कोरोना महामारी ने जिस तरीके से हम सभी की जिंदगी में रुकावट डालने का काम किया है, हाल फिलहाल में उसका अंत तो होता नज़र नहीं ही आ रहा है। नौ महीने से ऊपर का समय बीत चुका है और लोग अभी भी कोरोना के डर से सामान्य जीवन जीने में कतराते नज़र आ रहे हैं। यूँ तो इस महामारी ने हमारे जीवन के प्रत्येक पहलू को प्रभावित किया है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर नौकरी पर देखने को मिला है। इस वैश्विक महामारी की शुरुआत से ही ना जाने कितने लोगों ने अपनी नौकरियाँ खो दी हैं।
नौकरी खोने का डर, मौजूदा नौकरी के हाथ से निकल जाने का डर और फ्रेशेर लोगों को इस बात की चिंता दिन रात खाए जा रही है कि उन्हें नौकरी कब मिलेगी? लेकिन जैसा कहते हैं ना कि ज्योतिष की दुनिया में इंसान की हर समस्या का समाधान अवश्य ही छुपा हुआ है। ऐसे में अगर आप भी अपनी नौकरी को लेकर किसी भी बात के तनाव में हैं तो इस आर्टिकल के माध्यम से आपकी समस्या का समाधान मिल सकता है।
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यहाँ हम बात करेंगे कि कुंडली में मौजूद बुध ग्रह कैसे आपकी नौकरी और पेशेवर जीवन को प्रभावित करता है। साथ ही जानते हैं बुध ग्रह का कुंडली के सभी बारह भावों पर फल की संपूर्ण जानकारी।
करियर निर्माण में बुध की भूमिका
बुध ग्रह को बुद्धि का देवता माना गया है। ज्योतिष गणना के अनुसार मिथुन व कन्या राशि का प्रतिनिधित्व (स्वामी) बुध ग्रह को प्राप्त है। कुंडली में इसकी स्थिति काफी अधिक महत्व रखती है। यदि बुध अच्छी स्थिति में हो तो व्यक्ति को बुद्धि संबंधी कार्यों में विशेष सफलताएँ प्राप्त होती हैं। जबकि ये अशुभ स्थिति में हो तो कई प्रकार की मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वहीं अगर हम इंसान के करियर के बारे में बात करें तो इसे भी आकार देने में बुध काफी महत्वपूर्ण निभाता है। ऐसे में आप भी आज ही एस्ट्रोसेज स्पेशल कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट फॉर प्रोफेशनल्स की मदद से अपने करियर की स्पष्ट तस्वीर पा सकते हैं।
बुध एक ऐसा ग्रह है, जो सूर्य के सानिध्य में ही रहता है। जब कोई ग्रह सूर्य के साथ विशेष अंशात्मक दूरी पर होता है तो उसे अस्त माना जाता है। यदि बुध 14 डिग्री या उससे कम में सूर्य के साथ हो, तो उसे अस्त माना जाता है, लेकिन सूर्य के साथ रहने पर बुध ग्रह को अस्त का दोष नहीं लगता और अस्त होने से परिणामों में भी बहुत अधिक अंतर नहीं देखा गया है। बुध ग्रह कालपुरुष की कुंडली में तृतीय और षष्ठ भाव का प्रतिनिधित्व करता है। प्रत्येक ग्रह जातक के ऊपर अपना विशेष प्रभाव देता है।
आइए अब जानते हैं बुध ग्रह के विभिन्न भावों में स्थिति होने पर आपका कार्यक्षेत्र और प्रोफेशन किस रूप में प्रभावित होगा।
प्रथम भाव में बुध ग्रह का फल
किसी जातक की जन्म कुण्डली के प्रथम भाव में बुध ग्रह स्थित हो तो ऐसा जातक गणितज्ञ एवं परदेश में निवास करने वाला व विदेश से संबंधित व्यापार करता है। ऐसे जातकों को विदेशों से जुड़े कामों में सफलता भी प्राप्त होती है। इसके साथ ही ऐसे लोगों की तर्क क्षमता भी अच्छी होती है। आपके लिए कौन सा करियर उपयुक्त साबित होगा? जानने के लिए कॉग्निएस्ट्रो रिपोर्ट फॉर प्रोफेशनल्स की एक कॉपी प्राप्त कर सकते हैं।
द्वितीय भाव में बुध ग्रह का फल
किसी जातक की जन्म कुण्डली के द्वितीय भाव में बुध ग्रह स्थित होता है तो ऐसा जातक लेखन तथा प्रकाशन कार्य से धनोपार्जन करने वाला, लेखन कार्य में दक्ष, अच्छा वकील, पिता का आज्ञाकारी, पाप भीरू, अत्यंत सुन्दर, कोमल देह वाला, सत्य वचन बोलने वाला, भ्रमण में रूचि रखने वाला, मिष्ठान सेवन में रूचि रखने वाला, अधिक खर्च करने वाला एवं परदेश में निवास करने वाला होता है।
तृतीय भाव में बुध ग्रह का फल
किसी जातक की जन्म कुण्डली के तृतीय भाव में बुध ग्रह स्थित होता है तो ऐसा जातक व्यवसायी, जन्म स्थल से दूर रहकर धन अर्जित करने वाला, साहसी, सामुद्रिक शास्त्र का ज्ञाता, भरे पूरे परिवार से युक्त, सदगुणों से युक्त, कुशलता पूर्वक अपने अभीष्ट कार्य सिद्ध करने वाला होता है।
