2020 का भारत – संस्कृति, प्रकृति और क्रिकेट वर्ल्ड कप

नव वर्ष 2020 में भारत की सांस्कृतिक विरासत कितनी आगे बढ़ेगी और प्राकृतिक रूप से क्या किसी आपदा के आगमन की संभावना तो नजर नहीं आती, क्या देश में शांति और स्थिरता देखने को मिलेगी, आदि ऐसे अनेक प्रश्न स्वाभाविक रूप से हमारे मन में उठ रहे हैं। केवल इतना ही नहीं, इस साल क्रिकेट का महाकुंभ आईसीसी T20 वर्ल्ड कप के रूप में भी आयोजित होने वाला है, जिस पर सभी क्रिकेट प्रेमियों की निगाह होगी और सभी चाहेंगे कि यह वर्ल्ड कप भारत आए।

वैदिक ज्योतिष एक ऐसा विज्ञान है जो ग्रहों, राशियों और नक्षत्रों के माध्यम से भविष्य की घटनाओं से पर्दा उठाता है और हमने इसी वैदिक ज्योतिष का मार्गदर्शन लेते हुए हमारे देश भारत की स्वतंत्रता के समय की कुंडली (जिसे हम स्वतंत्र भारत की कुंडली कहते हैं) का अध्ययन किया है और इसी स्वतंत्र भारत की कुंडली के माध्यम से इन सभी सवालों के उत्तर जानने का प्रयास किया है। तो आइए ज्योतिष के आईने से दृष्टि डालते हैं इन सभी  संभावनाओं पर और जानते हैं कि 2020 में नए भारत की क्या तस्वीर उभर कर सामने आएगी:

वर्ष 2020 और ग्रहों का गोचर

2020 में मुख्य बड़े ग्रहों का गोचर महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला है इसलिए सर्वप्रथम  हम यह जानते हैं कि इस वर्ष कौन-कौन से ग्रह अपनी चाल बदलकर राशि परिवर्तन करने वाले हैं:

  • देव गुरु बृहस्पति 5 नवंबर 2019 से धनु राशि में प्रवेश कर चुके हैं और 30 मार्च 2020 को शनि के अधिपत्य वाली मकर राशि में प्रवेश करेंगे।
  • वक्री अवस्था में 30 जून 2020 को बृहस्पति देव एक बार पुनः धनु राशि में वापस जायेंगे।
  • मार्गी होने के बाद 20 नवंबर 2020 को मकर राशि में प्रवेश करेंगे।
  • वर्ष 2020 की शुरुआत में 24 जनवरी को शनि का गोचर अपनी स्व राशि मकर में होगा।
  • सितंबर के महीने में राहु और केतु भी क्रमशः मिथुन और धनु राशि को छोड़ कर  क्रमशः वृषभ और वृश्चिक राशि में प्रवेश कर जाएंगे।

इस प्रकार हम देख रहे हैं कि बृहस्पति, शनि, राहु और केतु जैसे बड़े ग्रह इस वर्ष अपना राशि परिवर्तन करेंगे और अनेक प्रकार के संयोगों को जन्म देंगे।

भारत की कुंडली और 2020 की स्थिति

हमारा देश भारत एक विकासशील देश है जो तेजी से विकास पथ पर आगे बढ़ रहा है  और उस पर भारी जनसंख्या की आर्थिक और अन्य चुनौतियों को दूर करने का दबाव भी है  उसकी आर्थिक स्थिति को जानने के लिए हमको स्वतंत्र भारत की कुंडली का अध्ययन करना पड़ता है।

india 2020

स्वतंत्र भारत 

(15-8-1947, 0:0:1, नई दिल्ली)

