किसी राशि में किसी ग्रह के मार्गी होने का अर्थ यह होता है कि अब तक जो ग्रह किसी राशि में उलटी दिशा में था अर्थात वक्री दिशा में था वह अब वापस अपनी सीधी दशा यानी मार्ग हो रहा है। इस स्थिति में ग्रह गोचर नहीं कर रहे होते हैं अर्थात, एक राशि से दूसरी राशि में नहीं जा रहे होते हैं बल्कि केवल अपनी दिशा बदल रहे होते हैं। ज्योतिष में ग्रहों की दिशा बदलना भी बेहद महत्वपूर्ण माना गया है।
ऐसे में 18 अक्टूबर सोमवार के दिन ज्योतिष की दुनिया में दो बेहद ही महत्वपूर्ण कहे जाने वाले ग्रह बुध ग्रह और बृहस्पति ग्रह मार्गी होने जा रहे हैं। इस विशेष आर्टिकल में हम बात करेंगे कन्या राशि में मार्गी हो रहे बुध ग्रह के बारे में। सबसे पहले जान लेते हैं बुध ग्रह के मार्गी होने का समय क्या है।
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कन्या राशि में बुध होंगे मार्गी: समय और महत्व
बुध ग्रह को वैदिक ज्योतिष में बुद्धि, गणित, संचार, वाणिज्य, आदि का कारक माना जाता है। ग्रहों में राजकुमार का दर्जा प्राप्त बुध ग्रह 18 अक्टूबर सोमवार को रात में 8 बजकर 46 मिनट पर कन्या राशि में मार्गी हो जाएंगे।
जानकारी के लिए बता दें कि, बुध ग्रह इस समय अपनी उच्च राशि अर्थात कन्या में मार्गी हो रहे हैं। ऐसे में मुमकिन है कि जातकों को इसका अनुकूल फल प्रदान हो। इसके अलावा बुध ग्रह की मार्गी स्थिति व्यक्ति को कार्यक्षेत्र में सकारात्मक परिणाम देने में भी सहायक सिद्ध हो सकती है।
ज्योतिष में बुध ग्रह
वैदिक ज्योतिष में बुध ग्रह को शुभाशुभ ग्रह माना गया है। अर्थात कुंडली में यह जिस अन्य ग्रह के साथ मौजूद होता है उसके अनुरूप ही फल प्रदान करता है। जिन लोगों की जन्म कुंडली में लग्न भाव में बुध स्थित होता है ऐसे व्यक्तियों की शारीरिक सुंदरता देखने लायक होती है। साथ ही ऐसे लोग बेहद ही चालाक स्वभाव के, तर्कसंगत, और बौद्धिक रूप से धनवान होते हैं।
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कुंडली में बलि बुध के प्रभाव: जिन व्यक्तियों की कुंडली में बुध ग्रह मजबूत स्थिति में होता है ऐसे व्यक्तियों का संवाद कौशल बेहद ही शानदार होता है। स्वभाव में ऐसे व्यक्ति हाजिर जवाबी होते हैं और अपनी बातों से सबका मन मोह लेते हैं। इसके अलावा बुध ग्रह के प्रभाव से व्यक्ति कुशाग्र बुद्धि का बनता है और व्यक्ति गणित विषय में बेहद ही अच्छा होता है।
कुंडली में पीड़ित बुध के प्रभाव: वहीं इसके विपरीत जिन व्यक्तियों की जन्म कुंडली में बुध ग्रह किसी क्रूर या पापी ग्रह के साथ मौजूद होता है ऐसे व्यक्तियों को शारीरिक और मानसिक रूप से तमाम परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे लोग अपनी बातों को दूसरों के सामने सही ढंग से पेश नहीं कर पाते हैं और साथ ही ऐसे व्यक्तियों की गणित बेहद ही कमजोर होता है। ऐसे में ज्योतिष में ऐसे व्यक्तियों के लिए बुध ग्रह से संबंधित कुछ उपाय बताए गए हैं जिन्हें करने से बुध ग्रह के शुभ प्रभाव व्यक्ति को हासिल हो सकते हैं।
कुंडली में बुध ग्रह को मजबूत बनाने के ज्योतिषीय उपाय
- किसी विद्वान ज्योतिषी से परामर्श लेकर आप पन्ना रत्न धारण कर सकते हैं।
- अपने घर में बुध यंत्र स्थापित कर सकते हैं।
- बुध से संबंधित चीजों का दान करना भी आपके लिए शुभ साबित हो सकता है। बुध से संबंधित चीजें: हरी घास, साबुत मूंग, नीले रंग के फूल, हरे और नीले रंग के कपड़े, या हाथी के दांत से बनी हुई चीजें।
- भगवान विष्णु और बुध की आराधना करें।
- विष्णु सहस्त्रनाम स्त्रोत का जाप करें।
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मेष राशि के जातकों की कुंडली में बुध उनके तीसरे व छठे भाव का स्वामी है और यह इस दौरान आपके छठे भाव यानी कि दैनिक आमदनी, कर्ज़ और शत्रु …..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
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वृषभ राशि के जातकों की कुंडली में बुध को उनके दूसरे भाव व पंचम भाव का स्वामी माना जाता है। बुध इस दौरान आपके पंचम भाव यानी कि संतान, शिक्षा…..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
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मिथुन राशि के जातकों की कुंडली में बुध उनके लग्न भाव और चौथे भाव का स्वामी माना जाता है और इस अवधि में बुध उनके चौथे भाव यानी कि माता,…..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
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कर्क राशि के जातकों की कुंडली में बुध उनके तीसरे और बारहवें भाव का स्वामी माना जाता है जबकि इस अवधि में यह आपके तीसरे भाव यानी कि पराक्रम, …..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
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सिंह राशि के जातकों की कुंडली में बुध उनके दूसरे और ग्यारहवें भाव का स्वामी माना जाता है जबकि इस दौरान यह आपके धन, संवाद और संपत्ति के …..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
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कन्या राशि के जातकों के लिए बुध उनके लग्न भाव और दशम भाव का स्वामी माना जाता है जबकि इस अवधि में यह कन्या राशि के लग्न भाव यानी कि चरित्र, …..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
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तुला राशि के जातकों की कुंडली में बुध उनके नवम भाव और द्वादश भाव का स्वामी माना जाता है और इस दौरान यह आपके द्वादश भाव यानी कि व्यय, मोक्ष…..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
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वृश्चिक राशि के जातकों की कुंडली में बुध उनके आठवें और ग्यारहवें भाव का स्वामी माना जाता है और इस अवधि में यह आपके ग्यारहवें भाव यानी कि इच्छा…..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
धनु राशि
धनु राशि के जातकों की कुंडली में बुध उनके सातवें और दसवें भाव का स्वामी माना जाता है। वहीं इस अवधि में यह धनु राशि के दसवें भाव यानी कि नाम, यश …..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
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मकर राशि के जातकों की कुंडली में बुध उनके छठे भाव और नवम भाव का स्वामी माना जाता है और इस दौरान यह आपके नवम भाव यानी कि भाग्य,…..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
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कुंभ राशि के जातकों की कुंडली में बुध को उनके पंचम भाव और अष्टम भाव का स्वामी माना जाता है और इस दौरान यह उनके अष्टम भाव यानी कि अप्रत्याशित लाभ/…..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
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मीन राशि के जातकों की कुंडली में बुध उनके चतुर्थ और सप्तम भाव का स्वामी माना जाता है और इस दौरान यह आपके सप्तम भाव यानी कि विवाह और साझेदारी के…..(विस्तार से पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
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