नवरात्रि को सनातन धर्म में शक्ति और साधना का पर्व कहा जाता है। यह वो समय होता है जब माँ दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है। एक वर्ष में चार नवरात्रि मनाई जाती है जिनमें से चैत्र और शारदीय नवरात्र भव्य तरीके से मनाते हैं और अन्य दो नवरात्रियों को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। अपने नाम के ही अनुरूप यह नवरात्रियां गुप्त रूप से मनाई जाती हैं।
आज अपने इस खास ब्लॉग में हम आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के बारे में जानकारी हासिल करेंगे। साथ ही जानेंगे वर्ष 2024 में आषाढ़ गुप्त नवरात्रि कब से कबतक मनाई जाएगी, गुप्त नवरात्रि के नियम क्या होते हैं, इस दौरान किन बातों का पालन करना होता है, आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के नियम क्या हैं, इत्यादि बातें। आगे बढ़ने से पहले सबसे पहले जान लेते हैं इस वर्ष आषाढ़ गुप्त नवरात्रि कब से कब तक रहने वाली है।
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आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2024- कब से कब तक?
सबसे पहले बात करें समय की तो इस बार आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 6 जुलाई 2024 शनिवार के दिन से 16 जुलाई 2024 मंगलवार तक रहेगी। इस दौरान मां दुर्गा के 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है।
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 12 बजकर 05 मिनट से – 12 बजकर 58 मिनट तक
घटस्थापना मुहूर्त : सुबह 05 बजकर 50 मिनट से – 10 बजकर 18 मिनट तक
जिस तरह चैत्र और शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा करते हैं वैसे ही गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है। इसके अलावा गुप्त नवरात्रि विशेष तौर पर तांत्रिकों, शक्ति साधना, महाकाल, आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष मायने रखती है। इस दौरान देवी भगवती के साधक कड़े नियमों का पालन करते हैं, व्रत करते हैं और साधना करते हैं।
गुप्त नवरात्रि में भी 9 दिनों तक देवी के स्वरूप की पूजा करते हैं। गुप्त नवरात्रि मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड में विशेष तौर पर मनाई जाती है। बात करें मां के 10 महा स्वरूपों की तो मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी माता, छिन्नमस्ता माता, त्रिपुर भैरवी, माता धूमवति, माता बगलामुखी, माता मातंगी माता, और कमला देवी माता के स्वरूपों की इस दौरान पूजा का विशेष महत्व बताया गया है।
गुप्त नवरात्रि महत्व
गुप्त नवरात्रि के दौरान मां के साधक महाविद्या के लिए मां दुर्गा के 10 महा स्वरूपों की पूजा करते हैं, साथ ही दुर्लभ शक्तियों को प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। इस दौरान भी अष्टमी नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है और उसके बाद व्रत का उद्यापन करने की मान्यता होती है। नवरात्रि व्रत के उद्यापन में कुंवारी कन्याओं को भोजन कराया जाता है, उन्हें यथाशक्ति दान दिया जाता है, दक्षिणा दी जाती है, वस्त्र आभूषण और श्रृंगार की सामग्री भेंट की जाती है। कहा जाता है ऐसा करने से मां भगवती की प्रसन्नता हासिल होती है।
दिलचस्प जानकारी: गुप्त नवरात्रि को बहुत सी जगह पर शाकंभरी नवरात्रि या गायत्री नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है और भारत के सभी हिस्सों विशेष तौर पर उत्तरी राज्यों में गुप्त नवरात्रि का यह पर्व बेहद उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।
गुप्त नवरात्रि पूजा अनुष्ठान
