ज्योतिष को हमारे जीवन में एक अहम दर्जा प्राप्त है जिसके माध्यम से किसी व्यक्ति के भूत, भविष्य और वर्तमान के बारे में जाना जा सकता है। इसी क्रम में, कुंडली में 12 भाव होते हैं जो किसी न किसी ग्रह से जुड़े होते हैं। एस्ट्रोसेज के इस खास ब्लॉग में हम आपको नौवें भाव के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करेंगे। साथ ही, कुंडली के इस भाव में ग्रहों की स्थिति कैसे करती है आपके भाग्य का निर्धारण? यह जानने के लिए चलिए शुरुआत करते हैं इस लेख की।
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कुंडली में नौवां भाव
कुंडली के सभी बारह भावों का संबंध नवग्रहों में से किसी न किसी ग्रह से होता है। इस प्रकार, देवगुरु बृहस्पति को नौवें भाव का स्वामी ग्रह माना जाता है इसलिए यह भाव गुरु ग्रह से अत्यधिक प्रभावित रहता है। बृहस्पति देव के प्रभाव से मनुष्य का स्वभाव धार्मिक बनता है और उसका झुकाव दान-पुण्य एवं धर्म-कर्म के कार्यों में बढ़ता है। साथ ही, व्यक्ति को नाम और प्रसिद्धि की प्राप्ति होती है। हालांकि, कुंडली का नौवां भाव पूजा-पाठ, ज्ञान एवं विश्वास आदि का प्रतिनिधित्व करता है जो कि शुभ माना जाता है। प्रत्येक मनुष्य के कर्मों के आधार पर हम जान सकते है कि क्या कहता है आपका भाग्य और क्या कुछ छिपा है आपके भविष्य में।
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कुंडली के नौवें भाव में शुभ ग्रहों की उपस्थिति
कुंडली का नौवां भाव धर्म या पितृ भाव भी माना गया है जो मनुष्य के अच्छे कर्मों को दर्शाता है। यदि नौवें भाव में शुभ ग्रह मौजूद होते हैं, तो आपके जीवन पर इसका गहरा प्रभाव देखने को मिलता है। ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में चंद्रमा, गुरु, शुक्र और बुध को शुभ ग्रह कहा जाता है और ऐसे में, इन ग्रहों में से कोई भी ग्रह आपके नौवें भाव में होता है, तो यह किस तरह आपके जीवन को प्रभावित करता है, चलिए जानते हैं इस सवाल का जवाब।
नौवें भाव में बुध देव की स्थिति बनाती है विद्वान
जिन जातकों की कुंडली के नौवें भाव में बुध महाराज विराजमान होते हैं, वह धार्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति होते हैं और उनकी रुचि अध्यात्म के प्रति होती है। ऐसे जातक शिक्षक हो सकते हैं। नौवें भाव में बुध के बैठे होने से जातक बहुत रचनात्मक होता है और साथ ही, वह ज्ञानी होता है इसलिए लेखन से जुड़े क्षेत्रों में इनकी दिलचस्पी होती है। इस भाव में बुध ग्रह की मौजूदगी को अत्यंत शुभ माना जाता है इसलिए ऐसे जातकों में गलत या बुरी आदतें न के बराबर होती हैं।
इनका मेलजोल अच्छे लोगों के साथ होता है। इसके अलावा, बुध के नौवें भाव में होने पर जातकों का रुझान शोध कार्यों में भी होता है और इसके परिणामस्वरूप, अक्सर यह जातक नई-नई खोज करने में व्यस्त रहते हैं। इन लोगों पर बुध महाराज का शुभ प्रभाव होने की वजह से यह बेहद बुद्धिमान होते हैं इसलिए यह अधिकांश अच्छे वक्ता, ज्योतिषी या लेखक हो सकते हैं। इन जातकों को परिवार समेत समाज में भी मान-सम्मान प्राप्त होता है।
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नौवें भाव में चंद्रमा दिलाता है मान-सम्मान
