हिंदू धर्म के सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक होता है दिवाली का त्योहार जिसका लोग बेसब्री से इंतजार करते हैं। दिवाली का यह पर्व देश भर में धूमधाम के साथ तो मनाया ही जाता है विदेश में भी इसकी अलग ही चमक देखने को मिलती है। बात करें वर्ष 2024 की दिवाली को तो इस वर्ष तिथि को लेकर काफी संशय चल रहा है। अगर आप भी इस बात को लेकर कन्फ्यूज हैं कि दिवाली कब मनानी है, कैसे मनानी है, इस दिन का शुभ मुहूर्त क्या रहने वाला है, आदि तो आप एकदम सही जगह पर आए हैं क्योंकि एस्ट्रोसेज के हमारे इस दिवाली विशेष ब्लॉग के माध्यम से हम आपके इन्हीं सभी सवालों का जवाब देने का प्रयत्न करेंगे।
साथ ही जानेंगे इस बेहद ही खास त्यौहार से जुड़ी कुछ रोचक और दिलचस्प बातों की भी जानकारी। तो चलिए बिना देरी किए शुरू करते हैं हमारा यह स्पेशल ब्लॉग और सबसे पहले जान लेते हैं वर्ष 2024 में दिवाली किस दिन पड़ रही है।
दुनियाभर के विद्वान ज्योतिषियों से करें कॉल/चैट पर बात और जानें अपने संतान के भविष्य से जुड़ी हर जानकारी
2024 में कब है दिवाली?
दिवाली का त्योहार 5 दिनों तक चलने वाला एक बेहद ही महत्वपूर्ण त्यौहार होता है। वर्ष 2024 में इस त्यौहार की शुरुआत 29 अक्टूबर से हो जाएगी और 3 नवंबर तक यह त्यौहार चलेगा। दरअसल दिवाली का त्योहार धनतेरस से शुरू होता है और यह भैया दूज पर जाकर समाप्त हो जाता है।
ऐसे में धनतेरस की बात करें तो धनतेरस से ही दिवाली के पर्व की शुरुआत मानी जाती है। धनतेरस को धन त्रयोदशी भी कहते हैं। इस दिन देवता कुबेर के साथ मां लक्ष्मी की पूजा का विधान बताया गया है। वर्ष 2024 में 29 अक्टूबर को धनतेरस का त्यौहार मनाया जाएगा। इस दिन खरीदारी का महत्व होता है। ऐसे में आप चाहें तो इस दिन बर्तन, सोना, चांदी, आभूषण वस्त्र आदि खरीद सकते हैं।
इसके बाद अगला दिन होता है छोटी दिवाली का। धनतेरस के बाद छोटी दिवाली मनाते हैं। इसे कई जगहों पर नरक चतुर्दशी भी कहते हैं। इस दिन भगवान हनुमान की पूजा का विधान बताया गया है। वर्ष 2024 में छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी 30 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
इसके बाद दिवाली का त्योहार मनाया जाता है। अब बात करें दिवाली की तो दिवाली को लक्ष्मी पूजा के नाम से भी जानते हैं और दिवाली का त्योहार इस वर्ष 1 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा।
लक्ष्मी पूजा का समय – शाम 05.36 – शाम 06.16 (1 नवंबर 2024), अवधि – 01 घंटा 56 मिनट
प्रदोष काल – शाम 05:36 – रात 08:11
वृषभ काल – शाम 06.20 – रात 08.15 (लक्ष्मी पूजा मुहूर्त स्थिर लग्न के बिना)
दीवाली लक्ष्मी पूजा के लिये शुभ चौघड़िया मुहूर्त
प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – सुबह 06:33 – सुबह 10:42
अपराह्न मुहूर्त (चर) – शाम 04:13 – शाम 05:36
अपराह्न मुहूर्त (शुभ) – दोपहर 12:04 – दोपहर 13:27
इसके बाद अगले दिन गोवर्धन पूजा और भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। वर्ष 2024 में दिवाली के अगले दिन यानी 2 नवंबर और 3 नवंबर को गोवर्धन पूजा और भैया दूज मनाया जाएगा। गोवर्धन पूजा के दिन भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है। इसी दिन भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को एक उंगली पर उठा लिया था। वहीं भैया दूज की बात करें तो इस दिन बहनें अपने भाई का टीका करती हैं और बदले में भाई उन्हें तोहफे देते हैं।
बृहत् कुंडली में छिपा है, आपके जीवन का सारा राज, जानें ग्रहों की चाल का पूरा लेखा-जोखा
