को संभाला।

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रमा एकादशी के दिन जरूर करें ये ख़ास उपाय

रमा एकादशी का व्रत और पूजा करने से भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि, सुख-शांति, और पापों से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं इन उपायों के बारे में:

कष्टों को दूर करने के लिए

रमा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करें। उन्हें ताजे फूल, तुलसी के पत्ते, चंदन, धूप, दीप, और नैवेद्य अर्पित करें। इसके साथ ही, व्रत का पालन करें और भगवान विष्णु के इस मंत्र “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करें या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। इससे मन को शांति मिलती है और जीवन के कष्ट दूर होते हैं।

नकारात्मक ऊर्जा दूर करने के लिए

इस दिन सुबह स्नान में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। स्नान के बाद घर के मुख्य स्थानों पर गंगाजल का छिड़काव करें। यह घर की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और पवित्रता लाता है।

सुख-समृद्धि के लिए

तुलसी को भगवान विष्णु की प्रिय मानी जाती है। रमा एकादशी के दिन तुलसी के पौधे की पूजा करें और उसमें दीपक जलाएं। तुलसी के पत्तों को भगवान विष्णु को अर्पित करें। इससे देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।

पापों से मुक्ति पाने के लिए

रमा एकादशी के दिन ब्राह्मणों, साधु-संतों और जरूरतमंदों व गरीबों को दान दें। अन्न, वस्त्र, और धन का दान विशेष फलदायी होता है। इसके अलावा, इस दिन गायों को हरा चारा खिलाना, पक्षियों को दाना डालना और जरूरतमंदों को भोजन कराना भी बहुत शुभ माना जाता है। इससे भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और पापों से मुक्ति मिलती है।

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भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए

रमा एकादशी की रात्रि को जागरण करना अत्यंत फलदायी होता है। भगवान विष्णु के भजन-कीर्तन करें और उनकी आराधना में समय बिताएं। इससे भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है और हर इच्छाओं की पूर्ति होती है।

नौकरी में आ रही बाधाओं को दूर करने के लिए

रमा एकादशी के दिन एक का सिक्का लेकर उसकी पूजा करें। उसपर रोली, अक्षत और पुष्प अर्पित करें। इसके बाद उस सिक्के को लाल कपड़े में लपेट कर अपने ऑफिस की दराज में या ऑफिस से जुड़ी किसी वस्तु में रख दें। ऐसा करने से नौकरी में आ रही बाधाएं दूर होंगी और तरक्की के मार्ग खुलेंगे।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1- रमा एकादशी का क्या महत्व है?

इस व्रत को करने से पाप और कष्ट से मुक्ति मिलती है। भगवान विष्णु के आशीर्वाद से जीवन के अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

2- रमा एकादशी को क्या दान करना चाहिए?

रमा एकादशी के दिन जरूरतमंदों को अन्न दान करना चाहिए। इससे माता लक्ष्मी (मां लक्ष्मी मंत्र)बेहद प्रसन्न होती हैं और सुख-समृद्धि की भी प्राप्ति होती है।

3- रमा एकादशी में क्या खाना चाहिए?

रमा एकादशी के व्रत में फलों का सेवन करना चाहिए।

4- साल 2024 में कब है रमा एकादशी का व्रत?

साल 2024 में रमा एकादशी का व्रत 28 अक्टूबर को रखा जाएगा।

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