इस साल कब है वरलक्ष्मी व्रत? जानिए तिथि, मुहूर्त एवं पूजा विधि

हिंदू धर्म में व्रत एवं उपवास को महत्वपूर्ण माना जाता है क्योंकि इन व्रतों की सहायता से देवी-देवताओं को प्रसन्न करके उनकी कृपा एवं आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। मान्यताओं के अनुसार, किसी इच्छा या मनोकामना को मन में और ईश्वर के प्रति आस्था रखकर व्रत किया जाता है, तो भक्त की मनोकामना अवश्य पूरी होती है। सनतान धर्म में संकष्टी, मासिक शिवरात्रि, प्रदोष समेत अनेक व्रतों को करने की परंपरा है। इन्हीं में से एक प्रसिद्ध व्रत है वरलक्ष्मी व्रत और इस व्रत में धन-धान्य की देवी माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। एस्ट्रोसेज के इस ब्लॉग के माध्यम से आपको वरलक्ष्मी व्रत से जुड़ी समस्त जानकारी प्राप्त होगी जैसे कि साल 2024 में कब है यह व्रत और किस मुहूर्त में करें देवी की पूजा? इसके अलावा, वरलक्ष्मी व्रत में किन नियमों का करना होता है पालन आदि। लेकिन, इसके लिए यह ब्लॉग आपको अंत तक पढ़ना होगा। 

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देवी वरलक्ष्मी को धन की देवी महालक्ष्मी का अवतार माना जाता है। कहते हैं कि वरलक्ष्मी व्रत को श्रद्धापूर्वक करने से माता लक्ष्मी को प्रसन्न करके मनोवांछित फल का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। यह व्रत दक्षिण भारत में विशेष महत्व रखता है, लेकिन इसे महाराष्ट्र में भी महिलाओं द्वारा किया जाता है। कहते हैं कि वरलक्ष्मी व्रत को पति-पत्नी दोनों मिलकर करते हैं, तो इस व्रत का फल कई गुना बढ़ जाता है। साथ ही, घर की दरिद्रता का नाश होता है और सदैव लक्ष्मी का वास रहता है। व्रती के घर-परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। वरलक्ष्मी व्रत के दिन माता लक्ष्मी की उपासना भक्तिभाव से करने पर भक्त को सुख, समृद्धि और धन संपत्ति का आशीर्वाद मिलता है।

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वरलक्ष्मी व्रत 2024: तिथि एवं मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष श्रावण माह के शुक्ल पक्ष के अंतिम शुक्रवार को वरलक्ष्मी व्रत  करने का विधान है। यह व्रत सावन पूर्णिमा और रक्षाबंधन से पहले आता है। वरलक्ष्मी व्रत को सुहागिन महिलाओं द्वारा देवी लक्ष्मी की कृपा दृष्टि पाने के लिए किया जाता है। साल 2024 में वरलक्ष्मी व्रत को 16 अगस्त 2024, शुक्रवार के दिन रखा जाएगा। वरलक्ष्मी व्रत की पूजा सदैव शुभ मुहूर्त में करनी चाहिए। अब हम आपको रूबरू करवाते हैं वरलक्ष्मी व्रत पूजा के सबसे शुभ मुहूर्त से। 

वरलक्ष्मी व्रत 2024 की तिथि एवं पूजा मुहूर्त

सिंह लग्न प्रातःकाल पूजा मुहूर्त: सुबह 05 बजकर 54 मिनट से सुबह 08 बजकर 13 मिनट तक,

वृश्चिक लग्न अपराह्न पूजा मुहूर्त: दोपहर 12 बजकर 53 मिनट से दोपहर 03 बजकर 13 मिनट तक, 

कुंभ लग्न संध्या पूजा मुहूर्त: शाम 06 बजकर 57 मिनट से रात 08 बजकर 22 मिनट तक, 

वृषभ लग्न मध्यरात्रि पूजा मुहूर्त: रात 11 बजकर 18 मिनट से रात 01 बजकर 13 मिनट तक (17 अगस्त)

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वरलक्ष्मी व्रत में पूजा का महत्व 