दिवाली के पांच मुख्य दिनों की तिथि
जैसा कि हमने पहले भी बताया कि दिवाली का यह त्यौहार 5 दिनों तक मनाया जाता है।
- दिवाली का पहला दिन धनतेरस होता है जो 29 अक्टूबर 2024 को पड़ेगा
- दूसरे दिन छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी मनाते हैं जो की 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी
- दिवाली का तीसरा दिन दिवाली या फिर लक्ष्मी पूजा के नाम से मनाया जाता है यह 1 नवंबर 2024 को पड़ेगा
- दिवाली का चौथा दिन गोवर्धन पूजा को समर्पित होता है यह 2 नवंबर 2024 को मनाया जाएगा और
- दिवाली का आखिरी दिन भाई दूज के रूप में मनाया जाता है और इस वर्ष यह 3 नवंबर 2024 को पड़ने वाला है
दिवाली के त्यौहार के बारे में कहा जाता है कि, यह प्रकाश का पर्व है। साथ ही यह बुराई पर अच्छाई की जीत के जश्न के रूप में भी मनाया जाता है। इसे दिवाली, दीपावली के नाम से जानते हैं। दिवाली का यह त्यौहार कार्तिक मास की अमावस्या तिथि के दिन मनाया जाता है। कहते हैं इसी दिन भगवान श्री राम अपना 14 वर्षों का वनवास काटने के बाद वापस अयोध्या वापिस आए थे।
इस वर्ष दिवाली को लेकर अलग मत: बात करें अमावस्या तिथि की तो वर्ष 2024 में अमावस्या तिथि 31 तारीख को दोपहर 3:22 से शुरू हो रही है और यह 1 नवंबर को शाम 5:23 पर समाप्त हो जाएगी। इसके चलते 1 तारीख को अमावस्या तिथि प्रदोष और निशिथा काल को स्पर्श नहीं कर पाएगी जबकि 31 को प्रदोष काल से निशिथा काल तक व्याप्त रहेगी। ऐसे में शास्त्रों के अनुसार 31 अक्टूबर के दिन दीवाली उत्सव और लक्ष्मी पूजन करना सबसे अधिक फलदाई रहने वाला है क्योंकि दिवाली का पर्व तभी मनाना उत्तम रहता है जब प्रदोष से लेकर निशिथा काल तक अमावस्या तिथि रहे।
हमारे अनुभवी एवं विद्वान ज्योतिषी पंडित हनुमान मिश्रा का कहना है कि “जो लोग ऑफिस इत्यादि में पूजा करना चाहते हैं, वह लोग 01 नवंबर को दिन में लक्ष्मी पूजा कर सकते हैं।”
दिवाली शुभ योग 2024
बात करें इस दिवाली पर बनने वाले शुभ योगों की तो कार्तिक मास की अमावस्या तिथि पर सुबह 10:41 तक प्रीति योग बनेगा, इसके बाद आयुष्मान योग का शुभ संयोग बन रहा है जो पूर्ण रात्रि तक रहेगा। दिवाली पर शिव वास योग का भी निर्माण होने जा रहा है। शिव वास योग शाम 6:16 से रहेगा वहीं स्वाति नक्षत्र का संयोग दिवाली पर बनने वाला है। कहते हैं इन योगों में अगर धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाए तो इससे जीवन में हमेशा सुख और समृद्धि बनी रहती है और इनमें निरंतर वृद्धि होती है।
अधिक जानकारी: वर्ष 2024 में कार्तिक अमावस्या तिथि निशिथा मुहूर्त के साथ व्याप्त नहीं रहेगी। ऐसे में इस बार दिवाली पर रात्रि कल में लक्ष्मी पूजा नहीं हो पाएगी। कहते हैं कि निशिथा काल में देवी लक्ष्मी घर-घर जाती हैं और इस दौरान मां लक्ष्मी की पूजा करने से लक्ष्मी जी की सिद्धियां प्राप्त होती है। शास्त्रों के अनुसार और पंचांग के अनुसार ऐसा माना जाता है कि अगर स्थिर लग्न के दौरान लक्ष्मी पूजा की जाए तो लक्ष्मी जी घर में वास करने लगती हैं। वृषभ लग्न को स्थिर माना जाता है और दिवाली के त्यौहार के दौरान यह अधिकतर प्रदोष काल के साथ व्याप्त होता है। हालांकि वर्ष 2024 में दिवाली वाले दिन स्थिर लग्न मुहूर्त नहीं बन रहा है।
हालांकि अगर आप अभी भी स्थिति के कन्फ्यूजन के भँवर में उलझे हुए हैं तो हमारी सलाह यही है कि आप विद्वान ज्योतिषियों से एक बार इससे संबंधित परामर्श हासिल कर लें।