  • स्वतंत्र भारत की कुंडली में लग्न राशि वृषभ है तथा चंद्र राशि कर्क है। भारत देश की प्रभाव राशि मकर भी मानी जाती है।
  • इस कुंडली में शनि देव नवम और दशम भाव के स्वामी होकर प्रबल योग कारक होने के बाद तीसरे भाव में उपस्थित हैं।
  • देव गुरु बृहस्पति अष्टम और एकादश भाव के स्वामी होकर छठे भाव में विराजमान हैं।
  • बड़े ग्रहों के गोचर से देश की कुंडली में लग्न से मुख्य रूप से सातवां, आठवां और नवां भाव विशेष रूप से प्रभावित होगा तथा चंद्र राशि से पाँचवां, छठा और सातवां भाव।
  • पंचम भाव से जन्म दर, शिक्षा का स्तर, छठे भाव से देश के शत्रु, देश में होने वाली बीमारियाँ और कर्ज, सातवें भाव से देश की छवि, विदेशी व्यापार, आदि को देखा जाता है।
  • देव गुरु बृहस्पति का गोचर भारत की चंद्र राशि से छठे भाव में हो रहा है, जोकि लग्न से अष्टम भाव की राशि है। बृहस्पति का यह गोचर अनुकूल नहीं कहा जा सकता क्योंकि स्वतंत्र भारत की कुंडली में भी बृहस्पति अधिक अनुकूल स्थिति में नहीं है।
  • ग़ौरतलब है कि साल 2020 की शुरुआत में इसी धनु राशि में पहले से ही शनि और केतु विराजमान हैं तथा सूर्य ग्रहण भी दिसंबर में इसी राशि में लग चुका है, जिसका असर भी निश्चित ही दिखाई देगा।
  • मेदिनी ज्योतिष के अनुसार अष्टम भाव मुख्य रूप से  देश की मृत्यु दर, सामाजिक सुरक्षा, गुप्त नीतियाँ, षड्यंत्र, राष्ट्रीय ऋण, प्राकृतिक आपदाएं तथा मुख्य रूप से कठिनाइयों के बारे में पता चलता है। बृहस्पति एक वृद्धि कारक ग्रह है, जो देश के संबंध में न्यायालयों और धर्म तथा धर्म गुरुओं के बारे में भी बताता है।
  • शनि लोकतंत्र का कारक ग्रह है और बृहस्पति लोकतंत्र के प्रभाव का द्योतक है। अष्टम भाव में इन दोनों ग्रहों की युति केतु के साथ होना देश में देश के लिए कठिन समय के बारे में बताता है।
  • इसके बाद शनि का गोचर भारत की चंद्र राशि से सप्तम भाव और लग्न राशि वृषभ  से नवम भाव में होगा। यह शनि की स्व राशि है। यहां आकर शनि काफी बड़े बदलाव लेकर आएगा, विशेष रूप से न्याय के क्षेत्र में जिसकी वजह से न्यायपालिका में कुछ बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
  • जनसंख्या नियंत्रण से संबंधित कोई अध्यादेश या बिल भी केंद्र सरकार द्वारा लाया जा सकता है।
  • नवम भाव का महत्वपूर्ण योगदान होने से प्रतीत होता है कि धार्मिक क्रियाकलापों में बढ़ोतरी होगी और देश में अनेक आयोजन भव्य स्तर पर आयोजित किए जाएंगे।
  • प्राकृतिक संतुलन को बनाए रखने के लिए जलवायु नियंत्रण पर विशेष जोर रहेगा और प्रदूषण फैलाने वाले लोगों पर और भी अधिक तीव्रता से शासकीय कार्यवाही हो सकती है।
  • धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और विदेशी सैलानियों की आवाजाही बढ़ेगी जिससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार की वृद्धि होगी।
  • महिलाओं के विरुद्ध किए जाने वाले अत्याचार के प्रति कठोर कानून बनाने की मांग जोर पकड़ने लगेगी और संभवत: सरकार इस दिशा में कोई बड़ा कदम उठाएगी।

आमतौर पर देश की स्थिति को जानने के लिए स्वतंत्र भारत की कुंडली के साथ साथ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा और गणतंत्र दिवस के समय की कुंडलियों को भी अध्ययन में सम्मिलित किया जाता है, लेकिन क्योंकि यहां प्रश्न वर्ष 2020 की शुरुआत का है, इसलिए हमने ग्रहों की स्थितियों और दशाओं को ध्यान में रखकर ही भविष्य का हाल जाने का प्रयास किया है।

2020 में भारत और प्राकृतिक आपदाएं

जैसा कि ऊपर भी बताया गया है 2020 देश के लिए प्राकृतिक तौर पर कुछ संवेदनशील कहा जा सकता है क्योंकि इस दौरान कई प्राकृतिक आपदाएं आने की संभावना रहेगी। इसकी शुरुआत दिसंबर से हो सकती है। इसकी वजह है कि जब जब भी बृहस्पति और शनि की युति होती है, तो बड़े बदलाव आते हैं और चूंकि भारत की कुंडली में अष्टम भाव में ही ग्रहों की यह स्थिति निर्मित होगी, जो की प्राकृतिक आपदाओं से क्षति को दर्शाता है।

ऐसी स्थिति में जान माल का नुकसान होने की संभावना रहेगी। सर्दी वाले क्षेत्रों में बर्फ बारी अधिक होगी और अधिक शीत लहर चलेगी तथा सर्दी के मौसम में भी कुछ स्थानों पर वर्षा होने के कारण स्थितियाँ और विकट होंगी, जिससे स्वास्थ्य संबंधित परेशानियां भी चुनौती बनकर खड़ी होंगी। बाढ़, भूस्खलन,  भूकंप, जैसी स्थितियों का निर्माण हो सकता है।

हालांकि विश्व की बात की जाए तो यह दक्षिण देशों में अधिक होने की संभावना है, लेकिन भारत के परिदृश्य में दक्षिणी क्षेत्रों में ये समस्याएं अधिक होने की संभावना रहेगी, जिसके लिए समय पर आवश्यक कदम उठाने  ज़रूरी होंगे।