गुप्त नवरात्रि के नौ दिनों की अवधि के दौरान भक्त पूरे समर्पण और श्रद्धा के साथ मां दुर्गा की प्रार्थना करते हैं। इस दौरान भक्त सुबह जल्दी उठते हैं, 9 दिनों में प्रत्येक दिन के अनुसार नियमों का पालन करते हैं, उस दिन की संबन्धित पूजा पाठ करते हैं और मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा करते हैं।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का इतिहास
प्राचीन वैदिक युग के दौरान यह गुप्त नवरात्रि केवल कुछ सिद्ध साधकों या फिर संतो को ही पता थी। गुप्त नवरात्रि तांत्रिकों और साधकों के लिए विशेष महत्व रखती है। ऐसा माना जाता है कि इस अवधि के दौरान मां दुर्गा की साधना करने से सभी भौतिक समस्याओं का अंत हो जाता है। यही वजह है कि गुप्त नवरात्रि ज्यादातर तांत्रिक पूजा के लिए लोकप्रिय होती है।
इस अवधि के दौरान साधक ज्ञान, धन और सफलता प्राप्त करने के लिए मां दुर्गा का आवाहन करते हैं। इसके साथ ही इस दौरान देवी दुर्गा के आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए उन्हें समर्पित मंत्रों का जाप किया जाता है, दुर्गा सप्तशती, देवी महात्मय और श्रीमद् देवी भागवत जैसे धार्मिक ग्रंथो का पाठ करना भी बेहद शुभ माना जाता है। गुप्त नवरात्रि के दौरान हिंदू साधक दुर्गा बत्तीसी या देवी शक्ति के 32 अलग-अलग नाम का भी जप करते हैं। ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से भक्तों की सभी समस्याएं समाप्त हो जाती हैं और उनके जीवन में शांति आने लगती है।
गुप्त नवरात्रि में भूलकर भी ना करें ये गलतियां
नवरात्रि की ही तरह गुप्त नवरात्रि के भी कुछ विशेष नियम बताए गए हैं। कहा जाता है कि अगर इस दौरान गलती से भी इस दौरान कुछ विशेष कार्य कर दें तो इससे मां दुर्गा रुष्ट हो सकती हैं। क्या कुछ हैं ये काम जिन्हें गुप्त नवरात्रि के दौरान आपको भूलकर भी नहीं करना है आइये जान लेते हैं।
- गुप्त नवरात्रि के दौरान भूल से भी अपने बाल या फिर नाखून नहीं कटवाने चाहिए।
- इसके अलावा लहसुन और प्याज का सेवन करना भी वर्जित माना किया है। कहा जाता है कि जिस जगह पर राहु केतु का रक्त गिरा था वहीं से लहसुन प्याज की उत्पत्ति हुई थी इसलिए इन्हें अशुद्ध माना जाता है और नवरात्रि के इन 9-10 दिनों की अवधि के दौरान विशेष रूप से लहसुन प्याज का सेवन वर्जित होता है।
- जो लोग गुप्त नवरात्रि का व्रत कर रहे हैं उनको दिन में सोना नहीं चाहिए। कहा जाता है कि सोने से नवरात्रि का फल प्राप्त नहीं होता है।
- इसके अलावा गुप्त नवरात्रि में महिला, बुजुर्ग, पशु पक्षियों को बिल्कुल भी परेशान ना करें। किसी भी व्यक्ति को शारीरिक या फिर मानसिक चोट ना पहुंचाएं अन्यथा इससे मां दुर्गा दुष्ट हो सकती हैं।
कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर
गुप्त नवरात्रि की नवमी तिथि होती है बेहद खास- जानें क्यों? नवरात्रि के सभी दिन बेहद ही पवन और शुभ माने जाते हैं लेकिन इनमें से नवमी तिथि का बेहद विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि नौवें दिन महाविद्या महा मातंगी की पूजा की जाती है। मां मातंगी की पूजा के साथ नवरात्रि का समापन हो जाता है और जो कोई भी व्यक्ति विधिपूर्वक मां मातंगी की पूजा करता है उनके गृहस्थ जीवन से सभी तरह के दुख और परेशानियां खत्म होने लगते हैं।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की पूजन विधि
