बुध का तुला राशि में गोचर: जैसे कि हम यह बात भली-भांति जानते हैं कि ज्योतिष में हर ग्रह एक निश्चित समय पर अपनी चाल, दशा और स्थिति में समय-समय पर बदलाव करता है। जब कभी किसी ग्रह की स्थिति में परिवर्तन होता है, तो इसका असर देश-दुनिया पर भी दिखाई दे सकता है।
बता दें कि बुध ग्रह सूर्य देव के बेहद निकट स्थित हैं इसलिए यह बार अस्त हो जाते हैं। हालांकि, बुध ग्रह का हर राशि परिवर्तन 23 से 27 दिन के भीतर होता है जो अब तुला राशि में गोचर करने जा रहा है।

ज्योतिष में बुध देव को “ग्रहों के राजकुमार” माना गया है और यह बुद्धि, व्यापार, तर्क और वाणी के ग्रह माने जाते है। इसके परिणामस्वरूप, बुध का तुला राशि में गोचर का असर इन सभी क्षेत्रों को अत्यधिक प्रभावित कर सकता है। एस्ट्रोसेज एआई के इस ब्लॉग में आपको “बुध का तुला राशि में गोचर” के बारे में समस्त जानकारी प्राप्त होगी।
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शायद ही, आप जानते होंगे कि बुध गोचर का यह विशेष ब्लॉग हमारे अनुभवी ज्योतिषियों द्वारा ग्रहों-नक्षत्रों की स्थिति के आधार पर तैयार किया है जिसके माध्यम से आप देश-दुनिया पर पड़ने वाले प्रभाव को भी जान पाएंगे। साथ ही, इस गोचर के दौरान आपको करियर, प्रेम, व्यापार, पारिवारिक जीवन समेत जीवन के विभिन्न क्षेत्रों पर किस तरह से अपना प्रभाव डालेगा?
इसके बारे में भी हम बताएंगे। इसके अलावा, किन राशियों को इस अवधि में सावधानी बरतने की आवश्यकता होगी और किनके लिए रहेगा समय शुभ? इस दौरान बनने वाले युतियों के बारे में भी बात करेंगे।
बुध का तुला राशि में गोचर: कब और क्या रहेगा समय?
ज्योतिष की दुनिया में बुध को तेज़ रफ़्तार से चलने वाला ग्रह माना जाता है इसलिए इनकी चाल, दशा, स्थिति और राशि में भी बार-बार बदलाव देखने को मिलता है। बता दें कि बुध महाराज हर 23 से 27 दिन के बाद एक राशि से दूसरी राशि में गोचर कर जाते हैं जो अब 23 नवंबर 2025 की रात 08 बजकर 08 मिनट पर तुला राशि में गोचर करने जा रहे हैं।
बुध महाराज का यह गोचर शुक्र ग्रह की राशि तुला में होने जा रहा है और सूर्य देव इनके मित्र माने गए हैं इसलिए तुला राशि में सूर्य देव की स्थिति अच्छी कही जाएगी। ऐसे में, यह गोचर संसार और सभी राशियों के लिए कुछ बड़े बदलाव लेकर आ सकता है। चलिए अब जानते हैं बुध गोचर से बनने वाले योगों और युतियों के बारे में।
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बुध का तुला राशि में गोचर: क्यों रहेगा ख़ास?