ज्योतिष में धन की देवी महालक्ष्मी की आराधना के लिए लग्न की अवधि सबसे सर्वश्रेष्ठ होती है। मान्यता है कि लग्न के दौरान देवी लक्ष्मी की पूजा करने से जातक को देवी दीर्घकालिक समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं। वरलक्ष्मी व्रत की पूजा दिन के चार प्रहर में की जा सकती है, उस समय जब एक निश्चित लग्न प्रबल होता है। हालांकि, इस व्रत के पूजन के लिए किसी भी समय का चुनाव आप कर सकते हैं। 

बता दें कि संध्या में प्रदोष काल भी होता है इसलिए यह अवधि लक्ष्मी पूजा के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है। वरलक्ष्मी व्रत के दिन देवी वरलक्ष्मी की पूजा करने से अष्टलक्ष्मी यानी कि धन की आठ देवियों की कृपा मिलती हैं। इन आठ देवियों के नाम इस प्रकार हैं: आदिलक्ष्मी, धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, गजलक्ष्मी, सन्तानलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, विजयलक्ष्मी और विद्यालक्ष्मी आदि। इस व्रत को उत्तर भारत की तुलना में दक्षिण भारत में अधिक किया जाता है। 

कौन है माता वरलक्ष्मी?

धर्म शास्त्रों में देवी वरलक्ष्मी को स्वयं देवी लक्ष्मी का स्वरूप माना गया है। मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान दुधिया सागर से माता वरलक्ष्मी अवतरित हुई थी जो कि क्षीर सागर के नाम से जाना जाता है। इनका वर्ण एकदम उजला है और वह उजले वस्त्र धारण करती है।

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वरलक्ष्मी व्रत का धार्मिक महत्व 

सनातन धर्म में माता लक्ष्मी को धन की देवी के रूप में पूजा जाता है। किसी व्यक्ति पर देवी लक्ष्मी की कृपा दृष्टि होने से जीवन में सुख, शांति, धन एवं समृद्धि सदैव बनी रहती है। हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी को शुक्रवार का दिन समर्पित होता है और इसी प्रकार, श्रावन माह के अंतिम शुक्रवार के दिन वरलक्ष्मी व्रत करने की परंपरा है। वरलक्ष्मी व्रत को वरलक्ष्मी व्रतम के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत वरलक्ष्मी को समर्पित होता है जिन्हें महालक्ष्मी का अवतार माना गया है। सामान्य शब्दों में कहें, तो वरलक्ष्मी व्रत जगत के पालनहार और धन की देवी माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने का पर्व है। 

वरलक्ष्मी व्रत से अष्टलक्ष्मी यानी कि माता लक्ष्मी के आठ स्वरूपों की कृपा प्राप्त की जा सकती है।  इस दिन विशेष रूप से लक्ष्मी पूजा को संपन्न किया जाता है। वरलक्ष्मी व्रत से देवी का वरलक्ष्मी स्वरूप भक्त को मनचाहा वरदान देता है। साथ ही, यह भक्तों की सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं इसलिए ही देवी के स्वरूप को वर+लक्ष्मी के नाम से जाना जाता है। 

इस व्रत से धन की अधिष्ठात्री देवी की कृपा बनी रहती है और व्यक्ति को धन-संपत्ति, वैभव, संतान, सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है। यह पर्व मुख्य रूप से दक्षिण भारतीय राज्यों में मनाया जाता है। वरलक्ष्मी व्रत के दिन महिलाएं अपने पति, बच्चों और परिवार की मंगल कामना के लिए दिनभर उपवास रखकर मां लक्ष्मी की आराधना करती हैं।

भक्त द्वारा वरलक्ष्मी व्रत पर माँ लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा करने से आपके जीवन में खुशहाली और सुख-शांति भी बनी रहती है। इस व्रत से घर में धन का प्रवाह रहता है और निर्धनता का अंत होता है। वहीं, विवाहित जातकों के जीवन में ख़ुशियां एवं प्रेम बना रहता है। इस व्रत को करने से जातक का घर-भंडार हमेशा भरा रहता है।