देवी भागवत में गुप्त नवरात्रि के विषय में जिक्र किया गया है। इस दौरान तांत्रिक क्रियाएं और शक्ति साधना से संबंधित तरह-तरह के अनुष्ठान किए जाते हैं। इस दौरान साधक कठोर नियम और आचरण का पालन करते हैं। इन दिनों में शुद्धता और सात्विकता का विशेष महत्व रखा जाता है। कहते हैं कि इस दौरान अगर छोटी सी भी गलती हो जाए तो इससे सारी साधना असफल हो सकती है इसलिए बेहद जरूरी होता है कि इस पूजा में सफाई और शुद्धता का पूरी तरह से ख्याल रखा जाए। इसके अलावा भी कुछ बातें होती हैं जिनका विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए जैसे की जहां आप पूजा आरंभ करें उसी स्थान पर नियमित रूप से बैठकर साधना करें। जगह बार-बार बदले नहीं। एक ही आसान पर बैठकर पूजा करें और यह आसान केवल खुद के उपयोग में लाएं उसे कहीं और उपयोग न करें। रोज सिद्धि में इस स्वरूप को पूरी एकाग्रता और तन्मयता के साथ पूजा करें।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि पर करें इस मंत्र का जाप
काली तारा महाविद्या षोडशी भुवनेश्वरी।
भैरवी छिन्नमस्ता च विद्या धूमावती तथा।
बगला सिद्ध विद्या च मातंगी कमलात्मिका
एता दशमहाविद्याः सिद्धविद्या प्रकीर्तिताः॥
आशा गुप्त नवरात्रि विभिन्न देवियों की पूजा का महत्व
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के पहले दिन माता काली की पूजा की जाती है। मान्यता है कि मां काली की पूजा करने से जीवन में शत्रुओं का असर कम होने लगता है और नकारात्मकता दूर होती है।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के दूसरे दिन तारा माता की पूजा की जाती है। इनकी पूजा करने से जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन माता षोडशी की पूजा की जाती है और उनकी पूजा करने से भक्तों को सुंदरता, सौभाग्य और सांसारिक सुखों का आशीर्वाद मिलता है।
आषाढ़ नवरात्रि के चौथे दिन माँ भुवनेश्वरी की पूजा की जाती है। मान्यता है की मां भुवनेश्वरी की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। साथ ही भक्तों को नाम, प्रसिद्ध, वृद्धि और समृद्धि भी मिलती है।
आषाढ़ नवरात्रि के पांचवें दिन माता भैरवी की पूजा की जाती है। मां भैरवी की पूजा करने से शत्रुओं का नाश होता है और साधकों को विजय, रक्षा, शक्ति और सफलता प्राप्त होती है।
गुप्त नवरात्रि के छठे दिन देवी छिन्नमस्ता की पूजा की जाती है। देवी की पूजा करने से आत्म, दया और मुक्ति और स्वतंत्रता मिलती है। साथ ही करियर में सफलता, नौकरी में तरक्की भी मिलती है।
गुप्त नवरात्रि के सातवें दिन माता धूमवती की पूजा की जाती है। मां धूमावती की पूजा करने से व्यक्ति के दुख और दुर्भाग्य दूर होते हैं।
गुप्त नवरात्रि के आठवें दिन मां बगलामुखी की पूजा का विधान बताया गया है। मां बगलामुखी की पूजा करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
गुप्त नवरात्रि के नौवे दिन देवी मातंगी की पूजा की जाती है। देवी मातंगी को तांत्रिक सरस्वती के नाम से भी जानते हैं। ऐसे में मां की पूजा करने से गुप्त विद्याओं की प्राप्ति होती है और साधकों में ज्ञान का विकास होता है।
आषाढ़ नवरात्रि के आखिरी दिन माता कमला की पूजा की जाती है। इन्हें तांत्रिक लक्ष्मी भी कहा जाता है और मां की पूजा करने से धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि देवी मंत्र, उपाय और दान की जानकारी
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के दौरान अगर आप अपनी राशि के अनुसार मां की पूजा करते हैं और पूजा में विशेष मंत्रों का जाप करते हैं, उपाय करते हैं और अपनी राशि के अनुसार दान करते हैं तो इससे माँ की प्रसन्नता अवश्य ही हासिल की जा सकती है। आइये अब जान लेते हैं कि आषाढ़ गुप्त नवरात्रि में राशि अनुसार मंत्र, उपाय और दान किस प्रकार करना है।
मेष राशि: नवरात्रि के दौरान मां को उड़द की दाल अर्पित करें और फिर ये दाल किसी गरीब महिला को दान कर दें। इसके अलावा दान में आप गरीबों को अन्न या फिर वस्त्र भी दे सकते हैं।
वृषभ राशि: महाकाली को नीले कनेर का फूल अर्पित करें। दान में आप स्टील के बर्तन, चावल और चीनी किसी जरूरतमंद को दे सकते हैं।
