सनातन धर्म में अश्विन माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या का विशेष महत्व है। इस अमावस्या को अश्विन अमावस्या, विसर्जनी अमावस्या और सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है। अश्विन अमावस्या के साथ ही श्राद्ध की भी समाप्ति हो जाती है और पूर्वज अपने लोक वापस लौट जाते हैं। इसके अगले दिन से नवरात्रि की शुरुआत हो जाती है। अश्विन अमावस्या के दिन अपने पूर्वजों का पूरे विधि-विधान से श्राद्ध किया जाता है और वे अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
तो आइए आगे बढ़ते हैं और एस्ट्रोसेज के इस विशेष ब्लॉग में हम जानते हैं अश्विन अमावस्या के बारे में और साथ ही, इस पर भी चर्चा करेंगे कि इस दिन किस प्रकार के उपाय करने चाहिए ताकि आप इन उपायों को अपनाकर अपने पितरों का विशेष कृपा प्राप्त कर सके। बिना देरी किए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं कि विस्तार से।
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अश्विन अमावस्या 2024: तिथि व समय
अश्विन अमावस्या इस वर्ष 02 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी। पितरों के पूजन के लिए आश्विन अमावस्या का समय अत्यंत ही महत्वपूर्ण होता है।
अमावस्या आरम्भ: 01 अक्टूबर 2024 की रात 09 बजकर 42 मिनट से
अमावस्या समाप्त: 03 अक्टूबर 2024 का मध्यरात्रि 12 बजकर 21 मिनट तक।
अश्विन अमावस्या का महत्व
सनातन धर्म में अश्विन अमावस्या के दिन बहुत अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। अश्विन अमावस्या का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है और इस दिन कई विशेष कर्मकांड और अनुष्ठान किए जाते हैं। इस दिन पितरों का तर्पण और श्राद्ध कर्म करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और वे प्रसन्न होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद देते हैं। इस दिन गंगा, यमुना या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करके पितरों का तर्पण करना अत्यधिक पुण्यकारी होता है।
जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष होता है, उनके लिए अश्विन अमावस्या का दिन विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस दिन पितृ दोष की शांति के लिए अनुष्ठान किए जाते हैं, जिससे व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति आती है।
अश्विन अमावस्या के दिन पितृ पक्ष का समापन होता है, जो श्राद्ध पक्ष के रूप में मनाया जाता है। इस दिन पूर्वजों के लिए विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं, जिससे वे संतुष्ट होते हैं और अपने वंशजों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। अश्विन अमावस्या का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह पितरों के प्रति आस्था, श्रद्धा, और कृतज्ञता प्रकट करने का दिन है। इस दिन की गई पूजा-अर्चना और दान-पुण्य से न केवल पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और खुशहाली का भी संचार होता है।
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अश्विन अमावस्या के दिन इस विधि से करें पितरों की पूजा
अश्विन अमावस्या का दिन पितरों की पूजा, तर्पण और श्राद्ध कर्म के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन विशेष पूजा विधि का पालन करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है। आइए जानते हैं पूजा विधि के बारे में।
- इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर पवित्र नदी, तालाब या घर के ही पानी में गंगाजल डालकर स्नान करें।
- स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें और पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें।
- पूजा स्थल पर पूर्वजों की तस्वीर या पितृ यंत्र स्थापित करें।
- कुश, तिल, जल, और पुष्प से पितरों का आह्वान करें और उनका ध्यान करें।
- कुश के आसन पर बैठकर, दक्षिण दिशा की ओर मुख करके पितरों का तर्पण करें। तर्पण करते समय अपने पितरों का नाम लेकर जल, दूध, और तिल मिश्रित पानी अर्पित करें।
- इस दिन “ॐ पितृ देवताभ्यो नमः” मंत्र का जाप करते हुए पितरों को तर्पण अर्पित करें।
- इस दिन अपने पितरों के नाम पर श्राद्ध कर्म करें। इसमें भोजन, पिंडदान, और अन्य आवश्यक कर्मकांड शामिल होते हैं। श्राद्ध कर्म के दौरान ब्राह्मणों को भोजन कराना बहुत अधिक पुण्यकारी माना जाता है।