पाएं अपनी कुंडली आधारित सटीक शनि रिपोर्ट
दिवाली का महत्व
बात करें दिवाली के इस भव्य त्यौहार के महत्व की तो, कहते हैं इसी दिन भगवान राम लंका पर विजय प्राप्त करके वापस अयोध्या लौटे थे। इस दिन से हर साल कार्तिक अमावस्या पर दिवाली का त्यौहार मनाया जाता है। दिवाली के दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है। इसके साथ ही भगवान राम के वापस अयोध्या आने की खुशी में दीप जलाए जाते हैं। हर साल कार्तिक अमावस्या के दिन दिवाली मनाई जाती है। इस दिन लोग घरों को रोशन करते हैं, दीपक जलाते हैं, लक्ष्मी पूजा करते हैं और अपने जीवन में हमेशा सुख समृद्धि और धन की कामना के लिए पूजा करते हैं।
दिवाली पर कैसे करें मां लक्ष्मी की पूजा
दिवाली के दिन मां लक्ष्मी पूजा की अलग विधि और नियम बताए गए हैं।
- इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा के लिए सबसे पहले पूर्व दिशा या फिर ईशान कोण में एक चौकी या एक पटरा रख दें।
- अब इस पर लाल या फिर गुलाबी साफ वस्त्र बिछाएँ।
- इस पर सबसे पहले गणेश जी की मूर्ति विराजित करें। इनके दाहिनी ओर मां लक्ष्मी जी की तस्वीर या मूर्ति रख दें।
- अब आसान पर बैठें और अपने चारों ओर गंगाजल छिड़क लें। इसके बाद पूजा का संकल्प लें और फिर पूजा प्रारंभ करें।
- भगवान गणेश को रोली, दूर्वा अर्पित करें और मां लक्ष्मी को सिंदूर अर्पित करें।
- इसके बाद दोनों को फूल चढ़ाएँ, एक मुखी घी का दीपक प्रज्वलित करें।
- इसके बाद मां लक्ष्मी और भगवान गणेश को प्रसाद अर्पित करें।
- भगवान गणेश और मां लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें।
- अंत में आरती करें और शंखनाद करें।
- पूजा के बाद घर के अलग-अलग हिस्सों में दीपक जलाएं।
- इसके अलावा मुमकिन हो तो घर के अलावा किसी कुएँ के पास और मंदिर में भी दीप प्रज्वलित करें।
दिवाली पर मां लक्ष्मी की पूजा के लिए इन मंत्रों का जाप किया जा सकता है:
ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीभ्यो नमः
ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा
ॐ श्री ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः
धनदाय नमस्तुभ्यं निधिपद्माधिपाय च। भगवान् त्वत्प्रसादेन धनधान्यादिसम्पदः
दिवाली पूजा के समय भगवान गणेश का आवाहन करने के लिए इस मंत्र का जाप किया जा सकता है:
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा
करियर की हो रही है टेंशन! अभी ऑर्डर करें कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट
दिवाली का इतिहास
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम ने राक्षस राजा रावण को हराने के बाद इसी दिन अयोध्या में वापसी की थी क्योंकि यह हिंदू कार्तिक महीने में अमावस्या का दिन था ऐसे में जिस रात को वापस अयोध्या आए अयोध्या में लोगों ने दिए जलाकर और अपने घरों को रंगोली से सजाकर भगवान राम का भव्य स्वागत किया था।
वहीं दूसरी ओर देखें तो दक्षिण भारत में लोग इस अवसर को उस दिन के रूप में मनाते हैं जब भगवान कृष्ण ने राक्षस नरकासुर को हराया था। इसके अलावा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का विवाह हुआ था।
पौराणिक किंवदंतियों के अनुसार कहा जाता है कि देवी लक्ष्मी का जन्म कार्तिक माह की अमावस्या तिथि के दिन ही हुआ था। इस दिन दुनिया भर में लोग रोशनी का यह त्यौहार बेहद ही खुशी और उत्साह के साथ मनाते हैं। हर घर में लोग बहुमूल्य वस्तुओं के साथ-साथ भगवान गणेश और माँ लक्ष्मी की पूजा करते हैं।
कुंडली में है राजयोग? राजयोग रिपोर्ट से मिलेगा जवाब