मिथुन राशि: मां दुर्गा को पूजा में लौंग अर्पित करें और फिर इसे अपने ऑफिस की दराज में रख लें। दान के लिए आप गरीब लोगों में वस्त्र का दान करें या फिर गाय को हरी ताज़ी पालक खिलाएँ।
कर्क राशि: नवरात्रि के दौरान देवी के समक्ष लौंग चढ़ाएँ और फिर इसे कपूर से जला दें। दान के लिए आप धार्मिक पुस्तकों का दान कर सकते हैं या फिर किसी तांबे के बर्तन में लड्डू भरकर इसे हनुमान मंदिर में दान कर सकते हैं।
सिंह राशि: मां दुर्गा को लाल रंग के फूल अर्पित करें और चावल की खीर की आहुति दें। दान के लिए आप गरीबों को अन्न, कला करें और गेहूं और गुड़ का दान करना भी फलदाई साबित हो सकता है।
कन्या राशि: कन्या राशि के जातक मां को लाल रंग के फूलों की माला अर्पित करें और दान के लिए आप गरीब लोगों को वस्त्र का दान कर सकते हैं।
तुला राशि: तुला राशि के जातक महाकाली पर पीपल के पत्ते अर्पित करें और दान के लिए आप गरीबों में चावल का वितरण कर सकते हैं।
वृश्चिक राशि: वृश्चिक राशि के जातक नारियल देवी मां को अर्पित करें और पूजा के बाद इसे किसी गरीब को दे दें। दान के लिए आप गरीबों में भोजन वितरण करें। मुमकिन हो सके तो रक्तदान करें।
धनु राशि: धनु राशि के जातक महाकाली पर चढ़ाए गए जल को अपने पूरे घर में अवश्य छिड़कें। दान के लिए आप धार्मिक पुस्तकों का दान करें या फिर किसी अस्पताल में जाकर मरीजों को फल और दवाइयां दान करें।
मकर राशि: मकर राशि के जातक महाकाली पर काजल अर्पित करें। दान के लिए आप तिल का दान कर सकते हैं या फिर गरीबों को पानी पिलाएँ।
कुंभ राशि: कुम्भ राशि के जातक मां दुर्गा के समक्ष तेल का दीपक जलाएं। दान के लिए आप तिल और तेल का दान शनि देव के समक्ष कर सकते हैं।
मीन राशि: मीन राशि के जातक महाकाली को फल अर्पित करें और पूजा के बाद इस गरीब बच्चों को दे दें। दान के लिए आप धार्मिक पुस्तकों का दान या फिर गुड और गेहूं का भी दान कर सकते हैं।
सभी देवियों के लिए मंत्र:
पहली महाविद्या: ॐ हृीं श्रीं क्रीं परमेश्वरि कालिके स्वाहा।।
दूसरी महाविद्या: ॐ हृीं स्त्रीं हुं फट् ।।
तीसरी महाविद्या: ऐं हृीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः ।।
चौथी महाविद्या: हृीं भुवनेश्वरीयै हृीं नमः ।।
पांचवी महाविद्या: श्रीं हृीं ऐं वज्र वैरोचानियै हृीं फट स्वाहा।।
छठी महाविद्या: ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः।।
सातवीं महाविद्या: ॐ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहाः
आठवीं महाविद्या: ॐ हृीं बगुलामुखी देव्यै हृीं ओम नमः
नौवीं महाविद्या: ॐ ह्नीं ऐ भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा ।।
दसवीं महाविद्या: ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः।
निष्कर्ष: आषाढ़ गुप्त नवरात्रि दुनिया भर में हिंदुओं द्वारा गुप्त रूप से मनाया जाने वाला नवरात्रि का पावन त्यौहार है। इस दौरान मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं के स्वरूप की पूजा की जाती है। ऐसा करने से व्यक्ति मां दुर्गा का आशीर्वाद और सुख समृद्धि अपने जीवन में प्राप्त करता है।
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अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
उत्तर: आषाढ़ गुप्त नवरात्रि के दौरान भक्ति देवी दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और अपने जीवन में आध्यात्मिक विकास प्राप्त करते हैं।
उत्तर: वर्ष 2024 में आषाढ़ नवरात्रि का त्योहार 6 जुलाई 2024 को प्रारंभ होगा और 16 जुलाई 2024 को इसका समापन हो जाएगा।
उत्तर: गुप्त नवरात्रि मुख्यरूप से तंत्रिकों, साधकों, आदि के लिए बेहद खास होती है।