- अश्विन अमावस्या के दिन दान का विशेष महत्व होता है। इस दिन वस्त्र, अन्न, धन, और अन्य आवश्यक वस्तुएं ब्राह्मणों, गरीबों, और जरूरतमंदों को दान करें।
- गौ-दान, अन्न-दान, और तिल-दान विशेष रूप से शुभ माना जाता है। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
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अश्विन अमावस्या व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक ब्राह्मण परिवार रहता था। इस परिवार का मुखिया देवदत्त था। वह बहुत धर्म-कर्म में विश्वास रखते थे और हमेशा अपने कर्तव्यों का पालन करते थे। लेकिन उनकी एक समस्या थी कि उनके घर में हमेशा किसी न किसी प्रकार की अशांति और दरिद्रता बनी रहती थी।
देवदत्त ने कई प्रयास किए, लेकिन उन्हें अपनी समस्याओं का समाधान नहीं मिल पा रहा था। एक दिन, उन्होंने एक ऋषि से इस बारे में परामर्श किया। ऋषि ने उन्हें बताया कि उनके पितृ दोष के कारण उनके घर में यह समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। उन्होंने कहा कि अश्विन अमावस्या के दिन व्रत रखें, पितरों का तर्पण करें और श्रद्धा पूर्वक उनकी पूजा-अर्चना करें।
ऋषि के निर्देशानुसार, देवदत्त ने अश्विन अमावस्या के दिन व्रत रखा। उन्होंने अपने पितरों का तर्पण किया, ब्राह्मणों को भोजन कराया और दान-पुण्य किया। इस व्रत और पूजा के प्रभाव से उनके पितर संतुष्ट हो गए और उन्हें आशीर्वाद दिया। इसके बाद, उनके घर में सुख-समृद्धि का वास हो गया और सभी समस्याएं दूर हो गईं। इस प्रकार, अश्विन अमावस्या व्रत का महत्व और अधिक बढ़ गया। इस व्रत और पूजा के माध्यम से व्यक्ति पितृ दोष से मुक्ति पा सकता है और अपने जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि की प्राप्ति कर सकता है।
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अश्विन अमावस्या के दिन करें ये ख़ास उपाय
अश्विन अमावस्या का दिन पितरों की शांति और कृपा प्राप्ति के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इस दिन कुछ ख़ास उपाय करने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति का वास होता है।
पितरों का तर्पण और श्राद्ध
अश्विन अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण और श्राद्ध कर्म अवश्य करें। इस दिन कुश, तिल, जल, और जौ से तर्पण करने से पितरों की आत्मा तृप्त होती है और वे प्रसन्न होकर अपना आशीर्वाद प्रदान करते हैं।
पीपल के वृक्ष की पूजा
इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसे में, इस दिन पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाकर, जल चढ़ाकर और सात बार परिक्रमा करके पितरों की कृपा अवश्य प्राप्त करें। साथ ही, पीपल के वृक्ष के नीचे बैठकर पितरों के लिए प्रार्थना करें और उन्हें याद करें।
गाय को रोटी खिलाएं
अश्विन अमावस्या के दिन गाय को रोटी, हरा चारा, और गुड़ खिलाने से पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। गाय को अन्न खिलाने से पितरों की आत्मा संतुष्ट होती है और वे अपने वंशजों को सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं।
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तुलसी और दीपक का उपाय
घर के आंगन में तुलसी के पौधे के पास घी का दीपक जलाएं। तुलसी की पूजा और दीपदान से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
दान-पुण्य करें
इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, और धन का दान करना अत्यधिक पुण्यकारी होता है। तिल, गुड़, और काले वस्त्रों का दान करने से पितरों की कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावा, इस दिन गौ-दान और भूमि-दान करना भी शुभ माना जाता है। इस दिन किया गया दान सौ गुना फलदायी होता है।
जल में तिल और जौ डालकर स्नान
अश्विन अमावस्या के दिन जल में तिल और जौ मिलाकर स्नान करें। इससे शरीर और मन की शुद्धि होती है और पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
अश्विन अमावस्या इस वर्ष 02 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी।
अश्विन अमावस्या का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है और इस दिन कई विशेष कर्मकांड और अनुष्ठान किए जाते हैं।
अश्विन अमावस्या को विसर्जनी अमावस्या और सर्वपितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है।