2020 में धार्मिक, सांस्कृतिक एवं अन्य संभावनायें

वर्ष 2020 के दौरान  धार्मिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों में भारत निश्चित तौर पर उन्नति करेगा  क्योंकि बृहस्पति विशेष रूप से धार्मिक और सांस्कृतिक क्रियाकलापों का कारक ग्रह है। अपनी राशि में जाकर यह इन सभी चीजों को और बल देगा तथा देश में धार्मिकता का वातावरण भी निर्मित होगा। हालांकि इसके विपरीत इस दौरान कुछ सांप्रदायिक घटनाएँ भी घटित हो सकती हैं, जो देश और सरकार के लिए तनाव का कारण बन सकती हैं।

कुछ लोग समाज के ताने-बाने को बिगाड़ने का प्रयास कर सकते हैं और इनमें अंदरूनी ताकतों के अलावा कुछ विदेशी ताकतों का हाथ भी संभव है, इसलिए सरकार को इनके प्रति सावधानी बरतनी आवश्यक होगी। धार्मिक मामलों की बाढ़ आ सकती है। बहुत आश्चर्य की बात नहीं कि शीघ्र ही श्री कृष्ण जन्मभूमि और वाराणसी में मंदिर बनाने की बात जोर पकड़ने लगे।

यदि सामरिक दृष्टिकोण की बात की जाए तो इस दौरान भारत का प्रभाव व्यापक रूप से फैलेगा, चाहे वह क्षेत्रफल के रूप में हो अथवा व्यापार के रूप में और भारत का नाम भी अनेक देशों की जुबान पर होगा, जिससे भारत के प्रभुत्व में वृद्धि होगी। इस वर्ष जनसंख्या  को लेकर कई बड़ी योजना या अध्यादेश लाया जा सकता है।

भारत की पाकिस्तान और चीन के साथ संघर्ष एवं तनाव की स्थितियां बन सकती हैं। कुछ देशों के साथ व्यापक संधियां भी होंगी, जो देश को सामरिक तौर पर मजबूत बनाएँगी और इस दौरान भारत की रक्षा गतिविधियों में इजाफा देखने को मिल सकता है।

इसके अतिरिक्त देश के वैज्ञानिक कुछ नई खोज के साथ सामने आ सकते हैं, जो विश्व पटल पर भारत को और ऊपर ले जाएगी।

क्या 2020 आईसीसी T20 वर्ल्ड कप भारत में आएगा?

क्रिकेट के दीवानों के लिए इस साल T20 वर्ल्ड कप मुख्य रूप से चर्चित रहेगा, जो कि इस वर्ष ऑस्ट्रेलिया में खेला जाएगा। इसका आयोजन 18 अक्टूबर से 15 नवंबर के मध्य किया जाएगा। क्रिकेट के महाकुंभ के नाम से प्रसिद्ध यह 20 ओवरों का सीमित मैच का टूर्नामेंट होगा, जिसके लिए हर भारतवासी दुआ करेगा कि यह वर्ल्ड कप भारत आए।

भारत की दशा देखी जाए तो उस दौरान चंद्रमा की महादशा में शनि की अंतर्दशा और सूर्य की प्रत्यंतर दशा चल रही होगी, जिससे पता चलता है कि टीम इंडिया अपनी ओर से अच्छा प्रदर्शन जारी रखेगी। हालांकि भारत का भारत का यह विश्व कप जीत पाना संदेहास्पद कहा जा सकता है। फिर भी  टीम इंडिया का प्रदर्शन सराहनीय अवश्य रहेगा।

यदि टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली की बात की जाए तो उनका जन्म लग्न धनु तथा जन्म राशि कन्या है।

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विराट कोहली 

(5-11-1988, 10:28:0, दिल्ली)

जिस समय ये वर्ल्ड कप खेला जाएगा, वे राहु की महादशा में केतु की अंतर्दशा और शुक्र की प्रत्यंतर दशा से गुज़र रहे होंगे। राहु तीसरे भाव में शनि की राशि में विराजमान है और शनि लग्न में स्थित हैं तथा राहु का नक्षत्र शतभिषा है, जो कि उसका अपना नक्षत्र है।

केतु जोकि नवम भाव में विराजमान है, शुक्र के नक्षत्र में है और नवम भाव अधिष्ठित राशि के स्वामी सूर्य हैं, जो एकादश भाव में नीच अवस्था में बैठे हैं तथा शुक्र जोकि छठे और ग्यारहवें भाव का स्वामी है, वह दशम भाव में चंद्रमा के साथ बैठा है और शनि तथा मंगल से प्रभावित है। यह सभी स्थितियों बताती हैं कि बेशक उनका प्रदर्शन ठीक रहे, लेकिन मन वांछित सफलता मिलने में कमी हो सकती है।

इस प्रकार विभिन्न उपरोक्त कुंडलियों के अध्ययन के बाद हमें कह सकते हैं कि वर्ष 2020 भारत के लिए कई मायनों में बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा। सांस्कृतिक रूप से भारत उन्नति करेगा। हालांकि प्राकृतिक रूप से कुछ चुनौतियों का सामना करने के लिए हमें तैयार रहना चाहिए। वहीं क्रिकेट के ICC T20 वर्ल्ड कप में भारत का प्रदर्शन सराहनीय रह सकता है और यदि टीम पूरी जी जान से मेहनत करती है, तो बहुत अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।

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