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वरलक्ष्मी व्रत के पूजा अनुष्ठान 

वरलक्ष्मी व्रत की पूजा को विधिवत किया जाना चाहिए और इसकी सही पूजा विधि इस प्रकार है:

  • वरलक्ष्मी व्रत के दिन भक्त जल्दी उठकर व्रत का संकल्प लेते हैं और देवी वरलक्ष्मी की पूजा की जाती है। इस पूजा में माता को ताजा बनी हुई मिठाई और फूल चढ़ाएं।
  • इस व्रत के दौरान महिलाएं कुछ विशेष खाद्य पदार्थों के सेवन से परहेज करती हैं और इनमें क्षेत्रों के आधार पर भिन्नता देखने को मिल सकती है।
  • देवी-देवता के प्रतीक के रूप में एक कलश स्थापित करके इस पर कुमकुम एवं चंदन के लेप से स्वास्तिक बनाया जाता है। 
  • अंत में, कलश के मुख पर आम के पत्ते रखे जाते हैं और फिर कलश के ऊपर नारियल रखा जाता है। इस कलश पर एक पवित्र धागा बांधा जाता है जिसे दोरक कहते हैं।
  • पूजा में उपयोग की जाने वाली मिठाई और प्रसाद को वायना कहा जाता है।
  • संध्या काल में देवी वरलक्ष्मी की आरती करें।
  • अगले दिन, कलश में भरे जल को घर में चारों तरफ छिड़कें।

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वरलक्ष्मी व्रत के दिन करें ये उपाय

  1. वरलक्ष्मी व्रत के दिन देवी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए घर में नारियल लेकर आएं। ऐसा करने से आपके परिवार में लक्ष्मी जी का आशीर्वाद रहता है। 
  2.  इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजा करते समय 11 कौड़ियों को पीले रंग के कपड़े में बांधकर उत्तर दिशा में रखने से धन लाभ की प्राप्ति होती है। 
  3. शंख में देवी लक्ष्मी का वास माना गया है और वरलक्ष्मी व्रत के दिन घर में शंख लेकर आने से धन से जुड़ी समस्याओं का अंत होता है। 
  4. माँ लक्ष्मी को प्रिय पारिजात के फूल घर में लाने से देवी वरलक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।        

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वरलक्ष्मी व्रत की पौराणिक कथा 

वरलक्ष्मी व्रत की पौराणिक कथा के अनुसार, मगध में एक कुंडी नामक शहर था जिसमें चारुमति नाम की महिला रहती थी। वह देवी लक्ष्मी की भक्त थी और उनके प्रति बहुत आस्था रखती थी। एक बार जब वह रात को सो रही थी, तो माता लक्ष्मी ने चारुमति को सपने में दर्शन देकर वरलक्ष्मी व्रत के बारे में बताया। अगले दिन चारुमति ने सुबह उठकर सभी महिलाओं को इस व्रत के बारे में बताया। इसके बाद, चारुमति की बात मानकर सभी महिलाओं ने इस व्रत को रखा और देवी लक्ष्मी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। महिलाओं द्वारा वरलक्ष्मी व्रत को पूरे विधि-विधान से करने पर उनका शरीर सोने के गहनों से लद गए और घर भी धन-दौलत से भर गया। इसके पश्चात, वरलक्ष्मी व्रत की महिमा धीरे-धीरे फैलने लगी और दूसरी महिलाएं भी माता लक्ष्मी की पूजा करने लगी, उस समय से ही इस व्रत को वरलक्ष्मी कहा जाने लगा।   

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

1. वरलक्ष्मी व्रत क्यों मनाया जाता है? 

वरलक्ष्मी व्रत करने से देवी लक्ष्मी भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।

2.  वरलक्ष्मी व्रत कब है?

इस साल वरलक्ष्मी व्रत को 16 अगस्त 2024, शुक्रवार के दिन किया जाएगा। 

3. वरलक्ष्मी व्रत में किसकी पूजा की जाती है।

वरलक्ष्मी व्रत में देवी लक्ष्मी के वरलक्ष्मी स्वरूप का पूजन किया जाता है।    

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