महालक्ष्मी का चाहिए आशीर्वाद तो दिवाली से पहले इन चीजों को घर से निकाल दें
दिवाली के कुछ दिनों पहले से ही लोग साफ सफाई में जुट जाते हैं। कहा जाता है मां लक्ष्मी केवल वहीं वास करती हैं जहां साफ सफाई होती है। यही वजह है कि दिवाली के आसपास साफ सफाई का खास महत्व होता है। ऐसे में आप भी कुछ बातों का विशेष रूप से ध्यान रखें। साफ सफाई के दौरान अगर आपको भी अपने घर में कुछ विशेष चीज नजर आयें तो इन्हें घर से निकाल दें अन्यथा आपको पूर्ण रूप से मां लक्ष्मी की कृपा नहीं मिल पाएगी। क्या कुछ हैं ये चीज़ें आगे बढ़कर जान लेते हैं:
- टूटा हुआ कांच: वास्तु शास्त्र के अनुसार अगर घर में टूटा हुआ कांच रखा है तो इस शुभ नहीं माना जाता है। यह कलह क्लेश की वजह बनता है। अगर घर में टूटा हुआ कांच है तो परिवार में आए दिन झगड़े होते रहेंगे। ऐसे में साफ सफाई के दौरान इसे तुरंत बाहर निकाल दें।
- टूटे हुए बर्तन: घर में टूटे हुए बर्तन भी अशुभ माने जाते हैं। वास्तु शास्त्र के अनुसार टूटे बर्तन सुख समृद्धि छीन लेते हैं और घर में कंगाली की वजह बनते हैं। साथ ही यह आर्थिक परेशानियों को भी न्योता देते हैं।
- पुराने दिये: वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में पुराने दिये रखना भी शुभ नहीं माना गया है। ऐसे में दिवाली आने से पहले अपने घर से पुराने दिये बाहर निकाल दें और नए दिये ले आयें। आप चाहे तो पुराने दीयों का दान भी कर सकते हैं।
- टूटा हुआ बेड: वास्तु शास्त्र के अनुसार अगर घर में कोई पुराना या टूटा हुआ बेड पड़ा है तो उसे भी दिवाली आने से पहले निश्चित रूप से बाहर कर दें। इससे घर में पारिवारिक कलह, पति-पत्नी के बीच मनमुटाव और रिश्ते खराब होने की संभावना बढ़ जाती है।
- बंद घड़ी: वास्तु शास्त्र के अनुसार घर में रखी बंद घड़ी नकारात्मकता को न्योता देती है। साथ ही यह घर में मौजूद लोगों की असफलता का कारण भी बनती है। ऐसे में अगर आपके घर में भी बंद घड़ी पड़ी है तो इसे तुरंत बाहर निकाल दें।
जीवन में किसी भी दुविधा का हल जानने के लिए विद्वान ज्योतिषियों से अभी पूछें प्रश्न
क्या यह जानते हैं आप?
छोटी दिवाली के दिन यमदीप जलाने का सही नियम
छोटी दिवाली के दिन यमराज से नरक का द्वार बंद करने और अपने जीवन में सुख समृद्धि की मनोकामना करने के लिए यम दीपक जलाया जाता है लेकिन इससे पहले कुछ बातों का विशेष रूप से ध्यान रखना होता है।
यम का दीपक गोबर से बना हुआ होना चाहिए।
इसमें सरसों का तेल डालकर जलाएं।
इसमें एक बाती या चार बाती हो इस बात का विशेष ख्याल रखें।
इसके अलावा कोशिश करें कि घर के बुजुर्ग ही इस दीपक को जलाएं।
यह दिया शाम 7:00 बजे के बाद जलाएं।
इसमें तेल उचित मात्रा में डालें ताकि कम से कम यह दीपक 4 घंटे या उससे अधिक समय तक जलते रहे।
सभी ज्योतिषीय समाधानों के लिए क्लिक करें: ऑनलाइन शॉपिंग स्टोर
हम उम्मीद करते हैं कि आपको हमारा यह ब्लॉग ज़रूर पसंद आया होगा। अगर ऐसा है तो आप इसे अपने अन्य शुभचिंतकों के साथ ज़रूर साझा करें। धन्यवाद!
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
2024 में 1 नवंबर 2024 को दिवाली का त्यौहार मनाया जाएगा।
वर्ष 2024 में धनतेरस का त्योहार 29 अक्टूबर के दिन मनाया जाएगा। इसी दिन से दिवाली के त्यौहार की शुरुआत हो जाती है।
दिवाली के दिन घरों को सजाया जाता है, दीपक जलाए जाते हैं, रोशनी की जाती है, रंगोली बनाई जाती है, मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं और अपने घर में मां लक्ष्मी के सदा सदा वास करने की प्रार्थना करते हैं।