बुध देव के लिए नवंबर का महीना बेहद ख़ास रहने वाला है क्योंकि इस दौरान बुध ग्रह एक नहीं अनेक बार अपनी स्थिति में बदलाव करेंगे। बता दें कि बुध देव 10 नवंबर 2025 को वृश्चिक राशि में वक्री हो गए थे और इसके बाद, यह अपनी वक्री अवस्था में तुला राशि में गोचर कर जाएंगे। सिर्फ़ इतना ही नहीं, इस दौरान वह अस्त भी हो जाएंगे और ऐसे में, बुध अस्त और वक्री होकर कमज़ोर स्थिति में होंगे जिससे जातकों को सकारात्मक परिणाम देने में पीछे रह सकते हैं।
तुला राशि में बुध से होगी शुक्र की युति
ज्योतिष की दुनिया में हर ग्रह की चाल और स्थिति में होने वाले बदलावों से कई तरह की युतियों एवं योगों का निर्माण होता है। इसी क्रम में, जब बुध महाराज वक्री अवस्था में तुला राशि में गोचर करेंगे, तब वहां पहले से प्रेम के कारक ग्रह शुक्र देव विराजमान होंगे। बुध और शुक्र एक-दूसरे के मित्र माने गए हैं और इन दोनों ग्रहों की युति से बेहद शुभ लक्ष्मीनारायण योग का निर्माण होगा। हालांकि, इस योग का प्रभाव कमज़ोर रह सकता है क्योंकि बुध देव दुर्बल अवस्था में होंगे। आइए अब जान लेते हैं बुध ग्रह का ज्योतिष में महत्व।
कालसर्प दोष रिपोर्ट – काल सर्प योग कैलकुलेटर
ज्योतिष की नज़रों में बुध
बुध गोचर के प्रभाव के बारे में जानने से पहले हम आपको रूबरू करवाते हैं बुध ग्रह के ज्योतिषीय महत्व से।
- वैदिक ज्योतिष में बुध महाराज को सबसे छोटा ग्रह माना जाता है जिन्हें सभी नौ ग्रहों में “युवराज” का पद प्राप्त हुआ है, और यह एक शुभ ग्रह है।
- ज्योतिष में बुध को एक द्विस्वभाव ग्रह कहा गया है। सरल शब्दों में कहें तो, कुंडली में बुध देव संचार कौशल, बुद्धि, गणित, तर्कशास्त्र, व्यापार और अकाउंट के कारक ग्रह हैं।
- यह कुंडली में जिस ग्रह के साथ उपस्थित होते हैं, उसी के गुण-अवगुण अपनाकर आपको फल प्रदान करते हैं।
- इसके विपरीत, जब यह कुंडली में किसी अशुभ या पापी ग्रहों के साथ विराजमान होते हैं, तो जातक को अशुभ फल देने लगते हैं। उदाहरण के रूप में, यदि गुरु, शुक्र और चंद्रमा के साथ बुध स्थित होंगे, तो आपको सकारात्मक परिणाम देंगे।
- मनुष्य जीवन में बुध ग्रह बहन, बुआ, मौसी, अकाउंट, व्यापार, ज्योतिष विद्या और गणित आदि को नियंत्रित करते हैं।
आगे बढ़ते हैं और जान लेते हैं बुध ग्रह के कमज़ोर लक्षणों के बारे में।
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कुंडली में कमज़ोर बुध के लक्षण
- जिन जातकों की कुंडली में बुध ग्रह कमज़ोर स्थिति में होता है, वह अपने आपको दूसरों से तुलना में कम आंकते हैं। साथ ही, उन्हें अपने आप पर और अपनी क्षमताओं पर भरोसा नहीं होता है।
- पीड़ित बुध का नकारात्मक प्रभाव सीधे तौर पर आपकी वाणी और बात करने की क्षमता पर पड़ता है और ऐसे में, आप अपने विचार दूसरों के सामने नहीं रख पाते हैं।
- बुध के अशुभ प्रभाव की वजह से जातक हकलाने की समस्या से परेशान रहता है।
- कुंडली में बुध के दुर्बल या कमज़ोर होने पर जातकों को कड़ी मेहनत करने के बाद भी नौकरी और व्यापार में सफलता की प्राप्त नहीं होती है। साथ ही, उन्हें अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
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बुध का तुला राशि में गोचर के दौरान करें ये उपाय
- कुंडली में बुध ग्रह को मज़बूत करने के लिए अपनी बेटी, मौसी, बुआ, साली और बहन के साथ रिश्तों को मधुर बनाए रखें।
- प्रतिदिन बुध देव के बीज मंत्र “ॐ बुं बुधाय नमः” का 108 बार जाप करें।
- बुध से शुभ फल पाने के लिए नियमित रूप से गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करें।
- कुंडली में बुध देव को शांत करने के लिए हरे रंग के कपड़े ज्यादा से ज्यादा धारण करें।
- रोज़ाना गाय को रोटी और बुधवार के दिन हरा चारा खिलाएं।
- बुध महाराज को मज़बूत करने के लिए मूंग की दाल का दान करना फलदायी साबित होता है।
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बुध का तुला राशि में गोचर: राशि अनुसार प्रभाव और उपाय
यह भविष्यफल चंद्र राशि पर आधारित है। अपनी चंद्र राशि जानने के लिए क्लिक करें:
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
बुध देव 23 नवंबर 2025 को तुला राशि में गोचर कर जाएंगे।
राशि चक्र में तुला राशि के स्वामी शुक्र देव हैं।
तुला राशि में बुध देव का गोचर वक्री अवस्था में होगा इसलिए इसे ख़ास माना जाएगा।