चतुर्थ भाव में बुध ग्रह का फल
किसी जातक की जन्म कुण्डली के चतुर्थ भाव में बुध ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक ज्ञानी, तीव्र स्मरण शक्ति वाला, नीतिज्ञ, भाग्यशाली, स्थूल देह वाला तथा चतुर बुद्धि व किसी राजनीतिज्ञ का गुप्तचर बन कर धन अर्जित करता है।
पंचम भाव में बुध ग्रह का फल
किसी जातक की जन्म कुंडली के पंचम भाव में बुध ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक अपनी बुद्धि कौशल के बल पर अनेक बार लोगों को चमत्कृत कर के अपनी आजीविका चलाता है। ईश्वर की भक्ति में लीन, पवित्र हृदय वाला, समाज व परिवार में प्रतिष्ठित, तीव्र बुद्धि से युक्त एवं यांत्रिक विषय सम्बंधित विशेष ज्ञान रख कर समाज को संबोधित करता है। इसके अलावा जो शादीशुदा जातक अपने बच्चों के भविष्य के बारे में जानना चाहते हैं या उनके लिए एक आदर्श कैरियर की तलाश में हैं, वो भी हमारी कोग्निएस्ट्रो करियर परामर्श रिपोर्ट (ग्रेड 10 तक) और कोग्निएस्ट्रो करियर परामर्श रिपोर्ट (ग्रेड 12 तक)
षष्टम भाव में बुध ग्रह का फल
किसी जातक की जन्म कुंडली के षष्ठम भाव में बुध ग्रह स्थित होता है तो ऐसा जातक, लेखन एवं मुद्रण कार्य करता है और समाज सेवा में अपना पूर्ण योगदान देता है। खासकर ऐसा व्यक्ति जल से जुड़ा हुआ कार्य करता है।
सप्तम भाव में बुध ग्रह का फल
किसी जातक की जन्म कुण्डली के सप्तम भाव में बुध ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक व्यवसाय कुशल व स्त्रियों के साथ मिल कर नये व्यापार की योजना बनाता है एवं सुखी जीवन व्यतीत करने वाला होता है।
अष्टम भाव में बुध ग्रह का फल
किसी जातक की जन्म कुंडली के अष्टम भाव में बुध ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक न्यायाधीश, वकील व अपने व्यवसाय के माध्यम से आजीविका चलाने वाले होता है एवं धार्मिक कार्य में रूचि रखता है।
नवम भाव में बुध ग्रह का फल
किसी जातक की जन्म कुंडली के नवम भाव में बुध ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक व्यवसाय के माध्यम से आजीविका चलाने वाला, सत्पुरूषों की सेवा से लाभ अर्जित करने वाला, ज्योतिष में रूचि रखने वाला, गायन एवं संगीत कला में रूचि रखने वाला एवं धार्मिक प्रवृत्ति का होता है।
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दशम भाव में बुध ग्रह का फल
किसी जातक की जन्म कुंडली के दशम भाव में बुध ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक अपने माता पिता एवं गुरुजनों का आज्ञाकारी, अनेक प्रकार के व्यवसायों से धन अर्जित करने वाला, वाहन व चौपायों से संबंधित व्यापार करता है।
एकादश भाव में बुध ग्रह का फल
किसी जातक की जन्म कुंडली के एकादश भाव में बुध ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा व्यक्ति यशस्वी, शास्त्रों का ज्ञाता, कुल का पोषण करने वाला, गायन कला में रूचि रखने वाला और इन्हीं क्षेत्रों से आजीविका चलाने वाला होता है।
अगर आप अभी तक अपनी कुंडली में बुध की स्थिति को लेकर अंजान या संशय में हैं तो मिनटों में बनाईये अपनी कुंडली और फिर जानिए अपने करियर/पेशे से जुड़े हर सवाल का जवाब।
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द्वादश भाव में बुध ग्रह का फल
किसी जातक की जन्म कुंडली के द्वादश भाव में बुध ग्रह स्थित होता है, तो ऐसा जातक दूसरे के धन का उपयोग करने वाला, व्यसन से रहित, धार्मिक प्रवृत्ति वाला, शास्त्रों का ज्ञाता एवं परोपकारी प्रवृत्ति वाला होता है। दूसरों का सहयोग कर अपना जीवन यापन करता है।
इस प्रकार कुंडली के विभिन्न भागों में बुध ग्रह की स्थिति आप की जीवन शैली और कार्यकुशलता को प्रभावित करती है। उपरोक्त वर्णन में केवल सामान्य फल दिया गया है व्यक्तिगत विश्लेषण के लिए अपनी कुंडली का विश्लेषण तथा देश, काल, पात्र की स्थिति के आधार पर अध्ययन किया जाना आवश्यक होता है।
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