कुंडली के नौवें भाव में चंद्रमा की मौजूदगी को व्यक्ति के लिए शुभ माना जाता है। इस भाव में बैठे चंद्रमा की वजह से जातक का मन पढ़ाई में लगता है और ऐसा शख्स दार्शनिक होता है। यह लोग चंद्रमा के प्रभाव की वजह से काल्पनिक दुनिया में खोये रहते हैं और ऐसे में, इनके लिए सही और गलत के बीच अंतर कर पाना बहुत कठिन होता है। हालांकि, ऐसा व्यक्ति अत्यंत विद्वान होने के साथ-साथ साहसी स्वभाव का होगा।
यह अपने जीवनकाल में काफी धन संपत्ति कमाने में सक्षम होते हैं और इन्हें समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है। साथ ही, यह अपने जीवन में विदेश यात्राएं भी कर सकते हैं और इनका तालमेल अपने पिता के साथ शानदार होता है। इसी प्रकार, इनकी संतान इनके प्रति समर्पित रहती हैं जिससे इनका जीवन खुशियों से भरा रहता है। ऐसे जातकों का स्वभाव दूसरों की मदद करने वाला होता है इसलिए यह हमेशा जरूरतमंदों की सहायता के लिए तैयार रहते हैं।
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बृहस्पति की कृपा से व्यक्ति बनता है नेक
कुंडली के नौवें भाव के स्वामी ग्रह गुरु हैं और इन्हें एक शुभ ग्रह माना जाता है। अगर किसी की कुंडली में बृहस्पति देव नौवें भाव में मज़बूत स्थिति में होते हैं, तो ऐसे जातकों को अपने जीवन में हर तरह की सुख-सुविधा प्राप्त होती है। इन लोगों के स्वभाव में नैतिकता एवं दयालुता देखने को मिलती है और यह अपने जीवन में उच्च सिद्धांतों का पालन करते हैं।
गुरु ग्रह के शुभ प्रभाव की वजह से व्यक्ति विद्वान बनेगा और साथ ही, वह धार्मिक प्रवृत्ति का होगा। ऐसे जातक सच बोलना पसंद करते हैं और बेहद शांत एवं नेक होते हैं। यह जातक ईश्वर में विश्वास रखते हैं और पिता के साथ इनके रिश्ते काफी गहरे होते हैं। इन लोगों को अपने घर का आशीर्वाद मिलता है और करियर के क्षेत्र में भी उच्च पद की प्राप्ति होती है। नौवें भाव में गुरु ग्रह होने पर जातक लेखन और कानूनी कार्यों आदि में रुचि रखते है।
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शुक्र देव की कृपा बनाती है दयालु
शुक्र महाराज का कुंडली के नौवें भाव में उपस्थित होना शुभ माना जाता है। जिन जातकों की कुंडली के नौवें भाव में शुक्र स्थित होते हैं, उनका झुकाव कला और संगीत के क्षेत्र में होता है। यह लोग विदेशी संस्कृति के प्रति आकर्षित रहते हैं। हालांकि, शुक्र देव के प्रभाव की वजह से व्यक्ति शारीरिक रूप से मजबूत होता है। यह लोग धार्मिक प्रवृत्ति के होते हैं जो बेहद परोपकारी और भगवान में विश्वास करने वाले होते हैं। ऐसे में, यह अपने जीवन में तीर्थ यात्रा करते हैं और भगवान, गुरुओं एवं अतिथियों की सेवा करने में समय बिताकर इन्हें प्रसन्नता मिलती है।
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अगर स्वभाव की बात करें, तो ऐसे जातक बेहद दयालु और संतोषी किस्म के होते हैं। शुक्र देव का प्रभाव होने से इन लोगों को अपनी मेहनत के बल पर धन की प्राप्ति होती है इसलिए यह आर्थिक रूप से संपन्न होते हैं। ऐसे जातकों को अपने जीवन में हर तरह की सुख-सुविधा प्राप्त होती है। कुंडली के नौवें भाव में शुक्र देव के बैठे होने पर जातक अभिनेता या फिर सिंगिंग में रुचि रखने वाला हो सकता है।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
उत्तर 1. ज्योतिष के अनुसार, नौवें भाव के स्वामी देवगुरु बृहस्पति हैं।
उत्तर 2. कुंडली का नौवां भाव व्यक्ति के भाग्य का प्रतिनिधित्व करता है इसलिए इसे भाग्य का भाव कहा जाता है।
उत्तर 3. कुंडली में सातवां भाव पत्नी, ससुराल, प्रेम, पार्टनरशिप और गुप्त व्यापार आदि का माना जाता है।